Yas Kamal Singh
चले थे जहाँ को मोहब्बत का आशियाना बनान चले थे जहाँ को मोहब्बत का आशियाना बनाने,
खुद के ठहरने का ठिकाना न रहा।
🪔🪔 शुभ दीपावली🪔🪔
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी।
हरि प्रिय नमस्तुभ्यं , नमस्तुभ्यं दयानिधे।।
शुभम करोति कल्याणम,
आरोग्यम धन संपदा ,
शत्रु - बुद्धि विनाशाय:,
दीप : ज्योति नमोस्तुते।।
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ "प्रकाश व प्रसन्नता के पर्व दीपावली पर बहुत-बहुत मंगल कामनाएं। धन वैभव यश ऐश्वर्य के साथ दीपावली पर मां महालक्ष्मी आपकी सुख संपन्नता स्वास्थ्य एवं हर्षोल्लास में वृद्धि करें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ । "
🪔🪔🪔शुभ दीपावली🪔🪔🪔
Intzar milta hai
आसमानों से ऊंची उड़ाने मेरी,
हौसले भी है मेरे फौलाद से
मंजिलों की कुछ ऐसी तड़प है जगी,
कि मैं सोया नहीं हूं कहीं रात से।
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हर सुबह साथ एक नई उम्मीद जागती है,
और शाम होते होते टूट जाती है,
दुनिया की रफ्तार में कदम से कदम मिलाकर चलना सीख ले,
जरा सी चूक पर हाथ से जिंदगी छूट जाती है।
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याद करते हैं तो अहसान जताते हैं लोग,
आज कल कुछ इस तरह से रिश्ते निभाते हैं लोग,
बस रह गया है दस्तूर कि तुम याद करो पहले,
उसके बाद ही जेहन में आपको लाते हैं लोग,
हैसियत ऊंची नही तो आपकी पहचान ही नही कोई,
दौलत से आपकी शख़्सियत का मोल लगाते हैं लोग,
आजकल कुछ इस तरह से रिश्ते निभाते हैं लोग।
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आने वाला पल कैसा होगा,
आने वाला कल कैसा होगा,
बस इसी एक ख्याल पर रुकी है जिंदगी,
बस इसी एक सवाल पर टिकी है ज़िन्दगी।
Yas Kamal Singh
यू चल दिये अजनबी की तरह मेरी ज़िंदगी से जैसे कभी आये ही नही,
दो पल ठहर जाते तो हम दिल की बात कह भी लेते।
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#वक़्त कट रहा है बस #गुजरता नही,
सब कुछ ठीक ही है बस #दिल मे कुछ #उतरता नही,
#हैरान हूं खुद से कहीं मैं #पत्थर तो नही,
कितना #टूटता हूँ फिर भी #बिखरता नही।
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सम्हल जाऊंगा ज़रा ठोकरें खाने तो दो,
यूँ हर वक़्त मशवरे देना मुनासिब तो नहीं।
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प्रेम का महत्व समझने के लिए,
वियोग की पीड़ा सहना आवश्यक है।
अन्यथा प्रेम मात्र एक व्यापार के समान प्रतीत होगा।
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मुलाक़ात तो हुई उससे मगर कुछ खास ही न थी,
निगाहों में उसकी आज वो बात ही न थी,
कुछ बदला बदला सा अंदाज था उसका,
किसी और के ही ख्याल थे उसमें शायद वो खुद के ही साथ न थी।
बीता हुआ साल कई सबक सिखा गया,
कहीं गम तो कहीं खुशियों की झलक दिखा गया,
नए साल में नई उम्मीदों से नई शुरुआत करेंगे,
रह गयी जो कुछ कदम के फासलों पे उस मंजिल से मुलाकात करेंगे।
आपको तथा आपके परिवार को yas kamal singh की तरफ से नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
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#हमारे_कुछ_गुनाहों_की_सज़ा_भी_साथ_चलती_है|
्हा_नहीं_चलते_दवा_भी_साथ_चलती_है|
#अभी_साथ_है_माँ_मेरी_मुझे_कुछ_भी_नहीं_होगा|
#मैं_जब_घर_से_निकलता_हूँ_दुआ_भी_साथ_चलती_है|
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