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आ जाओ खीर पूड़ी खा लो......🫕🫕
आ जाओ, खीर पूड़ी बना रही हूं, गर्म गर्म खा लो…🫕🫕
आहार के नियम भारतीय 12 महीनों अनुसार
#चैत्र(मार्च-अप्रैल) – इस महीने में गुड का सेवन करे क्योकि गुड आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है।
#वैशाख(अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल पत्र का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।
#ज्येष्ठ(मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।
#अषाढ़(जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला, बथुआ आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
#श्रावण(जूलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे। भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।
#भाद्रपद(अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे। इस महीने में चिता औषधि का सेवन करना चाहिए।
#आश्विन(सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध, घी, गुड़, नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।
#कार्तिक(अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे। ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दे। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।
#अगहन(नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का प्रयोग न करे।
#पौष(दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करे, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करे।
#माघ(जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते है।
#फाल्गुन(फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड का उपयोग करे। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले। चने का उपयोग न करे।
मछली खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है
• दिमाग़ तेज होता है
• दिल की बीमारी का खतरा कम होता है
• डिप्रेशन के लिए कारगर
ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन डी और उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन मछली से मिलेगा
बाकी शादी ब्याह में भी मछली बनता है. और तब कहा जाता है- 'मछली शुभ है ना जी' 🐟
मटर मकई कटलेट रेसिपी…
Dainik Bhaskar Epaper…
आजकल किसी भी ढाबे पर जाओ मक्खन दिल खोल कर खिला रहा है. खाने के साथ कटोरी में या परांठों के ऊपर मक्खन के बड़े से क्यूब रख दिए जाते हैं या फिर इस मक्खन को दाल और सब्जियों के ऊपर गार्निश की तरह डाल दिया जाता है.
खाने वाले गदगद हो जाते हैं की देखो क्या कमाल का होटल है पूरा पैसा वसूल करवा रहा है.
ये मक्खन नहीं सबसे घटिया पाम आयल से बनी मार्जरीन है.
बटर टोस्ट, दाल मखनी, बटर ऑमलेट, परांठे, पाव भाजी, अमृतसरी कुल्चे, शाही पनीर, बटर चिकन और ना जाने कितने ही व्यंजनों में इसे डेयरी बटर की जगह इस्तेमाल किया जा रहा है और आपसे दाम वसूले जा रहे हैं डेयरी बटर के.
कुछ लोगों को ढाबे पर दाल में मक्खन का तड़का लगवाने और रोटियों को मक्खन से चुपड़वा कर खाने की आदत होती है. उनकी तड़का दाल और बटर रोटी में भी यही घटिया मार्जरीन होती है.
लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए इसे जीरो कैलेस्ट्रोल का खिताब भी हासिल है, क्योंकि मेडिकल लॉबी ने लोगों के दिमाग में ठूंस दिया है कि बैड कोलेस्ट्रॉल ह्रदय घात का प्रमुख कारण है। इसलिए आजकल जिस भी चीज पर जीरो कोलेस्ट्रॉल लिखा होता है जनता उसे तुरंत खरीद लेती है।
इस प्रकार के उत्पाद जो किसी असली चीज का भ्रम देते हैं उन पर सरकार को कोई ठोस नियम बनाना चाहिए.
सरकार को चाहिये इस मार्जरीन का रंग डेयरी बटर के रंग सफ़ेद और हल्के पीले के स्थान पर भूरा आदि करने का नियम बनाये जिससे लोगों को इस उत्पाद को पहचानने में सुविधा हो ताकि उन्हें मक्खन के नाम पर कोई मार्जरीन ना खिला सके...
आप मार्जरीन के बारे मे और अधिक गूगल पर सर्च कर सकते है यह मखख्न नही है
घर का बना मख्खन ही उतम है यदि बजारी ही खाना है तो अमूल बेहतर है
कुछ ही दिनों में सेवा शुरू की जाएगी…