Dishank' Diary

Dishank' Diary

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25/12/2022

कभी दरिया जी तरह बेहटा हूँ में,
तो कभी पथ्थर की तरह सेहता हूँ में,
कब से गुज़र रहा है ये कम्बख्त ज़माना,
हर लम्हा लग रहा है पुराना ,
न जाने किस दिल में रहेता हूँ में|
- Dishank Panchal

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