Pt Rama ji Shukl
Pandit Rama Shankar shukl was a great lengend classical singer in the style of thumri in the kashi
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पंडित रामा जी शुक्ल की 51वी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में पूर्व संग्रहित दस्तावेजों में से एक रिकॉर्डिंग प्रस्तुत है जिसमे पद्मविभूषण स्व गिरिजा देवी जी ( ठुमरी साम्राज्ञी ) द्वारा पं प्रवर रामा जी शुक्ल ( ठुमरी मर्मज्ञ) को भावांजलि अर्पित करती हुई।Padma Vibhushan Girija Devi
16 अगस्त 2023 को कबीरचौरा स्थित स्वरांजलि सभागार में बनारस घराने के मूर्धन्य कलाकार गुरु ठुमरी के अप्रतिम प्रयोक्ता पं रामाजी शुक्ल की 51वी पूण्यतिथि के उपलक्ष्य में पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास एवं पं राम सहाय संगीत फाउंडेशन वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में संगीतांजली कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका शुभारम्भ *दीप प्रज्ज्वलित कर किया प्रख्यात तबला वादक कलाकार पं कामेश्वर नाथ मिश्र जी तथा पं रामाजी शुक्ल के प्रपौत्र श्री चंद्रकृष्ण शुक्ल तथा श्री संजीव शुक्ला ने* जिसके साथ साथ वैदिक *मंगलाचरण प्रस्तुत किया पं ओमप्रकाश तिवारी जी* ने ।आरम्भ में उपस्थित सभी सुधिजनो एवं अतिथियो ने पं रामा जी शुक्ल के चित्र पर पुष्प अर्पित किया ।इसी क्रम में अतिथियो एवं कलाकारों को अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण कर सम्मानित किया पं रामाजी शुक्ल जी के पौत्रजन सर्वश्री *पं चंद्रकृष्ण शुक्ल एवं पं संजीव शुक्ला तथा श्रीमती गौरी शुक्ला ने।* कार्यक्रम में *अतिथियो का स्वागत किया पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास के प्रबंध* *न्यासी श्री प्रखर प्रतीक ने*। *कार्यक्रम संयोजन रहा पद्मविभूषण विदुषी श्रीमती गिरिजा देवी के शिष्य श्री रोहित मिश्र का* । कार्यक्रम व्यवस्था में सहभागी रहे पं रामाजी शुक्ल के प्रपौत्रजन सर्वश्री दीपक शुक्ला जी तथा प्रपौत्र वधु श्रीमती अर्चना शुक्ला तथा श्री विशाल शुक्ला ने ।इससे पूर्व पं कामेश्वर नाथ मिश्र जी ने पं रामा जी के विषय मे अपनी स्मृतियों को व्यक्त किया इसी क्रम में पं रामा जी स्मृति न्यास की ओर से डॉ प्रीतेश आचार्य ने पं रामाजी शुक्ल के कृतित्व को आज के युवा संगीत साधको के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और उनके व्यक्तिव को युवा साधको को आत्मसात करने की आवश्यकता बतायी ।संगीतांजलि का आरंभ *श्रीमती पूजा पंड्या* ने संत तुलसीदास जी द्वारा रचित पद *जाऊ कहाँ तजि चरण तुम्हारे* के मधुर गायन से इसी क्रम में अतिथि कलाकारों में से
*द्वितीय कार्यकम हुआ कोलकाता से पधारे युवा गायक श्री मोईन खान* के गायन का ।आपके साथ तबला संगति रही श्री आनंद मिश्र की तथा संवादिनी पर साथ दिया श्री सूर्यांश प्रजापतिने । मोईन जी ने गायन का आरंभ किया *राग बिहाग* में विलंवित एकताल में निबद्ध बंदिश से जिसके बोल थे *ए माँ धन धन रे* इसके उपरांत तीनताल में निबद्ध बंदिश सुनाया बोल थे *अब हूँ लालन मैंका।* इसके उपरांत द्वितीय प्रस्तुति रही कोलकाता से पधारे वरिष्ठ *सितार वादक श्री निखिल चैटर्जी द्वारा प्रस्तुत सितार वादन* की आपके साथ तबला संगती रही श्री देबनारायन मिश्र की । निखिल जी ने *सितार वादन* का आरम्भ किया *राग* *झिंझोटी* में विलंवित तीनताल एवं मध्य तीनताल में निबद्ध गत से आनन्दित किया ।
आयोजन में काशी के ख्यात एवं वरिष्ठ कलाकार जन , गायक पं त्रिलोकी मिश्र एव नर्तक श्री विशाल कृष्ण गायक डॉ प्रीतेश आचार्य एवं कथक कलाकार श्री गौरव मिश्र सितार वादक श्री नीरज मिश्र आदि उपस्थित रहे ।कार्यक्रम में कुशल संचालन किया श्री कृष्ण कुमार तिवारी
पंडित रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास एवं पं राम सहाय संगीत फाउंडेशन की तरफ से पं रामा जी शुक्ल की 51वी पुण्यस्मृति @के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक संध्या में आप सभी का स्वागत है।
Guru Purnima ki hardik Shubh Kamanaye🙏🏻
गुरु पूर्णिमा के शुभ दिन पर एक पुरानी गैलरी में पंडित राम जी शुक्ल और उनके गुरु उस्ताद मौजुद्दीन खान (बोल-बनवत ठुमरी के जनक) की एक दुर्लभ तस्वीर मिली, जिसमें दोनों एक साथ खड़े थे।
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18 जनवरी 2023 को कबीरचौरा स्थित स्वरांजलि सभागार में बनारस घराने के मूर्धन्य कलाकार गुरु ठुमरी के अप्रतिम प्रयोक्ता पं रामाजी शुक्ल की 159 वी जयंती के उपलक्ष्य में पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास एवं पं राम सहाय संगीत फाउंडेशन वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में संगीतांजली कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका शुभारम्भ वरिष्ठ जननेता एवं महानगर अध्यक्ष भाजपा श्री
विद्यासागर राय जी एवं श्री आत्मा विशेश्वर जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया ।आरम्भ में अतिथियो एवं कलाकारों को अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण कर सम्मानित किया पं रामाजी शुक्ल जी के पौत्रजन सर्वश्री पं रविकृष्ण शुक्ल पं चंद्रकृष्ण शुक्ल एवं पं संजीव शुक्ला ने।कार्यक्रम में अतिथियो का स्वागत किया पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास के प्रबंध न्यासी एवं पं रामाजी के प्रपौत्र श्री प्रखर शुक्ल ने ।कार्यक्रम संयोजन रहा पद्मविभूषण विदुषी श्रीमती गिरिजा देवी के शिष्य श्री रोहित मिश्र का । कार्यक्रम व्यवस्था में सहभागी रहे पं रामाजी शुक्ल के प्रपौत्रजन सर्वश्री दीपक शुक्ला जी एवं श्री श्रीश शुक्ला एवं प्रपौत्रवधु श्रीमती गौरी शुक्ला ।
प्रथम कार्यकम हुआ वाराणसी की सुश्री पूजा राय के गायन का ।आपके साथ तबला संगति रही श्री विशाल देव मिश्र की ।पूजा ने राग मधुवंती में द्रुत तीनताल में निबद्ध बंदिश सुनाया बोल थे गोविंद गुन गावो ।गायन का समापन हुआ लोकप्रिय दादरा से बोल थे दीवाना किये श्याम क्या जादू डाला।इसके उपरांत द्वितीय प्रस्तुति रही बनारस घराने के युवा वादक श्री शिवांग मिश्र द्वारा प्रस्तुत सितार वादन की आपके साथ तबला संगती रही श्री कुशालकृष्ण की ।शिवांग ने सितार वादन में राग हमीर में आलाप के साथ विलंवित एवं मध्य तीनताल में निबद्ध गत की अवतारणा से आनंदित किया समापन हुआ दादरा से ।आयोजन की अंतिम प्रस्तुति रही बी एच यू के मंच कला संकाय की शोध छात्रा सुश्री राजर्षिनाथ के मधुर गायन की आपके साथ तबला संगति रही श्री चेतन शुक्ला की एवं संवादिनी पर साथ दिया मंच कला संकाय बी एच यू के शोध छात्र श्री कुमार बिक्की ने । राजर्षि ने गायन का आरंभ किया
राग मारू विहाग में बिलम्बित एकताल में निबद्ध बंदिश से बोल थे रसिया न जाओ इसके उपरांत द्रुत तीनताल ने निबद्ध बंदिश सुनाकर आनंदित किया बोल थे जागु मैं सारी रात बलमा गायन का समापन हुआ दादरा से बोल थे श्याम तोहे नजरियालग जायेगी।
आयोजन में काशी के ख्यात एवं वरिष्ठ कलाकार जन तबला वादक कलाकार
पं कामेश्वरनाथ मिश्र, सारंगी वादक पं कन्हैया लाल मिश्र, गायक पं त्रिलोकी मिश्र एवं कथक नर्तक कलाकार द्वय श्री विशाल कृष्ण एवं युवा कलाकार श्री गौरव मिश्र आदि उपस्थित रहे ।कार्यक्रम में संचालन किया डॉ प्रीतेश आचार्य ने।
पंडित रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास एवं पं राम सहाय संगीत फाउंडेशन की तरफ से पं रामा जी शुक्ल की 159वी जयंती के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक संध्या में आप सभी का स्वागत है।
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सुर ताल के समर्पण से बनारस घराने के संत गायक ठुमरी मर्मज्ञ पं रामाजी शुक्ल की 50वीं पुण्य स्मृति में नमन।
1 अगस्त 2022 पंडित रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास द्वारा संगीत साधक संत कलाकार बनारस घराने के मूर्धन्य गायक कलाकार ठुमरी के विलक्षण प्रयोक्ता गुरु पं रामाजी शुक्ल जी की 50 वी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य मे मूंगा गणेश जी के मंदिर प्रांगण में संगीतांजली का आयोजन सम्पन्न हुआ ।जिसमें शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में युवा कलाकार सुश्री डॉ श्वेता जायसवाल द्वारा गायन की प्रस्तुति से पं रामाजी शुक्ल जी को संगीतांजलि समर्पित की गयी , स्वर संवादिनी पर सहयोग किया श्री जमुना वल्लभ दास गुजराती , एवं तबला पर सहयोग श्री पंकज राय ने दी । राग श्याम कल्याण की अवतारणा हुई । इस अवसर पर अतिथियो ने पं रामाजी शुक्ल को स्मरण करते हुए कहा की
पं रामाजी के पिता छत्रसाल नरेश के दरबार में राज्य वादक कलाकार के रूप मे संयुक्त थे उनके अवसान के बाद पंडित रामा जी बाल्यकाल में काशी आ गये और बनारस घराने की परंपरा ठुमरी, कजरी ,चैती तथा होरी जैसी विधाओं से अनुराग करते हुए यश धन से निर्लिप्त होकर आप एक सच्चे साधक के रूप संगीत जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत है । लगभग 100 वर्षों की आयु को पूर्ण करते हुए आज उनकी 50 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनका पुण्य स्मरण हम सबको संगीत के आध्यात्मिक पक्ष को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है। संचालन किया श्रीमती अंजना झा ने इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ शिवानी आचार्य ने सभी का स्वागत किया तथा आभार व्यक्त किया न्यास की कोषाध्यक्ष श्रीमती गौरी शुक्ला ने ।
न्यास द्वारा आयोजित पं रामा जी शुक्ल की स्मृति में डॉ श्वेता जायसवाल द्वारा गायन प्रस्तुति से स्वरांजली अर्पित की।
रामास्मृति 3 श्रृंखला में पं रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास द्वारा पंडित रामा जी शुक्ल को नमन।
न्यास द्वारा कलाकारों का स्वागत एवं अंगवस्त्र प्रदान करते न्यास के सदस्य।
पंडित रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास द्वारा रामा जी की 50वीं पुण्यतिथि रामास्मृति की 3 श्रृंखला के उपलक्ष्य में श्री अमृत विनायक मंदिर ( मूंगा गणेश जी ) में कार्यक्रम संचालन एवं शुभारंभ करती श्रीमती अंजना झा।
पं रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास द्वारा आयोजित
"रामास्मृती"
*पं रामा जी शुक्ल की संगीत एवं संस्मरण की तीसरी श्रृंखला*
ठुमरी संगीत विधा में उनके योगदान के 158वें वर्ष को याद करने और उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए स्वरांजली श्रृंखला में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास के स्थापना दिवस पर आयोजित संगीत संध्या के विषय मे नगर के समाचार पत्रों Dainik Jagran , Amar Ujala में प्रकाशित समाचार
दिनांक 20 मई 2022 को सायं 7.30 बजे से आठ दशक पूर्व के समय के काशी के ख्यात कलाकार पं रामा जी शुक्ल की स्मृति में स्थापित पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास के स्थापना दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या *"परंपरा नमन"** का आयोजन वाराणसी स्थित न्यास परिसर में साकार हुआ है।सभी संगीत अनुरागी जनो के साथ साथ इस कार्यक्रम में प्रत्यक्ष प्रेक्षकों के अतिरिक्त आभासी माध्यम (ऑनलाइन)से भी लोग सहभागी रहे कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति रही युवा बांसुरी वादक श्री स सिद्धार्थ द्वारा राग बागेश्री की अवतारणा तबला संगति रही श्री प्रेमचंद्र की इसी के साथ दूसरी प्रस्तुति रही पं रामाजी जी शुक्ल की प्रपौत्री डॉ शिवानी आचार्य द्वारा भजन गायन की तबला संगति रही श्री प्रेमचंद्र की तथा बांसुरीपर साथ दिया श्री सोनू यदुवंशी ने एवं हार्मोनियम पर साथ दिया श्री कुमार विक्की ने।शिवानी द्वारा प्रस्तुत प्रथम भजन था राम का गुणगान करिये साथ ही दूसरा भजन भी भक्ति भाव से पूर्ण रहा बोल थे राम भजन कर मन। कार्यकम का संचालन सुश्री वाणी याग्निक ने किया एवं कार्यक्रम का संयोजन किया न्यास के प्रधान न्यासी एवं पं रामाजी शुक्ल के प्रपौत्र श्री प्रखर शुक्ला ने ।
पांच वर्ष पूर्व आज के ही दिन काशी के मूर्धन्य गायक कलाकार गुरु पं रामाजी शुक्ल की स्मृति में स्वरांजलि का आयोजन साकार करने में ठुमरी साम्राज्ञी विदुषी श्रीमती गिरिजा देवी जी अप्पा जी ने हम सबका मार्गदर्शन किया था। अप्पा जी के ही आवास के समक्ष स्थित वाटिका में आयोजित स्वरांजलि कार्यक्रम में अप्पा जी का संरक्षण हम सबको प्राप्त हुआ था।जिसमे उन्होंने अपनी गरिमामयी उपस्थिति एवं संस्मरण के माध्यम से पं रामाजी जी शुक्ल के व्यक्तित्व तथा कृतित्व को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नवीन पीढ़ी को अपने पूर्वाचार्यों गुरुजनों के प्रति कृतज्ञ होने की प्रासंगिकता को भी स्पष्ट किया था । अप्पा जी के साथ संगीतज्ञ पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने भी विचार व्यक्त करते हुए पं रामाजी जी की स्मृति को नमन किया ।इस अवसर पर पं रामाजी जी शुक्ल एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी की युगल बंदी का भी दुर्लभ रिकॉर्ड का भी श्रवण गुणी जनो ने किया था । आयोजन में वरिष्ठ तबला वादक कलाकार पं कमेश्वरनाथ मिश्र एवं पूरण महाराज तथा संवादिनी वादक पं जमुना बल्लभ गुजराती युवा गायक जोड़ी श्री रोहित मिश्र एवं श्री राहुल मिश्र तथा गायक एवं संचालक डॉ प्रीतेश आचार्य साथ मे शुक्ल परिवार के सदस्य जन सहभागी रहे थे ।
पं रामाजी शुक्ल स्मृति न्यास के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर उसी आयोजन की संक्षिप्त रिकॉर्डिंग आप सभी गुणी जनो के समक्ष प्रस्तुत है
Padma Vibhushan Girija Devi Malini Awasthi Rahul-Rohit Mishra @
https://www.facebook.com/pt.ramaji.shukl/
The legendary singer in the style of thumri pandit Rama ji Shukl of his time and to continue his legacy I invite to follow his page of his trust.
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Thank you 🙏
काशी के मूर्धन्य संगीतकारों एवं संगीत प्रेमियों के आशीर्वाद , मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से बनारस घराने के प्रख्यात संगीतज्ञ , प्रयोगता और विशेष रूप से बनारस अंग की गायकी को एक नए आयाम के साथ अभिव्यक्त करने वाले कलाकार जो सरलता , सहजता , सौम्यता के प्रतीक रहे अपने युग में पं रामा जी शुक्ल उनकी स्मृति को जीवंत बनाए रखने के लिए और उनके कृतित्व , व्यक्तित्व से नई भावी पीढ़ी को आत्मसात कराने के लिए अवगत कराने के लिए ,प्रेरित करने के लिए साधना पथ पर चलते रहने के लिए उनके नाम से ही पं रामा जी शुक्ल स्मृति न्यास अस्तित्व में आया । यह परम सौभाग्य रहा की ऐसे अवसर पर की पद्मविभूषित विदुषी गिरिजा देवी जी ने स्वयं आगे बढ़कर पहल की और कहा "कहीं जाने की आवश्यकता नहीं , मेरे आवास के समक्ष उनके स्मृति में कार्यक्रम करो" और उन्होंने अपनी स्मृति साझा की । न्यास का गठन हो कर प्रकाश में आ गया परंतु उसे वैधानिक स्वरूप देना वह कार्य इतने वर्षो से नहीं हो सका तो उसी न्यास के अंतर्गत कई ऑनलाइन कार्यक्रम कोरोना काल में संपन्न हुए। उनकी स्मृतियां फिर से जीवंत हुई , अनेक अवसरों पर , उनके जन्मदिवस , उनकी पुण्यतिथि पर उनके विषय में बहुत लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए । श्रद्धांजलि अर्पित की गई लेकिन आवश्यकता महसूस की जा रही थी की न्यास तो एक रूप में बन गया और विदुषियों के सानिध्य में इसका विधिवत शुभारंभ भी हुआ इनकी स्मृतियों को जीवंत करने का वर्ष 2017 में लेकिन 2017 से 2022 , 5 वर्ष हो गए इसको वैधानिक स्वरूप कैसे दिया जाए यह सोचा जा रहा था । अंत में कुछ बाहर के लोग और परिवार के लोग ने मिल कर इसको वैधानिक स्वरूप दिया गया जिससे जो कुछ वैधानिक अवरोध आते है वो न आए।
न्यास प्रकाश में आया है 5 वर्ष पूर्व देखा गया की प्रायः पंजीकरण हों जाता है जोर शोर से लेकिन काम नहीं होता यहां दूसरी परिपाठी अपनाई गई पहले काम करके देखा जाए और फिर काम सही रहा तब उसका पंजीकरण कराया जाए तो 5 वर्ष देखा गया और फिर इस वर्ष 04 फरवरी को कराया गया ।
वर्तमान युग की आकांक्षाओं के अनुरूप जहां विश्व पूरा एक ग्राम के रूप में परिवर्तित हो चुका है और पूरे विश्व के लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य आभासीय माध्यम कर रहा है अतैव सहर्ष हम अपनी संस्था को भी डिजिटल स्वरूप में अवतरित करने जा रहे हैं।
आप सब के स्नेह एवं मागदर्शन की अपेक्षा रहेगी ।
Pandit Rama ji Shukl Smriti Nyas Pandit Rama Shankar shukl was a great lengend classical singer in the style of thumri in the kashi.
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3अगस्त 2019 को भदैनी स्थित पद्मश्री प्रो राजेश्वर आचार्य जी के आवास में भाव प्रभा पद्म संस्थान के सभागार में बनारस घराने के मूर्धन्य गायक कलाकार ठुमरी मर्मज्ञ सम्राट प रामाजी शुक्ल की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में स्मृति समारोह का आयोजन किया गया शुभारम्भ दीप आलोकन के द्वारा पद्मश्री प्रो राजेश्वर आचार्य जी ने एवं प रामा जी शुक्ल के पौत्र श्री चंद्र कृष्ण शुक्ल जी द्वारा हुआ इस अवसर पर काशी धाम संग्रहालाय के प्रबंधक श्री सुश्री दीप शिखा और श्री संजीव शुक्ला उपस्थित थे आरम्भ डॉ शिवानी शुक्ल द्वारा गायन से हुआ हारमोनियम संगति रही श्री कुमार विक्की की एवं तबला संगति रही श्री अंकित कुमार सिंह की शिवानी ने राग देश में ठुमरी सुनाया बोल थे बैरी पीर इसके उपरान्त महादेव जी पर आधारित अपने गुरु प्रभावरंग जी द्वारा रचित कजरी सुनाया बोल थे हमार जोगिया झूमि झूमि गावे कजरी इसके उपरान्त श्री नागेंद्र शर्मा जी ने कजरी सुनाया बोल थे घिरीं घिरी आयी कारी बदरिया साथ ही पदमश्री प्रो आचार्य जी की पौत्री बाल कलाकार सुश्री प्रशस्ति आचार्य ने पायोजी मैने राम रत्न धन पायो सुनाकर भक्ति भाव भरे । साथ ही युवा श्री आदित्य धनराज सुश्री प्रियंका श्रीवास्तव तथा सुश्री अलंकृता निगम एवं सुश्री श्रेया प्रिया गायन की त्रिबंदी प्रस्तुत कर दिल जीता। समापन सुश्री अम्बिका के गायन से हुआ। श्री पीयूष आचार्य , श्री प्रखर प्रतीक , श्री राहुल आदि उपस्थित रहे
कार्यक्रम संचालन किया डॉ प्रीतेश आचार्य ने
आज 14 अगस्त 2021 को सायंकाल : प्रख्यात कलाकार ठुमरी मर्मज्ञ स्व. पं रामाजी शुक्ल जी की के आवास पर उन्ही को समर्पित सांगीतिक आयोजन रामास्मृति संगीत उत्सव की द्वितीय श्रृंखला का समापन सत्र संपन्न हुआ। कार्यक्रम के आरम्भ में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार संस्कृति धर्मार्थ पर्यटन एवं प्रोटोकॉल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ नीलकंठ तिवारी जी ने पं रामाजी शुक्ल को नमन करते हुए कहा कि पं रामाजी शुक्ल ,का व्यक्तित्व एवं सांगीतिक कृतित्व आज के युवा कलाकारों के लिये प्रेरणा का स्रोत है । ऐसे कलाकार का पुण्य स्मरण करना एक पावन कार्य है सरकार के स्तर से भी रामाजी की स्मृतियों को जीवंत रखने का कार्य किया जाएगा । उन्होंने कहा कि काशी में विश्व भर से लोग ऐसी ही विभुतियो की स्मृतियों को अनुभव करने आते है। इससे पुर्व उत्तर क्षेत्र बाज खेड़ावाल गुजराती समाज-वाराणसी समाज के सदस्य पदाधिकारी जन तथा पं रामाजी शुक्ल परिवार के लोगो ने माल्यार्पण कर मंत्री जी का स्वागत किया। मंत्री जी ने पं रामाजी शुक्ल के चित्र एवं उनके तानपुरे पर पुष्प अर्पित कर उनको भावांजलि दी। कार्यक्रम में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी की शहनाई तथा पं रामाजी शुक्ल के गायन की जुगलबंदी की दुर्लभ रिकॉर्डिंग का भी श्रवण किया गया ।अंत मे धन्यवाद ज्ञापित किया पं रामाजी के प्रपौत्र श्री प्रखर प्रतीक ने।
इस अवसर परउपस्थित रहे रवि कृष्ण शुक्ल जी , चंद्रकृष्ण शुक्ल जी , संजीव शुक्ल , राजकृष्ण मेहता , ऋषिकांत भट्ट , गौरी शुक्ल, मोनिका जोशी , अंकुर ठाकर , अमित भट्ट , मनोज शुक्ला , सुलभ पंड्या , श्रीश शुक्ल, अनंत शुक्ल ।
Some glimpses of media coverage on Ramasmriti 2.0
"सुर ताल से अलंकृत हुई रामास्मृती उत्सव की संध्या में ठुमरी मर्मज्ञ स्व पं रामा जी शुक्ल को आभासी माध्यम से स्वरांजली अर्पित की।"
Ramasmriti 2.0 के दो दिवसीय कार्यक्रम 12 एवं 13 अगस्त 2021 को सायंकाल : प्रख्यात कलाकार "ठुमरी मर्मज्ञ स्व. पं रामाजी शुक्ल जी" की स्मृति में समर्पित सांगीतिक आयोजन रामास्मृति संगीत उत्सव की द्वितीय श्रृंखला का चरण साकार हुआ। उत्सव के आरम्भ में काशी के कलाकार "डॉ प्रीतेश आचार्य" ने पं रामाजी शुक्ल को नमन करते हुए कहा कि पं रामाजी शुक्ल आत्माभिव्यक्ति के पथ के पथिक थे । उनका संगीत आत्मविज्ञापन के लिए नही था ,उनका व्यक्तित्व एवं सांगीतिक कृतित्व आज के युवा कलाकारों के लिये प्रेरणा का स्रोत है । ऐसे कलाकार का पुण्य स्मरण करना एक सार्थक प्रयास है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बना "पद्मश्री डॉ सोमा घोष जी" का गायन । सोमा जी ने गायन से पूर्व पं रामाजी के विषय मे "भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी" द्वारा व्यक्त संस्मरण का उल्लेख करते हुये कहा कि मैंने पं रामाजी के विषय मे बाबा भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी से ही सुना था , उनकी शहनाई के साथ पं रामाजी के गायन की जुगलबंदी के विषय मे सुना था , जिसमे राग खमाज की ठुमरी पं रामाजी शुक्ल ने एक अलग अंदाज में गाया था । उनके अनुसार पं रामाजी काशी के समर्पित साधको में से एक थे। सोमा जी ने पं रामाजी जी की ही प्रिय ठुमरी सुनाकर पं रामा जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया , ठुमरी के बोल थे रस के भरे तोरे नैन । साथ ही बनारस घराने के पारंपरिक टप्पा की प्रस्तुति से रससिक्त किया। इस संगीत उत्सव में सहभागी बने पं सुखदेव मिश्रा जी । उन्होंने अपने वायलिन वादन द्वारा पंडित जी को नमन किया। "पं सुखदेव मिश्र" ने राग वाचस्पति में मध्य एवं द्रुत तीनताल में निबद्ध गत की प्रस्तुति से रससिक्त किया। समापन राग मिश्र खमाज में निबद्ध ठुमरी से किया। तबला संगति रही "श्री अमित मिश्रा" जी की। इसी क्रम में "श्री राहुल रोहित मिश्रा" के शिष्या युवा कलाकारा "सुश्री पूजा राय " एवं "सुश्री अनुराधा मिश्रा" ने राग मेघ में निबद्ध बंदिशों से पं रामा जी शुक्ल को स्वरांजलि अर्पित की , राग - मेघ द्रुत ख्याल तीनताल बंदिश में गगन गरज चमकत दामिनी गया। समापन कजरी से किया बोल रहे ––झीर झीर बरसे , तबला पर संगत किया चेतन शुक्ला ने । कार्यक्रम की दूसरी संध्या में पहली प्रस्तुति रही युवा कवि कलाकार "प्रतीक सिंह वत्स (अहान)" ने अपने साहित्यिक अंदाज में पंडित रामा जी शुक्ल को भावांजलि अर्पित की । दूसरी कड़ी में बनारस संगीत घराने से युवा कलाकार "ओम सहाय" ने अपने सारंगी के तारों से संध्या को सजाया राग विहाग में अलाप , जोड़ , मध्य लय ,द्रुत लय , और दादरा से अपनी सारंगी को विराम दिया।, तबला पर संगती की "पं राम कुमार मिश्र" जी ने। आखरी कड़ी में कोलकाता से जुड़ी "श्रीमती यज्ञसेनी मजूमदार मित्र "जी ने अपने शास्त्रीय गायन से स्वरंजली अर्पित की। यज्ञनसेनी मजूमदार मित्र जी के समर्पित बोल थे विलंबित – मेरो माना बध लीनू , द्रुत , तराना , राग यमन से समापन किया ।एवं प्रथम संध्या के कार्यक्रम का कुशल संचालन किया "श्रीमती अंकिता खत्री" ने । एवं द्वितीय संध्या का संचालन *सुश्री वाणी याग्निक" ने किया। अंत मे धन्यवाद ज्ञापित किया पं रामाजी के "प्रपौत्र श्री प्रखर प्रतीक" ने। समस्त आयोजन आभासी माध्यम से साकार हुआ जिसमे देश के संगीत साधकों एवं कलाप्रेमियो द्वारा संयुक्त होकर अपनी स्वरांजली भावांजलि अर्पित की। आभासी माध्यम से संगीत प्रेमीजन भीआनंदित हुए ।कार्यक्रम संयोजन रहा "पं रामाजी शुक्ल परिवार" का और "उत्तर क्षेत्र बाज खेड़ा वाल गुजराती समाज" , वाराणसी ।
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