Your Story : Safar Jindagi ka
In this we will share our feelings, emotions and experience of life in the form of poems , writings and pictures.
Welcome you all to this page , this page is meant to share life experience, life learnings and your story.
Real and tauching story copied from FB page hamari kahani
मेरा नाम प्रिया है, मैं उत्तरप्रदेश के एक छोटे से जिले रामपुर से हूं
इस पेज पे मैने लोगो की कहानियां सुनी तो मुझे लगा मुझे भी अपनी कहानी शेयर करनी चाहिए
मैं कोटा तैयारी करनी गई थी अनजान शहर था जहां अच्छे से ज्यादा बुरे लोग मिलते थे
मैं छोटे शहर की लड़की थी पहली बार घर से बाहर निकली
मेरी एक दोस्त बनती है जो श्री गंगानगर राजस्थान की थी
उसी के साथ मेरी मुलाकात पुलकित से होती है बाद बाद में पता चलता है की पुलकित भी हमारे शहर रामपुर का है
और इसी दौरान दोस्ती बढ़ गई पहले तो हमने पढ़ाई पर ध्यान दिया
लेकिन जब एग्जाम हो गए और ज्यादातर बच्चो की तरह हमारा भी किसी अच्छे कॉलेज में नही हुआ तो दोनो लोग मेरठ aagye पढ़ाई करने के लिए
इस दौरान हम दोनो को प्रेम हो जाता है
हम दोनो की नौकरी लगती है
अब 29 साल की उमर में जब मैने अपने घर पर पुलकित के बारे में बताया तो मेरे मां बाप सख्त खिलाफ थे, की शादी दूसरी बिरादरी में नही करा सकते हैं,
पापा के साथ घर में चाचा और ताऊ सभी खिलाफ थे सबको ये लगता था की घर की बड़ी बेटी अगर ऐसा करेगी बाकी लड़कियों का क्या होगा
मुझसे छोटी मेरी एक बहन है
3 साल मानने के बाद भी मेरे मां बाप नही माने, और मैं अंदर से तब टूट गई जब मेरी मां ने भी मेरा साथ नही दिया
इधर पुलकित के घर पर भी शादी की बात होना शुरू हुई पर उसने मेरे बारे में बताया पुलकित के घर वाले मुझे देख कर बहुत खुश थे
पुलकित को लगा अगर उसके पापा मेरे पापा से सीधे बात करें तो शायद बात बन जाए,
पुलकित के पापा ने मेरे पापा को फोन किया
और पूरी बात बताई, मेरे पापा ने फोन पर ही पुलकित के पापा को भला बुरा कहा यह तक कह दिया की आप के आवारा बेटे ने मेरी बेटी को बिगाड़ दिया
मुझे लगा मेरे पापा के इस कदम से हमारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे
फिर मैने पापा से बोला पापा मैं और पुलकित एक दूसरे को 10 साल से जान रहे हैं
आप को ऐसे बात नही करनी चहाइए थी जिसपर मेरे पापा गुस्से में मुझे 4 5 थप्पड़ मार दिए
मैं बिना कुछ बोले कमरे में चली गई रात को उठी
तो पाया मम्मी पापा बात कर रहे थे
उसके बाप से ऐसे बात करना जरूरी था थोड़ी सी भी सेल्फ रिस्पेक्ट होगी तो खुदी पीछे हट जाएगा
मैं ये सुनकर स्तब्ध थी, पापा के बारे में मैं जानती थी पर मां ऐसा कर सकती है इसकी उम्मीद नहीं थी
2 महीने बाद मैने पापा से बोला आप शादी कराएंगे या नहीं उन्होंने साफ मना कर दिया
फिर मेरे घर वाले मुझे समझाए की ऐसा करने से परिवार की नाक कट जाएगी लोग हसेंगे, कभी कोई दिक्कत हुई तो परिवार साथ नही देगा
सारी बात सुनकर मैं सो गई और 1 हफ्ते बाद कोर्ट मैरिज कर ली
जब पुलकित ने इसे घर पर बताया तो उसकी फैमिली ने एक शादी का फंक्शन रखा और हमारी शादी ठीक से कराई
इसके बाद मेरे मां बाप ने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया और कभी मुड़ के बात नही की
2 साल बाद मेरी बहन की शादी की बात हुई, और किसी को इस बात से फर्क नहीं पड़ा की उसकी बड़ी बहन ने दूसरी कास्ट में शादी की है
लेकिन शादी के 2 3 साल बाद मेरी बहन के ससुराल वाले उसे परेशान करते मेरे बाप उनकी हर डिमांड पूरी करते
मेरी बहन अपनी शादी से खुश नहीं है और ज्यादातर मायके रहती हैं शुरुवाती दिनों में सब ठीक था लेकिन जबसे भाई की शादी हुई वो भी नही चाहता की बहन बार बार यहां आए
आज मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं और मेरी 6 साल की बच्ची है
मैं पुलकित के साथ बहुत खुश हूं, क्यों की 10 साल के रिलेशन में जिसने मुझे कभी छोड़ा नहीं तो सोचिए शादी होने के बाद वो क्या करेगा
मेरे परिवार में किसी चीज की कोई कमी नही है सास अच्छी हैं ससुर अच्छे हैं 2 नंद है जो मुझे सगी बहन से ज्यादा मानती है
और मेरे पति जो हर पल इस कोशिश में रहते हैं की कैसे मैं खुश रहूं
शादी के 10 साल बाद मेरे माता पिता मुझसे बोलना चाहते हैं लेकिन उनका इगो उन्हें ये कदम उठाने नही देता
बहुत लोगो को ये लग रहा होगा की मैने बुरा किया अपने माता पिता की बात ना मानकर
तो मैं बताऊं मेरे माता पिता का फैसला उनका फैसला नही था ये उनके समाज का और उनकी झूठी शान का फैसला था
आज मेरी बहन दुखी है अपने वैवाहिक जीवन से
लेकिन समाज का एक व्यक्ति भी आकार उसे सहानभूति तक नहीं देता
और जिस परिवार की बात होती थी
वो परिवार बोलता है शादी हो गई है अपने फैसले खुद लो
देखिए मैं लोगो से यही कहूंगी अगर आप को शादी की उम्र निकल रही है, और आप किसी को बहुत लंबे समय से जानती है तो आप को उस शक्श के साथ शादी करनी चाहिए
जिंदगी एक ही मिली है, इसे जाया मत कीजिए
आपको जो भी किसी से मिला है , स्नेह ,प्रेम, सम्मान ,वक्त care आदि या मिल रहा है, उसे उससे ज्यादा लौटने की भावना , कृतज्ञता की भावना, किसी भी हालत में कष्ट न पहुँचाने की भावना प्रेम है। और लौटा पा रहे हैं तो प्रेम करने की काबलियत है, जितना ज्यादा दे पा रहे हैं उतनी ज्यादा काबलियत, और बिना मिले दे पा रहे है, बिना अपेक्षा के दे पा रहे है तो करुणा है। और कुछ भी लौटाने का मन नहीं है, सिर्फ मिल जाय बिना कुछ मूल चुकाए मिल जाय, यही इक्छा है तो ये शोषण है, बेईमानी है।
Good morning , happy sunday🌷🌷
लोग क्या सोचेंगे ?
अगर ये भी हम सोचेंगे तो वो क्या सोचेंगे, कुछ उनके लिए भी रहने दो।
अक्सर बच्चे और युवा अपनी शारीरिक बनावट, बजन ,कलर, हाइट को लेकर परेशान और चिंतित रहने लगते हैं, खासकर ये सोचकर कि मेरे बारे में लोग क्या सोचेंगे। और अपने आपको शारीरिक बनावट के आधार पर स्वयं को कमतर समझने की भारी गलती कर लेते हैं।तो मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि कुछ parameters को हम कुछ हद तक ही कंट्रोल कर सकते हैं , पर सबको नहीं। आपका कलर, चेहरा और हाइट आपको जन्म से मिलता है। जिसको ज्यादा कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। सहजता से अपने शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है न कि उन चीजों को लेकर परेशान रहना जो आपके नियंत्रण में नहीं। लोगो को जो सोचना है सोचने दो, जो मिला है उसे स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए। क्योंकि कोई कलर, हाइट, और सुंदर चेहरे की बजह से महान और सफल नहीं होता। बल्कि उसकी सफलता, सोच ,विचार, अच्छे कार्य , ईमानदारी, उसके अंदर प्रेम, इंटेलिजेंस, पेशेंस, सद्भाव, टॉलरेंस, compassion आदि से महान और सफल , और खुशी जीवन जीता है। लोग आपकी रेस्पेक्ट अपीयरेंस से नहीं बल्कि अच्छे गुणों , विनम्रता और helpfulness से करते हैं, । इसलिए प्रिय बच्चों जो शरीर मिला है उसे बस स्वस्थ्य रखने की जरूरत है । बाकी काम अपने गुणों को डेवेलोप करने पे करना चाहिए, तभी लोग आपकी रेस्पेक्ट करेंगे, छात्र अपने एकेडेमिक्स, स्किल और पर्सनल डेवलपमेंट पर धयान दे। और उन्हीं की बजह से आप सफल होंगे।
इस बात से टेंशन लेना की लोग क्या सोचेंगे कहेंगे , बिल्कुल जरूरत नहीं। सारा काम अपने सर पे लेने की जरूरत नहीं है। जो फ्रस्टेट हैं वही आपको आपके अपीयरेंस के आधार पर आपको अकेंगे जो मानसिक स्वस्थ्य है वो गुणों से ही प्रभावित होते हैं। अपीयरेंस तो केवल प्राथमिक अट्रैक्शन के लिए है। कुछ लोग मुझे भी मेरी हाइट से आंकते थे पर आज वही रेस्पेक्ट करते हैं, अपना आंतरिक कद बढ़ाओ, लोगों का क्या आज भी कुछ लोग कई पैरामीटर से आंकते है , उनका माइंड है सोचने दो।
आप तो तटस्थ बने रहो , कूल रहो , खुश रहो, जीवन आपका है, इसको डिस्टर्ब करने की चाबी हर किसी को नहीं दी जा सकती है।
आपको ठीक लगे तो आप अपने बच्चो को शेयर कर सकते हैं, कॉपी पेस्ट कर सकते हैं , एडिट करके शेयर कर सकते हैं सुझाव दे सकते हैं discuss कर सकते हैं। ये युवाओं की व्यवहारिक समस्या को लेकर अपने विचार व्यक्त किये है।
( सुनील सिंह)
किसी भी देश को विकसित और खुशहाल बनने के लिए 3 तल पर कार्य करना होगा।
1 इंडिविजुअल स्तर पर : स्वयं में सही समझ, या स्वयं के प्रति अवेयरनेस या कहा जाय शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य।
2 संबंधों के स्तर पर : संबंधों में ट्रस्ट, न्याय, transpirancy व प्रेम हो। वैसे प्रेम में सब शामिल है।
3 समाज के स्तर पर : समाज मे न्याय व भयमुक्त समाज सभी को काम, रोजगार, स्वरोजगार आदि।
फिर हर व्यक्ति सफल और खुशहाल होगा।
ये इसी क्रम में करना होगा , यानी 1 के बिना 2 संभव नहीं, और 1 और 2 के बिना 3 संभव नहीं।
मुश्किलें तो जीवन का एक हिस्सा है, सभी की जिंदगी में बादलों की तरह आती जाती रहतीं है। बस आप आसमान की तरह तटस्थ बने रहिए । उन मुश्किलों के समय भी आप कितने कूल रह पाते हैं यही धैर्य है , स्थिरता है।
बिना डरे , बिना घबराए, कूल रहते हुए मुश्किलों का सामना करने से समाधान आसान हो जाता है।
हैप्पीनेस, आनन्द
अगर किसी से पूछा जाए जीवन का क्या ऑब्जेक्टिव है क्या लक्ष्य है, क्या एस्पिरेशन है? सफलता क्या है, तो कोई कुछ भी उत्तर दे आप उसके उतर के बाद क्यों लगाते जाओ अंतिम उत्तर हैप्पीनेस, आनन्द, और शांति ही होगा। जैसे कोई कहे अमीर बनना है बहुत पैसा कमाना है फेमस होना है। पर अगर आगे पूंछा जाय क्यों तो अंतिम और गहराई से उतर यही होता है इससे खुशी मिलेगी, प्रसन्नता , आनन्द मिलेगा और वो भी स्टेबल रहेगा।शांति मिलेगी।
पैसा और नाम, आनन्द का पर्याय हो गए हैं , इसलिए हर कोई इन के पीछे भाग रहा है, पर जरूरी नहीं कि इन सब के बाबजूद आप आनन्दित हो। शांत हो। ये सब कई लोगों के पास था पर उन लोगों ने आत्महत्या की, कई हीरो, कई नामी यूटूबर, कई IAS, PCS अफसर आदि ने इन सब के होते हुए जीवन व्यर्थ पाया और जीवन से अलविदा कहा। इस सब के बाबजूद के लोग बहुत दुखी जीवन जी रहे हैं। तो वो क्या है जो हैप्पीनेस के लिए जरूरी है। कुछ तो है जो इससे अलग है। कृपया अपने विचार रखें। आपके विचार के बाद इसकी चर्चा पार्ट 2 में करेंगें। सेंसुअल plesure छणिक होता इसे शर्ट टर्म हैप्पीनेस कहा जा सकता है पर अचतुअल्ली हैप्पीनेस नहीं है, इसे शरीर द्वारा थोड़ी देर के लिए अनुभव किया जा सकता है।
आजकल स्टूडेंट्स अपने कैरियर को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं । चाहे वो हाई स्कूल में हो या किसी अन्य क्लास में ये बड़ी चिंता है उनमें हालांकि जॉब की चिंता स्वभाविक है पर अधिक चिंता ओवर थिंकिंक पैदा कर देगी और भी नुकसान जिससे आउटपुट और खराब हो सकता है। कई स्टूडेंट्स आते हैं बातों में जॉब को लेकर कैरियर को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं कुछ फ़ोन करते हैं, मैं उनसे यही कहता हूँ कि कैरियर अच्छी पढ़ाई , अच्छी तैयारी, अधिक से अधिक ज्ञान से बनेगा तो चिंता उतनी ही लेनी चाहिए पढ़ाई का स्ट्रेस उतना ही लेना चाहिए कि आप स्टडी की तरफ बढ़ सके , उतनी चिंता करने की जरूरत नहीं कि आप पढ़ भी न सकें। आजकल जॉब की चिंता बढ़ रही है और पढ़ाई लिखाई में इंटरेस्ट कम हो रहा है, चिता और तनाव को दूर करने के लिए फ़ोन, नशा आदि के चक्कर मे और फस जाते हैं।
जब भी चिंता वाले विचार आये तो आने देना बस कहना मैं पूरे मनोयोग से पड़ रहा हु अपना कर्म कर रहा हु आगे जो फल मिलेगा देखा जाएगा, जो भी आउटपुट आएगा स्वीकार होगा। उसके बाद आगे की रणनीति में परिवर्तन कर फिर कोशिश करेंगे। चिता के विचार आना स्वाभविक है बस उस पर ज्यादा रियेक्ट मत करना। उन विचारों को लेकर कोई रील मत बनाना की बेरोजगार रह जाएंगे तो लोग क्या कहेंगे , मेरे दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेंगे आदि नहीं तो उससे भय पैदा होगा जो तुम्हे पड़ने नहीं देगा, जबकि अभी कुछ ऐसा हुआ भी नहीं है। यहाँ गीता का महावाक्य याद रख लेना चाहिए कि कर्म करो फल की चिंता/ इक्छा मत करो , क्योकि कर्म पूरी तरह आपके हाथ मे है। फल उसी अनुपात में मिलेगा ही, देर सबेर थोड़ा कम ज्यादा हो सकता है।
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Good Morning 🌷🌷🙏🙏
**_👬🏻मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई📚✒️_*
मित्र का मतलब है जो आपसे अपनी सारी बात , व्यथा, दुख ,सुख शेयर कर सके, जो आपके साथ tranparent हो, सुख दुख में आपका भागीदार बने ।
इस पर मैथलीशरण जी की एक सुंदर कविता इस प्रकार है :
तप्त हृदय को , सरस स्नेह से,
जो सहला दे , *मित्र वही है।*
रूखे मन को , सराबोर कर,
जो नहला दे , *मित्र वही है।*
प्रिय वियोग ,संतप्त चित्त को ,
जो बहला दे , *मित्र वही है।*
अश्रु बूँद की , एक झलक से ,
जो दहला दे , *मित्र वही है।*
......
मैथिलीशरण गुप्त
सुप्रभात 🌷🌷🙏🙏
जब आप अकेले हैं तो विचारों पर ध्यान रखें, वो टेंशन उत्पन्न न कर रहे हों, उन पर नियंत्रण रखें। और जब किसी के साथ हो तो शब्दों पर ध्यान रखें, कहीं वो किसी को चोट तो नहीं पहुँच रहे।
Trust is a foundation value of love and love is essential ingradient to any relation.
Happy
Meditation is the only way to discover yourself. Yog karo, roz karo, nirog raho.
हर इंसान बहुत सारे रिश्तों/ संबंधों में बंधा एक प्राणी है, खून के रिश्ते , प्रेम संबध, परिवार, दोस्ती, प्रोफेशनल, सहपाठी, सहकर्मी के रिश्ते आदि। जहाँ इनके बिना रहना नामुमकिन से है वहीं इंसान को सबसे ज्यादा दर्द भी इन्ही रिस्तो से मिलता है।
मेरा मानना है कि हर इंसान में कुछ अच्छाई और कुछ बुराई होती है, न तो कोई पूरी तरह अच्छा है और न कोई पूरी तरह बुरा, अनुपात कम ज्यादा हो सकता है और अच्छे और बुरे की परिभाषा भी हर इंसान की अपनी समझ से है जो अलग अलग है, वो भी परिस्थिति और सामने वाले के हिसाब से बदल जाती है।
जब आप किसी की बुराइयां नजरअंदाज कर देते हैं तो वो अच्छा लगने लगता है , vice versa भी ठीक है इसका, जब कोई अच्छा लगता है तो उसकी बुराइयां दिखनी बंद हो जाती हैं या उस पर ध्यान नहीं जाता, और किसी एक घटना से अगर किसी को जज करके बुरा समझने लगते हैं तो उस समय उसकी अच्छाइयां कब नजरअंदाज हो जाती है, पता ही नहीं चलता। और रिश्ता कमजोर होने की सुरुवात हो जाती है।
इसलिए जब भी किसी से शिकायत हो बुरा लगे, असहमत हो तो उसकी अच्छाइयों को भी याद कर लेना चाहिए,उसके positve गुणों और जो अच्छाइयां कभी आपको अच्छी लगी थीं, ये आपके रिलेशन को unstable होने से बचाएगा ही साथ ही overthinking, जजमेंटल, overreaction से भी बचाएगा
किसी ने आपके साथ 98 बार अच्छा किया और 2-3 बार अगर आपके हिसाब से नहीं किया तो उन 2 बार से जज नहीं करना चाहिए अगर जज करने की जरूरत भी पड़े तो 100 बार का डेटा ले लेना चाहिए। अगर डेटा नहीं है धैर्य रखते हुए एक मौका और देना चाहिए। और अगर खुद को दूसरे के स्थान पर रख कर इमेजिन किया जाय तो उससे एकतरफा बहाव में नहीं बहेंगे।
🙏🌷🌷 Happy Father's day।
आज फादर्स डे है आज के दिन हम पिता के योगदान को याद करते हैं उनके प्रति कृतज्ञता जताते हैं,
पिता परिवार का सुरक्षा कवच होता है , पूरे परिवार की हर जिम्मेदारी को निभाता है, सभी की ख़्वाईसे पूरी करने में ही वो अपनी खुशी महसूस करते हैं , और अपनी सारी कमाई परिवार के लिए खुशी खुशी दे देते है ।
वो खुद छेद वाली बनियान में काम चलाते हैं, पर सभी के लिए नए नए कपड़े ख़रीदवाते हैं।
हम सबका फर्ज है कि जब हम उन पर निर्भर हो तो तब भी और जब अपने पैरों पर खड़े हो जाये तब भी उनके प्रति कृतज्ञता महसूस करते हुए उनका विशेष ध्यान रखें, उनके स्वस्थ्य का ध्यान रखें, उन्हें भी खुशी महसूस कराए, थोड़ा स्पेस दे ताकि वो और ऊर्जा के साथ परिवार के लिए काम कर सकें।
आज मैं जो भी हु उनके त्याग और बलिदान की बजह से और आज भी मैं स्वस्थ्य और खुशी का पूरा दायित्यव समझता हूं और ध्यान रखता हूं। उनका आशीर्बाद बना रहे।
🌷🌷Happy sunday be cool💐💐🙏🙏
सफलता का असली मतलब केवल धन इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि आपने अपने जीवन में अपने लिए यानी शरीर को स्वस्थ्य करने के लिए क्या किया, आपका अपने माता पिता, परिवार, व देश के लिए कितना योगदान है, कितनो के चेहरे पर मुस्कुराहट ला पाए, कितनो को राहत दिलाई, कितनों की तकलीफ महसूस कर पाई, और उसको दूर करने के लिए कितने प्रयास किये आदि।
प्रकाश पर्व दीपदानोत्सव/दीपोत्सव/ दीपावली की आप सभी को हार्दिक सुभकामनाएँ एवम बधाई। आपके और आपके परिवार की खुशियों एवम सम्रद्धि की कामना करते है। आपके जीवन में पर्व की तरह सदैव उत्साह एवं उमंग बनी रहे।
दीपावली , अंधकार पर प्रकाश की विजय, या असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है, या अंधकार को प्रकाश से दूर किया जा सकता है, इस बात का प्रतीक है।
जिस तरह हम अपने अपने घर मे साफ सफाई करके, प्रकाश करते है , तो पूरा देश साफ सुंदर एवम रोशन हो जाता है, उसी तरह हम अगर हम अपने नकारात्मक विचारों (घृणा, ईर्ष्या, द्वेष आदि) को बाहर निकलकर , उसमे प्रेम, सौहाद्र, भाईचारा रूपी प्रकाश से प्रकाशित करें, तो ये पूरा देश खुशहाल हो जाएगा।
मेरी कामना है कि दीपावली के प्रकाश की तरह हम सभी का जीवन प्रकाशित रहे ।
Wish u happy Diwali
Dr Sunil Singh
Dhanteras is celebrated as birthday of Dhanvantri, father of medicine and Ayurveda.
The REAL DHAN is our health. So today, let's all pray for each other and our families for the best of health for everyone, physical, spiritual, emotional, mental.
*Happy Dhanteras*
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रिस्तो के टूटने या कमजोर की काफी बड़ी बजह overreacting और शक होती है। आपका क्या ख्याल है ?
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*✍🏻 प्रकृति के नियम*
👉*हम जो खाना खाते हैं, उसे पचाना पड़ता है और फिर 24 घंटे में शरीर से बाहर फेंक दिया जाता है, नहीं तो हम बीमार पड़ सकते हैं।*
👉*हम जो पानी पीते हैं, वह हमारे शरीर में जाकर 4 घंटे में बाहर निकल जाता है, नहीं तो हम बीमार पड़ सकते हैं।*
👉*जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसे 1 मिनट में बाहर फेंकना पड़ता है, नहीं तो हम मर सकते हैं।*
👌*घृणा, क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार, नाराजगी, असुरक्षा जैसी नकारात्मक भावनाओं का क्या... हम अपने शरीर में दिनों, महीनों और वर्षों तक धारण करते रहते हैं।*
*यदि इन नकारात्मक भावनाओं को नियमित रूप से बाहर नहीं निकाला जाता है तो यह मनोदैहिक रोगों में बदल जाती है।*
*ध्यान, प्रार्थना, भाईचारा, निस्वार्थ सेवा, आपसी प्यार मोहबत्त, मीठा बोलना और सबसे बढ़कर सदभावना की मनोवृत्ति इन बुरी भावनाओं को दूर करने का सबसे सुरक्षित तरीका है।*
आप सभी स्वस्थ रहें और खुश रहें।😊⛹️🌳🏋️💥🤾❤️🤝🌹🎂🇮🇳
*🙏🏻🙏🏻*
Don't be reactive, be responsive.
Don't be serious , be sincere.
Have a Good day.
किसी भी धर्म के भगवान, धार्मिक स्थल, या धार्मिक पुस्तक को हम सब सर्बशक्तिमान, मानते हैं, हम सब उसकी संतान हैं, या उसकी वजह से जीवन है ऐसा मानते हैं ,तो किसी इंसान के छूने मात्र से भगवान, या कोई धार्मिक स्थल या कोई धार्मिक पुस्तक कैसे अपवित्र हो सकती है। होना तो ये चाहिए कि कोई अपवित्र इंसान भी छू ले तो पवित्र हो जाये। उसकी स्तुति इंसान को शुद्ध करती है, न कि वो असुद्ध हो जाती है।जब हम सब उसी की संतान हैं तो उसकी नज़र में सब बराबर हैं।
सभी धर्मों का आधार प्रेम है , धर्म का मतलब प्रेम का प्रसार है न कि भय का।
क्या ये इंसान तय करेगा कि भगवान या उससे जुड़ी वस्तुएं कब पवित्र व कब अपवित्र होती हैं। जिस के मन मे इस तरह का भेदभाव है , उससे बड़ा अधर्मी कोई नहीं। जो धर्म के नाम पर मार काट करता है, वो अधर्मी है, वो धर्म के नाम पर लोगों को गुलाम बनाना चाहता है, गुमराह और मनमानी करने चाहता है।
अगर किसी परिस्थिति के लिए आपके पास सही शब्द नहीं है तो सिर्फ मुस्कुरा दीजिये,शब्द उलझा सकते है पर मुस्कुराहटहमेशा काम कर जाती है।🌻जयश्रीकृष्णा🌻
विजयदशमी / दशहरा का अर्थ है कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार,ईर्ष्या, द्वेष, आलस्य, छल, हठ इन 'दस' को हराना है, इन्हें जीवन से भगाना है।
अंदर के रावण पर सदैव विजयी पाना है।
और इनको हराने के लिए इन बुराइयों से लड़कर विजयी प्राप्त नहीं कि जा सकती है। इसके लिए, हमें इनकी नाभि पर वार करना होगा यानी मन को अपने नियंत्रण में करना होगा, जो विवेक के बिना संभव नहीं।
ईस्वर से प्रार्थना है कि आपका जीवन इन सभी बुराइयों से दूर रहे और , प्रेम , सद्भाव, खुशी, सम्रद्धि, और शांति सदैव बनी रहे।
आपको सपरिवार विजयिदशमी की हार्दिक सुभकामनाएँ।
----डॉ सुनील पंतनगर
🙏🙏💐💐
Don’t lose a true person in search of a perfect person....
Because,
Perfection is a fantasy , but truth is always a reality....
🙏GooD Morning 🙏
मोबाइल जहाँ बहुत उपयोगी है वहीं मोबाइल एडिक्शन सबसे खतरनाक नशा है। बैसे तो एडिक्शन का शिकार कोई भी हो सकता है और उसको शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुच सकता है। अधिकतर स्कूल और कॉलेज के बच्चे इस एडिक्शन का शिकार हो रहे हैं। ये स्कूल के बच्चों और कॉलेज के बच्चों के लिए उनकी शारीरिक और मानसिक ग्रोध के बहुत बुरा असर डाल रहा है। कई बच्चे इसी नशे की जद में आकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। इसी के चलते, बच्चे डिस्ट्रैक्ट होकर पड़ने में मन नाही लगा पा रहे हैं। vertual लाइफ ज्यादा जी रहे हैं। माता पिता भी चाह के कुछ नहीं कर पा रहे हैं, हमें कुछ करना होगा। इसे कैसे रोका जाए कृपया विचार रखें। बच्चों से आग्रह है कि वो इसका सदुपयोग करें , इसको एडिक्शन न बनने दे। बड़ो में ये रिस्तो को कमजोर कर रहा है। मोबाइल एडिक्शन से बचने का सबसे आसान उपाय है कि अपने आप को किसी क्रिएटिव वर्क में लगा ले,उठने के 2 घंटे तक और सोने के 2 घंटे पहले मोबाइल को केवल कॉल के लिए इस्तेमाल करें।