The Urdu Vocabulary
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ढूँडते फिरते हो किस को चाँद की मशअ'ल लिए
ज़िंदगी इक फ़ासला है मुंतज़र कोई नहीं
~सहबा वहीद
खुलने लगते हैं निगाहों पे जब असरार-ओ-रुमूज़
दिल मुझे ले के कहीं और चला जाता है
~मोहसिन असरार
ख़ुशबू से मोअत्तर है अभी तक वो गुज़रगाह
सदियों से यहाँ जैसे बहारों का नगर था
~एहसान दानिश
बड़ा ही ज़ोर है इस बार मेंह के क़तरों में
कि पत्थरों पे भी घाव लगाए जाते हैं
~फख्र ज़मान
दिल बुझा बुझा हो तो क्या बुरा है रोने में
बारिशों के बा'द अंजुम आसमाँ निखरता है
~अंजुम लुधियानवी
मुझ से जल्दी हार कर मेरा हरीफ़
जीतने का लुत्फ़ सारा ले गया
~हस्तीमल हस्ती
ये इंतिक़ाम है या एहतिजाज है क्या है
ये लोग धूप में क्यूँ हैं शजर के होते हुए
~हसीब सोज़
रज़्म में सारी सुल्ह की बातें और 'बेदी'
बज़्म में सब चलते हुए ख़ंजर तेरे नाम
~जावेद अख़्तर बेदी
You know all these professionals. Don't you?
Now find out the Udru words for each of them.
Let's have a look at few common types of Ahl (people) in Urdu.
Tag a person with one of the above qualities!
Here is another set of words commonly used in Urdu poetry.
Use these in your sentences and comment below!
बर्ग-ए-गुल शाख़-ए-हिज्र का कर दे
ऐ ख़ुदा अब मुझे हरा कर दे
~अय्यूब ख़ावर
अपने दराज़-क़द पे बहुत नाज़ था जिन्हें
वो पेड़ आँधियों में ज़मीं से उखड़ गए
~नफ़स अम्बालवी
क्या कहें किस ने बहारों को ख़िज़ाँ-सामाँ किया
देखने में तो सभी गुल-पोश हैं यारों के बीच
~गणेश बिहारी तर्ज़
वो मश्क़ अपनी बढ़ा रहे हैं
मैं दिल निशाने पे ला रहा हूँ
~अब्बास अली ख़ान बेखुद
टूटा हुआ दिल उल्फ़त भरा था
ढा कर इमारत पाया दफ़ीना
~आरज़ू लखनवी
नए घरों में न रौज़न थे और न मेहराबें
परिंदे लौट गए अपने आशियाँ ले कर
~ज़ुबैर रिज़वी
तुम दिल का दरीचा खोल के बाहर देखो तो
अम्बोह गुज़रने वाला है दिल-दारों का
~साबिर वसीम
अपनी ही ज़ात के महबस में समाने से उठा
दर्द एहसास का सीने में दबाने से उठा
~ओबैदुर रहमान
No matter how different people are, music has the power to connect people.
मैं इक शजर की तरह रह-गुज़र में ठहरा हूँ
थकन उतार के तू किस तरफ़ रवाना हुआ
~नसीर तुराबी
जाने क्यूँ जलती सुलगती शाम के ऐवान में
फैल जाती है तिरी बातों की ख़ुश्बू आज भी
~ख़ुर्शीद रिज़वी
जिस रोज़ से क़िर्तास पे तहरीर हैं आँखें
उस रोज़ से लगता है कि तस्वीर हैं आँखें
~मोहम्मद सज्जाद मिर्ज़ा
सफ़र कहने को जारी है मगर अज़्म-ए-सफ़र ग़ाएब
ये ऐसा है कि जैसे घर से हों दीवार-ओ-दर ग़ाएब
~शायान क़ुरैशी
Let this Father's Day be an opportunity to express our gratitude for what our Fathers do for us. Wishing you all a Happy Father's Day.
Happy National Reading Day! For someone who loves to read.
कहीं भी जाएँ किसी शहर में सुकूनत हो
हम अपनी तर्ज़ की आब ओ हवा बनाते हैं
~ख़ुर्शीद तलब