Mamta Zoon
तेरे ही इल्म का है सोज़, साँस-ए-ख़स्ता में
बला चिलमन है ‘ज़ून’ दरमियाँ, हटे ना हटे
~ ममता (ज़ून) ~
हिंदी तुम भूल गयीं मुझे
अभिव्यंजना प्रेमिकों की
शास्त्रार्थ की कुंजी
हृदयों की व्याख्या
हे सुप्रिया हिंदी
तुम बिन, इस विदेश में
मन अशांत, खंडित रहता है
तुम भूल गयीं मुझे
किंतु मैं किसविधी
भुलाऊँ तुम्हें
वर्षों से नहीं पायी
पूर्णाभिव्यक्ति की संतृप्ति,
मानो कुछ कहा ही नहीं बीस बरस से,
अपर्याप्त रहे समस्त वाक्य,
प्रकटन, प्रवाद, संवाद, ठिठोलियाँ
इस मुए परदेस में
तुम साम्राज्ञी मेरे विचारों की
जीव्हा पर भी
तुम ही झट से आ जाती हो
मैं वश में हूँ तुम्हारे
तुम अमर हो
हे देवी नमन,
कोटि-कोटि नमन
तुम्हारी ममता
जोहूँ तुम्हरि बाट 🙏
केशव कान्हा कृष्णमुरारी
कानन कांशी कुंजबिहारी
बालगोपाल बलि बनवारी
टेरूँ तोहे 🙏
आवो, हे मोरे मनहारी
चारुवेश चैतन्य चक्रधर
मधुसूदन मोहन मुरलीधर
गोपाला गौरंग गिरीधर
आओ प्रभु 🙏
पधारो, मोरे श्यामसुंदर
चहुं लोक तोपे बलिहारी
ममता
O my eyes, on this silver dawn,
Here's a belle to gaze upon.
Amongst the weeds of stinging nettles,
I drink from her five cups of crimson petals.
Bows to the breeze a ballerina,
Asks this nubile Peregrina,
Remember me?
- Mamta
Happy Teej Everyone.
*फाग*
बहे, बांवरी बयार
बैरन, बरसी बहार
बनी, बदरी फुहार
कहे, मोहे पुकार
सखी, भीजो संग हमार
दीजो, सब दुख बिसार
के सावन, पिया जी का प्यार
मोरी, लट कारी कारी
अँगिया, बसंती जो डारी
पुरवा, कहे वारी वारी
मैं तो, सारी की सारी
लहरी, सजना तिहारी
तोसे, बिंदिया हमारी
फुलवा, खिले डारी डारी
काहे का, गोरी बिराग
गाओ, फागुन का राग
सोहे, बंगरी सुहाग
अटरी, मोरी बोले काग
री बरखा, तोसे ये फाग
सुगना, कहे मोरे भाग
साजन, संग भए जाग
*ममता*
Here are some scribbles from my rough copy friends. The POV is pretty much of a regular Delhi guy from the 80s.
I love you and gosh I'd give all I've got in a heartbeat to relive my childhood spent with you.
*Happy World Friendship* day folks.
*फिर याद आया सेक्टर दो*
चल आज बचपन वाले
घर चलते हैं.
सब पड़ोसियों से
फिर एक बार मिलते हैं.
वो होटल जहां मेरी घड़ी से
बिल भरा था हमने.
दारू पी के लूना पर
सौ का चालान करा था हमने.
याद है इक्कासी की होली?
जब तेरी मम्मी ने मेरी मम्मी से
हमारी भाँग पार्टी की
सारी पोल थी खोली 🤣
तेरे नीले कोट में मुझपे
मरती थी मीना,
और सपना को ले जा उड़ा
बाई गौड, वो पंकज कमीना 😡
वो साकेत का थाना
जहाँ रात काटी थी हमने,
तेरे डैडी की सिगरेट
जो बाँटी थी हमने.
भूल गया क्या तुझे
'पवन' सब्ज़ी वाला,
दिन भर पत्ते समेत मूली
खाता था साला.
जो पंगा लिया था,
दयाल सिंग में भाई.
सही में यार अपनी,
क्या सौलिड हुई थी धुलाई.
तुझे याद है क्या वो
मदन भैया और शीला दी?
जिनकी भगा कर
करायी थी शादी 😅
चल बौस, आर के पुरम चलते हैं,
वहाँ फिर गुंडागर्दी करते हैं
चेक करें क्या आज भी सेक्टर दो वाले
बंगाली के डैडी से डरते हैं 🤔
चाओमिन के तब जेब में
ना होते थे पैसे.
अब देखियो सट्ट से एक बार में दो प्लेट
साफ़ कर दूँगा कैसे.
फिर पैदल निकल पड़ेंगे,
कमल सिनेमा की ओर.
चल कोई ना, फोन पे ही देख लेंगे
ख़ुदा गवाह या चोर मचाए शोर.
ओ यार, किदवई नगर में रहते हैं
अंडा, सुतली और कलवा.
चल बेटा, शाम को,
भाभी के हाथ का हलवा.
और हाँ भाई प्रिया को भी
हलो बोलते हैं.
अब पचास में ही सही,
फ़ाईनल्ली दिल का हाल तो खोलते हैं!
क्या बोल्ता है, फिर पढ़ाते हुए देखें
सहरावत सर को?
नाले के रस्ते
निकल लेंगे घर को.
तेरी मेरी स्टोरी पता है
कहीं नहीं छपनी 🤣
चल मगर मिल के भर लें,
जीवन की रफ़ कौपी अपनी.
*ममता*
ये हैं हमारी K Kumar ma'am.
गुरु ऐसे होते हैं 🙏
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6th September 2020
नमस्ते ma’am,
शायद आपको याद हो, आपने मुझे और मेरे भाई राहुल शर्मा को अलग-अलग classes में 70s-80s में पढ़ाया है।
बचपन में इतनी गहरी बातें समझ नहीं पाती थी मैं, फिर भी एक बार किदवई नगर के bus stop पर आप बैठी मुझे धूप में खड़े देख रहीं थीं। जाने किस दया भावना से आप मेरे पास आकर हल्के से बोलीं ‘ममता तुम रोज़ स्कूल को लेट होती हो, तुम स्कूल-बस से आया करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारे भाई की बस की फ़ीस भर दिया करूँगी।’
आपके उन शब्दों में पूरे संसार को बांधे रखने की ऊर्जा थी। आज ग्रूप में पता चला लोग आपको Nobel Prize देना चाहते हैं. वो क्या जानें आप कौन हो। कैसे कहूँ, आपकी ममतामयी आत्मा से बिना किसी बाधा के भेंट हुई थी। उस मर्म को पुरस्कृत कर के सांसारिक दृष्टि से आँकना ही अनुचित होगा। उसका तत्व सबसे परे है।
उन बच्चों को मेरा प्रेम जो आपके Sonal Smriti के माध्यम से आपके सम्पर्क में हैं।
सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
आपकी ममता शर्मा
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7th September 2020
Ma’am मैं कह नहीं पाऊँगी कैसा लगा फिर आपसे बात करने पर। आपने मुझे झट से पहचान लिया। मेरी life में आपका कितना महत्व है। एक ऐसा बच्चा जो सभी विषयों में कमज़ोर, बिना किसी सहेली के, class में हमेशा चुपचाप, हीन भावना की चर्म सीमा पर था। आपने मुझे सराहा, मेरा class test वाला निबन्ध सबको पढ़ कर सुनाया - ‘परीक्षा में जब मेरी लेखनी टूट गयी’. पहली बार मुझे सर ऊँचा कर के जीने का संदेश मिला। आप तब से अब तक सदैव मेरे साथ हो। कल कुछ पंक्तियाँ आपको याद करते लिखी थीं मैंने। सतह को देखा जाए तो आप केवल हिन्दी पढ़ातीं थीं हमें। सो हिन्दी में ही लिखा किन्तु जो निशब्द भाषा आपने सिखायी उसे जिया है मैंने। कुछ अप्रिय लिख दिया हो तो क्षमा करना माँ 🙏
मेरी प्यारी रचयिता,
लघु वेतन, न्यूनतम में संतुष्ट, ज्ञानसरिता सी तुम, उन सूती वस्त्रों में,
माँ सरीखी मेरी कक्षा में प्रवेश करती हुई।
मैं देखती हूँ तुम्हें निर्विकल्प, निराकार मेरे अस्तित्व में।
तुम साथ हो मेरे, मेरा विवेक हो तुम
इस अनंत सागर में भ्रमित ना होने देती हो।
उपयुक्त कठोरता तुम्हारी कितनी फलदायी है,
मैं देखती हूँ तुम्हें अधिकारस्वरूप मुझे दण्डित करतीं।
कहीं की नहीं पुस्तकें तुम्हारे बिना,
मेरी लेखनी में विराजित हो तुम।
ऋण कैसे उतारूँ उसी काव्य से जो तुमने दिया?
मैं देखती हूँ तुम्हें मुझे रचते हुए।
तुम्हारी ममता
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14th September 2020
Ma’am मैंने सब पढ़ लिया अभी यहाँ http://sonalsmriti.org/aboutus. आपने ये सब देखा life में और उसको फूलों के गुलदस्ते की तरह सजा दिया. किसी भी angle से sad या defeating नहीं लगने दिया. उल्टा इतना बड़ा सबक सिखा दिया दुनियाँ को. I really celebrate the substance you are made of 🙏 आपका जीवन ही एक विद्यालय है.
She looks like you 😀 Pls give my love to her. देख के लगता है, भोलेपन में ही सही, लौ लगी है आपकी बेटी की बनाने वाले से.
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15th September 2020
Main janti hun, इनमें se ek bhi bachcha मुझसे mere ghar mein kitne कमरे hain, main kitna kamati hun, kaun si गाड़ी chalati hun nahin पूछेगा. मन शीशे jaisa saaf hoga. Sab log aise kyun nahin ho sakte.
Abhi sansaar, parivaar mein poori tarah lipt hun 🙁
Agar bhagwan ne chaha to ek din sab छोड़-छाड़ kar aap ka haath bantane chali aaungi. Please pray for me🙏
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Note : I have not shared her affectionate replies to honour her privacy
मेरी प्रिय चेतना
जब ये जीवन कठोर लगता है,
और मन फिर भी मुस्कुराता है,
मुझे तुम्हारी याद आती है।
जब कोई लक्ष्य पूर्ण होता है,
और तृप्ति हृदय को मिलती है,
मुझे तुम्हारी याद आती है।
कोई नैपुण्य मुझमें दिखता है,
और कोई गुण जो लाभ देता है,
मुझे तुम्हारी याद आती है।
जब भी भ्रम के विचार मिटते हैं,
और संदेह कुछ नहीं रहता,
मुझे तुम्हारी याद आती है।
मेरे भविष्य के लिए तुमने,
कैसे-कैसे मुझे सँवारा था,
कोई पूजा मेरी
ये ऋण ना चुका पाती है।
ध्वजा हो मेरी आस्था की तुम,
ओज हो मेरे ज्ञान का तुम ही,
तुम से विद्या भी मोक्ष पाती है।
मेरी शिक्षक ही नहीं, माँ हो मेरी
मात्र अध्यापिका नहीं हो,
आत्मा हो मेरी।
तुम ही संपूर्ण गणित हो मेरे संस्कारों का,
तुम ही हो मेरे वर्तमान का लेखा-जोखा।
ये गुरुपूर्णिमा का पावन दिन
आज के दिन मुझे तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी ममता 🙏
I dedicate this to both my Hindi teachers Mrs K Kumar and Mrs Shobha Sharma. I love them equally and I miss them ever so often. The day-to-dayness of my life has countless moments of gratitude towards who worked on me and made me who I am today. 🙏
Happy GuruPurnima my friends who share these feelings with me. ❤️❤️❤️
जो मोटी मोटी किताबें पढ़ कर अपने youth को बंद कमरों में बिताते हुए, बिना खाए पिए ज़ुल्मी exams में सालों खोए रहे उन के नाम.
देर रात को medical ward के किसी बिना A/c वाले back room में कुर्सी पर आँख लगते ही जगाए जाने वालों के नाम.
रहम से कहीं ऊपर वाली state में रह के लोगों को मौत के मुँह से छीन के लाने वालों के नाम.
जिन तक पहुँचने के लिए Ambulance siren बजाती है और जिन्हें देखते ही ख़्याल आता है 'अब सब ठीक हो जाएगा', उन के नाम.
ये मेरी नब्ज़ नहीं
दर है ख़ुदा का तेरे लिए
यहीं से होता है
आग़ाज़-ए-फ़लसफ़ा तेरे लिए
ये किताबें नहीं तेरी
अक्स है देनेवाले का
तेरे सफ़र की हर इक शय
रही रहबर तेरे लिए
मैं वो ज़रिया हूँ जिसे चुन के
तू निकला ऐ चारागर
यूँ तो राहें थीं कई दुनियाँ में
आसाँ तेरे लिए
चला चल तू उसी जानिब
जहाँ रहते हैं फ़रिश्ते
तेरा होना ही करम था
मेरे हमदम मेरे लिए
ममता 🙏
Wishing everyone a very happy Doctors' Day and my most gratified Thank You to all Doctors.➕
देर हुई अब सोचा
दफ़्तर से घर बस
और, घर से दफ़्तर
ऐसे बिताया सफ़र तुमने डैडी
वो महँगा खिलौना
जो खेला था मैंने
कैसे दिलाया मगर तुमने डैडी
पुरानी क़मीज़ों के
कालर पलट कर
ऐसे निभाया फरज तुमने डैडी
नहीं थी समझ तब
मुझे इतनी लेकिन
कैसे पढ़ाया हमें तुमने डैडी
छोटी सी तंख्वा
वो बेदर्द खर्चे
कैसे चलाया ये घर तुमने डैडी
तुम्हारे भी तो कुछ
रहे होंगे अर्मां
कैसे दबाया उन्हें तुमने डैडी
कितनी दफ़ा दुःख
दिया मैंने तुमको
कैसे छुपाया दरद तुमने डैडी
तुम्हारी ममता
HAPPY FATHER'S DAY EVERYONE
Thursday, 3rd of June. World Bicycle Day.
Here is my 'dukki' on this occasion.
Hugs
- अब माँ नहीं पुकारती-
सुबह सवेरे जो नींद खुलती थी
माँ के हाथों की रोटी की खुश्बू से
एक रसोई में कहीं दूर, अब भी,
कोई बहुत नज़दीक है मेरे।
वो बाज़ार में खिलौने की ज़िद,
कभी गोदी में कभी उंगली थामे।
उसी गोदी में लिपटे सो जाना,
सुस्त मुट्ठी में वही खिलौना थामे।
वो पहचानी सी चूड़ियों की खनक,
कानों में उस जैसा कुछ पड़े,
तो अब भी चौंक जाती हूँ।
जो मुझे लाड़ से
आँचल में छुपा लेती थी,
कहीं छुप-छुप के ना रोती हो याद में मेरी।
पर एक दिन ये भुलेखा भी टूट जाएगा,
माँ नहीं है उधर, ख़ाली हैं चाँद और तारे।
कब तलक खुद को झूठ बोलूँगी,
जा चुकी है वो जहां से यक़ीन आएगा।
~ ममता
सबकी तरह, मेरी भी माँ थी दोस्तो। वो मुझे बहुत याद करती थी। मैं कुछ भी कर के, हर साल, उस से मिलने चली ही जाती थी। मुझे मिल के कितनी खुश होती थी वो। लेकिन लौटते समय बहुत रोती थी। बार बार मुझे पुकारती चली आती थी। रोज़ फ़ोन कर के मुझे बुलाती थी। मैं उकता जाती थी कभी-कभी। यहाँ विदेश में अपने परिवार के काम-काज में व्यस्त। यहाँ का एक अपना ही संघर्षपूर्ण वातावरण है, एक अलग ही जीवन शैली है। भोली माँ क्या जाने उसे।
फिर एक दिन 2015 में बहन का फ़ोन आया। "माँ नहीं रही"
कितने साल हुए, जाने क्यूँ, अब माँ नहीं पुकारती, ना ही उसके नम्बर से कोई फ़ोन आया।