My Krishna
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फक़त एक मुस्कराहट पर गुलों को बांध रखा है,
तेरी तस्वीर देखूं तो लगे कि ज़मी पर चांद रखा है....!!
तिनकों में बिखरा अपना आशियाना लिये बैठा है,
देखो तो परिंदा कहाँ अपना ठिकाना लिए बैठा है....!!
उम्रदराज न बनें
उम्र को दराज़ में रख दें
खो जाएं ज़िन्दगी में
मौत का इन्तज़ार न करें
जो रिश्ते हमें समझ सकें
उन रिश्तों की कद्र करें
बंधें नहीं किसी से भी
ना किसी को बँधने पर
मजबूर करें
दिल से जोड़ें हर रिश्ता
और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें
हँसना अच्छा होता है
याद आएं कभी अपने तो
आँखें अपनी नम भी करें
ज़िन्दगी चार दिन की है
तो फिर शिकवे शिकायतें
कम ही करें
हमेशा मुस्कुराते रहिए
आरजू क्या खाक बची है अब मेरे दिल में,
गैर से लगते है अब अपनी ही महफिल में....!!
कल....आज... और.... कल
पुराने लोग भावुक थे
तब वो संबंध को संभालते थे
बाद मे लोग प्रॅक्टिकल हो गये
तब वो संबंध का फायदा उठाने लग गए
अब तो लोग प्रोफेशनल हो गए
फायदा अगर है तो ही संबंध बनाते है
मन को कोई भी एहसास नहीं होता दर्द उठता है लेकिन खास नहीं होता
आस लिए जीना अपना आस लिए मरना देकर सब जाना है तो खोने से क्या डरना
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है....!!
सिर्फ़ पहला गुनाह ही बड़ा मुश्किल था,
फिर तो आदत में ढलता गया सब कुछ....!!
चाहे जिधर से भी गुज़रिये मीठी सी हलचल मचा दिजिये,
उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है अपनी उम्र का मज़ा लिजिये....!!
पहले दिल फिर ज़िस्म फिर यादों की रुख़सती,
एक मुश्त कहाँ जाता है कोई किसी को छोड़कर....!!
इंसानियत के दीये जिन के दिलों में जलते हैं,
पँख होते हुए भी वो लोग ज़मीं पर ही चलते हैं....!!
तसव्वुर को तसव्वुर में ही रहने का अपना लुत्फ़ है,
हक़ीक़त के रंग कभी कभी तस्वीर को बिगाड़ देते हैं....!!
पानी से भरी आंखे लेकर मुझे घूरता ही रहा,
के आईने में खडा वो शख्स परेशान बहुत था....!!
अच्छे कार्य सदा श्रेष्ठ होते हैं
परन्तु वाणी का संयम अति श्रेष्ठ है
मिलता है जहां न्याय वो यही दरबार है,
ये दुनिया की सबसे बड़ी सरकार यही है….!!
मुझ को थम जाना है तुम पर ही,
किसी बेहतर की तलाश नहीं मुझे....!!
कहाँ खर्च करूँ अपने दिल की दौलत,
सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते है....!!
कुछ ऐसे उतर गए हो मेरी रग रग में तुम,
खुद से पहले अब एहसास तुम्हारा होता हैं....!!
अब कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग रग में तुम,
कि खुद से पहले अब एहसास तुम्हारा होता हैं....!!
जब देखूँ में अपने श्याम को वा को रूप मोहे भाए।
जब शीशे में देखूँ में खुद को श्याम नज़र मोहे आए।।
जब तक मैं खुद ही में रहा तो भटकता रहा यहाँ,
पर जब खुद को तुझमें खो दिया तो तेरा दर मिला....!!
जो तुम नहीं हो तो लग रहा है,
हर एक मन्जर उदास मुझ को....!!
तलब ऐसी की बस अपनी साँसों मैं समा लूं तुमको,
किस्मत ऐसी की दर्शन को भी ये आँखे मोहताज़ हैं....!!
ये कोई घाटे और मुनाफे का बाज़ार नहीं है,
इश्क इबादत है साहेब कोई कारोबार नहीं है....!!
प्रेम महसूस करना भी इबादत से कम नहीं,
ज़रा बताइये छू कर प्रभु को किसने देखा है....!!