Vibha Vyas Official

Vibha Vyas Official

you are welcome in world of stories.....
here you will find exclusive stories, of all kinds... like

Photos from Vibha Vyas Official's post 23/08/2023

सभी भारतीयों को इस सफलता पर हार्दिक बधाई 👏👏👏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🇮🇳 🇮🇳

04/02/2023

भैया की किताब मेरी हिम्मत जवाब देती है, की समीक्षा आज के दबंग दुनिया के संपादकीय पृष्ठ पर

22/01/2023

एक नई कहानी प्रतिलिपि पर...
कबीर और निया की खूबसूरत प्रेम कहानी
जरूर पढ़िएगा,🥰

Photos from Vibha Vyas Official's post 20/12/2022

Photos from Vibha Vyas Official's post 20/12/2022

lit chouk me Abhay Jodhpurkar ji ke sath

Photos from Vibha Vyas Official's post 20/12/2022

लिट चौक- इंदौर का त्योहार

16/09/2022

thought of the day🤗🤗

14/09/2022

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Photos from Vibha Vyas Official's post 11/05/2022

overwhelmed by this love..
thank you so much to all of you 🙏🏻🙏🏻❤️
meri agli kahaani ko bhi isi tarah apnaa pyar dijiyega☺️

Photos from Vibha Vyas Official's post 28/04/2022

मेरी बेटियां रेवा और रावी कत्थक की प्रस्तुति देते हुए।damayntibhatiya.kathak सादर आभार आपका 🙏🏻

28/03/2022

https://pratilipi.page.link/6Sz6cKWBZW57AAC58

भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!

27/03/2022

heartily welcome

27/03/2022

register yourself for open mic.

26/03/2022

दिखावे के इस दौर में सारी भावनाए भी दिखावटी हो गयी है. “स्टेटस” एक जरिया बन गया है भावनाए प्रदर्शित करने का. उसमे भी अगर कोई दुखी है तो स्टेटस के जरिये अपना सारा दुःख ज़माने के सामने रख दिया, दुनिया जान जाती है कि आज भिया दुखी है. मेरे कुछ मित्र इसे भी है जिनकी पूरी जिन्दगी जैसे स्टेटस में सिमट चुकी है. सुबह की चाय से लेकर रात के दूध तक हर चीज स्टेटस का हिस्सा है.
अगर हम “स्टेटस” शब्द का अर्थ देखे तो होता है – स्तिथि, हैसियत या प्रतिष्ठा. हम भी अभी तक इसका इसी तरह प्रयोग करते आये है यथा फलां आदमी का समाज में बहुत स्टेटस है मतलब उनकी समाज में बहुत प्रतिष्ठा है, उनका बहुत नाम है. परन्तु आज के स्टेटस का अर्थ बहुत भिन्न है.
कई बार ये स्टेटस अप्रत्यक्ष हमला भी होते है किसी व्यक्ति विशेष पर. विशेष रूप से प्रेम प्रसंगों में हुई लड़ाई या धोखे की स्तिथि में. इस तरह की परिस्तिथियों में समझने वाला समझ जाता है बाकि सब समझने का प्रयत्न करते है स्टेटस के पीछे के कारन को.
स्टेटस के कई रूप होते है जैसे विडिओ, फोटो या स्वयं के द्वारा कुछ लिख कर पोस्ट करना. इसमें से आखरी वाले विकल्प की जरुरत तभी होती है जब आप कुछ विशेष बात सभी को बताना चाह रहे हो. बाकि आपकी हर फीलिंग्स या मूड से सम्बंधित वीडियो या फोटोज (बने बनाये विचार ) आपको मिल जायेंगे. जिनको आपको सिर्फ कॉपी पेस्ट करना होता है. यह भी उल्लेखनीय है कि इन स्टेटस ने कई सारी एप्स को भी जन्म दिया है जिन पर स्टेटस में पोस्ट करने लायक सामग्री उपलब्ध होती है. बस आप अपनी भावनाओ और मौजूदा मानसिक स्तिथि के अनुसार चुन लिजिए और पोस्ट कर दीजिये. पोस्ट करने के 24 घंटे तक ये दर्शको यथा आपकी संपर्क सूचि के अवलोकनार्थ उपलब्ध होती है. स्टेटस मतलब आपकी “मौजूदा स्तिथि”. और स्टेटस पोस्ट करने के बाद आपकी मौजूदा स्तिथि लोगो की चर्चा का विषय होती है फिर चाहे अपने अपनी ख़ुशी जाहिर की हो या दुःख. अगर अपने सच में अपनी मनोस्तिथि के अनुसार स्टेटस पोस्ट किया है तो ठीक परन्तु कई बार लोग कुछ इसलिए भी पोस्ट कर देते है क्योकि उन्हें वह विचार पसंद आया होता है इसका ये अर्थ नहीं होता की वे उस परिस्तिथि में है. पर कई बार इसका अर्थ गलत निकल जाता है जैसे एक बार मेरे एक मित्र ने इसी तरह एक बार एक दर्द भरा स्टेटस पोस्ट किया इसके बाद उनके मोबाइल में जैसे कॉल्स और मेसेज्स की बाढ़ सी आ गयी सब जानना चाहते थे की आखिर हुआ क्या है यहाँ तक की उनकी बीवी भी ने भी शक भरी आवाज में उनके टूटे दिल और दर्द भरी पोस्ट का रहस्य पूछ लिया.
बात यही खत्म नहीं होती इन स्टेटस को इतनी बार कॉपी पेस्ट किया जाता है की मूलतः ये किसने लिखा है ये किसी को पता ही नहीं रहता बस सुविधानुसार एक के बाद एक कॉपी होते चले जाते है.
स्टेटस केवल प्रेमियो के प्रेम या दर्द को ही प्रदर्शित नहीं करता अपितु इस पर ज्ञान की गंगा भी बहती है मानो समूचा ज्ञान बस यही है लोग यूँही वेद पुराणों में ढूंढते है. सुबह से शाम तक अगर इन स्टेटस को पढ़ लिया जाए तो किसी प्रवचन को सुनने की जरूरत नहीं. जिन्दगी के सारे सच यही मौजूद है, सारे सवालो के जवाब मानो यही उपलब्ध है.
तो एसी है ये स्टेटस की दुनिया जो लोगो को व्यस्त रखती है, एक मंच देती है अपनी बात, अपनी भावनाए, अपनी सोच और अपनी मौजूदा स्तिथि लोगो के समक्ष रखने का. तो बस आनंद उठाये इन अविरल स्टेटस का.

#स्टेटस

26/03/2022

new story on you tube..
link in bio

26/03/2022

new story..
link in bio

Ishq-e di chashni Ep 1। New story। 26/03/2022

नई कहानी इश्के दी चाशनी

https://youtu.be/fNOUKyS7D3E

Ishq-e di chashni Ep 1। New story। ishq e di chashni..... romantic love story । listen and enjoy....thanks to all my listeners****this is my copyrighted work and written by me

19/03/2022

जय हनुमान
#हनुमानजी #जयश्रीराम

10/03/2022

08/03/2022

04/03/2022

जल्दी ही आप- हम- सब फ़िर से मिल रहे है अवसर है वामा साहित्य मंच व घमासान डॉट कॉम के संयुक्त तत्वाधान में होने जा रहे 'अंतरराष्ट्रीय महिला साहित्य समागम' में शिरकत का..!
शीघ्र ही अपना रजिस्ट्रेशन 8989420204 पर करवाइये व दिनांक 14 व 15 मई 2022 को हमारे साथ साहित्य के इस महाकुम्भ में शिरकत कीजिये...🙏

02/03/2022

यादें याद आती है।

01/03/2022

हर हर महादेव 🙏🏻
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻

28/02/2022

thought of the day

22/02/2022

तेरी कुडमाई हो गयी ?

“तेरी कुडमाई हो गयी “ ये एक वाक्य मेघा को उसके अतीत की गलियों में ले गया| मेघा शहर के प्रतिष्ठित स्कूल की प्रिंसिपल थी| वो इस वक्त क्लासेस की विजिट कर रही थी जब उसने एक क्लास के बाहर से गुजरते हुए ये वाक्य सुना| वो अपने केबिन में आ गयी| पर उसके कानो में अब भी वो ही वाक्य गूंज रहा था| वो अपनी यादो में खो गयी | जब कक्षा 11 में पढ़ रही मेघा को उसी के क्लास में पढने वाले रजत ने आकर पूछा था, “तेरी कुडमाई हो गयी?”
वो कितना चिढ गयी थी ये सुन कर| आज इतने सालो के बाद ये सुनकर उसकी यादे ताजा हो गयी थी|
उम्र के 40 बसन्त देख चुकी मेघा अब तक अकेली थी| घर की जवाबदारियो ने उसे खुद के बारे में सोचने का मौका ही नहीं दिया था|
आज ये सवाल उसके ज़ेहन में हलचल मचा गया था| जैसे यादो की परतो पर जमी धुंध को किसी ने साफ़ कर दिया हो| और वो यादे अब साफ़ साफ़ नजर आने लगी थी|
रजत उसके पापा के सबसे अच्छे दोस्त का बेटा था| वो दोनों एक ही स्कूल में ... एक ही क्लास में पढ़ते थे|
उसे रजत कभी पसंद नहीं था| वो उसे बहुत ही नकचढ़ा और घमंडी समझती थी | हालाँकि रजत इसके बिलकुल विपरीत था| वो बहुत ही सुलझा हुआ और समझदार था|
मेघा और उसकी बचपन में एक बार झड़प हो गयी थी| बस तभी से उसके दिमाग में ये बैठ गया था की रजत एक बुरा लड़का था| वो कभी उससे बात नहीं करती थी| पर रजत मेघा को बहुत पसंद करता था| वो जान बुझ कर उसे हर वक्त चिढाता रहता था| जब भी वो चिढ कर कहती... "रजत के बच्चे... तू किसी दिन मार खायेगा...“ तो रजत को पता नहीं क्या मजा आता था| आज भी ऐसा ही हुआ था|
अभी अभी श्याम सर, क्लास से चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ पढ़ा कर निकले थे| उनके बाहर निकलते ही रजत मेघा की बेंच के पास गया और उससे बोला, “मेघा... तेरी कुडमाई हो गयी?”
मेघा हर बार की तरह इस बार भी चिढ गयी और बोली, “रजत... तुझे, मुझे चिढाने के अलावा और कोई काम नहीं है?”
इतना कह कर वो वहा से गुस्से में चली गयी| पर रजत उसे जाते देख मुस्कुराता रहा|
असल में सर जब कहानी सूना रहे थे, तो उसने लहना सिंह में खुद को इमेजिन किया था और सरदारनी में मेघा को| पर उसे ये कहानी बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी थी| इसलिए नहीं क्योकि कहानी में लहना सिंह मर जाता है बल्कि इसलिए क्योकि उस लड़की की शादी किसी और से हो जाती है| वो मेघा को किसी और के साथ कभी नहीं देखना चाहता था|
खैर रजत और मेघा दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर थे जब हमारा किशोर मन एक अलग ही आसमान की सैर कर रहा होता है| किशोरावस्था की दहलीज पर पहुंचे रजत के मन में मेघा के लिए प्यार के अंकुर फूटने लगे थे| पर उस वक्त का माहोल ऐसा नहीं था की ऐसे खुल्लम खुल्ला किसी भी लड़की को जाकर अपने दिल की बात कह सके| और फिर रजत और मेघा के तो आपस में पारिवरिक रिश्ते भी थे| तो ये बात कहना और भी मुश्किल था| रजत को इस बात का डर था की अगर मेघा ने इस बारे में घर पर कुछ बता दिया तो उसकी अच्छी खासी धुलाई हो जायेगी और मेघा के घर में उसकी बेइज्जती होगी वो अलग से...| पर वो किसी भी तरह से मेघा को अपने दिल की बात बताना भी चाहता था| बस इसलिए रजत ने ये तरिका खोज निकला था| वो अब से हर रोज मेघा से यही सवाल करने लगा था, ‘तेरी कुडमाई हो गयी ?’
मेघा और उसके दोस्तों को लगता था की वो मेघा को चिडाने के लिए उससे हर रोज ये पूछता है| आखिर तंग आकर एक दिन मेघा ने उसे जोरदार डांट लगा दी और उसे धमकी दी की अगर अब उसने ये पूछना बंद नहीं किया तो वो घर पर उसकी शिकायत कर देगी| साथ ही उसने उसे खुद से दूर रहने की हिदायत भी दे दी|
रजत उसकी बातो से बहुत ज्यादा दुखी हुआ| उसका जैसे दिल ही टूट गया था| उसने मेघा के सामने आना ही छोड़ दिया|
इस बात को गुजरे सालो हो गये| रजत और मेघा दोनों ही कॉलेज के आखरी साल में थे| स्कूल की ही तरह दोनों का कॉलेज भी एक ही था| और दोनों ने ही कॉमर्स लिया था इसलिए दोनों की क्लास भी एक ही थी| पर फर्क इतना था की कॉलेज के इन तिन सालो में एक बार भी रजत और मेघा ने आपस में बात नहीं की थी| मेघा को इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था| पर रजत के दिल में मेघा की जो जगह थी वो अब और भी ज्यादा गहरी हो गयी थी| उम्र के साथ साथ उसका प्यार भी परिपक्व हो गया था| उसने सोचा था की अब वो कुछ बन कर दिखाएगा और फिर मेघा के घर जाकर उसका हाथ मांगेगा| पर वो ऐसा कुछ कर पाता उसके पहले ही उसके सारे अरमानो पर पानी फिर गया| एक दिन कॉलेज में मेघा उसके पास आई और बोली, “हाय रजत“
रजत ने जब उसे अपने सामने देखा तो एक बार के लिए तो उसे यकीं ही नहीं हुआ| फिर वो अपनी भावनाओ को छुपाते हुए बोला, “हाय मेघा, कैसी हो?”
मेघा ने जवाब दिया, “अच्छी हूँ| रजत हम दोनों एक दुसरे को बचपन से जानते है| पर फिर भी हम में कभी दोस्ती नहीं हो पाई| हम आज तक लड़ते ही रहे है| पर अब मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ|”
रजत को ये सब सुन कर अपने कानो पर ही यकीन नहीं हो रहा था की उसने जो कुछ भी सूना था वो सही था| उसे लगा आखिरकार भगवान ने उसकी मुराद सुन ली है| उसके मन में ख़ुशी के मारे लड्डू फूटने लगे| वो बोला, “मेघा, मेरे लिए तो तुम हमेशा से अच्छी दोस्त रही हो|”
मेघा हंसने लगी और बोली, “अच्छा, इसीलिए तुम हमेशा मुझे चिढाते रहते थे ना? वो क्या पूछा करते थे तुम...? हाँ.... तेरी कुडमाई हो गयी ? हैं ना? आज नहीं पूछोगे?”
रजत ने हँसते हुए कहा, “अरे वो तो मैं ऐसे ही तुम्हे छेड़ा करता था|”
मेघा बोली, “मैं जानती हूँ पर फिर भी आज मैं तुम्हे उस बात का जवाब दे ही देती हूँ|”
रजत ने हैरानी से पूछा, “मतलब?”
मेघा बोली, “रजत.... मेरी कुडमाई हो गयी है| मेरा मतलब है की मेरी शादी तय हो गयी है| अगले महीने मेरी शादी है|”
रजत पर जैसे पहाड़ गिर गया| वो संभलते हुए बोला, “ये तो.... ये तो बहुत ख़ुशी की बात है| बधाई हो|“
मेघा ने थैंक यू कहा और बोली, “चलो अब सारी लड़ाई माफ़| आज से हम दोस्त है|”
इतना कहते हुए उसने रजत से हाथ मिलाया और वहां से चली गयी|
रजत वही खड़ा उसे जाते देखता रहा| मेघा हमेशा के लिए उसकी लाइफ से जा रही थी| अब वो कुछ नही कर सकता था| उसने जब से होश संभाला था मेघा के अलावा किसी और के बारे में कभी सोचा तक नहीं था| एक ही तो ख्वाहिश थी की मेघा उसकी हो जाती पर ...
खैर अपने दर्द को अपने अन्दर समेटे वो घर आ गया| उसके घर पर भी मेघा की शादी की ही बात चल रही थी| उसके पापा खुश होकर बता रहे थे की मेघा को कितना अच्छा घर परिवार मिला था| वो बोल रहे थे, “हमारी मेघा की तो किस्मत ही खुल गयी है | इतना अच्छा लड़का मिला है कि दिया लेकर ढूँढने से भी ऐसा लड़का नहीं मिल सकता|’
ये सुनते ही रजत के दिल में जलन सी होने लगी| वो आगे और कुछ नही सुनना चाहता था| इसलिए वो चुपचाप अपने कमरे में जाने लगा| पर उसके पापा ने उसे रोकते हुए कहा, “अरे रजत सुन ... मेघा की शादी तय हो गयी है| और उसके घर में काम करने वाला तो कोई है नहीं| इसलिए हमें ही उनका हाथ बंटाना होगा|”
फिर वो उसकी मम्मी से बोले, “तुम भी जरा उसके पास चली जाना| बिचारी बिन माँ की बच्ची है| अगर कोई जरूरत होगी तो किससे कहेगी| और रजत तू कल ही उसके घर चला जाना और जितना हो सके काम में हाथ बंटाना|”
रजत ने हाँ में सर हिलाया और अपने कमरे में चला आया| बेचारा रजत दिल टूटने के दर्द को सहन ही नहीं कर पा रहा था और उसे इतना अभी समय नही मिला था की वो अकेले में बैठ कर रो पाता| उसे उसी की शादी की तैयारिया करनी थी, जिससे वो दिलो जान से प्यार करता था| ये किसी सजा से कम नही था|
फिर भी रजत दिल पर पत्थर रख कर सारे काम कर रहा था| जहा तक हो सके वो मेघा के सामने जाने से बचता रहा| पर मेघा अपनी शादी से इतनी खुश थी की उसे रजत के दर्द का जरा भी अहसास नहीं था| वो जब भी मौका मिलता था उसे रोहित के बारे में बताने लगती थी| रोहित, जिससे उसकी शादी होने वाली थी| रजत भी मुस्कुराकर रह जाता|
शादी वाला दिन भी आ गया| मेघा दुल्हन की तरह सजी हुई अपनी बारात का इन्तजार कर रही थी| जैसे ही रजत की नजर दुल्हन बनी मेघा पर पड़ी... उसके दिल में दर्द की एक लहर सी उठी| वो मेघा को इस रूप में बहुत बार अपने सपनो में देख चुका था| पर वो उसे अपनी दुल्हन के रूप में देखा करता था| आज मेघा उसके सामने इस तरह आई है तो किसी और की दुल्हन बन कर...| रजत से अब ये दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था| पर वो किसी से भी कुछ भी नहीं कह सकता था| बहुत मुश्किल से उसने अपने आंसू रोके और मुड़ कर जाने लगा| तभी मेघा ने उसे आवाज देकर रोका, “रजत.. सुनो... “
रजत ने पलट कर उसकी और देखा| मेघा उसके पास आई और बोली, “रजत.. तुम ने मुझे देख कर अपना मुंह क्यों फेर लिया..?”
रजत सकपकाता हुआ बोला, “नहीं तो.. मैंने तुम्हे देख कर मुंह नहीं फेरा| वो तो मुझे कुछ काम याद आ गया था बस इसलिए जा रहा था|”
मेघा बोली, “रहने दो.. मैं सब समझती हूँ| मुझे सब पता चल गया है|”
रजत ये सुन कर बुरी तरह से चौंक गया| वो सोच रहा था की क्या मेघा को सच में उसके दिल की बात पता चल गयी है..? पर ये कैसे हो सकता है? ये बात तो उसके अलावा और कोई भी नहीं जानता है| फिर उसे कैसे पता चल सकता है..?
उसने घबराते हुए पूछा, “क... क्या पता चल गया है तुम्हे?”
मेघा बोली, “तुम मुझसे अभी भी नाराज हो ना?“
रजत ने अपना सर ना में हिलाया| पर वो कुछ बोलता उसके पहले मेघा बोली, “मैं जानती हूँ रजत की मैंने तुम्हे हमेशा बहुत गलत समझा है| तुम्हे क्या कुछ नहीं कहा| पर तुमने हमेशा मेरा अच्छा चाहा| मेरा साथ दिया| वो हर चीज जो तुमने मेरे लिए छुप छुप कर की है... मुझे सब पता है| पर तब मैं तुमसे इतना चिढती थी की मैंने कभी तुमसे कुछ नहीं कहा| तुमने एक दोस्त होने के सारे फर्ज बखूबी निभाये है| अभी भी... मेरी शादी के लिए जिस तरह से तुमने पापा का हाथ बंटाया है, वैसा कोई नहीं करता| मैं तुम्हे जितना भी धन्यवाद दू, कम है| मुझे अफ़सोस है की मैं तुम्हारी दोस्ती को पहले नहीं समझ पाई| मैंने तुम्हे समझने में देर कर दी|”
रजत स्तब्ध सा खड़ा मेघा की बाते सुन रहा था| उसकी बात खत्म होने पर वो भरे गले से बोला, “कोई बात नहीं मेघा| देर से ही सही पर तुम्हे समझ में तो आया| मेरे लिए तो यही बहुत है|“
मेघा ये सुन कर मुस्कुरा दी| उसकी मुस्कराहट ने उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए थे| रजत के मुंह से निकला, “तुम बहुत सुन्दर लग रही हो मेघा| आज अपनी नजर उतारना मत भूलना|”
मेघा इसका कोई जवाब देती उसके पहले ही उसकी चचेरी बहन नीतू दौड़ते हुए उसके पास आई और बोली, “मेघा... जल्दी चल|”
वो बहुत ही घबराई हुई लग रही थी| मेघा भी उन्हें देख कर घबरा गयी और बोली, “क्या हुआ दीदी?”
नीतू ने जल्दी से कहा, “तू चल तो...|”
इतना कह कर उन्होंने मेघा का हाथ पकड़ा और उसे खिंच कर ले जाने लगी| मेघा घबराई सी उनके साथ चल रही थी| और बार बार पूछ रही थी की क्या हुआ है? उसका मन किसी अनहोनी की आशंका से घिर गया था|
रजत भी उनके साथ साथ जल्दी जल्दी चल रहा था| वो तीनो निचे हॉल में आ गये| उन्होंने देखा मेघा की बुआ, चाची, मासी सब रो रहे थे| और उसके पापा एक कुर्सी पर निढाल से बैठे थे| उनके आस पास चाचा, मामा, भैया सब खड़े थे और उन्हें कुछ समझा रहे थे| मेघा उनके पास आई और बोली, “पापा ... क्या हुआ? आप इस तरह से क्यों बैठे है?”
तभी उसकी बुआ उसके पास आई और उसके सर पर हाथ रख कर बोली, “मेघा बेटा... सब खत्म हो गया|“
मेघा ने जोर से पूछा, “क्या खत्म हो गया बुआ? और आप रो क्यों रही हो? प्लीज बताओ मुझे क्या हुआ है?”
उसकी बुआ ने रोते हुए कहा, “बेटा.. तेरी बारात का एक्सीडेंट हो गया है| और रोहित....“
इतना कह कर वो और भी जोर जोर से रोने लगी| एक्सीडेंट की बात सुन कर मेघा का दिल बैठ गया था| उसने डरते हुए पूछा, “रोहित क्या बुआ...? क्या हुआ रोहित को?”
उसकी बुआ बोली, “बेटा.. रोहित हमे छोड़ कर चला गया|”
जैसे ही मेघा ने ये सुना उसके कानो में जैसे सन्न सी आवाजे आने लगी| एक ही पल में उसे अपनी पूरी दुनिया उजडती नजर आने लगी| वो जहा खड़ी थी वही बैठ गयी| उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था की अचानक ऐसा कैसे हो सकता था| अभी थोड़ी देर पहले तो रोहित ने उसे मेसेज किया था की वो लोग घर से निकल चुके है| और वो उसे लेने के लिए आ रहा है| साथ ही उसने ढेर सारे दिल और किस वाले एमोजिस भी भेजे थे| फिर अचानक से ये कैसे हो गया...?
मेघा जैसे मूर्ति बनी बैठी थी| जो हुआ था वो एक्सेप्ट करना उसके लिए आसन नहीं था| रजत से उसकी ये हालत देखि नहीं जा रही थी| वो भी ये खबर सुन कर सदमे में था| वो धीरे से मेघा के पास आया और उसके पास बैठ गया| फिर उसने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे पुकारा, “मेघा... “
मेघा ने डबडबाई आँखों से उसकी और देखा और उसके दिल का दर्द एक चीख के रूप में बाहर निकला| वो रजत के गले से लग गयी और जोर जोर से रोने लगी| रजत उसे संभाल रहा था| पर मेघा के दर्द को वो सहन नहीं कर पा रहा था| वो मन ही मन भगवान से झगड़ रहा था... ‘आप ऐसा कैसे कर सकते है भगवान? आपने पहले मुझसे मेरी ख़ुशी छीन ली| फिर मैंने आपसे मेघा की ख़ुशी मांगी तो आपने वो भी छीन ली| ऐसा क्यों किया भगवान..? मेघा ये दर्द कैसे सहन करेगी| अपने प्यार को खो देने का दर्द क्या होता है मैं अच्छी तरह से जानता हूँ| आप ने मेघा के साथ ऐसा क्यों किया?’
मेघा अभी भी उसके गले लगे रो रही थी| तभी उसके चाचा के चिल्लाने की आवाज आई, “भाईसाहब...“
रजत और मेघा ने जल्दी से उस और देखा जहा मेघा के पापा बैठे हुए थे| वो जिस कुर्सी पर बैठे थे, उस पर से गिर गये थे| उनके आस पास खड़े लोग अब उनके आस पास बैठे थे| मेघा और रजत दौड़ कर उनके पास गये| मेघा के पापा से ये सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ था और वो भी उसे छोड़ कर जा चुके थे|
मेघा के लिए तो जैसे अब सच में सब खत्म हो गया था| उसकी शादी होते होते रह गयी थी| उसके पापा उसे छोड़ कर चले गये थे| अब उसके सर पर अपने छोटे भाई और बहन की जिम्मेदारी थी|
अगले कुछ महीनो तक मेघा सदमे में ही रही| उसे इन सब से उबरने में काफी वक्त लगा| और इस बिच रजत ने उसका भरपूर साथ दिया| वो एक अछे दोस्त की तरह हर वक्त उसके साथ रहा| जब मेघा पूरी तरह से नार्मल हो गयी और उसने अपनी लाइफ को नये सिरे से जीना शुरू कर दिया तो एक दिन रजत उससे मिलने आया| मेघा उसे देख कर बहुत खुश हो गयी| उसने उसे बैठाया और थोड़ी ही देर में उसके लिए चाय बनाकर ले आई| आज वो बहुत अछे मूड में लग रही थी| रजत के पूछने पर उसने बताया की उसे किसी स्कूल में जॉब मिल गया था| अब वो अपने भाई बहन की परवरिश अछे से कर सकती थी| रजत ने ये सुन कर कहा, “पर मेघा, तुम्हे ये सब करने की क्या जरूरत है?”
मेघा ने हैरानी से पूछा, “ये तुम क्या बोल रहे हो रजत? अगर मैं जॉब नहीं करुँगी तो नेहा और शुभम की परवरिश कैसे करुँगी? अब इन दोनों की जिम्मेदारी मुझ पर है|”
रजत ने धीरे से कहा, “तुम गलत समझ रही हो मेघा| मैं ये बोल रहा था की अगर हम दोनों इस जिम्मेदारी को बाँट ले तो...?”
मेघा ने कहा, “मैं कुछ समझी नहीं| तुम कहना क्या चाहते हो?”
रजत ने जवाब दिया, “मेघा.. मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ| क्या तुम अपनी सारी परेशानिया और जिम्मेदारिय मेरे साथ बाँटोगी?”
ये सुनते ही मेघा को गुस्सा आ गया| वो बोली, “रजत तुम्हे पता भी है की तुम क्या बोल रहे हो? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? मैं तो तुम्हे अपना अच्छा दोस्त मानती थी और तुम....“
रजत ने समझाने की कोशिश की, “पर मेघा ... इसमें गलत क्या है? मैं तो बस तुम्हारा साथ देना चाहता हूँ| तुम्हारे हर कदम के साथ मैं कदम मिला कर चलना चाहता हूँ|“
मेघा गुस्से से फुफकारती हुई बोली, “ओह.. अब समझी| तो तुम मुझ पर अहसान करना चाहते हो| तुम्हे लगता है की एक बार शादी टूटने के बाद अब कोई मुझसे शादी नहीं करेगा| तुम मुझे अकेला समझ कर मौके का फायदा उठाना चाहते हो...? तुम्हे लगता है की मैं आज जिस हालत में हूँ... उसमे तुरंत तुमसे शादी करने के लिए हाँ कह दूंगी? पर तुम गलत सोचते हो| मुझे किसी की कोई जरूरत नहीं है| मैं अपना और अपने भाई बहन का ध्यान अकेले रख सकती हूँ|“
रजत बोला, “मेघा तुम गलत समझ रही हो| मैं कोई अहसान नहीं कर रहा हूँ मैं तो बस...“
उसने इतना कहा ही था की मेघा उठ कर खड़ी हो गयी और गुस्से में अपने हाथ बांधती हुई बोली, “मुझे और कुछ नहीं सुनना रजत| तुम यहाँ से जा सकते हो| और अब कभी यहाँ मत आना| और ना ही मुझसे बात करने की कोशिश करना| तुम्हरे बारे में मेरी पहली सोच ही सही थी| तुम एक बिगड़े हुए और घटिया सोच वाले लड़के हो| ये सब दोस्ती वोस्ती तो बस एक नाटक था| इस दोस्ती के पीछे का असली चेहरा मुझे समझ में आ गया है| निकल जाओ यहाँ से...“
आज रजत का दिल बुरी तरह से टूट गया था| वो बिना कुछ और बोले चुपचाप वहा से चला गया|
इसके थोड़े दिनों के बाद मेघा को उसका एक लैटर मिला| जिसमे लिखा था,
प्यारी मेघा,
मैं जानता हूँ की मेरा तुम्हे प्यारी कहना तुम्हे अच्छा नहीं लगेगा, पर क्या करू... तुम्हारे लिए और कोई बात मेरे दिल से निकलती ही नहीं है| तुम मेरे लिए उस दिन भी प्यारी थी जब तुम स्कूल में रेड फ्रॉक पहन कर आई थी और तुमने मुझे छोड़ कर बाकी सभी को अपने बर्थडे की चॉकलेट्स बांटी थी| और तुम मुझे आज भी प्यारी हो जब तुम्हे मेरे प्यार को ठुकरा कर मुझे अभी लाइफ से निकाल दिया है| मैं बचपन से ही तुमसे दोस्ती करना चाहता था| पर तुम हमेशा मुझसे नाराज ही रही| थोड़े बड़े होने पर तुम्हारी चिढ और भी बढ़ गयी और मेरा लगाव .. प्यार में बदल गया| मैं कब तुम्हे चाहने लगा, मुझे ही पता नही चला| जब भी तुमसे पूछता था की ‘तेरी कुडमाई हो गयी?’ तो मुझे उम्मीद होती थी की तुम पलट कर कहोगी... नहीं हुई पर अब करना चाहती हूँ... तुमसे...‘
पर ऐसा कभी नहीं हुआ| तुमने उस वक्त भी मुझे गलत समझा और मुझे खुद से दूर कर दिया| फिर जब तुम मेरे पास आई भी तो किसी और की होकर| फिर भी मैंने दिल पर पत्थर रख लिया और तुम्हारी दोस्ती मे ही खुश हो गया| मैं इसी बात से खुश था की कम से कम अब तुम मुझसे नाराज नहीं हो| और जिसके भी साथ हो खुश हो| पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था| और तुम्हरे साथ वो हादसा हो गया| सच मेघा... उस हादसे का जितना दुःख तुम्हे है... उतना ही मुझे भी है| पर अब जो होना था वो हो चूका था| मुझे लगा की तुम्हे अपनी लाइफ में आगे बढ़ने का और खुश रहने का अधिकार है| मैं नहीं चाहता था की तुम अपनी लाइफ को सिर्फ अपनी जिम्मेदारियो के नाम कर दो| मैं तुम्हारा साथ देना चाहता था| तुम्हारी तकलीफों को बांटना चाहता था| पर तुमने एक बार फिर से मुझे गलत समझा| तुमने मेरे प्यार को मौके का फायदा उठाने का नाम देकर .. मेरे प्यार की तौहीन की है मेघा| मैं तुमसे कल भी कुछ नहीं चाहता था और ना ही आज चाहता हूँ| मैं तो बस तुम्हारा हमकदम बनना चाहता था| पर तुम्हे वो भी मंजूर नहीं है| इसलिए अब मैं तुम्हरी लाइफ से हमेशा हमेशा के लिए जा रहा हूँ| फिर कभी ना आने के लिए....| बस इतना ही कहना चाहता हूँ की मैं तुमसे बचपन से प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा| मेरी लाइफ में तुम्हारी जगह कभी कोई नहीं ले पायेगा| मेरी यही दुआ है की तुम हमेशा खुश रहो..
रजत
लैटर पढने के बाद मेघा की आँखों से झर झर आंसू बहने लगे| वो रजत की हर एक बात को सोचने लगी| सच में उसने उसे कितना गलत समझा था| रजत ने हर कदम पर उसकी मदद की थी| हमेशा उसका साथ दिया था पर उसने उसे ही गलत समझा था| वो क्यों उसके प्यार को समझ नहीं पाई... क्यों उसका दिल तोड़ दिया और वो भी इतनी बेरहमी से... | नहीं.. वो रजत को ऐसे नहीं जाने दे सकती| वो उसे रोक लेगी|
ये सोचते हुए उसने जल्दी से रजत को कॉल किया| पर उसका फोन बंद आ रहा था| उसने उसके घर पर कॉल किया तो पता चला की रजत घर पर नही था| वो हमेशा के लिए दिल्ली चला गया था|
मेघा ने भारी मन से फोन रख दिया| उसने अपनी ग़लतफ़हमी के चलते ना सिर्फ रजत का दिल दुखाया था बल्कि एक अच्छा और सच्चा दोस्त भी खो दिया था|
आज इस बात को सालो हो गये थे| रजत ने अपना वादा निभाया था और उसने इन सालो में कभी भी मेघा को कांटेक्ट करने की कोई कोशिश नहीं की थी| मेघा उसे कभी भुला नहीं पाई थी| उसने अपनी लाइफ अपने भाई बहनों के नाम कर दी| उसने उन्हें ना सिर्फ अच्छी परवरिश दी बल्कि उनकी शादी करके उन्हें सेटल भी कर दिया था| अब वो सही मायनों में अकेली थी| उसके पास कोई नही था| अक्सर तन्हाइओ में वो रजत को याद किया करती थी|
अपने इसी अकेलेपन को दूर करने के लिए उसने लिखना शुरू किया था| आज मेघा का नाम बड़े साहित्यकारों में लिया जाने लगा था| वो अपनी रचनाओं के जरिये अपने दिल के दर्द और गिल्ट को बाहर निकालती रही| उसकी हर रचना में टूटे हुए दिल, अधूरे प्यार .. और माफ़ी का जिक्र जरुर होता था| इसके जरिये वो रजत तक ये मेसेज पहुचाना चाहती थी की वो उसके प्यार को समझ चुकी है| वो कई बात सोचती थी की क्या रजत उसकी कहानिया पढता होगा..? यदि पढता भी होगा तो क्या उसे उसकी फीलिंग्स समझ में आती होंगी...?
लिखने के साथ साथ उसे पढने का भी बहुत शौक था| एक राइटर ‘साहिल’ की वो बहुत बड़ी फैन थी| उसकी कहानिया पढ़ कर उसे ऐसा लगता था की जैसे उसकी अपनी कहानिओ के जवाब में ही वो लिखी गयी हो|
वो हमेशा ये सोचा करती की अगर रजत उसकी कहानिओ का जवाब लिखता तो शायद ऐसा ही होता| इसीलिए वो इस साहिल से मिलना चाहती थी| उसने साहिल को उसकी रचनाओं की तारीफ करने के लिए कई लैटर भी लिखे थे| और ये भी कहा था की वो उससे मिलना चाहती है|
आज कई सालो के बाद उसे एक ऐसा मौका मिला था जब वो साहिल से मिल सकती थी| उसे एक साहित्यिक आयोजन में शामिल होने का न्योता मिला था| उसने देखा की इस आयोजन में साहिल भी आने वाला था| मेघा इस आयोजन में जाने के लिए तैयार हो गयी| उसने इस बारे में साहिल को एक मेल भेजा, जिसमे उसने लिखा की वो भी इस आयोजन में आने वाली है| और वो उससे मिलना चाहती है|
पर जैसे ही वो वहां पहुंची उसे पता चला की साहिल ने लास्ट मोमेंट पर अपना प्रोग्राम कैंसिल कर दिया था| वो नहीं आने वाला था| ये सुन कर पता नही क्यों मेघा को बहुत बुरा लगा| वो तो यहाँ सिर्फ उसी से मिलने आई थी|
उसका मन किया की वो अभी इस आयोजन से चली जाए पर उसे अतिथि के तौर पर बुलाया गया था| इसलिए वो इस तरह से नहीं जा सकती थी| मजबूरन वो रुक गयी| शाम को आयोजन के खत्म होने पर वो हॉल से बहार निकल रही थी तभी किसी ने उसके पास आकर धीरे से पूछा,, “तेरी कुडमाई हो गयी? “
मेघा एक झटके से पलटी| पीछे रजत खड़ा था| मेघा के दिल की धड़कने रुक सी गयी| वो मुस्कुरा कर उसके पास आई| और बोली, “तुम .... यहाँ ... कैसे ?”
रजत ने हँसते हुए कहा, “कमाल करती हो ... तुम खुद मुझसे मिलना चाहती थी| इसलिए तो मैं यहाँ आया हूँ|”
मेघा को उसकी बात समझ में नहीं आई| तो साहिल में मुस्कुराते हुए कहा, “बन्दे को साहिल कहते है|”
मेघा की आँखे हैरानी से फ़ैल गयी | उसने पूछा, “तुम.. तुम ही साहिल हो ?”
साहिल ने हाँ में सर हिलाया | मेघा के होठो पर प्यारी सी मुस्कुराहट आ गयी| रजत आज भी बिलकुल वैसा ही था | मेघा उसे एकटक देखे जा रही थी | आज भी उसके होठो पर वही सवाल था, “तेरी कुडमाई हो गयी ?”
मेघा इसके जवाब में मुस्कुरा दी और बोली, “ना ... अब तक नहीं हुई | पर अब करना चाहती हूँ| तुमसे ... |”
रजत ने मुस्कुराते हुए उसकी और अपना हाथ बढ़ा दिया | मेघा ने उसका हाथ थामा और वो दोनों एक साथ चल पड़े अपने लड़कपन के प्यार को पूरा करने ...... |

21/02/2022

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'shiredwife

12/02/2022

मेरी नई कहानी प्रतिलिपि पर जरूर पढ़े। आपकी समीक्षाओं का इंतजार रहेगा।
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06/02/2022

सादर श्रद्धांजलि,💐💐
मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे...

02/02/2022

01/02/2022

चलते रहना ही जीवन है।

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अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम में सत्र के दौरान पॉडकास्ट लेखन से संबंधित जानकारी साझा की

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