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He ignited the youth through compositions of Yoga, Rajyoga and Gyanyoga.
पूरे इंटरनेट पर APMC act और मण्डी परिषद को इतनी आसान भाषा मे समझाने वाला दूसरा लेख नही मिलेगा।
"पैरों में जंजीर और गले में फन्दा"
कभी सोचा है-??- किसानों का "धन्धा" क्यों बांधा गया था...
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सही क्या और गलत क्या -??-
क्या किसानों का "तीन अध्यादेश" के विरुद्ध आंदोलन उचित - है भी या नहीं ?
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सन 1960-70 के आसपास देश में कोंग्रेसी सरकार ने एक कानून पास किया जिसका नाम था - "apmc act" ...
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इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है।
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इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता। और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो apmc act में registered हो, दूसरा नही।
इन registered person को देशी भाषा में कहते हैं "आढ़तिया" यानि "commission agent".....
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इस सारी व्यवस्था के पीछे कुतर्क यह दिया गया कि व्यापारी किसानों को लूटता है इस लिये सारी कृषि उपज की खरीद बिक्री -"सरकारी ईमानदार अफसरों" के सामने हो।
जिससे "सरकारी ईमानदार अफसरों" को भी कुछ "हिस्सा पानी" मिलें।
इस एक्ट आने के बाद किसानों का शोषण कई गुना बढ़ गया। इस एक्ट के कारण हुआ क्या कृषि उपज की खरीदारी करनें वालों की गिनती बहुत सीमित हो गई।
किसान की उपज के मात्र 10 - 20 या 50 लोग ही ग्राहक होते है। ये ही चन्द लोग मिल कर किसान की उपज के भाव तय करते है।
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मजे कि बात ये है कि :--- फिर रोते भी किसान ही है कि :---
इस महगाई के दौर में - किसान को अपनी उपज की सही कीमत नही मिल है।
जब खरीददार ही - "संगठित और सिमित संख्या में" - होंगे तो - सही कीमत कैसे मिलेगी - ??-
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यह मार्किट का नियम है कि अगर अपने producer का शोषण रोकना है तो आपको ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसमें - "खरीददार" buyer की गिनती unlimited हो।
जब खरीददार ज्यादा होंगे तभी तो - किसी भी माल की कीमत बढ़ेगी।
लेकिन वर्तमान में चल रही - मण्डी व्यवस्था में तो - किसान की उपज के मात्र 10 - 20 या 50 लोग ही ग्राहक होते है।
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apmc act से हुआ क्या कि अगर किसी retailer ने ,किसी उपभोक्ता नें ,
किसी छोटे या बड़े manufacturer ने, या किसी बाहर के trader ने किसी मंडी से सामान खरीदना होता है तो वह किसान से सीधा नहीं खरीद सकता उसे आढ़तियों से ही समान खरीदना पड़ता है।
इसमें आढ़तियों की होगी चांदी ही चाँदी और किसान और उपभोक्ता दोनो रगड़ा गया।
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जब मंडी में किसान अपनी वर्ष भर की मेहनत को मंडी में लाता है तो buyer यानि आढ़तिये आपस में मिल जाते हैं और बहुत ही कम कीमत पर किसान की फसल खरीद लेते हैं।
याद रहे :-- बाद में यही फसल ऊचें दाम पर उपभोक्ता को उबलब्ध होती थी।
यह सारा गोरख धंदा ईमानदार अफसरों की नाक के नीचे होता है।
एक टुकड़ा मंडी बोर्ड के अफसरों को डाल दिया जाता है।
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मंडी बोर्ड का "चेयरमैन" को लोकल mla मोटी रिश्वत देकर नियुक्त होता है। एक हड्डी राजनेताओं के हिस्से भी आती है। यह सारी लूट खसूट apmc act की आड़ में हो रही है।
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दूसरा सरकार ने apmc act की आड़ में कई तरह के टैक्स और commission किसान पर थोप दिए।
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जैसे कि :--- किसान को भी अपनी फसल "कृषी उपज मंडी" में बेचने पर 3%, मार्किट फीस ,
3% rural development fund और 2.5 commission ठोक रखा है।
मजदुरी आदि मिलाकर यह फालतू खर्च 10% के आसपास हो जाता है। कई राज्यों में यह खर्च 20% तक पहुंच जाता है। यह सारा खर्च किसान पर पड़ता है।
बाकी मंडी में फसल की transportation ,रखरखाव का खर्च अलग पड़ता है।
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मंडियो में फसल की चोरी ,कम तौलना , आम बात है। कई बार फसल कई दिनों तक नहीं बिकती किसान को खुद फसल की निगरानी करनी पड़ती है। एक बार फसल मंडी में आ गई तो किसान को वह "बिचोलियों" द्वारा तय की कीमत पर,
यानि - ओने पोंने दाम पर बेचनी ही पड़ती है।
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क्योंकि कई राज्यों में किसान अपने राज्य की दूसरी मंडी में अपनी फसल नहीं लेकर जा सकता । दूसरे राज्य की मंडी में फसल बेचना apmc act के तहत गैर कानूनी है।
Apmc act सारी कृषि उपज पर लागू होता है चाहे वह सब्ज़ी हो ,फल हो या अनाज हो। तभी हिमाचल में 10 रुपये किलो बिकने वाला सेब उपभोक्ता तक पहुँचते पहुँचते 100 रुपए किलो हो जाता है।
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आढ़तियों का आपस में मिलकर किसानो को लूटना मैंने {लेखक ने} अपने आंखों से देखा है। मेरे पिताजी खुद एक आढ़तिया थे। उन्होंने ने हमेशा किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने की कोशिश की। किसान मंडी में तब तक अपनी फसल नहीं बेचता था जब तक मेरे पिता जी बोली देने के लिये नहीं पहुँचते थे। किसान मेरे पिता जी को ट्रैक्टर पर बिठा कर खुद लेकर जाते थे। जिस फसल का retail में दाम 500 रुपये क्विंटल होता था सारे आढ़तिये मिलकर उसका दाम 200 से बढ़ने नहीं देते थे। ऐसे किसानों की लूट मैंने अपनी आंखों के सामने देखी है।
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मोदी सरकार द्वारा किसानों की हालत सुधारने के लिये तीन अध्यादेश लाएं गये हैं।
जिसमे निम्नलिखित सुधार किए गए हैं।
1. अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है और मंडी के अंदर भी ।
2. किसान का सामान कोई भी व्यक्ति संस्था खरीद सकती है जिसके पास पैन कार्ड हो।
3. अगर फसल मंडी के बाहर बिकती है तो राज्य सरकार किसान से कोई भी टैक्स वसूल नहीं सकती।
4. किसान अपनी फसल किसी राज्य में किसी भी व्यक्ति को बेच सकता है।
5. किसान contract farming करने के लिये अब स्वतंत्र है।
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कई लोग इन कानूनों के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहें है।
जोकि निम्नलिखित हैं।
1. आरोप :--- सरकार ने मंडीकरण खत्म कर दिया है ?
उत्तर :--- सरकार ने मंडीकरण खत्म नहीं किया। मण्डियां भी रहेंगी।लेकिन किसान को एक विकल्प दे दिया कि अगर उसको सही दाम मिलता है तो वह कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है। मंडी में भी और मंडी के बाहर भी।
2. आरोप :--- सरकार msp समाप्त कर रही है ?
उत्तर :- मंडीकरण अलग चीज़ है msp नुयनतम समर्थन मूल्य अलग चीज़ है। सारी फसलें ,सब्ज़ी ,फल मंडीकरण में आते हैं msp सब फसलों की नहीं है।
3. आरोप :- सारी फसल अम्बानी खरीद लेगा
उत्तर :--- वह तो अब भी खरीद सकता है - आढ़तियों को बीच में डालकर।
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यह तीन कानून किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुक्ति के कानून हैं।
आज इस सरकार ने किसानों पर - कोंग्रेस द्वारा लगाई हुई -"बन्दिश" को हटा कर,
"हर किसी को" अपनी उपज बेचने के लिये आजाद करके,
"पुरे देश का बाजार" किसानो के लिये खोल दिया है।
किसानो को कोई भी टैक्स भी नही देना होगा।
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जो भी लोग विरोध कर रहे है वो उन की अपनी समझ है,
इस सरकार से बढ़ कर कोई "किसान हितेषी" सरकार कभी नही बनी और भविष्य में भी कोई नही बनेगी।
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क्योकि ये मोदिया - बहुत अच्छे से जानता है कि - "किसान और जवान" - ही देश का आधार है।
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"साभार - मित्रगण"
संकलन और संसोधन - गिरधारी भार्गव 15.9.2020
Leaders don't force people to follow.They invite them on a beautiful long journey.
दो चार साथी
और लम्बा सफर
जेबें लगभग खाली
लेकिन पूरा शहर
औऱ सोचते कुछ बेहतर करेंगे।
आज जेबें भरी हैं
दिल लगभग खाली हैं
शहर पराया सा लगता है
औऱ सोचते हैं कि पहले जैसा कुछ नहीं
पहले से बेहतर तो कुछ है ही नहीं।।
#यादें
Every person is like a Moon and has a dark side,which he never shows to anybody.
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जब शत्रु अदृश्य हो
तो छिप जाना ही बेहतर है।।
आज के इस तकनीकी,औद्योगिक और व्यावसायिक युग मे एक आंखें खोलने वाला दृश्य सबने देख लिया।संकट की इस घड़ी में कोई भी व्यक्ति गाड़ी, कार, बंगला, फ्रिज, या कोई अन्य ऐशोआराम का सामान खरीदने के लिए दौड़ लगाता नहीं दिखाई दे रहा है।दौड़ रहा है तो सिर्फ खाद्यान्न का स्टोर करने के लिए क्योंकि इसी के बल पर जीवन को बचाया जा सकता है,स्वस्थ हो चाहे बीमार हर किसी को जीने के लिए अन्न की आवश्यकता है।
ध्यान देने की बात ये है कि इसी अन्न के उत्पादक और उसके इस खेती किसानी के धंधे को हीन दृष्टि से देखा जाता है। आज के इस विलासिता के युग में अधिकांश किसानों की हालत और उनकी सामाजिक दशा किसी से छुपी नहीं है।समय समय पर उनकी दीन हीन दशा, आत्महत्या ,भरण पोषण, फसलों का उचित मूल्य न मिल पाने,फसल नष्ट होने,भंडारण की समस्या आदि अनेक समस्याएं समाज और सरकार के सामने आती रहती हैं किंतु कभी भी इनके समुचित समाधान का प्रयास नहीं किया जाता।
पराली के प्रदूषण पर ही कितना शोर मच गया था किंतु कितना बड़ा दुर्भाग्य है इस देश का कि शाहीनबाग में बेवजह चल रहे हुड़दंग का किसी ने संज्ञान तक नहीं लिया।
इसलिए आज फिर एक बार, इस संकट और महामारी से उबरने के पश्चात सरकार को अन्नदाताओं की खुशहाली और कृषि उत्पादकता को गम्भीरता से अमल में लाना ही होगा।
जय जवान जय किसान।।
हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
नववर्ष सम्पूर्ण मानवता और सृष्टि के लिए मंगलमय और सुख समृद्धि दायक हो
The brightest stars are those who shines for the benefits of others.
मां भारती ने आज
शेरों के झुंड खोया था।।
गांधी आकर देख जरा
तूने ये बीज बोया था।।
शहीदों को सत सत नमन💐💐
जय हिंद!वन्देमातरम!
Respect every drop of water either it from the eye or from the sky.
न भारतीयो नव संवत्सरोयं
तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् ।
यतो धरित्री निखिलैव माता
तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।
यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नही है, तथापि सबके लिये कल्याणप्रद हो; क्योंकि सम्पूर्ण धरती सबकी माता ही है
आप सभी को वर्ष 2020में पदार्पण की हार्दिक शुभकामनाएं !
प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं::
कह दो अंधेरों से कि अपना,
घर कहीं और बनाएं।
कि मेरे देश मे दीवाली
की रौनक आई है।।
Never try to accept the definition of life from others.
It's your life. live it as you like it and define it yourself.
Create your own sunshine.
Happy wishes of Ganesh chaturthi.
ॐ गंग गणपतये नमः
Life is the collection of moments.some are happy some are sad and some are unforgettable.
*Dr. Priti Dave*
*Chief Dietitian,*
*Sterling Hospital,*
*Rajkot*
*"शुगर का इलाज"*
१-> *अदरक* (ताज़ा) *50 gm.*
२-> *पुदीना* fresh *50 gm.*
३-> *अनारदाना* {खट्टा} *50 gm.*
इन तीन चीज़ों को पीस कर चटनी बना लें ...!!!
सुबह, दोपहर और शाम को *एक - एक* चम्मच खा लें ...!!!
*पुरानी से पुरानी शुगर* यहाँ तक कि शुगर की वजह से जिस मरीज़ के *जिस्म के किसी हिस्से को काटने की सलाह* भी दी गयी हो तब भी ये चटनी बहुत फायदेमंद इलाज है ...!!!
जीवन के विषय मे चिंतन करते हुए एक महत्वपूर्ण बात सदैव याद रखनी चाहिए कि चाहे हमे कितना भी अपराध बोध क्यों न हो हम अपने विगत को नहीं सुधार सकते और इसी प्रकार चाहे हम कितने भी चिंतित क्यों न हो लें फिर भी अपने भविष्य को नहीं बदल सकते।
Life is like a coin.Pleasure and pain are the two sides.Only one side is visible at a time.But remember that other side is also waiting for its turn.
गुरु : चाणक्य ने कहा था..
आपको एक ही दुश्मन से बार-बार युद्ध नही लड़ना चाहिए वरना आप अपने तमाम 'युद्ध कौशल' उसे सिखा देंगे।
(पति पत्नी के संबंधो में भी यही होता है। दोनों योद्धा जिन्दगी भर लड़ते-लड़ते एक दुसरे के वारों से इतना परिचित हो जाते हैं कि युद्ध जिन्दगी भर चलता रहता है पर हल कुछ निकलता नही।)
शिष्य : तो फिर गुरुजी, क्या करना चाहिए?
गुरु : दुश्मन बदलते रहना चाहिये।
""एक अर्थशास्त्री ने बड़े ही सुंदर तरीके से दो पत्नियों को रखने की व्याख्या दी है ।
--इससे एकाधिकार समाप्त होता है ।
--प्रतिस्पर्धा बनती है जिससे उनकी गुणवत्ता में सुधार बढ़ जाता है ।
--यदि आपके पास एक पत्नी है तो वह सिर्फ आपसे लड़ेगी ।
--यदि आपके पास दो पत्नियां हैं तो वे दोनों आपस में आप के लिए लड़ेंगी ।
फर्क समझें और फैसला लें।
#विशेष_चेतावनी-- पोस्टकर्ता ऐसा कोई अनुभव नहीं रखता, और न ही किसी दुष्परिणाम की जवाबदारी लेता है... पढ़ने वाले अपने स्वयं के हौसलें और विवेक से काम लें
धन्यवाद
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आज़ादी के बाद देश मे पहली बार जनरल जी डी बक्शी के कई वर्षों के अथक प्रयासों के बाद मोदी सरकार ने आई एन ए के सदस्यों को गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित करने का सुअवसर प्रदान किया है जो कि राष्ट्र के लिए अत्यंत ही गौरव का विषय है।
Santosh Naithani on Twitter “नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उन्हें शत शत नमन💐💐”
किसी का सरल स्वभाव उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसके माता पिता द्वारा दिए गए संस्कार हैं,जिनका कि वह बखूबी पालन कर रहा है- #स्वामी विवेकानंद।
स्वामी विवेकानंद एक युग पुरुष एवं युवाओं के महान प्रेरणास्रोत।
स्वामी जी की जयंती पर शत शत नमन💐💐
Live by the light of your own heart.