Aaryavrat
चलिए आप को कुछ अनोखा बताते है।
।। जय श्री राम ।।
Story of Every Girl on OTT platform | OTT platform Kya Desh ke Sath Dokha nahi kar rahe
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यह है नया भारत..... 🙏🙏
भारत 🇮🇳की एक इंच जमीन पर अब कोई भी विदेशी कब्ज़ा नहीं कर सकता..... 👍👍
हिन्दू ही आखरी उम्मीद हैं
हनुमान सुरसा का हुआ युद्ध | भगवान राम का तीर लगा बाली को
पक्षीराज जटायु और रावण के बीच हुआ युद्ध |
राम के हाथो यज्ञ में मारी गई राक्षसी | राजा जनक पर क्यों आया लक्ष्मण को क्रोध ।
अपने बच्चो को ये संस्कार देने होंगे तभी हमारी महान धरोहर और संस्कृति आगे बढ़ेगी।
जय श्री राम 🚩
Best feeling for ever 💖
Love 😍
Don't give up 🔥
जय श्री श्याम ❤️
प्रभु श्री राम ❤️
10 नवम्बर 1659 में आज ही का वो एतिहासिक दिन था जब प्रतापगढ़ के किले में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारा था ।
छत्रपति शिवाजी महाराज की जय 🚩🕉️
Golden words 👌
कृष्ण वाणी गीता उपदेश 🚩
जय भवानी
आक्रांता लुटेरा अलाउद्दीन खिलजी की फौज का बहादुरी से सामना करने वाली जैसलमेर की राजकुमारी रत्नावती जी भाटी के नाम पर बनवाया गया "राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल" (कनोई गांव, सम - जैसलमेर)
जैसलमेर राजपरिवार के अथक प्रयासों से इस स्कूल का निर्माण कार्य सम्भव हो पाया है, जहां बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी।
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Shree Ram or Ravan 🚩 Prabhu Ram Status 🚩
किरण सिंहणी सी चढ़ी उर पर खींच कटार ।
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार।।
अकबर की औंछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है ।
अकबर अपने इरादों से प्रति वर्ष नौरोज का मेला आयोजित करवाया था जिसमे पुरूषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेशभूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासिया छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी। एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई शक्ति सिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ था ।
बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देख कर अकबर अपने आप पर काबू नही कर पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया।
जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की बाईसा ने वैसे ही अपनी कमर से कटार निकली और अकबर को नीचे पटक कर पैर छाती पर रख कर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा ..... निंच, निराधम तुझे पता नही है मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके भय से तुझे रात को नींद तक नहीं आती है। बोल तेरी आखरी इच्छा क्या है अकबर का खून सुख गया उसने कभी सोचा नहीं होगा की अकबर राजपूती बाईसा के चरणों में होगा। अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो देवी तब बाईसा ने कहा कि आज के बाद दिल्ली में कभी नौरोज का मेला नही लगेगा और तू किसी नारी को परेशान नहीं करेगा। अकबर ने हाथ जोड़ कर कहा की मेला कभी नही लगेगा उस दिन के बाद कभी मेला नही लगा।
इस घटना का वर्णन गिरधर रसिया द्वारा रचित सगत रासो में 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है । बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेंटिंग में भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया है ।
किरण सिंहणी सी चढ़ी उर पर खींच कटार ।
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार।।
धन्य है ऐसी देवी स्वरूप बाईसा और उनकी वीरता को कोटि कोटि प्रणाम 🙏🏻
“चुण्डावत मांगी सैनानी सिर काट दे दियो क्षत्राणी”
राजस्थान के इतिहास की वह घटना जब एक राजपूत रानी विवाह के सिर्फ सात दिन बाद आपने शीश अपने हाथो से काट कर युद्ध में जाने को तैयार अपने को भिजवा दिया ताकि उनका पति नयी नवेली पत्नी की खूबसूरती में उलझ कर अपना कर्तव्य न भूले
हाड़ी रानी जिसने युद्ध में जाते अपने पति को निशानी मांगने पर अपना सिर काट कर भिजवा दिया था यह रानी बूंदी के हाडा शासक की बेटी थी और उदयपुर (मेवाड़) के सलुम्बर ठिकाने के रावत लुणा जी चुण्डावत की रानी थी
जिनकी शादी का गठ्जोडा खुलने से पहले ही उसके पति रावत चुण्डावत को मेवाड़ के महाराणा राज सिंह (1653-1681) का औरंगजेब के खिलाफ मेवाड़ की रक्षार्थ युद्ध का फरमान मिला
नई-नई शादी होने और अपनी रूपवती पत्नी को छोड़ कर रावत चुण्डावत का तुंरत युद्ध में जाने का मन नही हो रहा था यह बात रानी को पता लगते ही उसने तुंरत रावत जी को मेवाड़ की रक्षार्थ जाने व वीरता पूर्वक युद्ध करने का आग्रह किया
युद्ध में जाते रावत चुण्डावत पत्नी मोह नही त्याग पा रहे थे सो युद्ध में जाते समय उन्होंने अपने सेवक को रानी के रणवास में भेज रानी की कोई निशानी लाने को कहा
सेवक के निशानी मांगने पर रानी ने यह सोच कर कि कहीं उसके पति पत्नीमोह में युद्ध से विमुख न हो जाए या वीरता नही प्रदर्शित कर पाए इसी आशंका के चलते इस वीर रानी ने अपना शीश काट कर ही निशानी के तौर पर भेज दिया ताकि उसका पति अब उसका मोह त्याग निर्भय होकर अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध कर सके
और रावत चुण्डावत ने अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया
अपने बंधन से मुक्त होकर उन्होंने अद्वतीय शौर्य दिखाया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृभूमि के लिए वीर गति हो गए और दूसरे राजपूतों के की भांति वो भी वीर गति को प्राप्त होकर एक अमर कहानी लिख गए...
जय राजपुताना जय जय राजस्थान ....
भगवान का दोस्त ......
Hanuman ji ke Vardan 🚩
Proud to be a Sanatani 🚩
।। जय श्री राम ।।
Picture credit to the Respective Owner😊
DM for credit 💌
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हनुमान जी अमर क्यों हैं ? क्यों मिला हनुमान जी को चिरंजीवी रहने का वरदान ?
इस shorts में हमने हनुमान जी के अमर रहने के पीछे की कहानी को सरल रूप में बताया है ।
।।जय श्री राम।।