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સુભાષ પાલેકર પ્રાકૃતિક કૃષિ તાલીમ કાર્યશાળા 2021 SPNF PART 2
મૂલ્ય વર્ધન - સુભાષ પાલેકર પ્રાકૃતિક કૃષિ તાલીમ કાર્યશાળા 2021 SPNF
સુભાષ પાલેકર કૃષિ પધ્ધતિના આધારે તૈયાર કરવામાં આવતા જંતુરોધક અસ્ત્રો ✍🏼SPNF
SPNF SHIBIR Small Part_
“When you are a mother, you are never really alone in your thoughts. A mother always has to think twice, once for herself and once for her child.”
राष्ट्र की असली संपत्ति उसकी मिट्टी है
भारत की मिट्टी बहुत ही तेजी से खराब हो रही है। इससे पोषण दर में कमी आ रही है और जल संकट बढ़ता जा रहा है। तो यही समय है कुछ करने का!
भारत में लगभग 16 करोड़ हेक्टेयर खेती के लायक ज़मीन है। लेकिन इसकी लगभग 60% मिट्टी संकटग्रस्त, बीमार या खराब हो गयी है और होती जा रही है। इसका अर्थ ये है कि अगले 25 से 30 सालों के बाद हम अपने राष्ट्र के लिये आवश्यक अन्न नहीं उगा सकेंगे।
भारत ने बहुत सी सफलतायें अर्जित की हैं -- हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक मंगल ग्रह और चंद्रमा पर रॉकेट भेज रहे हैं। बड़े स्तर पर कारोबार विकास एवं इंजीनियरिंग के कमाल हुए हैं। इन सब के बीच, सबसे अधिक आश्चर्यजनक, अतुल्य बात जो हुई है वह ये है कि हमारे किसान बिना किसी तकनीक के, बस सिर्फ अपनी पारंपरिक जानकारी के बल पर, 100 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को खिला रहे हैं। देश के लिये ये सबसे बड़ी उपलब्धि है।
हमारे किसान बिना किसी तकनीक के, बस सिर्फ अपनी पारंपरिक जानकारी के बल पर, 100 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को खिला रहे हैं। देश के लिये ये सबसे बड़ी उपलब्धि है।
लेकिन दुर्भाग्यवश हमने अपने किसानों को इतना लाचार बना दिया है कि वे नहीं चाहते कि उनके बच्चे खेती के काम में लगें। तो एक तरफ मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है और दूसरी तरफ किसानों की अगली पीढ़ी खेती में नहीं लग रही। इसका अर्थ ये है हम निश्चित रूप से अगले 25 वर्षों में एक बड़े खाद्यान्न संकट का सामना करने वाले हैं।
जब पानी और भोजन नहीं मिलेगा एक विशाल संकट खड़ा हो जायेगा जो देश को कई प्रकार से नष्ट कर देगा। उन ग्रामीण क्षेत्रों से, जहाँ पानी बिल्कुल समाप्त होने जा रहा है, लोग बड़ी संख्या में शहरी इलाकों में आ जायेंगे और ये कोई बहुत दूर की बात नहीं है। फिर किसी भी व्यवस्था, संरचना के अभाव में, वे गलियों में, रास्तों पर बैठ जायेंगे। लेकिन कब तक ? जब उन्हें खाना और पानी नहीं मिलेगा तो वे लोगों के घरों में घुसेंगे। मैं कोई निराशावादी या बुरी भविष्यवाणी करने वाला व्यक्ति नहीं हूँ पर यदि हम कोई प्रभावी काम अभी से शुरू नहीं करते तो अगले 8 - 10 वर्षों में ही आप ऐसी परिस्थितियाँ देखेंगे।
फलदायी, उपजाऊ मिट्टी : सबसे मूल्यवान उपहार
हमारे इस उष्ण कटिबंधीय देश में, हमारे लिये पानी का एक ही स्रोत है और वह है मानसूनी वर्षा। हमारे यहाँ मानसून 45 - 60 दिन तक रहता है और साठ दिनों में आया हुआ बारिश का पानी हमें 365 दिनों के लिये रखना होता है जिससे नदियों में, झीलों में और जलकूपो में पानी बना रहे। और हरियाली एवं पर्याप्त वृक्षों के बिना हम ये काम किसी भी तरह से नहीं कर सकते।
मिट्टी में पानी तब ही रहेगा जब मिट्टी में बहुत सारे अच्छे, समृद्ध जैविक तत्व उपस्थित हों। पेड़ों के पत्ते और पशुओं का मल इस जैविक तत्व का स्रोत है। जहाँ पर पेड़ न हों, पशुओं का मल ज़मीन में ना जाए, वहाँ मिट्टी पानी को रोक नहीं पाती, वो बह जाता है।
आप को ये समझना चाहिये कि राष्ट्र की सच्ची संपत्ति क्या है? ये है - पेड़ों की पत्तियाँ और पशुओं का मल, जो मिट्टी को उपजाऊ, फलदायी बनाते हैं। हम अपनी अगली पीढ़ी को जो सबसे मूल्यवान वस्तु दे सकते हैं वह कारोबार, सोना या पैसा नहीं है, वह है समृद्ध, उपजाऊ मिट्टी। मिट्टी को समृद्ध बनाये रखे बिना पर्याप्त पानी मिलने का कोई प्रश्न ही नहीं है।
जब सारी दुनिया ये प्रयास कर रही है कि लोग माँसाहार छोड़ कर शाकाहारी जीवन के रास्ते अपनायें तो हम, जो मुख्यतः एक शाकाहारी देश हैं, माँस की ओर इसलिये बढ़ रहे हैं क्योंकि हमारे शाकाहारी खाद्य पदार्थों में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं हैं।
अगर आप भारत में एक घन मीटर मिट्टी लें तो इसमें पाये जाने वाले जैविक तत्वों की प्रजातियाँ, विश्व में सबसे अधिक हैं। तो हालाँकि आज मिट्टी खराब हो रही है लेकिन फिर भी अगर आप इसको थोड़ी सी भी सहायता कर दें तो इसके पास शक्ति का ऐसा विशाल भंडार है जो पुनः मिट्टी को समृद्ध कर देगा। खेती की पुरानी परंपरा के कारण, इस मिट्टी में जीवन के इतने सारे रूप समाए हैं। हमारी ये ज़मीन इतनी उपजाऊ है कि हम इसी ज़मीन पर पिछले 12000 वर्षों से खेती करते चले आ रहे हैं। लेकिन पिछले 40 से 50 वर्षों में हमने इसे रेगिस्तान बना दिया है, बस इसलिए, क्योंकि हमने अपनी वन संपत्ति, अपने पेड़ों को काट दिया है।
मिट्टी कैसे स्वास्थ्य पर असर डालती है ?
भारत की मिट्टी की दशा इतनी खराब हो गयी है कि हम जो अन्न, सब्ज़ियाँ, फल उगा रहे हैं उनके पोषक तत्व विनाशकारी ढंग से कम होते चले जा रहे हैं। विशेष रूप से भारतीय सब्ज़ियों में तो पिछले 25 सालों में पोषक तत्वों में 30% गिरावट आयी है। विश्व में हर तरफ डॉक्टर लोगों को मांसाहारी भोजन से शाकाहारी भोजन की तरफ मुड़ने को कह रहे हैं पर भारत में, डॉक्टर हमें माँस खाने की सलाह दे रहे हैं। क्यों ? जब सारी दुनिया ये प्रयास कर रही है कि लोग माँसाहार छोड़ कर शाकाहारी जीवन के रास्ते अपनायें तो हम, जो मुख्यतः एक शाकाहारी देश हैं, माँस की ओर इसलिये बढ़ रहे हैं क्योंकि हमारे शाकाहारी खाद्य पदार्थों में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं हैं।
और ये बस इसलिये है क्योंकि हमने अपनी मिट्टी की परवाह नहीं की है, उसे संभाला नहीं है। मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व इतने नाटकीय ढंग से कम हो गये हैं कि हमारे 3 वर्ष से कम उम्र के लगभग 70% बच्चे कुपोषित हैं, उनमें स्वस्थ रक्त की कमी है।
अगर आप जंगल में जायें और वहाँ की मिट्टी की जाँच करें तो वह जीवन से भरपूर, बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली मिलेगी। मिट्टी ऐसी ही होनी चाहिये। अगर मिट्टी की शक्ति कम हो जाती है तो हमारे शरीर भी कमजोर पड़ जायेंगे - सिर्फ पोषण की दृष्टि से ही नहीं पर अत्यंत मूल रूप से। इसका अर्थ ये है कि हम जो अगली पीढ़ी पैदा करेंगे वो हमसे कम शक्तिवाली होगी। ये तो मानवता के प्रति अपराध है। हमारी अगली पीढ़ी हमसे बेहतर होनी चाहिये। अगर वो हमसे कम है, तो इसका अर्थ यही है कि हमने मूल रूप से कुछ बहुत गलत किया है। ये भारत में बहुत बड़े रूप में हो रहा है क्योंकि हमारे देश की मिट्टी अपनी शक्ति खो रही है।
अब समय है काम करने का
1960 के पहले भारत में कई बार अकाल पड़े थे। उनमें से कुछ में, सिर्फ गर्मी के दो ही महीनों में, 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। अब यदि हमारी नदियाँ सूखती जायेंगी और मिट्टी खराब होती जायेगी तो हम लोग फिर से ऐसी ही परिस्थितियाँ देखेंगे। अगर हम अब, इसी समय, सही काम नहीं करेंगे तो इस भूमि पर भविष्य में लोग रह नहीं पायेंगे।
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शरीर को स्वस्थ रखें : उपयोग करें अथवा खो देंगें
एक समय में एक युवा चिकित्सक था। एक रोगी के रोग का निदान करने में उसे कुछ समस्या आ रही थी अतः वह अपने एक वरिष्ठ सहयोगी के पास सलाह लेने गया। उस वरिष्ठ सहयोगी ने कहा, "अरे! कमजोरी और उल्टियाँ? क्या ऐसा है?" "जी हाँ", युवक बोला, "लेकिन मुझे उसके इस तरह उल्टियाँ करने और कमज़ोरी का कोई चिकित्सकीय कारण नहीं मिल रहा है"। तब वरिष्ठ ने सुझाव दिया, "उसे पूछो, क्या वो गोल्फ खेलता है? अगर वो खेलता है तो उसे बंद करने को कहो। अगर वो कहे कि वो नहीं खेलता तो उसे खेलने को कहो! वो ठीक हो जायेगा"। ये स्वास्थ्य का मामला ऐसा ही होता है।
काम करते हैं और बीमार रहते हैं। अगर आप 200 साल पहले रह रहे होते तो आप जितनी शारीरिक गतिविधि आज कर रहे हैं, उससे 20 गुना ज्यादा गतिविधि कर रहे होते। आप हर कहीं पैदल जाते और हर चीज़ अपने हाथों से करते। अगर आप उतनी ज्यादा गतिविधि आज कर रहे होते तो मैं आप को थोड़ा रुकने को और आराम करने को कहता। पर आज, अधिकतर लोगों के लिये शरीर का पर्याप्त उपयोग नहीं हो रहा। शारीरिक गतिविधि के संदर्भ में, आज बहुत से 20 वर्ष के लोग उतना काम भी नहीं कर सकते जितना 100 वर्ष पहले 60 साल की उम्र के लोग करते थे। इसका अर्थ ये है कि हम मानवता को कमज़ोर कर रहे हैं। आप इस शरीर को केवल इसका उपयोग कर के ही स्वस्थ रख सकते हैं। आप इसका जितना उपयोग करेंगे, उतना ही ये बेहतर होगा।
पैदल चलने में माहिर
कई साल पहले मैं, कुछ लोगों के एक समूह को पश्चिमी घाट में चलने के लिये ले गया। हसन - बैंगलोर खंड के इन क्षेत्रों में मैंने पहले भी काफी सघन यात्रा की हुई थी अतः मैं इन स्थानों के सौंदर्य और आकर्षण के बारे में जानता हूँ। ये एकदम जादुई हैं- वन्य प्राणियों एवं घनी वनस्पतियों से भरे हुए। हमारे वहाँ जाने के कुछ सप्ताह पहले ही, बैंगलोर जा रहा नौसेना का एक हेलिकॉप्टर वहाँ दुर्घटनाग्रस्त हो कर जंगलों में कहीं गिर गया था। खोजी दस्तों ने बहुत से हवाई सर्वेक्षण किये पर उसे खोज न सके। फिर वे वहाँ 200 सैनिकों की एक बटालियन लाये जिन्होंने जंगल को छानना शुरू किया पर कुछ सप्ताह के बाद भी वे उस हेलिकॉप्टर को ढूँढ नहीं सके। तो वहाँ पर वनस्पति इतनी घनी थी।
हम लगभग 35 - 40 लोग वहाँ चल रहे थे। हमें अपना खाना बनाने में और बाकी सब कुछ करने में भी बहुत परेशानी हो रही थी क्योंकि वहाँ मूसलाधर वर्षा हो रही थी और हम सारा दिन चलते रहे थे। फिर, चलते चलते, हम इस सेना शिविर में पहुँच गये और बिन बुलाये मेहमान बन बैठे क्योंकि खाने की खुशबू बहुत अच्छी थी। आप को खाने की कीमत तभी पता चलती है जब आपने शरीर का उपयोग किया हुआ होता है। हम वहाँ पहुँचे, और उनका मुख्य अधिकारी काफी उदार था - उसने हमारा स्वागत भी किया और खुशी से हमें खाने में शामिल भी किया।
बटालियन के हवलदारों में से एक ने हमें पूछा कि हम पैदल क्यों चल रहे थे? जब हमने बताया कि हम ये इसलिये कर रहे थे क्योंकि हम चलना चाहते थे, तो उसे विश्वास नहीं हुआ। "बस, वैसे ही ?", उसने पूछा और कहा, "हम यहाँ कई सप्ताहों से हैं और प्रतीक्षा कर रहे हैं कि ये कब खत्म होगा। हर दिन हमें इस कमबख्त हेलीकॉप्टर को ढूँढने के लिये 20-30 कि.मी. चलना पड़ता है और फिर भी वो हमें मिलता ही नहीं और आप बस मजे के लिये चल रहे हैं"? उसे हम पर विश्वास नहीं हुआ। "क्या ये संभव है कि कोई बस मजा लेने के लिये चलेगा, और आप के पैरों में जो ये छाले पड़ गये हैं और इतनी मुसीबतें हैं तब भी"? वो ये समझ ही नहीं सका कि जो काम वे मजबूरी में कर रहे थे उसने ही उन्हें इतना स्वस्थ और अच्छा रखे हुए था।
जीवन को पूरी तरह से होने दें
स्वास्थ्य के बारे में सबसे सरल बात यह है कि आप बस शरीर का उपयोग करें। अगर आप शरीर का पर्याप्त रूप से उपयोग करते हैं, तो इसके पास वो सब कुछ है जिससे ये अपने लिये अच्छे स्वास्थ्य का निर्माण कर सके। मैं तो ये कहूँगा कि अगर हम अपने शरीरों का जितना संभव है उतना उपयोग करें, तो इस धरती की 80% बीमारियाँ गायब हो जायेंगी। बाकी की 20% में से 10% उन खाद्य पदार्थों के कारण होती हैं जो लोग खाते हैं। अगर आप उसे बदल दें तो ये 10% बीमारियाँ भी गायब हो जायेंगी। इसका अर्थ ये है कि सिर्फ 10% बीमारियाँ ही रह जायेंगी, जो कई कारणों से होती हैं। एक कारण तो कर्म संबंधी है, दूसरा वातावरण का है तथा कुछ और पहलू हैं जो आप की शारीरिक व्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं, जिन्हें हम संभाल सकते हैं। सभी बीमार लोगों में अगर 90% लोग अपने शरीर का अच्छा उपयोग कर तथा सही ढंग का खाना खा कर, उसे ठीक कर सकें तो बाकी के 10% को आराम से संभाला जा सकता है।लेकिन, अभी बीमारियों की मात्रा इसलिये इतनी ज्यादा है क्योंकि हम सही ढंग से नहीं खाते, या सही ढंग से खाते हैं पर अपने शरीर का सही ढंग से उपयोग नहीं करते।
लोग इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं जैसे कि स्वास्थ्य हमारा कोई विचार है और हमने स्वास्थ्य को बनाया है। परंतु, स्वास्थ्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसका आप ने आविष्कार किया हो। ये आप का विचार नहीं है। जब जीवन प्रक्रिया सही चलती है तो वो ही स्वास्थ्य है। अगर आप जीवन को पूरी तरह से होने देंगे तो शरीर स्वस्थ ही रहेगा।
अतः आप को सिर्फ अपने शरीर का, अपने दिमाग का और अपनी ऊर्जाओं का सही उपयोग करना है। अगर ये तीन चीजें सही तरह के अभ्यास में हैं और संतुलित हैं तो आप स्वस्थ रहेंगे। मेरे साथ एक बार ऐसा हुआ। ये काफी पहले, दूसरे या तीसरे भाव स्पंदन कार्यक्रम के दौरान हुआ। मैं ये कार्यक्रम एक छोटी सी जगह पर कर रहा था जहाँ मुझे सीढ़ियों पर से अनगिनत बार ऊपर नीचे आना जाना पड़ता था, क्योंकि व्यवस्था उसी तरह की थी। फिर एक दिन, जब मैं कार्यक्रम का संचालन भी कर रहा था और रसोईघर का प्रबंधन भी, मैंने गिनती की और पाया कि उस दिन मैं सीढ़ियों पर 125 बार चढ़ा-उतरा था। पर कार्यक्रम के अंत में मैं एकदम स्वस्थ था।
अगर आप अचानक बहुत अधिक गतिविधि कर डालें तो आप थक सकते हैं, बीमार हो सकते हैं। पर यदि आप अपने जीवन में, अपनी गतिविधि को धीरे धीरे बढ़ायें तो आप का शरीर, मन और ऊर्जा संबंधी स्वास्थ्य सुधरेगा। आप का शरीर अच्छे ढंग से काम कर रहा है, आप का मन भी अच्छे ढंग से काम कर रहा है और आप की ऊर्जा दोनों का साथ दे रही है तथा ये सुनिश्चित कर रही है कि कुछ भी गलत न हो, तो यही स्वास्थ्य है। जीवन पूरे प्रवाह में हो रहा है, यही स्वास्थ्य है।
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शाकाहारी भोजन करने के क्या फ़ायदे हैं?
शाकाहारी भोजन खाने के क्या लाभ हैं? शाकाहार को जीवन में आसानी से कैसे अपनाया जा सकता है? इस लेख में सदगुरु इस विषय को विस्तार से समझा रहे हैं। वे कहते हैं, "आप किस प्रकार का खाना खाते हैं, यह इस बात पर निर्भर होना चाहिये कि आप का शरीर क्या चाहता है, न कि इस बात पर कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं अथवा आप के मूल्य और नैतिकतायें क्या हैं? जब मामला भोजन का हो तो अपने डॉक्टर से या भोजन विशेषज्ञ से मत पूछिये, भोजन तो शरीर से संबंधित बात है"!
आप किस प्रकार का खाना खाते हैं, यह इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिये कि आप उसके बारे में क्या सोचते हैं, न ही यह आप के मूल्यों या नैतिकताओं पर निर्भर होना चाहिये। बल्कि इसका आधार ये होना चाहिये कि आप का शरीर क्या चाहता है! भोजन का संबंध शरीर से है। जब बात भोजन की हो तो अपने डॉक्टर या भोजन विशेषज्ञ से मत पूछिये क्योंकि ये लोग हर 5 वर्षों में अपनी राय बदलते रहते हैं। जब बात भोजन की आती है तो अपने शरीर से पूछिये कि किस प्रकार के भोजन से ये वाकई खुश है? अलग - अलग प्रकार के भोजन खाईये और देखिये कि एक तरह का खाना खाने के बाद आप के शरीर को कैसा महसूस होता है? यदि आप का शरीर बहुत सजग, ऊर्जा से भरा हुआ और अच्छा महसूस करता है, तो इसका मतलब है कि शरीर खुश है। अगर शरीर को आलस महसूस होता है, और उसको जगाये रखने के लिये चाय, कॉफी या सिगरेट वग़ैरह की ज़रूरत पड़ती है तो इसका मतलब है कि शरीर खुश नहीं है, है कि नहीं?
आप अगर अपने शरीर की बात सुनते हैं तो ये आप को साफ़ तौर पर बतायेगा कि वह किस तरह के भोजन से खुश है। पर अभी तो आप अपने मन की बात सुन रहे हैं। आप का मन आप से हर समय झूठ बोलता रहता है। क्या पहले भी इसने आप से झूठ नहीं बोला है? आज ये आप से कहेगा, "ये अच्छा है" और कल आप को ये ऐसा महसूस करा देगा कि आप बिलकुल मूर्ख थे जो आपने उस बात पर विश्वास कर लिया था। तो अपने मन की बात न सुनिये, आप को अपने शरीर की बात सुनना सीखना होगा।
हर पशु, हर प्राणी जानता है कि उसे क्या खाना चाहिये और क्या नहीं? इस धरती पर मनुष्य को सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी माना जाता है पर वे ये भी नहीं जानते कि उन्हें क्या खाना चाहिये? कैसे रहना है, ये तो छोड़िये, मनुष्य ये भी नहीं जानते कि उन्हें क्या खाना चाहिये? इसीलिए आप में थोड़ा ध्यान और थोड़ी समझदारी होनी चाहिये, जिससे आप अपने शरीर की बात सुनना सीख सकें। जब आप के पास ये होगा तब ही आप जान पायेंगे कि आप को क्या खाना चाहिये और क्या नहीं?
आप के शरीर के अंदर जो खाना जा रहा है, उसके गुणों की बात करें तो आप के शरीर के लिये, निश्चित रूप से मांसाहारी भोजन की अपेक्षा शाकाहारी भोजन बेहतर है। हम इसको किसी नैतिकता के पैमाने से नहीं देख रहे। हम सिर्फ इस दृष्टि से देख रहे हैं कि हमारी शारीरिक व्यवस्था के लिये क्या अनुकूल है - हम वो चीजें खाना चाहेंगे जो हमारे शरीर को आराम में रखे। आप अपना कारोबार सही ढंग से करना चाहते हों, या पढ़ाई, या अन्य कोई गतिविधि करना चाहें, तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप का शरीर आरामदायक अवस्था में हो। तो हमें उस प्रकार का भोजन करना चाहिये जिससे शरीर आराम में रहे और उसे भोजन से पोषण लेने में संघर्ष ना करना पड़े।
शाकाहारी कैसे बनें
थोड़ा प्रयोग कीजिये और देखिये, कि जब आप शाकाहारी भोजन को जब उसके जीवित रूप में लेते हैं, तो ये कितना अंतर ला देता है! आईडिया यह है कि हम जितना हो सके, ज्यादा से ज्यादा भोजन उसके जीवित रूप में लें - जो भी उसके जीवित रूप में खाया जा सकता है वह वैसे ही खाया जाना चाहिये। एक जीवित कोशिका में वह सब है जो जीवन को बनाये रखने के लिये जरूरी है। जब आप एक जीवित कोशिका को खाते हैं तो आप देखेंगे कि आप के शरीर का स्वास्थ्य, अब तक आप ने जो कुछ जाना है, उससे बहुत अलग प्रकार का होगा। जब हम भोजन को पकाते हैं तो उसका जीवन नष्ट हो जाता है, और उसके जीवन को नष्ट करने के बाद उसे खाने से आप के शरीर को उतनी जीवन ऊर्जा नहीं मिलती। पर जब आप जीवित भोजन को खाते हैं तो ये आप में एक नये प्रकार की जीवंतता ला देता है। अगर आप बहुत सारा अंकुरित अनाज, फल और जो भी सब्जियाँ जीवित रूप में खायी जा सकें, ऎसा कम से कम 30 से 40% भोजन लेते हैं - तो आप देखेंगे कि ये आप के जीवन को बहुत अच्छी तरह से रखेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप जो भी भोजन खाते हैं, वह स्वयं में जीवन है। तो वे अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं, जिससे हमारा जीवन बना रहे। यदि हम उन सभी जीवनों के प्रति अत्यंत कृतज्ञता के भाव के साथ उन्हें ग्रहण करते हैं - क्योंकि हमारा जीवन बनाये रखने के लिये, वे अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं - तो आप के अंदर यही भोजन बिल्कुल अलग ढंग से व्यवहार करेगा।
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खाली पेट नीम और हल्दी खाने के फायदे
खाली पेट नीम और हल्दी खाने के फायदे क्या हैं? इस लेख में सद्गुरु बता रहे हैं की नीम कैंसर की कोशिकाओं (सेल्स) से लड़ सकता है, और हल्दी से हमारी त्वचा में चमक आ सकती है।
भारत में अगर आप अजीब व्यवहार कर रहे हैं और आपको प्रेतबाधा है, तो नीम की लकड़ी से आपका भूत भगा दिया जाता हैं! अगर आपको किसी तरह का संक्रमण है, तो आपको नीम के पत्तों के बिस्तर पर लिटाया जाता है क्योंकि उससे शरीर में ऊर्जा आती है और शरीर की सफाई होती है। इसके पत्तों में जबरदस्त औषधीय गुण और बहुत शक्तिशाली प्राणशक्ति कंपन होता है और यह इतना कड़वा होता है कि आपके अंदर का भूत भाग जाता है!
नीम का पत्ता इस धरती पर पाया जाने वाला सबसे विविध गुणों वाला पत्ता है। शरीर की सफाई में इसके खास फायदे हैं। जो लोग पश्चिम से आए हैं, भारत में आपको सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि आपको पेट के इंफेक्शन हो जाते हैं। कोई भी चीज, जो भारतीयों के लिए बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट होगी, आपको शौचालय के चक्कर लगवा सकता है क्योंकि यह दुनिया बैक्टीरिया से भरी हुई है। यह शरीर बैक्टीरिया से भरा हुआ है। एक सामान्य आकार के शरीर में, करीब दस ट्रिलियन मानव कोशिकाएं होती हैं लेकिन 100 ट्रिलियन से अधिक बैक्टीरिया होते हैं। आप दस में एक की दर से अल्पसंख्यक हैं। आपके अंदर इतने जीवों का निवास है जितनी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इनमें से अधिकांश बैक्टीरिया हमारे लिए मददगार होते हैं। उनके बिना हम जीवित नहीं रह सकते, लेकिन उनमें से कुछ हमारे लिए समस्या उत्पन्नं कर सकते हैं। अगर आप नीम का सेवन करें, तो वह आंत में समस्या उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है।
नीम के बहुत से अविश्वसनीय फायदे हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वह कैंसर उत्पन्नब करने वाली कोशिकाओं को खत्म कर देता है। हम सब के शरीर में कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाएं होती हैं लेकिन वे अव्यवस्थित होती हैं, वे पूरे शरीर में बिखरी होती हैं।
छोटा-मोटा अपराध अगर संगठित अपराध बन जाए तो यह गंभीर समस्या हो जाती है, है न? हर शहर में हर कहीं छोटे-मोटे अपराधी होते हैं। वे यहां-वहां लोगों की जेब काटेंगे, यह कोई समस्या की बात नहीं है। लेकिन अगर पचास जेबकतरे एक शहर में संगठित हो जाएं, तो अचानक शहर का सारा माहौल बदल जाएगा। ये पचास लोग साथ मिलकर ऐसी चीजें कर सकते हैं कि आपके लिए सड़क पर निकलना खतरनाक हो जाएगा। शरीर में यही सब हो रहा है। कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाएं इधर-उधर दौड़ रही हैं। अगर वे अपने आप यूं ही आवारागर्दी करते हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है। अगर वे एक जगह मिलकर हमला करते हैं, तब समस्या है। इसके लिए उन्हें तोड़ते रहना होगा, यहां-वहां कुछ कोशिकाओं को मारना होगा, इससे पहले कि वे संगठित हो पाएं। रोजाना नीम का सेवन यही काम करता है, यह शरीर में कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं को सीमित रखता है, जहां वे शरीर के खिलाफ इकट्ठा नहीं हो पाती। इसलिए नीम का सेवन बहुत महत्वपूर्ण है।
नीम बैक्टीरिया की संख्या को कम करता है
अगर आप नीम का सेवन करें, तो हो सकता है कि मच्छर भी आपको न काटें। अगर आप नहाने से ठीक पहले नीम का पेस्ट अपने ऊपर लगाएं, थोड़ी देर उसे सूखने दें और फिर पानी से धो लें, तो यह अपने आप में एक क्लींजर है, बाहर का सारा बैक्टीरिया नष्ट हो जाएगा। या आप नीम के कुछ पत्ते ले कर उन्हें पानी में डाल लें, रात भर छोड़ दें और उससे स्नाान करें।
यह महत्वपूर्ण है कि हमारे शरीर में बैक्टीरिया की बहुतायत न हो। बैक्टीरिया के सक्रिय हुए बिना आप जीवित नहीं रह सकते। लेकिन अगर बैक्टीरिया की बहुतायत हो गई, तो आप बीमार महसूस करेंगे क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उनसे निपटने में बहुत ऊर्जा खर्च करती है। नीम का अलग-अलग रूपों में इस्तेमाल करते हुए, आप बैक्टीरिया को इतना सीमित कर सकते हैं कि आपको उसे संभालने में शरीर की ऊर्जा खर्च न करनी पड़े।
हल्दी के अनेक गुण
हल्दी एक ऐसा तत्व है जो न सिर्फ शरीर के लिए लाभदायक है, बल्कि ऊर्जा तंत्र के लिए भी कारगर है। यह रक्त, शरीर और ऊर्जा तंत्र में एक खास शुद्धिकरण प्रक्रिया लाता है। आप बाहर से भी इसे शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ एक चुटकी हल्दी लेकर उसे बाल्टी भर पानी में डालकर वह पानी अपने शरीर पर उड़ेलें। आप देखेंगे कि इससे शरीर ऊर्जावान और कांतिमय हो जाएगा। हल्दी के नियमित सेवन से रक्त शुद्ध रहता है और रक्ता का रसायन एक संतुलन में रहता है। यह रक्त का शुद्धिकरण करता है और आपकी ऊर्जा में एक चमक लाता है।
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