Dilip Mandal fans
Social Activist
एक कोलिजियम जज की दुख भरी दास्तान।
कर्नाटक हाईकोर्ट की कोलिजियम से बनी जज जस्टिस इंद्रकला ने गवर्नर बनने के लिए ज्योतिषी युवराज स्वामी को 8.50 करोड़ रुपए दिए। स्वामी ने कहा था कि उसके बीजेपी में अच्छे संपर्क हैं। नेताओं को रुपया देना पड़ता है। स्वामी रुपए पचा गया। इंद्रकला गवर्नर नहीं बन पाईं। रुपए अलग डूब गए। स्वामी पकड़ा गया।
ये तय हुआ है कि इस बात की जाँच नहीं होगी कि जज के पास इतने रुपये आए कहाँ से।
“अपनी तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम फ़िल्में हिंदी में डब करके रिलीज़ मत कीजिए। हमको रिमेक बनाना है। डबिंग हुई तो हम सिंघम और दृश्यम कैसे बनाएँगे? अगर डबिंग न हुई होती तो हम कबाली, पुष्पा, RRR, बाहुबली, जय भीम और KGF का रिमेक बना रहे होते। बॉलीवुड में हिट फ़िल्मों का यूँ सूखा न होता।”
“प्लीज़ भाई, प्लीज़। आप हिंदी डबिंग कर लेते हैं तो बुरा लगता है भाई!”
कवि के कहने का मतलब है कि हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री बाहुबली, RRR, कबाली, काला, KGF, जय भीम आदि फ़िल्मों की सफलता से डर गई है। बॉलीवुड से हो नहीं पा रहा है। ये है भाई अजय देवगन की ताज़ा फ़िल्में। दृश्यम भी मलयालम की रिमेक है। अपना जो है सो सामने है। इसलिए अब राष्ट्रवाद बतियाने लगे।
हाई कोर्ट ने कहा है कि सांसद ने 2019 में रिज़र्व सीट पर लड़ने के लिए SC का जो सर्टिफिकेट दिया, वह फ़र्ज़ी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज इस अपील पर फ़ैसला नहीं दे रहे हैं। 2024 में वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद फ़ैसला आया तो क्या उसका अचार डाला जाएगा?
भारत में जज बिना प्रतियोगिता परीक्षा के बनते हैं। बेहद निकम्मे लोग हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज बन जाते हैं। कोलेजियम सिस्टम से आने वाले जज एकदम बेकार साबित हुए। इस सिस्टम में सिर्फ दोस्त और रिश्तेदार जज बन रहे हैं। लाखों केस पेंडिंग हैं। ये फ़ैसला लिख ही नहीं पाते।
NCERT 12th इतिहास के टेक्स्ट बुक से ये बात हटाई जा रही है कि आज़ाद भारत का पहला आतंकवादी हत्यारा नाथूराम गोडसे “पुणे का ब्राह्मण” था। इतिहास बदल नहीं सकते, लेकिन किताबों को तो बदला जा सकता है। वैसे इस किताब लेखन के मुख्य कर्ताधर्ता निलाद्रि भट्टाचार्य थे, जो खुद ब्राह्मण हैं।
गौरव को बधाई: नया सामाजिक संतुलन बन रहा है। हिंदू समाज में लोगों को आदत नहीं थी। पता ही नहीं था कि सबको समान अधिकार है, घोड़ी पर सभी बैठ सकते हैं। लेकिन संविधान की चक्की है। जातियों के झूठे अभिमान और गौरव को लगातार पीस रही है। धीमे पीस रही है। पर बारीक पीस रही है।
क्या आपके राज्य के किसी इलाक़े में हिंदुओं की अलग-अलग जातियों के अलग श्मशान हैं?
बार-बार ऐसी खबरें आती हैं कि कभी यहाँ तो कभी वहाँ SC समुदाय के लोगों को पुजारी ने मंदिर से खदेड़ दिया, मंदिर में घुसने नहीं दिया। क्या तमाम SCs को भी बाबा साहब की तरह हिंदू धर्म को त्यागकर, बौद्ध धम्म अपना लेना चाहिए।
अपने उत्तर का कारण ज़रूर बताएँ।
शिवाजी को कुचलने के लिए औरंगजेब ने जय सिंह को सेनापति बनाकर फौज भेजी। जय सिंह और शिवाजी के बीच 1665 में पुरंदर की संधि हुई। एकदम ताज़ा इतिहास है। स्कूल में इतिहास की हर किताब में ये जानकारी लिखी है। हर मैट्रिक पास आदमी को पता है।
औरंगजेब ने हिंदू इलीट लोगों की मदद से यहाँ राज किया। औरंगजेब के एक तिहाई ज़मींदार और मनसबदार तो राजपूत थे। और भी हिंदू जातियों के मनसबदार थे। हिंदुओं को जागीर देने में औरंगजेब तो अकबर से भी आगे थे। उत्तर भारत के अभी जो राजा साहब वग़ैरह हैं, वो उसी दौर के हैं।