The Money Magnet
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Recession is Coming? Winter is coming. So is a recession—at least according to some of the world’s top business leaders and economic minds. The ‘recession’ isn’t just a sudden drop in economic activity. A recession involves a long duration, full of negative news that can potentially have long-lasting consequen...
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
Arnold Schwarzenegger at
छपरा में पहली बार कोई ऐसा शुरुआत , जो आपको अपने पसंदीदा दुकान से खरीदने का मौका देता है।
Midbench
From Tanga Man to undisputed King of Spices
Indian businesses r full of such inspirational ppl & they are in every Indian home but Youth are taught Philip Kotler, MS, FB, GM, Sony, etc
My dream is to dig out such Indian stories for youth but I can't. Tight finance pulls u down
I had the privilege to work with premium B Schools students. One major observation is
In B-Schools we teach emotionless ruthlessness centered around Money & Business Target
Whereas, there are enough examples in India where business with emotions have better success
26 नवम्बर मुंबई आतंकी हमले में शहीद नागरिको व वीर जवानों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
भारत में और 43 एप्स को बैन किया गया |
गरीबी के चलते बैट खरीदने के लिए नहीं थे पैसे, फिर भी ऐसे बना यह इंसान टीम इंडिया का हिटमैन
भारतीए क्रिकेट की एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने वनडे क्रिकेट के दौरान एक ही पारी में 16 छक्के जड़े थे, जब ये क्रिकेट के मैदान में उतरते है तो ऐसा लगता है मानों इनका बल्ला हवा से बाते करता हो। तो आइए जानते है भारतीय टीम के हिटमैन के बारे में कुछ अनसुनी बातें।
रोहित शर्मा का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था, उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। लेकिन बचपन में उनके परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी कि उनके स्कूल की फीस भी भर सके। रोहित शर्मा के पिता उस वक्त एक ट्रांसपोर्ट फर्म स्टोरहाऊस में केयरटेकर का काम करते थे और जैसे - तैसे करके घर का खर्च चलाया करते थे। बचपन में रोहित शर्मा पैसे के अभाव में टूटे बल्ले, पुरानी गेंद और टीवी देखकर क्रिकेट खेलने का अभ्यास किया करते थे। एक दिन उनके पिता ने रोहित का क्रिकेट के प्रति रूझान देखते हुए उन्हें मुंबई दादा के पास भेज दिया।
बचपन में रोहित से गलियों में क्रिकेट खेलने समय पड़ोसियों के घर के शीशे कई बार टूट जाया करते थे,जिससे उन्हें पुलिस के आने पर शर्मिंदा होना पड़ता था। रोहित का क्रिकेट के प्रति जुनून को देखते हुए उनके चाचा और उनके दोस्तों ने मिलकर उनका एकेडमी में दाखिला करवा दिया। लेकिन उसके बाद भी रोहित के सामने गरीबी बड़ी चुनौती बनकर खड़ी थी। रोहित आर्थिक तंगी की वजह से क्रिकेट का सामान नहीं खरीद पाते थे, इसलिए वह दूसरे खिलाड़ियों से बल्ला मांगकर खेलते थे। रोहित कई बार सिर्फ इसलिए बहुत तेज़ शॉट मारने से रह जाते थे की कहीं उनका बैट ना टूट जाए। क्योंकि काफी तकलीफों के बाद कैसे भी करके उनके चाचा ने उनको बैट दिलवाया था।
संघर्षता के साथ क्रिकेट खेलते - खेलते और आर्थिक स्थिति से झूझते - झूझते आख़िरकार उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक स्पिनर और गेंदबाज के रूप में की और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रोहित ने एक बार क्रिकेट कैंप में हिस्सा लिया,जहां उनकी प्रतिभा को स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के क्रिकेट कोच श्री दिनेश लाड ने पहचाना। क्रिकेट कोच लाड ने कुछ समय बाद रोहित का दाखिला स्वामी विवेकानंद स्कूल में करा दिया, ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें। तत्पश्चात कोच दिनेश लाड ने उनके लिए अगले चार साल तक स्कॉलरशिप की व्यवस्था करा दी। उसी दौरान दिनेश लाड ने गेंदबाजी से ज्यादा ओपनिंग बल्लेबाजी करने का मौका दिया। जिसमे उन्होंने पहले ही मैच में शतक जमाते हुए सभी का ध्यान अपनी ओर खीचा ।
रोहित शर्मा को 2005 में देवधर ट्राफी खेलने का मौका मिला, फिर 2013 में रोहित को भारतीय टीम में ओपनिंग करने का मौका मिला। अपनी बल्लेबाजी से विपक्षी टीम की कमर तोड़ने वाले भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा आज कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। ज़िन्दगी में जितना बड़ा सपना इंसान देखता है,उसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा परिश्रम कर चुकानी पड़ती हैं। बावजूद इसके की राह में हार मिलेगी या जीत, ऐसे में जज़्बे की मशाल जलाये हुए मेहनती इंसान पथ पर चलता ही जाता है, चलता ही जाता है, चलता ही जाता है जब तक उसकी मंज़िल उसके कदम न चूम ले । कहने का तात्पर्य यह है कि जज़्बा और हिम्मत से हर वो कामयाबी पायी जा सकती है, जब कर गुजरने का जुनून आपके अंदर हो। 16 छक्के लगाने वाले भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा को अच्छे बल्लेबाज़ के लिये साल 2015 में भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका हैं।