Sahaj Samadhan
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Our every festival has 4 layers just like earth-
1. Inner core: deep spiritual context & purpose
2. Outer core: religious rituals that bring rhythm n continuty to the spiritual core
3. Mantle: connections n social part
4. Crust: the fun element- food, color, firecrackers, dressing up
Each part has a role to play in sustenance and is important, again like our mother earth
1. Crust- makes it fun and lively (supports life)
2. Mantle- is what connects to earth/ civilization
3. Cores (Inner and outer) are the reason for gravity, for existence in this universe.
Now here's a brilliant insight that dawned on me just now
- the festivals of regions where we were attacked first and had losses- they attack or disregard the core and only celebrate the crust - Durga Puja, Onam, Lohri
whereas, the regions or festivals that have sustained the core, they attack the crust to take the fun out of the core. Eg.
Diwali- ban firecrackers
Holi- make it colorless
Ganpati- pollutes rivers
Dahi handi- dangerous
Rakshabandhan/ Karwachauth- patriarchal.
Hence, remember as they gain power/ governance, they will adapt all the crust (Jashn-e-Roshni) sans the core. Durga puja is not religious, Onam is cultural, Lohri is a harvest festival.
But when not in power, they will still try to take your fun away so that you stop celebrating.
हे परम आदरणीय पूर्वजों,
700साल के इस्लामिक राज और 200साल के ईसाई शासन के बाद भी आज हम अपने त्यौहार मना पाते हैं।
अपने देवी देवताओं की पूजा कर पाते हैं और अपने देश मे अपनी परंपराओं-संकृति के साथ गर्व से रह पाते हैं, ये सब इसीलिए सम्भव है क्योंकि आपने तलवार के डर अथवा पैसों के मोह में अपना धर्म नहीं बदला।
हम सदैव आपके ऋणी रहेंगे, ये पितृपक्ष आपके अदम्य शौर्य और आपके निःस्वार्थ भक्ति को समर्पित।
आपके कृतज्ञ और गौरवशाली वंशज🙏
सभी आत्मीयजनों को "गणेश चतुर्थी" की हार्दिक बधाई और अनन्त शुभकामनाएं 🙏
हृदय में मिश्री घोल दे! सुनिए, ऐसी गुरबाणी!!
https://youtu.be/l1GBZKWDcts?si=https://youtu.be/l1GBZKWDcts?si=KdGYmbTOYoq55S4nKdGYmbTOYoq55S4n
khoob teri pagri meethe tere bol:- Guru Namdev ji |lyrical video|#withme|#Dwarka-nagri-kahe-ke-magol shri guru Granth Sahib Ji di jot Shri Guru Namdev ji .Namdev ji remember the parbraham allah akalpurkh by prasing the qualities of shri KrishnaShri guru gran...
🌼सहज समाधान🌼
उन्नीस सौ छत्तीस में अमरीका में एक आदमी था, लूथर दरबांग। वह नोबल प्राइज विनर था। लूथर दरबांग ने जिंदगी भर पौधों के पास ही अपनी जिंदगी बिताई। वह पौधों की खोज ही करता रहा। उसकी खोज इतनी बढ़ गई और उसका पौधों से इतना संबंध हो गया कि उसकी पत्नी उसे छोड़ कर चली गई। उसने कहा कि क्या पागलपन मचा रखा है, मैं बैठी हूँ और तुम अपने पौधों से बात कर रहे हो, तुम्हारा दिमाग ठीक है? लूथर दरबांग पौधों से बात करने लगा। अब यह पागलपन का लक्षण है। उसका पौधों से प्रेम हो गया। वह पौधों से बात-चीत, हाल-चाल पूछने लगा, सुबह उठ कर पौधों से कि कहो कैसे हो, कल तबीयत खराब थी, ठीक है न? तो पत्नी तो, ऐसे पति के पास पत्नी रुके? वह गई, उसने कहा कि यह क्या पागलपन है? मुझसे तो कभी पूछते नहीं हो कि तबीयत कैसी है पौधे से तुम पूछ रहे हो? पौधों से पूछने का मतलब? मित्रों ने दरबांग को समझाया कि मालूम होता है तुम्हारा दिमाग खराब हुआ जा रहा है। मालूम होता है ज्यादा दिमाग से श्रम करने के कारण तुम पागल हुए जा रहे हो।
दरबांग ने कहाः दिमाग से काम बंद हो गया है। अब मैं पूरे प्राणों से काम कर रहा हूं। लेकिन कौन माने। तो दरबांग ने कहा कि कैसे तुम मानोगे? लेकिन उसने कहाः तुम सोचते हो? मित्रों ने कहाः सोचते हो, पौधे तुम्हारी सुनते हैं? तो दरबांग ने कहा कि सुनते हैं। क्योंकि पौधों ने मुझे नमस्कार दी है। जब मैंने पौधों से कहाः कैसे हो? तो पौधों ने कहाः ठीक हैं, खुश हैं। मित्रों ने कहाः हमने तो कभी नहीं सुना। अब तो पक्का है कि तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। तुम कोई प्रमाण दे सकते हो? दरबांग ने एक प्रमाण दिया जो अमरीका में घटित हुआ। और वह प्रमाण बहुत अदभुत था।
दरबांग एक कैक्टस के पौधे के पास सात साल तक मेहनत करता रहा। और उस कैक्टस के पौधे में बिना कांटे की डाल नहीं होती, शाख नहीं होती। वह उस पौधे से रोज कहता कि कृपा कर और एक ऐसी शाखा निकाल दे जिसमें कांटे न हों ताकि मित्रों को भरोसा आ जाए कि तूने मेरी सुन ली। दरबांग सात साल तक कहता रहा कि तू कृपा कर और एक शाखा निकाल दे जिसमें कांटे न हों, ताकि मैं भरोसा दिला दूं कि इसने मेरी सुन ली। और सात साल बाद उस पौधे में एक शाखा आ गई जिसमें कांटे नहीं थे। अब दरबांग वैज्ञानिक न रहा प्रेमी हो गया।
अब दरबांग परमात्मा को जान सकता है। प्रेम ही जानने का एक गहरा ढंग है। और जिसको हम ज्ञान कहते हैं वह ऊपर-ऊपर घूमता है।
........ जीवो ब्रह्मएव नापरः !....... तत् त्वम असी !
का दर्शन वाले धर्म को प्रेम, समानता और सहिष्णुता सिखाई जाती है!
Observer is Observed!
दृष्टा ही दृश्य है!
The seer is the seen!
🌼सहज समाधान🌼
If you want to find your purpose in life, read-
"The Philosophy of IKIGAI"
You might be thinking "How can I find my IKIGAI?"
A one-word answer to this is 'TRY & TRY'.
You have to try different things that fulfill all 4 spheres and figure out what works for you the best.
There's no secret to it !!
"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"
जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय
अरबपति रतनजी टाटा से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा:
"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"?
रतनजी टाटा ने कहा:
"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"
पहला चरण धन और साधन संचय करना था।
लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।
फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया।
लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।
फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था। लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.
चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हील चेयर खरीदने के लिए कहा। लगभग 200 बच्चे थे। दोस्त के कहने पर मैंने तुरन्त व्हील चेयर खरीद लीं।
लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हील चेयर भेंट करूँ। मैं तैयार होकर उनके साथ चल दिया।
वहाँ मैंने सारे पात्र बच्चों को अपने हाथों से व्हील चेयर दीं। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हील चेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।
यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों।
मुझे उस दिन अपने अन्दर असली खुशी महसूस हुई। जब मैं वहाँ से वापस जाने को हुआ तो उन बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।
मैंने धीरे से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मुझे नहीं छोड़ा और उसने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को और कसकर पकड़ लिया।
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?
तब उस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।
उस बच्चे ने कहा था-
"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियों
को छोड़ने के बाद आपको किसलिए याद किया जाएगा?
क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा, यह बहुत मायने रखता है!
🌼सहज समाधान🌼
विवेक के बिना क्या हम अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सकते है?
एक समय की बात है, राघव नाम का युवक एक फैक्टरी में काम करता था। उसके गुरु, जो कि उसी फैक्टरी में एक अनुभवी तकनीशियन थे, ने उसे बिना बोले अधिक से अधिक काम करने और कारखाने के संचालन के हर पहलू में कौशल विकसित करने की सीख दी थी। दस साल बाद, वे तकनीशियन सेवानिवृत्त हो गए और राघव खुद तकनीशियन बन गया। जिस तरह उसे सिखाया गया था, उसी लगन और मेहनत से उसने काम करना जारी रखा।
एक दिन राघव अपने गुरु के पास गया। गुरु ने देखा कि वह दुखी लग रहा था। गुरु ने उससे पूछा कि, "उसे क्या परेशानी है?" राघव ने आह भरते हुए अपने मन की सारी बात कह डाली, "मैं इतने वर्षो से आपकी आज्ञा का पालन कर रहा हूँ। मैं चुपचाप सारा काम मन लगाकर करता हूँ। मुझे पता है कि मैंने कारखाने में अच्छा काम किया है और वहाँ सीखे जा सकने वाले सभी कौशल सीखे हैं। मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिन लोगों के पास मेरे जितना अनुभव और क्षमता नहीं है, वे सभी पदोन्नत हो गए हैं, जबकि मैं अभी भी वहीं काम कर रहा हूँ जहाँ मैं पहले किया करता था, जब मैं आपका शिष्य था।"
वृद्ध गुरु ने पूछा, "क्या तुम निश्चित रूप से अपने आप को इस कारखाने के लिए अपरिहार्य मानते हो?"
राघव ने सिर हिलाया, "हाँ।"
गुरु ने कुछ पलों का ठहराव लिया। थोड़ी देर के बाद, वे राघव की ओर मुड़े और बोले, "तुमको एक दिन की छुट्टी ले लेनी चाहिए जो भी कारण तुमको पसंद हो। तुमको अपने आप को एक विराम देने का समय आ गया है।"
राघव इस सलाह से हैरान था, लेकिन जैसे-जैसे उसने अपने गुरु के शब्दों पर गौर किया, तो उसे उन पर विश्वास होने लगा। उसने अपने गुरु को धन्यवाद दिया और जल्दी से छुट्टी का अनुरोध करने के लिए वहाँ से निकल गया।
जब वह छुट्टी के बाद काम पर लौटा, तो प्रबंधक ने उसे यह बताने के लिए कार्यालय में बुलाया कि उसकी अनुपस्थिति के दौरान फैक्ट्री में चीजें ठीक से काम नहीं कर रहीं थीं और दूसरों को कई उन समस्याओं का सामना करना पड़ा, जो सामान्य रूप से उसके द्वारा नियंत्रित की जाती थीं और उसके दूसरे साथियों को यह नहीं पता था कि उन्हें कैसे ठीक किया जाए। उसके महत्त्व को समझते हुए प्रबंधक ने उसे धन्यवाद दिया और अच्छे काम को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उसे वरिष्ठ तकनीशियन के पद पर पदोन्नत करने का निर्णय लिया।
राघव अपने गुरु की सलाह के लिए आभारी था। निश्चित रूप से, उसने सोचा कि यही सफलता का रहस्य है! उस समय से, जब भी राघव को लगता कि उसे जितना मिल रहा है, वह उससे अधिक का हकदार है, तो वह एक दिन की छुट्टी ले लेता। अगले दिन जब वह वापस आता तो स्थिति में उसकी संतुष्टि के अनुसार सुधार होता। यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा।
लगभग एक साल बाद एक दिन राघव ने देखा कि उसे फैक्टरी में जाने से रोक दिया गया है। उसे यह जानकार सदमा लगा कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया है। उसे इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। अब आगे क्या करना है? यह जानने के लिए वह फिर अपने गुरु के पास पहुँचा, यह पता लगाने की कोशिश करने के लिए कि चीजें इतनी गलत कैसे हो गईं।
"मेरी नौकरी क्यों चली गई?" उसने दुखी स्वर में गुरु से पूछा।
"क्या मैंने वह सब कुछ नहीं किया जैसा आपने बताया था?" उसने गुरु से पूछा।
"वास्तव में कहूँ तो, तुमने नहीं किया, क्योंकि तुमने केवल आधा ज्ञान सुना।" गुरु ने अपना सिर हिलाया।
"तुम तुरंत समझ गए कि कोई भी उस रोशनी पर ध्यान नहीं देता जो हमेशा चालू रहती है। लोग उस पर तभी तवज्जो देते हैं, जब वह रोशनी बंद हो जाती है और तब लोगों को उस रोशनी की अहमियत पता चलती हैं। तुम इस समझ को लागू करने के लिए इतने उत्सुक हो गए थे कि तुम आगे की बात सुनने से पहले ही चले गए।"
"आगे की बात?" युवक को भनक लगने लगी कि शायद उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है। "दूसरा भाग क्या था?" उसने बड़ी ही व्याकुलता से पूछा।
गुरु ने अपनी बात को बहुत ही धैर्य से कहा, "दूसरा भाग, पहले की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है, यह अहसास है कि यदि कोई रोशनी बार-बार बंद होने लगती तो देर-सबेर उसे अधिक विश्वसनीय रोशनी से बदल दिया जाता है। कौन ऐसी रोशनी चाहेगा जिसकी कोई विश्वसनीयता ही न हो?"
हम अपने जीवन में भी देखते हैं कि हमारे मित्र और परिवार के कई ऐसे सदस्य हैं, जिन्हें हम हल्के में लेते हैं, वे हमेशा हमारे साथ रहते थे। क्या होता है, अगर वे एक दिन हमारे साथ नहीं होते हैं?
ऐसे दिन का इंतजार न करें, जिससे अचानक पता चले कि वे हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण थे। पर वे अब हमारे साथ नहीं हैं।
उन्हें अपने जीवन में साथ देने के सौभाग्य के लिए आज ही धन्यवाद दें। इसके अलावा, अपने को भी किसी को हल्के में न लेने दें लेकिन साथ ही, अपना काम जारी रखें। काम को केवल इसलिए न रोकें क्योकि यह उस तरह से नहीं हो रहा है, जैसा हम चाहते हैं।
"जीवन में संतुलन खोजें और जीवन हमको पुरस्कृत करेगा।"
🌼सहज समाधान🌼
“Of all the African tribes still alive today, the Himba of Namibia in southern Africa is one of the few that counts the birth date of children not from the day they are born nor conceived but the day the mothers decide to have them.
“When a Himba woman decides to have a child, she goes off and sits under a tree, alone, and she listens until she can hear the song of the child who wants to come.
“And after she’s heard the song of this child, she comes back to the man who will be the child’s father, and teaches him the song. When they make love to physically conceive the child, they sing the song of the child as a way of inviting the child.
“When she becomes pregnant, the mother teaches that child’s song to the midwives and the old women of the village, so that when the child is born, the old women and the people gather around him/her and sing the child’s song to welcome him/her.
“As the child grows up, the other villagers are taught the child’s song. If the child falls, or gets hurt, someone picks him/her up and sings to him/her his/her song. Or maybe when the child does something wonderful, or goes through the rites of puberty, then as a way of honoring this person, the people of the village sing his or her song.
“If a Himba tribesman or tribeswoman commits a crime or something that is against the Himba social norms, the villagers call him or her into the center of the village and the community forms a circle around him/her. Then they sing his/her birth song to him/her.
“The Himba views correction not as a punishment, but as love and remembrance of identity. For when you recognise your own song, you have no desire or need to do anything that would hurt another.
“In marriage, the songs are sung, together. And finally, when the Himba tribesman/tribeswoman is lying in his/her bed, ready to die, all the villagers that know his or her song come and sing – for the last time that person’s song.”
# Don't know whether it is factually true or not, but if human race has to evolve further, this is the only way!
🌼 सहज समाधान🌼
Life is full of imperfect things and imperfect people.
Nobody is perfect.
Learn to accept each other's faults and celebrate each other's differences. It is one of the most important keys to create a healthy, growing and lasting relationships.
And...That's my prayers for you today!
- Deb Billy Graham
🌼सहज समाधान🌼
The Great Wall of China is a great learning, which makes us realize that, 'the best defence against the enemy is not a fortified wall but a fortified character'.
Thus, the building of human character comes before the building of anything else.
Mr. Peter Schutz, the former President & CEO, Porsche, once said- "Hire Character, Train Skills".
🌼सहज समाधान🌼
In 1888, in Curacao...... a bridge was built to connect two parts of the city. A toll tax was proposed but officials wanted it to be a "progressive" tax. They decided rich people will pay more to cross.
So how to identify rich & poor quickly?
They had an idea, rich people wear shoes ( it's 1888 remember ), so they decided to charge a tax based on that. If you cross the bridge wearing shoes, you pay a tax, but if you are barefoot, you cross for free.
Simple
Easy
Difficult to avoid
Brilliant idea
But it failed.....Why?
The rich simply took off their shoes & crossed the bridge. ( Tax Avoidance )
The poor? ...They did not want to be seen as poor, so they would wear shoes or borrow shoes to cross the bridge.
This is a true story.
So what are the lessons?
1. Poverty is hidden yet visible.
2. Poverty is more in the mind.
3. Rich stay rich by spending less. Poor stay poor by spending more.
4. Humans are irrational.
5. Rich always get better financial advice.
6. Taxing the rich to help the poor sounds great but is complicated.
Ask yourself..... Are you "borrowing shoes" to cross any "bridge?".... If you are, please stop.
And this lesson holds true always.
🌼सहज समाधान🌼
Care or control ??
I was in a a consultation with a middle age couple.They started fighting right in front of me. The upset husband said- See doc....I 'care' so much for her & this is what I get in return..To which the fuming wife replied- He doesn't care...he just 'controls'...!
The care from one person was perceived as control by another !
Made me think...what is care and what is control?? How to identify them??
Soon I received the answer.
I had an argument with my teenage daughter over a trivial disciplinery issue...Harsh words were exchanged leaving both of us in tears...😪
After sometime, as our emotions settled down , we said sorry to each other...My daughter hugged me
and said-Papa ,you know why you got upset? You were not upset because I did wrong..but u were upset because I didnt follow your instructions....there is a big difference..!
I was stunned with her mature thinking pattern. ..I received my answer too... I was trying to control her under the disguise of care...that caused the conflict ....
If I really 'care' from someone , I will not get upset or angry with that person...I will keep searching different ways to help him..
If I am struggling in any relationship...I need to closely observe if there is any subtle control hidden behind my apparent care...because
Care is an expression of love while control is an expression of ego...
Control cuts...Care connects ...
Control hurts...Care heals...
Keep caring for people but dont control them ... because
Often people are not wrong...they are just 'different'...
Keep caring... 🍁
🌼सहज समाधान🌼
Have you ever noticed how Google Maps never yells, condemns or castigates you if you take the wrong turn?
It never raises its voice and says, “You were supposed to go LEFT at the last crossing, you idiot! Now you’re going to have to go the LONG way around and it’s going to take you SO much more time, and you’re going to be late for your meeting! Learn to pay attention and listen to my instructions, OK???”
IF it did that, chances are, a lot of us might stop using it. But Google simply Re-Routes and shows you the next best way to get there.
Its primary interest is in getting you to reach your goal, not in making you feel bad for having made a mistake.
There’s a great lesson… It’s tempting to unload our frustration and anger on those who have made a mistake, especially those we are close to & familiar with. But the wisest choice is to help in fixing the problem, not to blame.
Have you had "Re-Routing" moments recently? With others, and also 'with your own self'?
Be a "Google Map" to your children, spouse, relatives, team mates and all the people who you meet in life.
🌼सहज समाधान🌼
"प्रेम वर्तमान में ही हो सकता है, भूतकाल से जुड़ा हुआ प्रेम 'मोह' और भविष्य का प्रेम, 'लालसा' बन जाता है!
🌼सहज समाधान🌼
🌼सहज समाधान🌼
Once there was an island where all the feelings lived together. One day there came a storm in the sea and the island was about to drown .Every feeling was scared but Love made a boat to escape. All the feelings jumped in the boat except for one feeling. Love got down to see who it was...it was Ego! Love tried & tried but Ego didn't move. Everyone asked Love to leave Ego & come in the boat but Love was meant to Love. It remained with Ego. All other feelings were left alive but Love died because of Ego!!
Think over it !!
🌼सहज समाधान🌼
The lion couple was away leaving the little cubs behind in the den. The cubs were hungry and were crying for mother.
A goat, in her motherly instinct, had pity on them and fed them with her own milk. After it she started playing with them, so that they do not go far from the den.
After some time, the parents came back. Seeing the goat, they wanted to hunt it.
But the cubs shouted, don't kill. She saved us by her own milk.
The lions were very pleased and let the goat go.
Thereafter the goat became a friend of the lions. She even reached for leaves in the high branches standing on the back of the lion.
A hawk was very impressed seeing the goat's relation with the lions.
It asked the goat, how could you be a friend of the lions? The goat said, I had once saved the cubs, and the lions are still grateful.
The hawk thought, I also will save souls in distress.
One day, during heavy rains, it saw some small mice struggling to survive. It took them under its wings. The mice were saved.
When rain stopped, the mice left, but the hawk discovered that when they were under his wings, they had cut all the feathers. The hawk was unable to fly.
He asked the goat, I saved their lives, but they left me crippled. You had saved life of cubs and all the lions are still grateful to you. Why is it so?
The goat replied, if you want gratitude, help lions, not mice. Only the lion hearted reciprocate, not mouse hearted.
You can not expect lion's character in mice.
Just Drop !
Once a Crow, holding on to a piece of meat was flying to find a place to sit & eat.
However, an eagle started chasing it. The crow was anxious and was flying higher and higher, yet the eagle was after the poor crow.
Just then “Garuda” saw the plight and pain in the eyes of the crow. Coming closer to the crow, he asked:
“What’s wrong?
You seem to be very "disturbed“ and in “stress”?”.
The crow cried “Look at this eagle!! It is after me to kill me".
Garuda being the bird of wisdom spoke "Oh my friend!! That eagle is not after you to kill you!
It is after that piece of meat that you are holding in your beak. Just drop it and see what will happen”.
The crow followed the advice of Garuda and dropped the piece of meat, and there you go, the eagle flew towards the falling meat.
Garuda smiled and said “The Pain is only till you hold on to it. Just Drop it.
The crow bowed and said “I dropped this piece of meat, now, I can fly even higher”.
🌼सहज समाधान🌼
Do we carry the huge burden called “Ego,” which creates a false identity about us, saying- 'I need love, I need to be invited, I am so and so'.. etc...?
---Just Drop.
Do you get irritated fast by “others’ actions” it may be a friend, parents, children, a colleague, life partner... and get the fumes of “anger “ ?
---Just Drop.
Do you compare yourself with others.. in beauty, wealth, life style, marks, talent and appraisals and feel disturbed with such comparisons and negative emotions?
---Just Drop.
"Just drop the burden"
🌼सहज समाधान🌼
"Die empty"
The most beautiful book to read is "Die Empty" by Todd Henry.
The author was inspired and got this idea of writing this book while attending a business meeting.
When the director asked the audience: "Where is the richest land in the world?"
One of the audience answered: "Oil-rich Gulf states."
Another added: "Diamond mines in Africa."
Then the director said: "No it is the cemetery. Yes, it is the richest land in the world, because millions of people have departed/died and they carried many valuable ideas that did not come to light nor benefit others. It is all in the cemetery where they are buried."
Inspired by this answer, Todd Henry wrote his book, "Die empty .
The most beautiful of what he said in his book is: "Do not go to your grave and carry inside you the best that you have.
Always choose to die empty.
The TRUE meaning of this expression, is to die empty of all the goodness that is within you. Deliver it to the world, before you leave.
If you have an idea perform it.
If you have knowledge give it out.
If you have a goal achieve it.
Love, share and distribute, do not keep it inside.
Let’s begin to give. Remove and spread every atom of goodness inside us.
Start the race.
Let us Die Empty.
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