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कश्तियाँ भी अकेले ही तैर रही है समंदर में,
किसने कहा के तन्हाई सिर्फ़ इंसानों के नसीब में हैं।
अंग्रेजों ने जब हिंदुस्तान में नई-नई रेलगाड़ी चलाई तो एक डेरे के बाबा जी रोजाना रेलगाड़ी देखने जाते थे। एक दिन डेरे के सेवादारों ने पूछ लिया कि आप रोज रेल गाड़ी देखने क्यों जाते हो ? 🤔
बाबा जी ने जवाब दिया कि "मुझे रेलगाड़ी के Engine से प्यार हो गया है।" ❤️
सेवादारों ने पूछा, "प्यार क्यों हो गया है?
बाबा जी बोले, "इस की कुछ खास वजह है।
पहली वजह यह है कि Train का इंजन अपनी मंजिल पर पहुंच कर ही रुकता है।
दूसरी वजह यह है कि इंजन अपने हर डिब्बे को साथ लेकर चलता है।
तीसरी वजह यह है कि इंजन आग खुद खाता है और डिब्बों को खाने नहीं देता है।
चौथी वजह यह है कि इंजन अपने तय रास्ते से भटकता नहीं है।
पांचवीं और आखिरी वजह यह है कि इंजन डिब्बों का मोहताज नहीं है। 🤷♂️
परिवार के मुखिया (Leaders) को भी रेलगाड़ी के Engine जैसा होना चाहिए। 🙇🏻♂️🤗
राख की कई परतों के नीचे तक देखा
पर अफसोस वो गुरूर
वो रुतबा वो पद
कही नजर नहीं आया जो सारी उम्र ओढे़ बैठे थे.
उबलते बक्त पानी जरूर सोचता होगा,
अगर बर्तन न होता तो बताता आग को…!
फलक से चाँद लेकर आया हूँ !!
यार के नख़रे हो गए थे बहुत..!
कुछ शिकवे.,
कुछ शिकायत.,
तेरी करते है..
हम अक्सर.,
रात भर .,
चाँद से गुफ़्तगू करते है...!!
तमन्ना है मेरे मन की
हर पल साथ तुम्हारा हो
जितनी भी सांस चले मेरी
हर सांस पर नाम
तुम्हारा हो !!🌹❤️
Miss U
❤️❤️मेरे साहिबा ❤️❤️
आदत इस दिल की.,
आज भी नही बदली.....!
तेरी गलियों से गुज़र कर हम.
आज भी अपना सब्र अज़माते है....!!
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
पहला चरण - कैंची
दूसरा चरण - डंडा
तीसरा चरण - गद्दी ...
*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।*
*"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।
और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।
*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।
हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।
अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।
मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।
*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !
और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।
और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।
हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !
*पहला चरण कैंची*
*दूसरा चरण डंडा*
*तीसरा चरण गद्दी।*
● *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं!
🍁
इश्क उम्र नहीं देखता, क्योंकि
सुकून हर उम्र में ज़रूरी होता है
Good morning friends 😊
काश तुम-हम एक ही शहर में रहते,
फिर हम रोज साथ में चाय पिया करते ❣❣
#दिन छोटे #दिसंबर की लंबी #रात होगी,
#सर्दिया चल रही है सिर्फ #चाय की बात होगी।
#सुप्रभात
"आज बादलों ने फिर साज़िश की,
जहाँ मेरा था घर वहीं बारिश की…
अगर फलक को ज़िद्द है, बिजलियाँ गिराने की,
तो हमें भी ज़िद्द है वहीं आशियाना बनाने की…!"
घर की जिम्मेदारियों से जब दब जाओगे,
क्या असर करती है चाय समझ जाओगे।
#सुप्रभात..!! ❤☕☕🙏🏻
Happy Diwali💥💥💥
माना कि आप बहुत खूबसूरत हो,
मगर मोहब्बत फिर भी हमें चाय से है।
#सुप्रभात..!! ❤☕☕🙏🏻
चाय के दीवानों के कानों में गूँजी यह खबर,
गुलाबी ठंड की दस्तक और बेकरार नवम्बर।
#शुभरात्रि .!! ❤☕☕🙏🏻
*शिव हर बात सुनते है तू सुनाना तो सीख,* *वो तुझे मिलने भी आ जायेंगे, तू दिल से बुलाना तो सीख ||* *💞हर हर महादेव 💞*
🙏श्री शिवाय नमस्तुभ्यं🙏
कितना महफूज था गुलाब ,
कांटो की गोद मे..!!
लोगो की महोब्बत मे ,
पत्ता पत्ता बिखर गया...!!✍️
*👆🏻आज वो खुद बेखबर हैं…., जो कभी दूसरों की खबर देते थे।* *इसलिए अपने पद या स्थिति पर गुमान ना करें....!🔏* *कल हो ना हो ❤️*
शादीशुदा महिलाओं को इतना भी सुंदर नही लगना चाहिए
कि हम जैसे युवा दिल दे बैठें 🙈😀😅🤣