Hindu the Great

Hindu the Great

No doubt, Bharatiya citizens are going to benefit from the Hindu Nation (meaning the idea

The word Hindu is derived from the Sanskrit word Sindhu, Establishing the Hindu Nation is a necessity not just for the Hindus, but for entire mankind the world over. The word Hindu was first used by Arab invaders and then went further west by the Arabic term al-Hind referring to the land of the people who live across river Indus.[15] and the Persian term Hindū referring to all Indians. By the 13th century, Hindustān emerged as a popular alternative name of India, meaning the "land of Hindus".

08/02/2024
07/02/2024

हिन्दू शब्द सुनने में तो बहुत छोटा है लेकिन उसके अर्थ और भाव का क्षितिज बहुत व्यापक है। कोई एक सम्प्रदाय, मत, पंथ, संस्था, संगठन जब यह सोचने लगता है कि हिन्दुत्व का व्याप केवल उसी में समाहित है तब वैचारिक दृष्टि से ही नहीं व्यवहार मे भी उससे कोसों से दूर चला जाता है।

जब मानव-मानव के बीच सहज सामंजस्य स्थापित होता है तब समाज की संरचना होती है और उस सहज संरचना को संचालित करने के लिए समाज अपनी आवश्यकता अनुसार व्यवस्थाओं का निर्माण करता है। इन व्यवस्थाओं के माध्यम से जो संस्थाएं विकसित होती हैं वह समाज पर वर्चस्व के लिए नहीं होतीं बल्कि उसके सहज संचालन के लिए होती हैं। भारत में ऐसी संस्थाएं सभा और समीति, पूग से लेकर खाप और पंचायत के रूप में वैदिक काल से लेकर आज तक चलती रही हैं। ये किसी पर आधिपत्य के लिए नहीं बल्कि समाज की व्यवस्था के लिए संचालित होती थीं।

समाज के किसी गुट, समूह या गिरोह के आधिपत्य की भावना मजहबी समाज की देन है, जिसमें समाज के सामंजस्य से अधिक आधिपत्य का भाव निहित रहता है। यहाँ सामाजिक नैतिकता और अनैतिकता को दुर्लक्ष्य करके अपने आप को केवल संगठित कर आधिपत्य स्थापित करने का भाव प्रबल होता है। ऐसे समूह कभी समाज के साथ समरस नहीं होते बल्कि अपने समूह की एक विशिष्ट पद्धति को आधार बनाकर अनैतिकता को भी नैतिकताके आवरण से मण्डित कर देते हैं।
हिन्दू चिन्तन में विचार, भाव और कार्य के आधार पर मानव की विविधता के अनुसार अनेक, मत,पंथ और संगठन खड़े हुए और आगे भी होंगे और उनकी पद्धतियाँ भी भिन्न-भिन्न होंगी, क्योंकि यही हिन्दुत्व की विशिष्टता है, लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि एकमेव हम ही सही हैं और बाकी सब गलत हैं। यहाँ वैचारिक मानसिक और व्यावहारिक अवस्था के अनुसार सब के लिए अवसर है। जो षोडशोपचार पूजा करता है वह भी सही है, जो भजनान्दी है वह भी सही है, जो जप करता है वह भी सही है, जो आहुति द्वारा यज्ञ करता है वह भी सही है, जो योग करता है वह भी सही है, जो कुछ न कर केवल ध्यान करता है वह भी सही है और जो लोकहितार्थ कर्म में रत है वह भी सही है।

स्वामी चिन्मयानन्द जी कहते थे ' जो दूसरे के लिए बाधक नहीं है वही साधक है' अर्थात वह प्रत्येक कार्य जो दूसरों के लिए अहितकर न हो वह सब साधक है।

श्रद्धेय अशोक सिंहल जी कहा करते थे 'किसी को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि हिन्दू समाज किसी एक के आश्रय में है। यहाँ बड़े-बड़े आध्यात्मिक सम्राज्य कार्य करते हैं। वह लोगों को दिशा दे रहे हैं। यह अलग बात है कि आप किसी विशेष क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और उस क्षेत्र में उनके जागरण का लाभ आपको भी प्राप्त हो रहा है।'

जब किसी को यह लगने लगता है कि सब कुछ उसके करने से ही हो रहा है तब आसुरी सम्पदा का आविर्भाव होता है और उसे लगता है कि यह धरती उसके द्वारा संचालित हो रही है तथा हर व्यक्ति को ठीक करना उसका ही कार्य है। भले ही वह स्वयं होश में न हो लेकिन पूरे समाज को होश में लाने का दम्भ भरने लगता है।

03/02/2024

ये है अरुण योगिराज जिन्होंने इतनी सुंदर राम जी की मूर्ति को आकार दिया है ।

21/10/2023

आज (20 अक्टूबर) नवरात्रि का छठा दिन है। शक्तिपीठों की यात्रा के छठे पड़ाव पर हम आए हैं देवघर (झारखंड) की जय दुर्गा शक्तिपीठ। इसे हृदयपीठ भी कहते हैं, क्योंकि यहां देवी सती का हृदय गिरा था। इस शक्तिपीठ के साथ ही बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी स्थित है। ये मंदिर राजधानी रांची से करीब 250 किमी दूर स्थित है।

19/10/2023

बंगाल में घट स्थापना और दुर्गा उत्सव 20 अक्टूबर को:श्रीराम ने नवरात्रि के छठे दिन शुरू किया था देवी पूजन, असमय होने से इसे कहते हैं अकाल बोधन

पश्चिम बंगाल में घट स्थापना के साथ दुर्गा उत्सव की शुरुआत 20 अक्टूबर से होगी। पांच दिनों के इस महोत्सव को महाषष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयदशमी के रूप में मनाते हैं। नवरात्रि की छठी तिथि पर कल्पारम्भ यानी देवी का आह्वान करते हैं। इसे अकाल बोधन कहते हैं। दशहरे के दिन देवी का विसर्जन होता है। दुर्गा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा होती है।

पहले मां दुर्गा की पूजा चैत्र महीने में ही हुआ करती थी। भगवान राम ने रावण को हराने के लिए पहली बार अश्विन माह में देवी की पूजा की, इसलिए बंगाल में इसे अकाल बोधन कहते हैं। यानी असमय पूजा।

कथा के मुताबिक रावण को हराने के लिए भगवान राम को शक्ति चाहिए थी। इसके लिए उन्होंने देवी दुर्गा की उपासना शुरू की, लेकिन देवी दुर्गा की शर्त थी कि राम 108 नीलकमल से पूजा करें। फिर हनुमान 108 नीलकमल लाए।

देवी दुर्गा परीक्षा लेने के लिए एक फूल छिपा लेती हैं। ऐसे में परेशान राम, जिनकी आंखें नीलकमल सी हैं, वो अपनी एक आंख निकालकर मां पर चढ़ाने लगते हैं। तभी मां दुर्गा विजयी भव का आशीर्वाद देती हैं। नवरात्र में अष्टमी-नवमी की रात राम-रावण के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इसलिए आज भी आधी रात को विशेष पूजा की जाती है।

05/04/2020

दोस्तों; मेरा ये संदेश आप उन दोस्तों को हैं जो देश के साथ हैं ।
जो भाई अपने को सच्चा हिंदू मानता है वह इस पेज को जरूर लाईक करेगा ताकि हम सब मिलकर देश विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट हो सके।।।।धन्यवाद

05/04/2020

आओं मिलकर सफल बनाए।
मैं दीपक जलाकर 9 मिनट देश को जरूर दूंगा ।।।

23/10/2019

वैसे तो देश में लक्ष्मीजी के कई खूबसूरत मंदिर हैं पर चेन्नई के आडयार समुद्र तट पर बना अष्टलक्ष्मी मंदिर बेहद खास है। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों की प्रतिमा स्थापित हैं। देवी लक्ष्मी के अलावा यहां भगवान विष्णु के 10 अवतार, गणेशजी और अन्य कई देवी-देवाताओं की भी मूर्तियां हैं। इस मंदिर में महालक्ष्मी, धनलक्ष्मी, शांता लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, गजालक्ष्मी, आदिलक्ष्मी, धैर्यलक्ष्मी और ध्यान लक्ष्मी आदी रूपों में लक्ष्मी जी की मूर्तियां स्थापित हैं। लक्ष्मीजी के ये स्वरूपों की पूजा का फल इनके नाम के अनुसार ही मिलता है।

विशाल गुंबद वाला ॐ के आकार में बना मंदिर
चेन्नई में स्थित ॐ के आकार में बना माता अष्टलक्ष्मी मंदिर देवी लक्ष्मी के सभी स्वरूपों को समर्पित है। यहां देवी लक्ष्मी के 8 स्वरूप विराजमान हैं, इसलिए इसे अष्टलक्ष्मी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार, यहां अष्टलक्ष्मी के दर्शन करने से श्रद्धालुओं को धन, विद्या, वैभव, शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है। बाहर से मंदिर बेहद खूबसूरत है। दक्षिण भारत के अन्य मंदिरों की तरह ही, यह मंदिर भी विशाल गुंबद वाला है।

32 कलशों वाला तीन मंजिला मंदिर
मंदिर का निर्माण 1974 में आरंभ किया गया था। इस मंदिर का निर्माण निवास वरदचेरियार की अगुवाई में बनी समिति ने करवाया था। 5 अप्रैल 1976 से इस मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना शुरू हुई थी। यह मंदिर 65 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा है। यह तीन मंजिला मंदिर है, जिसके चारों ओर विशाल आंगन हैं। मंदिर की वास्तुकला उथिरामेरुर में सुंधराराज पेरुमल मंदिर से ली गई है। 2012 में, मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में कुल 32 कलशों को नवनिर्मित किया गया था, जिसमें गर्भगृह के ऊपर 5.5 फीट ऊंचा गोल्ड प्लेटेड कलश भी शामिल है।

चढ़ाते हैं कमल का फूल
विशाल गुंबद वाले अष्टलक्ष्मी मंदिर में देवी लक्ष्मी की सभी प्रतिमाएं अलग-अलग तल पर स्थापित की गई हैं। यहां पूजन की शुरुआत दूसरे तल से होती है, जहां देवी महालक्ष्मी और महाविष्णु की प्रतिमा रखी गई हैं। तीसरे तल पर शांता लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और गजालक्ष्मी विराजमान हैं। चौथे तल पर सिर्फ धनलक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा पहले तल पर आदिलक्ष्मी, धैर्यलक्ष्मी और ध्यान लक्ष्मी का तीर्थस्थल है। सभी प्रतिमाएं घड़ी की सुईयों की दिशा में आगे बढ़ने पर दिखाई देते हैं। अंत में नवम मंदिर है, जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। दाम्पत्य जीवन का सुख मांगने वाले भक्त, इसके दर्शन किए बिना नहीं जाते। यहां कमल के फूल चढ़ाने की पंरपरा है।

23/08/2019

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज : कान्हा के दर्शन से पहले जान लें ये जरूरी बात

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर इस वर्ष भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। श्रद्धालुओं में 23 और 24 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी के पर्व को लेकर शंका है। हालांकि अधिकतर ज्योतिषाचार्य 23 अगस्त की रात को ही रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी पर्व का उत्तम मुहुर्त बता रह हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र के संयोग में मनाया जाता है। वैसे इस तिथि को लेकर अक्सर हर वर्ष असमंजस की स्थिति रहती है। इसके अलावा अलग-अलग मान्यताओं के चलते स्मार्त यानी वैष्णव और शैव सम्प्रदाय के लोग अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते रहे हैं।

इस वर्ष भी इस पर्व को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोग 23 और 24 अगस्त को लेकर उलझन में हैं। हालांकि, प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य कृष्ण शंकर मिश्र का कहना है कि 23 अगस्त की रात अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसलिए 23 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना उत्तम रहेगा।

आचार्य कहते हैं कि 24 अगस्त को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र तो मिलेगा, लेकिन अष्टमी तिथि नहीं रहेगी। ऐसे में 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का उत्तम मुहुर्त नहीं बन रहा है।

वृंदावन के आचार्य पण्डित रसिक विहारी शास्त्री भी 23 अगस्त की रात में ही जन्माष्टमी के लिए उत्तम मुहुर्त बता रहे हैं। उनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस लिहाज से यह दोनों संयोग 23 अगस्त को बन रहे हैं। ऐसे में 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना शुभ होगा।

पूजा के दौरान भूल से भी न करे ये काम

इस बीच बताते चले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों से चल रही है। कई लोग परिवार संग जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के दर्शन करने की योजना कर रहे हैं। अगर आप भी श्रीकृष्ण धाम जाकर उनके दर्शन करने वाले हैं तो भूलकर भी उनकी पीठ न देखें। ऐसा करना आपको नुकसान दे सकता है।

भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन न करने के पीछे एक प्रचलित कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध का एक साथी असूर कालयवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा।

जानकारी के लिए बताते चले जब कालयवन श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर ललकारने लगा। तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले और इस तरह रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़ पड़ गया। कृष्ण के वहां से भागने की भी एक वजह थी। श्रीकृष्ण जानते थे कि उनका सुदर्शन कालयवन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कालयवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे. दूसरा, कृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल शेष रहता है।

जब कृष्ण रण छोड़कर भागने लगे तो कालयवन उनकी पीठ देखते हुए भागने लगा और इसी तरह उसका अधर्म बढ गया। ऐसा कहा जाता है कि भगवान की पीठ पर अधर्म का वास होता है और उसके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता है।

कालयवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया तो कृष्ण एक गुफा में चले गए, जहां मुचुकुंद नामक राजा निद्रासन में था। मुचुकुंद को देवराज इंद्र का वरदान था कि जो भी व्यक्ति राजा को निंद से जगाएगा और वो उनकी नजर पड़ते ही भस्म हो जाएगा।

12/08/2019

पाकिस्तान ने स्कर्दू एयरबेस पर शनिवार को तीन सी-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भेजे
खुफिया विभाग के मुताबिक- पाक जेएफ-17 फाइटर जेट को भी स्कर्दू एयरफील्ड में तैनात कर सकता है।।।।।

11/08/2019

गीतामय हुआ लंदन शहर, पवित्र श्‍लोकोच्‍चारण व शंख ध्‍वनि से जागृत हुआ ब्रिटेन
आज यहां का नजारा बेहद अद्भूत था। पाश्‍चात्‍य संस्‍कृ‍ति वाले देश ब्रिटेन में भारतीय धर्म और संस्‍कृति का परचम लहरा रहा है। भगवत गीता के पवित्र श्‍लोकों के उच्‍चारण और शंखनाद से यहां का वातावरण गूंज रहा था। इसके लंदन के संग मानो पूरा ब्रिटेन जागृत हो रहा था। लंदन में अंतरराष्‍ट्रीय गीता महोत्‍सव के दूसरे दिन भारी संख्‍या में लोग उमड़े और चारों ओर पीत वस्‍त्र धारण किए जनसमूह दिख रहा था।
अंतरराष्‍ट्रीय गीता जयंती महोत्‍सव के दूसरे दिन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के लोगान हाल में भव्‍य समाराेह का आयोजन हुआ। इसमें गीता मर्मज्ञों ने भगवत गीता पर व्याख्यान दिए। समारोह में ब्रिटेन के विभिन्न शहरों के काफी संख्‍या में लोग आए। इनमें भारतीय मूल के लोगों के साथ-साथ ब्रिटिश नागरिक व अन्‍य देशों के लोग भी थे।

11/08/2019

वाराणसी की मुस्लिम बहनों ने PM नरेंद्र मोदी को भेजी दो स्पेशल राखी, आगबबूला हो गए मौलाना

यह सभी गा रही हैं-
मोदी भईया ने राखी के बंधन को निभाया।

लाज रखी मुस्लिम बहनों की, तीन तलाक हटाया।

आवाज सुनी कश्मीरी बहनों की, अनुच्छेद 370 हटाया।

दे दी आजादी लद्दाखी बहनों को, केंद्र शासित बनाया।

इज्जत रखी बहनों की भईया ने, घर-घर शौचालय बनाया।

मोदी भईया ने राखी के बंधन को निभाया।

Photos from Hindu the Great's post 11/08/2019

बेयर ग्रिल्स ने पीएम मोदी को बताया आइकॉनिक वर्ल्ड लीडर
पीएम मोदी के साथ Man vs Wild का स्पेशल शो करने पर बोले होस्ट बेयर ग्रिल्स। ग्रिल्स से ओबामा और मोदी के बीच समानता को लेकर सवाल पूछा गया था। ग्रिल्स बोले- ओबामा और मोदी दोनों ही पर्यावरण से बेहद प्यार करते हैं। दोनों ने अपने-अपने देश में उसके लिए काफी काम किया है। ओबामा की तरह ही मोदी भी ताकतवर और आइकॉनिक वर्ल्ड लीडर हैं.

10/08/2019

कोटा (राजस्थान) - रामगंज मंडी में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का जश्न मना रहे RSS कार्यकर्ता की 5 जिहादियोंं ने की पिटाई, हालत गंभीर

देश में ‘असहिष्णुता’ का रोना रोनेवाले अब कहां है ?

10/08/2019

#अगर #भगवा पहनना,
#भगवा तिलक #लगाना और
#भगवा भक्त कहलाना..
#साम्प्रदायिकता है तो
मै #बार-बार #साम्प्रदायिक कहलाना #पसंद करूंगा...

🚩🚩!!जय जय श्री राम!!🚩🚩

08/08/2019

14 प्वाइंट में मोदी की 40 मिनट की स्पीच👌👌
1. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नए युग की शुरुआत
2. अनुच्छेद 370 के नुकसान की कभी चर्चा ही नहीं हुई
3. देश की भलाई के कामों से कश्मीर के डेढ़ करोड़ लोग वंचित थे
4. अब जम्मू-कश्मीर जल्द नकारात्मक परिणामों से बाहर आएगा
5. गवर्नर रूल के दौरान गुडगवर्नेंस का असर जमीन पर दिखा
6. लाखों को पंचायत और नगरपालिका के चुनावों में वोट देने का अधिकार नहीं था
7. जम्मू-कश्मीर में तेजस्वी विधायक आएं, ओजस्वी मुख्यमंत्री बनें
8. बहनों-बेटियों से आग्रह है, अपने क्षेत्र के विकास की कमान संभालें
9. कश्मीर-लद्दाख में सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता
10. कश्मीर का बच्चा खेल की दुनिया में हिंदुस्तान का नाम रोशन करेगा
11. लद्दाख में स्पिरिचुअल टूरिज्म केंद्र और सोलर पावर बनने की क्षमता
12. कश्मीर और लद्दाख की चिंता 130 करोड़ भारतीयों को है
13. हालात बिगाड़ने वालों को कश्मीर के लोगों ने ही धैर्य से जवाब दिया
14. निश्चित करेंगे, ईद मनाने में कोई परेशानी ना आए

06/08/2019

#मातृशक्ति को सम्मान दिलाने वाले ...
दो #पुरोधा ....!

Sati was forced upon hindus by the Muslim invaders, our queen's were brutally r***d, paraded naked, sold as s*x slaves by the Muslim invaders when the king was defeated, Padmavati did Johar,because she did not want even her dead body to be mutilated, r***d by the invaders,they were so brutal. The British protected this as backward Indian culture, to brainwash the Hindus...Roy was serving in the east India company, a thoroughly brainwashed hindu who liked the western culture. The British used him to propogate this nonsense and further degrading Hinduism. Roy later became a Christian. There are more reasons for sati forced.
But be clear that a Dharma which gives ultimate respect to feminism, even our marriage vows gives extreme respect to feminism, the husband cannot force himself on wife without her consent, never did have Sati as tradition..
Post credit: Sri Nithya Digambarananda

06/08/2019

- Kashmir is the land of Shankaracharya.
- Kashmir is the where Soundarya Lahiri was written.
- Kashmir is the land of Shakti cult.
- Kashmir is the birthplace of Patanjali.

Reclaiming Kashmir is the start of Hindu Renaissance.

Bhagwa Is Coming

05/08/2019

कश्मीर से , धारा 370 का हटना एक बड़ी भूल को सुधारना है । अब कुर्ता फाड़ो या छाती पीटो, ये नया भारत है, न डरेगा न झुकेगा । बस आगे बढ़ेगा । जय हिंद ।

05/08/2019

मोरेगांव में मूर्ति को जलाया नहीं गया, बल्कि उसपर बिजली गिरी थी
कुछ समय से एक खबर वायरल हो रही है जिसमे एक मूर्ति को जली हुई हालत में देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ लिखे कैप्शन के अनुसार यह मूर्ति महाराष्ट्र के मोरेगांव में है जहाँ तोड़फोड़ की गयी और मूर्ति को आग लगा दी गयी। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में इस भगवन शिव की मूर्ति की ये हालत तोड़फोड़ की वजह से नहीं बल्कि बिजली के गिरने से हुई थी।

वायरल पोस्ट में भगवान् शिव की एक मूर्ति को जली हुई हालत में देखा जा सकता है। पोस्ट में क्लेम लिखा है “हिँदुयों के पवित्र सावन महीने में महाराष्ट्र के मोरगांव में महादेव के प्राचीन मंदिर में तोड़फोड़ की गई और महादेव की मूर्ति को आग लगा दी गयी। जी क्या सिर्फ हिन्दू पर ही अत्याचार होगा?कभी प्रसाद में ज़हर मिला कर कभी मंदिर, मूर्तियों पर हमला कर के? कहा मर गए .” पोस्ट में लिखा है कि इस मूर्ति को कुछ लोगों द्वारा आग लगाई गयी है।
पड़ताल को शुरू करने के लिए हमने इस वायरल तस्वीर को “Shiva idol vandalised in Moregaon मोरेगांव ” कीवर्ड्स के साथ गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। इस सर्च में हमारे हाथ ‘द वीक’ की एक स्टोरी लगी जिसमे लिखा था “गोंदिया जिले की अर्जुनी मोरगाँव तहसील में एक पहाड़ी पर स्थापित एक शिव मूर्ति क्षतिग्रस्त मिली, संभवतः बिजली से, पुलिस ने शुक्रवार को कहा। 15 फीट लंबी मूर्ति शुक्रवार को आधी जली हुई अवस्था में पायी गयी थी। प्रारंभिक निरीक्षण यह सुझाव देता है कि इसका कारण बिजली हो सकती है।”

03/08/2019

नमस्कार दोस्तों ।धर्म के नाम पर कुछ लोग रात को धर्म परिवर्तन कराने का कुकृत्य चंडीगढ़ के नजदीक डेरा बस्ती टोल के साथ अपनी टीम को लेकर करने मे लगे हुए थे ।
वहा मोके पर कुछ हिन्दू भाईयों ने भोलेभाले लोगो को गुमराह होने से बचा लिया ।
वीडियो देखें ओर सोचे कि कैसे हिन्दू धर्म आज सभी तरफ से खतरे से घिरा हुआ है ।
वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।

03/08/2019

बरेली : कलावा पहनकर खालिद ने हिन्दू लडकी से पहले दोस्ती कर प्रेमजाल में फंसाया, फिर 4 बार बलात्कार कर वीडियो बनाया

इस घटना पर सभी बुद्धिजीवीयों ने ‘सेक्युलर मौन’ धारण किया है, क्योंकि आरोपी शांतिदूत’ है !

उत्तर प्रदेश के बरेली में एक हिन्दू लडकी को खालिद नाम के युवक द्वारा प्रेमजाल में फंसाने, बलात्कार करने और उसका अश्लील वीडियो बनाकर नाबालिग को ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया है।

युवती ब्यूटी पार्लर में नौकरी करती है और रोज ऑटो से आती-जाती है। इस दौरान उसकी मुलाकात ऑटो चालक से हुई, जिसने उसे अपना नाम अमन बताया। अमन ने ख़ुद को हिन्दू बताया और वो उसके साथ कई बार मंदिर भी गया। स्वयं को हिन्दू बताने के लिए उसने अपने हाथ में कलावा बांधा हुआ था और कडा भी पहन रखा था। खालिद ने नाबालिग को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उससे दोस्ती बढ़ाई। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया और उसका अश्लील वीडियो भी बनाया।

03/08/2019

मिट्टी की गणेशमूर्ती को देखकर हमें आनंद का अनुभव क्यों होता है ?

🌸 अध्यात्मशास्त्रानुसार चिकनी मिट्टी की मूर्ति में वातावरण में विद्यमान गणेश तत्त्व आकर्षित करने की क्षमता अधिक होती है । वह क्षमता सब्जी, पेपर, नारियल या अन्य वस्तुओं में नही है । अर्थात पूजक को उस वस्तुओं से बनी गणेशमूर्ती की पूजा करने से लाभ नहीं होता ।

🌸 चिकनी मिट्टी से बनी गणेशमूर्ती पानी में तुरंत घुल जाती है । इसलिए वह संपूर्णत: प्रदूषण विरहित होती है

03/08/2019

Hariyali Teej 2019: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस वर्ष यह 03 अगस्त दिन शनिवार को है। यह तीज भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण में आती है, इसलिए इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। भगवान शिव को पति स्वरुप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया था, जिसके फलस्वरुप भगवान शिव उन्हें प्राप्त हुए थे।

इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को हरियाली तीज की कथा जरूर सुननी चाहिए। उस कथा के सुनने से व्रत पूर्ण माना जाता है और महिलाओं को भगवान शिव से अखंड सुहाग का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

हरियाली तीज कथा

भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म की घटनाओं से अवगत कराने के लिए यह कथा सुनाई थी। हरियाली तीज व्रत की कथा कुछ इस प्रकार से है —

भगवान शिव शम्भू पार्वती जी से कहते हैं- हे देवी! बहुत समय पूर्व तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठोर तप किया था। उस दौरान तुमने सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर अपने दिन व्यतीत किए थे। धूप, गर्मी, बरसात, सर्दी हर मौसम में तुमने अपना तप जारी रखा। इससे तुम्हारे पिता पर्वतराज काफी दुखी थे। इसी बीच नादर मुनि तुम्हारे घर पहुंचे। तुम्हारे पिता ने उनसे आने का कारण जाना, तो नारद जी ने कहा कि वह भगवान विष्णु के आदेश पर यहां आए हैं। भगवान विष्णु आपकी पुत्री की कठोर तपस्या से प्रसन्न हैं, अत: वे उससे विवाह करना चाहते हैं। इस प्रस्ताव के संदर्भ में आपकी राय जानने के लिए मैं यहां आया हूं।

नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने नारद जी से कहा कि वह इसे प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु से करने के लिए तैयार हैं। पर्वतराज की स्वीकृति पाकर नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उनको विवाह के बारे में सूचित करते हैं। लेकिन जब इस विवाह की जानकारी तुम्हें होती है, तो तुम दुखी हो जाती हो क्योंकि तुम अपने मन से मुझे अपना पति स्वीकार कर चुकी हो।

भगवान शिव माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम अपने मन की पीड़ा सहेली से कहती हो। इस पर सहेली ने तुम्हें एक घनघोर वन में जाकर शिवजी की आराधना करने का सुझाव दिया। तुम मुझे प्राप्त करने के लिए वन में साधना करने लगती हो। जब इसके बारे में तुम्हारे पिता को ज्ञात हुआ तो वे दुखी हुए। वह सोचने लगे कि विष्णुजी बारात लेकर द्वार पर आएंगे और पुत्री घर पर नहीं होगी तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हें खोजने के लिए पृथ्वी और पाताल के हर कोने में अपने दूत भेजे, लेकिन तुम्हारा कुछ पता नहीं चला।

02/08/2019

‘शिव’ का अर्थ कल्याण एवं ‘लिंग’ का अर्थ प्रतीक होता है, अर्थात् उस परमात्मा की कल्याणकारी सृजनात्मक शक्ति का प्रतीक ही शिवलिङ्ग का शाब्दिक अर्थ है। शिवलिङ्ग पूजा गृहस्थों का परम धर्म है इसी धारणा से जहां कहीं भी कोई वृक्ष, पत्थर, पर्वत, शैलकूट यदि लिङ्ग की आकृति धारण किए हुए दिखता है, तो उसे भगवान् शिव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (मध्यप्रदेश) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उपेंन्द्र भार्गव ने अमरनाथ के वैदिक और पौराणिक महत्व पर रिसर्च की है।

डॉ. भार्गव के अनुसार अमरनाथ को अमरेश्वर भी कहा जाता है। स्कन्दपुराण में ‘महेश्वरखण्‍ड अरुणाचल माहात्म्य खण्‍ड’ में शिव के विभिन्न तीर्थों की महिमा की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि ‘‘अमरेश तीर्थ सब पुरुषार्थों का साधक बताया गया है, वहां ॐकार नाम वाले महादेव जी और चण्डिका नाम से प्रसिद्ध पार्वती जी निवास करती हैं। मान्यता है कि जब भगवान् शिव ने देवी पार्वती को अमरकथा सुनाने का निश्चय किया तब उन्होंने अपने समस्त गणों को पीछे छोड़ दिया और अमरनाथ की गुफा की ओर बढ़ते गये। जहां अनंत नामक नाग को छोड़ा वह स्थान अनन्तनाग और जहां शेष नामक नाग को छोड़ा वह शेषनाग नाम से विख्यात है। इसी प्रकार जहां उन्होंने अपने नंदी बैल को छोड़ा वह स्थान बैलग्राम हुआ और बैलग्राम से अपभ्रंश होकर पहलगाम बना। अभिप्राय यह है कि जिस स्थान पर अमरेश्वर ने अमरकथा सुनाई वह स्थान जनशून्य था। फलस्वरुप इन नगरों के नामों से ही हमें शिवसायुज्य का आभास आज तक हो रहा है यही उस अमरकथा की अमरता का वास्तविक प्रमाण है।

02/08/2019

सफलता कभी एकमुश्त नहीं मिलती, ये पड़ाव दर पड़ाव पार किया जाने वाला सफर है। अक्सर ऐसा होता है कि हम पड़ावों पर ही जीत के उत्सव में डूब जाते हैं, मंजिलें तो मिल ही नहीं पाती। छोटी-छोटी कामयाबियों का जश्न मनाना तो जरूरी है लेकिन इसके उत्साह में असली लक्ष्य को ना भूला जाए। अक्सर लोग यहीं मात खा जाते हैं।
> हमें अपना लक्ष्य तय करते समय ही यह भी तय कर लेना चाहिए कि हमारा मूल उद्देश्य क्या है और इसमें कितने पड़ाव आएंगे। अगर हम किसी छोटी सी सफलता या असफलता में उलझकर रह गए तो फिर बड़े लक्ष्य तक जाना कठिन हो जाएगा।
> महाभारत युद्ध में चलते हैं। कौरव और पांडव दोनों सेनाओं के व्यवहार में अंतर देखिए। कौरवों के नायक यानी दुर्योधन, दु:शासन, कर्ण जैसे योद्धा और पांडव सेना से डेढ़ गुनी सेना होने के बाद भी वे हार गए। धर्म-अधर्म तो एक बड़ा कारण दोनों सेनाओं के बीच था ही लेकिन उससे भी बड़ा कारण था दोनों के बीच लक्ष्य को लेकर अंतर। कौरव सिर्फ पांडवों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लड़ रहे थे।
> जब भी पांडव सेना से कोई योद्धा मारा जाता, कौरव उत्सव का माहौल बना देते, जिसमें कई गलतियां उनसे होती थीं। अभिमन्यु को मारकर तो कौरवों के सारे योद्धाओं ने उसके शव के इर्दगिर्द ही उत्सव मनाना शुरू कर दिया।
> वहीं पांडवों ने कौरव सेना के बड़े योद्धाओं को मारकर कभी उत्सव नहीं मनाया। वे उसे युद्ध जीत का सिर्फ एक पड़ाव मानते रहे। भीष्म, द्रौण, कर्ण, शाल्व, दु:शासन और शकुनी जैसे योद्धाओं को मारकर भी पांडवों के शिविर में कभी उत्सव नहीं मना।
> उनका लक्ष्य युद्ध जीतना था, उन्होंने उसी पर अपना ध्यान टिकाए रखा। कभी भी क्षणिक सफलता के बहाव में खुद को बहने नहीं दिया।

Timeline photos 21/08/2017

सिंधु और हिन्दू?
सिंधु शब्द का अर्थ नदी या जलराशि होता है इसी आधार पर एक नदी का नाम सिंधु नदी रखा गया, जो लद्दाख और पाक से बहती है। । हिन्दू शब्द उस समय धर्म की बजाय राष्ट्रीयता के रुप में प्रयुक्त होता था। चूँकि उस समय भारत में केवल वैदिक धर्म को ही मानने वाले लोग थे, बल्कि तब तक अन्य किसी धर्म का उदय नहीं हुआ था इसलिये "हिन्दू" शब्द सभी भारतीयों के लिये प्रयुक्त होता था। भारत में केवल वैदिक धर्मावलम्बियों (हिन्दुओं) के बसने के कारण कालान्तर में विदेशियों ने इस शब्द को धर्म के सन्दर्भ में प्रयोग करना शुरु कर दिया।

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मोदी जी स्टूडेंट्स को सफल होने का मंत्र दिया ।
नमस्कार दोस्तों ।धर्म के नाम पर कुछ लोग रात को धर्म परिवर्तन कराने का कुकृत्य चंडीगढ़ के नजदीक डेरा बस्ती टोल के साथ अपनी...

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