Vraj Darshan & photography

Vraj Darshan & photography

Krishna lived a simple pastoral life in Braj. Brajati gacchati iti brajah. “What moves around Braj is Braj: the cows, gopas, gopis, and Gopal.”

व्रज समुद्र मथुरा कमल, वृन्दावन मकरंद।
व्रजबनिता सब पुष्प हैं, मधुकर गोकुलचंद॥

12/02/2024

गोकुल में नंद बाबा मंदिर में बालकृष्ण भगवान श्री कृष्ण, नंद के लाला के अन्नकूट दर्शन

09/09/2023

🌟🎉 Join us in celebrating the divine and joyous Nand Mahotsav and Shri Krishna Janmashtami in the heart of Gokul! 🎉🌟

🕊️ Nand Utsav - A Celebration of Love and Togetherness 🕊️

Gokul is adorned with colors, music, and the blissful presence of Lord Krishna as we celebrate Nand Mahotsav and Janmashtami! This sacred occasion is not just a festival; it's a reflection of the enduring love between Mother Yashoda, Nand Baba, and their beloved Lord Krishna.

🥁 The Heartbeat of Gokul - The Festive Drumbeats 🥁

The rhythm of the dholak and the melodies of the flute resonate through the streets of Gokul, creating an atmosphere filled with devotion and merriment. Every step you take feels like a dance, and every moment is a celebration of the divine.

🌾 Embrace the Traditions 🌾
Don't miss the colorful Rangoli, the vibrant processions, and the mesmerizing reenactments of Krishna's childhood pastimes. It's a time when the entire community comes together to share stories, bhajans, and sweets in the spirit of unity and devotion.

🙏 Seek the Blessings 🙏

Let us bow our heads and open our hearts to the divine grace of Lord Krishna on this auspicious day. May His blessings fill our lives with love, joy, and prosperity.

Join us for this enchanting celebration of Nand Mahotsav and Shri Krishna Janmashtami. Let's make this year's festivities in Gokul unforgettable! 🌟🎊

27/02/2023
20/01/2023

Gokul ❤

10/01/2023

जय श्री कृष्ण👏🌹🌹

05/10/2022

Happy Dusshera

Photos from Braj Ras - Bliss of Braj Vrindavan's post 16/09/2022
11/09/2022

🌹 *संप्रदायमें सांजी का प्रकार* 🌹

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से सांजी उत्सव प्रारंभ होता है जो भाद्रपद कृष्ण अमावस्या तक चलता है ।

व्रजभक्तों द्वारा *सांजी भींत पर चंदन का लेपन करके उसके ऊपर फूल पत्ते से* चिति जाती थी। जो छोटी छोटी कुंवारी लड़कियों द्वारा करातो सहज-खेल के अंतर्गत को प्रकार हतो। उसमें संध्या देवी का भाव स्थापित करके पूजन और भोग धरने का प्रकार भी था। ( देखो किर्तन में )

आज सांजी कई प्रकार की होती है, फूलों की सांजी, रंगों की सांजी, गायके गोबरसे रची सांजी, जल के ऊपर सांजी, जल के नीचे सांजी।

सारस्वत कल्प के द्वापरयुग में नंदरायजी के वहां *पूर्णपुरषोत्तम ने प्रकट* होकर जो लीला करी है वोही स्वयं प्रभुने अष्टसखा को उन लीला के दर्शन कराए, जीसके कीर्तन उन्हों ने किये है।

*हमारे सेव्य प्रभु* वोही पूर्णपुरषोत्तम है। इस कारण से हम सेवा अंतर्गत सब मनोरथ हमारे सेव्य को अंगीकार कराते है, और उसी लीला के कीर्तन का आनंद लेते है।

वृषभानजी के घरआंगन में राधाजी सहेलियों के साथ यह सांजी सजाती थी । सांजी में श्रीराधाजी संध्या देवी का पूजन करती हैं, भोग धरती है। वोही परंपरा ब्रजवासियों ने अपना ली और प्रभु को रिझाने के लिए अपने घरों के आंगन में सांजी बनाने लगे। वोही प्रकार हमारी सेवा अंतर्गत सम्प्रदाय का प्रकार है।

*संप्रदायक़ी सांजी की सूचि*

संप्रदायमें सांजी भाद्रपद शुक्लपक्ष - पूनम से भाद्रपद कृष्णपक्ष - अमास तक , भोग संध्यामें करते है। जो दूसरे दिन सुबह मंगला आरती तक रहती है जिसमें व्रजयात्राके क्रम का भी आग्रह रखते है। जैसे

पूनम :- मधुवन- कूमुदवन
एकम :- शांतनूकुण्ड
बहूलावन
बीज :- राधाकुंड - दानघाटी
त्रीज :- चंद्र सरोवर आन्यौर
चोथ :- जतीपुरा गुलाबकुंड
पाचम :- कामवन -श्रीकुंड
छठ :- बरसाना गहेवरवन
सातम :- नंदगाव -संकेतवन
आठम :- कोटवन -शेषसाइ
नोम। :- चिरघाट -बच्छवन
दसम। :- वृन्दावन -बंसीबट
एकादशी :- महावन -ब्रम्हांड
घाट
द्वादशी :- गोकुल -रमणरेती
तेरस। :- मथुरा -विश्रामघाट
चौदस :- कल्पवृक्ष कामधेनु
अमावस :- कोट की आरती

नित्यमें *प्रभुको* सांजी का भोग अलग से धरने का प्रकार है। कइ जगह सांजी को भी भोग धरते है जो प्रभु के प्रसादी में से धरते है। उसका विसर्जन गौ ग्रास में होता है। अमावस को सांजी को भोग धरकर आरती करते है।

*साँजी के ४ प्रकार है*

*१. - पुष्पफूल से होती सांजी*
पुष्प की सांजी, कमल बेल पत्ते, रंगबे रंगी फूल से साँजी सजा के श्री सन्नमुख पधराते है या प्रभु वहां बिराजते है ।
फूल की सांजी स्वामिनी जी के भाव से सजाई जाती है।

*२.- केल के पत्ते की सांजी*
इसमे व्रज चोरियासी कोस की ब्रजयात्रा की सुन्दर लीला कलात्मक ढंग से कैची से सिद्ध करके सजाई जाती है।
यह चन्द्रावली जी से भाव से सजाई जाती है।

३. - *वस्त्र पर रंग की सांजी*
सफ़ेद वस्त्र के कपडे़ पर अलग अलग रंगो से छापा द्वारा वृजलीला एवम व्रज के स्थल छापते है ।
यह कुमारीका के भाव से धराइ जाती है।

*४. - जल की सांजी*
जल के ऊपर और जल के अंदर, रंगो से तैयार करते है।
यह श्रीयमुनाजी के भाव से धराई जाती है ।

😳 *सावधानता :-*🤔

सांजी में हो शके वहां तक *पशु पक्षी मनुष्य श्रीठाकोरजी बैठकजी श्रीमहाप्रभुजी श्रीयमुनाजी स्वरूप इत्यादी* नहीं करने यह उत्तम है। जब करते है तब दुसरे दिन इसका विसर्जन के समय सावधानता बरतनी जरूरी है।
🔹इस कारणसे ऐसी सांजी चित्रित करी है तब *दूसरे दिन उसको विसर्जीत करने से पहले (याने दूर करने से पहले) ऊपर सफेद रंग या शंखजीरु का भूका या फूल की पत्तियों को बिछाकर 'स्वरूप को तिरोहित करके' विसर्जित करनी है।*🔹

बाद में विवेक से हलके हाथों से या वस्त्र से ( *बुहारी से नहीं* ) उसका विसर्जन करना उचित है । *नहीं तो स्वरूप को अपमानित करने का और खंडित करने का* दोष लगने की संभावना है।

कहीं कहीं सांजी में पशु पक्षी की आकृति बनाते है उसमें *खान पान के पदार्थो काजु बादाम पिस्ता मिसरी का प्रयोग करते है वह शास्त्र वर्जित है।* और उसका प्रसाद के रूप में खान पान में लेना शास्त्र निषेध है।

*जैसे आम के गिरिराजजी मिसरी से गिरिराजजी बनाना, खोवा / दूध के मावा ( खोवा )से सूखे मेवा का प्रयोग करके 'भगवद स्वरूप' बनाना यह सब शास्त्र निषेध है।* उसको प्रसाद रूप में लेना वह आसुरी प्रकार हो जायेगा यह जघन्य अपराध है।

पुराण में एक प्रसंग है, जिस में, ब्राह्मणके छोटे बालक द्वारा मिट्टी की गाय बनाकर काटना साक्षात दोष बताया है। यहां पर ब्राह्मण को जो भिक्षा या दक्षिणामें आये द्रव्य का और अन्न का कारण दोष रूप पुराण में समजाया है।

संप्रदायमें भी यह बात बतायी है, देखो वार्ता *एक राजा दया भवैयावाली* २५२ / ६२ , जिसमे दया भवैयाने *साक्षात हत्या करी न हती* परंतु भवाई (नाटक) के अंतर्गत, ( सिर्फ नाटकीय प्रकार से दिखाने के लीये ही ब्राह्मण हत्या, स्त्री हत्या, बाळ हत्या, गौ हत्या, करी हती, जो सचमुच में हत्या नहीं थी फिर भी ) *वह हत्याएं उसके शरीर में हती।*

*येही भाव के कारण सांजी में कोई स्वरूप बनाते है तब ऊपर बताये 🔹 स्वरूप तिरोहित के प्रकार से तिरोहित का भाव प्रकट करके, सावधानता बरतनी उचित है।*

🙏 *शेष भगवद इच्छा*🙏

07/09/2022

Jai shri krishna 🙏

Photos from Braj ke Gaon   -  Glorifying Braja's Village Life's post 04/09/2022
05/08/2022

JSK 🙏

03/08/2022

Jai shri krishna ❤

28/07/2022

हरियारो सावन आयो

राग मल्हार ताल आड़ा चौताल
सखी री हरियारो सावन आयो
हरे हरे मोर फिरत मोहनसंग वसन मन भायो।।१।।
हरी हरी मुरली हरि संग राध हरी भूमि सुखदाईं।
हरे हरे वसन हरी द्रुमवेली हरी हरी पाग सुहाई।।२।।
हरी हरी सारी सखी सब पहेरे चोली हरी रंग भीनी।
"रसिक प्रीतम" मन हरित भयो हे तन मन धन सब दीनी.. सखी हरियारो सावन आयो।।३।।

16/07/2022

मेरी पहचान मेरा श्याम..
किसी को भी यह न उदास रखता,
सब को अपने चरणों के पास रखता..!!
गम न आये किसी को भी प्रभु,
सब पर अपनी कृपा बनाये रखता..!!
सुप्रभात जय श्रीकृष्ण

13/07/2022

गुरु दीक्षा
दीक्षा के द्वारा शिष्य में यह सामर्थ्य उत्पन्न होती है कि गुरु से प्राप्त ऊर्जा के द्वारा शिष्य के अंदर आंतरिक ज्योति प्रज्ज्वलित होती है, जिसके प्रकाश में वह अपने अस्तित्व को देख पाने में सक्षम होता है,दीक्षा से अपूर्णता का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है | गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है, ऐसा गुरु जब अपनी आध्यात्मिक / प्राणिक ऊर्जा का कुछ अंश एक समर्पित शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है ||
गुरु पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) पर्व पर गुरुदेव को शत् शत् नमन एवं प्रणाम

🙏🏻जय श्रीकृष्ण 🙏🏻

Photos from Jagannath Harrison's post 04/07/2022
04/03/2022

💮💮♻💮💮
*होली रे... 🎊*

श्याम से श्यामा बोली
चलो खेलेंगे होली
बाग है ये अलबेला
लगा कुंजो में मेला
हर कोई नाचे गाये
रहे कोई न अकेला
झूम कर सब ये बोलो
हर बरस आये होली ....

कभी वृंदावन खेलें
कभी बरसाने खेलें
कभी गोकुल में खेलें
कभी बरसाने खेलें
रंगी नंदगांव की गालियां
रँगी भानु की हवेली ...

ग्वाल तुम संग में लाना
मेरे संग सखियां होंगी
उन्हें तुम रंग लगाना
जहां वो भरती होंगी
तुम्हे मैं दूंगी गारी
काहे खेलत हो होरी .....

कभी रंग जाए राधा
कभी रंग जाए बिहारी
है कैसा मस्त महीना
है कैसी सुंदर नैना तिहारी....
चल हट चल हट कहते
काहे खेले ऐसी होरी

*💜 राधे राधे*
🍂🌾🍄🌞

Photos from Vraj Darshan & photography's post 25/02/2022

Shri yamune ❤

24/02/2022

ब्रज आई होरी सखियन मन मोद अंनत।
प्रिया प्रीतम के हाथ में गुलाल की झोली है॥

ललिता बिसाखा सखी प्यारी जु के संग में।
प्रियतम के संग ग्वाल बालन की टोली है॥

डफ बीणा बाज बाजत गाबत बसन्ती राग।
तन मन उमंग भरे सब बोले मीठी बोली है॥

परस्पर मले गुलाल गाल सखिन होत निहाल।
रंग अंग पिचकारी डार कान्ह करत ठिठोली है।

गुलाल केसर की बौछार अंग उमंग अपार।
रस रंग-माधुर्य छिड़कार मचे हो-हो होली है॥

*होरी के रसिया की जय हो*
🙌🏻🙌🏻🙌🏻🙌🏻🙌🏻🙌🏻

16/02/2022

पाकर पनाह तेरे दिल में साँवरे
हम मुक्कमल दीवाने हो गये...
दे दिया तूने पता अपने दिल का
हमने वहाँ अपना आशियाना बना लिया....
जय श्रीकृष्ण

09/02/2022

वह मोद न मुक्ति के मंदिर में !
जो प्रमोद भरा बृज धाम में है !!
इतनी छबि राशि अनंत कहां !
जितनी छवि सुंदर श्याम में है !!
शशि में न सरोज सुधा रस में !
न ललामि लता अभिराम में है !!
जय श्रीकृष्ण

09/02/2022

Videos (show all)

Shri yamuna ji
Yashoda Ghat GokulShri Yamune
🌟🎉 Join us in celebrating the divine and joyous Nand Mahotsav and Shri Krishna Janmashtami in the heart of Gokul! 🎉🌟🕊️ N...
Gokul
Gokul ❤
Gokul ❤
Gokul ❤
🌹 *संप्रदायमें सांजी का प्रकार* 🌹    भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से सांजी उत्सव प्रारंभ होता है जो भाद्रपद कृष्ण अमावस्या तक ...
पाकर पनाह  तेरे दिल में साँवरेहम मुक्कमल दीवाने हो गये...दे दिया तूने पता अपने दिल काहमने वहाँ अपना आशियाना बना लिया.......
वह मोद न मुक्ति के मंदिर में !       जो प्रमोद भरा बृज धाम में है !!इतनी छबि राशि अनंत कहां !       जितनी छवि सुंदर श्या...
*🎷बधाई हो बधाई हो बधाई हो*🎷〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️*यशोदोत्संगलालित,भक्तवत्सल,जगत प्रतिपालक,अखिल ब्रम्हांड के स्वामी करूणानिधान,...

Website