Shabnam Tour Guide

Shabnam Tour Guide

If you want Discover my beautiful country with wonderful experience, don’t hesitate to contact me

Photos from Shabnam Tour Guide's post 27/02/2024

Sun light and moon light

07/02/2024

Récolte de fourrage pour les animaux

07/02/2024

L huile de Sésame

02/02/2023
27/01/2023

Namaste.

En Inde, rien de tel que d’être accompagné par un guide qui maîtrise parfaitement la langue française, non seulement pour la communication et la compréhension, mais surtout pour avoir une personne à vos côtés, capable de répondre à toutes vos questions et vous garantir tranquillité et sécurité.

Parfois, les voyageurs sont stressés et déboussolés de découvrir des endroits et ne pas pouvoir s’informer dans leur langue maternelle. Partir en Inde avec un guide, c’est la garantie d’éviter ce type de craintes et de profiter au mieux de votre séjour.

Alors
Je suis là, a Votre service.
Merci

Photos from Shabnam Tour Guide's post 23/01/2023
21/01/2023

Bidla temple

21/01/2023

Hawa Mahal

21/01/2023

World's biggest Cannon at Jaipur in Jaigadh fort

11/12/2021

Still Today we are in dilemma 😢

Photos from Shabnam Tour Guide's post 30/08/2021

Happy janmashtami

Krishna est considéré comme le huitième avatar de Vishnu, le conservateur parmi la Trinité✨ Sa naissance est largement célébrée sous le nom de Krishna Janmashtami ou Gokul Ashtami❤️

Né dans un cachot de l'actuelle Mathura dans l'Uttar Pradesh à minuit de la reine Devaki et du roi Vasudeva, Krishna est décrit dans les épopées hindoues🇳🇪 comme le dieu de l'amour❤️, de la tendresse et de la compassion. Il est également salué comme un farceur qui a souvent utilisé ses pouvoirs suprêmes pour aider les autres, étourdissant ses amis et sa famille😊

Janmashtami est célébré l'ashtami de Krishna Paksha (phase de positionnement de la lune) ou le 8ème jour de la quinzaine sombre du mois de Bhadrapada. Cela tombe généralement en août ou en septembre. Cette année, Janmashtami sera célébré le 30 août. Puisque Krishna ✨est né à minuit, la puja pour lui est exécutée à Nish*ta Kaal. Cette année, ce sera entre 23h59 le 30 août et 00h44 le 31 août.

Les dévots observent rapidement le Janmashtami et le brisent après avoir effectué la puja ou le lendemain matin. La rupture du jeûne est appelée « Paran » en hindi, ce qui signifie la réussite du vœu

La description la plus populaire de Krishna se trouve dans le Mahabharata 📙en tant que conducteur de char d'Arjuna pendant la guerre de Kurukshetra. Il a gardé Arjuna du côté du « dharma ». Une autre description dit que Krishna est né pour mettre fin au règne tyrannique de Kansa👹. Sa maman, Devaki], craignait la prophétie selon laquelle son huitième enfant, serait tuer par Kansa. Krishna étant connu comme le conservateur du Dharma et le tueur d'Adharma [de l’injustice], sa naissance est célébrée dans tout le pays sous le nom de Janmashtami.

La célébration et les rituels🎉 commencent tôt dans la journée avec des fidèles décorant les idoles de Krishna de fleurs 🌿 et de « mor pankh » (plume de paon). Ils lui offrent son « maakhan » (beurre blanc) préféré, du lait caillé et du lait après sa naissance à minuit.

Les principaux temples de Krishna organisent la récitation de Bhagavata Purana et Bhagavad Gita❤️🌹

Prenez soin de vous 🙏

Photos from Shabnam Tour Guide's post 30/08/2021

Happy Janmashtami friends

24/07/2021

Un Sikh à Amritsar

Nirmala Sitharaman announcements: first 5 lakh tourist visas to be given free 28/06/2021

Nirmala Sitharaman announcements: first 5 lakh tourist visas to be given free Union Finance Minister Nirmala Sitharaman is asserting reduction measures to spice up well being infrastructure and exports amongst others.

27/06/2021

L Inde

Photos from Shabnam Tour Guide's post 24/06/2021

J’ai dix ans

Je sais que c’est pas vrai mais j’ai dix ans

Laissez-moi rêver que j’ai dix ans

Ça fait bientôt quinze ans que j’ai dix ans

Ça paraît bizarre mais

Si tu m’crois pas hé tar’ ta gu**le à la récré

J’ai dix ans

Je vais à l’école et j’entends de belles paroles doucement

Moi je rigole cerf-volant je rêve je vole

Si tu m’crois pas hé tar’ ta gu**le à la récré

Le mercredi je m’balade une paille dans ma limonade

Je vais embêter les quilles à la vanille et les gars en chocolat

J’ai dix ans

Je vis dans des sphères où les grands n’ont rien à faire

J’vois souvent dans des montgolfières des géants

Et des petits hommes verts

Si tu m’crois pas hé tar’ ta gu**le à la récré

J’ai dix ans

Des billes plein mes poches j’ai dix ans

Les filles c’est des cloches j’ai dix ans

Laissez-moi rêver que j’ai dix ans

Si tu m’crois pas hé tar’ ta gu**le à la récré

Bien caché dans ma cabane je suis le roi de la sarbacane

J’envoie des chewing-gums mâchés à tous les vents

Alain Souchon

22/06/2021

एक बहुत ही पहुंचे हुए फ़कीर थे।

देश विदेश में उनका नाम था।

बहुत दूर दूर तक जाकर सभाओं औऱ महफिलों में लोगों को अच्छी अच्छी ज्ञान की बातें बताते।

जो लोग भी उन्हें जानते उनका बहुत सम्मान करते क्योंकि उनकी लोकप्रियता सर्वत्र फ़ैली थी।

एक दिन वे फ़क़ीर भूल वश किसी ऐसे महफ़िल में चले गए जहाँ उन्हें कोई भी पहचानता नहीं था।

उनके वहां पहुँचते ही लोग उनका मज़ाक़ उड़ाने लगे क्योंकि वहाँ कोई भी उनकी सिद्धि,तप या साधना के बारे में नहीं जानता था ।

बाबा ने कहा... " देखो हम फ़क़ीर हैं ,आप सब हमारा मज़ाक़ न उड़ाएं,ऊपरवाला सब देख रहा है औऱ हमें अपना अपमान बर्दाश्त नहीं, हमें बहुत जल्द गुस्सा भी आ जाता है.."......

बाबा के इतना कहने के बावजूद भी लोग नहीं माने औऱ फिर भी ख़ूब हंसते रहे । पूरा का पूरा महफ़िल ठहाकों से गूंज रहा था।

बाबा को भी लग रहा था कि वे कहाँ पागलों की महफ़िल में आ गए ।

तभी अचानक सबको दिखना बंद हो गया औऱ सब के सब अंधे हो गए।

हालांकि फ़क़ीर को ख़ुद भी ये महसूस हो रहा था कि वे भी कुछ नहीं देख पा रहे हैं.....!!

वहाँ मौजूद सब के सब लोग बेहद हैरान थे।

किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था कि अब क्या करें।

सबको यही लग रहा था कि जरुर उस बाबा का मज़ाक उड़ाने की कोई सज़ा उन्हें मिली है।

अचानक एक एक करके सब बाबा के कदमों में गिर गए औऱ लगे गिड़गिड़ाने कि " बाबाजी...प्लीज हमें क्षमा कर दें , हमसे बड़ी भारी भूल हो गई...."...

बाबाजी ने अपना जूता उतारा औऱ सबको सिर पर एक एक जूता मारा....औऱ बोले.." सालों.. लाइट चली गई है...कोई जेनरेटर स्टार्ट करो............... मुझें भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है " .........

21/06/2021

😅😅😅

14/06/2021

एक फ़ुल ख़त्म होकर भी ख़त्म ना हुआ,
वह एक इतर बन गया,
अपने बच्चे का दामन का मित्र बन गया,
चन्द क़िस्से ख़त्म हो कर भी कभी ख़त्म होते नहीं,
इसलिए हम माँ को याद करके आजकल बार बार रोते नहीं..!

13/06/2021

एक वकील मोटरसाइकिल से जा रहा था. उसकी मोटरसाइकिल एक आदमी के कुछ ज्यादा ही पास से गुजरी और उसकी धोती थोड़ी फट गई, तो उसने वकील का हाथ पकड़ लिया और बोला जाता कहां है मेरी धोती फाड़ के... धोती के पैसे दे.
वकील बोला कितने की है... तो उस आदमी ने जवाब दिया सत्तर रुपए की.
वकील ने चुपचाप जेब से सत्तर रुपए निकाले और उस आदमी को दे दिए.
वह आदमी सत्तर रुपए लेकर जाने लगा... अब वकील नें उस आदमी का हाथ पकड़ लिया... बोला... जाता कहां है? सत्तर रुपए दिए हैं धोती के. धोती दे..
तब तक वहां पर काफी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी. सभी बोले कि जब उसने धोती के पैसे दे दिए तो धोती हो गई उसकी. दे भाई धोती.
उस आदमी ने कहा धोती दे दूंगा तो भरे बाजार नंगा घर कैसे जाऊंगा?
वकील बोला भाई इससे मुझे क्या मतलब... धोती अब मेरी है तू तो धोती दे.
भाई गिड़गिड़ाने पर आ गया और बोला भैया अपने सत्तर रुपए वापस ले ले मैं तो अपनी फटी धोती पहन के ही चला जाऊंगा.
वकील बोला धोती मेरी हो गई है अब तो मैं इसे 500 में दूंगा. चाहिए तो बोल.
जिसकी धोती फटी थी उसने पूरी भीड़ के सामने अपनी खुद की... सत्तर रुपए की... वह भी अब फटी हुई... धोती के... पांच सौ रुपए वकील को दिए.
...........
सबक : वकील से पंगा न लें......!!

09/06/2021

गॉंव का एक आदमी पहली बार अपने गाँव से कहीं बाहर जाने के लिए बस में सवार हुआ।

कंडक्टर ने ठीक ड्राइवर के पास वाली सीट पर उसे बैठा दिया।

बस चलते समय वह आदमी बड़े आश्चर्य से इतनी विशाल बस को चलाते ड्राइवर को ही देखता रहा।

एक घंटे बाद चाय पानी के लिए एक ढाबे के सामने बस रुकी और ड्राइवर भी चाय पीने चला गया।

वापस लौटा तो देखा कि गियर चेंज करने वाली रॉड गायब थी।

वो गुस्से से चिल्लाया, “यहाँ लगी गियर रॉड किसने निकाली?”

उसके पास की सीट पर बैठा वो देहाती आदमी बड़ी नम्रता से बोला, “साहब नाराज क्यों होते हो, रास्ते भर मैं कब से देख रहा हूँ कि, आप बस चलाते चलाते बार बार ये रॉड निकालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन निकाल नही पाए बस आप हिला ही पाए… मैंने अपनी पूरी ताकत से निकाल दी। ये लो।”
ड्राईवर अभी कोमा में है और होश आते ही फिर बेहोश होने की सम्भावना है।
सूर्य देवता पर केस करने वाला यह वही आदमी है जिसने बस का गियर लीवर निकाल दिया था 😂😂👇👇

05/06/2021

"पुरुषार्थ"
तस्वीर भारत विभाजन के समय की है। इतिहास के किसी दस्तावेज में यह दर्ज नहीं कि पुरुष के कंधे पर बैठी यह स्त्री उसकी पत्नी है, बहन है, बेटी है, या कौन है। बस इतना स्पष्ट है कि एक पुरुष और एक स्त्री मृत्यु के भय से भाग रहे हैं। भाग रहे हैं अपना घर छोड़ कर, अपनी मातृभूमि छोड़ कर, अपनी संस्कृति अपनी जड़ों को छोड़ कर...
तस्वीर यह भी नहीं बता पा रही कि दोनों भारत से पाकिस्तान की ओर भाग रहे हैं या पाकिस्तान से भारत की ओर भाग रहे हैं। मैं कपड़ो और दाढ़ी से अंदाजा लगाता हूँ तो लगता है कि सिक्ख हैं, और यदि सिक्ख हैं तो पाकिस्तान से भारत की ओर ही भाग रहे हैं। तस्वीर बस इतना बता रही है कि दोनों भाग रहे हैं, मृत्यु से जीवन की ओर... अंधकार से प्रकाश की ओर... "तमसो माँ ज्योतिर्गमय" का साक्षात रूप...

अद्भुत है यह तस्वीर। जब देखता हूँ तब रौंगटे खड़े हो जाते हैं। क्या नहीं है इस तस्वीर में? दुख, भय, करुणा, त्याग, मोह, और शौर्य भी... मनुष्य के हृदय में उपजने वाले सारे भाव हैं इस अकेली तस्वीर में।

पर मैं कहूँ कि यह तस्वीर पुरुषार्थ की सबसे सुंदर तस्वीर है तो तनिक भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। एक पुरुष के कंधे का इससे बड़ा सम्मान और कुछ नहीं हो सकता, कि विपत्ति के क्षणों में वह एक स्त्री का अवलम्ब बने।

आप कह नहीं सकते कि अपना घर छोड़ कर भागता यह बुजुर्ग कितने दिनों का भूखा होगा। सम्भव है भूखा न भी हो, और सम्भव है कि दो दिन से कुछ न खा पाया हो। पर यह आत्मविश्वास कि "मैं इस स्त्री को अपने कंधे पर बिठा कर इस नर्क से स्वर्ग तक कि यात्रा कर सकता हूँ" ही पुरुषार्थ कहलाता है शायद। पुरुष का घमंड यदि इस रूप में उभरे कि "मैं एक स्त्री से अधिक कष्ट सह सकता हूँ, या मेरे होते हुए एक स्त्री को कष्ट नहीं होना चाहिए" तो वह घमंड सृष्टि का सबसे सुंदर घमंड है। हाँ जी! घमंड सदैव नकारात्मक ही नहीं होता।

मुझे लगता है कि स्त्री जब अपने सबसे सुंदर रूप में होती है तो 'माँ' होती है, और पुरुष जब अपनी पूरी गरिमा के साथ खड़ा होता है तो 'पिता' होता है।

अपने कंधे पर एक स्त्री को बैठा कर चलते इस पुरुष का उस स्त्री के साथ चाहे जो सम्बन्ध हो, पर उस समय उस स्त्री को इसमें अपना पिता ही दिखा होगा। नहीं तो वह उसके कंधे पर चढ़ नहीं पाती।

कंधे पर तो पिता ही बैठाता है, और बदले में एक बार पुत्र के कंधे पर चढ़ना चाहता है। और वह भी मात्र इसलिए, कि पुत्र असंख्य बार कंधे पर चढ़ने के ऋण से मुक्त हो सके।

ऋणी को स्वयं बहाना ढूंढ कर मुक्त करने वाले का नाम पिता है, और मुक्त होने का भाव पुत्र... यह शायद मानवीय सम्बन्धो का सबसे सुन्दर सत्य है।

इतिहास को यह भी स्मरण नहीं कि मृत्यु के भय से भागता यह जोड़ा जीवन के द्वार तक पहुँच सका या राह में ही कुछ नरभक्षी इन्हें लील गए, पर वर्तमान को यह ज्ञात है कि सवा अरब की जनसँख्या वाले इस देश मे यदि ऐसे हजार कंधे भी हों तो वे देश को मृत्यु से जीवन की ओर ढो ले जाएंगे।

ईश्वर! मेरे देश को वैसी परिस्थिति मत देना, पर वैसे कंधे अवश्य देना ताकि देश जी सके, और जी सके पुरुषों की प्रतिष्ठा।

ताकि नारीवाद के समक्ष जब मेरा पुरुषवाद खड़ा हो तो पूरे गर्व के साथ मुस्कुराए और कहे 'अहम ब्रह्मास्मि....'

Copied

01/06/2021

एक अमीर व्यक्ति समुद्र में अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई और छुट्टी के दिन वह नाव लेकर अकेले समुद्र की सैर करने निकल पड़ा। वह समुद्र में थोङा आगे पहुँचा ही था कि अचानक एक जोरदार तूफान आ गया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गइ लेकिन वह लाइफ जैकेट के साथ समुद्र में कूद गया।

जब तूफान शान्त हुआ तब वह तैरता-तैरता एक टापू पर जा पहुँचा। मगर वहाँ भी कोई नहीं था। टापू के चारों ओर समुद्र के अलावा क़ुछ भी नजर नहीं आ रहा था।

उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिंदगी में किसी का कभी बुरा नहीं किया तो मेरे साथ बुरा नहीं होगा। उसको लगा कि ईश्वर ने मौत से बचाया है तो आगे का रास्ता भी वही दिखाएँगे। धीरे-धीरे वह वहाँ पर उगे झाङ-फल-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।

मगर अब धीरे-धीरे उसे लगने लगा था कि वह इस टापू पर फंस गया है। मगर अब भी ईश्वर पर उसका भरोसा कायम था। उसने सोचा इतने दिनों से मैं इस टापू पर मारा-मारा फिर रहा हूँ, क्यों न यहाँ एक झोपड़ी बना लूं। पता नहीं अभी और कितने दिन यहाँ बिताने पड़ें। पूरे दिन लकडि़यां और पत्ते वगैरह इकट्ठा कर उसने झोंपड़ी बनानी शुरू की। रात होते-होते उसकी झोंपड़ी बनकर तैयार हो गई थी।

अभी वह झोंपड़ी के बाहर खड़ा होकर उसे देखते हुए सोच रहा था कि आज से झोंपडी में सोने को मिलेगा। मगर अचानक से मौसम बदला और बिजली जोर-जोर से कड़कने लगी और एक बिजली उसकी झोंपड़ी पर गिर गई। उसके देखते ही देखते झोंपड़ी जलकर खाक हो गई। यह देखकर वह व्यक्ति टूट गया।

उसने आसमान की तरफ देखकर बोला, हे ईश्वर ये तेरा कैसा इंसाफ है। तूने मुझ पर अपनी रहम की नजर क्यों नहीं की? मैंने हमेशा तुझ पर विश्वास बनाए रखा। फिर वह इंसान हताश और निराश होकर सर पर हाथ रखकर रोने लगा।

अचानक ही एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतर कर दो आदमी बाहर आए और बोले कि हम तुम्हें बचाने आए हैं। दूर से इस वीरान टापू में जलती हुई झोंपडी देखी तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत में है। अगर तुम अपनी झोंपडी नहीं जलाते तो हमें पता नहीं चलता कि टापू पर कोई है।

उस आदमी की आंखों से आंसू गिरने लगे। उसने ईश्वर से माफी मांगी और बोला कि हे ईश्वर मुझे क्या पता था कि तूने मुझे बचाने के लिए मेरी झोंपडी जलाई थी। अब तो मैं बिलकुल निश्चित हो गया कि आप अपने भक्त का हमेशा ख्याल रखते हैं। आपने मेरे सब्र का इम्तेहान लिया, मुझे माफ कर दें।

इसलिए ईश्वर पर भरोसा रखें....सब ठीक हो जाएगा....सिर्फ़ हौसला कायम रहना जरूरी है.

27/05/2021

Les coulours de pays

मोहल्ले में बच्चों को पढ़ाने वाली मैडम के घर आटा और सब्जी नहीं है मगर वह सादगी से रहने वाली महिला बाहर आकर मुफ़्त राशन वाली लाइन में लगने से घबरा रही है।
फ्री राशन वितरण करने वाले युवाओं को जैसे ही यह बात पता चली उन्होंने जरूरतमंदों में फ्री आटा व सब्जी बांटना रोक दिया।
पढ़े लिखे युवा थे सो आपस में राय व मशवरा करने लगे.. बातचीत में तय हुआ कि *ना जाने कितने मध्यवर्ग के लोग अपनी आंखों में ज़रूरत का प्याला लिए फ़्री राशन की लाइन को देखते हैं पर अपने आत्मसम्मान के कारण करीब नहीं आते।
मशवरा करने के बाद उन्होंने फ़्री राशन वितरण का बोर्ड बदल दिया और दूसरा बोर्ड लगा दिया : *जिस में लिखा था कि स्पेशल ऑफ़र :
“हर प्रकार की सब्जी 15 रूपए किलो, मसाला फ़्री, आटा- चावल-दाल 15 रूपए किलो”
बोर्ड देख कर *भिखारियों की भीड़* छंट गई और मध्यवर्गीय परिवार के मजबूर लोग हाथ में दस बीस पचास रूपए पकड़े ख़रीदारी की लाईन में लग गए।
अब उन्हें इत्मीनान था, आत्मसम्मान को ठेस लगने वाली बात नहीं थी।
इसी लाइन में बच्चों को पढाने वाली मैडम भी अपने हाथ में मामूली रकम लेकर पर्दे के साथ खड़ी थीं उनकी आंखें भीगी हुई थी पर घबराहट ना थी।
उनकी बारी आई सामान लिया पैसे दिए और इत्मीनान के साथ घर वापस आ गईं।
सामान खोला देखा कि जो पैसे उन्होंने ख़रीदारी के लिए दिए थे वह पूरे के पूरे उनके सामान में मौजूद हैं।
नौजवानों ने उनका पैसा वापस उस समान के थैले में डाल दिए था l
युवक हर ख़रीदारी के साथ यही कर रहे थे यह सच है कि सेवा व तरीका जहालत और भोंडेपन पर भारी है l
मदद किजिए पर किसी के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाइए !
ज़रूरतमंद सफ़ेद कालर वालों का भी ख़्याल रखिए और इज़्ज़तदार मजबूरों का आदर किजिए.....
और यकीन रखिए कि ईश्वर आप पर अधिक नजर रखता है l
“मदद भिखारी की भी करे.. पर तरीके से..”🙏🙏

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26/05/2021

La beauté naturelle et la souris naturelle.

23/05/2021

Jaipur , la ville rose , en confinement

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L huile de Sésame

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