subodh Kunwar
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आप बीती
Bhuli bisari kahani
आज अगर चीन भारत सीमा को लेकर कोई खास बात नहीं सुलझा रहा है तो फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर कि जुबानी गहरी खाई कि मिट्टी से तरसा हुआ तर्क लगता हैं। चीन एलन मास्क कि भारत में एंट्री से बखुलाया हुआ है चुकी इंटरनेट एक ऐसी करी है जिससे भारत चीन से मुकाबला कर सकता है, कोई भी सेना हो सूचना उसकी निगाहें होती हैं और सहयोग उसे उत्साहित करती है लेकिन चीन इसके विपरित भारत में इलेक्ट्रोनिक वाहन कि कुशल इंजीनियर वर्कर और मार्केट को टारगेट कर मास्क को दुविधा में डालना चाहता है क्योंकि व्यापार ही वह मार्ग है जिसके पहिए से चीन कि कमर तोड़ी जा सकती हैं। जब भारत चीन से अच्छी अपनी इंटरनेट इलेक्ट्रोनिक गाड़िया को अपनी मार्केट में उतारेगी तो सम्भव है व्यापार का वो दौर भारत में आएगी जिससे पुरे भारत को इलेक्ट्रोनिक कि दुनिया में नई मुकाम मिलेगा और अगर व्यापार अच्छी होगी तो विश्व मार्केट में चाइना कि टेढ़ी नीति यानी इस्तमाल और कोई जवाबदेही नहीं कि नीति को ठेस पहुंचेगी जिससे विश्व मार्केट पर उसका वर्चस्व खत्म होगा और फिर वो दौड़ भी आएगा जिसमे आइए और वेहिचक अपनी पूंजी को अपने निजी उपकरण में खर्च करे इसमें कोई हिचक नहीं कि नीति को बल मिलेगा, तकनीक फेल ना हो जाए,ये जो हिचक है वह किसी भी मिडिल क्लास के लिए रोग है जो ह्रदय में अगर चुभ जाए तो अस्वस्थ उनकी मंजिल बन जाती हैं , चुकी जापान ठोस और महंगा है इसलिए चाइना रोग को विस्तारित होने में मदद होती है और यह एक अवसर है जिसमें कामचलाउ ताकत को खत्म किया जा सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि चीन व्यापार के माध्यम से ही पूरी दुनिया को आंखे दिखा रहा है इसलिए इसे केवल व्यापार से जोर कर ना देखे । जय हिन्द स्पीक सुबोध
आज अगर दिल्ली गवर्नमेंट और दिल्ली LG के बीच तनाव चरम सीमा पर हैं तो एक बात साफ है इंडिया अलाएंस खुद को देश को सबसे ईमानदार अलाएंस घोषित कर रही हैं क्योंकि दिल्ली के विकास कार्य कि रुकावट ना तो अपराधी दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को दिख रही है और ना उनके घटक दल को क्योंकि इस दल के एक और नेता पोखरण परमाणु कार्यक्रम को ही नष्ट करने कि घोषणा कर यह साबित करना चाहती है कि वह आदर्श गांधीवादी विचारधारा को बढ़ावा दे रही हैं जबकि हकीकत है गांधी जी स्वयं अपनी दैनिक कार्य करते थे और जिम्मेवारी भी स्वयं लेते थे असहयोग आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा कि जिम्मेवारी स्वयं लेते हुए बीच में ही आंदोलन रोक दिया और राष्ट्रहित के लिए नई योजना बनाने में जुट गए लेकिन अरविंद केजरीवाल कारागार में जाने के बाद भी स्वयं कि सोच रहे हैं और ठिठोरा यह पीट रहे है कि बीजेपी अपने विरोधियों को दमन करने में ED और सीबीआई का गलत इस्तमाल कर रही हैं जबकि हकीकत है जो सोना जितना जलता है उतना निखारता है अब मोदीजी को ही ले लीजिए क्या कुछ नहीं बोला विपक्ष ने फिर भी बिना कोई आपत्ती याचिका कोर्ट में दायर किए जुटे रहे देश लोकहित में इसे कहते हैं वास्तविक गांधीवादी विचारधारा । जय हिन्द स्पीक सुबोध कुंवर
आज अगर रूस भारत से SU फाइटर जेट कि डिलीवरी को लेकर गंभीर सोच में डूबा है तो एक बात तो तय है कि मोदी गवर्नमेंट किसी भी हाल में विदेशी निर्भरता को कम करना चाहते है लेकिन सवाल है कोई मजबूत नीव भी तो होनी चाहिए क्योंकि सीमा सुरक्षा में रिस्क लेना किसी भी गवर्नमेंट के लिय निंदनीय कार्य हो सकता है क्योंकि यह बच्चो का खेल नहीं और ना ही कारगिल वार जैसी स्तिथि , सवाल है चीन और पाकिस्तान के पास पांचवी पीढ़ी का आत्यधुनिक फाइटर जेट है और दोनो से सीमा सहज स्तिथि में नहीं क्योंकि नरेंद्र मोदी बोलते है पीओके हमारी जान है और हम इसे हासिल कर के रहेंगे लेकिन इन शर्तों पर चीन से नहीं जीता जा सकता माना कि युद्धाओ कि नजर भाज कि भाती होनी चाहिए लेकिन एक कुशल यौद्घा के मनोबल के लिए अत्यधुनिक अस्त्र और शस्त्र भी होनी चाहिए माना अर्जुन अर्जुन था लेकिन विराट युद्ध में अर्जुन ने कौरव सेना को दिव्यास्त्र से पराजित किया था क्योंकि उस समय पुरे कौरव सेना के सामने अर्जुन अकेला था और हर यौद्ध अर्जुन नहीं होता क्या पता जिस सेना में दिलेरी कि कोई कमी ना हो इतिहास रचने का जज्बा हो अगर उस सेना को 10 कि जगह 25 शव उठाना परे और जीत मिल भी जाए तो क्या हम खुद को आदर्श सैनिक कि भूमि बोल पाएंगे क्योंकि हर मां अपने बच्चे कि स्लामती कि दुआ मांगती हैं चाहे वह भूमि हो या कोई स्त्री दूध कि कर्ज इतना गहरा होता है जो मर कर भी नहीं चुकाया जा सकता लेकिन ओबीसी से जुड़े होने के मगरुर में शायद नरेंद्र मोदी यह भुल रहे है।,,,यह भूमि उनकी नहीं जो गुलामी कि और धकेल दे बल्कि यह भूमि अपने शौर्य रक्त और आहुति से रंगने वाले वीर शिवा जी और महाराणा प्रताप कि है हमने कुशल नेतृत्व के लिए राज्य को संगठित किया था खुद को पॉपुलर और वर्चस्व में शामिल करने वाली लीडरशिप के लिए नहीं हम अगर खुन देना जानते है तो इस भुमि को स्वक्ष रखना भी ,,, गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने 6 साल और 9 साल के बच्चो को इसलिए जिंदा चुनवाने पर उफ भर या आंसू तक नहीं बहाया क्योंकि भूमि ने जीवन दिया है और मां भी इसी धरती कि बेटी है इसलिए भूमि प्रेम कि गाथा गुरु गोविंद सिंह जी कि मां ने अपने दोनो पोते को उनकी जीवन कि आखरी क्षणों में या पूरी रात सुनाई थी तब जा के यह देश महान बना है माना उस समय वह उनकी रक्षा करने में विफल रहे लेकिन वीर गति को प्राप्त होने से पहले ह्रदय में जो भय था वह निकल फेके ऐसी होती है मां लेकिन क्या वह किसी का कलेजा का टुकड़ा नहीं क्या जिन हाथों ने उन्हें खिलाया है उनसे अर्थी में कंधे कि आस नहीं रखते इसलिए मैं केवल इतना बोलना चाहता हूं, कुर्बानी हमारे बाप दादाओं ने देखी है और इस पर किसी कि तरप को भी गौर से देखा है क्योंकि जो जवान शहीद होते है वह अपने पीछे बिना स्नेह के बच्चे बिना छाव कि बीबी और आस लगाए मां कि ममता को छोर जाते हैं सती होने का तड़प हम जानते हैं इसलिए हमारी स्नेह से खिलवाड़ कर कोई नाम कमाना चाहे तो शायद हम पूर्व सैनिक या राजतांत्रिक सैनिकों या समाज को बर्दास्त नहीं आप तो Z श्रीनी कि सुरक्षा में होते हैं कभी लक्ष्मीबाई या कुंवर सिंह जी कि भाती सीधे मैदान से जुड़िए फिर पता चलेगा जंग क्या चीज होती हैं। जय हिन्द। स्पीक सुबोध कुंवर
आज अगर देश प्रशांत किशोर कि अभिभाषण सुन रहा है तो एक बात समझ नहीं आता आखिर इस देश में पॉलीटिशियन बनने के लिए या मंत्री या मुख्य राजनीतिक चेहरा बनने के लिए इस पृष्ठभूमि को कितना तोरा जाएगा क्योंकि प्रशांत किशोर यह बोल रहे है कि बीजेपी को बंगाल में उन्होंने हराया है नीतीश कुमार और लालू यादव नहीं गय थे। मै बात caa कि कर रहा हु जहा इसको लेकर विपक्ष और मुस्लिम लिडर विवाद खड़ा कर रहे है तो दूसरी तरफ प्रशांत किशोर यह बोल रहे हैं कि caa का कलंक और चुनामि असरदार उन्होंने बनाया है वर्ना आप मुस्लिम नागरिकता को लेकर अर्जी दे रहे होते, चुकी किसी भी सरकार को अपने नागरिक कि मानसिकता और स्नेह को सुसज्जित करने का हक बनता है लेकिन हर व्यक्ति राम नहीं जो केवल जनमानस के लिए अपनी अंग या बोले तो धर्म पत्नी का त्याग करे। प्रशांत किशोर लाख यह बोल ले कि caa से मुस्लिम समुदाय को क्षति और मानसिकता पर बुरा असर पड़ेगा लेकिन यह हकीकत है जहा धर्म है वहा यश है और जो धर्म को समझता है वह समाज को अंधेरे में नहीं डाल सकता , माना कि मुस्लिम समुदाय में एक भावना हो कि वह संख्या बल में दावेदारी पेश करे जो कि caa से थोड़ी बाधित हो सकती है तो सवाल है केवल एक समुदाय के लिए देश कि संस्कृति को कलंक करना किसी राजनैयिक रूप को शोभा नहीं देता, माना कि मुस्लिम इस देश में अयोग्य नागरिकता से नहीं रह सकता लेकिन एक सवाल हर व्यक्ति को चुभता होगा हर देश में एक अलग रीत है संस्था है जैसे कि शादी एक संस्था है रिवाज नहीं इस रिवाज से जुड़े कई व्यवधान और इससे जुड़ा कई इतिहास लेकिन केवल सामाजिक कुछेक भावना को बढ़ावा देने के लिए पुरी संस्कृति को दाग लगाना कोई समझदारी और जनहित नहीं अगर संस्कृति समझनी हो तो राजा राम से सीखिए कैसे पृत विवस्ता को भापते हुए एक राजा पद को ठोकर मार बनवास को स्वीकारते हैं जबकि वन में राजा भरत के लाख समझने पर भी राज्य नही स्वीकारते क्योंकि इससे दशरथ कि राष्ट्र प्रेम से अधिक वचन का और अपने पुत्रों में भेदभावना का ख्याल आम जनमानस तक फैलता पुत्र का काम ही है अपने पिता का मान और सौहरत को नई ऊंचाई देना और ये बात मर्यादा पुरूषोत्तम राम से अधिक कौन समझ सकता था मानता हु कि महाभारत काल में भीष्म ने भी अपने पिता के लिए भीष्म प्रतिज्ञा ली थी लेकिन इसमें उन्हें लौटने का जिक्र केवल शांतनु ने किया था सत्यवती ने नहीं क्योंकि उन्हें अपनी पुत्र कि चिंता थी राज्य कि नहीं शायद इसीलिए कहा जाता हैं नर में नारायण और स्त्री में ममता होती हैं लेकिन ऐसी इतिहास को ताक पर रख प्रशांत किशोर केवल अपनी हित और समाज को बेवकूफ बनाने कि बात करते हैं। दुनिया जानती हैं हमारा देश सोने कि चिड़िया था क्या सही नहीं कि उस समय कि मानसिकता और वर्तमान में राजनेताओं कि मानसिकता में संस्कार का फर्क है वर्ना हमारा देश आज भी सोने कि चिड़िया है और इसे सवारने का काम वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। जय हिन्द स्पीक सुबोध कुंवर
आज शनिवार है एक पुरानी याद है जो दुरियो में थे वह आखरी याद में है कल नया याद होगा क्योंकि कल के बाद नया साल है ,,, हैप्पी यंग इंडियन फॉर विश यू न्यू ईयर गुड नाईट
झुकता राजनीति
संसद भवन आज भी अभेद नहीं है
आर्थिक स्थिति