Anupam tiwari -Rinku
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राष्ट्रहित सर्वोपरि है, वोट करने के पहले सोचना जरूरी है, राष्ट्रहित कहाँ है ?
जय श्रीराम
ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी
पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा नहीं थी और इंसान पानी के लिए बूंद-बूंद तरसता था। तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया?
वापी का अर्थ होता है तालाब। ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब। काशी की छः वापियों का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है।
पहली वापी: ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।
दूसरी वापी: ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।
तीसरी वापी: कर्कोटक वापी, जो नागकुंआ के नाम से प्रसिद्ध है।
चौथी वापी: भद्रवापी, जो भद्रकूप मोहल्ले मे है।
पांचवीं वापी: शंखचूड़ा वापी, लुप्त हो गई।
छठी वापी: सिद्ध वापी, जो बाबू बाज़ार मे है और अब लुप्त हो गई।
अठारह (18) पुराणों मे से एक लिंग पुराण मे कहा गया है:
देवस्य दक्षिणी भागे वापी तिष्ठति शोभना।
तस्यात वोदकं पीत्वा पुनर्जन्म ना विद्यते।
इसका अर्थ है: प्राचीन विश्ववेश्वर मंदिर के दक्षिण भाग में जो वापी है, उसका पानी पीने से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है।
स्कंद पुराण मे कहा गया है:
उपास्य संध्यां ज्ञानोदे यत्पापं काल लोपजं ।
क्षणेन तद्पाकृत्य ज्ञानवान जायते नरः ।
अर्थात इसके जल से संध्यावंदन करने का भी बड़ा फल है, इससे भी ज्ञान उत्पन्न होता है, पाप से मुक्ति मिलती है।
स्कंद पुराण:
योष्टमूर्तिर्महादेवः पुराणे परिपठ्यते ।।
तस्यैषांबुमयी मूर्तिर्ज्ञानदा ज्ञानवापिका।।
अर्थात ज्ञानवापी का जल भगवान शिव का ही स्वरूप है।
पुराण जो ना जाने कितनी सदियों पहले लिखे गए, उसमें भी ज्ञानवापी को भगवान शिव का स्वरूप बताया गया है। सारे पुराण, कह रहे है की ज्ञानवापी हिंदुओं से जुड़ा हुआ है लेकिन आज हम आप सुनते है की मस्जिद का नाम है ज्ञानवापी मस्जिद। मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण से पहले काशी को अविमुक्त और भगवान शिव को अविमुक्तेश्वर कहा जाता था।
काशी मे अविमुक्तेश्वर के स्वयं प्रकट हुए शिवलिंग की पूजा होती थी जिसे आदिलिंग कहा जाता।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने बाबा काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन व पूजन कर आशीर्वाद लिया।
काशी (21 जुलाई, 2023)
श्रीमान संजय जी, भाई साहब विभाग प्रचारक सतना से अब नवीन दायित्व में विद्या भारती (छत्तीसगढ) मिलने पर हार्दिक शुभकामनाएं....
हमें किसी #आदिपुरुष फिल्म की जरूरत नहीं है। ये सनातन संस्कृति से छेड़छाड़ कर के हिंदू समाज को भटकाने के काम है
हमें already रामायण और महाभारत रामानंद सागर जी ने बना कर दी है वही बहुत अच्छी है और सर्वश्रेष्ठ है और वही रहेगी आप पूरी रामायण और महाभारत देखो तो सही उसके आगे आजकल की serial and movie कुछ भी नही है रामायण के 35 साल बाद भी लोग दीपिका जी में सीता माता को देखते हैं श्रद्धा और भक्ति का देश है भारत, दीपिका जी सीता माता के किरदार से अजर अमर हो गयी कोई दूसरा ऐसा सशक्त अभिनय नहीं कर सकता,
माता सीता के चरित्र को आपने हमारे सामने जीवंत कर दिया, दीपिका जी , सनातन धर्म आपका हमेशा ऋणी रहेगा, आपकी कीर्ति कभी कम नहीं होगी, आपको कोटि कोटि प्रणाम🙏🚩
जय श्री राम जय सियाराम🙏🚩
संस्कारों से है #ब्राह्मणों की विशेष पहचान
अन्यथा
हम भी सबके समान
ईश्वर ने मानव जीवन की रक्षा के लिए इस धरती पर अपने रूप में डॉक्टर को भेज दिया। 👩⚕️ डॉक्टर दिवस पर जीवन रक्षक चिकित्सकों ⚕️का आत्मीय अभिनंदन हार्दिक शुभकामनायें। 💐🙏
बहुत वहुत शुभकामनाएं
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि