Saroj Sharma

Saroj Sharma

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30/06/2023
Jab koi baat 1 25/06/2023

Jab koi baat 1

11/06/2023

शुभ धूलि का वैदिक सनातन धर्म में क्या भाव है? १. झाडूकी धूलिसे बचकर रहना चाहिये। २. बकरीकी, झाडूकी और बिल्लीकी धूलि शुभ प्रारब्धको हर लेती है। ३. हाथी, घोड़ा, रथ, धान्य तथा गौकी धूलि शुभ होती है। किन्तु कुत्ता, गधा, ऊँट, बकरी तथा भेड़की धूलि अशुभ होती है। ४. गौकी धूलि, धान्यकी धूलि तथा पुत्रके अंगमें लगी हुई धूलि अत्यन्त शुभ तथा महापातकोंकी विनाशक होती है। ५. जो मनुष्य गौओंके खुरसे उड़ी हुई धूलिको सिरपर धारण करता है. वह मानो तीर्थके जलमें स्नान कर लेता है और सभी पापोंसे छुटकारा पा जाता है।

10/06/2023

Essence of Geeta chapter wise in one line

One liner Geeta

*Chapter 1 - Wrong thinking is the only problem in life .*
*Chapter 2 - Right knowledge is the ultimate solution to all our problems .*
*Chapter 3 - Selflessness is the only way to progress and prosperity .*
*Chapter 4 - Every act can be an act of prayer .*
*Chapter 5 - Renounce the ego of individuality and rejoice the bliss of infinity .*
*Chapter 6 - Connect to the higher consciousness daily.*
*Chapter 7 - Live what you learn .*
*Chapter 8 - Never give up on yourself .*
*Chapter 9 - Value your blessings .*
*Chapter 10 - See divinity all around .*
*Chapter 11 - Have enough surrender to see the truth as it is.*
*Chapter 12 - Absorb your mind in the higher.*
*Chapter 13 - Detach from Maya and attach to divine .*
*Chapter 14 - Live a life- style that matches your vision.*
*Chapter 15 - Give priority to Divinity .*
*Chapter 16 - Being good is a reward in itself .*
*Chapter 17 - Choosing the right over the pleasant is a sign of power .*
*Chapter 18 - Let go, let us move to union with God .*
( Introspect on each one of this principle)

|| ॐ तत्सत् ||

P. S. - Again and again I request you to forward this to as many people and explain the importance of Gita.
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Student Registration Form 10/06/2023

_*🎷Good News🪄*_

*FREE Online NEET COACHING For BRAHMIN Students - Registration date Extended.*

*विप्र फाउंडेशन की तरफ से सभी विद्यार्थियों का हार्दिक स्वागत एवम शुभकामनाएँ, Free NEET Online Coaching* के संदर्भ में सहर्ष सूचित किया जा रहा है कि *विप्र समाज के गौरव* एवम *कोटा की एक अग्रणी एवम सुप्रसिद्ध कोचिंग इंस्टीटूट फैकल्टी (VJ SIR)* की तरफ से ब्राह्मण समाज के बच्चों के लिए *11th, 12th और 13th* के विद्यार्थियों के लिए *NEET Exam* की भी अच्छी तैयार करवा कर समाज के प्रतिभाशाली बच्चों को मेडिकल फील्ड में आगे बढ़ाने हेतु *निशुल्क coaching* की व्यवस्था की गयी है।
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सभी इच्छुक ब्राम्हण विद्यार्थी शीघ्रातिशीघ्र इस *Registration Link Form को fill* करके अपना *enrollment* करवाए। रजिस्ट्रेशन की तारीख को 20 जून 2023 तक बढ़ाया गया है ताकि अधिकतम विद्यार्थी लाभान्वित हो सकें। रजिस्ट्रेशन के उपरांत ओरिएंटेशन एवम आगे की सूचनाएं सीधे VJ सर के यहां से मिलेंगी।

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सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं सहित धन्यवाद।

विप्र फाउंडेशन
("उन्नत समाज - समर्थ राष्ट्र" के लिए सतत कार्यरत)

Student Registration Form Please click the link to complete this form.

07/06/2023

*जिंदगी*

*जिंदगी जीना आसान नहीं होता बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता जब तक ना पड़े हथौड़े की चोट तब तक पत्थर भी भगवान नहीं होता*

साहित्य के नोबेल विजेता मशहूर लेखक जोसेफ ब्रॉडस्की ने जिंदगी हंसते-गाते हुए बिताने के गुरों का विस्तार से जिक्र किया था। उनका मानना है कि जिंदगी को समझने के दो तरीके हैं..... *या तो हर बात अपने अनुभव से सीखें* या फिर.... *कुछ बातों के लिए दूसरे के अनुभव को भी तरजीह दें* ...क्योंकि कोई किसी काम में एक्सपर्ट हो सकता है जबकि कोई दूसरे काम में मास्टर हो सकता हैl

जीवन एक खेल है, बस फर्क है कि इसमें कोई रैफरी नहीं है। इसलिए *जिंदगी जीने का कोई पक्का फॉर्मूला किसी किताब में नहीं मिल सकता।* जिंदगी की रेस में कई बार आपको लगता है जीत रहे हैं और कई बार हारने का एहसास होता हैं।

जॉन लेनन एक अंग्रेज़ी गायक और गीतकार हैं। वे द बीटल्स, लोकप्रिय संगीत के सबसे व्यावसायिक रूप से सफल बैंड, के सह-संस्थापक के रूप में सबसे अधिक जाने जाते हैं।

जब जॉन लेनन पांच साल के थे तब उनकी माँ ने उनको बताया था कि " *जिंदगी में खुश रहना बहुत जरूरी है।"*

फिर एक दिन जब उनके स्कूल टीचर ने उनसे पूछा कि "तुम बड़े हो कर क्या बनना चाहते हो?

जॉन लेनन ने जवाब दिया कि "मैं बड़ा हो कर खुश बनना चाहता हूँ।"

यह बात सुनकर टीचर जॉन के नज़दीक आए और जॉन के कंधे पर हाथ रख कर बोले " बेटे, मुझे लगता है कि तुम मेरा सवाल नहीं समझ पाए।"

जॉन हल्का सा मुस्कुराये और बोले "सर, मुझे लगता है कि आप जिंदगी को नहीं समझ पाए।”

_*आओ कहानी सुने*_

_*संघर्ष ही जीवन है*_

*जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा,*
*जो चल रहा है उसके पाव में छाला होगा,*
*बिना संघर्ष के इंसान चमक नहीं सकता*
*जो जलेगा उसी दिए में उजाला होगा* ।

संघर्ष… क्यों बचे संघर्ष से, *संघर्ष ही तो जीवन की आत्मा है जितना कठिन संघर्ष होगा उतनी ही शानदार जीत होगी।*

एक बार एक किसान भगवान से बहुत ही नाराज़ हो गया। किसान बहुत मेहनती था बहुत मेहनत से वह खेतो में अनाज उगाता उसकी देखभाल करता पर अक्सर उसकी फसल ख़राब हो जाती। कभी सूखा पड़ जाता कभी बाड़ आ जाती कभी तेज़ धुप कभी आंधी कोई न कोई कारण बन ही जाता की उसकी फसल ख़राब हो जाती।

एक दिन वह किसान गुस्से में आसमान की ओर देखकर भगवान से कहा हे ईश्वर आपको लोग सर्वज्ञाता मानते है, मानते है कि आप सब जानते है । कहते है कि आपके इच्छा के बिना एक भी पत्ता नहीं हिलता । पर मुझे तो लगता है की आप छोटी सी छोटी बात भी नहीं जानते। आपको तो ये भी नहीं पता की खेती-बाड़ी कैसे करते है अगर आप जानते होते तो हर समय जो बाढ़, आंधी और तूफान आते है वो कभी नहीं आते। आप नहीं जानते कि कितना नुकसान उठाना पड़ता है हम किसानो को। यदि आप मेरे हाथ में यह शक्ति दे दे कि जैसा मैं चाहू वैसा मैं मौसम कर दूँ फिर आप देखना मैं अन्न के भंडार लगा दूंगा।

भगवान इस किसान के तीखे वाक्य सुनकर मुस्कुरा रहे थे और वह किसान के सामने प्रगट होकर बोले “मैं आज से तुझे यह शक्ति देता हूँ की तुम अपनी खेतो पर तुम्हारी जैसी इच्छा ही तुम वैसा मौसम कर दोगे, मैं बिलकुल भी दखल नहीं दूंगा तुम्हारी इच्छा से सबकुछ होगा किसान बहुत खुश हो गया।

किसान ने गेहूं की फसल अपनी खेतो में बोई। जब उसे लगा कि खेतो को धुप चाहिए तो खेतो को धुप मिले, जब पानी बरसना चाहिए तभी पानी बरसा, आधी, तूफान, बाढ़ कुछ भी उसने अपने खेतो पर आने नहीं दिया । किसान के खेत में इस वर्ष ऐसी फसल हुयी जैसी कभी नहीं हुयी थी।

हरी-भरी लहलहाती फसल मन ही मन वह बहुत खुश हो गया और सोचने लगा अब सबूत के साथ दिखाऊंगा भगवान को कि इसे कहते है शक्ति का सही उपयोग । मेरी सफलता देखकर उन्हें अपनी नियम जरूर बदलने पड़ेंगे। कुछ दिन गुजरे फसल कटने को तैयार हो गए। किसान बहुत उत्सुकता के साथ फसल को काटने लगा, पर जैसे ही उसकी नज़र गेहू की बालियों पर गया तो उसने अपना सिर पिट लिया और वह रोने-चिल्लाने लगा।

गेहू की एक भी बाली के अंदर गेहू का दाना नहीं था । सारी बालिया अंदर से खाली थी। किसान बहुत दुखी हो गया उसने भगवान को रोते हुए फिर पुकारा “हे प्रभु तुमने ये मेरे साथ क्या किया क्या तुमने मुझे कोई सजा दी”
भगवान बोले “पुत्र ये तो होना ही था तुमने पौधों को संघर्ष करने का मौका ही कहां दिया । ना तो तुमने उन्हें आँधियो से जूझने दिया ना तेज बारिश से सहने दिया और ना ही धुप में तपने दिया। एक भी चुनौती का सामना तुमने उन्हें नहीं करने दिया इसीलिए सारे पौधे अंदर से खोखले रह गए।

जब आंधी, तूफान, तेज बारिश, और धुप पड़ती है तभी ये पौधा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करते है और इसी संघर्ष से एक बल पैदा होता है जिसमे शक्ति होती है ऊर्जा होती है और यही ऊर्जा पूर्ति तेरे गेहू के दानों की तरह जो नहीं फूटी । तूने उन्हें कठिन परिस्थितियों से गुजरने ही नहीं दिया जहा उनके अस्तित्व का जन्म होता। सारे बालियाँ इसीलिए खाली है । इसमें एक भी गेहू का दाना इसलिए नहीं है, क्योकि तुमने अपने पौधों को संघर्ष कराया ही नहीं।

दोस्तो, याद रखिये स्वर्ण में स्वर्णीय आभा तभी आती है जब वह आग में तपने, गलने और हथौड़े से पीटने जैसे संघर्षो से गुजरता है। कोयले का टुकड़ा हीरा तभी बनता है जब वह उच्च दाब और उच्च ताप की मुश्किल परिस्थितियों से गुजरता है । इसी तरह यदि हमारी जिंदगी में कोई संघर्ष ही ना हो कोई चुनौती ही ना हो तो हम भी गेहू की बालियों की तरह खोखले रह जायेंगे कोई अस्तित्व नहीं होगा हमारा।

*विपरीत परिस्थितियां, चुनौतियां, समस्याएं हमें और अधिक निखारती है यदि जीवन में कठिन परिस्थितियां और चुनौतियां आये तो घबड़ाना मत बल्कि सामना करना। विश्वास करना कि आप और अधिक निखर जाओगे और अधिक मजबूत बन जाओगे। यही जिंदगी है.. यही ज़िंदगी है*
_*
_*कर सके तो लोगों पर तीन एहसान अवश्य कीजिए:*_
_*1.फायदा नही पहुंचा सकते तो नुकसान भी ना पहुंचाए, 2.खुशी नही दे सकते तो दुख भी ना पहुंचाए और 3.तारीफ नही कर सकते तो बुराई भी ना करें।*

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*

Photos from Saroj Sharma's post 22/05/2023
18/05/2023

🚩🌹 🚩🌹

*घर घर में शबरी*

पति के लिए जूस बनाया और जूस पीने से पहले ही पति की आंख लग गई थी।

नींद टूटी,तब तक एक घंटा हो चुका था।

पत्नी को लगा कि इतनी देर से रखा जूस कहीं खराब ना हो गया हो। उसने पहले जरा सा जूस चखा और जब लगा कि स्वाद बिगड़ा नहीं है, तो पति को दे दिया पीने को।

सवेरे जब बच्चों के लिए टिफिन बनाया तो सब्जी चख कर देखी। नमक, मसाला ठीक लगा तब खाना पैक कर दिया। स्कूल से वापस आने पर बेटी को संतरा छील कर दिया।

एक -एक परत खोल कर चैक करने के बाद कि कहीं कीड़े तो नहीं हैं,खट्टा तो नहीं है, सब देखभाल कर जब संतुष्टि हुई तो बेटी को एक एक करके संतरे की फाँके खाने के लिए दे दीं।

दही का रायता बनाते वक्त लगा कि कहीं दही खट्टा तो नहीं हुआ और चम्मच से मामूली दही ले कर चख लिया।

"हां ,ठीक है" जब यह तसल्ली हुई तब ही दही का रायता बनाया।

सासु माँ ने सुबह खीर खूब मन भर खाई और रात को फिर खाने मांगी तो झट से बहु ने सूंघी और चख ली कि कहीँ गर्मी में दिन भर की बनी खीर खट्टी ना हो गयी हो।

बेटे ने सेंडविच की फरमाईश की तो ककड़ी छील एक टुकड़ा खा कर देखा कि कहीं कड़वी तो नहीं है। ब्रेड को सूंघा और चखा की पुरानी तो नहीं दे दी दुकान वाले ने। संतुष्ट होने के बाद बेटे को गर्मागर्म सेंडविच बनाकर खिलाया।

दूध, दही, सब्जी,फल आदि ऐसी कितनी ही चीजें होती हैं जो हम सभी को परोसने से पहले मामूली-सी चख लेते हैं।

कभी कभी तो लगता है कि हर मां, हर बीवी, हरेक स्त्री अपने घर वालों के लिए शबरी ही तो है।

जो जब तक खुद संतुष्ट नहीं हो जाती, किसी को खाने को नही देती।

और यही कारण तो है कि हमारे घर वाले बेफिक्र होकर इस शबरी के चखे हुए खाने को खाकर स्वस्थ और सुरक्षित महसूस करते हैं।

हमारे भारतीय परिवारों की हर स्त्री शबरी की तरह अपने परिवार का ख्याल रखती है और घर के लोग भी शबरी के इन झूठे बेरों को खा कर ही सुखी, सुरक्षित,स्वस्थ और संतुष्ट रहते हैं।

*हर उस महिला को समर्पित जो अपने परिवार के लिये "शबरी" है।*
🌹👏जय सियाराम 🌹👏
..........

18/05/2023

*आओ कहानी सुने*

*कहानी : स्वर्ग का हकदार कोन? |*

मरने के बाद स्वर्ग के द्वार पर चार व्यक्ति खड़े थे। इन 4 व्यक्तिओं में पहला राजा था, दूसरा एक बिजनेसमैन था, तीसरा पंडित था और चौथा एक आम आदमी(मजदूर) था।

किसी को भी यह पता नहीं था कि कौन स्वर्ग के अंदर प्रवेश कर पाएगा और कौन वहीं से वापस लौटा दिया जाएगा।

सब स्वर्ग का दरवाजा खूलने की राह देख रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे।

जैसे कि राजा को मरने से पहले से ही आदत थी उसने अपनी बात सबसे पहले बताई," राजा ने कहा मैं बहुत प्रख्यात राजा हुॅ, मैंने धरती पर अपना बहुत नाम कमाया है इसलिए पूरी संभावना है कि मैं ही स्वर्ग में जाऊंगा।"

फिर व्यापारी ने अपनी बात सामने रखी वह बोला," मैंने धरती पर खूब धन कमाया और उस धन से मैंने सैकड़ों लोगों की मदद की इसलिए मैं ही स्वर्ग का हकदार हूं।"

अब बारी थी पंडित की तो पंडित ने मुंह खोला और सबको यह कहा," चाहे तुम जो सोच लो लेकिन यह बात तो तय है कि स्वर्ग के दरवाजे खुलेंगे तो मेरे लिए ही। सब जानते हैं कि पंडित दिन-रात भगवान को याद करते हैं इसलिए स्वाभाविक है कि स्वर्ग में पंडित का स्वागत किया जाए।"

जब सब ने अपना अपना पक्ष रख दिया तब सबकी नजर उस मजदूर पर थी जो चुपचाप अपनी नजरें नीचे झुकाए बिना कुछ बोले वहीं पर खड़ा रहा। .

स्वर्ग का दरवाजा खुला और वहां पर एक देवदूत आकर खड़ा हो गया। देवदूत के हाथों में एक पुस्तक थी जिसमें इन सभी के कर्मों के बारे में लिखा हुआ था।

देवदूत ने सबसे पहले राजा को अपने पास बुलाया और उसको पूछा, "तुम बताओ तुमने अपने जीवन में क्या-क्या अच्छे कर्म किए हैं? मैं उन्हें इस पुस्तक में देखकर फैसला करूंगा कि तुम्हें अंदर आने देना है या नहीं।"

राजा ने कहा,"मेरा राज्य जितना बड़ा था उतना ही समृद्ध था और मेरी राज्य के सभी लोग खुशहाल थे। सभी बड़े आनंद से रहते थे मैंने उन्हें कभी भी किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। यही मेरे अच्छे कर्म है।"

देवदूत ने अपने पुस्तक में देखा और देखने के बाद राजा से कहा," तुम सच बोलते हो, तुमने अपने राज्य की प्रजा को बहुत सुखी रखा था लेकिन तुमने अपने राज्य की सीमा बढ़ाने के लिए जितने युद्ध किए थे उन युद्ध की वजह से हजारों सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी थी। उन हजारों सैनिकों के परिवार के दुख का कारण तुम बने थे इसलिए तुम स्वर्ग में नहीं आ सकते।

अब बारी थी व्यापारी की। व्यापारी से जब देवदूत ने पूछा कि तुम्हारे अच्छे कर्म क्या है तब व्यापारी ने उससे कहा," मैंने सैकड़ों लोगों को खाना खिलाया है। कई आश्रमों में दान किया है। कई निराश्रित लोगों के लिए घर बना कर दिया है यह मेरे अच्छे कर्म है।"

देवदूत ने फिर से अपने पुस्तक में ध्यान से देखा और देखने के बाद व्यापारी से कहा," तुम्हारा कहना भी ठीक है कि तुमने बहुत दान धर्म किया है लेकिन यह दान धर्म तुमने जिन पैसों से किया है उन पैसों को कमाने के लिए तुमने न जाने कितने झूठ बोले हैं। कितनी हेराफेरिया की है और कितनी मिलावटें की है इसलिए तुम भी स्वर्ग में नहीं आ सकते।

जब पंडित से यही सवाल किया गया तो पंडित ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा,"मैंने अनगिनत लोगों को ज्ञान दिया है। हजारों यज्ञ और पूजाएं की है और दिन-रात भगवान का जाप किया है। इससे अच्छे कर्म और क्या ही हो सकते हैं?"

देवदूत ने अपनी पुस्तक के अंदर झांक कर देखा और पंडित से कहा,"आपने जितने भी लोगों को जो भी ज्ञान दिया है उन बातों पर खुद कभी अमल नहीं किया! आपने यज्ञ, पूजा या भगवान का नाम निस्वार्थ भाव से कभी नहीं लिया । इसलिए आपका भी स्वर्ग में आना प्रतिबंधित है।"

मजदूर यह सब देखकर हैरान था वह अब तक जिन्हे महान समझता आ रहा था उनकी व्याख्या स्वर्ग के दरवाजे पर आकर बदल गई थी। धरती पर जिन कामों को अच्छा समझा जाता है उनका यहां पर कोई मूल्य नहीं था।

यमदूत ने जब इस मजदूर को अपने पास बुलाया और इससे पहले कि वह उससे उसके अच्छे कर्मों के बारे में पूछता मजदूर बोल पड़ा,"प्रभु मैं जानता हूं कि मैं भी स्वर्ग में आने के लायक नहीं हूं लेकिन मैं फिर भी एक बार बाहर से ही स्वर्ग को झांक कर देखना चाहता हूं बस इससे ज्यादा मेरी कोई इच्छा है ही नहीं। क्योंकि ऐसी इच्छा पालने के लिए मैंने जीवन में कुछ भी नहीं किया है। मैं पूरा दिन मेहनत करता और जो भी पैसे कमाता उन्हें अपने परिवार के पालन पोषण में खर्च कर देता इसलिए दान धर्म के लिए कुछ बचता ही नहीं। लोगों की भला मैं क्या सेवा करता क्योंकि काम के बाद जो थोड़ा सा समय मिलता उसको अपने ही बूढ़े मां बाप की सेवा में बिता देता और यह सब करने के बाद मैं कभी-कभी मंदिर भी चला जाता और भगवान से जैसा भी मुझे दिया है उस जीवन के लिए धन्यवाद कहता"

देवदूत ने अपनी पुस्तक में बड़े ध्यान से देखा और थोड़ी देर देखते ही रहा फिर उसने मजदूर से पूछा कि तुम याद करके बताओ तुमने कभी तो कोई अच्छा काम किया होगा।

मजदूर ने थोड़ी देर सोचने के बाद बोला,"हां मुझे थोड़ा-थोड़ा याद है। एक बार मैं बहुत भूखा था और मैं खाना ही खाने बैठा था की एक बहुत ही कमजोर कुत्ता जो ठीक से चल भी नहीं पा रहा था, वह मेरे पास आ गया और मेरे खाने को देखने लगा तब मैंने अपनी रोटी उसे खिला दी थी और उस दिन मैं खुद भूखा सोया था।"

मजदूर की बात सुनने के बाद देवदूत मुस्कुराया और मजदूर को बड़े सम्मान से स्वर्ग के अंदर लेकर गया।

दोस्तों अच्छे कर्म लोभ, मोह, माया इन सब भाव में आकर नहीं किए जाते और ना ही उन्हें अच्छे कर्मों की श्रेणी में गिना जाता है। निस्वार्थ भाव से किया गया एक ही अच्छा कर्म भी आपके जीवन के सारे पाप धोने की शक्ति रखता है। इसलिए जब भी मौका मिले निस्वार्थ भाव से और अच्छे मन से अच्छे कर्म किया करें।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*

*नित याद करें शिव परमात्मा को ओम शांति* 🌹🙏🌹

17/05/2023

🪯Best msg*माता-पिता*🪯
*किसी ने मुझसे पूछा कि* दुनियाँ में *सबसे मुश्किल काम क्या है ?*
*"बड़ा कठिन सवाल है"*..मैं मुस्कराया और फिर कुछ सोचकर कहा....
*मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे मुश्किल काम है....:*
👉🏾 *अपनी आँखों के सामने माता-पिता को... बूढ़ा होते हुए देखना..!!* ये वो समय होता है *जब हम कुदरत के इस लिखे को टाल नहीं पाते..!!* माता-पिता के वो खूबसूरत से चेहरे जब झुर्रियों से भर जाते हैं.... *तो दिल भर आता है..!!*
👉🏾 *उंगली पकड़कर चलाने* वाले जब खुद चल नहीं पाते ... *तो दिल भर आता है..!!*
👉🏾 *सहारा देने वाले* जब खुद सहारे की तलाश में घूमते हैं *तो दिल भर आता है..!!*
👉🏾 *रास्ता दिखाने वालों* को जब अपने ही रास्ते वीरान नजर आते हैं *तो दिल भर आता है..!!*
👉🏾 *हंसकर बोलने वाले* जब खामोश रहने लगते हैं *तो दिल भर आता है..!!*
👉🏾 *अपने बच्चों की नजर उतारने वालों* की जब नजरें धुंधला जाती हैं *तो दिल भर आता है..!!*
*अगर ईश्वर मुझे कुछ मांगने* के लिए कहें तो मैं ये मांगू.. *हे ईश्वर ... किसी के भी माता-पिता को कमजोर, बीमार, लाचार न करना.... उनकी जितनी भी जिंदगी है वो सेहतमंद रहें।

14/05/2023

Happy Mother's Day. Best wishes to all lovely Mother's happy, wealthy & healthy long life forever.(LDH, Punjab). 🎉🎉🍨🎂🍟🌹🌹🍎🍑🍒🍟🎊🎊🎊🎊🌹🌹🌹♥️♥️♥️Ram Ramji, Waheguru ji. 🙏🙏🐚🌹🇮🇳

14/05/2023

Happy Mother's day. ♥️♥️♥️♥️♥️🎉🎊🍨🍧🍎🍟🍑🍒🌹🌹 Ram Ramji. 🙏🙏🐚🌹🇮🇳

11/05/2023

*🕉️सनातन संस्कृति व परंपरा🕉️*

*भगवान विष्णु के 16 नामों* का एक छोटा श्लोक प्रस्तुत है। इसमें मनुष्य को किस किस अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस किस नाम से स्मरण करना चाहिए,
इसका उल्लेख किया गया है ---:

*औषधे चिंतयते विष्णुं ,*
*भोजन च जनार्दनम |*
*शयने पद्मनाभं च*
*विवाहे च प्रजापतिं ||*

*युद्धे चक्रधरं देवं*
*प्रवासे च त्रिविक्रमं |*
*नारायणं तनु त्यागे*
*श्रीधरं प्रिय संगमे ||*

*दु:स्वप्ने स्मर गोविन्दं*
*संकटे मधुसूदनम् |*
*कानने नारसिंहं च*
*पावके जलशायिनाम ||*

*जल मध्ये वराहं च*
*पर्वते रघुनन्दनम् |*
*गमने वामनं चैव*
*सर्व कार्येषु माधवम् |*

*षोडश एतानि नामानि*
*प्रातरुत्थाय य: पठेत ।*
*सर्व पाप विनिर्मुक्ते,*
*विष्णुलोके महियते ।।*

(१) औषधि लेते समय - विष्णु ;
(२) भोजन के समय - जनार्दन ;
(३) शयन करते समय - पद्मनाभ :
(४) विवाह के समय - प्रजापति ;
(५) युद्ध के समय - चक्रधर ;
(६) यात्रा के समय - त्रिविक्रम ;
(७) शरीर त्यागते समय - नारायण;
(८) पत्नी के साथ - श्रीधर ;
(९) नींद में बुरे स्वप्न आते समय - गोविंद ;
(१०) संकट के समय - मधुसूदन ;
(११) जंगल में संकट के समय - नृसिंह ;
(१२) अग्नि के संकट के समय - जलाशयी ;
(१३) जल में संकट के समय - वाराह ;
(१४) पहाड़ पर संकट के समय - रघुनंदन;
(१५) गमन करते समय - वामन;
(१६) अन्य सभी शेष कार्य करते समय - माधव के नाम का जप करना चाहिए।

इस तरह से ऊपर बताए गए कार्य अनुसार भगवान का नाम लेते हुए कार्य करने से कार्य अच्छी तरह संपन्न होते हैं।
किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती।
ऐसा हमारे सनातन शास्त्रों में बताया गया है।।

*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।*
*सहस्त्र नाम तातुल्यं राम नाम वरानने ।।*

10/05/2023

*आरती की थाली में प्रायः तीन चीजें होती हैं जिनको हम लगभग एक साथ जलाते हैं। कपूर, धूप और दीप।*

*कपूर शीघ्र जल जाता है, धूप काफी देर तक जलती है और दीप और अधिक समय तक। कई बार सोचा कि इसके पीछे क्या आध्यात्मिक दर्शन हो सकता है।*

*एक दिन चिंतन में स्पष्ट हुआ कि कपूर हमारे सुख का प्रतीक है। सुख बीतते समय नहीं लगता।*

*धूप हमारे दुःख का प्रतीक है जो हमे काफी लंबे समय तक सालता रहता है।*
*दीप हमारे आनन्द का प्रतीक है क्योकि एक बार जलने के बाद सबसे अधिक टिकता है। इसलिए ही अखंड दीप की अवधारणा ने जन्म लिया। हम सब अखंड दीप जलाते हैं।इसका अर्थ है की जीवन में अखण्ड आनंद की कामना करते हैं।*
*कभी आपने सुना कि अखंड कपूर जलाया जाता हो या अखंड धूप जलाई जाती हो ?*
*नहीं,भारतीय मनीषा सुख और दुःख की अवधारणा से मुक्त हो कर अखंड आनंद की कामना की अवधारणा की पोषक है।*

*उस दिन आरती की थाली में जलने वाली इन तीन वस्तुओं का रहस्य समझ आया।*

*लोग प्रायः दीपावली को अखण्ड दीप जलाते हैं।*

*आज आपने अखंड दीप का अर्थ जान लिया*
*अर्थात् अखंड आनंद।।*

*मंगल हो*
🙏🏻जय श्री_राम 🙏❤

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