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14/03/2024

लक्ष्मण जी द्वारा जब मेघनाद का वध हुआ तो उसकी दाहिनी भुजा उसकी पत्नी पतिव्रता सती सुलोचना के पास जाकर गिरी ।

सुलोचना ने यह निश्चय किया कि अब उसे सती हो जाना चाहिए , जिसके लिए उसे अपने पति मेघनाद का शव चाहिए था ।

उसने अपबे श्वसुर रावण से अपने पति का शव मँगाने के लिए कहा । तब रावण ने कहा कि तुम स्वयं ही राम दल में जाकर अपने पति का शव ले लो ।

रावण ने कहा कि जिस समाज में बाल ब्रह्मचारी हनुमान , परम जितेंद्रिय लक्ष्मण और एक पत्नीव्रती भगवान श्री राम हैं , उस जगह जाने से तुम्हें तनिक भी संकोच नहीं करना चाहिए और न ही डरना चाहिए ।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि इन स्तुत्य महापुरुषों के पास जाकर तुम निराश नहीं होगी ।

लेकिन रावण के मंत्रियों ने इस पर आपत्ति दर्ज की और रावण से कहा कि महाराज जिसकी पत्नी को आपने बंदी बनाकर अशोक वाटिका में रखा हुआ है , उसके पास आपकी बहु का जाना कहाँ तक उचित है ??
नीति कहती है कि आपकी बहु को वहाँ नहीं जाना चाहिए और अगर वह गयी तो सुरक्षित वापस नहीं लौटेगी !

विद्वान रावण ने कहा :- मंत्रियों ! लगता है तुम्हारी बुद्धि नष्ट हो चुकी है , अरे यह तो रावण का काम है , जो दूसरे की स्त्री को अपने घर में बंदी बनाकर रखे , राम का नहीं ।

जिस राम और लक्ष्मण को मेरी बहन शूपर्णखा अत्यंत सुंदर स्त्री बनकर नहीं डिगा पाई , उस राम लक्ष्मण का चरित्र बल उदात्त और परम पवित्र है ।

ऐसा है हमारे श्रीराम का चरित्र ।

इसीलिए तुलसीदास जी ने कहा :- बैरिउ राम बड़ाई करहिं ।

आज के लोगों की तरह नहीं कि स्त्री देखी की लार चुवाने लगे और ऐसे ही स्त्रियों का चरित्र भी इतना दूषित हो चुका है कि क्या ही कहें ।

एक यही सीता थी जिसको विश्व विजेता रावण ने सब प्रयत्न करके लुभाने का प्रयत्न किया लेकिन सीता जी ने कभी उसकी ओर आँख तक कर के नहीं देखा ।

और यही स्त्रियाँ स्वयं को देवी और सीता बोल बोल कर नहीं अघाती ।
भले उनमें शूपर्णखा वाला ही गुण क्यों न हो ।

ऐसे ही जब रावण कुंभकर्ण के पास जाता है उठाने तो कुंभकर्ण पूछते हैं कि हे लंकापति , तुमने सीता का अपहरण कर बहुत बुरा काम किया है , लेकिन यह तो बताओ कि सीता को वश में करने के क्या सभी उपाय किया ?? क्या तुम राम बनकर भी कभी उनके सामने गए ??

रावण ने कहा :-

रामः किं नु भवानभून्न तच्छणु सखे तालीदलश्यामलम ।
रामांगम भजतो ममापि कलुषो भावो न संजायते ।।

अर्थात जब मैं राम का रूप बनाने के लिए श्याम राघवेंद्र के अंगों का ध्यान करने लगा , तब एक एक करके मेरे हृदय के सारे कलुष समाप्त होने लगे । फिर तो सीता को वश में करने का प्रश्न ही नहीं उठता ।

जब जब रूप राम कर धारी ।
पर तिय लगहिं मनहुँ महतारी ।।

जब जब राम का रूप धरता हूँ , तब तब पराई स्त्री में मुझे माता दिखाई पड़ती है ।

मतलब भगवान श्रीराम का मात्र ध्यान करने से ही मन में कलुष समाप्त होने लगते हैं ।

कितना उदात्त चरित्र है हमारे प्रभु श्रीराम का ।।

इसीलिए कहा गया है आप जिस भी वस्तु व्यक्ति परिस्थिति या अवयव का चिंतन करेंगे , उसी प्रकार बनते चले जायेंगे ।
उसके सभी गुण और अवगुण आपके अंदर प्रविष्ट होने लगेंगे ।

गीता में भगवान ने इसीलिए कहा है कि :-

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते !
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते !!

विषयाँ का चिंतन करते करते मनुष्य की आसक्ति उन्हीं विषयाँ में हो जाती है । इससे उनमें इच्छा पैदा होती है और कामना पूर्ति न होने से क्रोध पैदा होता है और क्रोध से मनुष्य नष्ट हो जाता है ।

यही बात श्रीमद्भागवत में वेदव्यास जी कहते हैं कि :-

विषयांन ध्यायतश्चितं विषयेषु विषज्जते ।

सन्सारी विषय में सुख का चिंतन करोगे बार बार तो उसमें attachment हो जाएगा ।

सब चिंतन का मामला है ।

आज भारत सरकार द्वारा कुछ 18 अश्लील content परोसने वाले OTT Platforms को ban करने पर जिस तरह लोग विरोध कर रहे हैं और उसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बन्धन बता रहे हैं , उन लोगो को सीख लेनी चाहिए ।

इस समाज में जो चरित्र पतन हुआ है , चारित्रिक दोष आया है , जगह जगह बलात्कारी और वेश्यायें निकल रहे हैं , वह इन्हीं सब platforms की देन है जो इन सबको सहज उपलब्ध करवा रहे हैं ।

आज 50% shorts reels में आपको अश्लीलता नज़र आ जायेगी , लड़के लड़की सब अपना अपना अंग दिखाने में जुटे हुए हैं ।

जिस देश के युवक युवतियों का चरित्र दूषित हो जाता है , वह देश मानसिक रूप से विकलांग हो जाता है ।

इसीलिए अपने चरित्र पर हमें ध्यान देना है और जितना हो सके ऐसे शुभ विषयाँ का चिंतन करें जो आपमें शुभत्व और पवित्र चरित्र के लक्षणों का उत्कर्ष करें ।

बाकी का तो बस अपना :-

भज गोविंदं भज गोविंदं गोविंदं भज मूढ़मते ।

- Shwetabh Pathak ( श्वेताभ पाठक )

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