Saurabh Tripathi
APS to Hon'ble Minister Rao Inderjit Singh. Disciple of Hon'ble Governor Shri Kalraj Mishra. VP Shivali Mahila Samaj Sewa Sansthan , NGO. IT Professional.
Director of
Vishesh IT Services Pvt Ltd &
Radhey Shyam Charitable Foundation.
Overjoyed ♥️ with this poem by my loving daughter, on my birthday.
God Bless Her 🧿🧿
On this day of joy and cheer,
I celebrate with a father so dear
Whose laughter brightens up my day
In his embrace, my heart never fails.
In every dare, you stood strong,
And taught me strength all along,
Despite all challenges you faced
You never let the problems chase
You guide me through all the tests,
Really you are the best
May your day be filled with delight.
Happy Birthday my guiding light.
Saurabh Tripathi
APS to Hon'ble Minister Rao Inderjit Singh.
Disciple of Hon'ble Governor Shri Kalraj Mishra.
VP Shivali Mahila Samaj Sewa Sansthan , NGO.
Director of
Vishesh IT Services Pvt Ltd &
Radhey Shyam Charitable Trust.
IT Professional.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ओ मेरे तिरंगे!
तुम जब हवा में दूर तक लहराते हो तो
लगता है पूरा हिंदुस्तान लहराता है
इस धरती पर
जब तुम आसमान की तरफ देखते हो तो लगता है गांधी मुस्कुराते है सारें जहां में
जब तुम हिंदुस्तान की आवाम के हाथों में तनकर खड़ा होते हो तो
लगता है
भगत सिंह का हिंदुस्तान बोल रहा हैं
जब तुम लहराते हुए किसानों के खेतों से गुजरते हो तो
लगता है
चमक उठती नेहरू के बच्चों की दुनिया
जब तुम सड़कों पर नारे लगाते क्रांतिकारियों के हाथों में लहराते हो तो जिंदा हो उठता है
दुनिया भर का लोकतंत्र
जब तुम पहुंचते हो सिसकती सात बहनों के बीच तो
साहस के साथ उठ खड़ा होता है
सहमा हुआ देश
ओ मेरे तिरंगे!
तुम ही तो हो जिनकी हवाओं में सुरक्षित है
आवाम का लोकतंत्र,
सांझी विरासत का लोकतंत्र
1857 के योद्धाओं और उनकी श्रमिक सेनाओं का लोकतंत्र
सिनगी दई, बिरसा मुंडा और करमा भगत का लोकतंत्र
गांधी, अंबेडकर और भगत सिंह का लोकतंत्र
स्वाधीनता आंदोलन के उन अज्ञात सेनानियों का लोकतंत्र
जो क्रांति की सरहदों से कभी लौट के नहीं आये अपने घर
घर, यह देश ही तो था उनका घर!
घर जो नहीं बनता है चौखटों और दरवाजों से
वह तो बनता है इस देश की मिट्टी, हवा, पानी, आग और खुले आसमान से
जहां दूर तक उड़ते हैं खुले आसमान में परिंदें
खेतों में लहराती हैं कतरनी धान की खुशबू
पानी में तैरती है मछलियों की आजादी
कभी समुद्री रास्ते से धरती पर आए
अग्निपुत्रों की धमक और
हवाओं में तैरती
लक्ष्मीबाई के साथ 1857 में लड़े
लोहागढ़ के वीरों की कहानियां
ओ मेरे तिरंगे!
अपने क्रांतिकारी आवाम की खुशबू
बिखेरते रहना इसी तरह दुनिया में
यह देश ही तो है जो हमें जिंदा रखता है
तुम्हारे रंगों में, तुम्हारी सरहदों में
कविता: ओ मेरे तिरंगा: लेखक
प्रो.देवेंद्र चौबे
पहली दिवाली 🙏
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कभी कभी दुःख शब्दों से बहुत बड़े हो जाते हैं, आज सुबह पं. केशरीनाथ त्रिपाठी जी के निधन का समाचार मेरे लिए कुछ ऐसा ही है।
मेरे परिवार जैसे न जाने कितने परिवारों ने अपना अभिभावक खो दिया, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।