Giraiya Bazar

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Episode 3
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Cric Post
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जीवन के संघर्ष ही जीवन को सफलता के उच्चतम शिखर पर प्रतिस्थापित कर सकते हैं।

07/04/2024

भले उम्र हो गई है चालीस की,
अभी रवानगी गयी नहीं है.
लबों की हरकत बता रही है ,
अभी जवानी गयी नहीं है.
चमकते जुगनु दमकती आँखें ,
तेरी शरारत नयी नहींहै..
ये जोश तेरा मदहोश कर रहा
दमकता चेहरा बता रहा है..
पुरानी मदिरा नयी है बोतल,
नशे में कोई कमी नहीं है..

Photos from RP विशाल's post 07/04/2024
07/04/2024

अधिकांश लड़के जब पहली पहली बार रिलेशनशिप में आते हैं तो वे अपनी अनुभवी प्रेमिका की प्यार भरी बातों पे ऐसे रिएक्ट करते हैं जैसे वो उनकी पूर्व जन्म की बिछड़ी हुई मोहब्बत है। जैसे मनु-श्रद्धा से उत्पन्न हुई एकमात्र वही लड़की भगवान ने धरातल पर भेजी है उनके लिए, और वो उसे अपनी ज़िंदगी के हर राज़ को ऐसे बताने लगेंगे की लड़की प्रेम रूपी चमकीली रेत में लोट-लोट के कल ही इनसे बियाह कर लेगी।

ये बेचारु लोग तो अपने बैंक बैलेंस तक को बता देते हैं कि लडक़ी बियाह के बाद इस बात कि औकात नापने लगती है कि कांजीवरम दिलाएगा या विस्कोस फैब्रिक के कपड़े में ही निपटा देगा। वो चालू-चंट खुद आजीवन अपने राज़ नही बताएगी पर इनको "मैं खुली किताब हूँ" कहावत वाले चिल्गोज़र ने जो काट खाया था, बेचारु लोग उसके टोपे बन के उसको अपने सारे कर्म-कुकर्मों की गाइड पकड़ा देंगे बेचारे की
लो मेरी सेकंड हैंड बनी माई पढ़ो और कायदे से काटो हमारा....

वो भी कस के ताकि अपना सम्पूर्ण प्रेम,और अपनी ज़िंदगी इसी कुढ़न में हवन करते रहें... बस। अधिकतर प्रायोजित प्रेम को करने वाली लड़कियां इसी का फ़ायदा उठाती है और बाद में काट के चली जाती हैं । और तब लौंडे रोते हैं कि "आहि माई रे काट गईं रे.... आंख खोलो बे, और सुधर जाओ, नही तो ऑरकेस्ट्रा में नचनियां लड़कियां नही तुम सब होंगे इस पीढ़ी के ।

25/03/2024

अकेली स्त्रियों के प्रति कुछ लोगों की तुच्छ मानसिकता
1. अकेली रहती है मतलब साथ (सेक्स) की
जरूरत तो होगी ही, ट्राय तो मार मौज़
करने के लिए बेस्ट ऑप्शन है।

2. बाहर रहकर पढ़ी है मतलब घाट-घाट का
पानी पी हुई है पक्का कैरेक्टरलेस है हाथ
रखते ही तैयार हो जाएगी। ऐसों का क्या ?

3. शहर में रहती है मतलब खुली होगी
मेट्रो सिटीज़ में रहने वाली लड़कियां
तो बहुत खुली होती हैं, पता नहीं
कितनों के साथ सो जाए। यहाँ खुली
का मतलब सेक्स के लिए हमेशा आसानी से
उपलब्ध रहने से है।

4. गाँव की है, सीधी होगी मतलब इसको
आसानी से बेवकूफ़ बनाकर यूज़ कर सकते हैं।

5 ब्रेकअप हो गया है मतलब रोती लड़की
को विश्वास देकर सेक्स की जुगाड़ की
जा सकती है।

6 पहले बॉयफ्रेंड ने चीट किया है ओह्ह
बेबी मैं ऐसा नहीं हूँ दुनिया से अलग हूँ।
यार चीट हुई लड़कियों को यूज़ करना औऱ
आसान है सिली गर्ल्स......

7. नीच जात की है यार ये छोटी जातियां
होती बहुत बेवकूफ़ हैं। मैं जाति को नहीं
मानता, शादी करूँगा बस इतने में तो तन-
मन-धन से समर्पित हो जायेंगी।

8. काली है ओह्ह....यार रंग से कुछ नहीं
होता काला रंग तो बहुत खूबसूरत होता
है। यार उस कलूटी को ऐसे नहीं बोलूंगा
तो बिस्तर तक कैसे आएगी।

9. सेल्फ डिपेंड है इमोशनल फूल बनाकर
सारी अय्याशी करने का बढ़िया ऑप्शन
है। इंडिपेंडस और बराबरी की बात कर देख
कैसे करती है।

10. तलाकशुदा है विधवा है यार कंधा ही
तो देना है बस वो तैयार मिलेंगी।

11.अभी स्कूल में पढ़ रही है! लगती तो एकदम
माल है, गोटी सेट करनी पड़ेगी।
बातें चाहे जितने तरीके से हों.....केंद्र में बस
" सेक्स" है।

ऐसे ही नहीं हर दिन रेप हो रहे, ये रेप की तैयारी तो हर पल हो रही है।

अगर आपको यह पढने में शर्म आ रही है तो आप भी मानसिक विकृति के शिकार हैं और आप ही ऐसी सोच ( जो ऊपर लिखा गया है) रखने वाले वह पुरुष हैं

इसलिए खुलकर रहिए खुलकर बोलिए सबके सामने बोलिए कोना मत ढूंढिए क्योंकि खुलकर और ज्यादा बोलने वाले लोग चुप रहने और कोना ढूंढने वाले लोगों की अपेक्षा ईमानदार और स्वच्छ चरित्र होते हैं ऐसा प्रकृति का नियम है.....

अश्लील शब्दों के लिए सादर क्षमा प्रार्थी...

21/03/2024

Happy follow-versary to my awesome followers. Thanks for all your support! Janardhan Janardhan

16/03/2024

एक बात समझ में नहीं आई?
क्या भाजपा पाकिस्तान में भी सत्ता में है क्या?
या फिर ये पाकिस्तानी कंपनी भारत में भी व्यापार करती है??

कुछ तो संदेहास्पद है??जो सबको नही पता था,लेकिन ई इलेक्ट्रोल बॉन्ड ने सबको बता दिया!!

16/03/2024

सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियां ED, IT के रडार पर, नाम हैं...

16/03/2024

इलेक्टोरल बॉन्ड के फायदे बताने वाला कोई फेसबुक में दिख नहीं रहा ?

व्हाट्सएप युनिवर्सिटी के प्रोफेसर छुट्टी पर चले गए है क्या???

15/03/2024

एक ईंट भट्ठा वाली है । रील्स बनाती है । रील्स ठीक ठाक होता है । अश्लीलता नही परोसती है ।

उसके एक रील पर किसी का कमेंट था कि हमारी पढ़ पढ़ कर जवानी बीती जा रही है और इन लोगों का 9 मिलयन फॉलोवर है इंस्टा पर ।

9 मिलयन ; नम्बर वाकई इम्प्रेसिव है । पढ़ पढ़ कर तो तुम बेबी देश की केबिनेट सेक्रेटरी बन जाओगी तब भी 1 मिलयन भी फॉलोवर बना नही पाओगी ।

हाँ, हुस्न हुआ और उस पर आईएएस वाईएएस बन गयी तब और यह बनने के बाद भी थोड़ा कूल्हे सुल्हे मटका लोगी तभी मिलयन क्रोस कर पाओगी ।

असल में लोग मनोरंजन खोजते हैं । एक स्त्री जो मनोरंजन के व्यवसाय में है ; उसके फॉलोवर्स अधिक होंगे ही । यदि उसमें हुस्न, सुडौल काया, नृत्य, इत्यादि का हुनर है तब इससे जो पैकेज बनता है वह फॉलोवर खींचेगा ही खींचेगा ।

9 मिलयन से 90 मिलयन हो जा सकता है उसका फॉलोवर्स । इसमें कोई कठिनाई है नही ।

ये संयोग है कि शोसल मीडिया के आरंभिक दौर से ही ये लोग अपने हुस्न और कला का कॉकटेल पेश करने लगे थे ; इसी का बेनिफिट मिल रहा है इन्हें ।

अन्यथा तो आज हर हफ्ते कोई न कोई वाइरल हो रही है ; हर हफ्ते नया स्टार बन रही है ; अब कम्पीटिशन बहुत टफ है । हजार लड़कियां रील्स के मैदान में कूदती हैं तो 999 तो हजार दो हजार फॉलोवर्स भी नही बटोर पाती है । कोई एक थोड़ा चल जाती है ।

बहुत टफ कम्पीटिशन है बेबी इधर भी । शक्ल के साथ नेचुरल एसेट्स भी होना चाहिए । नेचुरल एसेट्स बुझती हो न ! बूब्ज एंड बटक !

है तो कूद जाओ रील्स के मैदान में ; नही तो पढ़ो लिखो आईएएस वगैरह बनो, यह नही तो खाना पकाना सीखो, मस्त ब्याह कर सेटल हो जाओ ! रील्स के मायाजाल में न पड़ो । पता चला आर्टिस्ट बनने निकली थी ; कॉल गर्ल बन कर रह गयी !

12/03/2024

आजकल के अधिकांश लड़के नौकरी लगने के तुरंत बाद शादी करके दुलहन को सीधे नौकरी पर ले जाते हैं तथा सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम सब झंझट उन माता पिता के पास छोड़ जाते हैं जो अपनी मजदूरी का पैसा इन बच्चों पर बिना किसी प्रतिफल की उम्मीद में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी, भावनात्मक एवं बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए लगाया होता है कई बार तो उच्च शिक्षा के लिए माता-पिता ने कर्ज़ भी लिया होता है। अब कमाई करने वाले ए अधिकांश बच्चे सबसे पहले शहर में प्लाट लेने की सोचते हैं तथा माता पिता की ओर कम ध्यान देते हैं जो बहुत दुखदाई है ।

फेसबुक पर माता पिता को भगवान ज्यादा वो ही लोग लिखते हैं जिनके माता-पिता दयनीय स्थिति मे होने के बाद भी उनसे आशा नही करते ।कभी वो लोग गाँव आते हैं तो अपनी जेब पैसा नही देने हेतु माता पिता से खेती , भैंस आदि की कमाई का हिसाब अपनी पत्नी के सामने लेते हैं तथा उन्हें बहुत सुनाते हैं । पत्नी भी उनमें कमी निकालकर अपना धर्म पूरा करती है और उन पर नगदी फसल उगाने और उससे पैसा कमाने का सलाह थोपती है।

यह माजरा करीब 90% लोगों का है जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की पार्टी देकर अपनी झूठी शान का बखान करते हैं । वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा किसी पर एक पैसा खर्च नही करते ।

क्या इस हालत मे समाज सुधार की ओर अग्रसर माना जा सकता है।गाँव के अधिकांश लोग इसी तरह दुःखी हैं क्योंकि उनको बच्चे की नौकरी के कारण वृद्धा पेंशन भी नही मिलती।
मां-बाप कितने सपने सजोकर उन्हें पेट काटकर पढ़ाते हैं फिर नौकरी या तो लगती नही या लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है।आजकल लड़को की नौकरी लगे या ना लगे घर का काम तो मरते दम बुढों को ही करना पडता है।बच्चों को पढ़ाने का मां -बाप को यही पुरस्कार है ।

जो लोग शोसल मीडिया पर बड़ी बडी बातें करते हैं तथा लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा बड़े पदों पर आशीन हैं उनमें से अनेक भी अपने रिशतेदारों , माता पिता के प्रति निष्ठुर भाव रखते हैं ।

Giraiya Bazar Facebook Instagram राजेन्द्र प्रसाद तिवारी Guddu Bharti Ramanuj Sahgal

Photos from Giraiya Bazar's post 10/03/2024

नरकट की कलम -
प्राइमरी में नरकट की कलम से लिखने का मजा अद्भुत था......
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जब प्राइमरी में पढ़ने गया तो पहले स्लेट और खड़िया का पेंसिल मिला फिर लकड़ी की पटरी और नरकट की कलम जिसे भट्ठी की दूधिया (सफेद स्याही) में डालकर लिखा जाता था, प्राप्त हुआ।
प्राइमरी के शुरुआती कक्षाओं में लकड़ी की पटरी पर कालिख पोतकर उसे सीसी से गेल्हने (सीसी से लकड़ी की पटरी को रगड़कर चमकाने) के बाद सफेद धागा भिगोकर हम सीधी- सीधी लाइन खींचते थे,फिर नरकट की कलम से खत काटते थे। पटरी पर सलाखने और खत काटने के बाद क से ज्ञ तक एवं अ से अ: तक और गिनती, पहाड़ा लिखा जाता था।
प्राइमरी में ही दूसरी एवं आगे की आठवीं तक की कक्षाओं तक सफेद कागज के ताव को मोड़कर कापी बनाई जाती थीं जिस पर नरकट की कलम को नीली स्याही के दावात में डुबोकर लिखा जाता था।
जिस नरकट से कलम बनाते थे वह एक तरह का झाड़ी नुमा पौधा है जो पतहर या सरपत जैसा होता है।इसे बंधो पर कटान रोकने के लिए बहुतायत लगाया जाता है। यह एक बार लगा देने के बाद जकड़ता जाता है और प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में स्वतः उगता है।
आज की पीढ़ी को यह आश्चर्यजनक लगेगा कि पहले आठवी क्लास तक इस झाड़ी नुमा नरकट के पौधे से बनी कलम का प्रयोग किया जाता था। अद्भुत था वह समय और अब उसका संस्मरण।

10/03/2024

"रिहन्ना से ज्यादा आकर्षक जाह्नवी कपूर लग रही है।"

यही सोच सामंती, जातिवादी और नस्लीय व्यवस्था को मजबूत करती है।
सुंदरता का जो पैमाना टीवी सीरियल, विज्ञापनों और सिनेमा ने स्थापित किया है वह बिल्कुल ही आभासी है । कोई जरूरी नहीं है कि सुंदर तन वाले महिला/पुरुष का मन भी सुंदर हो! मेरे नजर में हर इंसान, हर महिला आकर्षक है।

अगर रिहन्ना का जन्म भारत के आदिवासी इलाकों में या दलित समाज में हुआ होता तो क्या वो इतनी बड़ी और विख्यात पॉपस्टार बन पाती ?

शायद नही!?

भारतीय संस्कृति और भारतीय समाज जातिवादी और नस्लीय है। भारत में केवल गोरे रंग को तरजीह दी जाती है. यहां गोरे होने के लिए बॉलीवुड एक्टर्स द्वारा क्रीम का विज्ञापन किया जाता है।

मुट्ठीभर जातियों ने हर क्षेत्र में अपना आधिपत्य स्थापित कर अन्य जातियों के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं।

रिहन्ना को अमेरिकी संस्कृति और अमेरिका के ईकोसिस्टम ने सुप्रीम स्टार बनाया।

अमेरिका की डाइवर्सिटी संस्कृति ने करोड़ो ब्लैक अफ्रीकन अमेरिकन के सामाजिक और आर्थिक जीवन में बदलाव लाने का काम किया है.

भारत उच्च जातियों को डाइवर्सिटी से समस्या है, डाइवर्सिटी का नाम सुनते ही उन्हें कब्ज़ हो जाता है. यहां चमड़ी का रंग और जाति देखी जाति है.

जाह्नवी कपूर बॉलीवुड में अपनी काबिलियत के कारण नही आपने माता पिता के कारण हैं. गुस्ताखी माफ हो, जाह्नवी कपूर को एक्टिंग नही आती उनकी अब तक कि सभी फिल्में प्लॉप हुई हैं.

वैसे किसी विशेष पर्यावरण में रहने के कारण उसके अनुकूल थोड़ी-बहुत हूनर लोगों में आ ही जाती है। विरासत में मिले धन धन-संपदा, तालीम और अवसर नाकाबिल लोगों को भी काबिल बना देता है।

08/03/2024

विदाई में साड़ी मिलने पर "अरे! इसकी क्या जरूरत है" और घर आकर "ऐसी साड़ी तो हम नौकरों को भी नहीं देते" बोलने वाली महिलाओं को भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई....

04/03/2024

यही एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसको खाते वक्त..
महिलाओं के पुरे मुंह खुल जाते हैं, वर्ना चम्मच भी बहुत मुश्किल से जाते हैं..😁🤪

03/03/2024

गज़ब...!!

Giraiya Bazar Facebook Instagram Guddu Bharti Ramanuj Sahgal

मुद्दा! मीन्स?

अरे कुछ साया-ब्लाउज-चोली-लहंगा की बात कीजिए महाराज! गाना गा दें इसपे?

चलिए एक मुखड़ा सुनाता हूँ-

जब ले चुम्मा ना चिखईबू होठललिये से
त ले आईब जाके सौतिन बंगलीये से…

03/03/2024

अफ़वाह ये है कि नड्डा जी ने टिकट देते समय पवन भइया के नाम के आगे ‘जी’ नहीं लगाया था।

सारा विवाद वहीं से शुरू हुआ…

03/03/2024

Kindly Attention Please..
Recruitment is going on...
If you are eligible according to required eligibility,you can apply.

Please share


Giraiya Bazar राजेन्द्र प्रसाद तिवारी

02/03/2024

बाकि सब तो ठीक है लेकिन ये प्री–वेडिंग कल्चर किस शास्त्र में दर्ज़ है? क्योंकि इनकी शादी तो जुलाई में होनी है फिर एक सनातनी द्वारा यह प्री–वेडिंग का वेस्टर्न कल्चर क्यों एडॉप्ट किया जा रहा है? जबकि दूसरी ओर भारतीय मीडिया गला फाड़, फाड़कर सनातनी, राष्ट्रवादी और स्वदेशी चिल्लाने में लगे हैं।

बीते वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक का एक बयान सोशल मीडिया में काफी चर्चा में रहा था। उन्होंने एक सुनवाई के दौरान कहा है कि आजकल लोगों में पश्चिमी संस्कृति हावी हो रही है और उन्होने इसके लिए बच्चों के माता–पिता को भी सचेत किया। नेता तो अक्सर ऐसा कहते ही रहे हैं।

बहरहाल! एक तरफ़ जहां अनंत अंबानी प्री–वेडिंग कर रहा है वहीं दूसरी ओर अनंत और राधिका ने काफ़ी लम्बे समय से डेटिंग भी की ही है और सरकार जहां यूसीसी में लिव इन पर कानून लेकर आई, वहीं भारत में शादी, भारतीय परंपरा में शादी का भी जोरदार प्रदर्शन दिखाया जा रहा है जबकि इधर वही लोग इस शादी में भी शामिल हो रहे।

सोचिए यदि यह शादी किसी इतने बड़े व्यक्ति की न होकर अन्य की होती तो मीडिया इसी प्री–वेडिंग पर मातम मना रहा होता। इससे जाहिर है कि सारे उसूल तथा बातें केवल आम इंसानों के लिए होते हैं। बाकि इससे क्या–क्या लाभ होगा हैं वह आपको भारतीय मीडिया ख़ासकर सुधीर, अमन, सरीखी लोग अपने प्राइम टाइम में समझाएंगे।

02/03/2024

शादियाँ भव्य होती जा रही हैं और रिश्ते जर्जर…..!!!

02/03/2024

विवाह औरतों के टेलेंट का कब्रगाह है । उनका टेलेंट दफन हो जाता है ।

जिस भी लड़की को महसूस हो कि उसमें कुछ एक्स्ट्रा टेलेंट है सिंगिंग का, डांसिंग का, कुछ भी एक्स्ट्रा टेलेंट है ; उस लड़की को उस एक्स्ट्रा टेलेंट को निखारना चाहिए ।

उसे विवाह नही करना चाहिए । विवाह उन्हें बर्बाद कर देता है । विवाह उन्हें और उनके टेलेंट को यूँ दफन कर देगा जैसे मुर्दे को दफन कर देते हैं ।

असल में लड़का का विवाह सिर्फ लड़की से होता है ; किंतु लड़की का विवाह लड़के के पूरे खानदान से होता है ।

लड़की विवाह कर ससुराल आयी नही कि ससुराल का पूरा खानदान टूट पड़ता है उसके एक एक स्टेप का स्क्रूटिनी करने के लिए ! ससुराल का खानदान ही नही बल्कि सासुरल के आस पास का पूरा समाज ।

कैसे चलती है, कैसे उठती है, कैसे बैठती है, कैसे ह**ती है, कैसे मु**ती है, कैसे बात करती है ..एक एक चीज पर हजार लोग निगाहें लगा बैठते हैं !

इन बेसिक चीजों को ससुराल के अनुसार एडजस्ट करने में ही विवाह कर ससुराल आयी लड़की का सारा एनेर्जी लग जाता है ।

फिर रात में हसबैंड का अलग फरमाइश । हसबैंड भले ही 33 सेकेंड में स्खलि** हो जाए लेकिन उसका एक्सपेक्टेशन होता है कि उसकी बीवी उन तमाम चीजों को ससुराल के अनुसार एडजस्ट करने में अपनी तमाम एनर्जी एक्जहॉस्ट करने के बाद भी खूब बन ठन के तैयार रहे । किस लिए अपने पति के 33 सेकेंड में स्खलि** हो जाने के लिए !

नही ! लड़कियों में यदि जरा भी एवरेज से ज्यादा टेलेंट हो तो उसे विवाह से एक दम बचना चाहिए । टेलेंट को तवज्जो देना चाहिए ।

नेम, फेम, होम, बैंक बैलेंस खुद का बनाना चाहिए । हाँ, जो एवरेज लड़कियां हैं ; उन्हें विवाह कर सेटल हो लेना चाहिए ।

मैं मानता हूँ कि 95 फीसदी लड़कियां एवरेज ही होती हैं । वह जो 5 फीसदी लड़कियां एवरेज से अधिक हैं उन्हें एक दम ही विवाह नही करना चाहिए । उनके लिए विवाह खुद को जीते जी दफना देने जैसा है ।

यह निजी अभिमत है।

25/02/2024

लोकसभा क्षेत्र अंबेडकर नगर से बसपा सांसद श्री रितेश पांडे ने बसपा की प्राथमिक सदस्यता से दिया त्यागपत्र!

24/02/2024

समाचार:
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को 1 महीने हुए पूरे, 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया दर्शन, 25 करोड़ का आया चढा़वा।

24/02/2024

अगर आप अश्लील नहीं होंगे, तो आपका जीवन संकट में पड़ सकता है !
जैसे : अच्छी फसल के लिए, गन्दी खाद की जरूरत होती है !

21/02/2024

खुझा यानी तरोई व नेनुआ का गुदा!
जब पत्तों में छिपी तरोई सब्जी बनाने योग्य नहीं रह जाती कड़ी हो जाती है तो फिर उसे अगले वर्ष बीज हेतु लताओं में छोड़ दिया जाता है ताकि पक जाए।
जब सब्जी का सीजन खत्म हो जाता है, तरोई की लताएं सूख जाती हैं तब पकी तरोई को तोड़कर छप्पर के उपर, छज्जे पर, या आले- ताखे में रख दिया जाता है ताकि वहां सुरक्षित पड़ी रहे और जब बारिश की सब्जियों को बोने का समय आता है तब ये उतारी जाती हैं और इन्हें तोड़कर इनके बीज झाड़ लिए जाते हैं।
बीज निकालकर उपर से छिलके हटाकर ये खुझा चूल्हे वाले बर्तन मांजने के काम आता था।
कभी कभार इससे गाय भैंसों को रगड़ कर नहलाया जाता था। तब नहीं पता था कि ये साधारण सा दिखने वाला, पेड़ों पर अनाथों की तरह लटकने वाला खुझा एकदिन नेचुरल लूफा के नाम से ऊँची क़ीमत पर बिकेगा और लोग नहाते समय अपने शरीर को रगड़ने के लिए ऊँची क़ीमत देकर ऑनलाइन खरीदेंगे।

खैर दिन सबके बहुरते है और इनके भी बहुर गए हैं।
पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक कमेंट करे और शेयर करें।

21/02/2024

एक लड़के को पूरी उम्र प्रेम में डूबा सकती हैं

ऐसे हुस्न पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए

21/02/2024

तुम्हे हुस्न की मलिका कहूँ या ख्वाब-ऐ-दिल नशी,
नजरों में समाये हो जब से हम तो होश गवाँ बैठे..

19/02/2024

मैं प्रधानमंत्री जी को फेसबुक में फॉलो करता था। और इतनी समझ तो है कि भाषा की सभ्यता और मर्यादा आखिर सबके प्रति जरुरी है फिर वह तो संवैधानिक पद पर बैठे अपने देश के प्रधानमंत्री हैं। वैसे भी मैंने किसी को कभी असभ्यता नहीं दिखाई।

एक दिन मोदीजी ने कोई पोस्ट डाली और मैंने पूरी सभ्यता के साथ उसमें कोई साधारण सा कमेन्ट किया। नीचे लोगों ने दबाकर मेरे कमेंट को लाईक किया। एक घंटे में शायद 2400 लाइक्स। दुसरे घंटे में प्रधानमंत्री के पेज़ से मुझे ब्लॉक किया गया।

मैं तो हैरान हो गया कि इस बात पर भी कोई ब्लॉक किया जा सकता है? और फिर क्यों न मानें कि पोस्ट रीच न घटाई जाती हो? क्योंकि आजकल जितने लोगों तक पोस्ट पहुंच रही, उससे अधिक तो कभी शेयर हुआ करती थी।

अब मेरी लिस्ट में दूसरों को दिखाई पड़ता है कि मैं उन्हें फॉलो करता हूं जबकि मेरी लिस्ट में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है। प्रेस की और न्याय की स्वतंत्रता पर तो पहले ही अंकुश है लेकिन सोशल मीडिया स्वतंत्र रह सके इसके लिए क्या उपाय हो सकते हैं?

मुझे तो ऐसा लगता है कि या तो देश से सोशल मीडिया ही हटे ताकि न रहे बांस, न बजे बांसुरी या फिर ऐसे लोग इस देश के शासन से हटे जो संविधानवादी, शांतिप्रिय, न्यायप्रीय और सभ्य लोगों को मुट्ठी में करना चाहते हैं और उसके ऐवज में चंद अराजकों, भ्रष्टों और असभ्यों पर अंकुश नहीं लगाते। ी_विशाल।

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