Vipresh Rana Official
राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव
अखंड हिन्दू महासंघ भारत
मनु स्मृति में लिखा है की ब्राह्मण के स्थान पर शुद्र बैठ जाये तो उसे दंडित करो।
इस लेख को दिखा कर,, हिन्दूओं में भेदभाव जातिवाद है कहकर...
एक व्यक्ति मुझे उकसाने लगा।
फिर मैंनें उसकी समस्या का समाधान करने के लिए ठान लिया।
सबसे पहले उसको बौद्ध मंदिर ले गया
वहां बुद्ध के पास भंते जी का स्थान था।
मैंने उस व्यक्ति से कहा कि,
अब तू भंते को हटा कर खुद बैठ जा।
व्यक्ति ने ऐसा ही किया
फिर क्या था ...
भंते जी ने गुस्से में चार पांच छड़ी व्यक्ति को जमाया
और उसे अपनी औकात में रहने की सलाह भी दे डाली।
फ़िर मैं उसे
एक दरगाह में ले गया
वहां कब्र के पास मौलाना साहब की गद्दी थी,
मैंने व्यक्ति से कहा की इसे हटा कर तू बैठ जा।
व्यक्ति ने वैसा ही किया।
मौलाना साहब ने उसे सौ जूते दिए
काफ़िर कह कर उसकी खूब ठुकाई की।
माफ़ी वगैरह मांगने के बाद व्यक्ति वहां से जान बचा कर भाग खड़ा हुआ।
फिर मैं उस व्यक्ति को एक चर्च में ले गया
वहां काफी लोग प्रे कर रहे थे , मैंने उससे कहा चर्च के फादर को किनारे ढकेल कर लोगो से बोलो की वह तुम्हें फादर कहे ,
फिर क्या था व्यक्ति ने वही किया ,
उसके बाद उसी चर्च में इतना ठुकाई हुई की बेहोश हो गया ,
बड़ी मुश्किल से उसे मैं घर लेकर आया।
फिर अगले दिन अब मैं उस,
व्यक्ति को एक गली के मंदिर मे ले गया
वहां सभी कॉलोनी के लोग बारी बारी से आरती कर रहे थे कोई शन्ख बजा रहा था तो कोई झालर, घण्टी व सभी लोग बारी बारी से आरती कर रहे थे...
मैंने व्यक्ति से कहा की इनको हटा कर तू जो भी करना चाहता है वो कर सकता है, फिर
व्यक्ति ने वैसा ही किया, उसने घण्टी बजाई, आरती भी की, पंडित जी ने अपने हाथ से प्रसाद दिया.....
व्यक्ति तब से आज तक शर्मिंदा है कहता है मैं भी हिन्दू हुं, अज्ञानता वंश निज धर्म का ही विरोध करता था।
अब मिलता है तो बोलता है भाई, हिन्दू हिन्दू भाई भाई॥
अगर आप को भी कोई व्यक्ति ऐसा मिले तो उसे चारो धाम के दर्शन जरूर करवायें। पुण्य कमाएं।
्री_राम
अपनो से "दूरियां" धुंए की तरह हैं, जितनी बढाएंगे, उतनी घुटन होगी...और "नजदीकियां" उस धुंध की तरह हैं, जितना पास आएंगे, उतनी राहत मिलेगी
🙏🏻जय श्री राधे 🙏🏻
हमसे #उम्मीद मत रखना की हम कुछ और लिखेंगे हम #कट्टर #राष्ट्र भक्त है जब भी लिखेंगे #अखंड भारत लिखेंगे
एक बार सभी भाई #दहाड़ दो 👉🏽जय अखंड हिन्दू महासंघ
विप्रेश राना
राष्ट्रीय महासचिव
अखंड हिन्दू महासंघ - भारत
*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - महंत मनोज कुमार मिश्रा*
*पद - जिला अध्यक्ष लखनऊ*
अखंड हिंदू महासंघ - भारत
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*श्री - महंत मनोज कुमार मिश्रा*
जी को अखंड हिंदू महासंघ में भारत देश में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आपको अखंड हिन्दू महासंघ में *जिला अध्यक्ष लखनऊ* नियुक्त किया जाता है। आपसे आशा की जाती है की आप अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए अखंड हिंदू महासंघ के नियमों का पालन करेंगे। देश दुनिया में अखंड भारत का संदेश आप देंगे व आप अपने पद अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे और संगठन की गोपनीयता बनाए रखेंगे। तथा यह शुभकामना करते है की आप धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होकर अपने देश तथा हिन्दू समाज को एकजुट करने एवं सुरक्षा प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करेंगे ।
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*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - अभय कुमार सिंह जी*
*पद - जिला प्रभारी लखनऊ*
अखंड हिंदू महासंघ - भारत
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*श्री - अभय कुमार सिंह*
जी को अखंड हिंदू महासंघ में भारत देश में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आपको अखंड हिन्दू महासंघ में *जिला प्रभारी लखनऊ* नियुक्त किया जाता है। आपसे आशा की जाती है की आप अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए अखंड हिंदू महासंघ के नियमों का पालन करेंगे। देश दुनिया में अखंड भारत का संदेश आप देंगे व आप अपने पद अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे और संगठन की गोपनीयता बनाए रखेंगे। तथा यह शुभकामना करते है की आप धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होकर अपने देश तथा हिन्दू समाज को एकजुट करने एवं सुरक्षा प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करेंगे ।
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*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - आशीष शुक्ला जी*
*पद - राष्ट्रीय उपाध्यक्ष*
अखंड हिंदू महासंघ - भारत
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*श्री - आशीष शुक्ला*
जी को अखंड हिंदू महासंघ में भारत देश में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आपको अखंड हिन्दू महासंघ में *राष्ट्रीय उपाध्यक्ष* नियुक्त किया जाता है। आपसे आशा की जाती है की आप अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए अखंड हिंदू महासंघ के नियमों का पालन करेंगे। देश दुनिया में अखंड भारत का संदेश आप देंगे व आप अपने पद अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे और संगठन की गोपनीयता बनाए रखेंगे। तथा यह शुभकामना करते है की आप धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होकर अपने देश तथा हिन्दू समाज को एकजुट करने एवं सुरक्षा प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करेंगे ।
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*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - पारस नाथ पांडेय*
*पद - राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष युवा दल*
अखंड हिंदू महासंघ - भारत
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*श्री - पारस नाथ पाण्डेय*
जी को अखंड हिंदू महासंघ में भारत देश में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आपको अखंड हिन्दू महासंघ में *राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष युवा दल* नियुक्त किया जाता है। आपसे आशा की जाती है की आप अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए अखंड हिंदू महासंघ के नियमों का पालन करेंगे। देश दुनिया में अखंड भारत का संदेश आप देंगे व आप अपने पद अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे और संगठन की गोपनीयता बनाए रखेंगे। तथा यह शुभकामना करते है की आप धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होकर अपने देश तथा हिन्दू समाज को एकजुट करने एवं सुरक्षा प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करेंगे ।
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*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - विप्रेश राना*
*पद - राष्ट्रीय महासचिव*
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*श्री - विप्रेश राना*
जी को अखंड हिंदू महासंघ में भारत देश में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए आपको अखंड हिन्दू महासंघ में *राष्ट्रीय महासचिव* नियुक्त किया जाता है। आपसे आशा की जाती है की आप अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए अखंड हिंदू महासंघ के नियमों का पालन करेंगे। देश दुनिया में अखंड भारत का संदेश आप देंगे व आप अपने पद अनुसार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे और संगठन की गोपनीयता बनाए रखेंगे। तथा यह शुभकामना करते है की आप धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होकर अपने देश तथा हिन्दू समाज को एकजुट करने एवं सुरक्षा प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करेंगे ।
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कौन है सात महान सप्तर्षि! 🙏
ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त हैं, याने लगभग दस हजार मन्त्र हैं। चारों वेदों में करीब बीस हजार से ज्यादा मंत्र हैं और इन मन्त्रों के रचयिता कवियों को हम ऋषि कहते हैं।
बाकी तीन वेदों के मन्त्रों की तरह ऋग्वेद के मन्त्रों की रचना में भी अनेकानेक ऋषियों का योगदान रहा है। पर इनमें भी सात ऋषि ऐसे हैं जिनके कुलों में मन्त्र रचयिता ऋषियों की एक लम्बी परम्परा रही। ये कुल परंपरा ऋग्वेद के सूक्त दस मंडलों में संग्रहित हैं और इनमें दो से सात यानी छह मंडल ऐसे हैं जिन्हें हम परम्परा से वंशमंडल कहते हैं क्योंकि इनमें छह ऋषिकुलों के ऋषियों के मन्त्र इकट्ठा कर दिए गए हैं।
आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान सात संतों के नाम पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। प्रत्येक मनवंतर में अगल अगल सप्तऋषि हुए हैं। यहां प्रस्तुत है वैवस्वत मनु के काल के सप्तऋषियों का परिचय।
1. सप्तऋषि के पहले ऋषि जिनके पास थी कामधेनु गाय,
वशिष्ठ :- राजा दशरथ के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ को कौन नहीं जानता। ये दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था।
कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था। वशिष्ठ ने राजसत्ता पर अंकुश का विचार दिया तो उन्हीं के कुल के मैत्रावरूण वशिष्ठ ने सरस्वती नदी के किनारे सौ सूक्त एक साथ रचकर नया इतिहास बनाया।
2. दूसरे महान ऋषि मंत्र शक्ति के ज्ञाता और स्वर्ग निर्माता,
विश्वामित्र:- ऋषि होने के पूर्व विश्वामित्र राजा थे और ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पने के लिए उन्होंने युद्ध किया था, लेकिन वे हार गए। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या और मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग करने की कथा जगत प्रसिद्ध है। विश्वामित्र ने अपनी तपस्या के बल पर त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था। लेकिन स्वर्ग में उन्हें जगह नहीं मिली तो विश्वामित्र ने एक नए स्वर्ग की रचना कर डाली थी। इस तरह ऋषि विश्वामित्र के असंख्य किस्से हैं।
माना जाता है कि हरिद्वार में आज जहां शांतिकुंज हैं उसी स्थान पर विश्वामित्र ने घोर तपस्या करके इंद्र से रुष्ठ होकर एक अलग ही स्वर्ग लोक की रचना कर दी थी। विश्वामित्र ने इस देश को ऋचा बनाने की विद्या दी और गायत्री मन्त्र की रचना की जो भारत के हृदय में और जिह्ना पर हजारों सालों से आज तक अनवरत निवास कर रहा है।
3. तीसरे महान ऋषि ने बताया ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण का मार्ग,
कण्व:- माना जाता है इस देश के सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ सोमयज्ञ को कण्वों ने व्यवस्थित किया। कण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था।
103 सूक्तवाले ऋग्वेद के आठवें मण्डल के अधिकांश मन्त्र महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट हैं। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि हैं, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा ऋषि कहे गए हैं। इनमें लौकिक ज्ञान विज्ञान तथा अनिष्ट निवारण सम्बन्धी उपयोगी मन्त्र हैं।
सोनभद्र में जिला मुख्यालय से आठ किलो मीटर की दूरी पर कैमूर श्रृंखला के शीर्ष स्थल पर स्थित कण्व ऋषि की तपस्थली है जो कंडाकोट नाम से जानी जाती है।
4. चौथे महान ऋषि जिन्होंने दुनिया को बताया विमान उड़ाना,
भारद्वाज:- वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। भारद्वाज ऋषि राम के पूर्व हुए थे, लेकिन एक उल्लेख अनुसार उनकी लंबी आयु का पता चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता द्वापर का सन्धिकाल था। माना जाता है कि भरद्वाजों में से एक भारद्वाज विदथ ने दुष्यन्त पुत्र भरत का उत्तराधिकारी बन राजकाज करते हुए मन्त्र रचना जारी रखी।
ऋषि भारद्वाज के पुत्रों में 10 ऋषि ऋग्वेद के मन्त्रदृष्टा हैं और एक पुत्री जिसका नाम 'रात्रि' था, वह भी रात्रि सूक्त की मन्त्रदृष्टा मानी गई हैं। ॠग्वेद के छठे मण्डल के द्रष्टा भारद्वाज ऋषि हैं। इस मण्डल में भारद्वाज के 765 मन्त्र हैं। अथर्ववेद में भी भारद्वाज के 23 मन्त्र मिलते हैं। 'भारद्वाज स्मृति' एवं 'भारद्वाज संहिता' के रचनाकार भी ऋषि भारद्वाज ही थे।
ऋषि भारद्वाज ने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने 'विमान शास्त्र' के नाम से प्रकाशित कराया है। इस ग्रन्थ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरने वाले विमानों के लिए विविध धातुओं के निर्माण का वर्णन मिलता है।
5. पांचवें महान ऋषि पारसी धर्म संस्थापक कुल के और जिन्होंने बताया खेती करना,
अत्रि:- ऋग्वेद के पंचम मण्डल के द्रष्टा महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहूति की पुत्री अनुसूया के पति थे। अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा माँगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे, तब अनुसूया ने अपने सतित्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत का उपदेश दिया था।
अत्रि ऋषि ने इस देश में कृषि के विकास में पृथु और ऋषभ की तरह योगदान दिया था। अत्रि लोग ही सिन्धु पार करके पारस (आज का ईरान) चले गए थे, जहाँ उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया। अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ।
अत्रि ऋषि का आश्रम चित्रकूट में था। मान्यता है कि अत्रि दम्पति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में जन्मे। ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की भी कृपा थी।
6. छठवें ऋषि शास्त्रीय संगीत के रचनाकार
वामदेव:- वामदेव ने इस देश को सामगान (अर्थात् संगीत) दिया। वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते हैं। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र सामवेद से ही प्रेरित है। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों की संपूर्ण जानकारी मिलती है।
वामदेव जब मां के गर्भ में थे तभी से उन्हें अपने पूर्वजन्म आदि का ज्ञान हो गया था। उन्होंने सोचा, मां की योनि से तो सभी जन्म लेते हैं और यह कष्टकर है, अत: मां का पेट फाड़ कर बाहर निकलना चाहिए। वामदेव की मां को इसका आभास हो गया।
अत: उसने अपने जीवन को संकट में पड़ा जानकर देवी अदिति से रक्षा की कामना की। तब वामदेव ने इंद्र को अपने समस्त ज्ञान का परिचय देकर योग से श्येन पक्षी का रूप धारण किया तथा अपनी माता के उदर से बिना कष्ट दिए बाहर निकल आए।
7. सातवें ऋषि गुरुकुल परंपरा के अग्रज
शौनक:- शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वैदिक आचार्य और ऋषि जो शुनक ऋषि के पुत्र थे।
फिर से बताएं तो वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भरद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक; ये हैं वे सात ऋषि जिन्होंने इस देश को इतना कुछ दे डाला कि कृतज्ञ देश ने इन्हें आकाश के तारामंडल में बिठाकर एक ऐसा अमरत्व दे दिया कि सप्तर्षि शब्द सुनते ही हमारी कल्पना आकाश के तारामंडलों पर टिक जाती है।
इसके अलावा मान्यता हैं कि अगस्त्य, कष्यप, अष्टावक्र, याज्ञवल्क्य, कात्यायन, ऐतरेय, कपिल, जेमिनी, गौतम आदि सभी ऋषि उक्त सात ऋषियों के कुल के होने के कारण इन्हें भी वही दर्जा प्राप्त है।
अंत में पढ़ें कुछ खास तथ्य की बातें...
वेदों का अध्ययन करने पर जिन सात ऋषियों या ऋषि कुल के नामों का पता चलता है वे नाम क्रमश: इस प्रकार है:-
1. वशिष्ठ,
2. विश्वामित्र,
3. कण्व,
4. भारद्वाज,
5. अत्रि,
6. वामदेव और
7. शौनक।
पुराणों में सप्त ऋषि के नाम पर भिन्न भिन्न नामावली मिलती है। विष्णु पुराण अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार है:-
वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत।
विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।
अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं:-
वशिष्ठ,
कश्यप,
अत्रि,
जमदग्नि,
गौतम,
विश्वामित्र और भारद्वाज।
इसके अलावा पुराणों की अन्य नामावली इस प्रकार है:- ये क्रमशः
केतु,
पुलह,
पुलस्त्य,
अत्रि,
अंगिरा,
वशिष्ट तथा मारीचि है।
महाभारत में सप्तर्षियों की दो नामावलियां मिलती हैं।
एक नामावली में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ के नाम आते हैं तो
दूसरी नामावली में पांच नाम बदल जाते हैं। कश्यप और वशिष्ठ वहीं रहते हैं पर बाकी के बदले मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह और क्रतु नाम आ जाते हैं।
कुछ पुराणों में कश्यप और मरीचि को एक माना गया है तो कहीं कश्यप और कण्व को पर्यायवाची माना गया है। यहां प्रस्तुत है वैदिक नामावली अनुसार सप्तऋषियों का परिचय।
विप्रेश राना
राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव
सुप्रभात
विश्वास रखिये सब अच्छा होगा
आज नहीं तो कल होगा................. 🌹
विप्रेश राना
राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव
अखंड हिन्दू महासंघ
हर मुसलमान अपने बच्चे को मदरसे में भेजता है, परंतु ख़ुद को कट्टर सनातनी समझने वाले तथाकथित हिंदू अपने बच्चों को गुरुकुल नहीं भेजते ! हिंदुओं तुम्हारा यह ढोंग कब तक चलेगा ? आख़िर कब तक नारा लगाते रहोगे क्या नारा कभी सिद्ध करके नहीं दिखाओगे ? ध्यान पूर्वक सुनो और उत्तर दो !
जय जय श्री राम
इस वीडियो को सभी लोग ध्यान पूर्वक सुने और समझे क्योंकि यह आज की हकीकत है और सभी इस पर विशेष करके ध्यान दें
9411870506 whatsapp
#हिन्दू_हित
#जागोहिन्दूजागो
जब भी कोई #चोटी और #जनेऊ को देखता है तो उनके मन में एक धारणा होती है कि ये #ब्राह्मण है!
और कई तो पूछ भी लेते है कि आप ब्राह्मण हो क्या?
लेकिन उन्हें जब पता चलता है कि ये #जाट #रोड़ #गुर्जर #यदुवंशी #बनिया #छत्रिय #वाल्मीकि #वनवासी तो वो पूछते है दूसरे कास्ट होकर #चोटी क्यों रखते हो?
अब यहाँ एक सवाल खड़ा होता है!
क्या आप कभी किसी #सरदार_जी से पूछते हो कि #पगड़ी क्यो बांधते हो?
किसी #मौलाना से पूछते हो #टोपी क्यों पहनते हो?
किसी #ईसाई से पूछते हो यीशु का #लोकेट क्यों पहनते हो?
सोच विचार कर देखिए आज कितने #हिन्दू चोटी रखते है?
कितने #जनेऊ पहनते है?
कितने #वेद, #शास्त्र, #उपनिषद, #दर्शन, #रामायण, #महाभारत, #सत्यार्थ_प्रकाश #गीता आदि ग्रन्थ पढ़ते है?
हमारे #पतन का कारण हम स्वयं है!
समाज में मुश्किल से कुछ प्रतिशत लोग है जो अपनी पहचान बनाए हुए है! उन्हें भी लोग अलग ही नजरिए से देखते है!
किसी अन्य को दोष देने से बेहतर है अपने आप मे सुधार करें, अपनी आने वाली पीढ़ी को संस्कारित करें,उन्हें मानवता का पाठ पढ़ाए अपने धर्म और संस्कृति को और ज्यादा गहराई से जानने के लिए अपने आस पास के मंदिरों में जाए वहां होने वाली गतिविधियों में भाग ले और अपने श्रेष्ठ ऋषियों महर्षियो की विद्या यानी #वेद_विद्या को जानकर अपनी महान सनातन संस्कृति को अपनाए।
🚩🌺 जय जय श्री राम 🌺🚩
अखंड हिन्दू महासंघ - भारत
*संगठनात्मक घोषणा*
*श्री - रमन नदराजन*
*पद - कन्याकुमारी अध्यक्ष*
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वार्ष्णेय कॉलेज, वार्ष्णेय मंदिर पंजाब नेशनल बैंक के पास
Aligarh, 202001
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Aligarh, 202001
इस पेज का मकसद पसमांदा जातियों की समस्याओं और सवालों को सामने लाना है।
AH/206, Talanagari Ramghat Road Aligarh
Aligarh, 202125
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