हिंदी साहित्य मन
मैं माटी का हूंँ इक पुतला,मैं कोई भगवान नही हूंँ।
सच को सच न लिख पाऊँ,मूक बधिर अंजान नही हूंँ।
मनीष
मेरे नए फ़ॉलोअर्स का स्वागत है! आपसे जुड़ना मेरे लिए खुशी की बात है! Mukesh Mahto, Bheem Parsad Saroj
आज मेरी आईडी रिकवर हो गई ।
शुक्रिया फेसबुक टीम🙏🏻❤️
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं और बधाइयां Rohit Kumar भाई🍰🍰🍁🍁
इस पेज से जितने लोग जुड़े हैं।सभी अपना अपना परिचय दें।जिससे एक दूसरे से परिचित हो सकें और ज्ञात हो सके कौन मित्र कहां से हैं?
कवि सम्मेलन सराय अकील ❤️
मात्र सोशल मीडिया पर लिख देने से पितृ भक्ति साबित नहीं होती। सच्ची पितृ भक्ति तो तब होगी जब बच्चे पिता के मान,सम्मान का ध्यान रखते हुए नेक आचरण करते हुए पिता को गौरवंतित करें। पिता की जिम्मेदारियों को बांट सकें। यदि पिता विषम परिस्थितियों में उलझे हुए हों तो उस समय उनके पास बैठकर कह सकें,“पिताजी,हम हैं न,सब कुछ ठीक हो जायेगा।
#मनीष_मन
#पितृदिवस
है अजब तमाशा दुनिया में
बस झगड़ा झांँसा दुनिया में
सच कहने वाला मुजरिम है
और झूठ खुदा सा दुनिया में
#मनीष_मन
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Mukesh Kumar, Vimal Tiwari
यह जो मुंह बनाकर दबी हुई आवाज में बोलते हैं ना बेटी हुई है.. 🙂
उन्हें एक बार UPSC का रिजल्ट देखना चाहिए..!!
मैं अपने इरादों की गठरी उठाए कहीं जा न पाया
हमेशा ये धड़का रहा महफ़िल-ए-दोस्ताँ खो न जाए
अज्म बहजाद
|| तेरे मेरे ख्याल || मैम रेखा अग्रवाल ||✍️❣️❣️
शानदार इवेंट रहा, सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ❣️🥰
#मनीष_मन
हिंदी साहित्य मन मनीष कुमार मनीष कुमार
पिछले 30 दिनों में मुझे अपनी पोस्ट पर 900 रिएक्शन रिएक्शन मिले हैं. आपके सपोर्ट के लिए, आप सभी का धन्यवाद. 🙏🤗🎉
एक मुक्तक
किसी की डाँट अच्छी है किसी का प्यार अच्छा है।
अगर हम लोग हैं अच्छे तो ये संसार अच्छा है।
नियम कुदरत का कहता है कि परिवर्तन जरूरी है,
नए कोपल निकलने हैं तो ये पतझार अच्छा है।
#मनीष_मन
फर्ज के पांँव, कुचलें हैं, हर ख्वाहिशें।
अधखिली ख्वाहिशें खिल सकी ही नहीं।
आबे रहमत को दर दर भटकते रहे,
पर दुआएँ हमें मिल सकी ही नहीं।।
#मनीष_मन
❤️😊
आंँख में आंँसू लिए हँसते गए हम,
जिंदगी की जाल में फंँसते गए हम।
जो दगा मिलता गया हर मोड़ पर तो,
हर डगर डर डर कदम रखते गए हम।
दर्द आंँसू के सिवा हमको दिया क्या! ई
प्रश्न उस भगवान से करते गए हम।
इस तरह से मौत ने हमको बुलाया,
बांँध कर सर पर कदम बढ़ते गए हम।
सोचने से सिर्फ मंजिल कब मिली है,
सोंच कर मीलों यही चलते गए हम।
#मनीष_मन
हिंदी साहित्य मन
मनीष कुमार @मनीष कुमार
मेरे नए टॉप फ़ैन का बहुत-बहुत आभार! 💎
विदुर सिंह हरिवियोगी
साहिल दर्पण Dilip Patel Suleman Ali Sanjay Kumar Jaswant Kaur Jaswant Kaur Rakesh Mouray Vikash Kumar Stefan Hans Everyone
निशब्द हूं,यहां पहुंच कर जो मन को शांति मिली वो कहीं नहीं मिली।
जय बाबा आनंदेश्वर नाथ की....❤️❤️
कहीं रस्ता भटककर खो न जाए।
कहीं वो नींद गहरी सो न जाए।
बहुत उलझा हुआ है एक लड़का,
कहीं कोई कहानी हो न जाए।
#मनीष_मन
हिंदी साहित्य मन मनीष कुमार
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एक ही लक्ष्य एक ही उद्देश्य नोबेल पुरस्कार हमारा है आज नहीं तो कल यह सपना साकार होगा
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