कवि ऋषि कुमार 'प्रभाकर'
एक ही लक्ष्य एक ही उद्देश्य
नोबेल पुरस्कार हमारा है
आज नहीं तो कल यह सपना साकार होगा
विभिन्न भावों की प्रतिनिधि 80 कविताओं का संग्रह, "अंधेरे का दीप" , अब अमेज़न और फ्लिपकार्ट आदि पर उपलब्ध है
"यादों की किताब से"-
सुबह सवेरे नींद से जब जागता हूँ मैं,
सहसा भनक में यही आँकता हूँ मैं,
कि शबनम से तर कोई एक गुलाब मेरे पास है,
तुम्हारे यादों की सचित्र एक किताब मेरे पास है।
✍️"अंधेरे का दीप"से
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सोना तप जाये आग में तो कंचन कहते हैं,
फूल चढ़ जाये चरणों में तो वंदन कहते हैं,
दिल से दिल के रिस्ते को बंधन कहते हैं,
लाया हूं मुट्ठी में खुशबू मुझे चंदन कहते हैं।
-आपका चन्दन कुमार 'मानवधर्मी'
चन्दन कुमार 'मानवधर्मी'
गीतकार लेखक कवि शिक्षक
#चन्दन_कुमार_मानवधर्मी
समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत मैं नास्तिक क्यो हूँ। Sanjay Ray Singham कृष्ण कान्त शर्मा 'कामिल' काव्यांजलि "एक अनूठा आरंभ"विश्व मंच काव्य सुगन्धा "प्रदीप" जज़्बात सफर के डॉ.बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी पुस्तक समीक्षा प्रगतिशील लेखक संघ, उ.प्र. मुक्तिबोध: प्रतिदिन अच्छे विचार हिंदी साहित्य भारती हिंदी गौरव-कदम स्वाभिमान की ओर वैदिक ज्ञान Awadh ojha Bodhisattva Swami Anand Arun Chetan Bhagat Dr. Kumar Vishwas Dr. Kumar Vishwas Poetry Dr Kunwar Bechain Poetry by Smrati Nyas Australia Dr. Vishnu Saxena Dharadham International
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#चंदन_कुमार_मानवधर्मी
गीतकार गायक कवि शिक्षक
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समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत मैं नास्तिक क्यो हूँ। Omprakash Gautam Satish Chandra Pandey
Suna A Lali, My Dear Musics, my dear musics, Dear musics, music,गायक गीतकार चन्दन कुमार मानवधर्मी A channel that provides you full songs of attribute to our great humanitarian or social reformers, like baba sahab Dr bheem Rao ambedkar, Jyotiba Fule, Savit...
इसे खाने का और पाने का मजा तब और बढ़ जाता है जब किसी के खेत से छुप-छुप कर उखड लाया जाए और भूज कर खाया जाए
होरहा...... जानते हो? 😀😀😀
मेरे अकाउंट पर 900 फ़ॉलोअर हो गए हैं! अपना सपोर्ट देने के लिए आपका धन्यवाद. आप सभी के सपोर्ट के बिना मेरे लिए यह कर पाना संभव नहीं था. 🙏🤗🎉
ग्राम खजुरी खुर्द के पूर्व प्रधान श्री हरी कृष्ण सिंह पटेल जी के सुपुत्र पंकज सिंह बिहार tgt संस्कृति मे पहला स्थान लाने के बाद जूनियर और economicमे भी चयन हुआ, बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं💐💐💐
❤❤
कटे बचपन सूखी रोटी के साथ
बढ़े उम्र,भूंजी रोटी बोटी के साथ
रोटी की कदर करो सब लोग
वरना कटे बुढ़ापा जड़ीबूटी के साथ
मेरे अकाउंट पर 800 फ़ॉलोअर हो गए हैं! अपना सपोर्ट देने के लिए आपका धन्यवाद. आप सभी के सपोर्ट के बिना मेरे लिए यह कर पाना संभव नहीं था. 🙏🤗🎉
मिलोगी आज तो सारा शहर सजा देंगे
जिस राह से आओगी उस राह में फूल बिछा देंगे,
❤❤❤🥰😍😍🤝🤝🤝👨👩👧👨👩👧👦👨👩👦👦👨👩👧👧
कर लो जान मुझसे शादी तुम
बच्चों के लिए शौचालय बनवा देंगे
Ajay Kumar जी क्या गजब पंक्ति लिखते हो😄😇😊🤣🤣
रह कर खामोश हर बात बता देते है
चेहरे अच्छे बुरे हालात बता देते है.......!!
सुलगते अल्फ़ाज़ - A.S.
चंद्रशेखर आजाद पार्क के साथ-साथ कुछ पुरानी तस्वीर
बहन जी के ग्रह जनपद गौतम बुद्ध नगर में गांव नगला हुकम सिंह से अपने जाटव समाज की बेटी स्व: नेत्रपाल सिंह जी की लड़की "कु मंजू जी" का उत्तर प्रदेश सिविल जज में चयन होने पर पूरे परिवार व समस्त जाटव समाज को हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं शुभकामनाएं
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जो कुछ नहीं करता, वह जाहिरा तौर पर सहमत होता है।
27 और 28 August को प्रकाशित सभी रचनाकारों की रचनाएं चंद्रयान पर अत्यंत खूबसूरत है इसी क्रम में हमारी भी रचना मैं चंद्रयान नामक 28 अगस्त को प्रकाशित हुई है, जो की रचना इस प्रकार से है
कविता-मैं चंद्रयान
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मैं चंद्रयान,चंदा मामा,
आपका हाल जानने आया हूं|
बाबा दिनकर की कविता पढ़कर,
आपके कुर्ते का नाप लेने आया हूं,
क्या वर्षा गर्मी शरद यहां?
बसंत सहित भारत जैसी जलवायु यहां?
मामा जगह बता दो कहां खोज करु
लंबा सफर करके,बस सवाल पूछने आया हूं||
क्या जीवन यहां संभव है?
क्या कोई खजाना मिलना संभव है?
मामा! अपनी मिट्टी से मुझे मिलने दो
मैं मिट्टी का हाल जानने आया हूं||
आना कभी घर पर मेरे
लोग है जपते कैसे नाम तुम्हारे
गीत-भजन,किताबों में छपी कहानी का
मामा बस सच जानने मैं आया हूं,
तस्वीर ले लूं यहां कि मैं,
क्या सच है,भेज दूं संदेश मैं,
लड़ रहे हैं लोग आपको पढ़-पढ़ कर
फैली झूठ कहानी का सच जानने मैं आया हूं
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ऋषि कुमार 'प्रभाकर'
पता खजुरी खुर्द कोरांव प्रयागराज
इंदौर समाचार अखबार के संपादक को बहुत-बहुत धन्यवाद❤
सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई!
निरंकारी मिशन की भजन
सिंगर लक्ष्मी त्यागी
गीतकार-ऋषि कुमार 'प्रभाकर'
लाइक कमेंट करना ना भूले
नोट- भजन में शब्द सुधार की जरूरत है
हमारे प्रिय मित्र ओम प्रकाश जाटव जी का एक्सीडेंट हो गया है मैनपुरी जा रहे थे पत्नी के साथ बीएड का पेपर देने और दिलाने, दोनों पैरों में चोट आई है बहुत ज्यादा
साहब कबीर भगवान बुद्ध से प्रार्थना है मित्र का स्वास्थ्य अच्छा हो💔🙏
खबर यह है कि अभी हॉस्पिटल में है और स्वस्थ है
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बुद्ध का नाम विष्णु, ईश्वर, इन्द्र, व्यास, विनायक कैसे है?
बुद्धिस्ट वैपुल्य सूत्रों में एक नाम आता है लंकावतार सूत्र जिसमे बौद्ध राजा रावण को बुद्ध उपदेश दे रहे है।
इसी रावण की कहानी और दशरथ जातक कथा को जोड़कर एक नई कहानी बनाई गई जिसमे सीताहरण का कॉन्सेप्ट रावण के द्वारा जोड़ दिया गया और तभी इसका अनुवाद चीनी भाषा में हुआ आज भी बुद्धिस्ट देश में इस तरह का एक्सटेंड वर्शन जातक कथा पाया जाता है ख़ास बात यह की बुद्धिस्ट देशों में राम और रावण दोनों बुद्धिस्ट ही है।
हालाँकि 5th सेंचुरी में बुद्धघोष तिपितक पर टीका अट्टकथा लिखते समय इस सीताहरण प्रसंग जोड़े जाने का विरोध भी जताते है।
अब इसी लंकावतार सूत्र में बुद्ध के विभिन्न नाम प्रयुक्त हुए है जैसे स्वयंभू, विनायक, बुद्ध, ब्राह्मण, विष्णु, ईश्वर, राम, व्यास, इंद्र, बलि, वरुण इत्यादि ।
कुछ लोग आश्चर्य करेंगे की आज ये सारे नाम आसमानी है और ब्राह्मणसंप्रदाय में प्रयोग हो रहा है।
तो जवाब यही पर तो छुपा है की यही से सारे नाम कॉपी किए गए है चुकी ये महायान की भाषा पाली पाक्कित मिश्रित यानी आज के संस्कृत कि पूर्वज भाषा या प्रोटो संस्कृत या बुद्धिस्ट हाइब्रिड संस्कृत (BHS) थी और चुकी आज के ब्राह्मण संप्रदाय ने भी उसी भाषा को स्वीकार कर क़ब्जा किया और बाक़ी के बहुजनों को संस्कृत पढ़ने पर रोक लगा दी ऐसे में ऐसे ग्रंथों में क्या क्या लिखा था बहुजन भूलते गये। और महायान रचित HBS पर ब्राह्मणों का एकछत्र क़ब्जा होते गया और इसलिए आज जितनी भी बुद्धिस्ट कथा कहनिया थी सबको मॉडिफाई करके अपने हिसाब से ब्राह्मण मुस्लिम शासन काल में लिखता रहा और मूल सोर्स को ख़त्म करता रहा साथ ही बहुजन समाज के लिए नफ़रत भी पैदा करता रहा।
धम्म की महायान शाखा जिसने पाली पाक्कित को संस्कारित करके यानी बनावटी बनाया जिसे संस्कृत कहा जाता है हालाँकि आज कि संस्कृत उस संस्कृत से काफ़ी अलग है इसलिए इतिहासकारों लिपिकारो को उसे बुद्धिस्ट हाइब्रिड संस्कृत (HBS) संस्कृत कहना पड़ा।
भारतीय इतिहासकार अभी उसे संस्कृत ही बोलते है ताकी समस्त भारतीय अभी भी कंफ्यूज रहे की पाली पाक्कित से संस्कारित होकर विभिन्न चरणों में धीरे धीरे जो बनावटी भाषा संस्कृत बना वो बुद्धिस्ट महायान शाखा की देन है।
और उसी महायान शाखाओ की गुणवाचाक बातो को जातिवाचक, भेदभाव सूचक और उनके अर्थों का अनर्थ करके आज बोधिस्त्वों का नामकरण बुद्ध के विभिन्न नामो का प्रयोग कर भेदभाव पैदा कर ढोंगी अपनी पेट पालता रहा और जिस तरह बुद्ध के विभिन्न नामो को अलग अलग देवी देवता बनाया वैसे ही समण
समाज को भी भिन्न भिन्न नाम देकर जातियो में बाँट कर उचनीच के बीज बोए।
चुकी पूरे देश में लोग बुद्धिस्म को ही मानते थे इसलिए बुद्धिस्ट महाविद्यालयों को जलवाये जाने के बाद भी महायान शाखा पर काबिज ढोंगी वर्ग आसानी से राजवंशों में अपनी पैठ बना सका क्योकि राजवंश बुद्धिस्ट ही थे। और फिर धीरे धीरे राजवंश भी उसकी गिरफ़्त में आते गये जिन राजवंशो ने इंकार किया उन्हें शूद्र कहा जाने लगा।
बुद्ध के विभिन्न नाम लंकावतार सूत्र में आप ख़ुद पढ़ लीजिए
Science Journey on Twitter “बुद्ध का नाम विष्णु, ईश्वर, इन्द्र, व्यास, विनायक कैसे है? बुद्धिस्ट वैपुल्य सूत्रों में एक नाम आता है लंकावतार सूत...
कविता- सगुना मुंडा
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प्रकृति पुजारी
हे आदिवासी
आदि काल से-
हो तुम निवासी,
जंगल सारा
था ए तुम्हारा,
सरिता भू वन
तुमको प्यारा,
कोल भील है
उप जाति तुम्हारी,
मुंडा भी है
समुदाय तुम्हारी,
इसी में जन्मा
है एक लल्ला,
जिसका नाम है
बिरसा मुंडा,
15 नवंबर 1875
रांची निकट उलीहातू मोहल्ला,
पिता का नाम है सगुना मुंडा
मां करमी गोदी जन्मा लल्ला,
धरती बाबा बिरसा मुंडा,
धरा पे अपने ध्यान लगाया,
प्रकृति विरासत के संग,
भारी अत्याचार को पाया,
अंग्रेजों का एक धंधा था,
कब्जा करना उनका फंडा था,
वन धरा पर किये चढाई,
भू वन को कौन बचाएं-
ना कोई ऐसा बन्दा था,
वन में जब लगी कटाई
रोने लगे सब मुंडा भाई,
नेतृत्व विहीन कौंम रहा
कोई नही अब होत सहाई,
एक नवयुवक आगे आया,
सबको बुलाके सभा लगाया,
रोओ मत अब साथ दो
सब कोई मिल शत्रु को मात दो,
नाम है उसका बिरसा मुंडा,
हर हाथ में दे दिया आजादी का झंडा,
हर घर से बच्चा जन सब निकल पड़े,
हर चौकी पर गाड़ रहे आजादी का झंडा,
उलगुलान का नारा देकर,
दीया अंग्रेजों को संदेश,
अबुआ दिशुम अबुराज से
अपना देश अपना राज का लें सब संदेश,
कर लगान किया विरोध,
कौम के सर से हटाए बोझ,
कई वर्ष तक चलीं लड़ाई
अंग्रेजों की सेना पकड़ न पाई,
इनाम के लालच में आकर के,
साथी ने पता दिया अंग्रेजों को जाके,
पकड़ कर लाए केन्द्रीय जेल में
शत्रु! बाबा को जहर पिलाए जेल में जाके,
देश धर्म समाज का रक्षक
जाति पंथ सांस्कृतिक रक्षक
सदा सदा के लिए सो गया-
भारत की प्रकृति विरासत का रक्षक
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ऋषि कुमार 'प्रभाकर'
समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत
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