Pandit jai Dubey
एक बेहतरीन ज़िन्दगी जीने के लिए यह
स्वीकार करना जरूरी है..
की सब कुछ सबको नही मिल सकता..!!
पैसा बेशक किसी भी इंसान को अमीर या
गरीब बना सकता है पर छोटा या बड़ा नही!
इस दुनिया की सबसे खूब सूरत चीज़"नींद"है जो इंसान को कुछ देर के लिए हर एक गम से आज़ाद कर देती है जीवन होता बहुत सरल है इसे उलझाइये नहीं बैठिये चाय पीजिये जाइये नहीं मुश्किलें आज हैं कल नहीं होंगी, ज़ख्म हैं तो मलहम लगाइये,खुजाइये नहीं जो आज उसका है कल किसी और का होगा परिवर्तन चलता रहता है,घबराइये नहीं, कोई कैसा भी हो आपकी ज़िंदगी का हिस्सा है याद करते रहिये, भुलाइये नहीं आकाश की तरह सबसे दोस्ती रखिये पर दिल हर किसी से लगाइये नहीं आप खुश हो अच्छी बात है आपकी वजह से कोई खुश है ये सबसे अच्छी बात है हार जाना ग़लत नहीं है लेकिन हार मान लेना ग़लत है ।क्योंकि पूर्णविराम का मतलब अंत ही नहीं होता बल्कि एक नए वाक्य की शुरुआत भी होता है.जिन्दगी को जीओ उसे समझने की कोशिश ना करो चलते वक्त के साथ चलो,वक्त को बदलने की कोशिश न करो.दिल खोल कर सांस लो अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न करो कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दो सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न करो रिश्ता कभी खत्म नहीं होता बातों से छूटा तो आँखों में रह जाता है आँखो से छूटा तो यादों में रह जाता है।।
मन का दर्पण
एक गुरुकुल के आचार्य अपने शिष्य की सेवा से बहुत प्रभावित हुए । विद्या पूरी होने के बाद जब शिष्य विदा होने लगा तो गुरू ने उसे आशीर्वाद के रूप में एक दर्पण दिया ।
वह साधारण दर्पण नहीं था । उस दिव्य दर्पण में किसी भी व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी ।
शिष्य, गुरू के इस आशीर्वाद से बड़ा प्रसन्न था । उसने सोचा कि चलने से पहले क्यों न दर्पण की क्षमता की जांच कर ली जाए ।
परीक्षा लेने की जल्दबाजी में उसने दर्पण का मुंह सबसे पहले गुरुजी के सामने कर दिया ।
शिष्य को तो सदमा लग गया । दर्पण यह दर्शा रहा था कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण स्पष्ट नजर आ रहे है ।
मेरे आदर्श, मेरे गुरूजी इतने अवगुणों से भरे है ! यह सोचकर वह बहुत दुखी हुआ. दुखी मन से वह दर्पण लेकर गुरुकुल से रवाना हो गया तो हो गया लेकिन रास्ते भर मन में एक ही बात चलती रही. जिन गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित एक आदर्श पुरूष समझता था लेकिन दर्पण ने तो कुछ और ही बता दिया ।
उसके हाथ में दूसरों को परखने का यंत्र आ गया था । इसलिए उसे जो मिलता उसकी परीक्षा ले लेता ।
उसने अपने कई इष्ट मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर उनकी परीक्षा ली । सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया ।
जो भी अनुभव रहा सब दुखी करने वाला वह सोचता जा रहा था कि संसार में सब इतने बुरे क्यों हो गए है । सब दोहरी मानसिकता वाले लोग है ।
जो दिखते हैं दरअसल वे हैं नहीं । इन्हीं निराशा से भरे विचारों में डूबा दुखी मन से वह किसी तरह घर तक पहुंच गया ।
उसे अपने माता-पिता का ध्यान आया । उसके पिता की तो समाज में बड़ी प्रतिष्ठा है । उसकी माता को तो लोग साक्षात देवतुल्य ही कहते है । इनकी परीक्षा की जाए
उसने उस दर्पण से माता-पिता की भी परीक्षा कर ली । उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा । ये भी दुर्गुणों से पूरी तरह मुक्त नहीं है । संसार सारा मिथ्या पर चल रहा है ।
अब उस शिष्यों के मन की बेचैनी सहन के बाहर हो चुकी थी ।
उसने दर्पण उठाया और चल दिया गुरुकुल की ओर । शीघ्रता से पहुंचा और सीधा जाकर अपने गुरूजी के सामने खड़ा हो गया ।
गुरुजी उसके मन की बेचैनी देखकर सारी बात का अंदाजा लगा चुके थे ।
चेले ने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा- गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर्पण की मदद से देखा कि सबके दिलों में तरह-तरह के दोष है । कोई भी दोषरहित सज्जन मुझे अभी तक क्यों नहीं दिखा ?
क्षमा के साथ कहता हूं कि स्वयं आपमें और अपने माता-पिता में मैंने दोषों का भंडार देखा । इससे मेरा मन बड़ा व्याकुल है ।
तब गुरुजी हंसे और उन्होंने दर्पण का रुख शिष्य की ओर कर दिया । शिष्य दंग रह गया । उसके मन के प्रत्येक कोने में राग-द्वेष, अहंकार, क्रोध जैसे दुर्गुण भरे पड़े थे । ऐसा कोई कोना ही न था जो निर्मल हो ।
गुरुजी बोले- बेटा यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दुर्गुण देखकर जीवन में सुधार लाने के लिए दिया था न कि दूसरों के दुर्गुण खोजने के लिए ।
जितना समय तुमने दूसरों के दुर्गुण देखने में लगाया उतना समय यदि तुमने स्वयं को सुधारने में लगाया होता तो अब तक तुम्हारा व्यक्तित्व बदल चुका होता।
आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करके व्यक्ति कई मुसीबतों से निजात पाने के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है. चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि जो लोग दूसरों के सुख से दुखी होते हैं वो जीवन में खुशी से वंचित रहते हैं.
चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि हर इंसान को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए. चाणक्य नीति के 13वें अध्याय के 15वें श्लोक में इस बात का वर्णन किया गया है.
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्। जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य दुख-सुख की चर्चा करते हुए कहते हैं कि जिस व्यक्ति का मन स्थिर नहीं होता वो दूसरों के सुख से दुखी रहते हैं. ऐसे व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है और न वन में ही खुश रहते हैं.
आचार्य चाणक्य बताना चाहते हैं कि सुख पाने के लिए मन का शांत एवं स्थिर रखना चाहिए. जिस व्यक्ति का मन स्थिर नहीं रहता है वो अक्सर दूसरे लोगों को फलता-फूलता देखकर दुखों से घिरा रहता है.
ऐसे में यदि वो वन में भी चला जाए तो अकेलापन उसे परेशान करता है. चाणक्य के अनुसार अगर व्यक्ति में संतोष की भावना नहीं हो तो कहीं भी खुशी नहीं मिलेगी
चार रिश्ते एक दिशा में तब ही चलते हैं, जब पांचवा कंधे पर हो....पूरी जिंदगी हम इसी बात में गुजार देते हैं कि चार लोग क्या कहेंगे और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि...
🙏"राम नाम सत्य है"🎈💯
बुरी संगत उस कोयले के समान है... जो गर्म हो तो हाथ जला देता है... और ठंडा हो तो काला कर देता है..!!
Pandit jai Dubey 🙏
उम्र से सम्मान जरूर मिलता है... पर
आदर तो
केवल व्यवहार से ही मिलेगा..!!
जब आप तप करते है तो अकेले करे.
अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे.
गायन करते है तो तीन लोग करे.
कृषि चार लोग करे.
युद्ध अनेक लोग मिलकर करे.
Pandit jai Dubey ...🙏🙏
चाणक्य ने स्त्रियों के बारे में काफी बातें बताई है. चाणक्य की माने तो अच्छी पत्नी वो है, जो मन से पवित्र हो और अपने पति से ही प्यार करे. साथ ही पतिव्रता होने का पालन करे. चाणक्य की राय में जिस पत्नी को पति से प्यार हो, जो अपने पति से सत्य बोले उस स्त्री के साथ रहकर किसी भी पुरूष का जीवन सफल हो जाता है.
डाली पर बैठे हुए परिंदे को
पता है कि डाली कमज़ोर है ..
फिर भी वो उस डाली पर
बैठता है क्योंकि उसको डाली से
ज़यादा अपने पंख पर भरोसा है. | "
इसलिए
अपने आप पर भरोसा रखें
अपने गुण को पहचानें
🙇♂ जय श्री कृष्णा 🙇♂
🙏 सुप्रभात 🙏
💔Na kiya kar Apne Dard-€-Dil
Ki Shayri mein Bayaan...!
💔Log aur toot jate hain har Lafz ko Apni Daastan samjh kar...!
Ek tarfa hi rahi hamesha mohbbat meri
Kisi se khayalaat na mile kisi se halaat 🥺
Sab kitna jldi badal jata hena
Jise mera hath pakdna chahiye tha
Wo meri ek glti h pakd ke Beth gaya 🥺😢
अनजान राह न जाने कहाँ ले जाएगी
बसा कर दर्द कितना लेखन करवाएगी
लहरें उठती सागर पर उछल उछल कर
न जाने दर्द बसा कर कब कूल पाएगी
सूनी सड़क पर अब सफ़र सूना हुआ
तपते बदन को छाँव कब मिल पाएगी
बादल होते सघन ले जाती हवा उड़ाकर
भूल चुके जो उनको कब याद आएगी
दिल खो जाना चाहता है दूर वादियों में
अपनी ही आवाज कब गूंज बन जाएगी
नादान दिल को मनाना होता बस में नहीं
चेहरे की उदासी भला कब छिप पाएगी
इंतज़ार की हद तक अब इंतज़ार हुआ
‘दिवि‘ तेरी चाहत इक दिन रंग लाएगी
सुप्रभात मित्रों
सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव
कभी धूप तो कभी छांव
ऊपर वाला पांसा फेंके नीचे चलते दांव
कभी धूप तो कभी छांव
Pindit jai Dubey 🙏🙏
आज के बाद, इसरत-ए-मजलिस-ए-शाम-ए-ग़म कहाँ
दिल ना लगे गा तेरे बाद
पर तेरे बाद हम कहाँ
#बिछड़ कर फिर #मिलेंगे___ #यकीन कितना है
बेशक #ख्वाब ही है ___मगर #हसीन कितना है
💞❣️💞❣️
ज़ुल्म इतना न कर कि ….
लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा !
हमने ज़माने को तुझे
अपनी जान बता रखा है !
जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में लाखों की संख्या में मौजूद ब्राह्मण समाज के नेताओं ने राजनीतिक दलों के सामने रखी अपनी मांगे..
1. EWS आरक्षण 10% से बढ़ाकर 14% किया जाय..
2. पंचायत चुनावों में भी EWS आरक्षण का लाभ दिया जाए..
3. Sc st एक्ट में संशोधन किया जाए+
❝तू अपनी खूबियां ढूंढ ....
कमियां निकालने के लिए लोग हैं |
अगर रखना ही है कदम....
तो आगे रख ,
पीछे खींचने के लिए लोग हैं |
सपने देखने ही है .....
तो ऊंचे देख ,
निचा दिखाने के लिए लोग हैं |
अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का ,
जलने के लिए लोग हैं |
अगर बनानी है.....
तो यादें बना ,
बातें बनाने के लिए लोग हैं|
प्यार करना है....
तो खुद से कर ,
दुश्मनी करने के लिए लोग है |
रहना है....
तो बच्चा बनकर रह ,
समझदार बनाने के लिए लोग है |
भरोसा रखना है....
तो खुद पर रख ,
शक करने के लिए लोग हैं |
तू बस सवार ले खुद को...
आईना दिखाने के लिए लोग हैं |
खुद की अलग पहचान बना....
भीड़ में चलने के लिए लोग है |
तू कुछ करके दिखा दुनिया को......
बस कुछ करके दिखा ,
तालियां बजाने के लिए लोग हैं।
बुरे समाचार तथा गंदी फिल्में आपके मस्तिष्क पर बहुत ही ज्यादा नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इनसे बचे और सिर्फ अच्छी डॉक्यूमेंट्री देखे या पुस्तके पढ़े।
किसी को आपसे प्यार करने के लिए मजबूर ना करें क्योंकि भीख मे मांगी हुई मोहब्बत मौत से भी बदतर है। अपना आत्मसम्मान बचाये रखना आपके ही हाथ है।
Screenshot के जमाने मे अपनी सीक्रेट बातों को किसी के साथ साझा ना करें। जब आप अपनी बात को अपने तक नहीं रख सकते तो आप दूसरों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं।
अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो वह करें जो आप करना चाहते हैं पर इस बात का ध्यान रखें कि क्या वह आपके परिवार और आपके लिए अच्छा है।
अगर आप अपने जीवन मे सुखी रहना चाहते हैं तो अपने करीबी व्यक्ति से भी उम्मीद ना करें। आपका जीवन आपकी जिम्मेदारी है।
जो व्यक्ति अपनी कामवासना पर नियंत्रण कर सकता है वह व्यक्ति अपने जीवन मे सफलता को बहुत ही तेजी से पा सकता है।
आपकी शक्ल बाहरी दुनिया मे इज्जत पाने के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। लोग प्रथमदृष्टया आपकी अंदरूनी सुंदरता से ज्यादा बाहर की सुंदरता को देखते हैं।
सफलता पाने के लिए नज़र के साथ नज़रिया ठीक रखो
सिर्फ हमारी सोच का फर्क होता हैं, वरना समस्याएं जब आती हैं तो वह हमें कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाने के लिए आती हैं।
परिस्थितियाँ जितनी ज्यादा आपको तोड़ती हैं, उससे कहीं ज्यादा आपको मजबूत बना देती हैं।
प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ भगवान पर निर्भर करता हैं, और प्रयास ऐसे करो जैसे सब कुछ आप पर निर्भर करता हैं।
जिंदगी की हर सुबह कुछ शर्त लेकर आती हैं, और जिंदगी की हर शाम कुछ तजुर्बा देकर जाती हैं।
गलती जीवन का एक पन्ना हैं, लेकिन रिशता पूरी किताब हैं जरूरत पड़ने पर गलती का एक पन्ना फाड़ देना, लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब मत फाड़ना।
किरण चाहे सूर्य की हो या फिर आशा की जीवन के सभी अंधकार मिटा देती हैं।
🔻हमेशा सोच समझकर काम करें।
जब कर्ण के रथ का पहिया जमीन में फंस गया तो वह रथ से उतरकर उसे ठीक करने लगा। वह उस समय बिना हथियार के थे...भगवान कृष्ण ने तुरंत अर्जुन को बाण से कर्ण को मारने का आदेश दिया।
अर्जुन ने भगवान के आदेश को मान कर कर्ण को निशाना बनाया और एक के बाद एक बाण चलाए। जो कर्ण को बुरी तरह चुभता हुआ निकल गया और कर्ण जमीन पर गिर पड़े।
कर्ण, जो अपनी मृत्यु से पहले जमीन पर गिर गया था, उसने भगवान कृष्ण से पूछा,
"क्या यह तुम हो, भगवान? क्या आप दयालु हैं? क्या यह आपका न्यायसंगत निर्णय है! एक बिना हथियार के व्यक्ति को मारने का आदेश?
सच्चिदानंदमय भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए और उत्तर दिया, "अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु भी चक्रव्यूह में निहत्था हो गया था, जब उन सभी ने मिलकर उसे बेरहमी से मार डाला था, आप भी उसमें थे। तब कर्ण तुम्हारा ज्ञान कहाँ था? यह कर्मों का प्रतिफल है. यह मेरा न्याय है।"
सोच समझकर काम करें। अगर आज आप किसी को चोट पहुँचाते हैं, उनका तिरस्कार करते हैं, किसी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं। भविष्य में वही कर्म आपकी प्रतीक्षा कर रहा होगा और शायद वह स्वयं आपको प्रतिफल देगा।
हम सब अपनी-अपनी लड़ाईयाँ लड़ रहे हैं.!
कोई मोहब्बत में मिल रहे दर्द से परेशान है तो कोई बेरोजगारी की अग्नि मे अपनी जवानी जला रहा है,
कोई घर की पारिवारिक कलह से परेशान हैं, कोई अपने भविष्य के लिये लड़ रहा हैं तो कोई अपनी कमाई से खुश नहीं है
तो कोई परिवार को खुश नहीं रख पा रहा,कोई अपने वजुद के लिये ही लड़ रहा हैं, यहाँ हर कोई कही न कही परेशान तो है ही,
कही न कही लड़ाई तो लड़ ही रहा है इसलिये संकट तो है दोस्त और असल मे यही तो जीवन का संघर्ष है।
लड़ते रहिए, हार ना मानिये क्योंकि लड़ना ही जीवन है और रुकना ही मृत्यु.
याद रखिए आप अपमान का बदला
लड़ाई करके नहीं,सामने वाले व्यक्ति
से ज्यादा सफल बनकर लिया जाता है।
कई बार ज्यादा शांत रहने से भी दूसरा
इंसान आप पर हावी होने लगता है।
समय का चक्र बहुत तेजी से चलता है इसलिए ना कभी अपने बल का अहंकार करें ना ही अपने धन का ..!!
हैरान कर के लोग मुझे खुश होते हैं और मैं खुश होकर लोगों को हैरान करता हूं।🤗🤗
मैं कवि नहीं बस दिखता हूं,
मन में है जो वो लिखता हूं!
ज़ब पढ़ता हूं लगती कविता,
शीशे मे चमकता दिखता हूं!!
इक्षा होती सब दोस्त पढ़ें ,
पढ़करके वो कुछ बोले तो!
कोमल मन मुरझा जाता है,
ज़ब बिना पढ़े 👍🏼देते हैँ!!
हम तो सब पर कुछ लिखते हैँ,
बिन पक्ष लिए हम लिखते है!
हर पोस्ट हमें अपना सा लगे,
बिन भेद टिप्पड़ी लिखते हैँ!!
मुझे कहना है बस सिर्फ यही,
पढ़ें और टिप्पड़ी दिया करें!
गर मन को रुचिकर लगता हों,
झिझके न बखान किया करें!!
एक अच्छे दोस्त लाखों रिस्तेदार से बेहतर है।
ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त ज़रुर होना चाहिए
जिससे आप जब चाहें कॉल कर सकें
मैसेज कर सकें, सलाह-मशवरा ले सकें
सुख-दुःख बाँट सकें, डांट सकें, लड़ सकें
कंधे पर सिर रख कर रो सकें, खुलकर हँस सकें
घूम सकें, जब चाहें मिल सकें, बेझिझक होकर
निःसंकोच सब कुछ उसे बता सकें
बिना इस बात की परवाह किये
कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोचेगा...?
अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो
वाकई आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं।
हो सके तो किसी के अच्छे दोस्त बनिए,
किसी को सुनने का प्रयास करिए
क्योंकि अधिकांश लोग अकेलेपन के
अवसाद से ग्रसित हैं।
आये दिन आत्महत्याएँ होती हैं,
कभी सोचा है क्यों.?
क्योंकि इनके पास सुनाने वाले तो बहुत हैं
पर सुनने वाला कोई नहीं...!
कंस का अंत किया कृष्ण ने,रावण का अंत किया राम ने,अब देखना है स्वामी प्रसाद उर्फ नेवला का अंत कौन करता है जो इस अधर्मी पापी का अंत करेगा वो महान पुरुष युगों युगों तक याद रखा जायेगा।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥4-7॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥4-8॥
इस श्लोक का अर्थ
मैं अवतार लेता हूं।मैं प्रकट होता हूं।जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं।जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।
इस नवरात्रि मां दुर्गा 🔱 आपको...
सुख,समृद्धि, वैभव और ख्याति प्रदान करें।🙏
जय माता दी।🌹🌹🙏🙏
शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।💐💐
कहते हैं वक्त सारे जख्मों को भर देता है_
मगर किताबों पर धूल जम जाने से कहानियां बदली नहीं करतीं।
भारत रत्न, स्वर कोकिला जिनके स्वरों की अनुगूंज समस्त विश्व को मंत्रमुग्ध करती रही, ऐसी युग गायिका लता जी का स्वर्गवास सम्पूर्ण विश्व की बहुत बड़ी, अपूरणीय क्षति है। कोटि-कोटि नमन् महान आत्मा को को। अश्रुपुरित श्रद्धांजलि ।🙏🙏😭😭
73 वे #गणतंत्र_दिवस पर सभी प्रदेश एवं देश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
इस राष्ट्रीय पर्व पर मैं उन सभी #स्वतंत्रता #सेनानियों एवं #महानपुरुषों को नमन करता हूं जिन्होंने भारत को विश्व का सबसे बड़ा #लोकतंत्र बनाया है।
#गणतंत्र_दिवस_की_हार्दिक_शुभकामनाएं
🚩🚩 सर्व ब्राह्मण परिवार की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं🚩🚩
🚩🚩🙏🏻🙏🏻
🚩🗡️ p̤i̤n̤d̤i̤t̤ J̤a̤i̤ D̤ṳb̤e̤y̤
अत्यंत दुःखद घटना
प्रयागराज में B.A. द्वितीय वर्ष की छात्रा काजल पांडेय के साथ गैंग रेप करके उसकी हत्या कर दी गई, लेकिन अभी तक दोषियों पर कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गई है, और प्रशासन उसमें लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। जिला प्रशासन तत्काल उचित कार्रवाई करे MYogiAdityanath जी सरकार है दोषी बच नहीं सकते ।
दोषियों का तत्काल इनकाउंटर होना चाहिए
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Maulana Husnul Hasan Nayyer Rizvi, is both an orator and an English Lecturer. He holds Master of Arts Degree in English Literature and have 35+ years of experience in teaching Engl...
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Allahabad, 211004
चाय और चरित्र अगर गिर जाए तो दोनों के दाग बहुत गहरे होते हैं... �हर हर शम्भू�
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