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गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में हरतालिका तीज व्रत 06 सितंबर (Hartalika Teej 2024 Date) को किया जाएगा। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं करती हैं। ऐसी मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हरतालिका शब्द 'हरत' यानी अपहरण और 'आलिका' यानी महिला मित्र को मिलाकर बना है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन देवी पार्वती के अवतार का उनकी सहेलियों ने अपहरण कर लिया था ताकि उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से उनका विवाह रोका जा सके। अंत में उनका विवाह भगवान शिव से हुआ।
हरतालिका तीज व्रत कथा
हरतालिका तीज का नाम दो शब्दों, "हर और तालिका" से मिलकर बना है, जहां हर का अर्थ "हरना या अपहरण" करना है और तालिका का अर्थ "सखी-सहेलियां" होता है। नाम के अनुरूप ही हरतालिका तीज व्रत कथा है।
हरतालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके पिता हिमालय ने पार्वती जी का विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, लेकिन पार्वती जी भगवान शिव को ही पति रूप में चाहती थीं। उनकी सखियों ने उन्हें पिता के घर से अपहरण कर एक घने जंगल में ले जाकर भगवान शिव की तपस्या करने के लिए प्रेरित किया। पार्वती जी ने निराहार रहकर भगवान शिव की घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से यह व्रत माता पार्वती के समर्पण और भगवान शिव के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक बन गया।
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अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इससे साधक को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। साथ ही अमावस्या पर पितरों के निमित तर्पण और दान करने से भी साधक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
ोः_भगवते_वासुदेवाय_नमः
दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या की रात मनाया जाता है. दिवाली की रात आस्था के दीप जलते ही अपने भक्तों को दर्शन देने धरती पर स्वयं मां लक्ष्मी पधारती हैं. उनके संग शुभता के देव श्री गणेश भी होते हैं. इस दिन हर घर में मां लक्ष्मी के मंत्र गूंजते हैं. हर ओर दीये की लौ में खुशी और उत्सव के रंगों से धरती जगमगा उठती है. कहते हैं कि मां लक्ष्मी दिवाली की पूरी रात धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को धनधान्य का वरदान देती हैं.
शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है. यानी वो कभी एक स्थान पर टिककर नहीं रहती हैं. लक्ष्मी-गणपति की पूजा की तो जीवन से दरिद्रता का नाश होता है. और सालभर शुभ-लाभ का वरदान प्राप्त होता है.
मां काली की उपासना दो प्रकार से होती हैं- सामान्य पूजा और तंत्र पूजा.
ॐ क्रीं कालिकायै नमः - काली मंत्र का जप करने से आपको शांति-समृद्धि-सफलता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
काली चौदस का महत्व
मां काली देवी शक्तियों में से एक हैं। इनका स्वभाव उग्र है और इनकी उपासना से शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि काली चौदस में मां काली की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है, रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं और जीवन में नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है। मां काली अपने भक्तों के ऊपर एक भी आंच नहीं आने देती हैं। देवी का यह स्वरूप सबसे शक्तिशाली है। मां काली ने अनेक राक्षसों का वध किया है और सारे देवता इनके आगे नत्मस्तक होते हैं। काली चौदस के दिन जो भी मां की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो जाती है और वह शत्रु बाधा से भी मुक्त हो जाते हैं।
कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाए जाने वाले पर्व को रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी अथवा काली चौदस के रूप में भी जाना जाता है।
प्राचीन काल में नरकासुर राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ 16 हजार एक सौ सुंदर राजकुमारियों को भी बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार एक सौ कन्याओं को आजाद कराया।
कैद से आजाद करने के बाद समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण व पृथ्वीवासी बहुत आनंदित हुए। इसी खुशी में उन्होंने ये पर्व मनाया। माना जाता है कि तभी से इस पर्व को मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई।
कटरा में लगने वाले दाधिकांंदओ मेले के कुछ दृश्य
इस बार कटरा में लगा मां दुर्गा का भव्य पंडाल चंद्र यान और हमारे वैज्ञानिक को समर्पित रहा
विजय दशमी की शुभकामनाएं
आप सभी को ‘महानवमी’ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
अष्ट सिद्धि और नौ निधियों की दाता माँ सिद्धिदात्री की अनुकंपा हम सब पर सदैव बनीं रहे और सभी के मनोरथ को पूर्ण करें, यही प्रार्थना है।
आज नवरात्रि का सातवा दिवस है यह माता कालरात्रि को समर्पित होता है
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