A.K. Sunar Avi Soni
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।। नमो राघवाय ।।
निरुपम न उपमा आन राम समान रामु निगम कहै।
जिमि कोटि सत खद्योत सम रबि कहत अति लघुता लहै।।
एहि भाँति निज निज मति बिलास मुनीस हरिहि बखानहीं।
प्रभु भाव गाहक अति कृपाल सप्रेम सुनि सुख मानहीं।।
(श्रीरामचरितमानस- ७ / ९१ छ:)
अर्थ-
श्रीराम जी उपमारहित हैं, उनकी कोई दूसरी उपमा है ही नहीं। श्रीराम के समान श्रीराम ही हैं, ऐसा वेद कहते हैं। जैसे अरबों जुगुनुओं के समान कहने से सूर्य प्रशंसा को नहीं वरं अत्यन्त लघुता को ही प्राप्त होता है। (सूर्य की निन्दा ही होती है )
इसी प्रकार अपनी-अपनी बुद्धि के विकास के अनुसार मुनीश्वर श्रीहरि का वर्णन करते हैं; किन्तु प्रभु भक्तों के भावमात्र को ग्रहण करनेवाले और अत्यन्त कृपालु हैं। वे उस वर्णन को प्रेमसहित सुनकर सुख मानते हैं।
।। जय भगवान श्री 'राम' ।।
दु:ख, दुर्भाग्य व दरिद्रता नाशक भगवान शिव का प्रदोष स्तोत्र!!!!!!!
दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है । स्कन्दपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और उनकी हर प्रकार की उन्नति होती है ।
एक बार एक अत्यन्त गरीब ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर शाडिल्य मुनि के पास गयी और अपनी दरिद्रता दूर करने का उपाय पूछने लगी। शाडिल्य मुनि ने ब्राह्मणी से कहा—‘प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करने से इसी जन्म में मनुष्य धन-धान्य, कुल व सम्पत्ति से सम्पन्न हो जाता है । तुम्हारा पुत्र पूर्व-जन्म में ब्राह्मण था । इसने अपना सारा जीवन दान लेने में बिताया, इस कारण इस जन्म में इसे दारिद्रय मिला । इस दोष को दूर करने के लिए अब इसे भगवान शंकर की शरण में जाना चाहिए ।
दोनों पक्षों की त्रयोदशी को निराहार रहकर यह व्रत करे । प्रदोषकाल में भगवान शिव का पूजन आरम्भ करे । फिर हाथ जोड़कर मन-ही-मन उनका आह्वान करे—‘हे भगवन् ! आप ऋण, पातक, दुर्भाग्य, व दरिद्रता आदि के नाश के लिए मुझ पर प्रसन्न हों ।’
फिर दरिद्रतानाशक व सम्पत्तिदायक भगवान शिव के प्रदोष स्तोत्र का पाठ करते हुए प्रार्थना करें—
प्रदोष स्तोत्र
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।१।।
हे देव जगन्नाथ (समस्त जगत के स्वामिन्) ! हे देव ! आपकी जय हो । हे सनातन शंकर (सर्वदा कल्याण करने वाले) ! आपकी जय हो । हे सर्वसुराध्यक्ष (समस्त देवताओं के अध्यक्ष) ! आपकी जय हो तथा हे सर्वसुरार्चित (समस्त देवताओं द्वारा पूजित) ! आपकी जय हो ।
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।२।।
हे सर्वगुणातीत (सभी गुणों से अतीत) ! आपकी जय हो । हे सर्ववरप्रद (सबको वर प्रदान करने वाले) ! आपकी जय हो । नित्य, आधाररहित, अविनाशी विश्वम्भर ! आपकी जय हो ।
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।३।।
हे विश्वैकवन्द्येश (समस्त विश्व के एकमात्र वन्दनीय परमात्मन्) ! आपकी जय हो। हे नागेन्द्रभूषण (नागेन्द्र को आभूषण के रूप में धारण करने वाले) ! आपकी जय हो। हे गौरीपते ! आपकी जय हो । हे चन्द्रार्धशेखर (अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र को धारण करने वाले) शम्भो ! आपकी जय हो ।
जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।४।।
हे कोटि सूर्यों के समान तेजस्वी शिव ! आपकी जय हो । अनन्त गुणों के आश्रय परमात्मन् ! आपकी जय हो । हे विरुपाक्ष (तीन नेत्रों वाले कल्याणकारी शिव) ! आपकी जय हो । हे अचिन्त्य ! हे निरंजन ! आपकी जय हो ।
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।५।।
हे नाथ ! आपकी जय हो ! भक्तों की पीड़ा का नाश करने वाले कृपासिन्धो ! आपकी जय हो । हे दुस्तर संसार-सागर से पार उतारने वाले परमेश्वर ! आपकी जय हो ।
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।६।।
हे महादेव ! मैं संसार के दु:खों से पीड़ित एवं खिन्न हूँ, मुझ पर प्रसन्न होइए । हे परमेश्वर ! मेरे सारे पापों का नाश करके मेरी रक्षा कीजिए ।
महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।७।।
हे शंकर ! मैं घोर दारिद्रय के समुद्र में डूबा हुआ हूँ । बड़े-बड़े पापों से आहत हूँ, अनन्त चिन्ताएं मुझे घेरी हुई हैं, भयंकर रोगों से मैं दु:खी हूँ ।
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।
ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।८।।
सब ओर से ऋण के भार से लदा हुआ हूँ । पापकर्मों की आग में जल रहा हूँ और ग्रहों से अत्यन्त पीड़ित हो रहा हूँ । शंकर मुझ पर प्रसन्न होइये ।
स्तोत्रपाठ का फल
दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।९।।
दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।
ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।१०।।
यदि दरिद्र व्यक्ति प्रदोषकाल में भगवान गिरिजापति की प्रार्थना करता है तो वह धनी हो जाता है और यदि राजा प्रदोषकाल में भगवान शंकर की प्रार्थना करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है, वह सदा नीरोगी रहता है । उसके कोश की वृद्धि व सेना की अभिवृद्धि होती है । हे शंकर ! आपकी कृपा से मुझे भी नित्य आनन्द की प्राप्ति हो ।
शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।११।।
मेरे शत्रु क्षीणता को प्राप्त हों तथा मेरी प्रजाएं सदा प्रसन्न रहें । चोर-डाकू नष्ट हो जाएं । राज्य में सारे लोग आपत्तिरहित हो जाएं ।
दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।१२।।
पृथ्वी पर दुर्भिक्ष, महामारी आदि का संताप (प्रकोप) शान्त हो जाए । सभी प्रकार की फसलों की वृद्धि हो । दिशाएं सुखमयी बन जाएं ।
एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।१३।।
इस प्रकार गिरिजापति की आराधना करनी चाहिए । आराधना के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए । इसके बाद दक्षिणा आदि देकर उनका पूजन करना चाहिए ।
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।
शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।१४।।
भगवान शिव की पूजा सब पापों का नाश करने वाली, सब रोगों को दूर करने वाली और समस्त अभीष्ट फलों को देने वाली है ।नोट—यदि व्रत-पूजन आदि का कोई विधि-विधान न बन सके तो श्रद्धाविश्वासपूर्वक केवल प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ ही करें तो मनुष्य की जन्म-जन्मातर की दरिद्रता दूर हो जाती है ।
प्रेगनेंसी का 8वां महीना, फिर भी लगाई सबसे तेज दौड़
जहां एक ओर गर्भवती औरतों को आठ महीने में हिलने में भी मुसीबत होती है, वहीं इस औरत ने प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में दौड़ कर अजूबा ही कर दिखाया है।
डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक अमेरिका में रहने वाली 34 साल की एलीशिया मौनटैनो प्रेगनेंसी के आठवें महीने में हैं। लेकिन फिर भी रेस को लेकर उनका जोश और जीतने का जज्बा इतना ज्यादा था कि उन्हें अपनी प्रेगनेंसी को इस बीच नहीं आने दिया।
हम सभी जानते हैं कि 800 मीटर का मतलब किसी बड़ी सी फील्ड का लगभग चार चक्कर के बराबर होता है।
एलीशिया के पेट में आठ महीने का बच्चा पल रहा है और उन्होंने तब भी 800 मीटर दौड़ को 2 मिनट 32 सेकंड में पार कर एक रिकॉर्ड कायम कर दिया है।
इसके लिए उन्होंने ट्रेनर्स और डॉक्टरों के पूरे निरीक्षण में ही रोज प्रैक्टिस की और उनकी इजाजत से ही 800 मीटर की दौड़ लगाई। था बड़ा चैलेंज
जब अपने आठवें महीने में हर महिला आराम कर रही होती है, उस भारी वक्त में एलिशिया धूप में दौड़ती रहती थी।
ये यकीनन अपने आप में एक बड़ी बात है। वो प्रेग्नेंट होते हुए भी दौड़ लगाने वाली पहली ओलंपियन बन गई हैं।
जब उन्होंने दौड़ खत्म की तो पूरी पब्लिक ने खड़े होकर उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दिया और उनके इस कदम के लिए उनकी तारीफें की।
मैं बारम्बार सेल्यूट करता हूं बहन को और इसकी मेहनत और जज्बे को
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जेठ दुपहरी की चिलचिलाती धूप मे....
मैंने घर आकर जैसे ही फ्रिज खोला, इसमें से उठती भभक ने मेरे दिमाग को भभका दिया....
"इसे भी अभी खराब होना था...मै तिलमिलाया....
पानी की बोतल, जूस पैकेट सब उबल रहे थे....
मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया....
प्यास बुझाने के लिए किचन में से नोरमल पानी का गिलास उठा, होठों से सटाया...
"छी..... कोई कैसे पी सकता है ऐसा गर्म पानी...
मुंह में भरा पानी बाहर पलट मैंने, गिलास पानी समेत सिंक में फेंका और दनदनाते हुए मैं लाले की दुकान के लिए निकल पड़ा ....
"अंकल.... एक चिल्ड पानी की बोतल और एक चिल्ड कोल्ड्रिंक.. ... मैंने सौ का नोट दुकानदार की ओर बढ़ाया।
"ठंडी नहीं है.... दरअसल इस एरिया में कल से बिजली बंद है.. नोरमल चलेगी क्या....
आगबबूला सा मैंने नोट वापस जेब में डाला और आगे बढ़ गया....
पसीने से लथपथ शायद मुझे आज ठंडे तरल पदार्थ की जिद सी मची हुई थी। दूसरे एरिया में जाने के लिए एक खुले मैदान से होकर जाना पड़ता था। चारों ओर से आती गर्म हवाएं मुझे भट्टी में झोंक देने जैसी प्रतीत हो रही थी।
नन्हे-नन्हे हाथों में कई खाली केन उठाए एक मासूम बच्ची को अपने नजदीक से निकलते देख, मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई ।
"इतनी जानलेवा गर्मी में कहाँ जा रही हो....
मैंने तुनककर पूछा ।
"पानी भरने .... सड़क के उस पार...
" जवाब देते हुए वह सहज थी।
"घर में कोई बड़ा नहीं है !"
"मां है.. बीमार है....
"तो तुम स्कूल नहीं जाती..."मैं अपने कदम उसके नन्हे कदमों से मिलाकर चलने लगा।
"जाती हूँ ....
"रोज लाती हो पानी....
"पानी तो रोज ही चाहिए होता है ना...
" मुझे बेवजह सिंक में उलटाया पानी याद आया।
"गुस्सा नहीं आता...." गर्म हवाएं अब सामान्य हो रही थीं।
" किस पर .....
"किस्मत पर..... इतनी सड़ी गर्मी में घर से पानी के लिए इतनी दूर जो जाना पड़ता है....
"आधा दिन स्कूल में निकल जाता है.. फिर घर के काम में माँ का हाथ बटांती हूँ.. पानी भर कर लाना होता है.. पढ़ना होता है.. छोटे भाई की देखभाल करनी होती है.. फिर वक्त ही नहीं मिलता....
"किसके लिए .....
"गुस्से के लिए..... उसकी खिलखिलाती हंसी ने मेरे गुस्से को फुर्र कर दिया और चिलचिलाती गर्म हवाएं, ठंडे झोंके बन, मुझे सहलाने लगे थे....
दोस्तों आपके दोस्त दीप की पोस्ट करके बस यही बताने की कोशिश है इंसान जो है उसमें संतोष से जीना सीख ले तो जीवन सचमुच आसान और सुखमय बन जाता है हमारे पास जो ईश्वर ने दिया है कुछ को वो भी नसीब नहीं होता ....मेरे पिताजी कहते है ....
हमेशा अपने से कमतर वाले व्यक्ति को देखो उसके संतोष को देखो फिर अपनी उससे तुलना करो ईश्वर ने तुम्हें कितना कुछ दिया है वही अपने से अधिकतम वाले व्यक्तियों को देखोगे तो उससे तुममें ईर्ष्या होगी जीवन से ...फिर कभी सुखद और संतोषजनक जीवन नही जी पाओगे....
My golu soni❤❤❤❤
जिस घर मे होती है बेटियां
रौशनी हरपल रहती है वहां
हरदम सुख ही बरसे उस घर
मुस्कान बिखेरे बेटियां जहाँ.
Tumhara lahja bta rha hai tumhari daulat nai nai hai😍😍😍😍
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मेरे श्याम सलोंने सरकार बना दो बिगड़ी मेरी
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