Deep web
प्यार वही; जो अधूरा रहे..!
जो भारतीय मीडिया नेहा सिंह राठौर को पुलिस द्वारा केवल एक नोटिस भेजे जाने पर डिबेट पे डिबेट किए जा रही थी वो आज कहा है ?
मनीष कश्यप का गुनाह मात्र यह है उन्होंने उन बिहारी मजदूरों की आवाज उठाई जिन्हे बिहार सरकार नकारने का प्रयास कर रही थी ।
मनपसंद शख्श पल भर मे
खुश और उदास करने का हुनर रखता है
लो ख़त्म होगई रंग-ए-ग़ुलाल की सुर्खियां
चलो अब बेरंग दुनियां लौट चले .श
मुझे रास आ गया है अकेलापन
अब तुम अपने वक्त का आचार डालो
मर्द को इश्क ना हो
साला मर जाता है 😰😰
ज़िंदगी में जब से होश संभाला है तब से खुद और जिम्मेदारियों के साथ हमेशा फैसला करता आ रहा हूँ मैंने पढाई घर परिवार ख़्वाहिशे इन सब का हमेशा परित्याग किया है भूल सा गया हूँ मैं कौन हूँ क्या हूँ मेरा भविष्य क्या है
कंक्रीट के जंगल में से ऊंची इमारत के पीछे से कनखियों से झांकते सूर्यदेव...
बेंगलुरु की एक खूबसूरत शाम
एक दिन हम सुकून ढूंढ़ते-ढूंढते श्मशान तक पहुँच जाते है या पहुँचा दिए जाते है,तब पता चलता है सुकून तो यही थी हम बेकार दुनिया मे फँसे रहे
पता है ये अधूरापन क्या है ये बेबसी क्या है जब आपके मन में बहुत कुछ कहने को होता है और पता चलता है कोई नहीं है जो आपको सुन सके जिसके साथ आप अपनी बारे साझा कर सको हस सको🌾
अजनबी राहों में लापता सी मंज़िले है
क्या तुमने कभी लोगों से सुना नहीं
सकून भीड़ में नहीं बल्कि अकेले में है❤️🩹
ना जाने कितनों की चाहत का खून पियेगा...
ये जात-पात का झगड़ा, ये ऊंच-नीच का फर्क
बहुत फ़र्क होता है किसी को समझाने और समझने में
आदमी की कोई पसंदीदा ओरत नहीं होती
वो सब ओरतों को पसंद करता है...
जिदंगी तूने दर्द के सिवा मुझे दिया किया है
और मुस्कुरा.कर पूछती है हुआ किया है
मनपसंद लोग ,
तकलीफ बहुत देते हैं ...
चाहने के लिए एक चेहरा काफी है,
मुंह मारने के लिए सारा शहर कम है...
हम अकेले रहने वाले लोग हैं,
किसी की महफिलों से क्या जलेंगे....
और फिर दिसम्बर की आख़री ढलती रात की ये अजीब व गरीब बेज़ारिया बेचैनियाँ समेटकर ले जा रही कुछ अनकही बाते और बहुत सारे अधूरे सपने जो दफ़्न हो जाते है मनके किसी वीरान कोने में इस उम्मीद में कि अगले साल शायद उसे पूरा करने की हिम्मत आ जाए
जिससे सुकून मांगा था,
नींद ना आने का कारण बन गई हैं..
यह साल बिल्कुल भी मेरी उम्मीद अनुरूप नहीं रहा, मैंने इस वर्ष काफ़ी नाकामी झेलीं...कई परिक्षाओं में मुंह की खानी पड़ी..और जिंदगी के सबसे निम्न स्तर पे आ पहुँचा हूं.. हर साल खत्म होता है और एक नया साल आ जाता है पर हम वर्ष के शुरुआत में किए वादे पूरे नहीं कर पाते.. 🌾
मन के भेद मन ही जाने
और न जाने कोय
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सही कहते हैं लोग पैसा बोलता है 😂💸
यूँ ही इग्नोर करती रही तो एक दिन अकेली ही रह जाओगी... तब सिर्फ वेदना और पश्चाताप के सिवाय कुछ ना बचेगा।😉
उस यार का क्या फ़ायदा
जिसका हर कोई यार हो.
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