radhapurooshottam
sayari video
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☘️⚫️❤️ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है !
☘️⚫️❤️ना बीस का जोश,
☘️⚫️❤️ना साठ की समझ,
☘️⚫️❤️ये हर तरह से गरीब होती है ।
☘️⚫️❤️ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है !
☘️⚫️❤️सफेदी बालों से झांकने लगती है,
☘️⚫️❤️तेज दौड़े तो सांस हांफने लगती है,
☘️⚫️❤️टूटे ख्वाब, अधुरी ख्वाइशें,
☘️⚫️❤️सब मुँह तुम्हारा ताकने लगती है ।
☘️⚫️❤️खुशी इस बात की होती है
☘️⚫️❤️कि ये उम्र प्रायः सबको नसीब होती है ।
☘️⚫️❤️ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है !
☘️⚫️❤️ना कोई हसीना मुस्कुरा के देखती है,
☘️⚫️❤️ना ही नजरों के तीर फेंकती है
☘️⚫️❤️और आँखे लड़ भी जाये नसीब से
☘️⚫️❤️तो ये उम्र तुम्हें दायरे में रखती है ।
☘️⚫️❤️कदर नहीं थी जिसकी जवानी में,
☘️⚫️❤️वो पत्नी अब बड़ी करीब होती है ।
☘️⚫️❤️ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है !
☘️⚫️❤️वैसे, नजरिया बदलो तो
☘️⚫️❤️शुरू से, शुरुआत हो सकती है ।
☘️⚫️❤️आधी तो गुजर गयी,
☘️⚫️❤️आधी बेहतर गुजर सकती है ।
☘️⚫️❤️थोड़ा बालों को .काला
☘️⚫️❤️और दिल को हरा कर लो,
☘️⚫️❤️अधुरी ख्वाइशों से कोई समझौता कर लो ।
☘️⚫️❤️जिन्दगी तो चलेगी अपनी रफ्तार से ही,
☘️⚫️❤️तुम बस अपनी रफ्तार काबू कर लो ।
☘️⚫️❤️फिर देखो ये कितनी खुशनसीब होती है,
☘️⚫️❤️ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है !
*सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ,*
*शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते.।।*
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║ *•||जय माता दी||•* ║
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सुख, शान्ति एवम समृध्दि की
मंगलमयी कामनाओं के साथ
आप एवं आप के परिवारजनो को चैत्रीय नवरात्री व नवसंवत्सर की हार्दिक मंगल कामनायें । माँ अम्बे आपको सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करे। जय माँ भवानी।।
•||नवरात्री||•
व
नवसंवत्सर
की
" हार्दिक " शुभकामनाएं !!!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
राम बिना हैं अपूर्ण सीता ,
सीता बिना अधूरे राम।
जीवन सफल तभी होगा,
जब जपोगे मिलकर जय सियाराम।।
एक स्त्री जब श्रृंगार करती है
तब वह सबसे कम समय परन्तु सर्वाधिक
एकाग्रता अपनी बिंदी लगाते वक्त रखती है।
वह आइने में एक नजर में जान जाती है
कि भौहों के बीच कहां बिंदी जचेगी।
परन्तु रात में वो स्त्री उसी बिंदी को आइने पर
चिपका देती है,
या फिर बेड के किसी कोने पर।
अगर नहीं चिपका पाती है तो
वही बिंदी तकिए पर लग जाती है,
और वहां से बच गई तो उसे आप बाथरूम के
फर्श पर अपनी पकड़ खोते हुए बहते हुए पा सकते है।
है तो आखिर एक बिंदी ही ना,
जो हर सुबह नई होकर परिचित माथे पर लग जाती है, फिर भी एक स्त्री का बिंदी से मोह भंग नहीं होता।
यह कोई बिंदी दर्शन नहीं है।
यह कुछ और ही है..
सोचिए स्त्री को बिंदी से इतनी मुहब्बत क्यों हुई,
वो भी उस बिंदी से जो हर सुबह बदल दी जाएगी।
असल में वो मुहब्बत है उसके प्रियतम के प्रति,
अपने मान के प्रति,
अपने सम्मान के प्रति..
बिंदी तो सिर्फ एक बहाना है
क्योंकि भारतीय स्त्रियां खुल कर
प्यार जता नहीं पाती,
परन्तु वो बताना चाहती है कि
हर रोज बदलने वाली बिंदी पर
मेरा इतना ध्यान है तो फिर
प्रियतम तुम तो मेरे अर्धांग हो..
Repost ेटी_मेरी
🙏🙏🙏
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ है,
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ है।
शादी उसकी किसी और के साथ।।
और.......
बेटा मेरे जैसा हुआ है........... ?
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