Manish sharma
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Amaltas Regency
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जय शनिदेव
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किसान की बेटी को सलाम 🙏🙏
#रुमादेवी
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने किसानों से की अपील लाखों की संख्या में पहुंचे भोपाल
नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी का वंदन। 🙏
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
#शुभ_नवरात्रि
समस्त प्रदेश वासियों एवं श्रद्धालुओं को पावन पर्व 'महानवमी' की हार्दिक शुभकामनाएं।
अष्ट सिद्धि, नौ निधियों की प्रदाता, करुणामयी, शुभ फलदायिनी माता सिद्धिदात्री की अनुकंपा समस्त प्राणि जगत पर बनी रहे, माँ सभी के मनोरथ पूर्ण करें।
जय माँ भगवती!
जय माता दी
शक्ति के विविध रूप 🚩🚩
👉माया, महामाया, मूल-प्रकृति, अविद्या, विद्या, अव्यक्त, अव्याकृत, कुण्डलिनी, महेश्वरी, आदिशक्ति, आदिमाया, पराशक्ति, परमेश्वरी, जगदीश्वरी, तमस, अज्ञान ये सभी ‘शक्ति’ के पर्यायवाची हैं।नवदुर्गा, काली, अष्टलक्ष्मी, नवशक्ति, देवी आदि एक ‘पराशक्ति’ की ही अभिव्यक्तियाँ हैं।महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली शक्ति के तीन प्रधान व्यक्त स्वरूप हैं। राधा और रुकिमणि लक्ष्मी के ही दूसरे रूप हैं और तारा तथा चण्डी देवी के रूप हैं।
👉प्रकृति व्यक्त और अव्यक्त है। मूल-प्रकृति अव्यक्त है, और इस भेद जगत का बीज है। इसमें जड़ तथा चेतन अभिन्न रूप में रहते हैं। जब ये शरीर में स्थित मूलाधारचक्र की अधिष्ठात्री देवी बनती है, तब ये ‘डाकिनी’ का रूप धारण कर लेती है; स्वाधिष्ठान चक्र में ये ‘राकिनी’ बन जाती है, मणिपुर चक्र में ये ‘लाकिनी’ के रूप में रहती है, अनाहत में ये ‘काकिनी’ के रूप में रहती है तथा विशुद्ध चक्र में ये ‘शाकिनी’ के रूप में रहती हैं।
👉परा और अपरा प्रकृति
शक्ति सत्व, रज और तम के द्वारा अपना कार्य करती है। इस स्थूल जगत की सृष्टि के लिये आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी, ये पाँच तत्व अर्थात पंचमहाभूत उनके साधन हैं। ये पंचतत्व और मन, बुद्धि और अहंकार मिलकर जड अथवा अपरा प्रकृति कहलाते हैं। यह स्वयं संसार के लिये बंधनरूप हैं। परा प्रकृति विशुद्ध हैं। ये स्वयं आत्मरूप है, क्षेत्रज्ञ है। ये ही जीवन को धारण करती है। यह समस्त जगत के अन्दर प्रवेश कर उसे धारण किये हुए है। इसे चैतन्य प्रकृति भी कहते हैं।
👉शक्ति की अवस्थाएँ –
शक्ति की दो अवस्थाएँ होती हैं – गुण-साम्यावस्था और वैषम्यावस्था। गुण-साम्यावस्था वह अवस्था है जिसमें तीनों गुण – सत्व, रज और तम साम्यावस्था में स्थित रहते हैं, जो प्रलयकाल में होती है। उस समय असंख्य जीव अपने संस्कारों तथा अधिष्ठाता (अधिष्ठाता का अर्थ – कर्म की अदृश्य शक्ति अथवा फलदायिनी शक्ति जो कर्म के अन्दर छिपी रहती है) के साथ अव्यक्त अवस्था में रहते हैं।
👉वैषम्यावस्था वह अवस्था है जब प्रलय के पश्चात साम्यावस्थित शक्ति में स्पंद अर्थात स्फूर्ति होती है, ताकि तिरोहित जीवों को अपने-अपने कर्मों का फल भोगने की इच्छा होती हैं। इससे बह्म सृष्टि के हेतु बाध्य हो जाते हैं और उनके संकल्प मात्र से सृष्टि उत्पन्न हो जाती हैं।
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥'
माता जी आप सबका कल्याण करें
इति शुभम्
दुबई में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण दुबई के जेबेल अली के वर्शिप विलेज में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण कराया गया है। इसकी पहली झलक पाने के लिए रोजाना हज....
मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री के साथ बैठक की किसानों की समस्याओं को लेकर चर्चा की गई उन्होंने समाधान का आश्वासन दिया जय बलराम
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा रायपुर में बैठक में शामिल हुआ
मैने पुछा ‘’सरकार’’से
कैसे करूं आपकी पूजा….
सरकार बोले…
” तु खुद भी मुस्कुरा औरो को भी मुस्कुराने की वजह दे”
बस हो गई मेरी पूजा….
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