Dr. Vinita Ramnani
Ophthalmologist- Ophthalmic Surgeon with specialization in Glaucoma. This page is aimed to create a
June is cataract awareness month
Get your eye tested and understand cataract surgery not to be done in summers is reality or myth ??
पापा बचपन से कहते थे – बेटा हो तुम मेरा – डॉ विनीता रामनानी
इस बात का मतलब उनके जाने के बाद समझ आया -------
फादर्स डे हर साल जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में पिता के महत्व को पहचानने और सम्मानित करने का दिन है। यह एक विशेष अवसर मुझे अपने पिता की याद दिलाता है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जिन्होंने हमेशा मुझे बेटी के बजाय बेटे की तरह प्यार और सम्मान दिया। सिखाया कि जीवन में कैसे आगे बढ़ना है, कठिनाइयों का सामना कैसे करना है, और अपने सपनों को पूरा करने के लिए किस तरह मेहनत करनी है।
मध्यम परिवार मे पली-बड़ी बंसल हॉस्पिटल की जानीमानी नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया, शादी के बाद उनके पापा के अचानक जाने के बाद, मायके के परिवार को एक बेटे की तरह संभला । वे मुझे आज भी यह एहसास दिलाते रहे कि मैं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हूँ और किसी भी मंजिल को हासिल कर सकती हूँ। भगवान ने उन्हें अपने पास जल्दी बुला लिया, शायद इसलिए कि वे किसी और अच्छे काम के लिए बुलाए गए थे। उनका ऐसे अचानक जाना हमारे लिए बेहद दुखद था, लेकिन मुझे यकीन है कि वे आज भी हमें देख रहे हैं और हमारे हर कदम पर हमारी रक्षा कर रहे हैं। उनका आशीर्वाद और उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
फादर्स डे के इस मौके पर, मैं अपने पिता और पिता समान ससुरजी को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
Small child with lower lid Canalicular exposure repaired emergency … in place of Mini monoka stent used 26 G intracath silicone tube
eye care in summers --
दृष्टिहीनता निवारण सप्ताह
डॉ विनीता रामनानी - नेत्र रोग विशेषज्ञ बंसल हॉस्पिटल एवं अध्यक्ष संभव वेलफ़ैर सोसाइटी
भारत सरकार हर साल 1 से 7 अप्रैल तक इस सप्ताह का आयोजन करती है, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जिसमें हम सभी मिलकर अंधत्व को कम करने के लिए काम कर सकते हैं । 1961 में पहली बार मनाया गया था।
क्या है अंधत्व निवारण सप्ताह का महत्व ?
यह सप्ताह अंधतव से जुड़ी जानकारी को बढ़ाने, आंखों की देखभाल के उपायों को बताने और लोगों को आंखों की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करता है।
अंधत्व निवारण सप्ताह क्यों मनाया जाता है ?
समाज में नज़र कम होने एवं दृष्टिहीनता से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक कर आवश्यक जानकारी प्रदान की जा सके।
इस सप्ताह के दौरान क्या कार्यक्रम होते हैं ?
नेत्र शिविर, चिकित्सा शिविर एवं जागरूकता संबंधी कार्यक्रमों द्वारा स्कूल, कॉलेज एवं अन्य संस्थाओं में आँखों से जुड़ी समस्याओं से अवगत करा उनसे बचने के उपाय बताना ।
लोगों को इस सप्ताह में क्या करना चाहिए ?
नियमित आँखों की जाँच करवानी चाहिए, आँखों की सही देखभाल के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए एवं आँखों से संबंधित समस्याओं के संकेतों को ध्यान में रखना चाहिए। भ्रांतियों से बचें, घरेलू इलाज़ न करें या बिना डॉक्टर की सलाह के स्वयं इलाज़ न करें । नेत्र जांच शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें। स्थानीय संगठनों के साथ स्वयंसेवा करें या दान के माध्यम से समर्थन करें।
द्रष्टि की समस्या से बचाव के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
नियमित आँखों की जाँच करवाना, सही आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, धूप में आँखों की सुरक्षा के लिए यूवी प्रतिरोधी चश्मे पहनना एवं आँखों को डिजिटल गजेट्स के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से बचाएं ।
अंधत्व के सामान्य कारण क्या हैं ?
डिजिटल स्ट्रेन सिंड्रोम, मोतियाबिंद, चश्में के नंबर, डाईबेटिक रेटिनोपेथी, ग्लूकोमा, उम्र से संबंधित धब्बेदार अन्धपतन और कॉर्नियल रोग जैसे कारण हैं।
मैं अपनी दृष्टि की सुरक्षा कैसे कर सकता हूँ ?
(1) विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार खाएं - नियमित रूप से ऐसा भोजन करना है जो विटामिन सी, विटामिन ई, ल्यूटिन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और ज़िंक से भरपूर हो।
(2) धूप का चश्मा पहनें - आँखों को हानिकारक सूर्य की यूवी विकिरणों के संपर्क में आने से बचाएं।
(3) नियमित आंखों की जांच कराएं एवं यदि आवश्यक हो तो नज़र का चश्मा लगाएँ ।
(4) नियमित हैल्थ चेकअप से स्वस्थ निरोगी शरीर रख डाईबिटीज़ एवं मोटापे से बचें ।
(5) नियमित व्यायाम कर तन और मन को स्वस्थ रखें ।
(6) समय पर आँखों की बीमारियों की सही जांच एवं इलाज़ से रोशनी जाने के ख़तरे से बचें ।
(7) डिजिटल गजेट्स के इस्तेमाल मे 20-20-20 का नियम इस्तेमाल करें ।
(8) आँखों को मसलें रगड़ें नहीं ।
(9) मेकअप एवं कांटैक्ट लेंस के इस्तेमाल मे एलर्जी एवं संक्रमण से बचें ।
(10) 5 साल से छोटे बच्चों को विटामिन ए की हर 6 महीने मे एक खुराक जरूर दिलवाएँ ।
(11) धूल धूएं से आँखों को बचाएं ।
(12) धूम्रपान को ना कहें - उम्र से संबंधित आंखों की समस्याएं धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने का एक बढ़ा जोखिम है। इसकी रोकथाम से अंधेपन की रोकथाम हो सकती है।
(13) किसी भी आँखों की परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें एवं तुरंत आँखों के डॉक्टर से संपर्क करें ।
(14) आँखों के पारिवारिक इतिहास को जानें एवं समय रहते आँखों की आनुवांशिक बीमारियों का उपचार करवाएँ ।
(15) शरीर की कई बीमारियों का आँखों से संबंध है इसलिए शरीर के साथ साथ आँखों की जाँच भी अवश्य कराएं ।
स्वस्थ जीवन शैली - नियमित रूप से आंखों की जाँच से आज ही स्वस्थ्य द्रष्टि सुनिश्चित करें एवं जरूरत होने पर आवश्यक अंधत्व निवारक उपाय सुनिश्चित करें।
दृष्टिहीनता निवारण सप्ताह
डॉ विनीता रामनानी - नेत्र रोग विशेषज्ञ बंसल हॉस्पिटल एवं अध्यक्ष संभव वेलफ़ैर सोसाइटी
भारत सरकार हर साल 1 से 7 अप्रैल तक इस सप्ताह का आयोजन करती है, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जिसमें हम सभी मिलकर अंधत्व को कम करने के लिए काम कर सकते हैं । 1961 में पहली बार मनाया गया था।
क्या है अंधत्व निवारण सप्ताह का महत्व ?
यह सप्ताह अंधतव से जुड़ी जानकारी को बढ़ाने, आंखों की देखभाल के उपायों को बताने और लोगों को आंखों की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करता है।
अंधत्व निवारण सप्ताह क्यों मनाया जाता है ?
समाज में नज़र कम होने एवं दृष्टिहीनता से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक कर आवश्यक जानकारी प्रदान की जा सके।
इस सप्ताह के दौरान क्या कार्यक्रम होते हैं ?
नेत्र शिविर, चिकित्सा शिविर एवं जागरूकता संबंधी कार्यक्रमों द्वारा स्कूल, कॉलेज एवं अन्य संस्थाओं में आँखों से जुड़ी समस्याओं से अवगत करा उनसे बचने के उपाय बताना ।
लोगों को इस सप्ताह में क्या करना चाहिए ?
नियमित आँखों की जाँच करवानी चाहिए, आँखों की सही देखभाल के लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए एवं आँखों से संबंधित समस्याओं के संकेतों को ध्यान में रखना चाहिए। भ्रांतियों से बचें, घरेलू इलाज़ न करें या बिना डॉक्टर की सलाह के स्वयं इलाज़ न करें । नेत्र जांच शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें। स्थानीय संगठनों के साथ स्वयंसेवा करें या दान के माध्यम से समर्थन करें।
द्रष्टि की समस्या से बचाव के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
नियमित आँखों की जाँच करवाना, सही आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, धूप में आँखों की सुरक्षा के लिए यूवी प्रतिरोधी चश्मे पहनना एवं आँखों को डिजिटल गजेट्स के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से बचाएं ।
अंधत्व के सामान्य कारण क्या हैं ?
डिजिटल स्ट्रेन सिंड्रोम, मोतियाबिंद, चश्में के नंबर, डाईबेटिक रेटिनोपेथी, ग्लूकोमा, उम्र से संबंधित धब्बेदार अन्धपतन और कॉर्नियल रोग जैसे कारण हैं।
मैं अपनी दृष्टि की सुरक्षा कैसे कर सकता हूँ ?
(1) विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार खाएं - नियमित रूप से ऐसा भोजन करना है जो विटामिन सी, विटामिन ई, ल्यूटिन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और ज़िंक से भरपूर हो।
(2) धूप का चश्मा पहनें - आँखों को हानिकारक सूर्य की यूवी विकिरणों के संपर्क में आने से बचाएं।
(3) नियमित आंखों की जांच कराएं एवं यदि आवश्यक हो तो नज़र का चश्मा लगाएँ ।
(4) नियमित हैल्थ चेकअप से स्वस्थ निरोगी शरीर रख डाईबिटीज़ एवं मोटापे से बचें ।
(5) नियमित व्यायाम कर तन और मन को स्वस्थ रखें ।
(6) समय पर आँखों की बीमारियों की सही जांच एवं इलाज़ से रोशनी जाने के ख़तरे से बचें ।
(7) डिजिटल गजेट्स के इस्तेमाल मे 20-20-20 का नियम इस्तेमाल करें ।
(8) आँखों को मसलें रगड़ें नहीं ।
(9) मेकअप एवं कांटैक्ट लेंस के इस्तेमाल मे एलर्जी एवं संक्रमण से बचें ।
(10) 5 साल से छोटे बच्चों को विटामिन ए की हर 6 महीने मे एक खुराक जरूर दिलवाएँ ।
(11) धूल धूएं से आँखों को बचाएं ।
(12) धूम्रपान को ना कहें - उम्र से संबंधित आंखों की समस्याएं धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने का एक बढ़ा जोखिम है। इसकी रोकथाम से अंधेपन की रोकथाम हो सकती है।
(13) किसी भी आँखों की परेशानी को नज़रअंदाज़ न करें एवं तुरंत आँखों के डॉक्टर से संपर्क करें ।
(14) आँखों के पारिवारिक इतिहास को जानें एवं समय रहते आँखों की आनुवांशिक बीमारियों का उपचार करवाएँ ।
(15) शरीर की कई बीमारियों का आँखों से संबंध है इसलिए शरीर के साथ साथ आँखों की जाँच भी अवश्य कराएं ।
स्वस्थ जीवन शैली - नियमित रूप से आंखों की जाँच से आज ही स्वस्थ्य द्रष्टि सुनिश्चित करें एवं जरूरत होने पर आवश्यक अंधत्व निवारक उपाय सुनिश्चित करें।
Preceptor of future Mpsos last webinar today on 31:3:24 for ujjain and sagar division.
We are thrilled to invite you for Preceptors of Future - A competitive scientific webinar for PGs & DNB's by
MPSOS in association with Ajanta
Pharma Itd
Date: Mar 31, 2024
Time 04:00 PM
Join Zoom Meeting
https://zoom.us/j/94194147227?pwd=NmZ6MUhjOWRRLzJJakdILzdQaGF5QT09
Meeting ID: 941 9414 7227
Passcode: BRIVEX
Happy Holi
Play colours with safety
Follow certain tips
Respected member
Please join tomorrow at 4 pm for Rewa division preceptor of future webinar from MPSOS.
Thanks
Regard
Dr Vinita Ramnani
Chairperson scientific committee and team
Love, blessings and token of appreciation in the form of his written book received from both eyes operated patient.
Such moments are always encouraging and energy to work hard and better …
My article on glaucoma awareness
World glaucoma week
To create awareness of this blinding disease
My interview at ayushman program at bansal news
Health: 10 से 16 मार्च तक दुनियां भर में मनाया जा रहा है ग्लूकोमा वीक Health: 10 से 16 मार्च तक दुनियां भर में मनाया जा रहा है ग्लूकोमा वीक हमारे शरीर का सबसे अहम अंग...बदलते दौर ....
Respected members
As you all know our *midterm MPSOS one day conference is at Rewa on 7th April 2024 Sunday* Request all of you to be part of this event and encourage Rewa division, as for the first time they are organising physical MPSOS event at Rewa.
LOC is really working very hard and putting so many efforts to make this event successful.
Our scientific program is on theme of retina and cataract. It has been crafted to involve each one of you including PGs. Highlight of conference will be
4 national faculties, preceptor of future finals, papers for PGs, PG Quiz and many scientific sessions.
The program is in the finalising stage, request those who are interested and have not yet sent there confirmation or topic please do so immediately before 17th march.
Thanks and regards
Dr Vinita Ramnani
Chairperson scientific committee and team scientific committee
World glaucoma week starts
10to 16th march 2024
Be the part of glaucoma free world
First step towards the awareness of this blinding diseses is
Glaucoma walk with BDOS members and Nukad natak
We are thrilled to announce that the M. P. State Ophthalmic Society has been awarded the prestigious Best State Society Award for the Year 2023-24! In the category of 501 - 1000 Members, MPSOS has been recognized as the Best State Society for Promoting Scientific and Educational Activities in the year 2023 – 2024.
Congratulations to all!
Congratulation to all MPSOS members,
Proud moment for me as chairperson scientific committee MPSOS, because it was my dream and now its a reality
As scientific committee Chairperson i poured lot of efforts with the all office bearer of society day and night from the time i thought of getting this prestigious award.
Would like to acknowledge and appreciate divisional secretaries and presidents. Thank you every one it is indeed a great achievement. 🙏🏻
Back to work
Work is worship
Where ever you go and enjoy
Main happiness and feeling of completeness comes from your professional work
Surgeon at surgery table is best ….
Time for 3rd episode of Preceptor of future PGs webinar from MPSOS
Please do join on Sunday 3:2:24 4 to 6 pm to encourage PGS from indore division. Thank you so much for all the efforts to make this preceptor webinar happen. Special thanks to coordinators Dr Shweta Walia, Dr Aditi Dubey and Dr Pankaj Choudhary . Thank you to all mentors and HODs of medical colleges , Our judges. special thanks to dear friend Dr Purvi Bhagat, Dr Shalini Mohan
See you all in webinar long awaited
All the best to participants
Hearty congratulations on a highly successful webinar. https://www.youtube.com/live/-NUBL4bpLrI?si=J6GZJLjO-IhX6bJO
Please join interesting webinar on neovascular glaucoma cases, on 11th February 2024 between 7 to 9pm.
WALK-IN PATIENT with NEOVASCULAR GLAUCOMA AIOS Webinar: Walk-in Patient with Neovascular Glaucoma (How to Diagnose, Triage and Manage?)
thank you everyone for making 2nd webinar of preceptors of future Gwalior division Pgs competition very interactive-
Eye check up camp at Piplani Gurudwara by great efforts of Mrs Taranjeet Kaur on 17.1.24 Wednesday by team sewa sadan eye hospital and staff of bansal hospital under guidance of Dr Vinita Ramnani. Thanks to lions majestic members and Sambhaw social welfare society for time and contribution to social cause creating awarness to fight against blindness. Icing on cake was presence of Mr Johar
Encouragement and appreciation keeps you going.....
दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है आंखों की बीमारी - मायोपिया
निकट दृष्टि दोष की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है जिसे मायोपिया कहा जाता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में एक अरब चालीस करोड़ लोगों को निकट दृष्टि दोष है , 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर पांच अरब हो जाएगा ।
क्या है निकटदृष्टि दोष ( मायोपिया ) ?
मायोपिया, जिसे शॉर्ट-साइटेडनेस भी कहा जाता है आँखों का एक सामान्य रिफ्रैक्टिव इरर है इसमें आँखों की लंबाई ज्यादा होती है या कार्निया की वक्रता बढ़ जाती है जिससे आँखों में प्रवेश करती रोशनी ठीक प्रकार से फोकस नहीं होती है और प्रतिबिंब रेटिना के थोड़ा आगे फोकस होते हैं । इसमें दूर की नज़र धुंधली होती है लेकिन पास की वस्तुएं देखने में कोई परेशानी नहीं होती है ।
निकट दृष्टि दोष के कारण ?
मायोपिया बाहरी और आनुवांशिक कारणों से होता है । बदलती लाइफस्टाइल, शारीरिक निष्क्रियता, अनहेल्दी फूड्स के सेवन और ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने, लंबे वक़्त तक घर मे बिना सूरज की रोशनी देखे बगेर लगातार टीवी या लैपटॉप, मोबाइल फोन पर घंटों चिपके रहने से समस्या बढ़ रही हैं । अगर माता या पिता दोनों में से किसी को यह समस्या है तो बच्चों को निकट दृष्टि दोष का खतरा बढ़ जाता है । प्रकृतिक रोशनी में कम समय बिताने से मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है ।
निकट दृष्टि दोष के आंकड़े ?
भारत की 20-30 प्रतिशत जनसंख्या जिनमे 5-15 वर्ष की आयुवर्ग के 17 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से पीड़ित हैं । अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो 2050 तक भारत के शहरीय इलाकों में 10 में से पांच बच्चे मायोपिक होंगे । बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि उनका शरीर और ऑंखें विकसित हो रही होती हैं । आँखोँ का साइज़ बढ़ने से अट्ठारह से बीस वर्ष की आयु तक मायोपिया बढ़ता है और फिर नंबर और दृष्टि स्थिर हो जाती है । 2050 तक पाँच अरब मायोपिक हो जाएंगे इनमें से लगभग दस प्रतिशत लोगों का मायोपिया इतना गंभीर होगा कि उनके लिए दृष्टिहीनता का खतरा अत्यधिक बढ़ जाएगा इसलिये ज़रूरी है कि अगर एक बार समस्या हो गई तो इसे नियंत्रित कैसे किया जाएगा इसीलिए समय रहते समाज में जागरूकता बढ़ाना ही उपाय मात्र है ।
मायोपिया के लक्षण क्या हैं ?
दूर की चीजें देखने पर आँखों में तनाव और थकान महसूस होना, दूर की चीज़ों को देखने के लिए आंखों पर जोर डालना । ड्रायविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में बार-बार आँखें झपकाना, लगातार सिरदर्द, पलकों को सिकोड़कर देखने की आदत, आँखों से पानी आना एवं भेंगेंपन की समस्या ।
बच्चों में मायोपिया की कैसे करें पहचान ?
क्लास रूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना, टीवी किताब या मोबाइल को बहुत नजदीक से देखना, लगातार आँखें मसलना, पढ़ाई पर फोकस न कर पाना ।
मायोपिया कितने तरह का होता है ?
इस बीमारी को डायोप्टर माप के द्वारा गंभीरता के आधार पर अलग-अलग प्रकार में बांटा गया है ।
साधारण मायोपिया : सिम्पल कम नंबर वाला मायोपिया होता हें और इसमें काम्प्लीकेशन भी कम होते हैं गंभीर मायोपिया : पैथोलॉजिकल या डीजनरेटिव मायोपिया : इसमें रेटिना याने आँखों का पर्दा बचपन से ही कमजोर होता है और आँखों की रोशनी बहुत कम होती है ।
माइल्ड मायोपिया : इस स्थिति में बीमारी में चश्मे का नंबर -6D तक हो सकता है ।
हाई मायोपिया : इसमें -6D से अधिक नंबर होता हैं एवं अगर मायोपिया का समय रहते इलाज नहीं करवा पाए तो इससे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और रेटिना का डिटेचमेंट जैसी आँखोँ की गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं ।
कैसे होगी मायोपिया की रोकथाम ?
हालांकि मायोपिया को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है लेकिन इन कदमों को उठाने से स्थिति विकसित होने या इसकी प्रगति को धीमा करने एवं जोखिम को कम करने में मदद दिला सकती है।
• बाहर समय बिताएं: प्रतिदिन कम से कम 2 घंटे बाहर दिन के प्रकाश में बिताने से मायोपिया के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है ।
• स्क्रीन पर काम करने से ब्रेक लें: बार-बार ब्रेक लेने और हर 20 मिनट में स्क्रीन या किताब से दूर देखने और आँखोँ की माँसपेशियों को आराम देने के लिए किसी दूर की वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें ।
• सही पोस्चर बनाए रखें: खराब पोस्चर से आँखों में खिंचाव हो सकता है और मायोपिया का विकास संभव है । पढ़ने, लिखने या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय शरीर को सामान्य मुद्रा में रखना महत्वपूर्ण है ।
• स्वस्थ्य आहार का पालन करें: स्वस्थ्य आहार जो विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है विशेष रूप से विटामिन ए और सी मायोपिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं ।
• नियमित रूप से नेत्र चिकित्सक के पास जाएँ: नियमित सम्वाद, परामर्श एवं आँखों की जाँच से किसी भी दृष्टि परिवर्तन का जल्द पता लगा शीघ्र उपचार किया जा सकता है। शिशुओं का जन्मोपरांत एवं दो वर्ष की उम्र में अर्ली ऑय चेकअप तथा स्कूल में प्रवेश से पूर्व एवं प्रति काम से कम दो वर्ष के अंतराल पर आँखों की जाँच अवश्य करवाएं ।
• उचित प्रकाश का प्रयोग करें: पढ़ने, लिखने या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय पर्याप्त प्रकाश का होना महत्वपूर्ण है ।
• दृष्टि की समस्याओं को जल्दी ठीक करें: यदि मायोपिया का पारिवारिक इतिहास है या आपकी दृष्टि में कोई बदलाव दिखाई देता है तो आंखों की जाँच एवं सुधारात्मक लैंस हेतु नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेना एवं उपयुक्त चश्मे का इस्तेमाल जरूरी है ।
मायोपिया का इलाज ?
• सुधारात्मक लेंस: सुधारात्मक लेंस, जैसे चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस ही मायोपिया के लिए सरल एवं आम उपचार हैं । ध्यान रहे समय के साथ चश्में या कॉन्टैक्ट लेंस को नियमित रूप से अपडेट करने की आवश्यकता पड़ सकती है ।
• अपवर्तक सर्जरी: कुछ मायोपिया मामलों में लेसिक या स्माइल से इलाज करवाया जा सकता है । आमतौर पर यह विधियां केवल स्थिर दृष्टि वाले वयस्कों और मध्यम से गंभीर मायोपिया के मरीजों के लिए सार्थक होती हैं ।
• ऑर्थोकेराटोलॉजी: कॉर्निया को अस्थायी रूप से ठीक करने के लिए रात भर विशेष कठोर कांटेक्ट लेंस पहनने की सलाह दी जाती है इस प्रकार के उपचार का उपयोग अक्सर बच्चों और युवा वयस्कों में हल्के से मध्यम मायोपिया के लिए किया जाता है ।
• एट्रोपिन आई ड्रॉप्स: बच्चों में मायोपिया की प्रगति को धीमा करने के लिए एट्रोपिन आई ड्रॉप्स का उपयोग किया जा सकता है । ये बूंदें आँखों की माँसपेशियों को अस्थायी रूप से विश्राम देने में सहायक सिद्ध होती है जो समय के साथ बढ़ने वाले नेत्र दोष की रोकथाम कर निकट दृष्टिदोष के कारण दृष्टिहीन होने से रोकने में सहायक हो सकती है ।
• मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस: इंट्रा-ऑकुलर लैंस प्रत्यारोपण, मायोपिया और प्रेस्बायोपिया (बढ़ती उम्र के कारण पास का देखने में दिक्कत होना) को ठीक करने के लिए किया जा सकता है, विशेषकर वृद्ध वयस्कों में, जिनमें दोनों स्थितियाँ एक साथ पाई जा सकती हैं ।
• विजन थेरेपी: व्यायाम और शारिरिक गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल होती है जो आंखों के समन्वय और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार करने के लिए की जाती हैं। इसका उपयोग मायोपिया के कुछ मामलों में किया जा सकता है, खासकर जब स्थिति अन्य दृष्टि समस्याओं से जुड़ी हो जैसे तिरछापन ।
नेत्र चिकित्सक से परामर्श महत्वपूर्ण है - उचित उपचार और प्रबंधन के साथ, मायोपिया को प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है हालांकि मायोपिया को पूरी तरह से रोकना संभावित नहीं है लेकिन चश्मा या लेंस पहनने से मायोपिया ठीक या खराब नहीं होता है, लेकिन यह प्रक्रिया को धीमा कर बेहतर दृष्टि प्रदान करने में मदद अवश्य करता है । सुनिश्चित करें कि सही आई नंबर और लेंस हैं, गलत लेंस स्थिति को खराब कर सकते हैं। सूरज की रोशनी मे ज्यादा रहें जिससे डोपामिन एक प्रकार का न्यूरोट्रांसमीटर है जो दिमाग़ में रिलीज होता है । ज़्यादा डोपामाइन आईबॉल्स को ज़्यादा वृद्धि करने से रोकता है इससे मायोपिया दूर रहता है
VINITA RAMNANI
Computer Vision Syndrome By Dr Vinita Ramnani In this video Dr Vinita Ramnani talks about primary cause of computer vision syndrome and how to prevent this disease.
सुख और समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाए...दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएं...खुशियां आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएं...दिवाली पर्व की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं !
Mpsos 2023 photo gallery...
Avoid digital strain...follow safe distance ...
*बच्चों की आंखों का रखें ख़्याल*
*नेत्र स्वास्थ्य एवं सुरक्षा माह*
बच्चों की आंखें बहुत नाजुक होती हैं वे शिकायत भी नहीं करते जिसके चलते अभिभावक गण बच्चों की बढ़ती उम्र के कारण आंखों की बनावट में हो रहे बदलाव संबंधित नेत्र विकारों का विशेष ध्यान रखें ।
बच्चों में बहुत सारे संकेत होते हैं जो कमजोर नजर और आंखों की जांच की तरफ इशारा करते हैं । आइये जानें बच्चों के आंखों के स्वास्थ्य के लिए हमें क्या करना चाहिए।
*बच्चों के इन संकेतों को नजरअंदाज न करें*....
(1) आंखों में दर्द और सिर दर्द, अक्सर पढ़ने या स्कूल से आने के बाद ।
(2) टीवी, मोबाइल या किताबों को बहुत नजदीक से देखना उनके इस्तेमाल के बाद आंखों में आंसू आना या सिर और आंख में दर्द होना ।
(3) बच्चा अगर टीवी, मोबाइल या किताब देखते समय आंखों को छोटा या तिरछा करके देखे, एक आंख बंद करके या सिर एवं गर्दन को घुमा या झुका कर देखता है ।
(4) बच्चे को दूर या रात में देखने में परेशानी हो रही हो ।
(5) बच्चा कलर सही तरीके से नहीं पहचान पाए ।
(6) विशेषतः बच्चे द्वारा दो-दो प्रतिबिम्ब दिखने की शिकायत करने पर ।
(7) बच्चा स्कूल से कॉपी में सही तरीके से ना लिखकर आए ।
(8) ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ देखने में परेशानी की शिकायत करने पर ।
(8) अगर बच्चे की आंख में कोई बनावट में खराबी हो जैसे छोटी - बड़ी आंख, झुकी हुई पलकें या फिर तिरछापन ।
(9) अगर बच्चा बार-बार आंखों को मसलता है ।
(10) बच्चे की आंखें लाल होती हैं या आंखों से पानी एवं कीचड़ आता हो ।
(11) बच्चे के विद्यालय में ग्रेड्स में अचानक से कमी या फिर अचानक से पढ़ाई से बच्चे का ध्यान भटके ।
(12) बच्चा नज़र से जुड़ी हुई क्रियाओं को करने से मना करे ।
(13) अगर पहले से परिवार के किसी सदस्य जैसे भाई-बहन, माता-पिता को चश्मा लगा है या आंखों की कोई समस्या है ।
( 14 ) बिना किसी परेशानी के नियमित सालाना जाँच कराने पर आंखों के विकार की जानकारी मिलने पर ।
*बच्चों की आंखों की जाँच कब करवाना चाहिए*
• पहली जाँच 3 साल के उम्र के पहले हो जाना चाहिए
• दूसरी बार जाँच अगर कोई परेशानी नहीं है तो 5 से 6 साल की उम्र में
• तदुपरांत हर 2 सालों में एक बार या फिर जब आंखों के डॉक्टर ने आपको अगली बार जाँच की सलाह दी जाती है।
ध्यान रखें चार में से एक बच्चे को आंखों की समस्या हो सकने की संभावना सदैव बनी रहती है ।
*लगभग 80% बच्चों की सीखने की क्षमता नजर पर निर्भर करती है इसलिए आज ही अपने बच्चे की आंखों का परिक्षण करा उपयुक्त उपचार करा बच्चों का भविष्य सवारें ।*
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Monday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm | |
Tuesday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm | |
Wednesday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm | |
Thursday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm | |
Friday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm | |
Saturday | 10am - 2pm |
5pm - 8pm |
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