Sufi Educational & Welfare Society Kopaganj Mau
Non- Gormental Organization (NGO)
"عید میلاد النبی"
تمام عالم اسلام کو ربیع الاول کی پور نور ساعتیں مبارک ہو!
"روک لیتی ہے آپ کی نسبت ، تیر جتنے بھی ہم پر چلتے ہیں،
یہ کرم ہے حضور صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم کا ہم پر، آنے والے عذاب ٹلتے ہیں۔"
"عید میلاد النبی" 🕌
فِدَاكَ اَبِی وَاُمِّی وَرُوحِی وَقَلبِی
یَاسَیِّدِی یَارَسُول اللّٰهُ
صَلَّی اللہُ عَلَیہِ واٰلِہٖ وَسلم
الَّلهُمَّ صَلِ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ صَاحِبِ التَّاجِ وَالمِعْرَاجِ وَاْلبُرَاقِ وَاْلعَلَمَ دَافِعِ اْلبَلَاءِ وَالوَبَاءِ وَالْقَحْطِ وَاْلمَرَضِ والالم
اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِنَا مُحَمَّدٍ ﷺ نُّوْرِ الْاَنْوَارِ وَ سِرِّ الْاَسْرَارِ وَ سَیِّدِ الْاَبْرَارَ
حضور نظر کرم ہو غلام آئے ہیں
हुज़ूर नज़रे करम हो गुलाम आये है।
برے نصیب لیے خوش نصیب آئے ہیں
बुरे नसीब लिए खुशनसीब आये है।।
یہ کہہ رہے کہ دیدار بن نہیں جانا
यह कहे रहे है की दीदार बिन नहीं जाना।
حضور در پہ گداگر عجیب آئے ہیں
हुज़ूर दर पर गदागगर अजीब आये है।।
कोपागंज सोसाइटी,
تمام اہل وطن کو یوم آزادی کی پر خلوص مبارک باد
सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
Happy Independence Day
देशवासियों की जान है तिरंगा
आन बान और शान है तिरंगा
आज सोसाइटी के हेड ऑफिस पे स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आदरणीय प्रबंधक जनाब हाफ़िज़ असरार साहब के हाथो राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया गया।
मौके पर संस्था के अध्यक्ष उपाध्यक्ष,कोषाध्यक्ष व समस्त सदस्य उपस्थित रहे।
देश का हर नागरिक फौज में नहीं जा सकता मगर देश के क़ानून का पालन करता रहे औऱ समाज सेवा करता रहे तो देश की सेवा ख़ुद ब ख़ुद हो जाएगी क्योंकि नागरिक से समाज बनता है औऱ समाज से देश तथाकथित समाजसेवा ही देश सेवा है।
”الفت رسول ﷺ سے جو دل میرا آباد ہے
میرے دل کی ہر صدا حسینؓ زندہ باد ہے“
कोपागंज सोसाइटी
बिते दिन रविवार को रेगता सेंट्रल लखनऊ में एनo जीo वोo गुरु कि तरफ़ से आयोजित सेमिनार में अपनी संथा सूफ़ी एजुकेशन एण्ड वेलफेयर सोसाइटी कि हुई शिरकत जिसमे संस्था को आगे बढ़ाने को लेकर हुई वार्तालाप NGO Guru ने अपनी संस्था को सर्टिफिकेट देकर किया सम्मानित और भविष्य में क़दम से क़दम मिलाकर चलने की बात कही।
सूफ़ी एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी कोपागंज की जानिब से आप सभी को
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*उर्से पाक*
*सूफ़ी ख़्वाजा महमूद बहरंग बेलाली अलैहीरह्मा मुबारक हो।*
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*"मेहराब ए मरयम और अल्लाह वालो से निस्बत करने के फायदे"*
हजरत ईसा अलैहिस्साम की वालिद माजिदा हजरते मरयम सलामुल्लाह अलैहा के वालीद का नाम 'इमरान" और मां का नाम 'हन्ना" था। जब बीबी मरयम सलामुल्लाह अलैहा अपनी मां के शिकम में थीं उस वक्त इन की मां ने येह मन्नत मान ली थी कि जो बच्चा पैदा होगा मैं उस को बैतुल मुक़द्दस की खिदमत के लिये आज़ाद कर दूंगी। चुनान्चे, जब हजरते मरयम पैदा हुई तो इन की वालिदा इन को बैतुल मुक़द्दस में ले कर गई। उस वक्त बैतुल मुक़द्दस के तमाम आलिमों और आबिदों के इमाम हजरते जकरिय्या अलैहिस्साम थे जो हजरते मरयम के खालू थे । हजरते जकरिया अलैहिस्साम ने हजरते मरयम को अपनी कफालत और परवरिश मे ले लिया और बैतुल मुक़द्दस की बालाई मन्जिल में तमाम मन्जिलों से अलग एक मेहराब बना लगीं और हजरते जकरिय्या अलैहिस्साम सुब्हो शाम मेहराब में इन की खबर गीरी और खुर्दो नोश का इन्तिजाम करने के लिये आते जाते रहे। चन्द ही दिनों में हजरते मरयम की मेहराब के अन्दर येह करामत नुमूदार हुई कि जब हज़रते जकरिय्या अलैहिस्साम मेहराब
में जाते तो वहां जाड़ों के फल गरमी में और गरमी के फल जाड़ों में पाते। हजरते जकरिय्या अलैहिस्साम हैरान हो कर पूछते कि ऐ मरयम ! यह फल कहा से तुम्हारे पास आते हैं ? तो हजरते मरयम यह जवाब देतीं कि यह फल अल्लाह की तरफ़ से आते हैं और अल्लाह जिस को चाहता है बिला हिसाब रोजी अता फ़रमाता है। हजरते जकरिय्या अलैहिस्सलाम को खुदावन्दे कुद्दुस ने नबुव्वत के शरफ से नवाजा था मगर उन के कोई अवलाद नहीं थी और वोह बिल्कुल जईफ़ हो चुके थे। बरसों से उन के दिल में फरजन्द की तमन्ना मौजूद थी और बारहा उन्हों ने गिड़ गिड़ा कर खुदा से अवलादे नरीना के लिये दुआ भी मांगी थी मगर खुदा की शाने बे नियाजी कि बाबुजूद इस के अब तक उन को कोई फरजन्द नहीं मिला । जब उन्हों ने हजरते मरयम की मेहराब में येह करामत देखी कि उस जगह बे मौसिम का फल आता है तो उस वक्त उनके दिल में येह खयाल आया कि मेरी उम्र अब इतनी जईफ़ की हो चुकी है कि औलाद के फल का मौसम खत्म हो चुका है। मगर वोह अल्लाह जो हजरते मरयम की मेहराब में बे मौसम के फल अता फ़रमाता है वोह कादिर है कि मुझे भी बे मौसम की अवलाद (का फल) अता फरमा दे। चुनान्चे, आप ने मेहराबे मरयम में दुआ मांगी और आप की दुआ मक्बुल हो गई। और अल्लाह तआला ने बुढ़ापे में आप को एक फरजन्द अता फ़रमाया जिन का नाम खुद खुदावन्दे आलम ने 'याहया" रखा और अल्लाह तआला ने उन को नबुव्वत का शरफ़ भी अता फ़रमाया। कुरआने मजीद में खुदावन्दे कुदूस ने इस वाक़िए को इस तरह बयान फ़रमाया
*तर्जुमा*
जब जकरिय्या उस के पास उस की नमाज। पढ़ने की जगह जाते उस के पास नया रिज़्कपाते। कहा ऐ मरयम ! यह तेरे पास कहां से आया बोलीं वोह अल्लाह के पास से है बेशक अल्लाह जिसे चाहे बे गिनती दे। यहां पुकारा जकरिया अपने रब की। बोला ऐ रब मेरे मुझे अपने पास से दे सुथरी अवलाद बेशक तू ही है दुआ सुनने वाला, तो फ़िरिश्तों ने उसे आवाज़ दी और वोह अपनी नमाज की जगह खड़ा नमाज पढ़ रहा था । बेशक अल्लाह आप को मुजदा देता है याहया का जो अल्लाह की तरफ़ के एक कलिमे की तस्दीक़ करेगा और सरदार और हमेशा के लिये औरतों से बचने वाला और नबी हमारे खासों में से!!!
*"तवस्सुल"*
जैसा कि हजरते जकरिय्या अलैहिस्साम की दुआ मेहराबे मरयम में मकूबूल हुई । हालांकि वोह इस से पहले बैतुल मुक़द्दस में बार बार येह दुआ मांग चुके थे मगर उन की मुराद पूरी नहीं हुई थी जब अपने उस मकाम को तवस्सुल बनाया जहाँ हज़रत मरियम इबादत किया करती थी तो अल्लाह ने मक़बूल की आपकी दुआ
अब वो लोग गौर व फ़िक़्र करें जो वसीले और तवस्सुल
को शिर्क कहते हैं यहाँ एक अम्बिया तवस्सुल और वसीला बना रहे हैं और इसको शिर्क नही जान रहे और अल्लाह उनके इस अमल को पसंद करके उनकी मुराद को पूरा कर रहा है जबकि वो ज़ईफ़ हो चुके थे!!!
🤲 अल्लाह अज़व्जल हमे अपने महबूब बन्दों से मोहब्बत करने की और शरीयत तरीक़त और मारिफ़त तक पहुचने की तौफीक अता फरमाये और हम सब को खूब खूब दीन की खिदमत करने की तौफ़ीक़ अता फरमाये..... अमीन।।
Shukriya News Agency
कोपागंज सोसाइटी,
विगत दिनों 05 जून विश्व पर्यावरण दिवस के सुनहरे अवसर पर सूफ़ी एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के पास तथा मदरसा अलीमिया रज़ा ऊल ओलूम मसीना फतह पुर ताल नरजा में Sufi Educational & Welfare Society Kopaganj Mau की जानिब से मदरसा अलीमिया के प्रेसिपल कारी हाफ़िज़ इज़हारुल हक़ साहब व आली जनाब मौलाना मुहम्मद अशरफ साहब घोसवीं तथा कोषाध्यक्ष रज़ाऊल मुस्तफा साहब के हाथो किया गया वृक्षारोपण।
साथ ही मदरसे के बच्चो को भी पेड़ पौधे लगाने के लिए जागृत किया गया।
आपको बताता चलू कि पिछले दिनों तापमान 53 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच गया और हर तरफ़ खलबली मच गई। लाखों में पेड़ काटे जा रहे हैं जिसके कारण वातावरण में गर्मी बढ़ती जा रही है।वृक्षारोपण ही तापमान को नीचे ला सकती है इसलिए हर व्यक्ति को कम से कम दो पेड़ लगाकर अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।
विश्व पर्यावरण दिवस हम सबको पर्यावरण को बचाने की प्रेरणा देता है।
आइए आज मिलकर पृथ्वी को बचाने का प्रण लें।
विश्व पर्यावरण दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
#वृक्षारोपण
5 June विश्व पर्यावरण दिवस है अपने हाथ से एक पौधा जरूर लगाएं।
*शत प्रतिशत मतदान.....मतदान के द्वारा हम अपनी आवाज का चयन करते हैं*
किसी भी चुनाव के दौरान वोट देना आपका कर्तव्य है। मतदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा लोग अपनी आवाज का चयन करते हैं ,जो सरकार में उसकी आवाज बनेगी।
वोट से सरकारें बनती हैं, वोट के जरिए ही लोग तय करते हैं कि अगली सरकार किसकी बनेगी। चुनाव के दौरान प्रत्येक वोट डालने वाले लोगों द्वारा जिम्मेदारी डाली जाती है, इसलिए यह जरूरी है कि लोग वोट डालने की जिम्मेदारी लें।
आपका वोट आपकी आवाज़ है।
दुनिया को अपनाना आपके हाथ में है।
वोट देना आपकी जिम्मेदारी और अधिकार है।
आपका भविष्य बस एक क्लिक दूर है।
अपील करते हुए sufi Educational & Welfare Society परिवार!
*मतदान दिवस की हार्दिक सुभकामनाये*
Sufi Educational & Welfare Society Kopaganj Mau Non- Gormental Organization (NGO)
फतहपुर तालनर्जा के स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए इस्लामी तरबियति कोर्स करने का सुनहरा मौका।❤️
तमाम आलमे इस्लाम को 812
उर्से ख्वाजा गरीब नवाज़ बहोत बहोत मुबारक हो।
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गरीब नवाज़ की हालाते ज़िन्दगी पे मुख़्तसर सी रोशनी
💚 हजरत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही
अलक़ाब:- ख्वाजा गरीब नवाज ** अता-ऐ-रसूल **
सल्ललाहो अलैहि वसल्लम
आप की विलादत संजर जो मुल्क असफहान के शहर खुरासान के करीब में है, में 530 हिजरी (1136) में हुई..!
आपके वालिद का नाम ख्वाजा सैय्यद गयासुद्दीन बिन अहमद हसन रहमतुल्लाह अलैहि है जो हुसैनी सादात है और वालिदा का नाम बीबी उम्मुल वरा ( बीवी माहेनूर) बिन्ते हजरत सैय्यद दाऊद रहमतुल्लाह अलैहि है जो की हसनी सादात है 8 बरस की उम्र में आपके वालिद का इंतेक़ाल हो गया और 15 बरस की उम्र में आपकी वालिदा का इंतेक़ाल हो गया
💚 544 हिजरी में एक बार आप अपने फलो के बगीचे में काम कर रहे थे, तब हजरत इब्राहिम कंदोजी नाम के एक दरवेश वहाँ आये और बेठे. आपने उनको अपने बगीचे में से अंगूर का गुच्छा पेश किया और उन्हों ने उसे खाया और मेहमान नवाजी से खुश होकर अपने थैले में कुछ निकाला और उसको चबाकर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन को खाने के लिए दिया आपने खुशी के साथ उसको खाया तो उनके फैजो बरकात से आपके लिए इल्मो हिकमत के दरवाजे खुल गए और आप ने अपना सब कुछ बेच दिया और उस रकम को गरीबो और मोहताजो को खैरात कर दिया और फिर आप समरकंद और बुखारा की तरफ इल्मे दीन सिखने के लिए रवाना हो गए
💚 544 से 550 हिजरी तक आप वहाँ हजरत मौलाना हिसामुद्दीन और हजरत मौलाना शरफुद्दीन के पास इल्मे दीन सीखते रहे!
550 हिजरी में आपकी मुलाकात हुजूर गौसे आजम रदियल्लाहो तआला अन्हो से हुई
आप एक कामिल पीर तलाश रहे थे की आपने ख्वाज़ा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलैहि के बारे में सुना.
552 हिजरी में आप उनके पास गए और उनके मुरीद हुए..! और इबादतें इलाही और खिदमते मुर्शिद करते रहे..!
💚 एक बार ख्वाज़ा उस्मान हारूनी ने आपसे कहा के मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है..???
आपने नीचे देखकर कहा की में जमीन के अंदर देख सकता हूं ‘
मुर्शिद ने फिर कहा की अब ऊपर देखो, क्या दिखता है ..??? आपने ऊपर देखकर कहा की में आसमान के अंदर देख सकता हूं..! मुर्शिद ने फिर फरमाया की में तुम्हे इससे भी आगे पहुँचाना चाहता हूं, फिर 22 साल मुर्शिद की खिदमत में गुजारने के बाद एक दिन मुर्शिद ने फिर बुलाकर अपनी दो उंगलिया आप की दोनों आँखों के बीच में रखी और फिर फरमाया मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है..??
आपने नीचे देखकर कहा में तहतुस्सरा तक देख सकता हूं यानी 7 तबक जमीन के नीचे तक ’ फिर मुर्शिद ने कहा ‘अब ऊपर देखो क्या दिखाई देता है..??’
आपने ऊपर देखकर कहा की ‘में अर्शे आज़म तक देख सकता हूं'
ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने खुश होकर आपको खिलाफत अता फरमाई
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💚 एक बार आपके मुर्शिद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह अलैहि ने अपने सब मुरीदो को जमा करके कहा के मेने तुम्हे जो इल्म सिखाया है उससे कुछ करामात पेश करो...! सब मुरीदो ने बारी बारी करामात से कोई चीज़ पेश की किसी ने सोना, किसी ने चांदी, किसी ने हीरे जवाहरात,तो किसी ने दीनारों दिरहम पेश किये,
ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े पेश किये..!
सब मुरीद आप पर हंसने लगे., इतने में दरवाजे पर एक साइल ने आवाज़ दी के में कई दिनों से भूखा हूं मुझे खाने के लिए कुछ दे दो.’ सब ने अपनी अपनी चीज़े उसको देनी चाही. मगर उस साइल ने कहा के में इस सोने चांदी हीरे जवाहरात दीनारों दिरहम का क्या करुँ..?
मुझे तो खाने के लिए कुछ दे दो..! फिर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े उस साइल को दे दिए. उसने उसे लेकर आपको बहुत सारी दुआऐं दी.!
इसके बाद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम गरीब नवाज़ हो
💚 555 हिजरी में शेख जियाउद्दीन अबू नजीब अब्दुल कादिर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैहि से मुलाकात हुई..!
💚 563 हिजरी में ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने आपको जुब्बा मुबारक अता किया और अपने साथ हज को लेकर गए..! जब बैतुल्लाह शरीफ़ में हाजिर हुए तो आपके पीरों मुर्शीद ने आपका हाथ पकड़ कर दुआ की
"" ऐ खुदावंद ! में अपने मोईनुद्दीन के लिए तुझसे 3 चीजो का तलबगार हूं ! गैब से आवाज़ आई " ऐ उसमान ! मोईनुद्दीन के लिए जो कुछ तलब करोगे दिया जाएगा ! ये हुक्म पाकर आपने अर्ज़ किया " ऐ खुदावंद तू मेरे मोईनुद्दीन को कुबूल फरमा !"
इरशादे बारी हुआ "हमने कुबूल किया" फिर अर्ज़ किया "मेरे मोईनुद्दीन को मुझसे ज्यादा शोहरत अता फरमा ! इरशादे बारी हुआ " हमने कुबूल किया"
"फिर अर्ज़ किया मेरे मोईनुद्दीन में अपने जलवे और अपने हबीब सल्ललाहो अलैहि वसल्लम की शान पैदा फरमा" ! इरशादे बारी हुआ की ये दुआ भी मेने कुबूल की..! आखिर वक़्त में इस दुआ का इस तरह जहूर हुआ कि आपके विसाल के बाद आपकी पेशानी मुबारक पर अरबी में लिखा हुआ था -
"" हाजा हबीबुल्लाह वमा ता फी हुबिल्लाह""
यानी ""ये अल्लाह का हबीब है और इसका विसाल अल्लाह की मोहब्बत में हुआ""!
इसके बाद जब मदीना शरीफ पहुंचे और हुजूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम को सलाम पेश किया ‘अस्सलातो वस्स्लामो अलैका या रसूलल्लाह'
तो रोजा ऐ मुबारक से जवाब आया वालेकुम अस्सलाम या कुतबुल मशाइखे बहरो बर (और तुम पर भी सलामती हो ऐ जमीन और समुन्दर के बुजुर्गो के कुतुब)
💚 580 हिजरी में गौसे आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो से दोबारा मुलाकात हुई..!
582 हिजरी में इस्फ़हान में ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी को मुरीद बनाया और 585
हिजरी में समरकंद में उनको खिलाफत अता फरमाई
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💚 585 हिजरी में आप ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी के साथ हरमैन शरीफ़ेन गए तो सरकारे मदीना हुजूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने ख्वाब में तशरीफ़ लाकर फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम दीन के मददगार हो, तुम अब हिन्दुस्तान जाओ और वहाँ जाहिलियत को दूर करके लोगो को दीन ऐ इस्लाम का सही रास्ता दिखाओ
💚 रास्ते में बहुत सारे सूफी औलिया से फैज़ो बरकात हासिल करते हुवे और हजारो लोगो को अपना फैज अता करते और दीन की सही राह दिखाते हुए आप हिदुस्तान में लाहौर में कुछ अरसे के लिए रुके और फिर वहाँ से 587 हिजरी (1190.) में 52 बरस की उम्र में राजपुताना (राजस्थान) के इलाके अजमेर में पहुंचे जहाँ पृथ्वीराज चौहान की हुकूमत थी..! एक बार आप अपने साथियो के साथ एक दरख्त के नीचे बैठे थे, इतने में राजा के सिपाहियों ने आकर कहा के तुम सब यहाँ से खड़े हो जाओ .
ये जगह राजा के ऊँटो के बैठने की जगह है..! आप ने फरमाया की ये ऊंट दूसरी कोई जगह पर भी तो बैठ सकते है ‘ तो सिपाहियों ने कहा के नहीं ये ऊंट रोजाना यही पर बैठते है.!
तो आप वहाँ से खड़े हो गए और फरमाया के ठीक है अब ये ऊंट यही पर बैठेंगे, और आप दूर चले गए..! फिर कुछ वक़्त के बाद सिपाहियों ने ऊँटो को खड़ा करने की कोशिश की तो वो ऊंट वहाँ से खड़े ना हुवे, बहुत कोशिश करने के बाद नाकाम होकर वो सब राजा के दरबार में हाज़िर हुवे और सारा किस्सा बयान किया..! तो उस राजा ने कहा की तुम उस फकीर के पास जाओ और उससे माफ़ी मांगो..!
वो सिपाही आपको तलाश करते हुवे वहाँ पहुंचे और माफ़ी मांगी आपने फरमाया की जाओ तुम्हारे ऊँट खड़े हो गए है, सिपाहियों ने जब जाकर देखा तो ऊंट अपनी जगह से खड़े हो गए थे
💚 इसके बाद आपने बहुत सारी करामते दिखाई जिसमे आना सागर को अपने कांसे में समा लेना और अजयपाल जादूगर के फेंके गए पत्थर को आसमान में ही रोक देना और उसको मुसलमान बनाना मशहूर है..! आपने अपने रूहानी फैज़ और करामात से हिन्दुस्तान में इस्लाम की बुनियाद मजबूत की, बुलन्दी और वक़ार अता फरमाया
💚 एक बार आप आना सागर की तरफ से गुजर रहे थे की आपने एक औरत के रोने की आवाज़ सुनी पहचानने पर पता चला की वो औरत बहुत गरीब थी और उसकी गाय मर गई थी, आप उसके साथ उस गाय के पास गए और अल्लाह से दुआ की तो वो मरी हुई गाय जिन्दा हो गई ये देखकर वो औरत आप के कदमो में गिर गई
💚 589 हिजरी में शाहबुद्दीन गौरी आप के मुरीद बने 611 हिजरी में आप देहली तशरीफ़ ले गए आप 7 वीं सदी के मुजद्दिद भी है, आपने बहुत सारी किताबे भी लिखी है, जिस में अनीसुल अरवाह और दलाइलुल आरेफीन मशहूर है
💚आप फरमाते है :
(1) किसी का दिल ना दुखाओ
हो सकता है की वो आंसू तुम्हारी सजा बन जाए
2.दुखियो की मदद करना और उनकी फरियाद सुनना अफजल इबादत है.!
(3) झूटी कसम खाने से घर में से बरकत चली जाती है..!
हमेशा सच बात कहा करो
💚आपकी 2 बीबियां है और 3 बेटे और 1 बेटी है..!
बीबी अमातुल्लाह से निकाह 590 हिजरी में हुआ आपके बतन से
(1) खवाजा फकरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैहि
(2) ख्वाजा हिसामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैहि
(3) बीबी हाफीजा जमाल रहमतुल्लाह अलेहिया हुवे
बीबी असमतुल्लाह से निकाह 620 हिजरी में हुआ और आपके बतन से हजरत खवाजा जियाउद्दीन अबू सईद रहमतुल्लाह अलैहि हुए आप खवाजा उसमाने हारुनी के मुरीद और खलीफा है, आप से हिन्दुस्तान में चिश्तिया सिलसिला जारी है..,
आपके बहुत सारे मुरीदो ने हिन्दुस्तान में दीने इस्लाम की इशाअत का काम जारी रखा !
आप के 2 खलीफा मशहूर है :
(1) हजरत ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैहि (देहली)
(2) हजरत ख्वाज़ा हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैहि
(नागौर)
इसके अलावा आपके सिलसिले (खलीफा के खलीफा) में बहुत सारे औलिया अल्लाह मशहूर है
1.हजरत ख्वाज़ा फरीदुद्दीन गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैहि
(पाक पट्टन पाकिस्तान),
2.हजरत ख्वाज़ा अलाउद्दीन साबिर कलियरी रहमतुल्लाह अलैहि
3.हजरत ख्वाज़ा शम्सुद्दीन तुर्क रहमतुल्लाह अलैहि पानीपती
4.हजरत ख्वाज़ा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैहि (देहली),
5.हजरत ख्वाज़ा नसीरुद्दीन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि
6. हजरत अमीर खुसरो (देहली)
7.हजरत बुरहानुद्दीन गरीब खुलदाबाद (महाराष्ट्र),
8. हजरत जलालुद्दीन
फतेहबाद (महाराष्ट्र), 9.हजरत मोहम्मद हुसैनी गेसू दराज बंदा नवाज
रहमतुल्लाह अलैहि गुलबर्गा (कर्नाटक)
10.हजरत सैय्यद अहमद बड़े पा लांसर (हैदराबाद)
11. हजरत सिराजुद्दीन अकी सिराज (आइना ऐ हिन्द) रहमतुल्लाह अलैहि
(गौड़, वेस्ट बंगाल)
12.हजरत शाह नियाज अहमद रहमतुल्लाह अलैहि (बरेली),
13.हजरत मखदूम अशरफ सिमनानी रहमतुल्लाह अलैहि
(किछौछा)
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💚आपका विसाल 6 रजब 633 हिजरी (मार्च 16,1236) को 97 बरस की उम्र में हुआ..!
आपका मजार अजमेर (राजस्थान) में है विसाल के बाद भी आपका फैज़ और करामात जारी है, आपके मज़ार पर हाज़िर होने वालो और आप के वसीले से दुआ मांगने वालो को अल्लाह तआला हर नेक जायज मुराद अता फरमाता है..!
जिस में ये किस्सा बहुत मशहूर है की
💚 एक बार बादशाह औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैहि ख्वाज़ा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैहि के मज़ार की जियारत के लिए अजमेर आये..!
अजमेर पहुँच कर औरंगजेब ने कहा के मानता हूं की ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैहि
अल्लाह के वली है मगर में जब मज़ार पर उनको सलाम पेश करू तो मुझे जवाब मिलना चाहिये वरना में मज़ार को तोड़ दूंगा..! आप जब मज़ार पर पहुंचे तो वहाँ एक अँधा शख्स बैठकर इल्तेजा कर रहा था औरंगजेब ने उससे पूछा के ऐ शख्स क्या मामला है..??
उस अंधे शख्स ने जवाब दिया की में बहुत अरसे से ख्वाज़ा के वसीले से दुआ कर रहा हूं की मेरी आँखों की बिनाई आ जाए मतलब रौशनी मिल जाए..!
लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ..! तब औरंगजेब ने उससे कहा की मज़ार पर सलाम कर के आता हूं, अगर तब तक तुझे आँख की रौशनी नहीं मिली तो तलवार से तेरी गर्दन काट दूंगा..!
💚वो अँधा शख्स परेशान हो गया की अब तो आँख के साथ साथ जान पर बन आई है..! फिर उसने और जोर शोर से तड़प कर ख्वाज़ा गरीब नवाज़ के वसीले से दुआ की..!
जब औरंगजेब ने ख्वाजा गरीब नवाज़ को सलाम पेश किया तो उसका जवाब नहीं मिला, दोबारा सलाम किया तो जवाब नहीं मिला, फिर जब तीसरी मर्तबा सलाम किया तो मज़ार के अंदर सलाम का जवाब मिला..!
फिर ख्वाज़ा गरीब नवाज ने कहा की ऐ औरंगजेब आइन्दा से फिर कभी ऐसी जिद मत करना, तुम्हारी जिद की वज़ह से उस अंधे शख्स की आँखों की रौशनी लाने के लिए में अर्शे इलाही पर गया था.. और इसलिए सलाम का जवाब देने में थोड़ी देर हो गई..!
💚 मुझ से जहां तक बन सका मेने सरकार गरीब नवाज़ की जिंदगी पर रौशनी डालने की कोशिश की है और आप तक इसको पहुँचाने की कोशिश की है,आखिर में बस यही कहूँगा की अल्लाह मेरी इस कोशिश को अपनी बारगाह में मंजूर फरमाये,
अल्लाह तआला रसूल सल्ललाहो अलैहि वसल्लम के सदके में और ख्वाज़ा गरीब नवाज़ अता ऐ रसूल के सदके में हम सबको पक्का और सच्चा आशिके रसूल बनाये, और सबके ईमान की हिफाजत फरमाये, और सबको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाये
आमीन.
انا اعطیناک الکوثر
سیدۃ النساء العالمین ملکۂ کونین سیّدہ کائنات سلام اللهُ تعالٰی علیہا کا یوم ولادت اہل اسلام کو مبارک
سیّدہ، زاہرہ، طیّبہ، طاہرہ
جانِ احمد ﷺ کی راحت پہ لاکھوں سلام
(امام احمد رضا خان ؒ )
ईश्वरदूत ईसा मसीह को ईश्वर ने आसमान पर उठा लिया जब ब्रह्मांड का अंतिम समय आने वाला होगा उस समय दज्जाल अपनी घृणात्मक कार्य सहित प्रकट होगा जिसका अंत ईसा मसीह ही करेंगें तथाकथित अब वो समय दूर नही रहा संपूर्ण मानव जाति को अपने ईमान का संरक्षण करना चाहिए।
قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ
ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ
وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ
आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है अल्लाह बेनियाज़ है
वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा और न कोई उस के बराबर है। (क़ुरआन पाक)
*25 दिसम्बर यौमे ईसा मसीह*
बच्चे हैं देश के प्रगति का आधार।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Happy Children Day
14 November
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
=विश्व उर्दू दिवस=
शहीद ए उर्दू देव नारायण पांडेय और कामरेड जय बहादुर सिंह को ख़िराज ए अक़ीदत।
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'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' के रचियता डा.सर मो.इक़बाल की जयंती(9 नवम्बर)को विश्व उर्दू दिवस मनाया जाता है।इस मौक़े पर मैं उन्हें अक़ीदत का ख़िराज पेश करता हुं।
इस ख़िराज ए अक़ीदत के सब से ज़्यादा हक़दार वे शहीदान ए उर्दू हैं जिन्हों ने उर्दू के शजर को अपने खून से सींचने और अपने जान की क़ुर्बानी देकर इसे जिला बख़्शी है।आज कानपुर के स्व.देव नारायण पांडेय जी और महान स्वतंत्रता सेनानी पूर्व सांसद जय बहादुर सिंह जी की शहादत को याद करने का दिन है।यह दोनों उर्दू मोहाफ़िज़ दस्ता के सदस्य थे और उत्तर प्रदेश में उर्दु को द्वितिय राज भाषा की मान्यता प्रदान करने के लिए आन्दोलनरत् थे।स्व.पांडेय ने अपनी इस मांग के लिए 20 मार्च 1967 को कानपुर के जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल शुरू की और पूर्व सांसद स्व.जय बहादुर सिंह ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के समक्ष धरना दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गए। इस भूख हड़ताल के दौरान 31 मार्च 1967 को स्व. देव नारायण पांडेय जी ने अपने प्राण का बलिदान दे दिया और कुछ दिनों के बाद ही स्व.जय बहादुर सिंह जी ने भी अपने जान की क़ुर्बानी दे दी थी।इन जैसे और भी गुमनाम शहीदों को मैं स्मरण करता हूं जिन का मानना था कि भाषा का कोई मज़हब नही होता है।
मीर ए उर्दू डा.जगन्नाथ मिश्रा साहब ने बिहार में उर्दू को उस का वाजिब हक़ दिलाने का फैसला करते हुए इसे बिहार की द्वितिय राजभाषा घोषित किया जिन की बदौलत आज बिहार के सरकारी दफ्तरों में उर्दू मौजूद है।
- Syed Masih Uddin
09th.November.1877
यौमे विलादत #अल्लामा इकबाल
हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती हैं,
बड़ी मुश्किल से होता हैं चमन में दीदावर पैदा!
#غذا
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سلسلہ مجددیہ شرافتیہ کی ایک بزرگ شخصیت اپنی ملی و سماجی خدمات کے لئے مشہور حضرت قبلہ شاہ ثقلین میاں حضور آج رضائے الہٰی سے انتقال فرما گئے انا للہ و انا الیہ راجعون 😢
اللہ بے حساب مغفرت فرمائے اور اہل خانہ و مریدین و محبین کو صبر جمیل عطا فرمائے
صوفی ایجوکیشنل اینڈ ویلفیئر سوسائٹی و مدرسہ دارالارقم اہل سنت کوپا گنج مؤ اس غم کی گھڑی میں ان کے ساتھ ہے اور تمام پسماندگان سے تعزیت و افسوس کا اظہار کرتی ہے
شریکِ غم
رضاؤالمصطفیٰ
خادم- مدرسہ دارولارقم اہل سنت کوپا گنج مؤ
صوفی ایجوکیشنل اینڈ ویلفیئر سوسائٹی
अगर इस्लाम का दहशत से 1% भी ताल्लुक होता
तो
सबसे पहले गर्दन उस बुढ़िया की काट दी जाती जो रोज नबी ﷺ पर कूड़ा फेकती थी
तू पुकारेगा तो ऐ सहन ए हरम आयेंगे
अब अबाबिलों के अंदाज में हम आयेंगे
ले के हम आयेंगे हाथों में सदाकत के अलम
ये अलग बात के तादाद में कम आयेंगे
रेत पे अपनी लहू से हमे लिखनी है गजल
अपने हिस्से में कहा लौह ओ कलम आयेंगे
आ ही जायेगा कोई मर्द ए इब्राहिम सिफत
जब भी अल्लाह के घर में ये सनम आयेंगे
~लिखने वाले ने कलम तोड़ दिया ♥️
खत्मे क़ुरआन व चौथा साला जशने ईद मिलादुन्नबीﷺ
भदसामानोपुर कोपागंज मऊ
https://youtu.be/f1PJ5857Wf4?si=maA2m3lFeAVv9jE8
#हुजूर_सल्लल्लाहो_अलैहि_वसल्लम
यौमे विलादत 12 रबी ऊल अव्वल अल अक़्सा
जेरूसलम फलस्तीन।
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पूर्व छात्र संघ महासचिव जे पी यू छपरा पूर्व सह भावी जिला परिषद प्रत्याशी इसुआपुर भाग 2
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भीम आर्मी भारत एकता मिशन "बांका" बाबा साहेब अम्बेडकर और माननीय कांशीराम के मिशन को समर्पित एक संगठन,
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Ideal Eyes, Patna,an N.G.O. is organising a blood donation camp on 07 April 2018.It is well known th