Abhi Dubey
साधक || योद्धा || यात्री
Information is the oxygen of the modern age. It seeps through the walls topped by barbed wire, it wafts across the electrified borders.
Ronald Reagan
🇮🇳🇮🇱
भाग 3 #एवरेस्ट_बेसकैंप_हिमालय #यात्रा_वृत्तांत
#किस्सागोई
े_दुनिया_के_सबसे_ख़तरनाक_और_एक_जानलेवा_घरेलू_हवाई_अड्डे_पर
119 साल पहले , 17 दिसंबर 1903 के दिन राइट बंधु ऑरविल और विलबर ने पहली बार उत्तरी कैरोलिना में राइट फ्लायर नामक विमान से सफल उड़ान भरी थी और आज जब एक से बढ़कर एक लड़ाकू विमान मानवता के खिलाफ अपराध एवं नरसंहार हेतु मानव बस्तियों को जमींदोज करने कीव, खार्किव, और ओडेसा शहर की ओर उड़ान भर रहे थे तब दुनिया के इस कोने पर हम चार लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक सौहार्द का संदेश लिए दुनिया के सबसे ख़तरनाक घरेलू हवाई अड्डे पर पहुंचने हेतु उड़ान भरने को तैयार खड़े थे। छोटी कार्गो फ्लाइट में हमने काठमांडू एयरपोर्ट से उड़ान भरा ,अब हम चार से आठ हो चुके थे । हमारी टीम में न्यूयॉर्क से दिव्या, गुड़गांव से सागर , पुणे से नयना और हैदराबाद से दीप्ति शामिल थी। इन चारों की भी अपनी कहानी थी ये बस घूमने नहीं निकल पड़े थे । जहाज में अटेंडेंट आती है , चुंकि मैं आपातकालीन खिड़की के पास बैठा था , तो पूछती है क्या आप आपातकालीन स्थिति में निकासी में मदद करेंगे? मैं हां कहता हूं, पर चेहरे पर मुस्कान के साथ प्रश्न भी तैर जाता है कि वाकई हमारे पास इतना समय बचेगा , यह बात अपने एक सदस्य को बताता हूं और हम हॅंस पड़ते हैं। हम बादलों के उपर थे , तभी किसी ने बताया कि कैसे पिछले सप्ताह यहां एक हवाई हादसा हुआ,तारा विमान अचानक नेपाल में खो गया था. इसके बाद जब वो मिला, तब दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था. इसमें करीब 22 यात्री सवार थे. सबकी मौत हो गई थी और मुझे स्मरण आया की कुछ महीने पूर्व भी जब मैं नेपाल आया था , तब येति एयरलाइंस के ATR-72 लैंडिंग से महज 10 सेकंड पहले क्रैश हो जाता है,जिसमें तीन बच्चों समेत 68 यात्री सवार थे। सब अपने मोबाइल से विमान की खिड़की के पास बाहर के मनोरम दृश्यों को कैद करने में लगे थे । चारों तरफ बर्फ से लदी चोटियों के शिखर , आस-पास तैरते बादल को घेरे हुए ऐसे खड़ी जैसे अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार रुस युक्रेन के मध्य हो रहे युद्ध के बीच लाभ के संभावनाओं को मुंह फाड़े ताक रही , केवल यूरोप ने अपने डिफेंस बजट में इस वर्ष 30.7 अरब डॉलर का इजाफा किया था।
थोड़े देर में हम उस खतरनाक घरेलू हवाई अड्डे पर उतरने वाले थे , जिसे द हिस्ट्री चैनल पर प्रसारित मोस्ट एक्सट्रीम एयरपोर्ट्स नामक कार्यक्रम द्वारा 20 से अधिक वर्षों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक हवाई अड्डे का दर्जा दिया गया था। क्योंकि, रन-वे की ढलान खतरनाक है और रनवे के आखिरी छोर पर 600 मीटर से ज्यादा की गहरी खाई है।करीब 10 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित लुकला एयरपोर्ट का एक नाम तेंजिंग हिलेरी हवाई अड्डा भी है।
हमारी जहाज इस हवाई अड्डे पर लैंड होने को तैयार, कइयो कि सांसें थमीं थी यहां जब प्लेन लैंड करता है, वो सबसे डरावना अनुभव होता है. खराब मौसम की वजह से कई बार प्लेन का रडार काम नहीं करता. इस वजह से पायलट अंदाजा लगाकर प्लेन की लैंडिंग करवाता है. इसका रनवे इतना छोटा है कि जरा सी लापरवाही और प्लेन सीधे पहाड़ी से टकरा जाएगा. इसके ट्रैक की चौड़ाई मात्र 65 फ़ीट है।प्लेन लैंड करने या टैक-ऑफ में पायलट के लिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि पायलट को इस छोटे से रन-वे पर समय रहते ही प्लेन के ब्रेक पर कंट्रोल करना होता है।कई हादसों के चलते अब यहां नए पायलट को प्लेन लैंड करने की परमिशन नहीं दी जाती है। खैर हमारा जहाज रनवे पर था हम सभी चिल्ला रहे थे , कोई खुशी से ,कोई जोश में और कोई डर छुपाने के लिए 😅 झटके और गति के अनुभव पर विराम लगता है और हम होते हैं लुकला एयरपोर्ट, जहां से आज हम चढ़ाई शुरू करने वाले हैं। हमारे पेट में चुहे दौड़ रहे थे तो हम एयरपोर्ट के पास होटल ब्रेकफास्ट करने पहुंचते हैं। खुद को और अपने पावरबैक को रिचार्ज कर हर हर महादेव के नारे के साथ निकल पड़ते हैं पहले दिन की चढ़ाई पर।
क्रमशः ...........
#भाग_२ #यात्रा_वृत्तांत #एवरेस्ट बेसकैंप
#किस्सागोई - जब पशुपतिनाथ ने गुम हुए डेबिट कार्ड को लौटाया 🥰🏔️👇
खैर एयरपोर्ट के ठीक पास होटल काठमांडू इन में चेक इन कर चुका था। लंबे सफर के बाद शावर लेने और अपने बैग्स व्यवस्थित करने के पश्चात हम पशुपतिनाथ मंदिर को निकले । होटल से लगभग देढ़ किलोमीटर की दूरी पर तांत्रिक विद्या का सबसे प्रमुख मंदिर पशुपतिनाथ, पशु अर्थात जीवन , पति का अर्थ स्वामी यानि जीवन के देवता के दरबार में हाजिरी देने हम चारों लोग पैदल ही पहुंच गए। मंदिर प्रांगण के अंदर लंबी लाइन ,धूप, तपिश और भक्तों की भीड़ थी हम भी उस लाइन में शामिल हो गए । यहां तक के किस्से में मैंने अपने समूह का परिचय नहीं दिया ,कोई न अभी तो सफ़र शुरू होने को है धीरे-धीरे सब सामने आएंगे। तो इस किस्सागोई का पहला पात्र विकास ओझा सर जो इस समूह में सबसे वरिष्ठ थे और उनके जीवन की इस तरह की यात्रा शायद पहली बार थी। विकास ओझा सर मेरे प्रिंसिपल रहें हैं, 2013 में जब एक आम मध्यमवर्गीय परिवार की महिला अपने बच्चे का दाखिला शहर के सबसे अच्छे निजी अंग्रेजी विद्यालय में कराने की दुस्साहस करती है तब मेरी मुलाकात इस विद्यालय के प्रिंसिपल श्री विकास ओझा सर से होता है। ऐसा व्यक्तित्व जो राह चलते लोगों के अंदर जादू फूंकता चलता है। कई वर्षों बाद इस विद्यालय को मैं शिक्षक के रूप में ज्वाइन कर बच्चों को कांउटर वायलेंस और फिजिकल फिटनेस सिखाना शुरू करता हूं ।आफिस चैंबर में विकास ओझा सर के साथ एक दिन एवरेस्ट बेसकैंप हिमालय की यात्रा के बारे में वार्तालाप कर रहा होता हूं। जैसे बुरे संगत में पड़ कर लोग बुराई सीख पड़ते हैं, ठीक वैसे ही अगर आप साहसिक, रोमांच, चुनौतियों से लबरेज और खुद को आजमाने , बदलाव लाने तथा क्रांतिकारी प्रवृत्ति लिए जीवन जीते हैं तो अपने आसपास के लोगों को भी बदल रहे होते हैं सर अपने जीवन के इस पड़ाव पर पर्वतारोहण जैसे संघर्षमय, कठोर अनुशासित यात्रा के प्रति मानसिक रूप से तैयार हो चुके थे । अब समय था तैयारी की , जोखिम भरे इस खेल में आप बिना तैयारी के उतर ही नहीं सकते । आपकी कम तैयारी और चूक जानलेवा हो सकती है । यात्रा शुरू करने में तब हमारे पास तीन माह का समय शेष था , मैं तुरंत सर के प्रशिक्षण हेतु एक्सरसाइज प्लान व रूटीन उनके वर्तमान शारीरिक स्ट्रैंथ व जरूरत के अनुरूप डिजाइन करता हूं और हम विद्यालय के छुट्टी पश्चात 3-4 घंटों के कड़े प्रशिक्षण में जुट जाया करते थे।
खैर पशुपतिनाथ मंदिर प्रांगण में हम अभी तक कतार में ही थे सर को आगे छांव में मंदिर के पास बैठने को कहा , जब कतार अंदर की तरफ बढ़ा तब सर भी आ गए तभी कुछ जन हमारे पास आकर प्रति व्यक्ति दो सौ रुपए में बिना कतार में शामिल हुए बाबा पशुपतिनाथ से भेंट कराने की बात करने लगे। देख रहे हैं न पशुपतिनाथ, अगर आप है तो देखिए, आपसे अप्वाइंटमेंट के लिए अब बिचौलियों की जरूरत पड़ेगी यह सर की आवाज थी । अब भी हमलोग कतार में थे, सर ने कहा कि मैं घूमकर आता हूं और जब तक हमारी कतार पशुपतिनाथ के ठीक सामने पहुंचती सर कतार के बाहर मंदिर के अन्य दरवाजों और कोण से कई बार दर्शन कर लिया। तब समझ में आया हम कतार में दर्शन करें या ऐसे घूमकर हमें दर्शन करने का बस उतना ही वक्त और दृश्य मिलेगा । मैं भी पहुंचता हूं बगल के कतार से निकल सामने की कतार में जहां भीड़ नहीं थी । मैं पशुपतिनाथ के सामने था , मुझे चार चेहरों वाला लिंग दिखा, और तब पता चलता है कि पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्पुरुष और पश्चिम की ओर वाले मुख को सद्ज्योत ,उत्तर दिशा की ओर स्थित मुख वामवेद तथा दक्षिण दिशा वाले मुख को अघोरा कहते हैं। ये चार चेहरे तंत्र-विद्या के चार बुनियादी सिद्धांत हैं।
पशुपतिनाथ दो शरीरों का सिर है। एक शरीर दक्षिणी दिशा में हिमालय के भारतीय हिस्से की ओर है, दूसरा हिस्सा पश्चिमी दिशा की ओर है, जहां पूरे नेपाल को ही एक शरीर का ढांचा देने की कोशिश की गई थी। कई पौराणिक कहानियों को खंगालने के बाद एक कहानी कुरुक्षेत्र की भी मिली जिसका संबंध पशुपतिनाथ से था। पांडवों और कौरवों के मध्य लड़ी गई कुरूक्षेत्र का खूनी महायूद्ध काफी विध्वंसक और प्रबल था । अपने ही सगे संबंधियों, भाइयों की हत्या करने से पांडव बहुत दुखी थे , अपराधबोध और पछतावे की अग्नि में जल रहे थे , गोत्र वध के इस दोष से मुक्ति केवल शिव दे सकते थे और वो निकल पड़ते हैं शिव की तलाश में । शिव ऐसे कृत्य के लिए पांडवों को आसानी से मुक्ति नहीं देना चाहते थे। ऐसे में पांडवों को अपने पास देख वो बैल का रूप धारण कर भागने की कोशिश करते हैं। पर पांडव इस भेद का पता लगा लेते हैं और उस बैल को पकड़ने की कोशिश करते हैं । इस भाग-दौड़ में शिव जमीन में विलुप्त हो जाते हैं , पुनः जब अवतरित हुए तो उनके शरीर के टुकड़े अलग अलग जगह पर बिखर गए । नेपाल के जिस जगह पर मस्तक गिरा था वह पशुपतिनाथ कहलाया ,वैसे ही केदारनाथ में बैल का कूबड़, तुंगनाथ में आगे की दो टांगें, मध्यमहेश्वर में बैल का नाभि , कल्पनाथ में बैल के सींग गिरे थे । ये सारे जगह शिव के महान मंदिरों में से एक है। एक कथा के अनुसार पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिव ने भैंसें के रूप में दर्शन दिया , फिर धरती में विलुप्त होने लगे । पूर्ण रूप से विलूप्त होने के पूर्व भीम उसकी पूंछ पकड़ लेते हैं, जहां भीम ने पूंछ पकड़ा था वह स्थान केदारनाथ है , जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया वह पशुपतिनाथ कहलाया। हम चारों अब मंदिर के पीछे स्थित श्मशान को देखने आ गए , नदी के किनारे स्थित श्मशान भी गजब का खुबसूरत लगा मुझे। बाद में मुझे इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता की जानकारी मिली मंदिर में दर्शन के लिए जाते समय भक्तों को मंदिर के बाहर विराजित नंदी के दर्शन नहीं करने चाहिए। जो व्यक्ति पहले नंदी के दर्शन करने के बाद शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे अगले जन्म में पशु योनि में जन्म मिलता है। अब मुझे थोड़े पता था बाबा , अब आगे आपकी मर्जी।
पशुपतिनाथ महामंदिर के इस प्रांगण में लगभग 492 मंदिर, 15 शिवालय और 12 लिंगीय मंदिर है ।
मंदिर के अंदर सुरक्षाकर्मी इस बात को लेकर मुस्तैद थे की कोई फोन और कैमरे का प्रयोग न करें । थोड़े आगे आने पर ऐसा कोई रोक-टोक नहीं था फिर क्या हमारे समूह के दो माडल, इस यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा फोटो लेने वालों में से एक शिव और कविता तुरंत सक्रिय हो गए, हमने पशुपतिनाथ के द्वार के बाहर ग्रूप फोटो लिया तदपश्चात पैदल ,दोपहर के भोजन की तलाश में निकल पड़े। तकरीबन 2 किलोमीटर चलने के पश्चात हम एक होटल पर पहुंचे, तय हुआ की नेपाली थाली भोजन में किया जाए यानि "दाल भात पावर ट्वेंटी फार आवर " सबसे ज्यादा नेपाल में हमने कुछ खाया तो यही था एक वक्त पर मन उब गया क्योंकि हममें से हर कोई सादा भोजन ही लेता था और पहाड़ पर विकल्प हमारे पास कम थे हालांकि उबकर अन्य नेपाली भोजन के तरफ हम बढे थे। थाली आ चुकी थी , मैंने खाना भी शुरू कर दिया, तभी कविता चौंकती है जब उसकी नजर मोबाइल के कवर पर जाता है। उसका रुपे डेबिट कार्ड गायब था । हम सभी अपने आस-पास खोजते हैं, पर कोई फायदा नहीं । कविता भोजन छोड़ निकल जाती है, उसको नहीं पता उसका डेबिट कार्ड कहा खोया होगा , क्योंकि हम घुमावदार रास्तों से होते हुए आऐ थे। मैं आराम से भोजन किया , अक्सर मैं कंफ्लिक्ट में सहज ही रहता हूं और फिर सुनिश्चित करता हूं कि करना क्या है। भोजन उपरांत मैं ठीक उसी रास्ते को पकड़ आगे बढ़ा जहां से होकर हम सभी आए थे। मंदिर जाने वाले रास्ते में स्वतः संवाद प्रस्फुटित हुआ "क्या पशुपतिनाथ, यही होगा ? अभी नेपाल आए ज्यादा समय भी नहीं हुआ, हम में से किसी के बातों का बुरा लगा है क्या? जाने दीजिए प्रभू कार्ड उसका लौटा दीजिए, आगे यात्रा लंबा है । पड़ेशान मत कीजिए "
कुछ देर बाद महामंदिर के पास पहुंच चुका था। चारों तरफ नजर दौड़ाने के बाद , जुते चप्पल जमा करने की जगह कविता दिखाई पड़ी, उदास अपने जुते को पहनते हुए। देखते ही समझ गया कि इसका कार्ड नहीं मिला है। अत्यंत भीड़ और विशाल इस जगह पर छोटा सा कार्ड खोजना और यह भी नहीं पता कि कार्ड कब और कहां गिरा होगा विफल प्रयास था। 'मैं एक बार फिर भीतर जाकर ढूंढता हूं', मैंने कहा । नहीं,मैं अंदर में सब जगह ढूंढ चुकी हूं , वापस चलते हैं । वाक्य जबतक पूरा होता , पीछे के एक शिवलिंग के पास मुझे दूर से ही एक कार्ड दिखा । मैं दौड़ कर गया , कार्ड उठाया और बिना कार्ड को ध्यान से देखें कविता को आवाज दिया "कविता यह तुम्हारा कार्ड" । कविता को विश्वास करने में एक पल लगा , और फिर दूसरे ही पल आंखों में चमक और राहत थी।हमने पशुपतिनाथ को धन्यवाद दिया और वापस होटल की ओर चल पड़े जहां विकास ओझा सर और शिव अब भी थे । हमें चमकता देख वे भी आश्वस्त हुए ,भोजन उपरांत हम पैदल एयरपोर्ट के पास स्थित अपने होटल की दिशा में बढ गए। कमरे में पहुंच हमलोगों ने थकान दूर करने हेतु सोने का निर्णय लिया । शाम में काठमांडू के मार्केट थामेल में ट्रैकिंग हेतु कुछ आवश्यक खरीदारी करनी थी , भारतीय रुपये को नेपाली रूपयों में बदलना था ,पर अभी नींद जरूरी थी।
क्रमशः ..............
#भाग 1 यात्रा वृत्तांत 😊 👇
गहरी नींद सुबह की होती हैं । इतनी की आपको उठाने के लिए धमाके की जरूरत हो 😀।
पथरीली रास्तों से गुजरती बस,आप सीट पर आड़े तिरछे होकर सोने के जुगाड़ में रात निकाल चुके हो,सफर का अठारहवां घंटा होने को है और अब शरीर किसी खास यौगिक स्थिति में नींद के गोते लगा रहा । केवल आप ही नहीं कमोबेश बस के सभी यात्री लुढ़के पड़े हैं। एक जोरदार धमाका, अनियंत्रित सी बस, चारों तरफ धुवां, शोर- चिल्लाहट और दरवाजे की ओर भागते लोग ।
जैसे यह धमाका एक अलार्म था आपको उठाने के लिए,यह बताने के लिए आप एक ऐसे देश के राजधानी के करीब आ चुके हैं जिसकी भौगोलिक स्थिति का इस्तेमाल कर कभी तांत्रिक स्वरूप की रचना इसलिए की गई ताकि वहां रहने वाले सभी प्राणी एक बड़े मकसद के साथ जिए , और हम थे नेपाल देश की राजधानी काठमांडू में।
खैर सभी बस से बाहर निकल चुके थे , आग बस के निचले हिस्से में था ,अंदर धुआं फैल चुका था। मैंने ज़रुरी सामान समेटे , जुते हाथ में उठाए , कैमरे को आन कर बाहर की ओर रुख किया । नेपाल-भारत मैत्री बस सेवा की यह बस अपने मंजिल से कुछ किलोमीटर पहले ही खड़ी हो चुकी थी हम अभी भी अपने गंतव्य स्थल से कुछ घंटे की दूरी पर थे । बस के यात्री अपनी जान माल की आशंका का सोच , लापरवाही का इल्ज़ाम लिए ड्राइवर और कंडक्टर को घेर गुस्से को उड़ेल रहे थे । जबकि उनका ध्यान आग को फैलने से रोकने पर था । मैंने भी पास के घर से पानी का पतीला ले आग पर डाला , तुरंत बैग से बोतल निकाल पानी फेंका सब अपने हिस्से की जल आहुति डाली रहे थे । मेरे साथ तीन सदस्य और भी थे जो बैग्स और सामान के साथ रोड के किनारे खड़े थे । दमकल की गाड़ी आ चुकी है, और अब जब दमकल आग बुझा रहा होता है तब समझ में आता है यह आग कितना भयावह रूप ले चुका । हम भारत के शहर बक्सर से एक रोमांचकारी यात्रा पर निकले थे यह यात्रा शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक सौहार्द के संदेश को समेटे था जिसके लिए हम पटना के गांधी मैदान से अठारह घंटों की बस सेवा लेते हुए काठमांडू में प्रवेश कर चुके थे। हमारी मंजिल हिमालय की सर्वोच्च चोटी माउंट ऐवरेस्ट का बेसकैंप था । अब रुकने का कोई औचित्य नहीं था , हमने आपस में बातचीत कर यह तय किया की गंतव्य तक पहुंचने हेतु हम टैक्सी करेंगे। टैक्सी तुरंत मिल जाता है, आठ सौ नेपाली रूपए में वह काठमांडू एयरपोर्ट के पास छोड़ने को तैयार होता है। हम अब बस को छोड़ आगे निकल चुके होते हैं।
क्रमशः .......
एवरेस्ट बेस कैम्प यात्रा
(दिनांक-29-05-2023 से 15-06-2023)
मानव सभ्यता के शुरुआत से ही मनुष्य में यात्राओं को लेकर एक सहज प्रवृति रही है I हजारों वर्षों से मानव विभिन्न प्रकार की भौतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक यात्राएँ करता रहा है I यात्राएँ मनुष्य की खोजी प्रवृति और उद्यमिता के स्वाभाविक गुण के कारण होती रही हैं I चाहे वो कृषि के लिए योग्य भूमि, जीवन उपयोगी प्राकृतिक संसाधन या फिर धार्मिक या आध्यात्मिक कारणों से हों, हर काल खंड में यात्राएँ होती रही हैं I आज के परिपेक्ष्य में जब हम ऐसे किसी यात्रा की परिकल्पना करते हैं तो ज्यादातर कुछ मुख्य उद्देश्य जो सामने आते हैं- धार्मिक यात्राएँ( तीर्थ), रोजगार और व्यावसायिक यात्राएँ, इलाज के लिए यात्राएँ, शिक्षा के लिए और मनोरंजन, रोमांच के लिए की जाने वाली यात्राएँ और राजनैतिक उद्देश्यों से की जाने वाली यात्राएँ I हमारी यात्रा का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक सौहार्द के संदेश को प्रचारित एवं प्रसारित करने का है I हमरा विश्वास है कि वर्तमान सामाजिक चुनौतियों का हल हमें सामाजिक जागरुकता को बढ़ाने से ही प्राप्त होगा I कहीं न कहीं कुछ तो कारक हैं जिसके कारण आज हमरा देश विश्व का डायबिटीज कैपिटल बन गया है I हमारी इस यात्रा द्वारा हम लोगों को मोटे अनाज को मुख्य आहार के रूप में अपनाने के लिए जागरूक कर रहे हैं I देश पिछले सात वर्षों में हुए इन्टरनेट क्रांति ने आम जनों और विशेष तौर पर बच्चों और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाला है I हमरा मानना है कि युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा खेल कूद और व्यायाम की गतिविधियों मे शामिल करके हम उन्हें ऊर्जावान, साकारात्मक और सार्थक लक्ष्यों की ओर अग्रसर होती हुई पीढ़ी के तौर पर देख सकते हैं I हम जन समुदाय के भौतिक स्वास्थ्य से भी ज्यादा गिरते हुए मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर सामाजिक समस्या के तौर पर देखते हैं I मोबाइल फोन द्वारा जिस प्रकार का वैचारिक प्रदूषण फैल रहा है उससे नैतिक मूल्यों का हास हो रहा है I देश और समाज का ध्यान सार्थक मसलों से हटकर गैर जरूरी और नकारात्मक परिणाम देने वाले क्रिया कलापों पर केंद्रित होता जा रहा है I परिवारों के आपसी संबंधों में भी नए तरह के बिखराव सामने आ रहे हैं I लोग एक दूसरे से भौतिक रूप मे साथ रहते हुए भी मानसिक रूप से पृथक होते जा रहे हैं I इसी प्रकार से भौतिक और मानसिक स्वच्छता को भी महत्व दिया जाना अवश्यक है I हम एक दिन में कुल मिलाकर कितना कचरा उत्सर्जित कर रहे हैं इस पर हमें गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है I क्या बक्सर को देश का सबसे साफ सुथरा जिला बनाया जा सकता है? ये तभी सम्भव है जब बक्सरवासी ऐसा विचार रखे और इसी अनुरूप कार्य करें I भौतिक स्वच्छता के लिए मानसिक संकल्प और समग्र प्रयास अवश्यक है I हमें “मैं और मेरा घर” से आगे बढ़कर “मैं और मेरा बक्सर”, “मैं और मेरी माँ गंगा” ऐसा विचार रखना होगा I शिक्षा तभी सफल मानी जाएगी जब समाज के सोचने और व्यावहार करने के तरीकों द्वारा वो परिलक्षित होती हुई दिखाई देगी I समाज के मौलिक स्तर को ऊँचा बनाने से ही हम एक समाज की शैक्षणिक प्रगति को समझ सकते हैं I समाज में धार्मिक सौहार्द की स्थापना करना ही सच्ची राष्ट्रभक्ति है और इस संदर्भ में सभी को जागरूक करना प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है I हम रुद्रा गुरुकुल के सदस्य इन्हीं संदेशों के प्रचार और प्रसार के उद्देश्य के साथ विश्व प्रसिद्ध माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प के यात्रा पर निकल रहे हैं I एवरेस्ट बेसकैंप के इस अभियान में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक अभिराम सुन्दर, फाउंडेशन स्कूल के प्रिंसिपल विकास ओझा, कविता और पर्वतारोही शिव द्विवेदी शामिल हैं। अभिराम रुद्रा गुरुकुल के फाउंडर हैं, रूद्रा गुरुकुल शिक्षा प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान के द्वारा स्वस्थ, सचेत सुरक्षित समाज बनाने को संकलित हैं।
इस यात्रा को बक्सर जिला प्रशासन, फाउंडेशन स्कूल बक्सर, जी डी मिश्रा इंस्टिट्यूट ऑफ हायर स्टडीज बक्सर, मानव भारती इंटरनेशनल स्कूल, पटना, आर्ट ऑफ लिविंग, बक्सर, नमामी गंगे परियोजना,साबित खिदमत फाउंडेशन,बक्सर भविष्य निर्माण संस्था, नेहरू युवा केंद्र बक्सर, चौबारा बक्सर,बीएमआर संस्था,बाल विकास केंद्र बक्सर, वर्धा रिसोर्ट्स, सुहाग स्टोर्स एवं स्वीप बक्सर का सहयोग और समर्थन प्राप्त होना हमारे संकल्पों को और भी दृढ़ तथा इस अभियान को सफल बना रहा है I
धन्यवाद
टीम रुद्रा
बक्सर
Foundation School Dekho Buxar Buxar Administration Nehru Yuva Kendra Sangathan - NYKS India
प्रोजेक्ट भेड़िया
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार रेप इज वन ऑफ द फास्टेस्ट ग्रोइंग क्राईम रेट इन इंडिया। 2001 के बाद इन सत्रह अठारह सालों में रेप केसेस डबल होते गए। औसतन हर रोज 88 रेप होते हैं। एनसीआरबी ने बताया कि हजारों केस में रेप और सेक्शुअल असाल्ट को लेकर विक्टिम पुलिस के पास कंप्लेन तक फाइल नहीं करती। यहां तक कि कनविक्शन रेट केवल 27.8% है यानी 100 लोगों में से केवल 28 लोगों को सजा हो पाती है।इसी क्रम में महिला हिंसा और तमाम अपराध की ओर देखते हुए यह रैप "भेड़िया" लिखा व रिकार्ड किया है।
खिड़की के पास कनस्तर पर गिर रही बरसात की बूंदें
जैसे बता रही हो आने में हुई देर की वजह
जिन्हें सुने जा रहा था इक लोरी की तरह
अंधेरी रात में गुनगुनाना फिर कानों में फुसफुसाना
जैसे कुछ याद सा आ रहा हो करके कुछ बहाना
कुछ स्मृतियां मीठी मीठी सी और सुकून चला
लंबी ताप के बाद राहत की बूंद पड़ा ।
और उनका बताना यह चक्र है
सीधा नहीं एक वक्र है ।
महि , अब्धी , नभ से होकर
जलवाष्प ,अभ्र , फिर मेह रोकर
पहुंचा हूं तेरे पास यहां
हम अलग कहा सब तत्व वहीं
भाषा है अलग हो रहे घटित ।
महि - पृथ्वी
अब्धि - समुद्र
अभ्र - बादल
मेह - बारिश
चैटजीपीटी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में मनुष्य अपनी रचनात्मकता और विचार करने की शक्ति जहां मशीनों को सौंप रहा है , वही प्रतिस्पर्धा एवं बाजार के इस दौर में असंवेदनशील हो चुका समाज सात्विकता, शुचिता को लगातार सिमेट रहा है। मनुष्य अब जैसे जन्म न ले रहा हो , अपितु प्रोग्राम किया जा रहा हो । ज्ञान के अंतःप्रस्फुटन के बजाय अभिव्यक्ति और चुनने समझने की स्वतंत्रता की बजाय वे क्या हो, वे कैसे सीखें ,क्या सीखें और क्या बनकर निकले यह उनके आने से पहले ही तय हो चुका होता है। यह गंभीर बात शायद तेज रफ्तार व प्रतिस्पर्धा के इस दौर में धुंधली सी है, परंतु है ।
मनुष्य जीवन में सबकुछ हासिल कर के भी एक अधुरापन लिए , मानसिक स्थितियों -विकृतियों से जुझ रहा मिलेगा । मनुष्य के मनुष्य होने की शर्त है संवेदना एवं उसके जीवन में कला का शामिल होना । जीवन में लाख संघर्ष एवं झंझावात की उपस्थिति क्यों न हो उसके मूल में जीवटता का एक ऐसा हिस्सा होता है जो जीवन में उमंग को बनाए रखता है। यह सारी चीजें कुछ अतिविशेष बाहर से शामिल न था यह आरंभ से हमारे शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा रहा है किन्तु कालांतर में बाजार और प्रतिस्पर्धा के बदले स्वरूप में व्यवस्था बदलती सी चली गई। हम अपने विरासत अपने धरोहरों को नौनिहालों के हाथों से छिनते चले गए । मैं बात कर रहा समग्र शिक्षा की, विभिन्न कलाओं की । कला जिसमें मानव मन में संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है। परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएँ मिटाकर विस्तृत और व्यापकता प्रदान करती कलाएं हमारे शिक्षा व्यवस्था की सदैव से हिस्सा रही है । कहा जाता है जब अंतश्चेतना जागृत होती है तो ऊर्जा जीवन को कला के रूप में उभारती है। हमारा विद्यालय समग्र शिक्षा की बात करता है, हमारे यहां की शिक्षा व्यवस्था में शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक सभी घटक शामिल रहे हैं। उपर में मैंने यह बातें इसलिए महसूस कर के अभिव्यक्त कि क्योंकि विद्यालय ने बच्चों के टीम के साथ मुझे और एक सहकर्मी मिस अशिर्वा को S**C MACAY के दो दिवसीय बिहार राज्य कन्वेंशन में शामिल होने का मौका दिया , जहां मैंने एक संस्था को नौनिहालों व युवाओं के साथ अपनी विरासत , धरोहरों को हाथों में सौंपते , रूबरू कराते एवं उन कोमल हृदय में कला के बीज को रोपते पाया । मैं बात कर रहा एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रव्यापी, स्वैच्छिक आंदोलन की जिसकी स्थापना IIT-दिल्ली में प्रोफेसर रह चुके डॉ. किरण सेठ ने वर्ष 1977 में की थी। जिसे S**C MACAY के नाम से हम जानते हैं यह अपने प्लेटफार्म के माध्यम से देश के कुशल कलाकारों द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोकनृत्य, कविता, रंगमंच, पारंपरिक चित्रों, शिल्प एवं योग से जुड़े कार्यक्रमों को मुख्य रूप से स्कूल और कॉलेजों में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता हैं। थोड़ी जानकारी जुटाने पर पता चला इसका उद्देश्य भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और इसमें निहित मूल्यों को आत्मसात करने के लिये युवाओं को प्रेरित कर औपचारिक शिक्षा की गुणवत्ता को समृद्ध करना है।
S**C MACAY का यह कन्वेंशन 4 से 5 फरवरी डेल्ही पब्लिक स्कूल पटना के प्रांगण में था । इसमें बिहार राज्य के विभिन्न जिलों से कुल 60 विद्यालय शामिल रहे ।जहां बच्चों ने शास्त्रीय संगीत, लोकगीत, मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला , सिक्की कला को अनुभव किया वहीं छात्र के रूप में मैं योगा एवं मेरी सहकर्मी ने कत्थक नृत्य विधा को करीब से देखा। S**C MACAY के इस प्लेटफार्म पर दूरदर्शन ग्रेड ए आर्टिस्ट स्वाति सिन्हा ( कत्थक) , पद्मश्री श्याम शर्मा ( कंटेंपररी आर्ट) , पद्मश्री दुलारी देवी ( मधुबनी पेंटिंग),मैथिली लोकगीतों की चर्चित गायिका रंजना झा , सुधिरा देवी ( सिक्की कला ) , श्री अशोक बिस्वास ( टिकुली आर्ट) , उस्ताद राजा मियां ( हिंदुस्तानी क्लासिकल लोकल) ने अपनी कला के विभिन्न तथ्यों और पाठों को हमसे साझा किया । बच्चे पास बैठकर इन विभूतियों को सुन रहे थे तब प्रतीत पड़ रहा था कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर व कला समृद्धि अब भी सींची जा सकती है और जो धारा अनवरत बहते हुए अभी तक आयी है वह थमेगी नहीं वह सतत प्रवाहमान रहेगी। इन कलाओं के माध्यम से ही जीवन का आंतरिक और आध्यात्मिक पक्ष अभिव्यक्त होता रहा है, हमें अपनी इस परम्परा से दूर नहीं होना है बल्कि अपनी परम्परा से ही रस लेकर आधुनिकता को चित्रित करना है। जीवन में कला को शामिल कर हम मानव जीवन को सुदृढ़, सभ्य, सुसंस्कृत और योग्य बना पाएंगे।
Abhi Dubey
S**C MACAY
Foundation School Buxar
S**c Macay Bihar
Each Vote is a Strong Pillar Of Strength In Our Democracy 👬👭
Buxar Administration
Women play a key role in environmental protection and social and economic development in mountain areas. So, the theme for International Mountain Day 2022 is ' Women Move Mountains '.
"Mountain host about half of the world's biodiversity hotspots and 30% of all key Biodiversity Areas."
Mountains are not only important for inhabitants but also for millions of people living in lowlands. They are the sources of the world's major rivers and also play a crucial role in the water cycle.
सुरक्षा और जागरूकता के इस क्रम में यह लेख आपसे साझा कर रहा हूं। आप पढ़े और अपने प्रिय से साझा करें। सतर्कता और जागरूकता के साथ ही हम जोखिम पर नियंत्रण कर सकते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो लेटेस्ट डाटा देखे तो
महिलाओं के खिलाफ अपराध 2020 में (प्रति एक लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 64.5 प्रतिशत हो गया।रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में हर दिन कम से कम 90 नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। 2001 के बाद इन सत्रह अठारह सालों में रेप केसेस डबल होते गए।
औसतन हर रोज 86 रेप होते हैं। एनसीआरबी ने पाया कि हजारों केस में रेप और सेक्शुअल असाल्ट को लेकर विक्टिम पुलिस के पास कंप्लेन तक फाइल नहीं करती।
यहां तक कि कनविक्शन रेट केवल 28.6% है यानी 100 लोगों में से केवल 28 लोगों को सजा हो पाती है।
अखबार , सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से हर रोज हम इस तरह के अपराध से रूबरू होते हैं । अब यह हमारे लिए सामान्य हो चुका । संवेदना का स्तर इस स्तर पर है कि ये घटनाएं अब असर नहीं डालती । हमारी अंगुलियां पन्नों को पलट और मोबाइल स्क्रीन पर एंग्री रिएक्शन देकर तुरंत आगे बढ़ निकलती है। कुछ खबर अगर हाइलाइट बनती है तो हम भी उसमें शरीक हो हैशटैग और संवेदना की दो लाइन लिखते हैं और इससे भी आगे नेशनल मीडिया की खबर बन चुकी हो तो कैंडल मार्च निकाल न्याय की मांग करते हैं।
मैं पूछता हूं जिम्मेदार कौन ?
केवल अपराधी, प्रशासन या हम ?
याद रखें आपकी हमारी मौन एक स्वीकृति के समान है। प्रताड़ना के विरुद्ध चुप्पी , इसके विरुद्ध आगे नहीं आना या "कोई राय न रखना" इन घृणित कार्य और अपराधों को जारी रखने देने जैसी ही बात है।
ऐसे अपराध क्यूं? क्यों हम तब तक चुप रहे जबतक वो व्यक्तिगत रूप से जुड़ी न हो ? क्यों जरूरत पड़ रही ऐसे मुद्दों पर चर्चा करने की ? संवेदना के स्तर पर जाकर सोचे ।
छेड़खानी, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और तमाम हिंसा के शिकार होने से व्यक्तिगत स्तर पर कैसे बचें ।
अधिकांश यौन उत्पीडन और इस तरह के अपराध अचानक से नहीं होते । और अपने प्रारंभिक रूपों में हिंसा की तरह नहीं दिखाई देते। यह लात घुसों और हमले के साथ शुरू नहीं होता यह अक्सर शब्दों के साथ शुरू होता है। प्रारंभिक स्तर की घुसपैठ कैजुअल बातचीत से शुरू होती है जो आसान तरीका है।अक्सर शोषक एक नाइस गाइ ( अच्छा लड़का व व्यक्ति) हो सकता है और यह नाइस और कुछ नहीं एक गिफ्ट रैपर है । ऐसे मानसिकता वाले हमलावरों का पहला लक्ष्य आपके डर को निरस्त्र करना। द्वितीय स्तर पर आपके संशय-संदेह को हटा देना फिर आपका विश्वास और निकटता हासिल करना होता है। और तब एक सुरक्षा बोध के भ्रम पैदा करने के साथ अपने पक्ष में नैरेटिव बिल्ड करेंगे और इस तरह आप पे एक निरंत्रण स्थापित होने के साथ अपने इरादों को अंजाम देते हैं।
अपने उपर किसी भी तरह की निजता और नियंत्रण से इनकार करें।" जब तक आप किसी व्यक्ति को बहुत अच्छी तरह से नहीं जानते हैं और समझते तब तक स्वयं को उनके साथ एकांत व (गोपनीय) न होने दें।क्योंकि अवांछनीय हरकत करने के लिए उन्हें प्राइवेसी और कंट्रोल की जरूरत होती है।
शब्दों को समझें । जरूरत से अधिक मोहित करने और तारीफ अक्सर सच को छुपाए आपको लुभाने, धोखा देने, हेरफेर करने , बेवकूफ बनाने के संभावित खतरों के संकेतों में से एक होते हैं।
अक्सर वैसी बच्चियां आसान शिकार होती है जिनका घर में परिवार के साथ कम्यूनिकेशन गैप होता है और परिवार द्वारा पर्याप्त अटेंशन और इमोशनल सपोर्ट नहीं मिलता।
व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर हमें मानसिक वैचारिक एवं भावनात्मक तथ्यों को लेकर शिक्षित होने और एक दूसरे को समय देने की जरूरत है । आप अपने बच्चों के दोस्त बने और बच्चे आपके। रिश्तों में एक सहजता हो।
आज बच्चियां और महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही । हमारे घरों की बेटियां शिक्षा और रोजगार हेतु विभिन्न शहरों में है । उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित होने के बजाय सजगता , सतर्कता और आत्मनिर्भरता की बात हो।
मैं आत्मसुरक्षा संबंधित कुछ सुझाव और जागरूकता के तरिके को आप से सांझा कर रहा हूं जो आपको विपरीत परिस्थितियों के विरुद्ध तैयार करेगी।
१- आत्मविश्वास संभावित हमलावरों को अपने रास्ते से हटाने की कुंजी है। हमेशा उद्देश्यपूर्ण तरीके से चलें और अपने आब्जर्वेशन स्किल्स को खिसकने न दें। ऐसी मानसिकता वाले व्यक्ति हमेशा कमजोर शिकार को टारगेट करते हैं । अगर आप ऐसे किसी भी जगह पर हो जहां आप भटक गए हैं या उहापोह की स्थिति में हो तब भी अपने शारीरिक स्थिति और चेहरे के भाव से प्रदर्शित करने से बचें। कंफ्यूज होने पर भी प्रीटेंड करें की आपके साथ कोई दिक्कत नहीं है। एक सही शारीरिक मुद्रा आपकी आत्मविश्वास को परिलक्षित करती है , कभी कंधे और ठुड्डी झुकाकर न चले।
२- आपको अपने परिवेश के बारे में जानकारी हो।आप कहां है और ज़रूरत आने पर यहां कौन आपकी मदद को आ सकता है। आपको एस्केप रूट की जानकारी हो।
३- राइज द अलार्म - विपरीत स्थिति उत्पन्न होने पर बतख की तरह बैठ न जाए । ऐसी परिस्थितियों में चुप न बैठें रहे । आसपास के लोगों को उस घटना में शामिल करे । अपनी आवाज उठाएं और सामने वाले गलत व्यक्ति की मनोबल को तोड़ने के लिए अपनी बातों से दबाव डालें पुलिस को काॅल करने की चेतावनी दे । जरूरत होने पर काॅल भी करें।
४- आइसोलेटेड रुट एवं जगह से बचें - अक्सर जल्दबाजी के चक्कर में ऐसे रूट या अकेले समय व्यतीत करने के लिए ऐसे किसी जगह का चुनाव न करें जिसके बारे में आपको जानकारी न हो और आइसोलेटेड होने के कारण मदद भी न पहुचे।
५- याद रखें कि ऐसी स्थिति में होना आपकी गलती नहीं है। स्वयं को न कोसे ।
६- अपने दोस्तों या परिवार के साथ एक कोड वर्ड रखें। अक्सर किसी जगह , व्यक्ति , परिचित जहां आप कम्फर्ट नहीं हो या वार्तालाप या कोई चीज जो आपको अच्छी नहीं लग रही तब वहां से निकलने के लिए पहले से तय किया हुआ कोई कोडवर्ड फोन पर कहे ताकि आपके दोस्त व परिवार का कोई सदस्य किसी बहाने से हस्तक्षेप कर आपको उस जगह से बाहर कर दे।
७- उन लोगों से कोई भी पेय या भोजन स्वीकार न करें जिन्हें आप नहीं जानते या भरोसा नहीं करते हैं।
८- घर से निकलते वक्त सुनिश्चित करें कि आपका सेलफोन आपके पास है और चार्ज किया हुआ है। आवश्यकता होने पर अपना लाइव लोकेशन अपने मित्र व पारिवारिक सदस्य को शेयर करें । अपना जीपीएस आन रखें।
९- आटो , कैब लेने पर गाड़ी नं और बेसिक इन्फो अपने किसी परिवार के सदस्य व दोस्त को भेज देने का अभ्यास रखे।
१०- सड़क गलियों में चलने वक्त दोनों कानों में एक साथ इयरफोन पहनने से बचें । यह आपके अवेयरनेस को ब्रेक करेगा।
११- सोशल मीडिया सेफ्टी : - आप स्वतंत्र हो कुछ भी शेयर करने के लिए पर यह जरूरी नहीं कि आपका दूसरों पर नियंत्रण हो कि आपकी इंफॉर्मेशन का वे क्या करेंगे।
कई दफा ऐसे लोग आपको सोशल प्लेटफार्म पर फॉलो करते हैं, फिर सेक्स एक्सटॉर्शन स्कैम में डीपफेक पोर्न बनाने के लिए आपके चेहरे का इस्तेमाल करते हैं। फोटो मार्फ कर ब्लैकमेल करने की कोशिश करते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म पर व्यक्तिगत जानकारी सांझा करने से बचें।
१२- एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक दिन अनुमानित 500,000 ऑनलाइन वयस्क शिकारी सक्रिय होते हैं। इनके शिकार अक्सर 12 से 18 के बीच के बच्चियां होती हैं।वयस्क इन बच्चियों से समान रुचियों को साझा करने का नाटक करके, उन्हें उपहार देकर या उन की प्रशंसा करके, नकली प्रोफ़ाइल चित्रों के साथ अपने विश्वास को सुरक्षित करने का प्रयास कर सकते हैं।एक बार ऑनलाइन संबंध स्थापित हो जाने के बाद उन्हें अक्सर बातचीत को सेक्स की ओर ले जाते हैं। बच्चियों के पास खुद की तस्वीरें या वीडियो लेने और उन्हें अपने पास भेजने के लिए भावनात्मक रूप से दबाव डालते है। इसमें सफल हो जाने के बाद वे निजी तस्वीरें या वीडियो जारी करने और पीड़ित के दोस्तों या परिवार के साथ साझा करने की धमकी देकर उन्हें ब्लैकमेल भी करते हैं।
ऐसे में बचाव हेतु अभिभावक ऐसे प्लेटफॉर्म व मोबाइल युज करने पर नियंत्रण एवं दृष्टि रखे।
१३- व्यक्तिगत फोटो , विडियो डिलिट होने के बावजूद भी बैंक अप व रिट्राइव किए जाते हैं । ऐसे में कोई भी अविवेकपूर्ण कदम न उठाए।
१४- किसी भी प्रकार के दबाव , धमकी , पीछा करने जैसी घटना को बिल्कुल न छुपाए आप प्रारंभिक स्तर पर ही चीजों को रोक सकते हैं । अपने परिवार के साथ शेयर अवश्य करे।
१५ - आत्मरक्षा व प्रतिहिंसा प्रशिक्षण को अवश्य प्राप्त करें
हिंसा के दौरान जब एक आम आदमी के पैर कांपने लगते हैं होंठ सूखने लगते हैं उनका दिमाग त्वरित कोई डिसीजन नहीं ले पाता है टनल विजन क्रिएट होता है , आसपास की चीजें सुनाई नहीं देती दिखाई नहीं देती और हमारा मस्तिष्क एक फ्रिज प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। जब हम उस दौरान फिजिकल मेंटल इमोशनल ट्रामा से गुजर रहे होते हैं तब यही सुरक्षा का ज्ञान व लड़ने की क्षमता उस स्थिति से बाहर निकालने में मदद करता है। आत्मरक्षा प्रशिक्षण वह प्रशिक्षण जो शारीरिक मानसिक बैरियर को ब्रेक कर आपको हिंसा के विरुद्ध तैयार करता है। प्रशिक्षण के दौरान बच्चियां फिजिकल मेंटल स्ट्रैंथ के उपर काम कर कांफिडेंस को गेन करती है। आत्मसुरक्षा की ट्रेनिंग एक स्ट्रांग और बोल्ड कैरेक्टर को बिल्ड करता है।
याद रखें जबतक हिंसा के लिए आप सक्षम नहीं होते हैं तब तक आप अपने आप को शांतिपूर्ण नहीं कह सकते हैं यदि आप हिंसा के लिए सक्षम नहीं है तो आप शांतिपूर्ण नहीं आप हानि रहित हैं। एक शांतिपूर्ण है क्योंकि उसे होना है उसके पास विकल्प नहीं है दूसरा शांतिपूर्ण है क्योंकि वह होना चाहता है बहुत ही बड़ा अंतर है। इसलिए शांतिपूर्ण होना चुने हानि रहित नहीं।
अंत में मैं तमाम लड़कियों से यह कहना चाहता हूं कि समस्या वास्तव में यह है कि हम समस्या का रोना रोते रहते हैं समस्या का रोना कब तक रोएंगे। अपराध हमेशा होता रहेगा हा ये नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं।
इसलिए इसे बदलने के बजाय हमें खुद को बदलना होगा , व्यक्तिगत तौर पर बदलाव लाना शुरू करो। हमें इस बात का इंतजार नहीं करना की घटनाएं मेरे साथ नहीं हुई , घटनाएं हुई बस इतना काफी है । किसी के भी साथ हुई उतना ही चिंतित होने और इसके खिलाफ खड़ा हो जाने के लिए ,एकत्रित हो उठने के लिए बहुत है । आपकी एक आवाज , आपकी एक कलम और आपका एक हौसला फिर आपके जैसे हज़ारों की संख्या। शायद आपको नहीं मालूम की एक अकेला आदमी का हौसला भी अन्याय को कंपकंपा देता है । अगर कक्षा में हो तो हर लड़की के साथ गलत होना आपके साथ गलत होना है । स्कूल में हो तो कोई भी लड़की किसी चीज से प्रभावित है तो आपको स्टैंड लेना होगा । अगर मुहल्ले में कोई पीड़ित हो तो आपको उसमें हौसला फूंकना होगा । अगर शहर में हो तो आपको उसकी लड़ाई में हल्ला करना होगा । अगर देश के किसी भी कोने में हो आपकी कलम को गर्जन करना होगा । कहीं पर किसी के साथ भी, कुछ भी हो ,दबाव हो , शिकार हो उसे एक्सपोज करो । आपकी हिम्मत गलत करने एवं सोचने वालो की हौसला तोड़ कर रख देगी । याद रखो दुर्बलों के हिस्से केवल दया आती है सम्मान नहीं । कोई कमजोरी ,समस्या ,असहायपन की बात ना हो , यह दुनिया अगर जंगल है तो इस जंगल के सबसे ताकतवर प्राणी बनो अपनी जिंदगी सम्मान निष्ठा और मजबूती के साथ जियो।
:- अभिराम
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