Vsm Rajasthani
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महाराष्ट्र के कोल्हापुर कलंबा जेल में बंद 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी मोहम्मद अली खान उर्फ मनोज कुमार भंवरलाल गुप्ता की 5 कैदियों ने उतारा मौत के घाट इस घटना को अंजाम देने वालों में पिल्या सुरेश पाटिल, संदीप शंकर, दीपक खोत, ऋतुराज विनायक और सौरभ विकास शामिल हैं।
राजस्थान की आबादी 7 करोड़ से ज्यादा है और एक व्यक्ति जिसके पास अपनी 20 फीट जगह है, अगर वह आज सिर्फ एक पेड़ लगाता है, तो सीधे 7 करोड़ पेड़ उगेंगे और अगली गर्मियों में तापमान 30 डिग्री होगा और बारिश होगी अधिक।
केक/कपड़े/बाइक पर हजारों खर्च होते हैं। लेकिन आज थोड़ा सोचो और बाजार जाओ और 20 रुपये का पौधा ले आओ और उसे लगाओ, अगली पीढ़ी के बारे में सोचो। मिशन ग्रीन राजस्थान
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यदि चार साल पहले मुफ्त की कोरोना वैक्सीन नहीं मिली होती तो बहुत से लोग तो ये कहने के लिए जिंदा ही नहीं होते कि 'वैक्सीन से खून में थक्के बनते हैं'।एक बात और ऐसी कोई अंग्रेजी दवा नहीं जिसके दुष्प्रभाव ना हो।
स्वयंभू वामपंथी इतिहासकारों, सेक्युलरता के घातक रोग से पीड़ित लिबरलों, और खुद पर ही शर्मिंदा कुछ भारतीय गोरों को यह बात आज भी नहीं पता, क्योंकि ना तो उन्हें इतिहास का अध्ययन करना आता है और ना ही उनमें इतनी क्षमता ही है..!!
भारत में कई सदियों पहले एक किताब - ( #मेरुतुंगाचार्य_रचित_प्रबन्ध_चिन्तामणि) आई थी जिसमें महान लोगों के बारे में कई हस्तलिखित कहानियाँ थी। कोई कहता है किताब १३१० के दशक में आई तो कोई उसे १३६० के दशक का मानता है, १३१० वाले ज़्यादा लोग हैं। खैर मुद्दा वो नहीं है, किताब का १४ वीं सदी का होना ही काफी है। उसमें राजा भोज पर भी कई कहानिया है जिसमें से एक ये है, जिसे थोड़ा ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए -
एक रात अचानक आँख खुल जाने से राजा भोज ने देखा कि चाँदनी के छिटकने से बड़ा ही सुहावना समय हो रहा है, और सामने ही आकाश में स्थित चन्द्रमा देखने वाले के मन मे आल्हाद उत्पन्न कर रहा है। यह देख राजा की आँखें उस तरफ अटक गई और थोड़ी देर में उन्होने यह श्लोकार्ध पढ़ा -
यदेतइन्द्रान्तर्जलदलवलीलां प्रकुरुते।
तदाचष्टे लेाकः शशक इति नो सां प्रति यथा॥
अर्थात् - "चाँद के भीतर जो यह बादल का टुकड़ा सा दिखाई देता है लोग उसे शशक (खरगोश) कहते हैं। परन्तु मैं ऐसा नहीं समझता।"
संयोग से इसके पहले ही एक विद्वान् चोर राज महल मे घुस आया था और राजा के जाग जाने के कारण एक तरफ छिपा बैठा था। जब भोज ने दो तीन वार इसी श्लोकार्ध को पढ़ा और अगला श्लोकार्ध उनके मुँह से न निकला तब उस चोर से चुप न रहा गया और उसने आगे का श्लोकार्ध कह कर उस श्लोक की पूर्ति इस प्रकार कर दी-
अहं त्विन्दु मन्ये त्वरिविरहाक्रान्ततरुणो।
कटाक्षोल्कापातव्रणशतकलङ्काङ्किततनुम्॥
अर्थात् - "मै तो समझता हूं कि तुम्हारे शत्रुओ की विरहिणी स्त्रियो के कटाक्ष रूपी उल्काओं के पड़ने से चन्द्रमा के शरीर में सैकड़ों घाव हो गए हैं और ये उसी के दाग़ हैं।"
अपने पकड़े जाने की परवाह न करने वाले उस चोर के चमत्कार पूर्ण कथन को सुनकर भोज बहुत खुश हुये और सावधानी के तौर पर उस चोर को प्रातःकाल तक के लिये एक कोठरी मे बंद करवा दिया। परंतु उस समय विद्वता की पूछ परख ज्यादा थी सो अगले दिन प्रातः उसे भारी पुरस्कार देकर विदा किया गया।
लगभग 250 साल के लंबे अंतराल के बाद, गेलेलियों ने ३० नवंबर सन १६०९ को पहली बार टेलिस्कोप से चंद्रमा देखा और अपनी डायरी में नोट किया कि, "चंद्रमा की सतह चिकनी नहीं है जैसी कि मानी जाती थी (क्योंकि केवल आंखो से वह ऐसी ही दिखती है), बल्कि असमतल और ऊबड़-खाबड़ है।" वहाँ उन्हे पहाड़ियाँ और गढ़हों जैसी रचनाएँ नज़र आई थी। उन्होने टेलिस्कोप से खुद के देखे चंद्रमा एक स्केच भी अपनी डायरी में बनाया।
कहानी का सार बस इतना है कि जिस समय चर्च यह मानता था कि रात का आसमान एक काली चादर है, जिसमें छेद हो गए और उसमे से स्वर्ग का प्रकाश तारों के रूप में दिख रहा है, उस समय भारत के एक चोट्टे को भी ये पता था कि चंद्रमा की सतह समतल नहीं है और उस पर जो दाग हैं वो उल्काओं के गिरने से बने हैं। बात खतम।
अब ये अलग बात है कि स्वयंभू वामपंथी इतिहासकारों, सेक्युलरता के घातक रोग से पीड़ित लिबरलों, और खुद पर ही शर्मिंदा कुछ भारतीय गोरों को यह बात आज भी नहीं पता, क्योंकि ना तो उन्हे इतिहास का अध्ययन करना आता है और ना ही उनमें इतनी क्षमता ही है।
जीवन का उद्देश्य अपने आसपास के पर्यावरण को शुद्ध रखो और स्वस्थ रहो
अस्थमा का दौसा व जयपुर में आयुर्वेद का कोई अच्छा जानकार बैद्य जी है तो बताना
पांव भर लौकी , थोड़ा हरा धनिया, थोड़ा पोदीना मिलाकर मिक्सी में पीसकर सुबह-शाम खाली पेट सेवन करें।और अर्जुन की छाल का काढ़ा दो कप पानी लेकर एक कप रह जाये तब तक पकाये इसमें आधा चम्मच दालचीनी पाउडर डाल लें। सुबह शाम खाली पेट सेवन करें।और सुबह बाबा रामदेव द्वारा हार्ट के लिए बतायें योग एक्सरसाइज करें।दो महीने में पूरी तरह ठीक हो जाएगा
कन्याकुमारी से क्षीर भवानी तक
कोटेश्वर से कामाख्या तक
जगन्नाथ से केदारनाथ तक
सोमनाथ से काशी-विश्वनाथ तक
बोध गया से सामनाध तक
अमृतसर साहेब से पटना साहेब तक
अंडमान से अजमेर तक
लक्षद्वीप से लेह तक आज पूरा भारत
राम मय हो गया
जीवन को सफल बनाना है तो इस सिद्धांत पर चले 👋👋👃👃
ERCP को लागू कराना है तो पूर्वी राजस्थान का सीएम होना चाहिए
इतनी बदसलूकी ना कर ऐ जिंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार-बार आने वाले हैं !
Happy birthday party
आज मेरा जन्मदिन है
अपनी बैंक सिबिल स्कोर किसी अस्वीकार ऋण के कारण खराब है आपको बैंक से ऋण नही मिल रहा है तो अपनी सिबिल स्कोर को सही कराने के लिए सम्पर्क करे
हिंदू है हम हिन्दी भाषा हमारी शान
राधे राधे। जीवन में आपको रोकने टोकने वाला कोई है तो उसका एहसान मानिए, क्योंकि जिन बागों में माली नहीं होते वो बाग जल्दी उजड़ जाते हैं।। शुभ सत्संग आनंद
हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी
जितना पानी कूलर में डालने की बजाय पेड़ों में डालते तो कूलर की आवश्यकता ही नही होगी
विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी को शुभकामनाएं ।
वन जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए एक घर के रूप में सेवा करते हैं। इस प्रकार जैव विविधता को बनाए रखने के लिए ये एक बढ़िया साधन हैं जो एक स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। वृक्ष जंगलों से निकल रही नदियों और झीलों पर छाया का निर्माण करते हैं और उन्हें सूखने से बचाएं रखते हैं। अपने आसपास पेड जरूर लगाये 🌲🌲🌴🌱🎄
प्रकृति हमारी माता है,
जीवन भर का नाता है।
उसी से जन्म है हमारा,
मर कर उसी में मिलना।
पल पल करती पोषण,
सब आहार🍳🍎🍌🍒
देती हमको इसी से जीना,
शुद्ध हवा करके देती,
आओ इसे संवारें हम।।
प्रकृति हमारी माता है,
जीवन भर का नाता है।
बिना प्रकृति के लगता सूना,
न ही सजता कोई कोना।
उजड़ा उजड़ा खंडहर जैसा,
जैसे भूतों का बना डेरा।।
आओं इसे हम चमकाये,
प्यार से इसे हम संवारें।
प्रकृति हमारी माता है,
जीवन भर का नाता है।।
प्रकृति के आंगन में खिलती,
सुन्दर कलियों की फुलवारी।
चिड़िया चीं चीं गाती आकर,
पक्षियों का वही होता बसेरा।
सूरज रोज उजाला फैलाता,
हवा, पानी को शुद्ध करता,
हम भी अपना कर्तव्य निभाते।।
प्रकृति🌿🍃 हमारी माता है,
जीवन भर का हमारा नाता है।
हो सकता है अगले दो चार दिन आप कहीं रास्ते में जा रहे हों... और अचानक से सनसनाता हुआ पानी या रंग की धार आप पर आकर गिरे....
तो गुस्सा न हों, न उन बच्चों को डांटे...
बल्कि खुद को भाग्यशाली समझें...कि आपको उन नादान हाथों ने चुना है, जो हमारी संस्कृति को जिन्दा रखे हुए हैं... जो उत्सव को जिन्दा रखे हुए हैं...
ऐसे कम ही नासमझ मिलेंगे...वैसे भी सारे समझदार बच्चे विडियोगेम, डोरेमोन और एंड्रॉइड के अंदर घुसे होंगे..
तो कृपया इन्हें हतोत्साहित न करें...
बल्कि यदि आप उन्हें छुपा देख लें तो जानबूझ कर वही से निकलें..
आपकी शर्ट ज़रूर ख़राब हो सकती है, पर जब उनकी इस शरारत का जबाब आप मुस्कुराहट से देंगे तो उनकी ख़ुशी आपको ख़ुशी रिटर्न करेगी, और...
*होली ज़िन्दा रहेगी...*
*रंग ज़िन्दा रहेंगे...*
*उत्सव ज़िन्दा रहेगा...*
*बचपन ज़िन्दा रहेगा...*
🔴🟠🟡🔵🟣 *होली की अग्रिम शुभकामनाएं*
Up सट्टा बाजार की पहली पसंद भाजपा है, जो उनके अनुमान के मुताबिक इस बार 220 सीटों पर सिमट रही है और दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) है, जिसके बारे में उनकी राय है कि इस चुनाव में सपा का पहिया 135 से 140 सीट के बीच पंक्चर हो जायेगा. सटोरियों ने जनवरी में बीजेपी के उत्तर प्रदेश (UP) में 230 सीट जीतने का अनुमान लगाया था, लेकिन सात चरण के चुनाव के अंतिम दौर में अब सटोरियों का अनुमान है कि प्रदेश की 403 सीटों पर से इस बार 220 सीटों पर भी कमल का फूल खिल पायेगा.
भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिस जी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे।
इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाक्य जरूर पढ़ें
एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिविल सेवा अधिकारी था। महिला ने अपने जीवन के कई साल भारत के विभिन्न हिस्सों में बिताए। अपनी वापसी पर उन्होंने अपने संस्मरणों पर आधारित एक सुंदर पुस्तक लिखी।
महिला ने लिखा कि जब मेरे पति एक जिले के डिप्टी कमिश्नर थे तो मेरा बेटा करीब चार साल का था और मेरी बेटी एक साल की थी। डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली कई एकड़ में बनी एक हवेली में रहते थे। सैकड़ों लोग डीसी के घर और परिवार की सेवा में लगे रहते थे। हर दिन पार्टियां होती थीं, जिले के बड़े जमींदार हमें अपने शिकार कार्यक्रमों में आमंत्रित करने में गर्व महसूस करते थे, और हम जिसके पास जाते थे, वह इसे सम्मान मानता था। हमारी शान और शौकत ऐसी थी कि ब्रिटेन में महारानी और शाही परिवार भी मुश्किल से मिलती होगी।
ट्रेन यात्रा के दौरान डिप्टी कमिश्नर के परिवार के लिए नवाबी ठाट से लैस एक आलीशान कंपार्टमेंट आरक्षित किया जाता था। जब हम ट्रेन में चढ़ते तो सफेद कपड़े वाला ड्राइवर दोनों हाथ बांधकर हमारे सामने खड़ा हो जाता। और यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगता। अनुमति मिलने के बाद ही ट्रेन चलने लगती।
एक बार जब हम यात्रा के लिए ट्रेन में सवार हुए, तो परंपरा के अनुसार, ड्राइवर आया और अनुमति मांगी। इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मेरे बेटे का किसी कारण से मूड खराब था। उसने ड्राइवर को गाड़ी न चलाने को कहा। ड्राइवर ने हुक्म बजा लाते हुए हुए कहा, जो हुक्म छोटे सरकार। कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर समेत पूरा स्टाफ इकट्ठा हो गया और मेरे चार साल के बेटे से भीख मांगने लगा, लेकिन उसने ट्रेन को चलाने से मना कर दिया. आखिरकार, बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने बेटे को कई चॉकलेट के वादे पर ट्रेन चलाने के लिए राजी किया, और यात्रा शुरू हुई।
कुछ महीने बाद, वह महिला अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने यूके लौट आई। वह जहाज से लंदन पहुंचे, उनकी रिहाइश वेल्स में एक काउंटी मेथी जिसके लिए उन्हें ट्रेन से यात्रा करनी थी। वह महिला स्टेशन पर एक बेंच पर अपनी बेटी और बेटे को बैठाकर टिकट लेने चली गई।लंबी कतार के कारण बहुत देर हो चुकी थी, जिससे उस महिला का बेटा बहुत परेशान हो गया था। जब वह ट्रेन में चढ़े तो आलीशान कंपाउंड की जगह फर्स्ट क्लास की सीटें देखकर उस बच्चे को फिर गुस्सा आ गया। ट्रेन ने समय पर यात्रा शुरू की तो वह बच्चा लगातार चीखने-चिल्लाने लगा। "वह ज़ोर से कह रहा था, यह कैसा उल्लू का पट्ठा ड्राइवर है है। उसने हमारी अनुमति के बिना ट्रेन चलाना शुरू कर दी है। मैं पापा को बोल कर इसे जूते लगवा लूंगा।" महिला को बच्चे को यह समझाना मुश्किल हो रहा था कि "यह उसके पिता का जिला नहीं है, यह एक स्वतंत्र देश है। यहां डिप्टी कमिश्नर जैसा तीसरे दर्जे का सरकारी अफसर तो क्या प्रधान मंत्री और राजा को भी यह अख्तियार नहीं है कि वह लोगों को उनके अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अपमानित कर सके
आज यह स्पष्ट है कि हमने अंग्रेजों को खदेड़ दिया है। लेकिन हमने गुलामी को अभी तक देश बदर नहीं किया। आज भी कई डिप्टी कमिश्नर, एसपी, मंत्री, सलाहकार और राजनेता अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए आम लोगों को घंटों सड़कों पर परेशान करते हैं। इस गुलामी से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि सभी पूर्वाग्रहों और विश्वासों को एक तरफ रख दिया जाए और सभी प्रोटोकॉल लेने वालों का विरोध किया जाए।
नहीं तो 15 अगस्त को झंडा फहराकर और मोमबत्तियां जलाकर लोग खुद को धोखा देते हैं के हम आजाद हैं...
प्रोटोकॉल को ना कहें
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