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🔴 INDIGESTION OR DYSPEPSIA🔴
👉 समय पर भोजन न करने से, बार-बार खाते रहने से अपच हो जाती है। जिसमें रोगी को भूख नहीं लगती, खट्टी डकारें आती हैं, छाती में जलन होती है। तो कैसे इससे राहत पा सकते हैं, जानते हैं...
👉भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में पाचन तंत्र में गड़बड़ी बहुत ही आम बात है जिसकी वजह से इनडाइजेशन या अपच की शिकायत होती है। इसके अलावा समय-असमय भोजन करने से, कुछ भी खाने-पीने तथा बार-बार खाते रहने से भी अपच की समस्या हो जाती है। जिसमें रोगी को भूख नहीं लगती, खट्टी डकारें आती हैं, छाती में जलन, पेट में भारीपन और लगातार बेचैनी महसूस होती रहती है। और तो और रोगी को पसीना भी बहुत आता है, नींद नहीं आती और कभी-कभी दस्त भी हो जाते हैं। लिवर में हुई कोई खराबी अपच का कारण बन सकती है। जो लोग भोजन के तुरंत बाद लेट जाते हैं, या फिर बैठ कर काम करने लग जाते हैं तो उनको भी अपच की समस्या होने लगती है। शराब के सेवन और धूम्रपान से भी पेट खराब हो सकता है और अपच हो सकती है|
👉 अपच के लक्षण
1. भूख न लगना,खट्टी डकारें आना,छाती में जलन, पेट में भारीपन महसूस होना।
2. लगातार बेचैनी रहना, पसीना अधिक आना, नींद नहीं आना आदि।
3. लिवर में हुई कोई खराबी भी अपच का कारण बन सकती है।
4. भूख से ज्यादा भोजन करने पर या भोजन के तुरंत बाद लेट जाने पर।
👉पेट दर्द से तत्काल राहत पाने के लिए
1. 1 चम्मच अजवाइन का चूर्ण, 1/2 चम्मच सेंधा नमक, 1 गिलास पानी में घोल कर पिएं।
2. जम्बीर नींबू का प्रयोग
जम्बीर नींबू को सेंधा नमक के साथ चाटने से फायदा होगा।
1 चम्मच नींबू का रस,1 चम्मच अदरक का रस, थोड़ा सेंधा नमक मिला कर पान करने से फायदा मिलेगा।
इनडाइजेशन में क्या करें
1. हमेशा गुनगुने पानी का सेवन करें
2. बटर मिल्क में जीरा पाउडर या त्रिकूट का चूर्ण मिला कर पी सकते हैं।
3. हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
4. खाना खाने के बाद 5 से 10 मिनट वज्रासन में ज़रूर बैठे।
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FATTY LIVER🔴
लीवर हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लीवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। अत्यधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लीवर जैसे रोग होने की संभावना रहती है। आप घर पर ही फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) कर सकते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं फैटी लीवर केवल शराब या अन्य मादक चीजों का सेवन करने से ही होता है और फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ilaj)घर में करना संभव नहीं है। सबसे पहले तो यह जान लें कि फैटी लीवर की बीमारी शराब के साथ-साथ मोटापे और खाने की अनुचित आदतों वाले लोगों में भी यह हो सकता है। दूसरी बात यह जान लें कि फैटी लीवर का उपचार आप घर पर भी कर सकते हैं। फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ayurvedic ilaj) करने के लिए घरेलू नुस्ख़े बहुत काम आते हैं। इससे कुछ हद तक फैटी लीवर के नुकसान से लीवर को कुछ हद तक बचाया जा सकता है।
फैटी लीवर क्या है? (What is Fatty liver?)
अगर सबसे पहले समझते हैं कि फैटी लीवर क्या है। लीवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है। लीवर में वसा की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लीवर बीमारी व्यक्ति को तब होती है, जब वसा की मात्रा लीवर के भार से दस प्रतिशत अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में लीवर सामान्य रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तथा अनेक लक्षणों को उत्पन्न करता है। इसके बाद फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ayurvedic ilaj) कराने की जरूरत पड़ती है।
सामान्यत इसके लक्षण (fatty liver ke lakshan)देर में देखने को मिलते है लेकिन लम्बे समय तक लीवर में अधिक वसा का जमा होना नुकसानदायक बन जाता है। आम तौर पर 40-60 वर्ष की आयु में यह देखने को मिलता है। आयुर्वेद में लीवर का संबंध पित्त से बताया गया है यानि पित्त के दूषित होने पर लीवर रोग ग्रस्त हो जाता है एवं भलीभाँति अपना कार्य नहीं कर पाता।
दूषित पित्त ही फैटी लीवर जैसे रोगों को जन्म देता है। अनुचित खान-पान से लीवर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते है जिस कारण लीवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है। जिसके कारण लीवर में सूजन आ जाती है जो फैटी लीवर का उपचार कराने की जरूरत पड़ जाती है।
फैटी लीवर दो प्रकार के होते हैं-
1- एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (Alcoholic Fatty Liver disease)-शराब का अत्यधिक सेवन करने वालों में होता है। एल्कोहॉल का अधिक सेवन लीवर पर फैट जमा होने का एक कारण है। शराब का ज्यादा सेवन करने से लीवर में सूजन आ सकती है तथा लीवर क्षतिग्रस्त हो सकती है।
2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (Non-Alcoholic Fatty liver disease or NAFLD)-उच्च वसायुक्त भोजन एवं अनुचित जीवनशैली के कारण व्यक्ति में मोटापे एवं डायबिटीज की समस्या होने लगती है जो कि फैटी लीवर होने में बड़े कारण है। शराब न लेने पर भी इन स्थितियों में फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है।
फैटी लीवर होने पर अन्य रोग होने की संभावना भी होती है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज के चार चरण होते हैं।
सामान्य फैटी लीवर और स्टियाटोसिस (Normal fatty liver and steatosis)-इस चरण में लीवर में वसा का जमा होना शुरू हो जाता है किन्तु किसी भी तरह की सूजन नहीं होती। इस अवस्था में किसी भी तरह के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखाई नहीं देते तथा केवल उचित आहार के सेवन से यह ठीक हो जाता है।
नॉन-एल्कोहलिक स्टियाटोहेपाटाइटिस (Non-alcoholic steatohepatitis)-इस अवस्था में वसा जमे हुए लीवर में सूजन आना शुरू हो जाती है। लीवर में जब सूजन आ जाता है तब वह क्षतिग्रस्त ऊतकों या टिशु को ठीक करने की कोशिश करते है, जितने ज्यादा टिशु वहाँ पर क्षतिग्रस्त होते है, लीवर उतनी तेजी से उनको ठीक करने की कोशिश करता है और इस प्रकार सूजन वाले टिशुओं में घाव हो जाती है। इस अवस्था में जब घाव वाले टिशु वहाँ पर विकसित होने लगते है तब फिब्रोसिस होने की अवस्था आती है।
फिबरोसिस (Fibrosis)-यह तब होता है जब लीवर और उसके आस-पास के ब्लड सेल्स या रक्तवाहिकाओं में स्थायी रूप से घाव वाले ऊतक या टिशुएं बनने लगते हैं। इस अवस्था में लीवर कुछ हद तक सामान्य रूप से कार्य करता रहता है। इस समय उपचार करने पर लीवर में आगे की क्षति होने से रोका जा सकता है और जो क्षति हुई है वह सामान्य अवस्था में आ सकती है। हालांकि समय के साथ ये घाव वाले ऊतकों के जगह स्वस्थ ऊतक बन जाते है। इस कारण से लीवर का कार्य प्रभावित होता है तथा सिरोसिस हो सकता है।
सिरोसिस (Cirrhosis)-इस अवस्था में लीवर सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देता है तथा त्वचा एवं आँखों का पीलापन जैसे लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखने लगते है। इस समय लीवर में बने जिन ऊतकों में घाव हो जाता है उनको हटाना मुश्किल हो जाता है। ज्यादातर लोगों में सामान्य फैटी लीवर (steatosis) ही पाया जाता है जो कि आहार योजना में बदलाव करके सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है, फिबरोसिस तथा सिरोसिस को विकसित होने में 3-4 वर्ष लगते है।
फैटी लीवर होने के कारण (Causes of Fatty liver in Hindi)
आपको फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ilaj) करना है फैटी लीवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लीवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है। फैटी लीवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-
अत्यधिक शराब पीना
आनुवांशिकता
मोटापा
फैटी फूड और मसालेदार खाने का सेवन
रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
मधुमेह या डायबिटीज
स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन
पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
वायरल हेपाटाइटिस
फैटी लीवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi)
इसी तरह अगर आपको फैटी लीवर का उपचार करना है तो फैटी लीवर के लक्षणों को शुरुआती अवस्था में समझना होगा। हालांकि यह मुश्किल होता है क्योंकि बहुत कम लोगों को फैटी लीवर के लक्षणों (fatty liver ke lakshan)के बारे में पता होता है इसलिए शारीरिक अवस्था बहुत ज्यादा खराब हो जाने के बाद बीमारी का पता चलता है। चलिये कुछ आम लक्षणों के बारे में पता लगाते हैं-
पेट के दाएँ भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द
वजन में गिरावट
कमजोरी महसूस करना
आँखों और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
भोजन सही प्रकार से हजम नहीं होना जिसके कारण एसिडिटी का होना
पेट में सूजन होना
फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव
-ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
-अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फलियाँ और साबुत अनाज।
-अधिक नमक,ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सफेद चीनी का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।
– एल्कोहल या शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
-भोजन में लहसुन को शामिल करें यह फैट जमा होने से रोकता है।
-ग्रीन टी का सेवन करें। शोध के अनुसार लीवर में जमा फैट को कम करती है तथा लीवर के कार्यकलाप को सुधारती है।
-तले-भुने एवं जंक फूड का सेवन सर्वथा त्याग दें।
-इन सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें जैसे पालक,ब्रोक्ली, करेला, लौकी, टिण्डा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक तथा अंकुरित अनाज खाएँ।
-राजमा, सफेद चना, काली दाल इन सब का सेवन बहुत कम करना चाहिए तथा हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।
-मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी इनका उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
-नियमित रूप से प्राणायाम करें तथा सुबह टहलने जाएँ।
JIVANT AYURVEDA🔴
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Vaid Ranjit Singh Pannu(9278333777)
Dr Sandeep Singh Pannu(8467001414)
👉Covid 19: आयुर्वेदिक तरीका उन लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी है जिन्हें कोविड का हल्का लक्षण है और जिनको होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गयी है🙏
👉बुखार, खांसी और थकान कोविड-19 के सबसे सामान्य लक्षण हैं। हालांकि इस तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टरों से दिखाना और इलाज कराना जरूरी है लेकिन अगर आप अपने खान-पान और दिनचर्या में कुछ परिवर्तन करेंगे तो इससे आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप इस श्वसन संबंधी संक्रमण से बचे रहेंगे। जिन्हें कोविड का हल्का लक्षण है और जिनको होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गयी है।
👉हाइड्रेशन- लोगों को सबसे पहले हाइड्रेशन पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सूखी अदरक और तुलसी के पत्तों के साथ गर्म पानी लेना चाहिए। इसे बनाने के लिए सूखी अदरक को गर्म पानी में कुछ देर उबाल लें फिर उसमें तुलसी का पत्ता डालकर कुछ देर और उबालें और उसे पी लें। दिन में कई बार इसका सेवन फायदेमंद साबित होगा।
👉डाइट- ताजा पका हुआ गर्म खाना खाएं इसके अलावा दोपहर और रात में खाते समय माड़ या मूंग दाल का सूप बिना नमक, घी और तेल के लेना चाहिए। रात का खाना 7 बजे से पहले खा लें और जितनी बार भी खाना खाते हैं, सिर्फ आधा पेट ही खाना खाएं। खाने में मसाले के तौर पर दालचीनी, काली मिर्च, इलायची, सितारा सौंफ, लौंग और सूखी अदरक का प्रयोग करें।
👉नींद- रात को लगातार 8 घंटे सोयें क्योंकि सोते वक्त शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने की प्रक्रिया शुरु होती है। ध्यान रहे कि दिन में ना सोयें।
👉फल- अगर कोविड का प्रत्यक्ष लक्षण दिखायी देता है तो फल खाना पूरी तरह बंद कर दें। लेकिन अप्रत्यक्ष लक्षण (जिसे मेडिकल भाषा में एसिम्पटोमेटिक कहते हैं) दिखे तो अंगूर और अनार जैसे फल खा सकते हैं।
👉सब्जियां- सब्जियों को अच्छी तरह से पकाकर खाना चाहिए और कोई भी सब्जी कच्ची नहीं खाना चाहिए। यहां तक सलाद भी नहीं लेना चाहिए। सबसे ज्यादा करेला और लौकी जैसी सब्जियां खाएं। टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों का कम से कम सेवन करें।
👉आराम- सही खाने-पीने के साथ- साथ आराम भी बहुत जरूरी है। अच्छे से आराम करें और आराम के वक्त को खुशनुमा बनाने के लिए आप किताबें पढ़ सकते हैं, गाने सुन सकते हैं, लोगों से बातें कर सकते हैं। इसके अलावा धूम्रपान और शराब का सेवन करने से बिल्कुल बचना चाहिए।
👉व्यायाम- अगर आपको कोविड-19 का प्रत्यक्ष लक्षण है तो हल्का व्यायाम करें। योग भी ऐसी स्थिति में लाभ पहुंचाएगा इसलिए हर रोज प्रणायाम करें🙏
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