International Shiva Society

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30/10/2023

बारम्बार प्रणाम ऐसे संत को जिन्होंने अशोक गहलोत के सामने ही पूरे विपक्ष की बघिया उधेड़ दी

हर हर महादेव 🔱🚩

23/01/2023

बाबा हनुमान चालीसा में लिखते हैं, "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन्ही जानकी माता" अर्थात हनुमान जी महाराज आठ सिद्धियों और नौ निधियों के अधिकारी देव हैं, दाता हैं। यह शक्ति उन्हें लक्ष्मी स्वरूपा जगतमाता जानकी से प्राप्त हुई थी।
ये आठ सिद्धियां हैं- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशत्व और वशित्व। अन्य की चर्चा फिर कभी करेंगे, पर इसमें जो छठवीं सिद्धि है प्रकाम्य, उसे प्राप्त कर लेने वाला साधक दूसरों के मनोभावों को सहजता से पढ़ लेता है। बिना अभिव्यक्त किये ही उसके मन की बातें जान लेता है।
प्रकाम्य सिद्धि के अधिकारी देव हनुमान जी महाराज हैं, वे ही हनुमान जी महाराज जो बागेश्वर धाम में पूजे जाते हैं। और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उन्ही के सेवक हैं। दूसरों के मन में चल रहे प्रश्नों को जानने का गुण उन्हें इसी सिद्धि से आया है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को यह सिद्धि कितनी प्राप्त है यह मुझे ज्ञात नहीं, पर ऐसी सिद्धि लोग प्राप्त करते रहे हैं इसकी लम्बी परम्परा रही है। यह सिद्धि प्राप्त करने वाले वे न पहले व्यक्ति हैं और न ही अंतिम। उनके बाद भी लोग हनुमान जी महाराज की कृपा से इस सिद्धि को प्राप्त करते रहेंगे, क्योंकि सनातन परंपरा में इसका स्पष्ट विधान है।
इसपर आप भरोसा करें या न करें, यह आपका नितांत व्यक्तिगत चयन है। पर आप इसे खारिज नहीं कर सकते, क्योंकि हमारी परम्परा में इन सिद्धियों का विधान है, इसकी शिक्षा-दीक्षा होती रही है। पुस्तकें हैं, गुरु हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए सिद्ध स्थानों, पीठों में भटकना होता है और लम्बी तपस्या करनी होती है।
जिस प्रकार विज्ञान के किसी स्थापित नियम को खारिज करने के लिए आपको उस विषय के सम्पूर्ण ज्ञान की आवश्यकता होती है, वैसे ही आध्यात्म के किसी नियम को खारिज करने के लिए आपको उसका सम्पूर्ण ज्ञान होना ही चाहिये। अन्यथा कोई बकरी का चरवाहा कहे कि "आई डोंट विलिभ दैट अर्थ इज राउंड!" तो उसपर केवल हँसा जा सकता है, इसे उसके सामने प्रमाणित नहीं किया जा सकता।
अब प्रश्न यह है कि सनातन में तो इन सिद्धियों का विधान है, पर मरीज की छाती पर किसी मरी हुई नन का लॉकेट सटा कर उसकी कैंसर ठीक करने वालों के यहाँ इसका कौन सा विधान है? माथा छू कर गूंगी को वाणी दे कर "बोलने लगी" वाला चमत्कार दिखाने वाले बताएंगे कि उन्हें मिली उस शक्ति का नाम क्या है? वह कैसे मिलती है? कौन देता है? उसने किससे पायी यह शक्ति? इसका जिक्र उनकी किस पुस्तक में है?
पर उत्तर तो छोड़िये साहब! इस देश की बुद्धिजीविता, प्रगतिवादी लोग, विज्ञानवादी, पत्रकार तबका उनसे यह प्रश्न पूछने तक का साहस नहीं कर सकता। बिकॉज ही नो दैट, धन्धा बन्द हो जाएगा।
वैसे कोई मिले तो पूछियेगा।😊

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

05/11/2022

यूं ही नहीं मान्यता है बिंदी की,
स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती है ।

यूं ही नहीं लगाती काजल,
नकारात्मकता निषेध हो जाती है
जिस आंगन स्त्री आंखों में काजल लगाती है

होंठों को रंगना कोई आकर्षण नहीं,
प्रेम की अद्भुत पराकाष्ठा को चिन्हित करती हुई
जीवन में रंग बिखेरती है ।

नथ पहनती है,
तो करुणा का सागर हो जाती है ।

और कानों में कुंडल पहनती है ,
तो संवेदनाओं का सागर बन जाती है ।

चूड़ियों में अपने परिवार को बांधती है,
इसीलिए तो एक भी चूड़ी मोलने नहीं देती ।

पाजेब की खनक सी मचलती है,
प्रेम में जैसे मछली हो जाती है ।

वो स्त्री है साहब... स्वयं में ब्रह्मांड लिए चलती है

ेटी_मेरी

08/07/2022

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।

उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?

क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?

हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।

हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।

06/07/2022

ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

यह मंत्र की रचना कैसे हुई
किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना और जाने इसकी शक्ति___

#शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.

*मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं. इसलिए क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाए.

*मृकण्ड ने घोर तप किया. भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे भोले झुक ही जाते हैं.

*महादेव प्रसन्न हुए. उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा.

*भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा. ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है. इसकी उम्र केवल 12 वर्ष है.

*ऋषि का हर्ष विषाद में बदल गया. मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया- जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है वही भोले इसकी रक्षा करेंगे. भाग्य को बदल देना उनके लिए सरल कार्य है.

*मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी. मार्कण्डेय की माता बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी. उन्होंने मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी.

*मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि माता-पिता के सुख के लिए उसी सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे जिन्होंने जीवन दिया है. बारह वर्ष पूरे होने को आए थे.*

*मार्कण्डेय ने शिवजी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करने लगे.*

ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

समय पूरा होने पर यमदूत उन्हें लेने आए. यमदूतों ने देखा कि बालक महाकाल की आराधना कर रहा है तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की. मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प लिया था.

यमदूतों का मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गए. उन्होंने यमराज को बताया कि वे बालक तक पहुंचने का साहस नहीं कर पाए.

*इस पर यमराज ने कहा कि मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लेकर आऊंगा. यमराज मार्कण्डेय के पास पहुंच गए.*

बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग से लिपट गया.

*यमराज ने बालक को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा. एक प्रचण्ड प्रकाश से यमराज की आंखें चुंधिया गईं.

शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गए. उन्होंने हाथों में त्रिशूल लेकर यमराज को सावधान किया और पूछा तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को खींचने का साहस कैसे किया?

*यमराज महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे. उन्होंने कहा- प्रभु मैं आप का सेवक हूं. आपने ही जीवों से प्राण हरने का निष्ठुर कार्य मुझे सौंपा है.

*भगवान चंद्रशेखर का क्रोध कुछ शांत हुआ तो बोले- मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं और मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया है. तुम इसे नहीं ले जा सकते.

*यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है. मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय का पाठ करने वाले को त्रास नहीं दूंगा.

#महाकाल की कृपा से मार्केण्डेय दीर्घायु हो गए. उनके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करता है.

परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है। और मंत्र के माध्यम से उन्हें सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।
अस्तु।
देवों के देव महादेव की जय हो

30/06/2022

चाणक्य ने अपने अपमान से क्रोधित होकर एक आजपाल चंद्रगुप्त को राजा बना दिया और शासन की बागडोर अपने हाथ में रखी और चंद्रगुप्त के हाथो नंद वंश का विनाश कर दिया।

इतिहास दोहरा रहा है।

20/04/2022

मथुरा व वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है !! दरअसल, मथुरा व वृंदावन के 22 वार्डों में उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर मांस मछली ओर शराब के बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया है !

आप लोगों को बता दुं की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थल के 10 वर्ग किलोमीटर के दायरे को तीर्थस्थल घोषित कर दिया था !! जिसके बाद से मथुरा और वृंदावन में मांस और शराब के बिक्री पर रोक लगा दी गई थी !!

आपको ये भी बता दूं कि इस इलाके में 22 नगर निगम वार्ड के क्षेत्र आते हैं.इलाहाबाद हाईकोर्ट में इसपर रोक के खिलाफ वृंदावन की एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता शाहिदा की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई थी...

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