Sparsh

Special Education for Children with Special Needs

Photos from Sparsh's post 10/05/2023

अंतर्राष्ट्रीय थैलासीमिया दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम & Activity Photo

Photos from Sparsh's post 26/01/2023

विशेष बच्‍चों के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस एवं सरस्‍वती पुजा
देवघर 26 जनवरी 2023। स्‍पर्श विशेष विद्यालय के तत्‍वाधान में आज दिनांक 26 जनवरी 2023 को सुवह 9:30 बजे से स्‍पर्श विशेष विद्यालय के प्रांगण, शिवगंगा, मातृमंदिर, देवघर झारखण्‍ड में गणतंत्र दिवस के अवसर पर झण्‍डोतोलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया साथ ही वसंत पंचमी के अवसर पर सरस्‍वती पुजा हर्सोल्‍लास के साथ मनाया गया । झण्‍डोतोलन सुषमा कुमारी (दिव्‍यांजन विशेषज्ञ), संतोष कुमार सिन्‍हा (ऑफिसर, एडमिनिसट्रेशन) एवं सुगंध नारायण प्रसाद (कोषाध्‍यक्ष, स्‍पर्श), द्वारा संयुक्‍त रूप से किया गया। आज झण्‍डोतोलन कार्यक्रम एवं सरस्‍वती पुजा कार्यक्रम में निरंजन कुमार मंडल, सुभम कुमार, उमेश कुमार, अनिता पाल, रोजी कुमारी, मृदुशिला मुर्मु, मैरी, अंजली कुमारी, जुली कुमारी, नेहा पारूल, सुधा कुमारी, दीपशिखा भारती, अंशु कुमारी, रिया राज, रूची कुमारी, जय बिक्रांत कुमार, दयानंद कुमार, कंचन कुमारी, अनोखा भारती, आशीष आनंद, भारती कुमारी, रूबी कुमारी, कंचन कुमारी, उपेन्‍द्र कुमार साह, अजय प्रसाद साह, अकांक्षा कुमारी साथ ही 30 से अधिक विशेष बच्‍चे उपस्थित थे।

सभी उपस्थित अतिथियों एवं विशेष बच्‍चों ने झण्‍डे को सलामी दिए साथ ही राष्‍ट्र गान गाया गया। भारत को आजाद कराने के लिए हमारे हजारो देशभक्‍तो ने अपनी कुर्बानियां दी। सभी शहीदों एवं देशभक्‍तों का नमन किया गया। साथ ही बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्‍वती पुजा हर्सोल्‍लास के साथ मनाया गया। इस अवसर सभी विशेष बच्‍चे काफी खुश एवं उत्‍साहित थे।

Photos from Sparsh's post 14/01/2023

SPARSH Deoghar Jharkhand

Photos from Sparsh's post 11/09/2022

‘आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास और खेल का कार्यान्वयन’ विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद भारत सरकार नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त तीन दिवसीय सी.आर.ई (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार वर्कशॉप सम्‍पन्‍न

देवघर, 11 सितम्‍बर 2022 । स्‍पर्श विशेष विद्यालय सह विशेष टीचर्स ट्रेनिग संस्‍थान देवघर झारखण्‍ड के तत्‍वाधान में भारतीय पुनर्वास परिषद् भारत सरकार, नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त “‘आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास और खेल का कार्यान्वयन’” विषय पर आज दिनांक 11 सितम्‍बर 2022 को सुवह 11 बजे से ऑनलाइन तीन दिवसीय सी.आर.ई. (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार का आयोजन किया गया साथ ही संध्‍या 5 बजे को समापन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन कराने का मुख्‍य उद्देश्‍य आर.सी.आई. से रजि० प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ को समय समय पर उनके ज्ञान का उन्‍नयन करना है।

आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (विख्‍यात दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ सह पुर्व राज्‍य आयुक्‍त दिव्‍यांगजन, बिहार सरकार) ऑनलाईन मौजूद थे। विशिष्‍ट अतिथि डॉ० अजीत शर्मा (क्लिनीकल साईकोलॉजिस्‍ट सह उप निदेशक एस.जे.ई.डी., जयपुर राजस्‍थान), श्री शशि रंजन प्रसाद सिंह, रिटा० भा०प्रा०से० (अध्‍यक्ष चाईल्‍ड कन्‍सर्न, रांची), श्रीमति उषा मनाकी (प्रोफेशनल), संतोष कुमार सिन्‍हा (टे‍क्‍निकल), श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (को-ऑर्डिनेटर), संदीप कुमार (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ) लक्ष्‍मी कान्‍त कुमार (विशेष शिक्षक), निरंजन कुमार मंडल (स्‍पर्श देवघर) साथ ही रिसोर्स पर्शन डॉ० स्मिता तिवारी (रिहैबिलीटेशन प्रैक्टिशनर एवं नैदानिक मनोबैज्ञानिक) डॉ० अरिजित पुटाटुण्‍डा (स्‍टुडेन्‍ट एक्टिभिटी एवं स्‍पोर्ट्स ऑफिसर, एन.आई.टी. पटना), कुमार आदित्‍या (खेल विशेषज्ञ), वि‍वेक सक्‍सेना (ऑडियोलॉजिस्‍ट), डॉ० अजय कुमार पाठक (प्रोफेशनल) एवं 90 से अधिक प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, खेल प्रशिक्षक, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन उपस्थित थे। आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार में भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास एवं खेल के महत्‍व के बारे में बताया गया।

आज के के मुख्‍य अतिथि एवं वक्‍ता ने दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में वर्णित दिव्‍यांगजनों के लिए प्रावधानों के बारे में जानकारी दिए एवं दिव्‍यांगजनों को मनोरंजन, पुनर्वास एवं खेल के महत्‍व से होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्‍होंने बताया कि दिव्‍यांगजनों को खेल के माध्‍यम से समाज के मुख्‍यधारा में दिव्‍यांजनों को जोड़ा जा सकता है एवं स्‍वावलंब बनाया जा सकता है। खेल के पहलुओं को विस्‍तृत रूप से बताया।

डॉ० अजीत शर्मा (क्लिनीकल साईकोलॉजिस्‍ट सह उप निदेशक एस.जे.ई.डी., जयपुर राजस्‍थान) ने सरकार द्वारा दिव्‍यांगजनों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को विस्‍त़ृत रूप से बताया।

संदीप कुमार ने खेल के माध्‍यम से बौद्धिक दिव्‍यांग एवं बहु दिव्‍यांग बच्‍चों में कौशल विकास के बारे में विस्‍तृत रूप से बताया।

डॉ० स्मिता तिवारी ने सभी प्रतिभागियों को दिव्‍यांगजनों खिलाडि़यों के लिए खेल मनो वैज्ञानिकका महत्‍व एवं दिव्‍यांगजनों को समानता एवं समाज में पूर्ण और प्रभावी भागीदारी के बारे में विस्‍तृत जानकारी दिए।

श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद ने दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक शिक्षा, खेल में अवसर एवं मन मनोरंजनात्‍मक एक्टिीभिटी के बारे में बताया।

अरिन्‍दम साहू ने भारतीय संदर्भ में दिव्‍यांग व्‍यक्तियों के लिए मनोरंजन का प्रभाव के बारे में विस्‍तृत रूप से बताया।

डॉ० अजय कुमार पाठक ने नेत्रहिन दिव्‍यांग बच्‍चों के लिए खेल एवं मनोंरंजन के महत्‍व के बारे में विस्‍तृत रूप से बताया।

आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर के वेबिनार में अशेरस्‍वर कुमार, रोहन महतो, कुमार सत्‍या विक्रम, रंजु कुमारी, रंजीत कुमार, दिव्‍या ठाकुर, अभय शंकर, निरंजन कुमार निराला, संजीव कुमार मंडल, भीष्‍मा आनन्‍द, पिंकी कुमारी, संजय मोहन, अंजु कुमारी, रंजु कुमारी, आदित्‍या नाथ, पुजा कुमारी, प्रमोद साव, सोनी कुमारी, रीता कुमारी मंडल, प्रतीभा कुमारी, सुनीता गुप्‍ता, ललीता कुमारी, जुगल टिर्की, पंकज कुमार, संजय कुमार सिंह, सितापारा शीतल, मो० तैयब अंसारी, सुलोचन कुमारी, कुमारी पुजा प्रभा, चंद्रदेवकुमार, रजनी टिर्की, प्रदीप कुमार राय, सुनैना कुमारी, तरूण मंडल, सुमन संगीता कुजुर, ममता कुमारी, नारद मुनी विद्यार्थी, प्रकाश कुमार मौर्या, कुमार सुभम, लक्ष्‍मीकान्‍तकुमार, एकराम सिंह, सुनील कुमार झा, चांदनी कुमारी, सुलेखा कुमारी, धनेश्‍वर महतो, दीपक कुमार महतो, शिवानी कुमारी, ममता कुमारी, नमीता कुमारी, मनीषा कुमारी, मीना कुमारी, बेबी सिंह, सुरेश कुमार, वि‍वेक तिवारी, अशोक कुमार त्रिपाठी, विवेक कुमार सिंह, विनय कुमार गुप्‍ता, राजेश कुमार तिवारी, तनवीर राजा, अर्चना कुमारी, अरूण प्रकाश मंडल, मिनाक्षी कुमारी आदि 90 से अधिक प्राफेशनल, डॉकटर, ऑडियोलॉजिस्‍ट, दिव्‍यांजन विशेषज्ञ आदि जुड़े हुए थे।

इस तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय वेबीनार में विभिन्‍न राज्‍यों से सैंकड़ो प्रतिभागी प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन सम्मिलित हुए एवं वेबीनार का लाभ उठाया। सभी ने तीनों दिन वेबीनार में उपस्थित होकर लाभ उठाया एवं जानकारी हासिल किए।

सभी प्रतिभागियों ने बताया कि इस तरह के प्रोग्राम से हमलोगों को काफी जानकारीयां मिलती है एवं एक दूसरे से रूवरू होने का मौका मिलता है। यह वेबीनार काफी ही ज्ञानवर्द्धक था तथा हमें दिव्‍यांगजन के खेल कूद के बारे में बहुत सारी जानकारीयां मिली सभी रिसोर्स पर्सनबहुत ही अच्‍छी जानकारी दिये। इस कार्यक्रम के बारे जितना भी बोला जाए कम है यह एक अतुल्‍यनीय एवं ज्ञानवर्द्धक कार्यक्रम था।

आज के वबीनार का संचालन संतोष कुमार सिन्‍हा एवं धन्‍यवाद ज्ञापन सुगन्‍ध नारायण प्रसाद के द्वारा किया गया।

Photos from Sparsh's post 09/09/2022

‘आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास और खेल का कार्यान्वयन’ विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद भारत सरकार नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त तीन दिवसीय सी.आर.ई (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार वर्कशॉप का आयोजन

देवघर, 9 सितम्‍बर 2022 । स्‍पर्श विशेष विद्यालय सह विशेष टीचर्स ट्रेनिग संस्‍थान देवघर झारखण्‍ड के तत्‍वाधान में भारतीय पुनर्वास परिषद् भारत सरकार, नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त “‘आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास और खेल का कार्यान्वयन’” विषय पर आज दिनांक 9 सितम्‍बर 2022 को सुवह 11 बजे से ऑनलाइन तीन दिवसीय सी.आर.ई. (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार का शुभारम्‍भ किया गया। यह वेबीनार 11 सितम्‍बर 2022 तक चलेगी। इस कार्यक्रम का आयोजन कराने का मुख्‍य उद्देश्‍य आर.सी.आई. से रजि० प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ को समय समय पर उनके ज्ञान का उन्‍नयन करना है। आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (विख्‍यात दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ सह पुर्व राज्‍य आयुक्‍त दिव्‍यांगजन, बिहार सरकार) थे। विशिष्‍ट अतिथि श्री शशि रंजन प्रसाद सिंह, रिटा० भा०प्रा०से० (अध्‍यक्ष चाईल्‍ड कन्‍सर्न, रांची), श्री ह्रदय यादव (समाज सेवी सह कार्यकारी अध्‍यक्ष बिहार एसोसिएशन ऑफ पी०डब्‍लू०डी०), श्रीमति उषा मनाकी (प्रोफेशनल), संतोष कुमार सिन्‍हा (टे‍क्‍निकल), श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (को-ऑर्डिनेटर), संदीप कुमार (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ) लक्ष्‍मी कान्‍त कुमार (विशेष शिक्षक), निरंजन कुमार मंडल (स्‍पर्श देवघर) साथ ही रिसोर्स पर्शन डॉ० अरिजित पुटाटुण्‍डा (स्‍टुडेन्‍ट एक्टिभिटी एवं स्‍पोर्ट्स ऑफिसर, एन.आई.टी. पटना), कुमार आदित्‍या (खेल विशेषज्ञ), वि‍वेक सक्‍सेना (ऑडियोलॉजिस्‍ट), डॉ० अजय कुमार पाठक (प्रोफेशनल) एवं 90 से अधिक प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, खेल प्रशिक्षक, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन उपस्थित थे। आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार में भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास एवं खेल के महत्‍व के बारे में बताया गया।

आज के के मुख्‍य अतिथि ने दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में वर्णित दिव्‍यांगजनों के लिए प्रावधानों के बारे में जानकारी दिए एवं दिव्‍यांगजनों को मनोरंजन, पुनर्वास एवं खेल के महत्‍व से होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्‍होंने बताया कि दिव्‍यांगजनों को खेल के माध्‍यम से समाज के मुख्‍यधारा में जोड़ा जा सकता है एवं स्‍वावलंब बनाया जा सकता है।

आज के पहले सेशन में मुख्‍य वक्‍ता डॉ० अरिजीत पुटटुण्‍डा (स्‍टुडेन्‍ट एक्टिभिटी एवं स्‍पोर्ट्स ऑफिसर, एन.आई.टी. पटना) ने पैरा स्‍पोर्ट्स प्रदर्शन के संदर्भ में काइनेटिक्क चेन एवं विभिन्‍न बायोमोटर क्षमताओं के बारे में विस्‍तृत रूप से जानकारी दिये।

दूसरे सेशन में कुमार आदित्‍या ने दिव्‍यांग खिलाडि़यों के शारीरिक शिक्षा, कौशल क्षमता का विकास एवं खेल के महत्‍व के बारे में बताया साथ ही खेल से जुड़कर कैसे शारीरिक सवस्‍थ्‍य रह सकते हैं उसके बारे में विस्‍तृत जानकारी दिये।

डॉ० विवेक कुमार सक्‍सेना ने दिव्‍यांगजनों के खेलों में आडियोलॉजिस्‍ट की भूमिका के बारे में विस्‍तृत जानकारी दिये एवं हियरिंग एड की उपयोगिता पर विस्‍तृत जानकारी दिये।
आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर के वेबिनार में अशेरस्‍वर कुमार, रोहन महतो, कुमार सत्‍या विक्रम, रंजु कुमारी, रंजीत कुमार, दिव्‍या ठाकुर, अभय शंकर, निरंजन कुमार निराला, संजीव कुमार मंडल, भीष्‍मा आनन्‍द, पिंकी कुमारी, संजय मोहन, अंजु कुमारी, रंजु कुमारी, आदित्‍या नाथ, पुजा कुमारी, प्रमोद साव, सोनी कुमारी, रीता कुमारी मंडल, प्रतीभा कुमारी, सुनीता गुप्‍ता, ललीता कुमारी, जुगल टिर्की, पंकज कुमार, संजय कुमार सिंह, सितापारा शीतल, मो० तैयब अंसारी, सुलोचन कुमारी, कुमारी पुजा प्रभा, चंद्रदेवकुमार, रजनी टिर्की, प्रदीप कुमार राय, सुनैना कुमारी, तरूण मंडल, सुमन संगीता कुजुर, ममता कुमारी, नारद मुनी विद्यार्थी, प्रकाश कुमार मौर्या, कुमार सुभम, लक्ष्‍मीकान्‍तकुमार, एकराम सिंह, सुनील कुमार झा, चांदनी कुमारी, सुलेखा कुमारी, धनेश्‍वर महतो, दीपक कुमार महतो, शिवानी कुमारी, ममता कुमारी, नमीता कुमारी, मनीषा कुमारी, मीना कुमारी, बेबी सिंह, सुरेश कुमार, वि‍वेक तिवारी, अशोक कुमार त्रिपाठी, विवेक कुमार सिंह, विनय कुमार गुप्‍ता, राजेश कुमार तिवारी, तनवीर राजा, अर्चना कुमारी, अरूण प्रकाश मंडल, मिनाक्षी कुमारी आदि 90 से अधिक प्राफेशनल, डॉकटर, ऑडियोलॉजिस्‍ट, दिव्‍यांजन विशेषज्ञ आदि जुड़े हुए थे।

03/09/2022
01/08/2022

आमंत्रण/ सूचना:
राष्‍ट्रीय स्‍तर सी.आर.ई वेबीनार का आयोजन
"स्पर्श" देवघर (झारखण्ड),द्वारा आगामी दिनांक 9 से 11 सितम्‍बर 2022, तक भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI), नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त ‘आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन, पुनर्वास और खेल का कार्यान्वयन’’ विषय पर तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय स्‍तर सी. आर. ई.(C.R.E) वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय पुनर्वास परिषद से रजि० पेशेवर, विशेष शिक्षक, रिसोर्स टीचर्स, मनोचिकित्सक, पुनर्वास विशेषज्ञ एवं रिहैब प्रोफेशनल्स भाग ले सकते हैं।
सीटों की संख्या सिमित है इसलिए जल्द से जल्द अपना निबंधन करवा कर इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा ले।
नीचे दिये गये लिंक से निबंधन करें –

https://forms.gle/ZSiBrQZg9J11qh2RA

रजि० फीस – रू० 900/-
NEFT/RTGS Bank Details:
Name : SPARSH
Bank Name: HDFC Bank
Branch : Mahendru
A/C No. : 50200043109336
IFSC Code: HDFC0004710
रजि० एवं विशेष जानकारी हेतु संपर्क करें -
सुगंध नारायण प्रसाद -9472162409 / 9097968279
संतोष कुमार सिन्हा –7991189522

धन्यवाद
स्‍पर्श, टीचर ट्रेनिंग कॉलेज
विलासी, शिवगंगा, मातृ मंदीर, देवघर (झारखण्‍ड)


Invitation/Information
We would like to informed you that, SPARSH, Deoghar (Jharkhand) organize 3 Days RCI Acceredited National Level CRE Webinar on “’Implementation of Physical Education, Recreation, Rehabilitation & Sports for Persons with Disabilities under RPWD Act 2016” Dt. 9th to 11th September 2022 (3 days) (CRR Status Accredited by RCI) through Google meet platform.
Organized by: SPARSH Teacher Training College, Deoghar (Jharkhand)
Mode: Online
Registration Link:

https://forms.gle/ZSiBrQZg9J11qh2RA

Seats are limited. You are cordially invited.
Contact us: 9097968279 / 9472162409 /7991189522
Reg. Fee- INR : 900/- (Only)
NEFT/RTGS Bank Details:
Name : SPARSH
Bank Name: HDFC Bank
Branch : Mahendru
A/C No. : 50200043109336
IFSC Code: HDFC0004710

Photos from Sparsh's post 22/06/2022
Photos from Sparsh's post 24/04/2022

आज दिनांक 24-04-2022 को स्‍पर्श विशेष विद्यालय, चाईल्‍ड कन्‍सर्न एवं पैरालंपिक कमिटी आफ झारखंड की वार्षिक बैठक का आयोजन रांची के पैरालिम्पिक कमिटी ऑफ झारखंड के कार्यालय शुभा गौरी एन्क्लेव में किया गया । जिसमे पैरालिम्पिक कमिटी के हाल में सम्पन हुए राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खिलाड़ियों के प्रदर्शन एवम उनके भविष्य में होने वाली प्रतियोगिता की तैयारियां को समीक्षा बैठक की गई।

24/04/2022

झारखंड पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन की जिला इकाई के सभी पदाधिकारी, खेल प्रशिक्षक, दिव्यांग खिलाड़ी से अनुरोध है की उपरोक्त पीडीएफ फाइल जो आपकी जिला में पैरालंपिक कमिटी ऑफ़ इंडिया के चयन समिति के चेयरमैन सह पैरालंपिक कमिटी ऑफ़ इंडिया के उपसचिव सह राज्य राज्य युक्ता बिहार सरकार का दौरा होना है जिसमें पैरालंपिक खिलाड़ियों को बढ़ावा एवं उनकी स्थिति पर चर्चा होनी है उसके लिए आप सबसे पुनः निवेदन है कि उक्त पीडीएफ फाइल को प्रिंट करके उपायुक्त के कार्यालय पहुंचाएं एवं निर्धारित तिथि, समय पर निर्धारित जगह पर उपस्थित होकर अपने कार्यक्रम को सफल बनाएं धन्यवाद आपका खेल निदेशक
सुगंध नारायण प्रसाद
पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन झारखंड रांची

Photos from Sparsh's post 27/03/2022

भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल के महत्‍व विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद भारत सरकार नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त तीन दिवसीय सी.आर.ई (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार वर्कशॉप का समापन
देवघर, 27 मार्च 2022 । स्‍पर्श विशेष विद्यालय सह विशेष टीचर्स ट्रेनिग संस्‍थान देवघर झारखण्‍ड के तत्‍वाधान में भारतीय पुनर्वास परिषद] भारत सरकार, नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त “भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा एवं खेल के महत्‍व” विषय पर आज दिनांक 27 मार्च 2022 को सुवह 11 बजे से ऑनलाइन तीन दिवसीय सी.आर.ई. (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार का तीसरा एवं अन्तिम दिन का आयोजन किया गया साथ ही 5 बजे संध्‍या को समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन कराने का मुख्‍य उद्देश्‍य आर.सी.आई. से रजि० प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ को समय समय पर उनके ज्ञान का उन्‍नयन करना है।

आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (विख्‍यात दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ सह पुर्व राज्‍य आयुक्‍त नि:शक्‍तता, बिहार सरकार) ऑनलाइन मौजुद थे। विशिष्‍ट अतिथि श्री शशि रंजन प्रसाद सिंह, रिटा० भा०प्रा०से० (अध्‍यक्ष चाईल्‍ड कन्‍सर्न, रांची), श्रीमति उषा मनाकी (प्रोफेशनल), श्री मनोज पाण्‍डेय (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ) संतोष कुमार सिन्‍हा (टे‍क्‍निकल), श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (को-ऑर्डिनेटर), संदीप कुमार (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ/ नेशनल ट्रेनर) साथ रिसोर्स पर्शन कुमार आदित्‍या (फिजिकल ट्रेनर सह सचिव पेफी बिहार चैप्‍टर) श्रीमति सुलेखा कुमारी (प्रोफेशनल) डॉ० स्मिता तिवारी (रिहैबिलीटेशन प्रैक्टिशनर एवं नैदानिक मनोबैज्ञानिक), डॉ० अरिजीत पुटटुण्‍डा (छात्र गतिविधी एवं खेल पदाधिकारी एन आईटी पटना), डॉ० विवेक कुमार सक्‍सेना (ऑडियोलॉजिस्‍ट सह निदेशक नालन्‍दास्पिच एण्‍ड हियरिंग क्लिनिक) डॉ० विवेक विक्रम (फिजियोथेरेपिस्‍ट जे०एम०आई०एस०एच० पटना) श्रीमति सुलेखा कुमारी (प्रोफेशनल) राजेश कुमार (प्रोफेशनल) साथ ही 180 से अधिक प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन उपस्थित थे। आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार में भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा एवं खेल के महत्‍व के बारे में बताया गया। इस तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय स्‍तर के वेबीनार में दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनिम 2016 में प्रदत 21 प्रकार के दिव्‍यांगता एवं वर्णित खेल की अधिकार के के बारे में बताया गया। साथ ही साथ दिव्‍यांगजन खेल में शारीरिक शिक्षा, फिजियो थेरेपी की महता, स्‍पीच थेरेपी की महता, विशेष प्रशिक्षण, विशेष बच्‍चे के लिए खेल प्रावधान, कौशल विकास, सेल्‍फ एडभोकेसी, दिव्‍यांगजनों को खेल कूद से जोड़ना, भोकेशनल ट्रेनिग, स्किल डेवलपमेंट समावेशी पैरा स्‍पोर्ट्स प्रदर्शन के संदर्भ में विभिन्‍न बायोमोटर क्षमताओं के बारे में विस्‍तृत रूप से जानकारी दी गई।

Photos from Sparsh's post 26/03/2022

भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल के महत्‍व विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद भारत सरकार नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त तीन दिवसीय सी.आर.ई (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार वर्कशॉप का दूसरा दिन का आयोजन
देवघर, 26 मार्च 2022 । स्‍पर्श विशेष विद्यालय सह विशेष टीचर्स ट्रेनिग संस्‍थान देवघर झारखण्‍ड के तत्‍वाधान में भारतीय पुनर्वास परिषद] भारत सरकार, नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त “भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा एवं खेल के महत्‍व” विषय पर आज दिनांक 26 मार्च 2022 को सुवह 11 बजे से ऑनलाइन तीन दिवसीय सी.आर.ई. (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार का दूसरा दिन का आयोजन किया गया। यह वेबीनार 27 मार्च 2022 तक चलेगी। इस कार्यक्रम का आयोजन कराने का मुख्‍य उद्देश्‍य आर.सी.आई. से रजि० प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ को समय समय पर उनके ज्ञान का उन्‍नयन करना है। आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (विख्‍यात दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ सह पुर्व राज्‍य आयुक्‍त नि:शक्‍तता, बिहार सरकार) ऑनलाइन मौजुद थे। संतोष कुमार सिन्‍हा (टे‍क्‍निकल), श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (को-ऑर्डिनेटर), संदीप कुमार (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ) साथ रिसोर्स पर्शन डॉ० स्मिता तिवारी (रिहैबिलीटेशन प्रैक्टिशनर एवं नैदानिक मनोबैज्ञानिक), डॉ० अरिजीत पुटटुण्‍डा (छात्र गतिविधी एवं खेल पदाधिकारी एन आईटी पटना), डॉ० विवेक कुमार सक्‍सेना (ऑडियोलॉजिस्‍ट सह निदेशक नालन्‍दास्पिच एण्‍ड हियरिंग क्लिनिक) डॉ० विवेक विक्रम (फिजियोथेरेपिस्‍ट जे०एम०आई०एस०एच० पटना) साथ ही 180 से अधिक प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन उपस्थित थे।

Photos from Sparsh's post 25/03/2022

भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल के महत्‍व विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद भारत सरकार नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त तीन दिवसीय सी.आर.ई (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार वर्कशॉप का आयोजन
देवघर, 25 मार्च 2022 । स्‍पर्श विशेष विद्यालय सह विशेष टीचर्स ट्रेनिग संस्‍थान देवघर झारखण्‍ड के तत्‍वाधान में भारतीय पुनर्वास परिषद] भारत सरकार, नई दिल्‍ली से मान्‍यता प्राप्‍त “भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा एवं खेल के महत्‍व” विषय पर आज दिनांक 25 मार्च 2022 को सुवह 11 बजे से ऑनलाइन तीन दिवसीय सी.आर.ई. (सतत पुनर्वास शिक्षा) राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार का शुभारम्‍भ किया गया। यह वेबीनार 27 मार्च 2022 तक चलेगी। इस कार्यक्रम का आयोजन कराने का मुख्‍य उद्देश्‍य आर.सी.आई. से रजि० प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ को समय समय पर उनके ज्ञान का उन्‍नयन करना है। आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (विख्‍यात दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ सह पुर्व राज्‍य आयुक्‍त निशक्‍तता, बिहार सरकार) ऑनलाइन मौजुद थे। विशिष्‍ट अतिथि श्री शशि रंजन प्रसाद सिंह, रिटा० भा०प्रा०से० (अध्‍यक्ष चाईल्‍ड कन्‍सर्न, रांची), श्री ह्रदय यादव (समाज सेवी सह कार्यकारी अध्‍यक्ष बिहार एसोसिएशन ऑफ पी०डब्‍लू०डी०), श्रीमति उषा मनाकी (प्रोफेशनल), श्रमति मधु श्रीवास्‍तवा (अधिवक्‍ता), संतोष कुमार सिन्‍हा (टे‍क्‍निकल), श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (को-ऑर्डिनेटर), संदीप कुमार (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ) साथ रिसोर्स पर्शन डॉ० स्मिता तिवारी (प्रोफेशनल), निरंजन कुमार (प्रोफेशनल), सुलेखा कुमारी (प्रोफेशनल) एवं 180 से अधिक प्रोफेशनल, विशेष शिक्षक, रिसोर्स पर्सन, डॉक्‍टर, दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ ऑनलाइन उपस्थित थे। आज के राष्‍ट्रीय स्‍तर वेबीनार में भारत में दिव्‍यांगजनों के लिए शारीरिक ‍शिक्षा एवं खेल के महत्‍व के बारे में बताया गया।
आज के वेबीनार के मुख्‍य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार (पूर्व राज्‍य आयुक्‍त निशक्‍तता, बिहार सरकार) ने दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में वर्णित दिव्‍यांगजनों के लिए प्रावधानों के बारे में जानकारी दिए एवं दिव्‍यांगजनों को शारीरिक शिक्षा एवं खेल से होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्‍होंने बताया कि दिव्‍यांगजनों को खेल के माध्‍यम से समाज के मुख्‍यधारा में जोड़ा जा सकता है एवं स्‍वावलंब बनाया जा सकता है।
आज के मुख्‍य वक्‍ता सदीप कुमार ने सभी प्रतिभागियों को स्‍पेशल ओलम्पिक्‍स, पैरालिम्पिक्‍स, डेफलिम्पिक्‍स संगठनों के बारे में विस्‍तृत जानकारी दिये। दिव्‍यांगजनों के लिए होने वाले प्रतिस्‍पर्धाओं के बारे में जानकारी दिये। उन्‍होने यह भी बताया कि कौन सा दिव्‍यांग किस खेल में भाग लेगा एवं उसके वर्गीकरण के बारे में भी बताया। आज ओलम्पिक्‍स में हमारे दिव्‍यांग खिलाड़ी समान्‍य खिलाडि़यों सें ज्‍यादा मेडल जीतकर आते हैं एवं देश का नाम रौशन करते हैं। प्रतिस्‍पर्धाओं में होनेवाले नियमों के बारे में विस्‍तृत जानकारी दिए।
आज के राष्‍ट्रीयस्‍तर के वेबिनार में 180 से अधिक प्राफेशनल, डॉकटर, ऑडियोलॉजिस्‍ट, दिव्‍यांजन विशेषज्ञ आदि जुड़े हुए थे। यह वेबीनार कल दिनांक 26 फरवरी 2022 को सुवह 11 बजे से जारी रहेगा।

आज के वबीनार का संचालन संदीप कुमार एवं धन्‍यवाद ज्ञापन संतोष कुमार सिन्‍हा द्वारा किया गया

Photos from Sparsh's post 21/03/2022

Down syndrome or Down's syndrome, also known as trisomy 21, is a genetic disorder caused by the presence of all or part of a third copy of chromosome 21. It is usually associated with physical growth delays, mild to moderate intellectual disability, and characteristic facial features.The average IQ of a young adult with Down syndrome is 50, equivalent to the mental ability of an eight- or nine-year-old child, but this can vary widely.
The parents of the affected individual are usually genetically normal.The probability increases from less than 0.1% in 20-year-old mothers to 3% in those of age 45.The extra chromosome is believed to occur by chance, with no known behavioral activity or environmental factor that changes the probability. Down syndrome can be identified during pregnancy by prenatal screening followed by diagnostic testing or after birth by direct observation and genetic testing. Since the introduction of screening, Down syndrome pregnancies are often aborted.
There is no cure for Down syndrome. Education and proper care have been shown to improve quality of life.Some children with Down syndrome are educated in typical school classes, while others require more specialized education. Some individuals with Down syndrome graduate from high school, and a few attend post-secondary education. In adulthood, about 20% in the United States do paid work in some capacity, with many requiring a sheltered work environment. Support in financial and legal matters is often needed. Life expectancy is around 50 to 60 years in the developed world with proper health care. Regular screening for health problems common in Down syndrome is recommended throughout the person's life.
Down syndrome is one of the most common chromosome abnormalities in humans.[8] It occurs in about 1 in 1,000 babies born each year.[1] In 2015, Down syndrome was present in 5.4 million individuals globally and resulted in 27,000 deaths, down from 43,000 deaths in 1990 It is named after British doctor John Langdon Down, who fully described the syndrome in 1866. Some aspects of the condition were described earlier by French psychiatrist Jean-Étienne Dominique Esquirol in 1838 and French physician Édouard Séguin in 1844. The genetic cause of Down syndrome was discovered in 1959.

Photos from Sparsh's post 06/03/2022

21वां झारखण्‍ड राज्‍य स्‍तरीय पैरा एथलेटिक्‍स चैम्पियशिप-2022 का आयोजन के०के० स्‍टेडियम, देवघर में किया गया
दिव्‍यांग पैरा खिलाडि़यों ने दिखाया अपना दम
देवघर 6 मार्च 2022 । पैरालिम्पिक कमिटी ऑफ झारखण्‍ड एवं स्‍पर्श विशेष विद्यालय के संयुक्‍त तत्‍वाधान में आज दिनांक 6 मार्च 2022 को सुव‍ह 10:30 बजे से 21वां झारखण्‍ड राज्‍य स्‍तरीय पैरा एथलेटिक्‍स चैम्पियशिप-2022 (सव-जूनियर, जूनियर एवं सिनियर वर्ग) का आयोजन के०के० स्‍टेडियम, देवघर (झारखण्‍ड) में किया गया। इस चैम्पियनशिप में 100 मी० दौड़, 200 मी० दौड़, 400 मी० दौड़, 800 मी० दौड़, लॉंग जम्‍प, शॉट पुट, डिसकस थ्रो, जेवलीन थ्रो आदि खेलों का आयोजन किया गया। आज के पैरा एथलेटिक्‍स चैम्पियनशि का शुभारम्‍भ श्री संजय कुमार शर्मा (जिला अध्‍यक्ष, झारखण्‍ड मुक्ति मोर्चाख्‍ देवघर) द्वारा दीप प्रज्‍वल्लित कर किया। मौके पर श्री सुगन्‍ध नारायण प्रसाद (खेल निदेशक, झारखण्‍ड पैरा स्‍पोर्ट्स एसोसिएशन), श्री निरंजन कुमार मंडल (सचिव, स्‍पर्श विशेष विद्यालय), श्री लक्ष्‍मीकान्‍त कुमार (खेल प्रशिक्षक), संतोष कुमार सिन्‍हा (प्रोग्राम मैनेजर), हरिमोहन सिंह (खेल प्रशिक्षक), श्री धिरेन्‍द्र कुमार मिश्रा (समाजसेवी), श्री नरेन्‍द्र कुमार राय (दिव्‍यांगजन विशेषज्ञ), शुभम कुमार (टेक्‍नीकल) साथ ही समाजसेवी, खेल विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस राज्‍य स्‍तरीय पैरा एथलेटिक्‍स चैम्पियनशिप में झारखण्‍ड के सभी जिलों से 200 से अधिक दिव्‍यांग (शारीरिक दिव्‍यांग, बौद्धिक दिव्‍यांग, नेत्रहीन, सेरेब्रल पाल्‍सी, बहुदिव्‍यांग) खिलाडि़यों भाग लिया।

Photos from Sparsh's post 05/02/2022

May the freshness of spring, brightness of blossoms bring in your life more joy and positive energy…. Sending you warm wishes on the festive occasion of Basant Panchami.

Photos from Sparsh's post 27/01/2022

Happy Republic Day 2022

24/01/2022

आमंत्रण/ सूचना:
राष्ट्रीय स्तर सी.आर.ई वेबीनार का आयोजन
"स्पर्श" देवघर (झारखण्ड), द्वारा आगामी दिनांक 25 से 27 मार्च 2022, तक भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI), नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त ‘’भारत में दिव्यांगजनों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल’’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर सी. आर. ई.(C.R.E) वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय पुनर्वास परिषद से रजि० पेशेवर, विशेष शिक्षक, रिसोर्स टीचर्स, मनोचिकित्सक, पुनर्वास विशेषज्ञ एवं रिहैब प्रोफेशनल्स भाग ले सकते हैं।
सीटों की संख्या सिमित है इसलिए जल्द से जल्द अपना निबंधन करवा कर इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा ले।
नीचे दिये गये लिंक से निबंधन करें –
https://forms.gle/eVn3QY2LsSdAu8NAA

रजि० फीस – रू० 900/-
NEFT/RTGS Bank Details:
Name : SPARSH
Bank Name: HDFC Bank
Branch : Mahendru
A/C No. : 50200043109336
IFSC Code: HDFC0004710
रजि० एवं विशेष जानकारी हेतु संपर्क करें -
सुगंध नारायण प्रसाद -9472162409 / 9097968279
संतोष कुमार सिन्हा –7991189522
धन्यवाद
स्पर्श, टीचर ट्रेनिंग कॉलेज
विलासी, शिवगंगा, देवघर (झारखण्ड)

Invitation/Information
We would like to informed you that, SPARSH, Deoghar (Jharkhand) organize 3 Days RCI Acceredited National Level CRE Webinar on “Physical Education & Sports for persons with Disabilities in India” Dt. 25th to 27th March 2022 (3 days) (CRR Status Accredited by RCI) through Google meet platform.
Organized by: SPARSH Teacher Training College, Deoghar (Jharkhand)
Mode: Online
Registration Link:
https://forms.gle/eVn3QY2LsSdAu8NAA

Seats are limited. You are cordially invited.
Contact us: 9097968279 / 9472162409

Reg. Fee- INR : 900/- (Only)
NEFT/RTGS Bank Details:
Name : SPARSH
Bank Name: HDFC Bank
Branch : Mahendru
A/C No. : 50200043109336
IFSC Code: HDFC0004710

Photos from Sparsh's post 04/01/2022

विश्‍व लुई ब्रेल दिवस
लुई ब्रेल (4 जनवरी 1809 – 6 जनवरी 1852) फ्रांस के शिक्षाविद तथा अन्वेषक थे जिन्होने दृष्टिहीन लोगों के लिये लिखने तथा पढ़ने की प्रणाली विकसित की। यह पद्धति 'ब्रेल' नाम से जगप्रसिद्ध है। फ्रांस में जन्मे लुई ब्रेल दृष्टिहीन के लिए ज्ञान के चक्षु बन गए। ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों की पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयम भी नेत्रहीन थे।
लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता साइमन रेले ब्रेल शाही घोडों के लिये काठी और जीन बनाने का कार्य किया करते थें। पारिवारिक आवश्यकताओं के अनुरूप पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं होने के कारण साइमन केा अतिरिक्त मेहनत करनी होती थी इसीलिये जब बालक लुइस मात्र तीन वर्ष के हुये तो उनके पिता ने उसे भी अपने साथ घोड़ों के लिये काठी और जीन बनाने के कार्य में लगा लिया। अपने स्वभाव के अनुरूप तीन वर्षीय बालक अपने आस पास उपलब्ध वस्तुओं से खेलने में अपना समय बिताया करता था इसलिये बालक लुइस के खेलने की वस्तुये वही थीं जो उसके पिता द्वारा अपने कार्य में उपयोग की जाती थीं जैसे कठोर लकड़ी, रस्सी, लोहे के टुकडे, घोड़े की नाल, चाकू और काम आने वाले लोहे के औजार। किसी तीन वर्षीय बालक का अपने नजदीक उपलब्ध वस्तुओं के साथ खेलना और शरारतों में लिप्त रहना नितांत स्वाभाविक भी था। एक दिन काठी के लिये लकड़ी को काटते में इस्तेमाल किया जाने वाली चाकू अचानक उछल कर इस नन्हें बालक की आंख में जा लगी और बालक की आँख से खून की धारा बह निकली। रोता हुआ बालक अपनी आंख को हाथ से दबाकर सीधे घर आया और घर में साधारण जडी लगाकर उसकी आँख पर पट्टी कर दी गयी। शायद यह माना गया होगा कि छोटा बालक है सेा शीघ्र ही चोट स्वतः ठीक हो जायेगी। बालक लुइस की आंख के ठीेक होने की प्रतीक्षा की जाने लगी। कुछ दिन बाद बालक लुइस ने अपनी दूसरी आंख से भी कम दिखलायी देने की शिकायत की परन्तु यह उसके पिता साइमन की साघन हीनता रही होगी अथवा लापरवाही जिसके चलते बालक की आँख का समुचित इलाज नहीं कराया जा सका और धीरे धीरे वह नन्हा बालक आठ वर्ष का पूरा होने तक पूरी तरह दृष्टि हीन हो गया। रंग बिरंगे संसार के स्थान पर उस बालक के लिये सब कुछ गहन अंधकार में डूब गया। अपने पिता के चमडे के उद्योग में उत्सुकता रखने वाले लुई ने अपनी आखें एक दुर्घटना में गवां दी। यह दुर्घटना लुई के पिता की कार्यशाला में घटी। जहाँ तीन वर्ष की उम्र में एक लोहे का सूजा लुई की आँख में घुस गया।
यह बालक कोई साधरण बालक नहीं था। उसके मन में संसार से लडने की प्रबल इच्छाशक्ति थी। उसने हार नहीं मानी और फा्रंस के मशहूर पादरी बैलेन्टाइन की शरण में जा पहुंचा। पादरी बैनेन्टाइन के प्रयासों के चलते 1819 में इस दस वर्षीय बालक को ‘ रायल इन्स्टीट्यूट फार ब्लाइन्डस् ’ में दाखिला मिल गया। यह वर्ष 1821 था। बालक लुइस अब तक बारह बर्ष का हो चुका था। इसी दौरान विद्यालय में बालक लुइस केा पता चला कि शाही सेना के सेवानिवृत कैप्टेन चार्लस बार्बर ने सेना के लिये ऐसी कूटलिपि का विकास किया है जिसकी सहायता से वे टटोलकर अंधेरे में भी संदेशों के पढ सकते थे। कैप्टेन चार्लस बार्बर का उद्देश्य युद्व के दौरान सैनिकों को आने वाली परेशानियों को कम करना था। बालक लुइस का मष्तिष्क सैनिकों के द्वारा टटोलकर पढ़ी जा सकने वाली कूटलिपि में दृष्ठिहीन व्यक्तियो के लिये पढने की संभावना ढूंढ रहा था। उसने पादरी बैलेन्टाइन से यह इच्छा प्रगट की कि वह कैप्टेन चार्लस बार्बर से मुलाकात करना चाहता है। पादरी ने लुइस की कैप्टेन से मुलाकात की व्यवस्था करायी। अपनी मुलाकात के दौरान बालक ने कैप्टेन के द्वारा सुझायी गयी कूटलिपि में कुछ संशोधन प्रस्तावित किये। कैप्टेन चार्लस बार्बर उस अंधे बालक का आत्मविश्वाश देखकर दंग रह गये। अंततः पादरी बैलेन्टाइन के इस शिष्य के द्वारा बताये गये संशोधनों को उन्होंने स्वीकार किया।
कालान्तर में स्वयं लुइस ब्रेल ने आठ वर्षो के अथक परिश्रम से इस लिपि में अनेक संशोधन किये और अंततः 1829 में छह बिन्दुओ पर आधारित ऐसी लिपि बनाने में सफल हुये। लुइस ब्रेल के आत्मविश्वाश की अभी और परीक्षा होना बाकी था इसलिये उनके द्वारा आविष्कृत लिपि को तत्कालीन शिक्षाशाष्त्रियों द्वारा मान्यता नहीं दी गयी और उसका माखौल उडाया गया। सेना के सेवानिवृत कैप्टेन चार्लस बार्बर के नाम का साया लगातार इस लिपि पर मंडराता रहा और सेना के द्वारा उपयोग में लाये जाने के कारण इस लिपि केा सेना की कूटलिपि ही समझा गया परन्तु लुइस ब्रेल ने हार नहीं मानी और पादरी बैलेन्टाइन के संवेदनात्मक आर्थिक एवं मानसिक सहयोग से इस शिष्य ने अपनी अविष्कृत लिपि को दृष्ठि हीन व्यक्तियों के मध्य लगातार प्रचारित किया। उन्होंने सरकार से प्रार्थना की कि इसे दृष्ठिहीनों की भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की जाय। यह लुइस का दुर्भाग्य रहा कि उनके प्रयासों को सफलता नहीं मिल सकी और तत्कालीन शिक्षाशाष्त्रियों द्वारा इसे भाषा के रूप में मान्यता दिये जाने योग्य नहीं समझा गया। अपने प्रयासों केा सामाजिक एवं संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिये संर्घषरत लुइस 43 वर्ष की अवस्था में अंततः 1852 में जीवन की लडाई से हार गये परन्त् उनका हौसला उनकी मृत्यु के बाद भी नहीं मरा।
उनका देहान्त ६ जनवरी १८५२ को हुआ। लुइस ब्रेल द्वारा अविष्कृत छह बिन्दुओ पर आधारित लिपि उनकी मृत्यु के उपरान्त दृष्ठिहीनों के मध्य लगातार लोकप्रिय होती गयी। लुइस की मृत्यु की घटना के बाद शिक्षाशाष्त्रियों द्वारा उनके किये गये कार्य की गम्भीरता को समझा जाने लगा और दृष्ठिहीनों के मध्य लगातार मान्यता पाती जा रही लिपि के प्रति अपने पूर्वाग्रहपूर्ण दकियानूसी विचारों से बाहर निकलतें हुये इसे मान्यता प्रदान करने की दिशा में विचारित किया गया। अंततः लुइस की मृत्यु के पूरे एक सौ वर्षों के बाद फ्रांस में 20 जून 1952 का दिन उनके सम्मान का दिवस निर्धारित किया गया। इस दिन उनके ग्रह ग्राम कुप्रे में सौ वर्ष पूर्व दफनाये गये उनके पार्थिव शरीर के अवशेष पूरे राजकीय सम्मान के साथ बाहर निकाले गये। उस दिन जैसे लुइस के ग्राम कुप्रे में उनका पुर्नजन्म हुआ। स्थानीय प्रशासन तथा सेना के आला अधिकारी जिनके पूर्वजों ने लुइस केे जीवन काल में उनकेा लगातार उपेक्षित किया तथा दृष्ठिहीनों के लिये उनकी लिपि को गम्भीरता से न लेकर उसका माखौल उडाया अपने पूर्वजों के द्वारा की गयी गलती की माफी मांगने के लिये उनकी समाधि के चारों ओर इकट्ठा हुये। लुइस के शरीर के अवशेष ससम्मान निकाले गये। सेना के द्वारा बजायी गयी शोक धुन के बीच राष्ट्रीय ध्वज में उन्हें पुनः लपेटा गया और अपनी ऐतिहासिक भूल के लिये उत्खनित नश्वर शरीर के अंश के सामने समूचे राष्ट् ने उनसे माफी मांगी। राष्ट्रीय धुन बजायी गयी और इस सब के उपरान्त धर्माधिकारियों के द्वारा दिये गये निर्देशन के अनुरूप लुइस से ससम्मान चिर निद्रा में लीन होने प्रार्थना की गयी और इसके लिये बनाये गये स्थान में उन्हें राष्ट्रीय सम्मान के साथ पुनः दफनाया गया। सम्पूर्ण वातावरण ऐसा अनुभव दे रहा था जैसे लुइस पुनः जीवित हो उठे है।
इस प्रकार एक राष्‍ट्र के द्वारा अपनी ऐतिहासिक भूल का प्रायश्चित किया गया परन्तु लूइस द्वारा किये गये कार्य अकेले किसी राष्ट्र के लिये न होकर सम्पूर्ण विश्व की दृष्ठिहीन मानव जाति के लिये उपयोगी थे अतः सिर्फ एक राष्ट् के द्वारा सम्मान प्रदान किये जाने भर से उस मनीषी को सच्ची श्रद्वांजलि नहीं हो सकती थी। विगत वर्ष 2009 में 4 जनवरी को जब लुइस ब्रेल के जन्म को पूरे दो सौ वर्षों का समय पूरा हुआ तो लुई ब्रेल जन्म द्विशती के अवसर पर हमारे देश ने उन्हें पुनः पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जब इस अवसर पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।
यह शायद पहला अवसर नहीं है जब मानव जाति ने किसी महान आविष्कारक के कार्य को उसके जीवन काल में उपेक्षित किया और जब वह महान आविष्कारक नहीं रहे तो उनके कार्य का सही मूल्यांकन तथा उन्हें अपेक्षित सम्मान प्रदान करते हुये अपनी भूल का सुधार किया। ऐसी परिस्थितियां सम्पूर्ण विश्व के समक्ष अक्सर आती रहती हैं जब किसी महान आत्मा के कार्य को समय रहते ईमानदारी से मूल्यांकित नहीं किया जाता तथा उसकी मृत्यु के उपरान्त उसके द्वारा किये गये कार्य का वास्तविक मूल्यांकन हो पाता है। ऐसी भूलों के लिये कदाचित परिस्थितियों को निरपेक्ष रूप से न देख पाने की हमारी अयोग्यता ही हो सकती है।

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