Nand army
दलित पिछड़ो गरीबों शोषितों वचितों को इतना जागरूक करों कि वह अपने अधिकार छीन लें
जिस मूर्ख को यह ना मालूम हो, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है, वह मूर्ख देश की जनता का भविष्य बता रहा है। उनकी समस्याएं बता रहा है
अंधभक्तों के अनुसार तो यह भी दावा किया जा रहा है कि वह इंग्लैंड में डंका बजा रहा है
लोग भी इतने अंधभक्त हैं कि उसकी जय जयकार कर रहे हैं
यह पाखंडी लोगों की पूरी डिटेल पहले ही अपने गुरुओं द्वारा ले लेता है उसके बाद परेशान निकलता है और कुछ लोग इसी के एजेंट होते हैं पंडाल में बैठ जाते हैं ताकि वह है भोली भाली जनता को मूर्ख बना सके
OBC Dastak - ओबीसी दस्तक
कांग्रेस और बीजेपी दोनों की विचारधारा एक है. यह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
हमारे लोग गुमराह होकर इन दोनों पार्टियों में से किसी एक को सत्ता पर विराजमान कर देते है।
जब तक केंद्र की सत्ता पर फूले,साहू,अंबेडकर, कर्पूरी,की विचारधारा नहीं होगी तब तक समाजिक बराबरी नहीं मिलेगी तुमको
OBC Dastak - ओबीसी दस्तक ✍️
1976 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल के समय लोकसभा का कार्यकाल पांच साल के बदले छह साल कर दिया था,
इसके विरोध में दो ही सांसदों ने इस्तीफ़ा दिया था, एक थे मधुलिमये और दूसरे थे शरद यादव."
इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं शरद यादव लोकतंत्र में कितनी आस्था रखते थे
OBC Dastak - ओबीसी दस्तक
व्यक्ति को तथागत गौतम बुद्ध को पढ़ना बहुत जरूरी है, चाहे वह किसी भी धर्म मजहब का क्यों न हो।
बुद्ध के विचार ही हिंसा को खत्म कर सकते है, और हिंसा का खत्मा मानव जीवन के लिये वरदान होगा
OBC Dastak - ओबीसी दस्तक ✍️
धर्म के ठेकेदारों को सच्चाई हजम नहीं हो रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने जो भी बोला है। सही बोला है
जितने भी बड़े और चर्चित मंदिर हैं। अधिकतर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।
धर्म के ठेकेदार जवाब दें सम्राट अशोक ने 84,000 बौद्ध स्तूप बनाए थे आखिर वह कहां है? बहुजन समाज मौर्य जी के साथ है
OBC Dastak - ओबीसी दस्तक
नाग ,पंच शील ,बुद्ध ,
और #नागपंचमी की सच्चाई।
आज का यह त्योहार जिसे नाग पंचमी से जाना जाता है ।
यह #नागवंशियो का बड़ा त्योहार माना जाता है। लेकिन आर्यो की राजनैतिक चालाकी से #मूलनिवासी इसे साँप -सपेरों से जोड़कर देखते है।
_____________ क्योंकि नाग वंशियो को तोड़कर कर ही आर्यो ने इन्हें पराजित किया।
और भगवान का डर दिखाकर खुद का संरक्षक भी बना लिया। नाग का मतलब में सिर्फ़ सांप नहीं होता बल्कि नागवंश भारत में एक प्रमुख वंश था नाग पंचमी का #बुद्ध_सभ्यता में भी बड़ा महत्व है ।
बुद्ध सभ्यता में नागपंचमी या नागपंचशील सावन के महीने में गौतम बुद्ध के समय से मनाया जाता है ।सावन के महीने में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि भारत के प्राचीन समय में साल मापने का पैमाना वर्षा वास से किया जाता था ।
आज भी जो हम एक साल को एक वर्ष कहते है वह उसी वर्षा वास से आया है । वर्षा वास शुरू होने लेकर अग़ला वर्षावास शुरू होने तक को एक साल कहते थे । जैसे कि कोई पूछता है की कितने वर्ष के आप हो गए तो उससे आशय होता है की कितने वर्षावास के आप हो गए ।
___________ प्राचीन समय में वर्षा वास के समय बुद्ध भिक्खु एक ही जगह रुकते थे और भ्रमण नहीं करते थे ।पूरा वर्षावास एक ही जगह रुक कर पूरे सावन में पंचशील का पालन करते थे ।
नाग पंचमी या नाग पंचशील प्राचीन समय से ही जब सावन महीना शुरू होता है और चंद्रमा जब बढ़ना शुरू होता है तो उसके पाँचवें दिन यह #उत्सव सामूहिक रूप से घर घर मनाया जाता था ।
नाग पंच शील का मतलब है , नाग,पंच , शील और उसका उत्सव ।
नाग जाति का बुद्ध से गहरा नाता है नाग जाति के राजाओं ने बुद्ध को सुरक्षा प्रदान की थी ।
इसलिए बुद्ध की कई मूर्तियाँ मिली है जिसमें #बुद्ध के सिर के ऊपर नाग की क्षत्र छाया के रूप में पाँच या सात मुँह वाले नाग दिखाई देते है ।
इन नागों को भी आर्यों ने अपनी धार्मिक किताबों में शेष नाग बता कर उसका असली महत्व ही ख़त्म कर दिया . आर्यों ने शेष नाग को बहुत बड़ा और पाँच या सात मुँह वाला सांप दिखा दिया ।
जबकि शेषनाग का पूरा नाम शेषदात नाग था। उनके पूरे नाम की जानकारी हमें #ब्रिटिश_म्यूजियम में रखे सिक्कों से मिलती है।
शेषनाग ने विदिशा को राजधानी बनाकर 110 ई.पू. में शेषनाग वंश की नींव डाली थी।
शेषनाग की मृत्यु 20 सालों तक शासन करने के बाद 90 ई. पू. में हुई। उसके बाद उनके पुत्र भोगिन राजा हुए, जिनका शासन – काल 90 ई. पू. से 80 ई. पू. तक था।
फिर चंद्राशु ( 80 ई. पू. – 50 ई. पू. ) , तब धम्मवर्म्मन ( 50 ई. पू. – 40 ई. पू. ) और आखिर में वंगर ( 40 ई. पू. – 31ई. पू. ) ने शेषनाग वंश की बागडोर संभाली।
शेषनाग की चौथी पीढ़ी में वंगर थे। इस प्रकार शेषनाग वंश के कुल मिलाकर पाँच राजाओं ने कुल 80 सालों तक शासन किए।
इन्हीं पाँच नाग राजाओं को पंचमुखी नाग के रूप में बतौर बुद्ध के रक्षक मुंबई की कन्हेरी की गुफाओं में दिखाया गया है।
शेशनाग दत्त,भोगिन,,चंद्रानशु ,धम्मवर्मन और वंगर इन्हीं पाँच नाग राजाओं को बुद्ध प्रतिमा में दिखाया गया है ।
कुछ बुद्ध की प्रतिमाओं के रक्षक सातमुखी नाग हैं,
ओड़िसा के खुर्दा जिले के गोविंदपुर गाँव से बुद्ध की जो प्रतिमा मिली है और जिस प्रतिमा की रक्षा सातमुखी नाग कर रहे हैं, वह सातमुखी नाग वस्तुतः नाग वंश के सात राजाओं के प्रतीक हैं।
पर आज जो नाग पंचमी मनाई जाती है
उसे पूरी तरह से साँपो से जोड़ दिया गया है , #काल्पनिक_कहानियों से जोड़ दिया गया है।
इसे इसी बात से समझिए कि #वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है की कोई भी रेपेटाईल यानी रेंगने वाले प्राणी दूध नहीं पी सकते ।उनकी शरीर की बनावट ऐसी है अगर वह दूध पिएँगे तो साँस घुटने से मर जाएँगे ।
पर हम लोग सदियों से सांप को जबरजसती दूध पिलाते आ रहे है जिससे आर्यों द्वारा बनाई गई कहानी को सच मानते है और भारत देश के असली इतिहास को हम भुला देते है ।
हक़ीक़त यही है की नाग भारत में एक शक्तिशाली वंश था जिसके वंशज आजके अधिकतर SC/ST और OBC है । इतिहास यह है की भारत के बड़े भाग पर नगवंशिय राजाओं का शासन था । कुछ सबूत हमें आज भी मिलते है जगह के नाम से जैसे अनंत नाग , नागालैंड और नागपुर जैसे शहर ।यही नाग लोग पंच शील को एक महोत्सव के रूप में मनाते थे
जिसे नाग पंच शील महोत्सव कहते थे जिसे अब नागपंचमी बता कर कई काल्पनिक कहानियों से जोड़ दिया गया है ।
सच इतिहास यही है की नाग शब्द भारत की मूलनिवासी मानव जाति हैं। जिसे #आर्यो ने अपने आगमन के बाद इन्हें जीव जंतु बना दिया । ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि नाग वंश, साँप जैसे जन्तुओ की वंश परंपरा है। हालांकि कई प्रसंग #पौराणिक_कथाओं में मिलता है की नाग कन्या का विवाह फला राजा से हुई। इसका मतलब की कन्या लड़की थीं जो मानव जाति से है।
लेकिन आर्यों ने पूरी नागवंश की ऐतिहासिकता को मिटाने का षणयंत्र रचा रखा है। और आज की नाग पंचमी मनाने के तरीक़े से यह षड्यंत्र अभी तक क़ायम है ।
अब समय आ गया है की हम नाग और नाग पंचमी यानी पंचशील के महत्व को समझे और सदियों से चले आ रहे षड्यंत्र को समाप्त करे ।
इतिहास की दास्तान
#ब्राह्मण_की_सच्चाई
एक गरीब ब्राह्मण था वामन, जो राजा बलि का सब कुछ छीनकर इसलिए डकार गया क्योंकि राजा बलि की अच्छाइयों की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई थी।
एक गरीब ब्राह्मण था #विश्वामित्र, वह राजा हरिश्चन्द्र का सब कुछ इसलिए लूट ले गया तथा इसके बच्चे व पत्नी तक को इस कारण बिकवा गया क्योंकि वह सदा सत्य बोलता था।
एक गरीब ब्राह्मण था रामराज्य में, उसे एक पढ़ने-लिखने वाला शूद्र शम्भुक हजम नहीं हुआ। उसे भी साजिश करके मर्यादा पुरुषोत्तम की तथाकथित चादर ओढ़े तत्कालीन राजा राम द्वारा मरवा ही दिया।
एक गरीब ब्राह्मण था #सुदामा, वह मित्रता के पर्दे में श्रीकृष्ण का सब कुछ डकारने ही वाला था कि रुक्मिणी बोल पड़ी और तीसरा हिस्सा ही सही पर कुछ बचाने में #कामयाब हो गई वरना वो तो सफाचट ही करने वाला था।
एक गरीब #ब्राह्मण था परशुराम, जिसने अपने पिता के कहने पर अपनी ही माँ की निर्दयता से गर्दन काट कर हत्या कर दी और अपने सबसे #प्रतिभावान व कुशल शिष्य कर्ण की सभी शिक्षाएँ केवल इसीलिए छीन ली क्योंकि वह बस ब्राह्मण नहीं था।
एक गरीब ब्राह्मण था #द्रोणाचार्य, अपने पिट्ठू चेले अर्जुन को ही अव्वल दिखाने के लिए असल प्रतिभाशाली #एकलव्य को धोखे व मक्कारी से अपंग बना दिया व दूसरे मेधावी कर्ण को जातीय षड्यंत्र से प्रतियोगिता से बाहर करवा दिया।
इस देश में कोई ना कोई तो एक शाश्वत गिरोह है जो 'ब्राह्मण' नाम से समाज के वास्तविक प्रकृष्ट लोगों के साथ पुरातन काल से छल करता आ रहा है। समय-समय पर असल प्रतिभाओं को रौंदता आ रहा है।
उसकी इस दुष्टता के कारण अपना देश अनेक बार विदेशियों का गुलाम हुआ, परन्तु इन्हें कोई शर्म या पश्चाताप नहीं हुआ और ना कभी अपनी कार्यशैली में इन्होंने बदलाव किया।
From the timeline of Ms Laxmi Devi
देखे News 18 की रिपोर्ट
कई जगह दर्ज है की चंद्रगुप्त मौर्य सम्राट महापदम नंद के ही पुत्र थे कई विद्वान भी ऐसा मानते हैं
#बड़ी_मेहनत_से_मिली_है_वीडियो सोचा अपने युवा भाईयो को भी #जागरुक करु की क्या समझा जाता है हम लोगो को अगर शोषण और #अत्याचार के खिलाफ अपनी #आवज नहीं उठाओगे तो कीड़े मकौड़े ही समझे जाओगे
#वीडियो पूरी देखे तब समझ में #आयेगा हमारे OBC,SC, भाईयो को क्या समझा जाता है और नमन करता हूँ ऐसी #वीरागना को जिसने अन्याय और शोषण के खिलाफ बगावत की आज अगर यह #महान महिला आयरन लेडी होती तो न जाने कब की हमारे प्रदेश की #मुख्यमंत्री बन चुकी होती
#पोस्ट_पढ़के_सारी_सच्चाई_सामने_आ_जायेगी
बौद्ध सभ्यता में आर्य #ब्राह्मण_कुटिया में रहते थे. मुग़ल साम्राज्य में आर्य ब्राह्मण अलीशान मकानों में रहने लगे. ब्रिटिश राज में आर्य ब्राह्मण और राजपूत महलों में रहने लगे !
#मुग़ल साम्राज्य और ब्रिटिश राज #ब्राह्मण क्षत्रिय वर्ण के लिए स्वर्ण युग था. मंत्री संत्री सेनापति दरबारी सचिव कवी मनसबदार जागीरदार जमींदार बनकर आम प्रजा का जमकर शोषण और अत्याचार किया !
#मुग़ल दरबार में जितने मुल्ले थे उतने ब्राह्मण क्षत्रिय भी थे. मुग़ल राज में ब्राह्मण #तुलसीदास आराम से लिख रहा था ढोल गवाँर पशु शूद्र और नारी सब ताडन के अधिकारी, इसमें मुग़ल नाम भी जोड़ देता. लेकिन मुग़लों से कोई समस्या नही थी, ब्राह्मणों को समस्या नारी और शूद्र वर्ग के आगे बढ़ने से है !
#मुग़ल_बादशाह_क्रूर होते तो सनातन धर्म को उसी समय खत्म कर देते. लेकिन मुग़ल युग में नदी किनारे घाट बने, #मंदिरों_का_निर्माण हुआ !
#ब्राह्मण समाज में ब्राह्मणों के बड़े नामी संत महात्मा हुए जैसे एक नाम है #चैतन्य महाप्रभु, इनका जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ, अचिंता भेदा अभेधा (वेदांता) दर्शन की नींव डाली. आगे चलकर 19वीं सदी में इसी संस्था के शिक्षा ज्ञान से #प्रभावित होकर ISKCON का जन्म हुआ !
शाहजहां ने अपने दरबार में तेलगु #ब्राह्मण जगन्नाथा को " #पंडितराज" की उपाधि दी थी. फ़्रांसिसी इतिहासकार Francois Bernier (1620 - 1688) ने मुग़ल सचिव दनेशमंद खान की सुरक्षा में भारत का दौरा किया. उन्होंने लिखा भारत देश #सूफी और योगियों का देश है, यहां दो सभ्यता एक नाव में सफर तय करती हैं !
#मुग़ल साम्राज्य को बदनाम कर वर्त्तमान ब्राह्मण सत्ताधारी इतिहास में दर्ज अपने काले कारनामो पर पर्दा डालना चाहते हैं, त्रावणकोर राज्य का ब्राह्मण शासक ने शूद्र स्त्रीयों को शरीर का ऊपरी हिस्सा ढाकने पर पाबंदी लगा दी थी,
#मुग़ल साम्राज्य के किसी #बादशाह ने धर्म जाति वर्ण या लिंग के आधार पर कभी कोई अमानवीय फैसला नहीं दिया !
ब्राह्मणों क्या है वह मुग़ल और ब्रिटिश शासन में खुद को विदेशी घोषित कर चुके था. और जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने का इनका इतिहास है !
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