मंथन - Narendra Goel
जब-जब आप आपा खोते हैं..
~
तब-तब अपनों को भ?
मेरे पिताश्री शिवकुमार गोयल, पत्रकार ने सन् 1959 में ज्ञानवापी में मंदिर और शिवलिंग है, इस बात को लेकर वाराणसी में जाकर सत्याग्रह किया तो उन्हें गिरफ्तार कर 3 महीने जेल में रखा गया। अब जब न्यायालय के आदेश पर जांच हुई तो वहां मंदिर और शिवलिंग मिले। इस बारे में कल बहुत सारे टीवी चैनलों के प्रतिनिधि हमारे घर पधारे और उन्होंने अनिरुद्ध चाचा जी और मेरा इंटरव्यू लिया..
पिताश्री को गोलोकधाम गए हुए 8 वर्ष हो गए,
पिता के न होने से जीवन में जो कमी है, उसे शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है.
उनके चरणों में सादर नमन...
शौहरत, पैसा सब मिला....
प्रधानमंत्री आवास पर आदरणीय अटल जी के साथ..
ओज की कवयित्री प्रियंका राय की कश्मीरी पंडितों के दर्द को लेकर लिखी गई एक अच्छी रचना.... Priyanka rai Omnandini
हद से ज्यादा प्यार करोगे....
ज्यादा रूंठो नहीं, अब किसी से भी......
आदमी अपनी औकात....
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201002
Sahibabad
Ghaziabad, 201005
#My Experiments with Failures-A Psychological Journey of Every Person
40, Arun Enclave, Girdharpur Road, Near GT Road
Ghaziabad, 201002
पहल जो की नवीन हो साथ ही सार्थक भी !
Janakpuri, Sahibabad
Ghaziabad, 201005
ये वो अनसुनी आवाज़ है जो दिल में ही रह गयी, खामोशी भी चुपचाप कुछ चुपचाप कह गयी
Ghaziabad, 201001
*एक सफ़र अनजाना सा* (अनजाने समय के सफ़र की एक रोमांचक एवम् दिलकश दास्ताँ)