Pradeep Mishra
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Computer Market
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It's all about fun & entertainment hope u will enjoy
ये पुल अब मजबूत कर दिया गया है, अब आप गुजर सकते हैं।
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नाम रवि चंद्रन अश्विन ❤️❤️❤️
काम पडोसियो से जीत छीनना 😂😂😂
पंत है तो मुमकिन है !!
पंत को खिलाना जरूरी था इसलिए सैमसन को नहीं खिलाया !! 😂😂
आगे अगर सैमसन को खिलाना भी पड़े तो सूर्या को बिठा देंगे पर पंत जरूर खेलेगा!! 😂😂
वही टीम इंडिया में एक ऐसा प्लेयर है जो भारतीय टीम को उचाइयो तक ले जा सकता है !! 😂😂
अभी तक आपने उनकी अलग अलग नंबर पर शानदार बैटिंग और कीपिंग ही देखी है बोलिंग के गुड भी उनमें मौजूद है !! 😂😂
बीसीसीआई को उसमे भविष्य का कप्तान दिखता है उर्वशी ऐसे ही उसके पीछे नहीं पड़ी है उसे उसमे अपना पति दिखता है !! 😂😂
ऋषभ पंत एक देश के इकलौते प्लेयर है जो सभी फॉर्मेट में फिट बैठते है उनसे पूछ कर ही बीसीसीआई टीम के कोच का सिलेक्शन करती है!! 😂😂
राहुल द्रविण ने एक बार पंत को डाट दिया तो पंत ने उन्हें कोच के पद से हटवा दिया!! 😂😂
सौरव गांगुली भी पंत को पसंद नही करते थे उन्हें भी पंत ने बाहर का रास्ता दिखा दिया!! 😂😂
यही हाल चेतन शर्मा के सेलेक्शन कमेटी के साथ भी किया!! 😂😂
उर्वशी ने उन पर झूठे इल्जाम लगाए तो पंत ने उसे उसकी फिल्मों से निकलवा दिया !! 😂😂
पंत अब आगे आईपीएल में भीं अपना जलवा दिखाएंगे एक बार शुरू होने दीजिए !! 😂😂
#सूर्या #प्रदीपमिश्र
Pradeep Kumar
रोहित तुम्हे रोने का हक़ नही है !!
वर्ल्ड कप जीतने के लिए आप के सिर्फ खिलाड़ी अच्छे होने से काम नही चलता, टीम मैनेजमेंट के साथ साथ क्रिकेट के सभी गुणों के साथ जीत का जज्बा होना भी जरूरी है फिर आप के खेलने में थोड़ी कमी हो तो भी चलेगा
इस समय की टीम इंडिया के कोच के साथ साथ कप्तान भी शांत स्वभाव के है जिनके बॉडी लैन्वेज से पता चल जाता है कि आप पर दबाव है
यही हाल पाकिस्तान क्रिकेट टीम का था एक समय जब शोएब मलिक पाकिस्तान के कप्तान थे अच्छे प्लेयर्स के वावजूद वो अपनी कप्तानी में कुछ नही कर पाए
शोएब की शक्ल देख के पता चल जाता था कि अब टीम हारने वाली है
★★★★★★★★
मैं बहुत बड़ा जानकार तो नही और ना ही मेरे सलाह देने से कोई फ़र्क पड़ने वाला है पर कप्तान को धोनी की तरह कूल होना चाहिए
आप के चेहरे पर ना बहुत ज्यादा उत्तेजना न ही बहुत दुख मतलब आप कह सकते है कि आप यानी खाशकर कप्तान को म्योचोरनेस दिखाना जरूरी होता है, छपरियो के तरह उछल कूद नही करना होता खैर
धोनी कोई बहुत अच्छा बैट्समैन ना होने के वावजूद भी मैच को जिताना जानता था साम दाम दण्ड भेद किसी भी तरह उसमे जीत की ललक होती थी और जीत मिलती भी थी
दूसरी बात जब आप कि गिरफ्त से मैच जा रहा हो तो आप उसी तरीके पे नही चल सकते
अजहर से लेकर गांगुली तक ने अपनी कप्तानी में ऐसे बौलर्स से बोलिंग कराई है जो कभी बोलिंग नही करते थे और उन्होने विकेट भी दिलवाई और जीत भी
अजय जडेजा,सचिन, सहवाग, युवराज गांगुली ये लो लोग रेगुलर बॉलर नही थे पर बीच मे आ के पार्टनर शिप ब्रेक की है और जीत भी दिलाई है
★★★★★★
जब आप हार रहे हो तो आप को हर बदलाव करने चाहिए पर वही बनाये गए नियमो के साथ जब आप खेलोगे तो पिटोगे ही,
हमसे ज्यादा आप क्रिकेटर्स को पता होगा कि आज सबकी कमियों पर बैट्समैन फोकस करके उस पर हमला करते है इतनी टैक्नीक आ चुकी है कि आप के एक एक बौलर्स पर पूरी स्टडी करके ही टीम खेलने उतरती है
तो आप ऐसे बड़े मैच के लिए एक दो ऐसे प्लेयर क्यो नही रख लेते जो सरप्राइज एलिमेंट हो सामने वाली विपक्षी टीम के लिए
टीम से निकाल देंना सोल्यूशन नही है ना ही मैच के बाद रोना, आँशु दिखाने के लिए नही तुम पर करोड़ो खर्च किये जाते ढंग का खाना नही मिलता तो कम्प्लेन करते हो ना 135 करोड़ देश वासियों को जब ऐसा मैच देखने को मिलता है तो उनका भी कंप्लेन करना बनता है
खैर आईपीएल अभी दूर है पर 18 नवम्बर से फिर से अग्नि परीक्षा है न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में राहुल द्रविण तो होंगे नही लक्ष्मण से काम चलाना पड़ेगा तो ध्यान रहे वर्ल्ड कप तो मिला नही वहाँ भी नाक मत कटवाना नही तो वो दिन दूर नही जब इंडियंस आइपीएल बॉयकॉट का ट्रेंड कराने लगेंगे!!
★★★★★★★★★
खैर ऐसे ही बैठा था कोई और टॉपिक नही मिला तो लिख दिया वैसे भी कौन पढ़ता है और जो पढ़ता भी है उसके पढ़ने न पढ़ने से क्या फर्क पड़ता है
हमे तो आदत है 1995 से ऐसे बहुत से मैच देखे है इंडिया में हो रहा होता तो बोतले फेक कर मैच रूकवा देते पर ऐसी शर्मनाक हार नही देखते !!
सुनो अब हम उस आशिक़ की तरह हो चुके है जो कई बार बेवफाई झेल चुका है उसे अब फ़र्क नही पड़ता उसके आने या दूसरी के जाने से! वो दिल ही नही लगाता हम भी नही लगाते पर औरो के दर्द समझते है!
तुम नही समझते ना क्योकि तुमने फैन बनकर मैच नही देखा ना, तुम सिर्फ खेलना जानते हो और तुम व्यापारी हो चुके हो ! तुम्हे रनों से पैसा मिलता है हमे नही हम तो देशभक्त और तुम्हारे फैन है ना, इसलिए हमें दुख होता है ,
हम रो सकते है तुम नही !!
Pradeep Mishra
😂😂😂😂😂
थाईलैंड
की एक होटल कंपनी
के मालिक ने,
अपने ग्राहकों के सामने
एक शर्त रखी
कि मगरमच्छों से भरे तालाब में
जो आदमी मगरमच्छों से बचकर
बाहर निकल जाएगा
😂😂😂😂😂
उसको 5 करोड रुपए इनाम के तौर पर दिया जाएगा
और
अगर उस आदमी को मगरमच्छ ने खा लिया
तो उसके परिवार को दो करोड रुपया दिया जाएगा !
😁😁😁😉😉
यह सुनकर सभी लोग भयभीत हो गए !
किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि
वह तालाब में कूद सके !
🤡🤡🤡😁😁😁
तभी एक जोरदार आवाज आती है...........
लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया,
यह क्या,
किसी आदमी ने तालाब में छलांग लगा दी थी !
😁😉😁😁😁
लोगों की सांसे थम गई
और सभी लोग उस आदमी की तरफ देखने लगे !
😁😁😁😁😁
वह आदमी पूरी तरह से
तालाब में जद्दोजहद कर रहा था !
😊😁😉😉
बिजली की फुर्ती से,
वह पानी को चीर कर आगे बढ़ रहा था !
सभी लोग उसको बहुत ध्यान से देख रहे थे !
😂😂😂😇😇
अब यह आदमी
मगरमच्छ का निवाला बनेगा !
वह देखो मगरमच्छ उस आदमी के पीछे !
😋😁😁😋😋😋
मगर उस आदमी ने हिम्मत नहीं हारी
वह पूरी तरह जद्दोजहद कर रहा था बाहर निकलने की !
तभी वह आदमी पानी को चीरता हुआ,
दूसरे किनारे से बाहर निकल जाता है !
😊😊😁😁😁
उस आदमी को
पूरी तरह सांस भी नहीं आ रही थी !
सभी लोग भाग कर उसकी तरफ गए !
लोगों ने ताली बजाना शुरू कर दिया !
😊😉😉😊😎
जब उस आदमी को
थोड़ा होश आया
और उसे पता चल गया
कि वह करोड़पति बन गया है,
उसके मुंह से पहली आवाज निकली,
''पहले यह बताओ मुझे धक्का किसने दिया था ?''
😁😁😁😁😉
तभी तलाब के पास खड़ी भीड़ में,
एक औरत ने हाथ खड़ा किया !
😊😁😁😉😎
वह औरत,
😊😊😊😊
उस आदमी की बीवी थी !
उसने कहा,
''तुम काम के तो हो नहीं,और वैसे भी बचपन मे तुमने बहुत मगरमच्छ पकड़े है!
अगर बच गए तो 5 करोड़,
मर जाते तो 2 करोड़
दोनों तरफ फायदा तो मुझे ही होना था !''😃😃
😊😊😊😊😊
उसके बाद फिर उन्होंने ने उस औरत की तरफ दुबारा नही देखा और पीछे मुड़ के भी नही !!😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊☺️
मीडिया वालों चीता कैसे बोलता है ये आज पता चल गया बस ये और बता दो कि मोर की तरह आसुंओ से ये प्रेग्नेंट तो हो जाएगी ना ?
एक दौर था.. जब जावेद अख़्तर के दिन मुश्किल में गुज़र रहे थे। ऐसे में उन्होंने साहिर से मदद लेने का फैसला किया। फोन किया और वक्त लेकर उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे।
उस दिन साहिर ने जावेद के चेहरे पर उदासी देखी और कहा, “आओ नौजवान, क्या हाल है, उदास हो?”
जावेद ने बताया कि दिन मुश्किल चल रहे हैं, पैसे खत्म होने वाले हैं।
उन्होंने साहिर से कहा कि अगर वो उन्हें कहीं काम दिला दें तो बहुत एहसान होगा।
जावेद अख़्तर बताते हैं कि साहिर साहब की एक अजीब आदत थी, वो जब परेशान होते थे तो पैंट की पिछली जेब से छोटी सी कंघी निकलकर बालों पर फिराने लगते थे। जब मन में कुछ उलझा होता था तो बाल सुलझाने लगते थे। उस वक्त भी उन्होंने वही किया। कुछ देर तक सोचते रहे फिर अपने उसी जाने-पहचाने अंदाज़ में बोले, “ज़रूर नौजवान, फ़कीर देखेगा क्या कर सकता है”
फिर पास रखी मेज़ की तरफ इशारा करके कहा, “हमने भी बुरे दिन देखें हैं नौजवान, फिलहाल ये ले लो, देखते हैं क्या हो सकता है”, जावेद अख्तर ने देखा तो मेज़ पर दो सौ रुपए रखे हुए थे।
वो चाहते तो पैसे मेरे हाथ पर भी रख सकते थे, लेकिन ये उस आदमी की सेंसिटिविटी थी कि उसे लगा कि कहीं मुझे बुरा न लग जाए। ये उस शख्स का मयार था कि पैसे देते वक्त भी वो मुझसे नज़र नहीं मिला रहा था।
साहिर के साथ अब उनका उठना बैठना बढ़ गया था क्योंकि त्रिशूल, दीवार और काला पत्थर जैसी फिल्मों में कहानी सलीम-जावेद की थी तो गाने साहिर साहब के। अक्सर वो लोग साथ बैठते और कहानी, गाने, डायलॉग्स वगैरह पर चर्चा करते। इस दौरान जावेद अक्सर शरारत में साहिर से कहते, “साहिर साब ! आपके वो दौ सौ रुपए मेरे पास हैं, दे भी सकता हूं लेकिन दूंगा नहीं” साहिर मुस्कुराते। साथ बैठे लोग जब उनसे पूछते कि कौन से दो सौ रुपए तो साहिर कहते, “इन्हीं से पूछिए”, ये सिलसिला लंबा चलता रहा।
साहिर और जावेद अख़्तर की मुलाकातें होती रहीं, अदबी महफिलें होती रहीं, वक्त गुज़रता रहा।
और फिर एक लंबे अर्से के बाद तारीख आई 25अक्टूबर 1980की। वो देर शाम का वक्त था, जब जावेद साहब के पास साहिर के फैमिली डॉक्टर, डॉ कपूर का कॉल आया। उनकी आवाज़ में हड़बड़ाहट और दर्द दोनों था। उन्होंने बताया कि साहिर लुधियानवी नहीं रहे। हार्ट अटैक हुआ था। जावेद अख़्तर के लिए ये सुनना आसान नहीं था।
वो जितनी जल्दी हो सकता था, उनके घर पहुंचे तो देखा कि उर्दू शायरी का सबसे करिश्माई सितारा एक सफेद चादर में लिपटा हुआ था। वो बताते हैं कि ''वहां उनकी दोनों बहनों के अलावा बी. आर. चोपड़ा समेत फिल्म इंडस्ट्री के भी तमाम लोग मौजूद थे। मैं उनके करीब गया तो मेरे हाथ कांप रहे थे, मैंने चादर हटाई तो उनके दोनों हाथ उनके सीने पर रखे हुए थे, मेरी आंखों के सामने वो वक्त घूमने लगा जब मैं शुरुआती दिनों में उनसे मुलाकात करता था, मैंने उनकी हथेलियों को छुआ और महसूस किया कि ये वही हाथ हैं जिनसे इतने खूबसूरत गीत लिखे गए हैं लेकिन अब वो ठंडे पड़ चुके थे।''
जूहू कब्रिस्तान में साहिर को दफनाने का इंतज़ाम किया गया। वो सुबह-सुबह का वक्त था, रातभर के इंतज़ार के बाद साहिर को सुबह सुपर्द-ए-ख़ाक किया जाना था। ये वही कब्रिस्तान है जिसमें मोहम्मद रफी, मजरूह सुल्तानपुरी, मधुबाला और तलत महमूद की कब्रें हैं। साहिर को पूरे मुस्लिम रस्म-ओ-रवायत के साथ दफ़्न किया गया। साथ आए तमाम लोग कुछ देर के बाद वापस लौट गए लेकिन जावेद अख़्तर काफी देर तक कब्र के पास ही बैठे रहे।
काफी देर तक बैठने के बाद जावेद अख़्तर उठे और नम आंखों से वापस जाने लगे। वो जूहू कब्रिस्तान से बाहर निकले और सामने खड़ी अपनी कार में बैठने ही वाले थे कि उन्हें किसी ने आवाज़ दी। जावेद अख्तर ने पलट कर देखा तो साहिर साहब के एक दोस्त अशफाक साहब थे।
अशफ़ाक उस वक्त की एक बेहतरीन राइटर वाहिदा तबस्सुम के शौहर थे, जिन्हें साहिर से काफी लगाव था। अशफ़ाक हड़बड़ाए हुए चले आ रहे थे, उन्होंने नाइट सूट पहन रखा था, शायद उन्हें सुबह-सुबह ही ख़बर मिली थी और वो वैसे ही घर से निकल आए थे। उन्होंने आते ही जावेद साहब से कहा, “आपके पास कुछ पैसे पड़ें हैं क्या? वो कब्र बनाने वाले को देने हैं, मैं तो जल्दबाज़ी में ऐसे ही आ गया”, जावेद साहब ने अपना बटुआ निकालते हुआ पूछा, ''हां-हां, कितने रुपए देने हैं'' उन्होंने कहा, “दो सौ रुपए"..
साभार - Kavya - काव्य
कृप्या पूरा पढ़े
वो अपने गड़ासे को पत्थर पर बार बार रगड़े जा रहा था और बड़बड़ा रहा था आज इनकों छोड़ूंगा नही रोज रोज का मज़ाक बना रखा है जब देखो मुँह उठा कर आ जाती है इन्हें सिर्फ़ मेरा ही खेत दिखता है एक तो ढंग की फसल नही होती सबकुछ इतना महंगा है खाद पर 18% GST दो बरसात होती नही ट्यूबवेल से पानी दो पर इन्हें क्या मुँह उठा के आ जाते है
बगल में उसने दो बकरियां बाधी हुई थी उसी पर वो अपनी नाराजगी जता रहा था और अपने गड़ासे को धारदार बना रहा था बार बार बकरियों की तरफ देख रहा था बकरियां सहमी सी खड़ी थी कि आज तो लगता है ये पका कर ही छोड़ेगा
इतने पर वहाँ एक अधेड़ उम्र का फकीर की तरह दिखने वाला व्यक्ति आता है जैसे ही वो किसान से कहता है तनिक सुनो इतने में गड़ासा हाथ से छूटकर किसान के पैर पर गिरता है उसके पैर का अंगूठा पूरा कटते कटते बचता है
खूंन निकल रहा है फकीर अपने गमछे के कपड़े से किसान के अंगूठे को पट्टी करता है और पुछता है इतना नाराज क्यो हो भाई?
किसान बोलता है मेरा ये धान का खेत है सिर्फ दो बीघे जमीन है उसी पर खेती करता हूँ पर पता नही कौन कमबख्त अपनी बकरियां छोड़ देता है जो मेरा पूरा खेत रौंद देती है आज इन्हें नही छोडूंगा आज काट कर खाऊंगा
फ़क़ीर कहता है बेशक खाना चाहिए मगर एक बात बताओ तुम्हे भगवान ने हाथ पैर दिमाग बुद्धि दी हुई है तुम्हारा खेत या फ़सल नष्ट भी हो जाए तो भी तुम मेहनत मजदूरी करके जीवित रहोगे ना, पर ये तो बेजुबान जानवर है इन्हें क्या पता कि किसका खेत है कहाँ खाना है कहाँ नही इसलिए गुस्सा त्याग दो देखो गुस्से में उठाये गए कदम गलत होते है गुस्से के कारण ही तुम्हारा अंगूठा कटा
किसान को बाते कुछ कुछ समझ मे आई फिर फ़क़ीर बोला कि छोड़ दो इन बेजुबान जानवरो को
किसान वैसा ही करता है बकरियां भाग जाती है बाद में फकीर भी चला जाता है किसान भी अपने पाप से बच जाने पर ख़ुशी ख़ुशी घर जा रहा होता है तो रास्ते मे किसान को एक उसका मित्र मिलता है और पुछता है कि चोट कैसे लग गई?
किसान उसे सारी बात बताये इस से पहले ही उसका मित्र बोलता है कि फ़क़ीर ने कहा कि तुम्हे भगवान ने हाथ पैर दिमाग बुद्धि दी हुई है तुम्हारा खेत या फ़सल नष्ट भी हो जाए तो भी तुम मेहनत मजदूरी करके जीवित रहोगे ना ये तो बेजुबान जानवर है इन्हें क्या पता कि किसका खेत है कहाँ खाना है कहाँ नही इसलिए गुस्सा त्याग दो देखो गुस्से में उठाये गए कदम गलत होते है
किसान ने उत्सुकता बस कहा हां पर तुम्हे कैसे पता?
मित्र ने जबाब दिया
अरे वो फ़क़ीर नही चरवाहा है मैंने भी उसकी तीन बकरियां पकड़ी थी मुझे भी वो यही ज्ञान दे के छुड़वा ले गया था :p
ज्ञान जहाँ से भी मिले बटोर लो पर पहले खुद को टटोल लो !!
Pradeep Mishra
शक्तिमान के VFX पर तालिया बजाने वाले गंगाधर के बच्चे ब्रह्मस्त्र के VFX का मजाक उड़ा रहे है !!
पाकिस्तानियो को मारना पीटना गलत है मैं इसकी निंदा करता हूँ
जब लिखने से काम हो जाता है तो मारना क्यो?
Teacher's Day
कल का मैच जो नही देख पाए वो यहाँ हाइलाइट्स देख सकते है !!
क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो
रामायण की कथा पढ़ी जाए और जब उसी किताब में लिखे
शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण भागवत की कथा सुनाई दे।
जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित
ग्रन्थ राघवयादवीयम् ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ
को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है।
पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में
पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन
कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60
श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव
(राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है
राघवयादवीयम। उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥
अर्थातः मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं जो
जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी
सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।
विलोमम्
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
अर्थातः मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के
चरणों में प्रणाम करता हूं जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ
विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।
राघवयादवीयम के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं
राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥
विलोमम्
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥
विलोमम्
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥
कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥
विलोमम्
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥
रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥
विलोमम्
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥
यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥
विलोमम्
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥
विलोमम्
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥
रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥
विलोमम्
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥
सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।
साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥
विलोमम्
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।
यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥
सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥
विलोमम्
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥
तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥
विलोमम्
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥
विलोमम्
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥
विलोमम्
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥
विलोमम्
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥
विलोमम्
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥
विलोमम्
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥
विलोमम्
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७॥
विलोमम्
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥
विलोमम्
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥
विलोमम्
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥
विलोमम्
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।
हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥
विलोमम्
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥
विलोमम्
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।
हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।
तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥
विलोमम्
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।
जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।
तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥
विलोमम्
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।
तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।
राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥
विलोमम्
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।
निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।
तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥
विलोमम्
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।
हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।
तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥
विलोमम्
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।
सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।
चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥
विलोमम्
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।
सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।
रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥
विलोमम्
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।
कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥
विलोमम्
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥
॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री राघव यादवीयं समाप्तम् ॥
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