Justice Paramount
न्याय सर्वोपरि
Nisha Tanwar Advocate
दिल्ली हाईकोर्ट के लिए हम तैयार हैं 🧑⚖️🧑⚖️⚖️⚖️
वास्तविक आत्मरक्षा के मामले में 302 IPC (हत्या) का मुकदमा असंवैधानिक है। हम साबित कर देंगे और आरोपी को रिहा करा लेंगे।
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निशा तंवर अधिवक्ता
न्याय सर्वोपरि
अदिती सिंह (लीगल मैनेजर)
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Nisha Tanwar Advocate
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Lunch 😋😋😋 🌶️🌶️🌶️🍯🍯🍯🍽️🍽️🍽️
➡️ सतपाल तंवर पर दर्ज FIR रद्द करने की याचिका पर चंडीगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
➡️ शिकायतकर्ता की मृत्यु की अवस्था में उसके परिवार का कोई सदस्य प्रतिनिधित्व करेगा
➡️ भीम सेना के चीफ नवाब सतपाल तंवर के मामले में शिकायतकर्ता के प्रतिनिधि को जवाबी पार्टी बनाने का आदेश दिया
चंडीगढ़। सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ ने अपना अहम फैसला सुनाया है। माननीय जस्टिस संजीव बेरी की अदालत ने यह अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि यदि केस ट्रायल के दौरान शिकायतकर्ता की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार का कोई सदस्य उसके प्रतिनिधि के तौर पर केस में शिकायतकर्ता की भूमिका निभा सकता है। केस को इस आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता कि शिकायतकर्ता की मृत्यु हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को भीम सेना के चीफ नवाब सतपाल तंवर की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुनवाई की। वर्ष 2018 में फरीदाबाद के डबुआ थाने में सतपाल तंवर के खिलाफ आईपीसी की धारा 148, 149, 506 और 295ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले में पुलिस ने सतपाल तंवर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। यह एफआईआर शिकायतकर्ता हाजी कमरुद्दीन की तरफ से अनजान लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई थी। बाद में शिकायतकर्ता हाजी कमरूदीन जिला एवं सत्र न्यायालय फरीदाबाद में पेश हुए और कहा कि इस मामले में नवाब सतपाल तंवर को पुलिस ने गलत गिरफ्तार किया है जिनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद शिकायतकर्ता हाजी कमरुद्दीन पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में भी पेश हुए और कहा कि सतपाल तंवर इस मामले में दोषी नहीं है। जिला न्यायालय फरीदाबाद और चंडीगढ़ हाईकोर्ट में हाजी कमरुद्दीन ने सतपाल तंवर के पक्ष में अपने बयान भी दर्ज कराए थे और हलफनामा भी लिखकर दिया था। इसी आधार पर सतपाल तंवर ने एफआईआर को फर्जी और झूठी बताते हुए चंडीगढ़ हाईकोर्ट का रुख किया था और एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन सुनवाई के दौरान ही शिकायतकर्ता हाजी कमरुद्दीन की मृत्यु हो गई थी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सतपाल तंवर खुद इस मामले में पेश हुए थे। सतपाल तंवर की तरफ से एडवोकेट अश्विनी नागरा, निशा तंवर एडवोकेट, माला सिंह एडवोकेट, विकास नागरा एडवोकेट, प्रदीप सिंहमार एडवोकेट आदि पेश हुए और अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। वहीं शिकायतकर्ता हाजी कमरुद्दीन की तरफ से एडवोकेट सलीम अहमद पेश हुए। सतपाल तंवर और उनके अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता कमरुद्दीन की मृत्यु हो चुकी है ऐसे में केस को चलाया जाना कानून हित में नहीं होगा। अपनी मृत्यु से पहले हाजी कमरुद्दीन माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय फरीदाबाद में अपना बयान दर्ज करा गया है और हलफनामा भी लिखकर दे गया है। वहीं माननीय हाईकोर्ट में भी शिकायतकर्ता में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना हलफनामा प्रस्तुत कर दिया है। वह इस मामले में आगे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहता था। सतपाल तंवर पूरी तरह से निर्दोष है जिसे पुलिस ने राजनीतिक साजिश के तहत गलत तरीके से आरोपी बनाया है।
इस पर महिला DAG हरियाणा एडवोकेट गगनदीप कौर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि बेशक शिकायतकर्ता की मृत्यु हो चुकी है। इस आधार पर मामले को खत्म नहीं किया जा सकता। बेशक वो अपनी गवाही दे गया और हलफनामा दे गया है लेकिन उसकी प्रामाणिकता के लिए शिकायतकर्ता का पारिवारिक प्रतिनिधि या हरियाणा सरकार मामले में पेश हो सकते हैं। सिर्फ मृत्यु को आधार मानकर केस को खत्म नहीं किया जा सकता जब तक ये स्पष्ट ना हो जाए कि शिकायतकर्ता के कानूनी पारिवारिक प्रतिनिधि को कोई आपत्ति नहीं है। इस पर शिकायतकर्ता के वकील सलीम अहमद ने अदालत को बताया कि हाजी कमरुद्दीन इस केस को आगे नहीं बढ़ाना चाहता था और माननीय न्यायालय में आकर अपना पक्ष रख चुका है।
शिकायतकर्ता, सरकार और बचाव पक्ष तीनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माननीय जस्टिस संजीव बेरी ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता सतपाल तंवर को आदेश दिया कि वह अपनी इस याचिका को वापिस लेकर एक महीने के भीतर नए सिरे से याचिका दाखिल करे और शिकायतकर्ता के पारिवारिक प्रतिनिधि उसके बेटे को बेंच के समक्ष प्रस्तुत करे। माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि शिकायतकर्ता हाजी कमरुद्दीन के बेटे पारिवारिक प्रतिनिधि के तौर पर अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखे। अदालत के आदेश पर सतपाल तंवर पक्ष के वकीलों ने याचिका को वापिस लेते हुए अदालत को भरोसा दिया कि वे नए सिरे से अदालत के समक्ष याचिका दाखिल करेंगे और शिकायतकर्ता के प्रतिनिधि उनके बेटे को अदालत के समक्ष पेश करेंगे।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में FIR Quashing Petition की तैयारी के दौरान...
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निशा तंवर अधिवक्ता
न्याय सर्वोपरि
अदिती सिंह (लीगल मैनेजर)
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Good Morning 😊 Friends आज मिलते हैं पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़। भीम सेना के चीफ माननीय नवाब सतपाल तंवर के ऊपर वर्ष 2018 में फरीदाबाद के डबुआ थाने में धार्मिक भावनाएं भड़काने, तलवार बरामद होने और जान से मारने की धमकी देने आदि के अपराध में FIR दर्ज की गई थी। आज माननीय हाईकोर्ट चंडीगढ़ FIR को रद्द किए जाने की पेटिशन पर सुनवाई करेंगे। मैं निशा तंवर एडवोकेट, विद्वान अधिवक्ता साथी अश्विनी नागरा एडवोकेट आदि विद्वान अधिवक्ता इस मामले में पेश होकर नवाब सतपाल तंवर का पक्ष रखेंगे।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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अदिती सिंह (लीगल मैनेजर)
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आर्थिक मामलों में विश्वास का हनन एक गंभीर गैर जमानती अपराध है।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश
|| दूसरी पत्नी 498ए का केस नहीं कर सकती ||
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निशा तंवर अधिवक्ता
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Dinner 🍽️ डिनर कर लो दोस्तों 😋😋😋😋😋
बड़ी सच्चाई : भोजन के प्रेम से बड़ा कोई सच्चा प्रेम नहीं है।
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निशा तंवर अधिवक्ता
न्याय सर्वोपरि
Nisha Tanwar Advocate
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मुश्किलें आपको खत्म करने के लिए नहीं !
आपको बनाने के लिए जिंदगी में आती हैं !!
आपको सुबह की मीठी सी 🌹Good Morning🌹
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निशा तंवर अधिवक्ता
न्याय सर्वोपरि
Nisha Tanwar Advocate
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वकालत नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये !
IPC का दरिया है, CPC और CRPC से पार लगाना है !!
इंदिरा गांधी आवास योजना में सैंकड़ों लोगों को अलॉट की गई भूमि सरकार ने आज तक लाभार्थियों को नहीं दी है। हरियाणा सरकार के चीफ सेक्रेटरी, गुड़गांव मंडल के डिप्टी कमिश्नर और गुड़गांव महानगर निगम के कमिश्नर को Legal Notice लीगल नोटिस जारी किया गया है और 15 दिन में जवाब मांगा गया है। इससे पहले प्रशासन को कई बार RTI लगाकर सूचना मांगी गई लेकिन हरियाणा सरकार और प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैए को देखते हुए मैंने निशा तंवर एडवोकेट और मेरे विद्वान अधिवक्ता साथी जितेंद्र कौशिक एडवोकेट (पूर्व उपाध्यक्ष बार एसोसिएशन गुड़गांव) ने अपने लॉ ऑफिसर के अधिकारों का प्रयोग करते हुए Code of Civil Procedure की धारा 80 के अनुसार Legal Notice लीगल नोटिस जारी किया गया। बहुत जल्द पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में याचिका दाखिल की जाएगी और लाभार्थियों को हरियाणा सरकार से भूमि आवंटित कराई जाएगी।
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निशा तंवर एडवोकेट
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अदिती सिंह (लीगल मैनेजर)
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आज साकेत कोर्ट दिल्ली में एक पत्नी के झूठे केस से उसके पति को बचाने का प्रयास किया गया। कोर्ट कार्रवाई जारी है।
आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जिला न्यायालय साकेत में Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 (घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनयम, 2005) DV Act के एक मामले में याचिकाकर्ता पत्नी के उत्तरदाता बचाव पक्ष पति की तरफ मैं निशा तंवर एडवोकेट और मेरे विद्वान अधिवक्ता साथी एडवोकेट प्रदीप, एडवोकेट हेमंत पेश हुए। माननीय मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट महिला न्यायालय श्रीमती राशी रहेजा ने हमारी बहस के सभी अंशों को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता पत्नी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि 10 साल तक आपके साथ घरेलू हिंसा नहीं हुई और 10 साल के बाद घरेलू हिंसा होनी शुरू हो गई। कम से कम 10 साल के बच्चे के भविष्य का तो ख्याल करो। माननीय न्यायालय ने पूछा कि आप अपने पति के पास वापिस जाकर घर क्यों नहीं बसाना चाहती? इस पर याचिकाकर्ता पत्नी ने कोर्ट में कहा कि उसे अपने पति से जान का खतरा है। इस पर माननीय MM महिला कोर्ट श्रीमती राशी रहेजा ने सवाल उठाया कि 10 साल तक जान का खतरा नहीं हुआ, एक बच्चे को जन्म दिया, उसे पाला और पढ़ाया तब जान का खतरा नहीं हुआ, तो अब कैसे अचानक जान का खतरा उत्पन्न हो गया? मैंने निशा तंवर एडवोकेट और मेरे विद्वान अधिवक्ता साथी एडवोकेट प्रदीप और एडवोकेट हेमंत ने माननीय न्यायालय से मांग की कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 30 और नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 (सीपीसी) की धारा 89 के अनुसार मामले को मध्यस्थता (Mediation) के लिए भेजा जाए। याचिकाकर्ता पत्नी की सभी दलीलों को अस्वीकार करते हुए और उत्तरदाता पति की तरफ से हमारी सभी दलीलों को स्वीकार करते हुए माननीय मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट श्रीमती राशी रहेजा ने मामले को मध्यस्थता (Mediation) के लिए भेजने का आदेश दिया दिया है और 7 अगस्त 2023 की तारीख मुकर्रर की है। वहीं याचिकाकर्ता पत्नी के उत्तरदाता पति की तरफ से मैंने निशा तंवर एडवोकेट और मेरे विद्वान अधिवक्ता साथी जितेंद्र कौशिक एडवोकेट (पूर्व उपाध्यक्ष बार एसोसिएशन गुड़गांव) ने जिला एवं सत्र न्यायालय गुड़गांव में हिंदू मैरिज एक्ट विवाह अधिकारों के सेक्शन 9 के तहत याचिका दाखिल की हुई है। इस मामले में दोनों ही न्यायालयों माननीय जिला न्यायालय साकेत और माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय गुड़गांव में पति की तरफ से सच्चाई के तौर पर हमारी जीत निश्चित है।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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पत्नी (Wife) झूठे केस में फंसाए तो पति क्या करे?
अगर पति अपने रिश्ते को बचाये रखना चाहता है और पत्नी पति को झूठे केस में फंसा देती है तो पति सबसे पहले हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत वैवाहिक अधिकारों (Conjugal Rights) के तहत स्थानीय न्यायालय में सेक्शन 9 की पिटीशन फाइल कर सकते है। यह कानून आगे होने वाली आपराधिक कार्यवाही (Criminal Proceedings) में भी पति की मदद करेगा।
क्रूरता के आधार:
• शादीशुदा होते हुए भी अडल्ट्री करना।
• सेक्शन 498A आईपीसी, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 और अन्य कानूनों का दुरुपयोग करके अपने पति का परित्याग/ डिज़रशन कर देना।
• पत्नी का क्रूर व्यवहार करना।
• दुर्भावनापूर्ण इरादे से पति या ससुराल वालों को झूठे केस या आपराधिक कार्यवाही में फंसाना।
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!! क़ानून ही देश का दिल होता है !!
!! हमारे यहाँ शरीफ ही कातिल होता है !!
📌 Air travel from International Airport Delhi for necessary Legal Action.
📌 जरूरी कानूनी कार्रवाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली से हवाई यात्रा।
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सुबहः के मौसम की Sweet Good Morning❤️
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कोई चाहे कितना भी बड़ा हो, कामयाबी खुद से ही मिलती है,
सागर चाहे कितना भी बड़ा हो, प्यास नदी के पानी से ही मिटती है। --✍️निशा तंवर अधिवक्ता
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माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय गुड़गांव से 138 NI Act चेक बाउंस के मामले में आरोपी के अरेस्ट वारंट जारी कराने के बाद माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर के लिए रवाना। राजस्थान के एक जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए माननीय हाईकोर्ट जोधपुर में क्रिमिनल अपील दाखिल की जाएगी।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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आज जिला सत्र न्यायालय गुड़गांव में चेक बाउंस 138 NI Act के मामले में फाइनल बहस आरोपी के अरेस्ट वारंट जारी कराए जाएंगे मेरी जूनियर साथी अधिवक्ता नीरू गुप्ता, ममता राजपूत और पिंकी यादव इस दौरान मेरा साथ निभाएंगी ⚫ शाम को Flight से जोधपुर हाईकोर्ट के लिए रवानगी राजस्थान की एक जिला सेशन अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देकर अपील की जाएगी। इस दौरान मेरी जूनियर साथी अधिवक्ता साथी पूनम दहिया और मीनाक्षी सैनी मेरा साथ निभाएंगी।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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भारतीय शस्त्र (आयुध) अधिनियम 1959 The Arms Act 1959 भारत के प्रत्येक नागरिक को आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने का लाइसेंस जारी करता है। भारत का संविधान आपको हथियार रखने की अनुमति प्रदान करता है।
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निशा तंवर अधिवक्ता
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वकील का कानूनी अधिकार
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|| मैं धरती की धरा हूँ, मैं अंबर का आसमान ||
|| कहने को मैं बेटी हूँ पर हूँ हर घर की पहचान ||
❤️ Good 😊 Morning Friends ❤️
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निशा तंवर अधिवक्ता
न्याय सर्वोपरि
IPC 307 (जानलेवा हमला) के गंभीर मामले में आत्मरक्षा के आधार पर माननीय जिला न्यायालय तीस हजारी, दिल्ली से आवेदक/ आरोपी की जमानत मंजूर कराई। दिल्ली के नांगलोई में घर पर कब्जा करने की नीयत से कुछ बदमाश अजीत सिंह, राजकुमार, बीरसिंह, राघवेंद्र आदि जोकि भूमाफिया किस्म के लोग हैं, ये लोग नवीन कुमार के घर में घुस गए और मारपीट करने लगे। आवेदक के परिवार को घर से बाहर निकालने के लिए दबंगों ने हथियारों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। जिसमें महिलाओं सहित कई को चोटें आई। लेकिन नवीन कुमार और उसके भाई और बच्चों ने अपने और अपने परिवार के बचाव के लिए घर में रखी कुल्हाड़ी से दबंगों पर वार किए। जिससे दबंग किस्म के लोग घायल हो गए। लेकिन पुलिस ने नवीन कुमार की तरफ से दी शिकायत पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की अपितु नवीन कुमार, उसके भाई और पूरे परिवार पर ही 307 IPC के तहत केस दर्ज करके नवीन कुमार और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया गया।
माननीय तीस हजारी कोर्ट में नवीन कुमार और उसके भाई की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान माननीय मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने माना कि यह जानलेवा हमला नहीं था बल्कि आत्मरक्षा में किया गया बचाव था। हमारी दलीलों को सुनने के बाद नवीन कुमार और उसके परिवार को जमानत दे दी गई और नवीन कुमार के परिवार की शिकायत का संज्ञान लेते हुए दबंगों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। पूरी बहस के दौरान विद्वान अधिवक्ता Public Prosecutor ने हमारी जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। लेकिन Public Prosecutor की सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए हमारी जमानत याचिका मंजूर कर ली गई। इस पूरे केस में बहस की तैयारी करवाने और मजबूत सबूत पेश करवाने में मेरी जूनियर अधिवक्ता साथी पायल शर्मा, ममता राजपूत और पिंकी यादव का बहुत अच्छा सहयोग रहा। मेरी जूनियर अधिवक्ता साथी नीरू गुप्ता, पूनम दहिया और मीनाक्षी सैनी ने मेरे बताए अनुसार बेहतर से बेहतर ग्राउंड पर जमानत याचिका तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
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माननीय दिल्ली हाईकोर्ट में एक सफल बहस के बाद पॉक्सो एक्ट के आरोपी की जमानत याचिका सफलतापूर्वक खारिज कराई। परिजनों की तरफ से 15 साल की नाबालिग लड़की को बहला-फुसला कर भगा ले जाने के मामले में आरोपी पर 363 IPC (अपहरण) की धारा में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। आरोपी की गिरफ्तारी और नाबालिग बालिका की सकुशल बरामदगी के बाद मेडिकल और बयान के आधार पर 376 IPC (बलात्कार), 377 IPC (अप्राकृतिक बलात्कार), 323 IPC (मारपीट), 506 IPC (जान से मारने की धमकी) और POCSO ACT 2012 के तहत दर्ज मामले में आरोपी ने माननीय दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। पीड़िता बालिका की तरफ से मैंने और मेरे साथी विद्वान अधिवक्ता APP for State NCT Delhi की तरफ से जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया और बालिका और उसके परिवार को जान का खतरा बताया गया। साथ ही 161 CRPC और 164 CRPC के बयानों में पीड़िता बालिका के बयान यह स्पष्ट करते हैं कि आरोपी उसे जबरन अपने साथ ले गया था और उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध और अप्राकृतिक संबंध बनाए और उसके साथ मारपीट की और अपने परिजनों के पास वापिस जाने की दशा में जान से मारने की धमकी दी। POCSO ACT और अन्य सभी IPC धाराओं में कानूनी प्रावधानों का उल्लेख बहस के दौरान किया गया। इस दौरान मेरी जूनियर अधिवक्ता साथी पायल शर्मा और ममता राजपूत भी मेरे साथ रही। हमारी सभी दलीलों को स्वीकार करते हुए माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
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शौक तो हम भी कम नहीं रखते जनाब लेकिन दिखावा करने की आदत नहीं हमारी !! ❤️👑👑👑👑👑❤️
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