Atrangi.Photo "Ashwani Pandey"
TRAVELLER | PHOTOGRAPHER | EXPLORER | LEARNER
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#pics__speaks
See it.� Shoot it.� Love it.�
Common Spider 🕷️
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Holika Dahan
Location Haldwani, Nainital
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सब को अपने कर्मों का पता होता है,
यूहीं गंगा इतनी भीड़ नहीं होती। 😇
हर हर गंगे 🙏🏻
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जो पास तेरे वही तेरा, बाकी सब मोह के फेरा,
तू क्यों समझ न पाया, तन मिटटी है मन माया।
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सुनहरे पल 😇
Golden Moments 😇
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Brother, I am so happy for your newest voyage in life. Finding a soul mate is a rare wondrous event.
Congratulations Brother
Wedding vibes 💞
अहं ब्रह्मास्मि
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Rose & Dandelion
Mother Earth gave birth
to both roses & dandelions.
To one, she gave the shield
in the form of thorns,
so that rose can be
protected from nature
around it which is wild.
To other, she created
its nature in such a way
that the world around
would always call it
the wild flower, dandelion.
That's how she's the
greatest alchemist ever.
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"काले कौवा काले घुघुति माला खाले" ||
"लै कावा भात में कै दे सुनक थात"||
"लै कावा लगड़ में कै दे भैबनों दगड़"||
"लै कावा बौड़ मेंकै दे सुनौक घ्वड़"||
"लै कावा क्वे मेंकै दे भली भली ज्वे"||
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कड़ाके की ठंड उस पर शीत लहर के थपेड़े
एसे में हो जलता अलाव तो बात बन जाए।
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Let's go somewhere away from the City Light,
Where is nothing but trees, canopies and soothing sky.
Around the little lovely creature,
Let's go towards the Nature.
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कुछ यादें आज आती हैं ,
बारिश की सोंधी सोंधी खुशबू तो अब भी महसूस होती है ,
लेकिन बारिश में बहती कागज की नाव कहाँ आज नसीब होती है ,
वो बारिश में भीगना तो आज भी कुछ खास सा लगता है ,लेकिन सारे गमों का बारिश के पानी में घुल जाना कहाँ नसीब होता है ,
बहते पानी में छपाक से रखना पैरों का ,आज भी रोमांचित करता है,लेकिन वो बिंदास मनमौजी होना कहाँ रास आता है,
बादलों की गड़गड़ाहट आज भी मन को पुलकित करती है,लेकिन वो दिल की धड़कन कहाँ उनसे मिलती है ,चमकती हुई बिजली आज भी रोशनी देती है लेकिन मन के अंधेरे को वो कहाँ हर पाती है,झमाझम बरसता पानी ,टपटप बारिश की बूंदे सब कुछ वैसा ही है ,लेकिन कुछ बदल सा गया है , जिम्मेदारियों की चादर तले सब सिमिट सा गया है,
बारिश में नाचता हुआ मोर अबप मुश्किल से ही दिखता है ,
आज मेरा मन फिर उसी बचपन वाली बारिश को तरसता है ।
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उड़ रहा है धूल
हर जगह बिल्कुल बेख़ौफ़ सा
लगता है डर नहीं उसे
चला जा रहा है वह मौज सा
चारो तरफ़ बस
धुंध ही धुंध फैला हुआ
दिखता नहीं कुछ भी
जैसे सब कुछ मैला हुआ
हाथ से हटाने की कोशिश हर बार करता
रहा
लेकिन हर बार खाली रही हथेली
और मैं हाथ मलता रहा
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भुट्टे की
शाम।
खास मित्र के
साथ,
टप टप
करती
बारिश
की बूंदों के
साथ
कहाँ लगते
इसके आगे
महंगे ,
बड़े-बड़े
जाम,
भुट्टे की
शाम।
वो सड़क
के किनारे
त्रिपाल के
सहारे, एक
आदमी था
गरम ,गरम
भुट्टों के
साथ
हमने रोकी
बाइक,
सोचा
खाकर भुट्टे
करलें
थोड़ा विश्राम
भुट्टे की
शाम।
वो गरम-गरम ,
नमक,
मिर्च ,निम्बू
के साथ,
गजब
स्वाद,
दांत
चबाते दाना
न करते
आराम,
भुट्टे की
शाम।
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दर्द ही हवा हो जाता है एक उम्र के बाद,
बस तजुर्बा हो जाता है एक उम्र के बाद।
यकीन नहीं होता वक़्त के गुज़र जाने का,
फिर भरोसा हो जाता है एक उम्र के बाद।
किस बात पर में रूठा था, क्यों वो चले गया,
सब खामखां हो जाता है एक उम्र के बाद।
बचपन में जो शख्स होता है नटखट और चंचल,
वो भी संजीदा हो जाता है एक उम्र के बाद।
जिम्मेदारियाँ इन्तेज़ार करती हैं बचपन जाने का,
बच्चा बड़ा हो जाता है एक उम्र के बाद।
पहले ज़िन्दगी की दुआएँ फिर मौत का इन्तेज़ार,
जाने क्या होता है एक उम्र के बाद।
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नूर बिखेरती चांदनी,उतरी है आज धरा पे...
चकोर की प्यार बुझाने को...
आसमां में खिलता हुआ चांद,
और चारों ओर बिखरी हुई चांदनी...
रूह तक शीतल होती हुई नज़र...
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कभी कभी न इन पहाड़ियों के साथ भी न अच्छा लगता है कुछ पल का सुकन भी एक सपना लगता है और न जाने क्या बात है इन पहाड़ियों में कुछ नही होकर भी बहुत कुछ साथ होता है। कुछ तो खास बात है इनमे!
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खूबसूरती से भरा मेरा नैनीताल जिसकी हर छटा की अलग ही बात है।
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सरोवर नगरी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं 🎂
मैं शिव हूँ
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ
मैं घोर हूँ अघोर हूँ
व्योम का मैं शोर हूँ
राम का हूँ शील मैं
और रावण का दम्भ हूँ।।
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ।।
मैं गीता का ज्ञान हूँ
मैं अर्जुन का बाण हूँ
मैं भीष्म की प्रतिज्ञा
और द्रोण का मैं आन हूँ
मैं ही प्रत्यंचा हूँ
और मैं ही रंभ हूँ
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारंभ हूँ
मैं ॐ हूँ ओंकार हूँ
मैं जीत हूँ जयकार हूँ
मैं ही शुभंकर हूँ
मैं हाहाकार हूँ
हिमालय का हिम मैं
और गंगा का अंभ हूँ
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ।।
मैं काल हूँ विकराल हूँ
मैं सूक्ष्म हूँ विशाल हूँ
त्रिशूल का मैं वार हूँ
मैं डमरू की ताल हूँ
मैं जीवन हूँ मृत्यु मैं
प्राण का स्तम्भ हूँ
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ।।
मैं कंकर हूँ शंकर हूँ
भोला भयंकर हूँ
देवों का देव और
मैं ही तो किंकर हूँ
मैं ही हलाहल हूँ
और अमृत कुम्भ हूँ
मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ
मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ।।
Diwali2k21
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आप सभी को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Season of lights
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Busy Street of Husainabad
Roomi Gate
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Graphic Era Hill University Bhimtal-One of the beautiful campus.
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Basant Vihar Choti Mukhani
Haldwani
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