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17 फरवरी 2024 : संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस
सर्वशक्तिमान परमेश्वर समय-समय पर अमर लोक से आकर इस मृत्युलोक में अवतरित होते हैं। वर्तमान वे महान संत रामपाल जी महाराज के रूप में दिव्य लीला कर रहे हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 17 फरवरी का दिन सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरकारी नौकरी करने वाले संत रामपाल जी के जीवन में 37 वर्ष की आयु में एक ऐसा मोड़ आया कि एक महान संत ने उनकी राह बदल दी। जी हाँ स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की। यह हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की अमावस्या का दिन था।
सतगुरू मिलै तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदै समाना।
चल हँसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
बोध दिवस का महत्व:-🌼
संतमत में बोध दिवस भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन होता है। परमेश्वर कबीर साहेब कहते हैं, वह दिन शुभ है जब एक साधक ने सतगुरु को पाया और नाम-दीक्षा ली, क्योंकि दीक्षा से पहले जीवन के सभी दिन व्यर्थ थे।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेटियां, सो दिन लेखे जान।
बाकी समय गंवा दिया, बिना गुरु के ज्ञान।।
जब कोई साधक सतगुरु की शरण में आता है, तो वह उनके ज्ञान को ग्रहण कर मनुष्य के स्थान पर देवता बनने की राह में लग जाता है। वह दिन उसके जीवन का विशेष दिन होता है क्योंकि उस दिन साधक को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है। मानव जन्म की सच्ची अनुभूति होने के कारण इस दिन को बोध दिवस कहा जाता है।
बोध के लिए सतगुरु क्यों जरूरी हैं?
परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा है:
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरु के बिना यदि नाम जाप की माला फिराते (नाम का जाप) हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो वेदों और पुराणों में प्रमाण देखें।
• श्री राम और श्री कृष्ण तीनों लोकों के मालिक थे, उन्होंने भी गुरु बनाकर भक्ति की और मानव जीवन सार्थक किया।
• पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर कार्य करते थे। श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू श्री दुर्वासा ऋषि जी थे।
लोकवेद के आधार पर शास्त्रविरूद्ध भक्ति व्यर्थ हैं!
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
गुरु के बिना देखा-देखी कही-सुनी भक्ति को लोकवेद कहते हैं। यह शास्त्रविरूद्ध ज्ञान होता है जैसे कि:
• हनुमान जी की भक्ति: मंगलवार का व्रत, बूंदी का प्रसाद, ओम् नाम का जाप, आदि।
• शिव जी की भक्ति: ओम् नमो शिवायः मंत्र का जाप।
• विष्णु जी की भक्ति: ओम् भगवते वासुदेवायः नमः मंत्र का जाप।
सतगुरु शास्त्रविधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रूपी दीपक देकर जीवन को नष्ट होने से बचाते हैं। सतगुरु की शरण में जाने से पहले उपरोक्त साधना संत रामपाल दास किया करते थे तथा पूरा हिन्दू समाज कर रहा है, जोकि गीता-वेदों में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध साधना हैं यानी व्यर्थ है।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
इसलिए सतगुरु का महत्व है। गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति की साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाता है।
संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय:-🌼
संत रामपाल जी महाराज समस्त सतलोक आश्रमों के संचालक हैं जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार कबीर भगवान का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। नास्त्रेदमस जी ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि स्वतंत्रता के 4 वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो पूरे विश्व को नये आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराएगा। उन्होंने 1994 से 1998 तक गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया। 1999 में हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना कर उन्होंने प्रत्येक महीने की पूर्ण मासी और अमावस्या को आश्रम में सत्संग समारोह करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज का आरंभिक जीवन और शिक्षा:- 📓
रामपाल जी का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ था। उन्होंने 1973 में सिविलइंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया।
संत रामपाल जी की आध्यात्मिक यात्रा :-
• 1988 में संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद से दीक्षा ली और आध्यात्मिकता में रुचि लेने लगे।
• उन्होंने भगवत् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी रचित सत ग्रंथ, और सभी पुराणों सहित कई आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया।
• संत रामपाल जी ने सतज्ञान को शास्त्रों के प्रमाण सहित प्रस्तुत किया।
संत रामपाल जी महाराज को नाम दीक्षा देने का आदेश
• 1993 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को उपदेश देना शुरू करने के लिए कहा।
• 1994 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को अपना उत्तराधिकारी चुना।
• संत रामपाल जी ने हरियाणा के विभिन्न गांवों और शहरों में भ्रमण करके सत ज्ञान जन जन तक पहुंचाकर लोकप्रियता प्राप्त की।
• 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में जुड़ गए।
• आज सन्त रामपाल जी महाराज के लाखों अनुयायी हैं जो भारत और दुनिया भर में फैले हुए हैं।
संत रामपाल जी के साथ हुए अनर्गल विवाद:-
• संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतो ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए, जिनमें धार्मिक भावनाओं को आहत करना जैसे आरोप शामिल हैं।
• 2014 में उनके अनुयायियों पर पुलिस ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए और पुलिस की आँसू गैस से छह लोगों की मौत हो गई।
• संत रामपाल जी 2014 से ही जेल लीला में हैं पर जेल में रहकर भी वे सतज्ञान का संचार कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान और बुराइयों का समूल नाश
आज पूरी दुनिया में बुराइयाँ बड़े स्तर पर फैली हुई हैं। नशा, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, परस्त्री गमन, भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, हिंसा, लड़ाई झगड़े आदि बुराइयाँ समाज को कैंसर की तरह खोखला कर रही हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान इन बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोग इन बुराइयों को त्यागकर सदाचारी जीवन जी रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज धार्मिक ग्रंथों से सच्चे ज्ञान का प्रचार कर रहें हैं। वे बताते हैं कि इन बुराइयों से बचने का एकमात्र तरीका है परमेश्वर की सच्ची भक्ति करना। सच्ची भक्ति केवल नाम दीक्षा से प्राप्त होती है। नाम दीक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को परमेश्वर का नाम दिया जाता है। परमेश्वर का नाम जपने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वह बुराइयों से दूर रहता है और उसके पुण्यों में वृद्धि होती हैं।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे है। लोग सदाचारी जीवन जीने लगे हैं और समाज में शांति और प्रेम का माहौल बन रहा है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो साबित करते हैं कि कैसे संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान बुराइयों का समूल नाश कर रहा है:
• नशा: संत रामपाल जी महाराज नशे के खिलाफ सख्त हैं। वे कहते हैं कि नशा एक बहुत बड़ी बुराई है जो व्यक्ति के जीवन को तबाह कर देता है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया है।
• दहेज प्रथा: दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो लड़कियों और उनके परिवारों पर बहुत दबाव डालती है। संत रामपाल जी महाराज दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि दहेज प्रथा एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने दहेज प्रथा को त्याग दिया है।
• भ्रूण हत्या: भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ा पाप है। संत रामपाल जी महाराज भ्रूण हत्या के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि भ्रूण हत्या एक हत्या है और इसे किसी भी कीमत पर ख़त्म किया जाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने भ्रूण हत्या करने का विचार त्याग दिया है।
• रिश्वतखोरी: रिश्वतखोरी एक सामाजिक बुराई है जो समाज को कमजोर करती है। संत रामपाल जी महाराज रिश्वतखोरी के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि रिश्वतखोरी एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने रिश्वत लेने और देने से मना कर दिया है।
यहां केवल कुछ उदाहरण मात्र हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सभी बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है और कर रहा है। यदि आप भी इन बुराइयों से मुक्ति चाहते हैं, तो आपको संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण कराना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज कलयुग में फिर से सतयुग जैसा माहौल खड़ा करने में प्रयासरत हैं।
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, फिरता दाने दाने नू।
सर्व कलां सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नू।।
बोध दिवस समारोह 2024 :-
इस साल 17, 18, 19, 20 फरवरी 2024 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर निःशुल्क विशाल भंडारा, निःशुल्क नाम दीक्षा व 17 से 20 फरवरी तक 4 दिवसीय खुले पाठ का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही, 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर अवश्य देखें। वहीं इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे निम्न सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं
page:- Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
YouTube:- Sant Rampal Ji Maharaj
Twitter:-
आयोजन स्थल हैं :
1. Satlok Ashram Dhanana Dham, Sonipat (Haryana)
2. Satlok Ashram Mundka (Delhi)
3. Satlok Ashram Dhuri (Punjab)
4. Satlok Ashram Sojat (Rajasthan)
5. Satlok Ashram Shamli (Uttar Pradesh)
6. Satlok Ashram Kurukshetra (Haryana)
7. Satlok Ashram Bhiwani (Haryana)
8. Satlok Ashram Khamano (Punjab)
9. Satlok Ashram Dhanusha (Nepal)
10. Satlok Ashram Betul (Madhya Pradesh)
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
्ति_संदेश
संत रामपाल जी महाराज ने सतभक्ति साधना के साथ परमार्थ करने को श्रेष्ठ बताया है। इसी कारण उनके अनुयायी आए दिन जरूरत मंदों की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी जरूरत मंद लोगों के लिए रक्तदान सेवा में लगे हुए हैं
रक्तदान
#रक्त
#संतरामपालजीमाहाराज
जीवन बदल देने वाला सत्संग अवश्य सुने सभी 🙏
🧿सद्गुरु रामपाल जी महाराज की अद्भुत क्रांतिकारी आध्यात्मिक जीवन की यात्रा🧿
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे।
17 फरवरी 1988 फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम् संत रामदेवानंदजी महाराज से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन-धन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण जूनियर इंजीनियर की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16-5-2000 के तहत स्वीकृत है।
संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर जाकर सत्संग किया। साथ-साथ ज्ञानहीन संतों का विरोध भी बढ़ता गया। चंद दिनों में संत रामपाल महाराज जी के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई।
ज्ञान में निरूत्तर होकर अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के भय से उन अंज्ञानी संतों, महंतों व आचार्यों ने संत रामपाल जी महाराज को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया।
लेकिन इसके बावजूद भी उनका ज्ञान नहीं रुका, ना ही समाज सुधार का मिशन डगमगाया।
बल्कि अब तो यह ज्ञान पूरे संसार में छा गया है।
विश्व के एकमात्र संत एवं सबसे बड़े समाज सुधारक हैं संत रामपाल जी महाराज जिनका उद्देश्य है- जातिवाद, साम्प्रदायिकता समाप्त कर आपसी भेदभाव मिटाना, अंधविश्वास, पाखण्डवाद से मुक्ति दिलाना, सभी प्रकार के नशे पर प्रतिबंध लगाना, दहेज जैसी कुप्रथाएं समाप्त कर बेटियों को न्याय दिलाना तथा भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण कर भारत को विश्वगुरु बनाना।
वे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार हैं।
परमेश्वर कबीर बन्दीछोड़ जी ने अपनी अमृत वाणी में पवित्र ‘कबीर सागर‘ ग्रंथ में कहा है कि एक समय आएगा जब पूरे विश्व में मेरा ही ज्ञान चलेगा। पूरा विश्व शांति पूर्वक भक्ति करेगा। आपस में विशेष प्रेम होगा, सतयुग जैसा समय (स्वर्ण युग) होगा। परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ द्वारा बताए ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने समझा है। इसी ज्ञान के विषय में कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है कि --
कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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नि:शुल्क नाम दीक्षा लेने हेतु फॉर्म भरे जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लेने हेतु फॉर्म भरे
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य कार्यप्रणाली से भ्रष्टाचार खत्म करना।
दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करना। जातिवाद (जात पात) के भेदभाव को मिटाना। छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करना। धार्मिक भेदभाव खत्म करना।
सांप्रदायिक झगड़े समाप्त करना। ब्याज लेना व देना समाप्त करना
क्या ब्रह्मा विष्णु महेश पूर्ण परमात्मा है। आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा। अनिरुद्धचार्य v/s संत रामपाल जी महाराज
अनमोल सत्संग 🙏
अनमोल सत्संग
अनमोल सत्संग 🙏
श्राद्ध करना शास्त्रनुकूल साधना है आज होगा फैसला।। आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा।। Sant rampal ji maharaj
#हिन्दू_भाई_संभलो
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
अनमोल जीवन है सत्संग सुनलो सभी 🙏
अनमोल सत्संग
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
देखिए प्रमाण गीता के विपरीत साधना का:- गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो पित्तर पूजता है, पित्तरों को प्राप्त होगा यानि पित्तर बनेगा। भूत पूजने वाला भूतों को प्राप्त होगा यानि भूत बनेगा। देवताओं को पूजने वाला, देवताओं को प्राप्त होगा यानि देवताओं के पास जाएगा। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होगा।
यदि पवित्र हिन्दू धर्म की पूजाओं पर दृष्टि दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि लगभग पूरा हिन्दू समाज पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवी-देवताओं की पूजा करता है जो शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण होने से गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ प्रयत्न है।
हिंदू भाइयों संभल जाओ, संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझो।
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