Silbar Security Services Pvt. Ltd
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चित्तौड़ के महाराणा संग्रामसिंह की वीरता प्रसिद्ध है। उनके स्वर्गवासी होने पर चित्तौड़ की गद्दी पर राणा विक्रमादित्य बैठे; किन्तु वे शासन करने की योग्यता नहीं थे। उनमें न बुद्धि थी और न वीरता। इसलिये चित्तौड़ के सामन्तों और मन्त्रियों ने सलाह करके उनको गद्दी से उतार दिया तथा महाराणा संग्रामसिंह के छोटे कुमार उदयसिंह को गद्दी पर बैठाया। उदयसिंह की अवस्था उस समय केवल छ : वर्ष की थी। उनकी माता रानी करुणावती का स्वर्गवास हो चुका था। पन्ना नाम की एक धाय उनका पालन- पोषण करती थी। राज्य का संचालन दासी– पुत्र बनवीर करता था। वह उदयसिंह का संरक्षक बनाया गया था। बनवीर के मन में राज्य का लोभ आया। उसने सोचा कि यदि विक्रमादित्य और उदयसिंह को मार दिया जाय तो सदा के लिये वह राजा बन सकेगा। सेना और राज्य का संचालन उसके हाथ में था ही। एक दिन रात में बनवीर नंगी तलवार लेकर राजभवन में गया और उसने सोते हुए राजकुमार विक्रमादित्य का सिर काट लिया। जूठी पत्तल उठाने वाले एक बारी ने बनवीर को विक्रमादित्य की हत्या करते देख लिया। वह ईमानदार और स्वामिभक्त बारी बड़ी शीघ्रता से पन्ना के पास आया और उसने कहा– ‘ बनवीर राणा उदयसिंह की हत्या करने शीघ्र ही यहाँ आयेगा। कोई उपाय करके बालक राणा के प्राण बचाओ। ‘पन्ना धाय अकेली बनवीर को कैसे रोक सकती थी। उसके पास कोई उपाय सोचने का समय भी नहीं था। लेकिन उसने एक उपाय सोच लिया। उदयसिंह उस समय सो रहे थे। उनको उठाकर पन्ना ने एक टोकरी में रख दिया और टोकरी पत्तल से ढककर उस बारीको देकर कहा– ‘इसे लेकर तुम यहाँ से चले जाओ। वीरा नदी के किनारे मेरा रास्ता देखना। ‘उदयसिंह को छिपाकर हटा देने से भी काम चलता नहीं था। बनवीर को पता लग जाय कि उदयसिंह को छिपाकर भेजा गया है तो वह घुड़सवार भेजकर उन्हें अवश्य पकड़ लेगा। पन्ना ने एक दूसरा ही उपाय सोचा उसके भी एक पुत्र था उसके पुत्र चंदन की अवस्था भी छह वर्ष की थी। उसने अपने पुत्र को उदयसिंह के पलंग पर सुलाकर रेशमी चद्दर उढ़ा दी और स्वयं एक ओर बैठ गयी। जब बनवीर रक्त में सनी तलवार लिये वहाँ आया और पूछने लगा– ‘उदयसिंह कहाँ है? ‘तब पन्नाने बिना एक शब्द बोले अंगुली से अपने सोते लड़के की ओर संकेत कर दिया। हत्यारे बनवीर ने उसके निरपराध बालक के तलवार द्वारा दो टुकड़े कर दिये और वहाँ से चला गया। अपने स्वामी की रक्षा के लिये अपने पुत्र का बलिदान करके बेचारी पन्ना रो भी नहीं सकती थी। उसे झटपट वहाँ से नदी किनारे जाना था, जहाँ बारी उदयसिंह को लिये उसका रास्ता देखता था। पन्ना ने अपने पुत्र की लाश ले जाकर नदी में डाल दी और उदयसिंह को लेकर मेवाड़ से चली गयी। उसे अनेक स्थानों पर भटकना पड़ा। अन्त में देवरा के सामन्त आकाशाह ने उसे अपने यहाँ आश्रय दिया। बनवीर को अपने पापका दण्ड मिला। बड़े होने पर राणा उदयसिंह चित्तौड़ की गद्दी पर बैठे। पन्ना धाय उस समय जीवित थी। राणा उदयसिंह माता के समान उसका सम्मान करते थे। पन्ना माई धन्य है। स्वामी के लिये अपने पुत्र तक का बलिदान करने वाली पन्ना माई धन्य है।♥️
🌿गुरु के सानिध्य में परमानंद की खुशबू🌿
यह संसार संबंधों का है, रिश्ते-नातों का है। संबंध हमेशा सीमित होते हैं। सच्चे गुरु को संसार का हिस्सा मत बनाओ, सच्चे गुरु के साथ संबंध नहीं बनता। सच्चा गुरु तुम्हारी आत्मा है, गुरु का सानिध्य होता है, मौज़ूदगी होती है जो तुम्हें हर स्वांस में अपने से जोड़ती है और सभी संबंधों को पूरा करती है। सच्चे गुरु का शरीर तुम्हारे अपने स्वांसों के भीतर की अविनाशी शक्ति को दर्शाने के लिए ही है, यह बताने के लिए कि ‘‘तुम सुन्दर हो, तुम पूर्ण हो, तुम स्वांसों के भीतर की शक्ति हो और सभी संबंधों के परे हो।’’ बहुत कुछ सुना है आपने जीवन के बारे में....इस संसार में ज्ञान की कोई कमी नहीं है। ज़रा झाँक कर देखना, आपको इस दुनिया में आये हुए कितना समय हुआ, ज़रा याद करो अपनी-अपनी उम्र और कितने साल यहाँ रहोगे? कोई पक्का भरोसा नहीं है न? जीवन बड़ा क्षणिक है और मनुष्य जीवन मिलना बड़ा मुश्किल। इसलिए इस जन्म में हम प्रसन्न व शांत रहें, औरों को भी प्रसन्न रखें। छोटी-छोटी बातों को दिमाग से निकाल दें। सभी मनुष्यों को मनुष्य की नजर से देखें।
हृदय के ऐसे गहरे अपनत्व से जीने की कला आ जाती है। फिर किसी भी तकलीफ में, परेशानी में हम आगे बढ़ सकते हैं। एक सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए कि भगवान मेरे साथ हैं जो स्वांसों के प्रसाद से मेरा जीवन प्रकाशित कर रहे हैं और गुरु के मार्गदर्शन में मुझे परमानंद का अनुभव करना है। कई बार श्रद्धा टूटती है, बार-बार टूटती है लेकिन, स्वांसों के होते भीतर आशा की एक किरण है। यही आशा की किरण हमें अभ्यास के लिये प्रेरित करती है। ध्यान के अभ्यास से ही स्वांसों के भीतर की शक्ति की पहचान होती है और स्वयं का बोध होता है। तब जीवन में आनंद की कोई सीमा नहीं। जैसे पानी जमीन के नीचे होता है ऐसे ही सच्चा प्रेम सभी के हृदय में विराजमान है। ऐसा नहीं है कि प्रेम नहीं है, प्रेम है, मगर कहीं-कहीं पानी जमीन की बहुत गहराई में है, जमीन को बहुत ज्यादा खोदना पड़ता है। कहीं-कहीं ऊपर है, कहीं-कहीं फव्वारे उठते हैं। इस तरह जीवन में बहुत ही थोड़े लोग सच्चे प्रेम का अनुभव कर पाते हैं और जो ऐसा कर पाते हैं वे गुरु के सानिध्य में तर जाते हैं।
अमेरिका के बाजारों में लोहे की जंजीरों में जकड़े , गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले निग्रो,
बगैर किसी आरक्षण के व्हाइट हाउस तक पहुंच गये और ओपरा विनफ्रे जैसी तमाम हस्तियां मीडिया में किंग बन गई ...
हॉलीवुड पर विल स्मिथ जैसे तमाम नीग्रो का कब्जा है अमेरिका के 30% जज नीग्रो है ... करीब 40% पुलिस और 32% आर्मी नीग्रो है ...
अमेरिका के 12 स्टेट के गवर्नर नीग्रो हैं और हमारे देश में सबसे पहले महाग्रंथ लिखने वाले वाल्मीकि महान संत रविदास, समाज सुधारक ज्योतिबा फुले, रानी झलकारी देवी और राजा सुहेलदेव संविधान लेखक और आठ विषय मे डाक्टरेक्ट डॉक्टर बाबा साहब के वंशज चन्द समाज के लोगो के बहकावे पर अभी तक इसी झूठ पर ही रोते हैं कि उनको लिखने पढ़ने नहीं दिया गया
इनक्रेडिबल इंडिया इसी को कहते हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के तात्वाधान विशाल किसान महापंचायत 16 मई 2022 को
कुटीला बालाजी मंदिर प्रागण मे आयोजित की जा रही हैं ।
आप सभी सादर आमंत्रित है 🙏 ।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जी के निधन की सूचना से आहत हूं।
वह एक जन नेता थे ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें ॥
बुराई पर अच्छाई की जीत का यह त्यौहार जीवन में हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक है, रंगों के पर्व होली पर सभी देशवसियों को हार्दिक शुभकामनाएं ॥ #होलि
मनुस्मृति में साफ़ साफ़ लिखा है- ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ’यानी जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विश्व की सभी महिलाओं को मेरा सादर नमन II #अंतर्राष्ट्रीय_महिला_दिवस
करौली जिले के टोडाभीम उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत पदमपुरा के गांव बैरोज में पिछले दिनों अनाथ हुए तीन बच्चों को भामाशाह रामनिवास मीना की ओर से प्रत्येक माह ₹15000 पेंशन दी जाएगी जिससे उनका सुखमय भरण पोषण हो सकेगा इसके लिए भामाशाह श्री रामनिवास मीणा जी का सभी ग्राम वासियों की ओर से धन्यवाद आभार प्रकट किया गया।
2024 के लिए रणभूमि सज चुकी है। 2024 का चुनाव जनता और नेताओं के बीच होने जा रहा है, आप किस ओर हैं ?
आज 2020 के अंत में आपको शायद यह बात अजीब लगे, शायद आप इस पर यकीन न करें, परन्तु यह बात पूरी तरह सच है। 2024 का लोकसभा चुनाव देश की जनता और देश के सभी नेताओं के बीच होने जा रहा है, इसकी भविष्यवाणी बहुत पहले ही की जा चुकी है।
वैसे भी जब कोई चीज़ अपने अंतिम छोर पर पहुँच जाती है तब उसका अंत होना अवश्यम्भावी हो जाता है। आज भारत की राजनीति अपने सबसे बुरे दौर में पहुँच चुकी है, राजनेता हर दिन अपने गिरने की नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं।
एक नेता कोई गलत काम करता है तो उसका विरोधी उससे भी अधिक गलत काम कर रहा होता है, कोई एक नेता गलत बयान देता है तो उसका विरोधी उससे भी गलत बयान देकर उसे हराने या दबाने का प्रयास कर रहा होता है। भले ही इसमें जीत किसी भी नेता की हो पर हार राजनीति की ही हो रही है, राजनीति दिन प्रतिदिन गिरती जा रही है।
ऐसे समय में एक संपूर्ण राजनैतिक क्रांति या राजनैतिक परिवर्तन ही एकमात्र विकल्प रह जाता है जो कि राजनीति की दिशा और दशा को बदल सकता है। इतिहास गवाह रहा है कि जब-जब राजनीति अपने बुरे दौर से गुजरी है तब तब आगे आकर जनता ने ही राजनीति के गिरते स्तर को रोका है और सुधारने का प्रयास किया है।
आज फिर वही समय आ गया है और जनता मन बना चुकी है कि 2024 में चुनाव का नहीं बल्कि राजनेताओें का बहिष्कार किया जाएगा, चाहे वह राजनेता किसी भी पार्टी का क्यों न हो
अब जनता स्वयं ही अपने में से काबिल व्यक्तियों को ढूँढकर उम्मीदवार बनाएँगी और उन्हें ही चुनकर सदन में भेजेगी ताकि वे उसी जनता के हित के लिए कार्य करें जिस जनता के बीच से वे आए हैं। 2024 में जनता किसी भी वर्तमान सांसद/विधायक या उनके परिवार के लोगों को वोट नहीं करेगी।
रण भूमि सज चुकी है, बस बिगुल बजना बाक़ी है, 2024 का चुनाव भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होगा तथा यह भारत को विश्व का केंद्र बनाने की पहल की शुरूआत भी होगी।
पिछले तीन वर्षों से जनता के बीच से ही ऐसे योद्धा चुने जा रहे हैं जो इस क्रांति के कर्णधार बनेंगे। वे अभी पर्दे के पीछे रहकर शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और राजनैतिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जल्द ही वे आप सबके सामने होंगे।
जय हिन्द, जय भारत
26 नवम्बर, 2008 को मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए माँ भारती के वीर सपूतों की शहादत को मैं नमन करते हुए उनके अदम्य साहस, शौर्य एवं पराक्रम को सलाम करता हूँ और दिवंगत आत्माओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
कोई गद्दर ही होगा जो कहेगा कि जांच नहीं होनी चाहिए।
BJP के पूर्व नेता और गुजरात के सीएम रहे शंकरसिंह वाघेला बोले, गोधरा की तरह पुलवामा हमला भी भाजपा क गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला (Shankersinh Vaghela) ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि ....
कब तक आप अपराधियों को अपना मसीहा बनाते रहेंगे? आख़िर कब तक!
जिस संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, जिस संसद को बनाया ही इसलिए गया था ताक़ि अपराधियों को दण्ड देने और देश को भय, भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त करने के लिए क़ानून बनाए जा सकें, एक दिन उसी संसद में अपराधियों का बोलबाला हो जाएगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था।
परन्तु इसमें गलती उन अपराधियों की नहीं है बल्कि उन अपराधियों को चुनने वाली जनता की है,और उस अपराधी को सांसद-विधायक बनने से न रोक पाने वाले क़ानून की है।
यह खबर इस बात को भी सही साबित करती है कि हमारे लोकतंत्र की नींव कितनी खोखली हो चुकी है कि अपराधी सदन तक, लोकतंत्र के मंदिर तक पहुँच चुके हैं। जिन्हें जेलों में होना चाहिए था वे मंत्रालयों में बैठे हैं, जिन्हें कारावास में होना चाहिेए था वे विधान/कानून बना रहे हैं।
हम सभी को इसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा और लोकतंत्र को इन अपराधियों के चंगुल से आज़ाद कराना होगा, आज इन्होंने लोकतंत्र का अपहरण कर रखा है और जब तक राजनीति से इन अपराधियों को पूरी तरह दूर न कर दिया जाए तब तक लोकतंत्र इनका बंधक बना रहेगा और ये किसी न किसी तरह से न केवल बचते रहेंगे बल्कि अपराध भी करते रहेंगे।
यदि किसी भेड़िए को ही भेड़ों की रखवाली की ज़िम्मेदारी दे दी जाए, यदि भक्षक को ही रक्षक बनाकर बैठा दिया जाए तो वह केवल अपने हितों की रक्षा करेगा न कि जनता के हितों की।
तभी आज अपराधी बेख़ौफ़ हो गए हैं, उन्हें क़ानून का कोई डर नहीं रहा है और जो जितना गंभीर अपराध करता है वह उतना ही बड़ा नेता बनकर उभर जाता है।
यह सवाल मैं आप पर ही छोड़ता हूँ कि आप इस व्यवस्था को बदलना चाहते हैं या इसे ऐसे ही झेलते रहना चाहते है।
🙏Good Morning भारतवासियों🇮🇳
हमारे देश की सरकार का चयन करने का अधिकार हमें हमारा संविधान देता है और हम उसी अधिकार के आधार पर जन-प्रतिनिधि चुन कर इसलिए संसद/विधानसभा में भेजते हैं कि वे हमारे लिए ऐसी नीतियों का सृजन और प्रतिपादन करें कि जन साधारण को "शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार" के लिए अनेकोंअनेक अवसर सुलभ हों।
पिछले 5-6 वर्ष की सरकारों ने क्या बेहतरीन कदम उठाए हैं इस दिशा में, यह जानकर आपका हृदय 'प्रफुल्लित' होगा या 'उद्विग्न' ,यह आप के ऊपर है !!
एक लेख नज़र के सामने से गुज़रा, आप भी कुछ पल लगाएं और पढ़ें .......
अपने विचार अवश्य दें कि आप क्या कर सकते हैं इस दिशा में ????
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"भारत में शिक्षा का गिरता हुआ स्तर और
महंगी होती हुई पढाई" ‼️
बात पिछले साल से शुरू करते हैं 'JNU" ! देश के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में से एक। सबसे पहले यहाँ फीस बढायी जाती है ज्यादा नहीं सेकडे से हजारों रुपये में। यहाँ स्टूडेंट protest करते हैं, लेकिन सरकार इनको "देशद्रोही" करार दे कर अपनी इतिश्री कर लेतीं हैं लोग भी सोचते कुछ हजार रुपये ही बढाये गए हैं ये लोग तो हैं ही देशद्रोही, सिर्फ सरकार के खिलाफ बोलते हैं।
अब जब वहां सरकार आवाज दबाने में सफल हो गयीं तब उनका असली तांडव शुरू होता है क्यों कि इनको पता है बाकी यूनिवर्सिटी/ कॉलेज कभी JNU की तरह विरोध नहीं कर सकते हैं।
फिर राजस्थान में मेडिकल कॉलेज में फीस 1800 से 70000 , और हरियाणा सरकार ने शर्म बिलकुल बेच खायी, और सीधे "40 लाख " फीस कर दी। और घर (property) के कागज की प्रति साथ में लगाने को कह दिया। मतलब आप फीस चुकाने के काबिल हो कि नहीं। NEET की councelling करवाने में ही 40 से 50 हजार खर्च करवा रही, जो कि 2-3 साल पहले 500 रूपये में हो जाती थी। PG की सीट के तो 3 से 4 करोड़ रुपए, मतलब कुछ तो शर्म कर लो।
ऐसे ही इंजीनियरिंग के भी 2 से 24 लाख फीस करने की तैयारी हैं। एक कॉमर्स वाले दोस्त ने बताया कि उनके भी ऐसे ही फीस बढायी जा रही है।
अब बात करते हैं सरकार "शिक्षा" दिन पर दिन महंगी क्यों करती जा रही है ? जबकि दूसरी तरफ इनका नारा है कि सबको शिक्षित बनाना । पहली बात तो शिक्षित व्यक्ति की परिभाषा ही सरकार ने इतनी घटिया बना रखी है। इनके अनुसार "जो व्यक्ति किसी एक भाषा में अपना नाम लिख सकता है वो शिक्षित हैं "। उपर से 8वी तक फेल नहीं करने की नीति! ताकि तब तक अपना नाम लिखना सीख जाये। घर वाले भी पढाई को लेकर चिंतित नहीं ! क्यों कि 8वी तक तो फैल होना नहीं। और आगे की उच्च शिक्षा महंगी! ताकि ये सबके बस के बाहर हो जाए। और घर वाले भी बोल दे ! बेटा इतना पढ लिया काफी है ,आगे का खर्च हम नहीं उठा सकते । ये नीति इसलिए बनायी ताकि विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा बेइज्जती ना हो।
वैसे भी कम शर्मिंदा नहीं है! विश्व के" TOP 300 "में से एक भी विश्वविद्यालय भारत का नहीं है जो पहले कभी IIT Bombay, IIM Bangalore हुआ करते थे।
ये नेता लोग नहीं चाहते कि देश के गरीब और मिडिल क्लास बच्चे शिक्षित हो ।अगर वो पढ लिख कर समझदार हो गए तो उनका वोट बैंक चला जाएगा फिर कैसे उनको जाति- धर्म , हिन्दू-मुस्लिम , मन्दिर-मस्जिद, नाली- सडक, बॉलीवुड, फ्री योजनाओं में उलझा कर रखेगे। सोरी पाकिस्तान तो भूल ही गया।
उनके सवालों का जवाब कौन देगा।
अब आप सोच सकते हो इतनी महँगी शिक्षा लेकर कोई इंजीनियर क्यों यहाँ 20 -30 हजार की नौकरी करना पसंद करेगा, कौन डाँक्टर सस्ते में इलाज कर देगा जब वह अपनी पढाई का लोन ही नहीं चुका पाएगा तो।
"मतलब अब राजा का बेटा ही राजा बनेगा। "
अंत में यही कहूँगा "जागो स्टूडेंट जागो" और उनसे उम्मीद लगाए पेरेन्टस भी जागो वरना आपको ये कब चुस कर फेंक देंगे पता भी नहीं चलेगा।
अदम्य साहस एवं निर्भीकता की प्रतीक झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि।
भाग्य कोई संयोग का विषय नहीं है, यह चयन का विषय है।
भाग्य कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसके लिए प्रतिक्षा की जाए, यह तो वह वस्तु है जिसे प्राप्त किया जाता है और प्राप्त किया ही जाना चाहिए। जो लोग यह कहते हैं कि वे भाग्यशाली नहीं हैं, वे खुद से यह सवाल भी करें कि जब चुनौतियों का सामना करने का समय आया, जब दाव खेलने का समय आया तो उन्होंने कौन सा मार्ग चुना? बहाने बनाने वाला या समस्याओं के बाद भी दाव खेलने वाला, चुनौतियों का सामना करने वाला?
अधिकतर लोग जो स्वयं को दुर्भाग्यशाली बोलते हैं या मानते हैं वे अपने चुनाव के कारण, अपने निर्णयों के कारण ही दुर्भाग्यपूर्ण लोगों, घटनाओं और अपने दुर्भाग्य को आमंत्रित करते हैं। क्या आपने कभी गौर किया है कि हर सफल व्यक्ति को भाग्यशाली कहा जाता है और हर असफल व्यक्ति को दुर्भाग्यशाली कहा जाता है। कभी ऐसा क्यों नहीं होता कि किसी के साथ बुरा हो जाए और कहा जाए की उसका भाग्य बड़ा अच्छा है। अरे वाह तुम्हारा ऐकसिडेंट को गया, तुम्हारे यहां चोरी हो गई, तुम बीमार हो गए, वाह तुम्हारा भाग्य बड़ा अच्छा है, या कभी किसी के साथ अच्छा हो जाए और कहा जाए कि उसका भाग्य खराब है। अरे तुम्हारी नौकरी लग गई, तुम्हारी इतनी तरक़्क़ी हो गई, तुम सफल हो गए, अरे तुम्हारा तो भाग्य ही खराब है।
नहीं ऐसा नहीं कहा जाता अब सवाल यह आता है कि क्या घटनाएँ हमारे हाथ में हैं? जी नहीं, घटनाएँ हमारे हाथ में नहीं हैं पर उन घटनाओं पर कैसा React करना है यह पूरी तरह हमारे हाथ में है। यह हमारे चयन पर निर्भर करता है कि हम कैसी चुनाव करते हैं।
यदि किसी के मुझे बुरा कहने पर मैं भी उसे बुरा कहने लगता हूँ तो मैं यह चुनाव कर रहा हूँ कि वह और भी बुरा कह सकता है या मैं यह भी चुनाव कर सकता हूँ कि मैं उसको जवाब ही न दूँ या मैं उसके बुरे बर्ताव के बाद भी उसके साथ शालीन स्वभाव से बात करूं। यदि किसी के बेवजह ग़ुस्सा होने पर मैं यह भी चयन कर सकता हूँ कि मैं उससे अधिक ग़ुस्से से उससे बात करूं और मैं तय करूँ कि मेरे संबंध हमेशा के लिए समाप्त हो जाएँ या फिर मैं उसके ग़ुस्से को शांत करने और ग़ुस्से के कारण को जानकर उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास करूँ ताकि मेरे उससे संबंध बेहतर हो सकें।
अब कोई यह कहे कि ये मेरे भाग्य के कारण हो रहा है, तो नहीं मैं यह नहीं मानता यह सब हमारे द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण ही होता है। यकीनन कुछ चीज़ें हमारे हाथ में नहीं हैं जैसे कि हमारा जन्म किस घर में हुआ है, हमें कैसे माता पिता मिले हैं, हमें कैसे रिश्तेदार मिले हैं, पर ऐसा नहीं है कि उन हालातों में कोई सफल ही नहीं हुआ है,और यदि आपके जैसे हालातों से उठकर कोई एक भी व्यक्ति सफल हुआ है और आज उसे भाग्यशाली कहा जा रहा है तो यक़ीनन आप भी सफल और भाग्यशाली बन सकते हैं,और मैं दावे का साथ कह सकता हूँ कि आप से बुरे बुरे हालातों से उठकर लोग सफल हुए हैं, लोगों को भाग्यशाली कहा जा रहा है क्योंकि आज वे सफल है।
आप से कम पढ़ें लिखे लोग सफल हैं, आपसे कम सुन्दर लोग सफल हैं आपसे कम अच्छा बोलने वाले लोग सफल हैं, आपसे अधिक ग़रीबी में पले बढ़ें लोग सफल है और आज इन सभी को भाग्यशाली भी कहा जाता है।
जब वे सफल हो सकते हैं तो आप भी सफल हो सकते हैं और सफल होते ही आपको भी भाग्यशाली ही कहा जाएगा, कोई यह नहीं कहेगा कि आप बहुत मेहनती थे, आप बहुत संघर्ष करते थे, आप बहुत जुझारू थे, आप बहुत मज़बूत मानसिकता वाले थे, हर कोई यही कहेगा कि आपका भाग्य बड़ा अच्छा था, जबकि केवल आपको पता होता है कि आपने चुनौतियों और कठिन फैसले लेकर खुद अपने भाग्य का निर्माण किया है।
आखिर कब तक यूँ ही मूक दर्शक बने रहोगे? अब भी समय है, सरकार से सवाल करिए,कहीं ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए। ये पूरी तरह सरकार की नाकामयाबी है, पूरी तरह System का Failure है।
नेताओं के आलोचक या समर्थक नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदार नागरिक बनकर सोचिए
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