Man ki nahi manan ki bat #bhawna

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24/08/2023

🌒🌙😍❤️👍
चंद्रमा की सतह पर आज ये छवि स्थायी रूप से अंकित हो गई है क्योंकि रोवर के टायरों पर यह छाप
है अब ये निशान चांद पर हजारों साल तक ऐसे ही बने रहेंगे, क्योंकि चांद पर हवा नहीं होती

03/12/2022
27/08/2022

महाभारत में यक्ष - युधिष्ठिर संवाद में यक्ष द्वारा पूछे गए एक ही श्लोक में चार प्रश्न -
*को मोदते? किमाश्चर्यं?*
*कः पन्था? का च वार्तिका?।*
*ममैतांश्चतुर: प्रश्नान्*
*कथयित्वा जलं पिब।।*

अर्थात् - सुखी कौन है? आश्चर्य क्या है? मार्ग क्या है? और वार्ता क्या है? मेरे इन चारों प्रश्नों का उत्तर देकर जल पियो।

प्रथम प्रश्न का युधिष्ठिर द्वारा प्रदत्त उत्तर -
*पञ्चमेsहनि षष्ठे वा*
*शाकं पचति स्वगृहे।*
*अनृणी चाप्रवासी च*
*स वारिचर! मोदते।।*
(महा. वनपर्व - ३१३/११४-११५)

अर्थात् - हे जलचर यक्ष! जो मनुष्य किसी का ऋणी नहीं है, परदेश में नहीं है, भले पांच-छः दिनों के अन्तराल में अपने घर में शाक, पात पकाकर खाता हो तो वह सुखी है।

*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

*वाच्यावाच्यं प्रकुपितो न विजानाति कर्हिचित् ।*
*नाकार्यमस्ति क्रुद्धस्य नावाच्यं विद्यते क्वचित् ॥*

*भावार्थ -* क्रोध मनुष्य का महान शत्रु है। क्रोध से भरे मनुष्य को किस समय क्या कहना चाहिये और क्या नहीं, इसका ज्ञान नहीं रहता। ऐसा व्यक्ति मानवता को त्यागकर पशुता का वरण कर लेता है उसके लिए कुछ भी अकार्य और अवाच्य अर्थात कुछ भी न करने योग्य और न कहने योग्य नही रहता; अतः क्रोध से बचने का अभ्यास करना चाहिये।

🌹आपका आज का दिन
मांगल्य से परिपूर्ण रहे।🌹
Vo

15/07/2022

*🌷अच्छी बातें याद रखो🌷*


*दो भाई परस्पर बडे़ ही स्नेह तथा सद्भावपूर्वक रहते थे।*

*दोनो भाई जब भी कोई वस्तु लाते तो एक दूसरे के परिवार के लिए भी अवश्य ही लाते, छोटा भाई भी सदा उनको आदर तथा सम्मान की दृष्टि से देखता !*

*एक दिन किसी बात पर दोनों में कहा सुनी हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि छोटे भाई ने बडे़ भाई के प्रति अपशब्द कह दिए। बस फिर क्या था ?*

*दोनों के रिश्तों के बीच दरार पड़ गई। उस दिन से ही दोनों अलग-अलग रहने लगे और दोनों के बीच बोलचाल भी बंद।*

*इसीतरह कई वर्ष बीत गये !*

*मार्ग में जब दोनों आमने सामने मिल भी जाते तो कतराकर दृष्टि बचा जाते।*

*कुछ वर्षों बाद छोटे भाई की कन्या का विवाह आया। उसने सोचा बडे़ आखिर बडे़ ही होते हैं, जाकर मना लाना चाहिए ,अब ऐसी भी क्या नाराजगी !*

*वह बडे़ भाई के पास गया और पैरों में पड़कर पिछली बातों के लिए क्षमा माँगने लगा । बोला, "अब चलिए और विवाह कार्य संभालिए !"*

*पर बड़ा भाई न पसीजा, उसके घर चलने से साफ मना कर दिया।*

*छोटे भाई को बहुत दुःख हुआ। अब वह इसी चिंता में रहने लगा कि कैसे भाई को मनाया जाए।*

*इधर विवाह के भी बहुत ही थोडे दिन रह गये थे। बाकी सगे संबंधी आने लगे थे !*

*एक सम्बन्धी ने बताया, "तुम्हारा बडा भाई एक संत के पास प्रतिदिन जाता है और उनका बहुत आदर भी करता है औऱ कहना भी मानता है!"*

*छोटा भाई उन संत के पास पहुँचा और पिछली सारी बातें बताते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की तथा गहरा पश्चात्ताप व्यक्त किया और उनसे प्रार्थना की,*

*''आप किसी भी तरह मेरे भाई को मेरे यहाँ आने के लिए राज़ी कर दे !''*

*दूसरे दिन जब बडा़ भाई सत्संग में गया तो संत ने उससे पूछा, "क्यों तुम्हारे छोटे भाई के यहाँ कन्या का विवाह है ? तुम क्या-क्या काम संभाल रहे हो ?"*

*"मैं तो विवाह में सम्मिलित ही नही हो रहा गुरुदेव । कुछ वर्ष पूर्व मेरे छोटे भाई ने मुझे ऐसे कड़वे वचन कहे थे, जो आज भी मेरे हृदय में काँटे की तरह खटक रहे हैं !*

*संत जी ने कहा, "सत्संग के बाद मुझसे मिल कर जाना..जरूरी काम है....!"*

*सत्संग समाप्त होने पर वह संत के पास पहुँचा, उन्होंने पूछा, "मैंने गत रविवार को जो प्रवचन दिया था उसमें मैंने क्या कहा था...*

*ज़रा याद करके बताओ..?"*

*अब बड़ा भाई बिलकुल मौन!*

*काफी देर सोचने के बाद हाथ जोड़ कर बोला, " माफी चाहता हूँ गुरुदेव ,कुछ याद नहीं आ रहा कौन सा विषय था ?"*

*संत बोले, "देखा! मेरी बताई हुई अच्छी बातें तो तुम्हें आठ दिन भी याद न रहीं और छोटे भाई के कडवे बोल जो की वर्षों पहले कहे गये थे, वे तुम्हें अभी तक हृदय में चुभ रहे है।*

*जब तुम अच्छी बातों को याद ही नहीं रख सकते, तब उन्हें जीवन में कैसे उतारोगे"*

*"और जब जीवन नहीं सुधरा तब सत्सग में आने का लाभ ही क्या रहा ? अतः कल से यहाँ मत आया करना...*
*बेकार अपना समय व्यर्थ मत करो... !''*

*अब बडे़ भाई की आँखें खुली।उसने आत्म-चिंतन किया और स्वीकार किया _"मैं वास्तव में ही गलत मार्ग पर हूँ !"*

*उसके बाद वह अपने छोटे भाई के घर गया औऱ उसे अपने गले से लगा लिया।*

*दोनों भाईयों के आँखों में खुशी के आँसू थे.......!!*

*हमारे साथ भी कभी ऐसा ही होता है ।अक्सर दूसरों की कही किसी बात का हम बुरा मान जाते हैं और बेवजह उससे दूरी बना लेते हैं।*

*जबकि हमें ये चाहिए कि हम आपसी बातचीत से मन में उपजी कटुता को भुलाकर सौहार्द पूर्ण वातावरण बनाएं।*

🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
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13/07/2022

*आमंत्रण और निमंत्रण*

अंग्रेजी में एक शब्द है *इनविटेशन (invitation)*
*इसका हिंदी में अर्थ आमंत्रण या फिर निमंत्रण?*
सवाल यह है कि किसी व्यक्ति को इनवाइट करने के लिए हिंदी में 2 शब्द क्यों है?
हिंदी में हर शब्द का अपना अर्थ होता है , क्या दोनों एक दूसरे से अलग हैं? दोनों में क्या अंतर है? आमंत्रण और निमंत्रण शब्दों का प्रयोग कब और किस परिस्थिति में किया जाता है?
*आमंत्रण' और 'निमंत्रण* दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा नहीं है। दोनों ही शब्दों में *मंत्र* धातु की एक सी उपस्थिति है। सामान्य रूप से *आमंत्रण और निमंत्रण* बुलावे के लिए प्रयुक्त होते हैं, परंतु *आ और नि* के चलते इनके अर्थों में विशिष्टता आ गई है। हिंदी में एक एक शब्द को प्रचलन में शामिल करने से पहले उस पर काफी अनुसंधान हुए हैं।
*आमंत्रण का संबंध किसी को बुलाये जाने से है, पर इसमें कोई निश्चित तिथि और समय का बंधन नहीं होता है।*

मतलब अगर आपको किसी के द्वारा आमंत्रित किया गया है तो आप निश्चिंत होकर जब आपको फुर्सत मिले जा सकते हैं। कोई समय की बाध्यता नहीं है। जिसे बुलाया गया हो, वह आमंत्रित है और जिसने बुलाया है वो आमंत्रियता है।
*निमंत्रण का संबंध किसी को किसी काम के लिए निश्चित समय और तिथि पर आग्रहपूर्वक बुलाने से है।*
अगर किसी ने निमंत्रित किया है तो आप को जिस समय पर आने को कहा गया है, आप को उसी समय पर जाना चाहिए। जैसे कि – अगर आपको भोज खाने के लिए निमंत्रित किया गया है और आप, जिस समय आने को कहा गया है, उस समय न जाकर; कभी और गए तो बचा-खुचा जो होगा, आप उसी के हकदार होंगे।
*आमंत्रण देनेवाले के लिए आमंत्रित व्यक्ति से किसी प्रकार का कोई पूर्व संबंध और परिचित होना जरूरी नहीं होता है। मतलब कि अंजान इंसान को भी आप आमंत्रित कर सकते हैं।*
*जबकि निमंत्रण भेजनेवाले का निमंत्रित व्यक्ति से किसी न किसी प्रकार का संबंध जरूर होता है।*
किसी से मिलने या फिर किसी वक्ता आदि को सुनने के लिए किसी को आमंत्रित किया जाता है, जबकि किसी को भोज में बुलाने या फिर विवाह समारोह में बुलाने के लिए निमंत्रित किया जाता है।
*आमंत्रण किसी विषय विशेष पर विशेष व्यक्ति का बुलावा होता है। निमंत्रण किसी अवसर विशेष पर विशेष व्यक्तियों का बुलावा होता है।*
आमंत्रण में लक्ष्य निर्धारित होता है और लक्ष्य प्राप्त होते ही आमंत्रण समाप्त हो जाता है।
निमंत्रण में लक्ष्य के साथ लोकाचार भी होता है। लक्ष्य प्राप्ति के बाद उत्सव होता है।
आमंत्रण मे मंच पर वक्ता को आमंत्रित किया जाता है।
कार्यक्रम में श्रोता को आमंत्रित किया जाता है।
*मीटिंग, सेमिनार, समाज सेवा के कार्य, कला एवं संस्कृति के आयोजनों में लोगों को आमंत्रित किया जाता है।*
आमंत्रण में हर व्यक्ति के पास एक लक्ष्य होता है। वह या तो वक्ता होता है या फिर श्रोता।
आमंत्रण से व्यक्ति की प्रतिष्ठा जुड़ती है।

निमंत्रण, आमंत्रण से अलग कैसे है?
निमंत्रण में सिर्फ शारीरिक उपस्थिति उपयोगी है।
निमंत्रण में एक आयोजन होता है परंतु प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित नहीं होता।
निमंत्रण में आयोजन पूर्ण होने पर भोजन आदि के साथ उत्सव मनाया जाता है।
निमंत्रण सामाजिक मेल मिलाप के लिए होता है।
निमंत्रण भारत में लोकाचार का एक साधन है ।
विवाह समारोह में निमंत्रण दिया जाता है।
धार्मिक आयोजनों में निमंत्रण दिया जाता है।
पारिवारिक कार्यक्रमों में निमंत्रण दिया जाता है।
*सरल शब्दों में समझें तो आमंत्रण ऑफिशियल इनविटेशन है, निमंत्रण पर्सनल इनविटेशन है।*


विभिन्न स्रोतो से जानकारी

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12/07/2022

*जानें सावन माह में रुद्राभिषेक का महत्व 2022 और इससे मिलने वाले फायदे*.....

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है, फिर इसके बाद 14 जुलाई से हिंदू विक्रम संवत 2079 का पांचवां महीना सावन आरंभ हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना बहुत ही पवित्र होता है। यह माह भगवान शिव को सबसे प्रिय होता है। सावन के महीने में लोग भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-आराधना करते हैं। सावन के महीने शिव भक्त मंदिर में जाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर तरह की मनोकामनओं की पूर्ति करते हैं। इस कारण से सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने का खास महत्व होता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक अलग-अलग चीजों से किया जा जाता है जिसका विशेष महत्व होता है। ऐसे में सावन माह के शुरू होने से पहले हम आपको उन वस्तुओं से भगवान शिव का अभिषेक और इससे मिलने वाले फल के बारे में जानकारी देते हैं।

*दूध से अभिषेक*
भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। सावन के महीने के प्रत्येक दिन भगवान शिव का अभिषेक गाय के दूध और विशेषकर सावन के सोमवार को अवश्य ही करना चाहिए। भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति को संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है।

*दही से अभिषेक*
महादेव का दही से अभिषेक करना विशेष लाभकारी माना गया है। अगर शिवलिंग का दही से अभिषेक किया जाय तो जातक के कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। इसके अलावा दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

*गंगाजल के शिवजी का अभिषेक*
भगवान शिव ने अपनी जटाओं में मां गंगा को धारण कर रखा है। ऐसे में जो भक्त सावन के महीने में शिवजी का अभिषेक गंगाजल से करता है शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। गंगाजल से अभिषेक करने पर व्यक्ति जीवन और मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।

*शहद से अभिषेक*
भगवान शिव का रुद्राभिषेक शहद से करने का विशेष महत्व होता है। जो शिव भक्त सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का अभिषेक शहद से करता है उसको जीवन में हमेशा मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा शहद से अभिषेक करने पर व्यक्ति की वाणी में पैदा दोष खत्म हो जाता है और स्वभाव में विनम्रता आती है।

*घी से अभिषेक*
अगर भगवान शिव का अभिषेक शुद्ध देसी घी से किया जाय तो व्यक्ति की सेहत अच्छी रहती है। अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी की वजह से लंबे से ग्रसित है तो सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक घी से अवश्य ही करना चाहिए।

*इत्र से अभिषेक*
भगवान शिव का अभिषेक इत्र से भी जाता है। जो जातक किसी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं उन्हें भगवान शिव का अभिषेक इत्र से करना चाहिए। इत्र से अभिषेक करने पर जातक के जीवन में शांति आती है।

*गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक*
व्यक्ति के जीवन से आर्थिक परेशानियां खत्म करने के लिए शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस करना लाभ देने वाला होता है। इससे व्यक्ति पैसे की किल्लत की समस्या से बाहर निकल आता है।

*शुद्ध जल से अभिषेक*
पुण्य लाभ और शिव कृपा पाने के लिए शुद्ध जल से अभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।


*सरसों के तेल से अभिषेक*
जिन जातकों की कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष होता है उन्हे शिव का अभिषेक सरसों के तेल से करना चाहिए। इससे पाप ग्रहों का कष्ट कुछ कम हो जाता है और शत्रुओं का नाश व पराक्रम में इजाफा होता है।

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