Jat History, Our Valour

यह पेज जाटो के गौरवशाली इतिहास को सामने लाने का एक प्रयत्न है। जय दादा सूरजमल 🚩🚩🇮🇳 Jat, & Only Jat!!

19/11/2023
Photos from Jat History, Our Valour's post 12/11/2023

साथियो एक लम्बे अरसे के बाद जाकर कलम उठा रहा हूँ, ज़्यादा से ज़्यादा शेयर अवश्य करे।

योद्धा रामपाल जाट का जन्म सन् 1604 ईस्वी फरबरी माह में सेथ्रापुर गांव (वर्तमान ज़िला हाथरस, तहसील सादाबाद) के जमींदार चौधरी वीरपाल अघा/हंगा के घर हुआ, बचपन से ही वह योद्धाओं की भांति गर्म खून लेकर पैदा हुए थे तथा जब मथुरा का मुग़ल फौज़दार मुर्शीद कुली ख़ाँ बेश बदल कर बाज़ार एवम् मेलों में गुस कर सुंदर इस्त्रियों एवम् बच्चियों का जबरन जबरदस्ती अपहरण करने लगा तब जाटों को यह बात रास न आई मथुरा में उस समय हँगा खाप पंचायत (अग्रपाल खाप) संयुक्त रूप से सक्रिय थी जो तुरंत हरक़त में आई एवम् 600 से 800 जाटों की सैन्य टुकड़ी लेकर मुर्शीद कुली ख़ान के खिलाफ बगावत करदी बाद में कई अन्य गोत्र जैसे छोंकर, सिकरवार, खुंटेल आदि ने भी इस संघर्ष में भाग लिया एवम् अग्रपाल खाप की सहायता की और हमले की पूरी योजना बन गई, अतेह योद्धा रामपाल को खुदको साबित करने का मोका मिल ही गया चौधरी रामपाल हंगा को इस हमले के लिए नेता चुना गया जिसने अपना कार्य बखूबी निभाते हुए न सिर्फ़ जाटों का नेतृत्व किया अपितु सन् 1638 ईस्वी मुर्शीद कुली खां की छाती में भाला उतार कर उस दैत्य की हत्या भी की, इस युद्ध के बाद 1641 ईस्वी में चेचक या चिकेनपॉक्स बीमारी से उनका निधन होगया आज इतिहास के ऐसे महान् योद्धाओं की गाथा जाने कहां दफन होकर रह गई है खेर हम इसे कुरेद कर लाते रहेंगे और आप इसे लोगों तक पोहचाते रहना, जाटों शेयर करो।

जाटों ने रामपाल के नेतृत्व में मुर्शीद की हत्या कर सादाबाद परगणे को आग लगा कर कई अन्य परगणे लूट लिए थे, यह सादाबाद की छावनी मुग़ल बादशाह जहांगीर के समय ही विकसित की गई थी।

जहां एक और एक दानव का अंत हुआ वहीं दूसरा दानव आ खड़ा हुआ अब्बदुन नवी खां को अगला मथुरा फौजदार नियुक्त किया गया बादशाह जहांगीर द्वारा फिर सादाबाद परगणा दुबारा आबाद हुआ तो सन् 1669 ईस्वी में हंगापाल के चौधरी गोकुल जाट (हगा चौधरी) ने उसे दुबारा लूट कर अब्दुन नवी खां की हत्या कर मुगलों की छावनी सादाबाद को दुबारा लूट लिया था।

आज जाट योद्धा चौधरी रामपाल हंगा पर किसी इतिहासकार ने कलम नही उठाई है यहां तक जाट इतिहासकारों ने भी इस वीर का ज़िक्र नहीं किया है यह उन चुनिंदा नामों में से जो सबसे पहले मुगलों के पतन के दौरान उनसे लोहा लेने पोहचे थे, राजा राम जाट का विद्रोह 1684 ईसा में हुआ लेकिन योद्धा रामपाल चौधरी का विद्रोह 1638 ईस्वी में ही होगया था जिसका मकसद था मुर्शीद कुली खां की हत्या जिसमें वह वीरता के साथ सफ़ल हुए।
इस महान् क्रान्तिवीर को सादर नमन्। #चौधरी_रामपाल_हंगा #योद्धा_रामपाल_जाट #जाट #जाट_इतिहास #जट्ट

24/06/2021

naman...

Jats The Ancient Rulers 18/05/2021

book by IRS(R.) !! Published in 1980 by Sterling Publishers and by Dahinam Publishers in 1982!

Want to read -(in English)
https://sikhnationalarchives.com/book/read/jats-the-ancient-rulers/

#इतिहासकार_बीएस_दहिया की पुस्तक #जाट्स_दि_ऐन्शिएण्ट_रूलर्स!

Jats The Ancient Rulers

Photos from Jat History, Our Valour's post 03/04/2021

सारे भाई एक साथ नारा लगा दो

जय दादा रामलाल खोखर #जाट!

सन् 1206ईस्वी, भारत से वापस लौटते वक्त रास्ते में ही महम्मद गौरी पर धम्याक नामक स्थान पर खोखर गोत्री जाट योद्धा रामलाल के नेतृत्व में 25 हज़ार जाटों द्वारा गौरी को घेरकर मौत के घाट उतार दिया गया था, तारीख थी 15 मार्च।
धम्याक, वर्तमान सिंध प्रांत में स्तिथ है. जहाँ पर गौरी की क़ब्र/मक़बरा भी मौजूद है।

नोट, क्रेडिट्स
Ch. Reyansh Singh
Jat History Our Valour (Fb Page)!
[https://fb.me/AncientJatts/]
Thanks!!

#शेयर_करदो_भाइयों।
#जाट_इतिहास_हमारी_पहचान

Photos from Jat History, Our Valour's post 15/02/2021

कुषाण सम्राट, कनिष्क महाराज जी जाट।

इतिहासकार बीएस दहिया की पुस्तक, जिस भाई को पीडीएफ़ चाहिए, वो संपर्क करे, https://fb.me/AncientJatts/

धन्यवाद्।
कृपया शेयर अवश्य करें।।

13/02/2021

आज का शीर्षक, "अंतिम शब्द"
टू- समस्त जाट समाज
बाई- चौ॰रेयांश सिंह
संपर्क, https://fb.me/AncientJatts/

जाटों के विषय में,
इतिहासकार बीएस दहिया, विश्व में ऐसा कोई युद्ध नहीं गिनाया जा सकता, जिसमें जाट वीरों ने अपने मात्रभूमि के लिए खून न बहाया हो!

कॉर्नेल जेम्स टॉड, आज जो जाट उत्तरी भारत में खेती करते पाए जाते हैं, ये उन्हीं प्रचण्ड वीरों के वंशज हैं, जिनके पराक्रम से एक समय समस्त मध्य एशिया और यूनान कांप उठा था।

हेरोडॉटस(इतिहास का महापिता), जब जब जाटों में एकता हुई तब संसार की कोई जाती बहादुरी में इनका मुक़ाबला नहीं कर सकी।

आदि आदि।

परन्तु आज का टॉपिक यह नहीं है।
आज के टॉपिक की बात कर लेते हैं, हम सब जानते हैं कि जाट समाज का अतीत/इतिहास इतना स्वर्णिम है कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, अपितु आज हम लोग वर्तमान के बारे में बात करेंगे।

शीर्षक, अंतिम शब्द रखने कि वजह है, की मैं कोई ठेकेदार हूं कै??
मैं दिन रात एक करके जाटों का इतिहास लिखने की कोशिश कर रहा हूं? किसके लिए, अपने लिए कदाची नहीं अपने समाज के लिए परन्तु वर्तमान वास्तविकता तो यह है कि मैं जिसके लिए लड़ रहा हूं, उसे ही जितने का कोई शौक़ नहीं, अर्थात् में ऐसा प्याला हूं जिसकी किसी को कोई आवश्यकता ही नहीं है, मैं दिन रात एक करके जाटों का इतिहास लिखूं अपने पढ़ने के लिए?? क्योंकि जाट को अपने इतिहास से कोई मतलब ही नहीं, अरे गुज्जरों को ही देखलो, उनपे पैसे भी हैं और शौक़ भी इतिहास लिखने का, ऐसा नहीं के तुमपे पैसे नहीं लेकिन जैसा की ऊपर कहा गया, जाट को कोई मतलब नहीं अपने इतिहास से।

आज के पोस्ट का माध्यम,
आपको यह बताने का है कि यदि राजा(जाट समाज) को ही जितने(इतिहास को लिखने पढ़ने) का कोई शौक़ नहीं तो एक प्याला(मैं) अकेला क्या उकाड़ लूंगा??

जब तक राजा महल में सो रहा हो, तब तक प्याले कि अकेले कोई औकात नहीं होती, माना मैं योद्धाओं का वंशज हूं, परन्तु यदि मेरे साथ कोई है ही नहीं तो मैं अपनी जान क्यूं फूँकुं??
मुझपे ठेका है क्या, और यदि है भी तो अकेले मेरे का कार्य नहीं है ये, यदि मुझपर है तो समस्त समाज पर है, वही बात है अकेला चना पहाड़ कोणी ख़ोदै, यदि समाज को कोई मतलब नहीं तो मैं अकेला ठेका उठाने का ज़िम्मेदार नहीं हूं।

यदि मेरे समाज को जागरूक करने का ज़िम्मा मेरा है, जो कि मैं पोस्ट के माध्यम से करने की कोशिश कर रहा था, जिसमें जाट समाज को मेरा सहयोग करना चाहिए था, लेकिन जैसा कि मैंने कहा, जाट को कोई मतलब नहीं।

निष्कर्ष,
यदि वास्तव में समाज को कोई मतलब नहीं तो यह वास्तविकता में मेरी ओर से अंतिम पोस्ट सिद्ध होगी।

कारण,
जो अभी तक नहीं समझे, उनके लिए
वर्तमान में तुम लोग अपना अस्तित्व और वर्चस्व खुद ही देख लो,मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं, तुम लोग अपना इतिहास नहीं पढ़ना चाहते, चलो कोई नहीं जब कोई दूसरा बता रहा है(एक प्याला) तो उसका साथ भी नहीं दे सकते??

विद्वान् मार्कस गॉर्वे, एक व्यक्ति अपने इतिहास, पूर्वजों और परम्पराओं आदि की ज्ञक्ति के बिना और एक बिना जड़ों का पेड़ दोनों ही हर एक रूप से समान हैं।
इतिहासकार ठाकुर देशराज जी लिखते हैं, "अपने इतिहास, संस्कृति और परंपराओं, बुजुर्गों आदि की ज्ञाक्ति के बिना, कोई भी व्यक्ति या समुदाय, अपना अस्तित्व बरकरार रखने में असमर्थ सिद्ध है।

एक बात बताओ, शेयर करने में शर्म आती है क्या???

ऊपर गुर्जर समाज का ज़िक्र किया गया था,
नोट, यह पोस्ट भाईचारा खराब करण कूं कोणी, मगर गुज्जर समाज भी आज इतिहास चुराने की दौड़ में उतर आया है, मेरा समस्त गुर्जर समाज को चैलेंज है, किसी भी सम्राट पर डिबेट लगा लेना, आज आप लोग कनिष्क को अपना बता रहे हो, चलो ढूंढ़ो और बताओ कि आज से 10साल पहले की ऐसी कोंसी किताब है जिसमे कनिष्क को गुज्जर लिखा है??

#कनिष्क_सम्राट जाट थे,
इतिहासकार ठाकुर देशराज,
किताब, बीकानेर जाग्रति के अग्रदूत
पृष्ठ, 9

सर अलेक्जेंडर कनिंघम,
शेर ए हिंद पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह जाट, कनिष्क सम्राट कुषाण का वंशज है।

इंग्लैंड में, सन् 1935में किताब पब्लिश हुई थी, "द सेपॉय" उसमें सम्राट कनिष्क और महाराजा पोरस को जाट लिखा गया है।

सन्1980ईस्वी में स्टर्लिंग पब्लिशर्स द्वारा छंपी गई पुस्तक, "जाट्स द एंसयंट रूलर्स" लेखक, "विद्वान् इतिहासकार बीएस दहिया" पृष्ठ क्रम 18---

आप बताओ आज से सिर्फ़ 8-10साल पुरानी किताब ही बता दो??

किसी भी राजा पर, डिबेट के लिए तैयार हैं,
चौ॰रेयांश सिंह(https://fb.me/AncientJatts/)

11/02/2021

"जाट्स द ऐन्सिएँट रूलर्स (ए क़्लाण स्टडी)"
लेखक, महान् विद्वान् लेखक इतिहासकार बीएस दहिया।

प्रस्तुतकर्ता, चौ॰रेयांश सिंह(राइटर ऑफ़ दिस पोस्ट)
भाइयों, यह #इतिहासकार_बीएस_दहिया की बुक/किताब जाट्स द एन्सियँट रूलर्स की पूरी पीडीएफ़ है, इसे कृपया #शेयर अवश्य करें और जानकारी को दुनियाँ के हर जाट तक पहुंचाएं, बड़ा उपकार होगा।

इसके लिए बहुत मेहनत लगी है, दुनियाभर के पापड़ बेलने के बाद जाकर ये पुस्तक हाथ आई है, यदि ऐसे में भी इस मेरे #जाट भाई नहीं पढ सके तो मेरी मेहनत बेकार है, कृपया आप सभी भाइयों से निवेदन है कि इसे ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।

#शेयर_अवश्य_करें

#लिंक (पीडीएफ़ फ़ाइल की)
👉https://drive.google.com/file/d/1fFGLjHIPwJN55ymkoJacn0hMigrIq8fb/view?usp=drivesdk,

साइज़, लगभग 300 एमबी।
थोड़ी बड़ी ज़रूर है, परन्तु इतिहासचोरों के मुंह पर तमाचा भी उतना ही बड़ा है, जय श्री जाट देवता।
डाउनलोड करने के लिए ऊपर के लिंक को, अपने गूगल ड्राइव(एप्लिकेशन) में खोलें ऑप्शन" पर क्लिक करके डाउनलोड कर लें, धन्यवाद्।

कृपया शेयर करें, और इसे डाउनलोड करके अवश्य पढ़ें।

नोट,
क्रेडिट्स- जाट हिस्ट्री, आउर वैलर(एफबी पेज)
https://fb.me/AncientJatts/

स्पैशल थैंक्स टू-
मि॰अशोक सिंह जी भादू।

#जाट_हिस्ट्री #जट्ट #जट्ट_हिस्ट्री #जाट_इतिहास_हमारी_पहचान। #जाटों_का_अंतर्राष्ट्रीय_इतिहास।


आपका बहुत बाहुत धन्यवाद

#प्लीज_शेयर
ाट_देवता
ाट_एकता
्री_जाट_देवता

06/02/2021

#किसान_एकता_ज़िंदाबाद।

Photos from Jat History, Our Valour's post 04/02/2021

ाट_देवता
#शेयर_करो_भाइयों

Timeline photos 01/02/2021

जाट एण्ड ऑन्ली जाट!
शेयर अवश्य करना।

प्रस्तुतकर्ता चौ॰रेयांश सिंह (लेखक)
कॉन्टेक्ट, एफबी पेज:- जाट हिस्ट्री, ऑउर वलोर।
लिंक, https://fb.me/ancientjatts/

आज की इस पोस्ट को हर एक भाई पूरा अंत तक ज़रूर पढ़े और आपसे विनती है, कृपया शेयर भी अवश्य करे, बड़ा उपकार होगा।🙏🙏🙏

आज का शीर्षक, "दिल्ली के तोमर, जाट"

पहले ही बता देना चाहूँगा की यह जो भी लिखने जा रहा हूँ, कुछ भी हवा म् ऐंवई कोणी है, किताब पाण्डव गाथा, लेखक विद्वान् महाद्वीप् इतिहासकार डॉ॰कंवरपाल सिंह जी द्वारा रचित पुस्तक के पृष्ठ क्रम, 50-60 तक आप पढ़ सकते हैं, धन्यवाद्।

प्रथम पॉइंट:- इतिहासकार जून और डॉ महक सिंह के प्रमाणों के आधार पर यह पुष्टि होती है कि, दिल्ली के तोमर राजे जाट थे। व किसी भी अन्य जाती में तोमरों का पाया जाना जाटों से उत्पन्न हुआ है।
सबूत, आई॰सारा कनाड़ा की एक शोध छात्रा ने अपने शोध में बताया था कि, यूक्रेन में जाटों की आबादी लगभग 32हज़ार थी(वर्तमान में एक लाख के करीब), उनकी देसी बोली को जाटली कहा जाता है, जिनमे तोमर सहित अन्य 70गोत्र और भी विराजमान हैं, जो कि ब्रज के जाट गोत्रों से मेल खाती हैं, और आगे यह भी बताया कि उज़्बेकिस्तान में भी जाट जाती के लोग निवास करते हैं, व उनकी बोली में आज भी ब्रज भाषा के बहुत से शब्द सम्मिलित हैं। इस टॉपिक पर सन्1991 में इतिहासकार दलीप सिंह अहलावत ने एक लेख भी प्रस्तुत किया था। इससे यह पता चलता है कि भारत से बाहर के तोमर भी जाती से जाट हैं, अर्थात् तोमर मूल रूप से जाट थे, क्योंकि भारत में तोमर यदि जाट हैं तो विदेश में भी जाट होना, तोमरों का प्राचीन जाट वंशी होना सिद्ध करता है।

द्वितीय् पॉइंट:- तोमरों का प्राचीनतम जाट होने का एक प्रमाण यह भी है कि, जाट तोमर आज भी अपने नाम के साथ पाण्डववंशी/कौन्तेय/कुंतल, आदि अपने नाम के साथ प्रयोग करते हैं, जबकि अन्य जातियों में तोमर सिर्फ़, तोमर ही लिखते हैं, यह तोमर जाटों का प्राचीनतम पाण्डववंशी होना सिद्ध करता है।

तृतिय् पॉइंट:- सुर्जन चरित्र, श्लोक1-10 तक दिल्ली के तोमर राजाओं का ज़िक्र किया है, और उन्हें कुंतलेश्वर कहकर संबोधित किया गया है, कुंतल/कौन्तेय आज भी जाटों(तोमर जाटों) के उपनाम हैं।

चतुर्थीय:- पृथ्वीराज रासो और कुमारपाल जैसे ग्रंथों में 36 क्षत्रिय कुलों का वर्णन् मिलता है, जिसमें तोमरों को अलग से कोई स्थान नहीं प्राप्त है, बल्कि तोमर को जाट कबीला ही लिखा गया है, अर्थात् तोमर गोत् को अलग न रख कर जाटों में ही स्थान प्राप्त है।

पाञ्च:-किताब, जर्नेल आॅफ़ एशियाॅटिक सोसाॅयटी आॅफ़ द बंगाल(प्रथम भाग), के पृष्ठ क्रम108 पर बोहर नामक गाँव(ज़िला सोनीपत, हरयाणे) में विक्रमी संवत् 1337(1280 ईसवी) का एक शिलालेख प्राप्त हुआ था, जिसपर लिखा था कि हरयाणे तथा दिल्ली पर पहले तोमर जाटों का राज्य था, फ़िर चौहानों का हुआ और फिर बादमें गौरी सुल्तान का राज रहा था।
इस बात का ज़िक्र इतिहासकार दलीप सिंह अहलावत ने अपनी पुस्तक, "जाट वीरों का इतिहास" पृष्ठ457 पर भी किया है, और आगे यह भी लिखा है कि, इस बोहर गाँव कि स्थापना नादल सिंह तोमर(खुटेला) ने कि थी, उसके वंशज आज नादल गोत्री जाट कहलाते हैं, जो कि तोमरों की शाखा है।

छै:- मथुरा गजेटर के पृष्ठ क्रम336 पर अनंगपाल देव तोमर को जाट राजा लिखा है, व आगे यह भी लिखा है कि जब दिल्ली का राज चहुहानो ने धोखे से अपने नाम कर लिया, तब राजा अनंगपाल ने मथुरा में सौंख़(गोवर्धन के पास) का निर्माण् कराया, जिसपर आज तक जाटों का राज रहा है।
राजा हठी सिंह तोमर किस जाती के थे, यह मुझे किसी को बताने की कोई ज़रूरत नहीं।

सात पॉइंट:- इतिहासकार विद्वान् लेफ़्टिनेंट राम स्वरूप जून ने किताब, "हिस्ट्री ऑफ़ द जाट्स" के 136 पर इस बात का उल्लेख किया है।

आठ:- इतिहासकार दलीप सिंह अहलावत के अनुसार राजपूतों में जो तोमर गोत्र पाई जाती है, व जाटों से उनमें फैली है, अर्थात् तोमर मूल रूप जाट थे जिनमें से कुछने राजपूत संघ में सम्मिलित होकर खुदको राजपुत्र कहना सुरु कर दिया

नौ - हिंदुग्रंथ देव सम्हिता में जाटों की उत्पत्ति भगवान् शिव से बताई गई है, जाटों का वर्णन् भगवान् शिव के गण नंदी के रूप में भी किया जाता है, दिल्ली के तोमर राजाओं के सिक्कों में एक तरफ़ नंदी का चित्रण् होना और नंदी(गौ बच्छ) का उनके राज्य चिन्ह् के रूप में प्रयोग होना, उनके जाट होने की ओर इशारा करता है।

दस- वाकआत् पञ्च हज़ारा(1898) में इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) के पाण्डव वंशी तोमर राजाओं को जाट लिखा गया है।

ग्यारह- पण्डित दयानन्द सरस्वती ने पाण्डुवंशी तोमर राजाओं को जाट ही माना है। इसका ज़िक्र सत्यार्थ प्रकाश में भी किया गया है।

बारह- फ़ारस(ईरान) के प्रसिद्ध तवारीख सैरउलमुखताखरीन, में इंद्रप्रस्थ पाण्डव वंशी तोमर राजाओं को जाट लिखा गया है।

तेरह- कन्निंघम के अनुसार दिल्ली के राजा पिपलदेव तोमर की एक मुद्रा पर कुंतलमान कुतमान सामंत देव लिखा हुआ था, जो उनके पाण्डव वंशी कुंतल जाट होने की ओर इंकित करता है।

चौदह- इतिहासकार ठाकुर देशराज जी ने सन्1964 में प्रकाशित पुस्तक, "बीकानेर जग्रत्ती के अग्रदूत" के पेज नंबर 9 पर लिखा है कि दिल्ली का राज जब तोमरों के हाथ से निकल गया तब कुछ तोमरों ने राजपूत संघ में दीक्षित हो गए, अन्य जिन्होंने यह संघ नहीं अपनाया वे श्रेष्ठ आज भी जाट ही हैं।

पंद्रह- किताब ब्रज की लोक संस्कृति का साहित्य।
लेखक, माधवप्रसद चौबे(चतुर्वेदी) ने दिल्ली सम्राट अनंगपाल देव तोमर को जाट राजा लिखा है।

सोलह- इतिहासकार परमेश शर्मा के शब्दों में, "तोमर जाटों से ही तोमर राजपूतों की उतपत्ती हुई है" इन्होंने भी अनंगपाल देव तोमर को जाट सम्राट लिखा है।
(किताब, पाण्डव गाथा, पृष्ठ 55 पर उल्लेखनीय)

सत्रह- इतिहासकार रतनलाल वर्मा, ठाकुर देशराज, हुकुम सिंह पँवार, और दलीप सिंह अहलावत आदि ने यही माना है कि तोमर गोत् जो राजपूतों में पाई जाती है, उसका मूल स्रोत तोमर गोत्र के जाट ही हैं।
अर्थात् इन विद्वान् इतिहासकारों ने माना है कि तोमर राजपूतों की उत्पत्ति तोमर जाटों से ही हुई है।

नोट, राजपूत और जाटों का अस्तित्व!
भविष्य पुराण के आबू खण्ड के सर्ग 37-42, तक इस बात का ज़िक्र मिलता है, जिसके अनुसार राजपूत जाती की उत्पत्ति सन् 0696 ईसा में "अग्नि कुण्ड पुष्टि यज्ञ" के तहत हुई थी, उससे पहले विश्व के इतिहास में कहीं भी इस जाति का ज़िक्र नहीं मिलता।
जाटों का अस्तित्व, 900बीसीई में संस्कृत स्कॉलर पणिनी विद्वान् ने एक ग्रन्थ की रचना की थी, जिसका नाम था "अष्टअध्यायी" श्लोक 16 में उसने लिखा था, 'जट झट संघाते' अर्थात् जाट लोग जल्दी से संघ बनाते हैं, एकजुट हो जाते हैं। (परिस्थितियों और आवश्यकता अनुसार)

अठारेह- वर्तमान् समय में दिल्ली में तोमर जाटों के बारह गाँव मौजूद हैं जिनमें प्रमुख है महौम्मदपुर, डाबरी, तिरखेवाला, तोमरपुर। और तोमर जाट गोत्रों के उपशाखा जाट गोत्र(जैसे जाटू राणा, सहराव आदिओं) के पच्चास से भी अधिक गाँव मौजूद हैं, जबकि तोमर राजपूतों का एक भी गाँव मौजूद नहीं है। इसके अलावा इतिहास में तंवरहिंद/तोमारहिंद नाम से प्रसिद्ध रहा पञ्जाब क्षेत्र भी तोमर(सूर/शीरा जाटों) की जनसंख्या से भरा पड़ा है(30 गाँव के आस-पास), जबकि वहां भी राजपूत तोमरों का एक भी गाँव नहीं।

इसके अतिरिक्त पाण्डवों को मिले पाञ्चों गाँव इंद्रप्रस्थ, तिलपत(फरीदाबाद, पलवल), व्याघ्रप्रस्थ(बाघपत), स्वर्णप्रस्थ(सोनीपत), और पानीपत आज भी पाण्डव वंशी तोमर जाटों का बहुल्य संख्या के इलाक़े(क्षेत्र) हैं।
(सोर्स/संदेर्भ पुस्तक, पाण्डव गाथा पृष्ठ 55)

दिल्ली का राज हाथ से जाने के बाद, सम्राट अनंगपाल देव ने ब्रज की ओर स्थान किया, और सौंख गढ़ी का निर्माण हुआ, जिनके वंशज आज भी वहां निवास करते हैं, सौंख के तोमर राजे किस जाती से थे यह बताने की ज़रूरत नहीं।
खुटेलपट्टी उस इलाके को बोला जाता है, जहां अनंगपाल देव के वंशज(खुटेला/कुंतल तोमर) निवास करते हैं, लगभक 450गाम हैं, जिनमें से 384गांव तोमर गोत्र के जाटों के हैं, पांच सिंसिंवारों सहित कई अन्य गांव जाटों के हैं।

उन्नीस, राजा अनंगपाल के वंशज आज सब जाट ही हैं।
योद्धा, सौंख का तोमर वंश, पूरी तरह जाट वंश है।
इसी वंश के शासक हुए थे ब्रज केसरी मेवात विजेता महाराजा हठी सिंह तोमर, इसी वंश के शासक #नाहर_सिंह #तोमर ने अलाउद्दीन ख़िलजी को भी युद्ध में हरा दिया था।
खाप योद्धा लोहा सिंह तोमर(कुंतल) बागपत बड़ौत की तोमर खाप के वो योद्धा जिन्होंने शेर शाह सूरी को दिल्ली का बादशाह बना दिया, शेर शाह ने मदद मांगी थी, तब जाटों ने युद्ध में उसका साथ दिया था, यह अनंगपाल देव के वंशज थे।
सन् 1764ईस्वी में महाराजा जवाहरमल ने दिल्ली फतेह करी थी, तब लाल किले के द्वारों पर एक योद्धा शहीद हुए था, जिसका नाम था "पुष्कर सिंह तोमर पाखरिया(कुंतल/खूटेला जाट योद्धा)" यह पाखरिया योद्धा दिलिपती सम्राट अनंगपाल देव तोमर के 19वीं पीढ़ी का वंशज था।
ख़ैर (डेटा खुर्दा, अलीगढ़) का योद्धा अमर सिंह तोमर, महाराजा अनंगपाल देव का वंशज था जिसने सन्1630ईस्वी में औरंगज़ेब व मुग़लों के खिलाफ अभियान शुरू किया था, बादमें युद्ध में पराजित होने पर उसे पकड़ कर मृत्यु दण्ड प्रदान किया गया, अनंगपाल देव का वंशज था, नमन्।
ऐसे सैकड़ों नाम गिनाए जा सकते हैं, तोमर जाटों का इतिहास बहुत बड़ा है, हमारी सोच से भी बड़ा।

इसके अलावा तोमर राजाओं के रिश्तेदारियां सभी जाटों में रहीं थीं, सोलंकी जाट घराने (चालुक्य) और धार/एमपी के पंवारों में भी उनके रिश्तेदारियां रहीं।
इसके अलावा महावन् के सम्राट महाराजा चौ॰ कुलिचंद्र( #हागा #अग्रे_चौधरी गोत्र) भी इनके रिश्तेदार थे, राजा झझन सिंह कुंतल की बेटी बयाई थी इनके वंश में, राजा कुलिचंद एक महान् शासक थे, जो कि 250 हाथियों के मालिक थे, और उन्होंने कुषाण जाट साम्राज्य के शासकों का एक मंदिर भी महावन में बनवाया था, 31युद्ध लड़े जीते थे, जीवन का अंतिम युद्ध महमूद गजनवी के विरुद्ध सन् 1017ईस्वी में लड़ा, किताब पाण्डव गाथा में इनका ज़िक्र मिलता है पेज206 से 209 तक मिलता है।
अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें, एफबी पेज।
https://fb.me/AncientJatts/

सबूत तो बहुत हैं, मगर मेरे हिसाब से इतना ही काफी होगा, यदि किसी को कोई भी डाउट हों तो वो, मेरे एफबी पेज, "जाट हिस्ट्री, आउर वालोर" पर मैसेज कर सकता है।
कॉन्टेक्ट,
https://fb.me/AncientJatts/
धन्यवाद्।

आज भी कहावतें प्रचलित हैं, जैसे
दिल्ली है बहादुर जाटों की, बाकी कहानियां भाटों की।
दिल्ली जाटों की बहू है, आदि।

#दिल्ली_के_तोमर_मूल_रूप_से_जाट।
#जाट_इतिहास_हमारी_पहचान #जाट #जट्ट #जट्ट_इतिहास #जाट_इतिहास #अनंगपाल_देव_तोमर

ऐसे अनेक पोस्टों का वर्णन्। सबूतों के साथ (जैसे ऊपर दिए हैं)👇👇👇
#मौर्य_जाट_वंश,
https://www.facebook.com/111619800599401/posts/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%86%E0%A4%9C-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%86%E0%A4%AA-%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%8F-%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B6-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-%E0%A4%8F%E0%A4%95-/155837119511002/

#गुप्त_जाट_वंश,
https://www.facebook.com/111619800599401/posts/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%86%E0%A4%9C-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4-%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%87-%E0%A4%86%E0%A4%AA-%E0%A4%B8%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8-/153470673080980/

#महान्_जाट_सम्राटों_की_सूची,
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=186040776490636&substory_index=0&id=111619800599401,

अंत में एक सवाल पुछना चाहूंगा, आज जाटों की ताकत कहां है?? अरे जाट हो जाट की तरह रहो, राज करने के लिए जन्मे हो, गुलामी के लिए नहीं।
एकता बना लो, दुनिया पर राज करोगे।

हंबल रिक्वेस्ट, जो भी भाई(अथवा बहन) इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, उनसे विनती है कि कृपया शेयर करे बिना मत जाना, मैने मेरा कार्य कर दिया है, अब आपकी बारी, शेयर के साथ दोस्तो(जाटों) को टैग करें और मेरा सहयोग करें।

सन्दर्भ-
1, किताब, पाण्डव गाथा।
लेखक, कंवरपाल सिंह।
पृष्ठ, 50-60तक।
https://books.google.com/books/about/PANDAV_GATHA.html?id=YTqfDwAAQBAJ

2, किताब, महाराजा हठी सिंह तोमर।
लेखक, कवरपाल सिंह, अनिल कुमार शर्मा, मानवेंद्र सिंह।
पृष्ठ, सारे ही पढ लो 👍
https://books.google.com/books/about/Maharaja_Hathi_Singh_Tomar_only_ruler_of.html?id=BiKMDwAAQBAJ

किसी भी प्रकार कि कोई दिक्कत होने पर, सम्पर्क करें।
एफबी पेज, जाट हिस्ट्री आउर् वैलर।
https://fb.me/AncientJatts/

लेखक, चौ॰रेयांश सिंह✍️✍️✍️✍️
प्लीज़ शेयर।
जय श्री जाट देवता!
जय जाट!

01/02/2021

चौधरी राकेश सिंह जी टिकैत ज़िंदाबाद।

भाइयों खुदको अकेले समझने की भूल ना करना, पूरा देश आपके साथ खड़ा है।

#किसान_एकता_ज़िंदाबाद।
#किसान_आंदोलन।
#राकेश_टिकैत।
#किसानपुत्र।

30/01/2021

साथियों, हम किसान समर्थन में कड़े हैं।

चौ॰राकेश टिकैत जी को बता देना चाहूंगा कि, आप अकेले ना हैं।

हम भी देश के किसानों के साथ कड़े हैं।

जय जवान जय किसान।
जय हिन्द।

ी_नारा_जय_जवान_जय_जय_हो_किसान।
#जीतेगा_भाई_किसान
#किसान_एकता_ज़िंदाबाद
#किसान #किसानपुत्र
#राकेश #टीकैत #राकेश_टीकैत_ज़िंदाबाद।

09/01/2021

साथियों, आज जंग-ए-आज़ादी के एक महान् योद्धा की पुण्य तिथि है।

9जनवरी सन् 1858AD को ही राजा नाहर सिंह जी को फासी की सजा दी गई थी, नमन।

अंग्रेज़ों को हरा कर सीधा दिल्ली ही जीत ली थी, राजा साहब ने।
पूरे 134दिन कब्ज़ा कर रखा था, फिर धोखे से उनको पकड़ कर फांसी दे दी, आज इतिहास की किताबों में नाम तक नहीं है।😭😭😭

चार महीने तक अंग्रेज़ों को युद्ध में धूल चटाई, आखिर में जब अंग्रेज़ सीधी लड़ाई में राजा नाहर सिंह को नहीं जीत पाए तो वार्तालाप के बहाने बुलाकर, श्वेत झण्डा दिखा कर कॉर्नेल हैंडरसन ने नीहत्ते राजा को गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें फांसी की सज़ा का आदेश दिया गया।

फांसी होने से पहले जब पूछा गया कि बताओ तुम्हारी आखरी इच्छा क्या है??
तब राजा साहिब ने जवाब दिया, "तुमसे कुछ नहीं माँगूँगा, बस मेरा एक संदेश भारत वासियों तक पहुंचा देना, की आज़ादी की को जिंगारी में छोड़े जा रहा हूं, उसे कभी भूजने मत देना", जब अनुवादकारी ने कॉर्नेल को यह बात अनुवादित रूप में बताई तक स्वयं कॉर्नेल भी आश्चर्यचकित हो उठा।

नमन है।🙏🙏🙏
आज इतिहास के पन्नों में जिनका नाम होना चाहिए उनका तो नहीं है, लेकिन बगोड़ों और मुग़लपुत्रों का बढ़ चढ़ कर मिल जाएगा 😤😤😤

कृपया शेयर अवश्य करें, धन्यवाद्।

#जाट_इतिहास_हमारी_पहचान। #जाट

Jat History, Our Valour updated their website address. 28/12/2020

साथियों, यह हमारी नयी वेबसाइट है, आशा करते हैं कि आप यहाँ भी उतना ही प्यार दिंगे, जैसे कि आज तक देते आएं हैं, धन्यवाद्।

Jat History, Our Valour updated their website address.

20/12/2020

कितने अच्छे भाव हैं।

Timeline photos 01/12/2020

यदि जाट हो तो पूरा पढ़ना,🙏🙏🙏
अंत में गर्व महसूस ना हो तो जो सजा दोगे मञ्ज़ूर होगी।

सभी भाइयाँ णै राम राम॥🙏
जय जाट, जय दादा छोटूराम।

साथियों, मैं चौ॰रेयांश सिंह, आज आप सभी के समक्ष एक पोस्ट लिखने जा रहा हूँ, कृपया आप सभी से विनती है कि इसे न सिर्फ पूरा पढ़ें, बल्कि शेयर भी अवश्य करें, बड़ा उपकार होगा।

आजका टॉपिक है, की
"क्या आपको पता है कि जाट कोन होते हैं।"

आज मैं, महान् जाट शासकों की एक शुची आपके समीप रखूँगा, आशा है कि आपको पसन्द आए, और यदि किसी का नाम छूट जाए, तो कृपया कॉमेंट अवश्य करें, अथवा एफबी पेज पर कॉन्टैक्ट करें, लिंक बिलो 👇👇👇
http://fb.me/AncientJatts, आभार।

यूंँ तो बहुत से नाम हैं, जैसे शहीद भगत सिंह संधु और सर छोटूराम जी ओह्ल्याण, किसान केसरी बलराम सिंह जी मिर्धा, स्वर्गीय चौ॰चरण सिंह जी तेवतिया, ताऊ देवी लाल जी आदि आदि🙏
लेकिन मैं आज सभी प्रकार के महान् सम्राटों का ज़िक्र करूँगा🙏🙏

क्रम०१-पेरिस पर राज करने वाला सम्राट गमेष गिल (गिल/शेरगिल गोत्र से थे)। पेरिस के लूव्र संग्रहालय में इनकी मूर्ति है और इसने जुड़ी जानकारी भी, और‌ इन्हें वहाँ भी जाट(गोथ/गेटेइ) सम्राट लिखा है।

क्रम०२- पूरे मध्य यूनान और पश्चिमी एशिया पर शासन करने वाला जाट यौद्धा, सम्राट अत्तिला द ग्रेट हूण (हूण गोत्र से थे, व रेस/जाती से जाट थे) इतिहासकार बी एस दहिया ने लिखा है और इन्हें जाट सिद्ध किया है।
विद्वान् बी एस दहिया के बाद, बहुत से इतिहासकार जिनमे लेफ्टिनेंट कर्नल राम स्वरूप जून और कप्तान दलीप सिंह अहलावत जी भी शामिल हैं जिन्होंने इस सम्राट को जाट माना है।

विद्वान् डॉ॰डेविड जी महल ने यू.एस. में कैलिफ़ॉर्निया यूनिवर्सिटी में जाटों के डी-एन-ए पर खोज(रिसर्च) किं थीं, जिसके बाद उन्होंने किताब भी लिखी,"एन्सस्ट्रल रूट्स ऑफ़ द जाट रेस, डीएनए रेवीलाइजेशन्स" जिसमे उन्होंने साफ़ साफ़ बताया है कि जाट, जट्ट, जुट, ज़ूट, गेटे, गोठ, गाठ, युची, युह-ची, टूची (Ytuchi), हूण, सक(सिथिया), मस्सागेटे आदि सभी एक ही नस्ल के अलग अलग नाम है, व इनके अंदर एक ही खून है(एक ही डीएनए है) यदि कुछ अलग है तो वो है इनके भाषा भेद।

यदि किसी को कोई भी प्रकार का ड़ाउट हो तो वो कैलिफ़ॉर्निया यूनिवर्सिटी जा सकता है, और पूछ सकता है कि हूण लोग कोन होते हैं, व हूण किसकी गोत्र होती है, किस जाती(रेस) को बिलोंग करते हैं, आदि आदि।

क्रम०३-
जाट सरदार थियोडेरिस प्रथम (थियोद्रिस), इटली का सबसे महान् शासक, हालांकि इनकी गोत्र मुझे ज्ञात नहीं, यदि आपको है तो नीचे कॉमेंट करें, अथवा मुझ तक ये जानकारी पहुंचा कर, मेरी सहायता करें।
कॉन्टैक्ट एफबी पेज,
http://fb.me/AncientJatts,
जाट इतिहास हमारी पहचान, एफबी पेज(जिसका लिंक ऊपर दिया है), कृपया उसपर ये जानकारी डालें।

क्रम०४- महारानी तोमृस/तोम्रिस(शिबी दहिया गोत्री- शिबी वंशी व गोत्र से दहिया शिबी)
फ़ारस (पर्सिया/ ईरान व इराक़) के महान् राजा साइरस द ग्रेट को युद्ध के मैदानों में धूल चाटने व उसके पृथ्वी पर सबसे विशाल साम्राज्य को मिट्टी में मिला कर रख देने वाली जाट महारानी तोम्रिस दहिया, लगभक 600 ईसा पूर्व प्रथ्वी पर साइरस ग्रेट ने राज किया उसके शासन काल में पृथ्वी पर सबसे बड़ा साम्राज्य इसी शासक का था, तब इसने अपनी जीत के दौरान जाटों को भी ललकारा था, तब रानी तोम्रिस दहिया के नेतृत्व में जाटों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था।

क्रम०५- स्कैण्डनिव्य के महान् शासक ऑडिं महान् (Odin The Great),

भगवान् ऑडिं, यह स्कैण्डिनेविया देश के शासक थे, जहाँ के स्थानीय लोग इनको पूजते हैं व इनपर ग्रन्थ एड्डा" भी लिखी गई है जिसमे इनके जीवन के बारे में सब कुछ बताया गया है, और इस ग्रंथ में जाटों का भी वर्णन् बड़े ही संक्षेप से मिलता है।
स्कैण्डानिव्य पर सफलतपूर्वक व साहस के साथ राज करने वाले महान् शासक ऑडिं, इनके चर्चे अपने आम ही सुने होंगे, आपको बता दूँ की यह उत्तपल गोत्र से थे व राजस्थान के जाट थे।
राजस्थानी इतिहास के रचयिता कॉर्नेल जेम्स टॉड ने भी इन्हें राजस्थान का जाट माना है।
जिसके बाद इतिहासकार ठाकुर देशराज और हुकुम सिंह जी पंवार ने भी इनका उल्लेख करते हुए इनको जाट बताया है।
इतिहासकारों के अनुसार इनकी गोत्र उद्धव अथवा उत्त्प्ल थी, यह जाटों की गोत्र हैं।

इनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम थॉर्(Thor) था जो कि इनके उतराधिकारी थे।

नोट:-प्रसिद्ध इतिहासकार जंस्टर्ण, आॅडिं भगवान् के वंशज हैं, व जाती से जाट(गॉथ) हैं।

क्रम०६-महाराजा हर्ष्वर्धन, भारत के नरेशों में एक चक्रवर्ती सम्राट, जो कि बैंस/वैस वंश(गोत्र) से थे, इनके बारे में ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं, इतिहासकार बी एस दहिया के लेखों को आप पढ़ सकते हैं।

क्रम०७-सम्राट कनिष्क, यह कुषाण वंश के जाट सम्राट थे,
सबूत,
-सर जे डि अलेक्जेंडर कनिंघम(अँग्रेज़ी इतिहासकार) ने सम्राट कनिष्क को युचि जाट बताया है, और शेर-ए-हिन्द पञ्जाब केसरी महाराज रणजीत सिंह जी(संधावलिया जट्ट) को सम्राट कनिष्क का वंशज लिखा है।
-डॉ०धर्मचंद कृति(दलित इतिहासकार) ने "किताब-जाट जाति प्रछन बोद्ध है" में सम्राट कनिष्क से लेकर महाराजा हर्षवर्धन तक 17 बौद्ध धर्मी जाट राजाओं का जिक्र किया है।
-जो भाई जानकारी की कमी होने के कारण कभी कभी इन्हें गुर्जर भी बतला देते हैं, उनके लिए-
गुज्जर इतिहासकार खुर्शीद भाटी(जाती से खुद एक गुर्जर इतिहासकार) जी का कॉन्टैक्ट मोबाइल नंबर, 9990865810

अखिल भारतीय वीर गुर्जर महाशभा,
https://www.facebook.com/428897030507928/posts/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%95-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A4%BE%E0%A4%A3-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%B2%E0%A5%82%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%89%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A4%B9%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A5%88-/2366330926764519/,

क्रम०८-महाराजा यशोधर्मा विर्क, यह विर्क गोत्र से थे व जाती से जाट थे, सबूत किताब चन्द्रव्याकरण में, "अजय जज्र्टो हूणान" इन्हीं के लिए लिखा हुआ है।
मालवा शिलालेख से हमें पता चलता है कि ये वरिक वंशी, अर्थात् विर्क(वरिक/वर्राईच) गोत्र से थे, जो की एक जाट गोत्र है।

क्रम०९-अरबी ग्रन्थ "स्लासिलातुत तवारिक" में हमें जाट बल्हारा नरेश के बारे में जानने को मिलता है, ग्रन्थ में ये भी लिखा है कि भारत के नरेशों में जाट बल्हारा नरेश सर्वोच्च थे।
शासन विशेषता, समस्त अखण्ड भारत पर शासन, व दयालु किस्मी शासक।
यह सूर्यवंशी राजा थे।

इसी सम्राट से जाटों में बल/बल्हारा गोत्र की उत्पत्ति हुई।

क्रम१०-किंग एलारिक(Alarik the great)
रोम व इटली पर शासन करने वाला जाट सम्राट।

'किंग ऑफ द विसिगोथ्स' अर्थात् पश्चिमी जाटों(गोथ्स) का शासक अथवा नेतृत्वकर्ता (राजा/लीडर आदि)

हालांकि इनकी गोत्र बैन (व्हनीवाल/बेनीवाल) बताई गई है, लेकिन मैं कन्फर्म नहीं हूँ।

गॉथ(गोथ) और जाट दोनों एक ही नस्ल हैं।
किताब, एंसेस्ट्रल रूट्स ऑफ़ द जाट रेस: डी-एन-ए रेवेलाइजेशन्स।
लेखक, विद्वान् डॉ॰डेविड जी महल।

क्रम११-सम्राट चकवा बैन (बेनीवाल/बेह्णीवाल)

चक्रवर्ती सम्राट चकवा बैन, बेनीवाल गोत्र के जाट शासक थे जिन्होंने भारत अफ़ग़ान चीन सहित कई अन्य देशों पर राज किया था।

क्रम१२-चीन का सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित करने वाला योद्धा,
(emperor maudan and Xiong-nu Empire of the Henga Jats)

सम्राट मॉड़न चीनी शासक थे, व शियोंग-नुँ वंश के राजा थे, इनकी गोत्र हिंग-नुँ पड़ती थी, जिसे भारत में हाँगा चौधरी(अग्रे) भी कहते हैं।

सबूत, इतिहासकार बी एस दहिया, व राम स्वरूप जून और डॉ विद्यासागर अलंकार जी ने भी ज़िक्र किया है।

चीन पर सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित करने वाले जाट योद्धाओं की गाथा(श्योंग-नुँ साम्राज्य)

क्रम१३-
सम्राट शालिंद्र तक्षक,409ईसा में गद्दी पर बैठे।
यह नागवंशी जाट शासक थे(इतिहासकारों ने सूर्यवंशी भी लिखा है जैसे इतिहासकार ठाकुर देशराज), जिनकी गोत्र तक्षक थी व इनका राज्य वैदिक सिंध, ताक्षिला, बलोचिस्तान तथा पंजाब हिमाचल से लेकर समस्त राजस्थान और मालवा तक फैला हुआ था, इन्होंने(और सिंध के अन्य तक्षक जाट राजाओं ने, जो कि इन्हीं के वंश से थे) अरब आक्रमणकारियों से लड़ते लड़ते शहादत भी पाई है, लेकिन क्या मजाल इनका
इतिहास से नाम ही लुप्त कर दिया गया।
जहाँ इस शासक ने राज किया उस वक्त इनके राज्य को शाल्पुर(वर्तमान का शिआलकोट) कहा जाता था, और इनकी राजधानी तक्षिला थी।

यह जाट सम्राट थे, सबूत राजस्थानी इतिहास के राच्यता कॉर्नेल जेम्स टॉड ने सन्1720ईसा में कॉर्नेल टॉड को कोटा राजस्थान से एक लिपि(शिलालेख) प्राप्त हुआ था, जिसका वर्णन् कॉर्नेल ने "एनल्स एण्ड एण्तिक्विटी ऑफ़ राजस्थान" नामक पुस्तक में किया है, व पृष्ठ क्रम 621-23 तक इसका ज़िक्र करते हुए, लिखा कि शिलालेखों और अभिलेखों पर लिखे जिट्:" शब्द से ये साफ़ पता लगता है कि ये तक्षक जाट शासक थे। फिर इतिहासकार ठाकुर देशराज ने भी इस बात को माना है।
यह वही वंश है जिसमे, सम्राट शालिवान व शालिचंद्र जैसे महान् योद्धा जन्मे हैं(सिंध का तक्षक जाट वंश)

क्रम१४-दिल्ली का ढिल्लों वंश,
आपको बता दूँ की ढिल्लों जाटों ने दिल्ली पर 450से भी अधिक वर्षों तक शासन किया था, इस वंश के समय राजा दल्हू/दिल्हु(Dhilu-Dihlu) ढिल्लों के शासन काल से पहले तक दिल्ली को इंद्रप्रस्थ कहा जाता था, फिर राजा दल्हु के नाम से इंद्रप्रस्थ को दिल्ली कहा जाने लगा।
इस वंश में 16शासक रहे जिन्होंने 445साल 3महीने व 3दिनों तक सन् 817बीसी से 372बीसी राज किया।
यह सभी जाट सरदार विर्म्हा के वंशज थे जो कि ढिल्लों गोत्र से थे, इसी वंश में राजा दिल्ही सम्राट जीवन सिंह जाट का जन्म हुआ था।

यह पाण्डववंशी जाट घराणा था, सम्राट युधिस्टर के वंश में ही ढिल्लों जाट गोत्र का उद्गम हुआ था, इतिहासकार बीएस दहिया ने वंशावली भी पेश की है।
सबूत,'वाक्यत पांच हज़र रिसाडा' में साफ़ साफ़ "जीवन जाट" लिखा हुआ मिल जाएगा, अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें।
http://fb.me/AncientJatts,

क्रम१५-नागौर का धौल्या नागवंशी जाट वंश।
जिसमें नागराज के विश्व में सबसे पहले शासक आनंदनाग धौलया जी का जन्म हुआ, जिन्होंने4-5शताब्दी में राज किया, इन्हीं के वंश में आगे जाकर वीर सत्यवादी तेजाजी महाराज का जन्म हुआ था, इनका राज्य समस्त मध्यम व उत्तरी भारत पर रहा, धौलपुर जगह का नाम भी इन्हीं के धौल्य गोत्र के ऊपर रखा गया है।

क्रम१६-कश्मीर का उत्पल वंश, इसके बारे में आप कहीं भी पढ़ सकते हैं, इसका जिक्र तो इंटरनेट पर जगह जगह मिल जाएगा,
इसी वंश में रानी दिद्दा(लोहार गोत्र की जाट महारानी), सम्राट गोपाल वर्मन जैसे बड़े प्रकर्मी योद्धा रहे हैं, जिनका इतिहास अप्रतिम सौर्य की गाथाओं से भरा पड़ा है।

अब उत्पल लोग कोन होते हैं, किसी को बताने की जरूरत नहीं।

क्रम१७-सम्राट अशोक मौर्य(मोरी गोत्र के जाट)
मौर्य वंश शुद्ध रूप से जाट वंश था, सबूत "महावंश" जीगर द्वारा ट्रांसलेटेड पेज नंबर 27
सबूत के तौर पर मेरे द्वारा रचित पोस्ट है।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=155837119511002&id=111619800599401, धन्यवाद्।

क्रम१८-गुप्त वंश(धारण गोत्री),
सम्राट श्रीगुप्त से लेकर विष्णुगुप्त व कुमारगुप्त
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=153470673080980&id=111619800599401&scmts=scwsplos,

क्रम१९-सम्राट पोरस/पॉरस(पौराव/पाॅरव गोत्री)
सम्राट पोरस, सिकंदर के कोन्क़्यस्ट को रौंदने वाले सम्राट,
इनके वंशज आज भी सिंध में निवास करते हैं, आप उनकी जाती पूछ सकते हैं, आभार।
पोरस्वाॅड़(पोरस्वाॅल) जाट गोत्र जो कि सिंध में आबाद है, सम्राट पोरस से ही जाटों में उत्पन्न हुई है, अर्थात् सम्राट पोरस से ही जाटों में यह गोत्र उत्पन्न हुआ।

फॉर डाउटफुल पिपल, इंगलैंड में प्रकाशित की गई किताब सेपॉय(Sepoy) में महाराजा पोरस व सम्राट कनिष्क को भी जाट लिखा है।

क्रम२०-कैकण साम्राज्य के सम्राट महाद्वीप् योद्धा महाराजा कैकेय सिंह जाट,
अरबी के खलीफा को बार बार पैरों तले रौंद डाला था इस जाट सम्राट ने, लगभग 8बीसी में कैकण साम्राज्य भारत के सिंध प्रातेह में था, आज इस महावीर पर किसी विद्वान् ने कलम नहीं उठाई है, यहाँ तक की कोई इनके बारे में जानता तक नहीं, इन्होंने एक नहीं कई बार युद्ध में धूल चटाई, लेकिन इतिहास ने इन्हें भुला दिया।

नोट:-और किसी भी प्रकार के सबूतों व डाउट्स या इंक्वायरी आदि के लिए संपर्क करें, एफ बी पेज पर, लिंक दिया है।
http://fb.me/AncientJatts, आभार।

नोट:-इस पोस्ट में मैने किसी भी प्रकार के सबूतों की बात नहीं कि है, ये तो मामूली से सबूत हैं, हर वंश पर पूरी किताब भरके सबूत मौजूद हैं, जो एक पोस्ट में समेटे नहीं जा सकते, लेकिन यदि आप सबूत चाहते हैं तो मुझसे मेरे एफ-बी फेज,"जाट इतिहास- हमारी पहचान" पर संपर्क करें।
लिंक नीचे दिया है।
http://fb.me/AncientJatts,

आप सभी ने इस पोस्ट को पढ़ने का शुक्रिया, अब मूझपर एक एहसान करें, आपसे विनती है कि शेयर अवश्य करें, बड़ा उपकार होगा, इसे लिखने मे बहुत मेहनत लगी है, और मैं आशा करता हूँ की यह पोस्ट दुनियाँ के हर एक जाट तक पहुँचेगी, प्लीज़।

अत: साथियों मेरा आप सभी से एक सवाल है, आपने कितनी ही किताबों में इन वीरों के बारे में पढ़ा होगा जरा सोचके बताईए, इन वीरों और महापुरुषों को इतिहास के पन्नों में जगह क्यूँ नहीं मिली?
दुनिया बताती है कि दिल्ली का नाम पहले इंद्रप्रस्थ था, कोई नहीं बताता की फिर यहाँ ढिल्लों जाटों ने राज किया और तबसे इस जगह को राजा दल्हू ढिल्लों के नाम से दिल्ली कहा गया।
कोई नहीं बताता उन तक्षक सम्राटों का इतिहास जिन्होंने ना जाने कितने अरब आक्रमणकारियों को नचा नचा कर पीटा था।
कोई नहीं बताता की कश्मीर पर उत्पल जाटों ने कितनी सफलतापूर्वक व साहस और दृढ़ता के साथ राज किया।

कोई नहीं बताता यूनान और एशिया सब कभी जाटों की मुट्ठी में होता था।

यह पहला पार्ट है, अगला पार्ट भी जल्द ही आएगा, प्रतीक्षा करें, आभार।

लेखक चौ॰रेयांश् सिंह✍🏻✍🏻
धन्यवाद्, 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कॉन्टैक्ट, एफबी पेज।
http://fb.me/AncientJatts,
कृपया शेयर अवश्य करें, उपकार।

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